Adultery बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी

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josef
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Re: Adultery बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी

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विक्की
लक्ष्मी आंटी ने अंजाने में हमें नई idea बताई थी। नीचे उतर कर मैंने सन्नी को बताया तो वह भी मान गया। हम चाय लगाकर मुंह धोने गए। ब्रश करने के बाद जब हम kitchen पहुंचे तो वहां लक्ष्मी आंटी को सीढ़ियों से इठलाते हुए उतरते पाया। कहर ढा रही थी लक्ष्मी आंटी और वह ये बात जानती थी। बस एक गलती की थी, जो झाड़ू हाथ में पकड़ा था वह वहां नहीं होना चाहिए था।

लक्ष्मी आंटी “बाबू, आपको नहीं लगता ये कपड़े साफ सफाई करते हुए जल्दी मैले हो जाएंगे?”

सन्नी “लक्ष्मी आंटी, आओ मिलकर नाश्ता करते हैं। काम तो दिन भर होता रहेगा।“

हंसी मजाक में नाश्ता बनाया गया और उसके बाद खत्म हो गया। लक्ष्मी आंटी ने अब हिचकिचाहट छोड़ कर हमसे दोस्ती कर ली थी। लक्ष्मी आंटी ने हमें जल्द और आसान नाश्ता बनाना सिखाया कि कॉलेज जा कर हम भूके ना रहें।

नाश्ता करने के बाद हम दोनों ने लक्ष्मी आंटी को kitchen table पर बिठाया और सीधी बात की।

सन्नी “लक्ष्मी आंटी, हम दोनों तुम्हें blackmail करके यहां लाए। तुम्हारे साथ बलात्कार कर तुम्हें हर तरफ से इस्तमाल किया। इस बात का पता है पर हमें दुख नहीं। तुमने हमें जो सिखाया है उसे हम दोनों जिंदगी भर याद रखेंगे।”

लक्ष्मी आंटी “बाबू आप बुरा मत मानो। वोह तो उपर मैंने मजाक में कहा था। पहले मुझे बहुत डर लगा और जब विक्की बाबुने मेरी झिल्ली फाड़ी तो बुरा भी लगा। पर बाद में सोचा, मेरे पती ने वैसे भी मेरी जिंदगी खराब कर दी है। अगर आप दोनों मुझे कुछ पल की खुशी दे रहे हो तो मैं उसे क्यों न लूं?”

मैंने मुस्कुराकर लक्ष्मी आंटी के गाल को चूम लिया और कहा “फिर भी हम दोनों ने तय किया है कि तुम्हें एक मौका मिलेगा। तुमने हमें शिकारी कुत्ते कहा था, तो हम सब एक खेल खेलेंगे। शिकारी और चालाक लोमड़ी। चालाक लोमड़ी, यानी कि तुम भागो और छुप जाओ। पूरे फॉर्महाउस में कहीं भी। 10 मिनट बाद शिकारी यानी हम, तुम्हारे पीछे निकलेंगे। अगर 1 घंटे में हम में से कोई भी तुम्हें ढूंढ नहीं लेता तो अगला पूरा दिन हम तुम्हारे इशारों पर रहेंगे। मगर तुम्हें ढूंढ निकाला तो लक्ष्मी आंटी, याद रखना, शिकारी और लोमड़ी…”

लक्ष्मी आंटी के चेहरे से साफ था कि उसे इस खेल में उसका कोई नुकसान नहीं दिख रहा था और हम दोनों को काबू करने की इच्छा भी उसके मन में अंगड़ाई ले रही थी। लक्ष्मी आंटी ने सर हिलाकर हां कर दिया तो हमने उसे पकड़ लिया।

लक्ष्मी आंटी “विक्की बाबू आप ने कहा था कि मुझे 10 मिनट तक छूट मिलेगी। आपने मुझे फिर पकड़ा क्यों?”

“अरे लक्ष्मी आंटी, ऐसे थोड़ी ही तुम लोमड़ी बनोगी?”

सन्नी ने लक्ष्मी आंटी को दहिनी ओर से पकड़ कर टेबल पर लिटा दिया। लक्ष्मी आंटी का दहिना हाथ और पैर फैला कर पकड़े गए। मैंने लक्ष्मी आंटी को बई ओर से पकड़ लिया। लक्ष्मी आंटी को एहसास हुआ कि इन कपड़ों में वह नीचे से पूरी नंगी थी। तभी पिछे से लक्ष्मी आंटी की बुंड पर किसीने जोर दिया। क्यूंकि सन्नी और विक्की दोनों उसके बगल में थे तो लक्ष्मी आंटी ने डर के पूछा, “क… कौन?”

जोर बढ़ा और वह लक्ष्मी आंटी की गांड़ में घुस गया।

अन्हह… की चीख निकल गई और लक्ष्मी आंटी ने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया।

“लक्ष्मी आंटी, इस से मिलो। यह तुम्हारा नया दोस्त Simon। भला बिना पूंछ के लोमड़ी कभी होती है? अगर ये पूंछ निकली तो इसका मतलब तुम पकड़ी गई हो।”

लक्ष्मी आंटी ने अचरज से पीछे देखा। उसे जो रंगीन झाड़ू लगा था वह तो एक गांड़ में पेल देने वाली पूंछ थी। लक्ष्मी आंटी जैसे तैसे उठी और लड़खड़ाते हुए भाग गई।

सुबह के 6.50 हुए थे और शिकार 7 बजे शुरू होनी थी।

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josef
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सन्नी

“7 बज गए, चल निकालते हैं। तुझे क्या लगता है, कहां छुपी होगी?”

विक्की “लक्ष्मी आंटी 4 साल से शहर में है लेकिन पहले गांव से आई है। वोह घर में नही छुपेगी। बाहर देखते हैं।”

हमने फार्महाउस के हिस्से बांट लिए। विक्की ने आगे का हिस्सा और garage ढूंढा तो मैं पीछे सब्ज़ियों के बाग़ और आम की बाग़ ढूंढ़ने लगा। बेचारी लक्ष्मी आंटी, उसे ऐसे पूंछ निकली हुई थी कि वह ना दौड़ पाती और न छुप पाती। मैंने सब्ज़ियों की बाग़ देखी तो वहां छुपने लायक कुछ नहीं था। मै आम के बगीचे में पहुंचा तो मेरे अंदर के शिकारी को मानो गंध मिल गई। पता नहीं क्यों, मै आम के पेड़ के पीछे छिप गया। फिर आंखे बंद कर सुनने लगा। मेरे पीछे सरसराहट हुई तो मैंने कोने में से झांक कर देखा। पेड़ों के बीच में से कुछ रंगीन हिलता नजर आया। मैं छिप कर उसके नजदीक गया और अचानक से सामने खड़ा हो गया।


लक्ष्मी आंटी ने मुझे देखा और घास में छिपने की कोशिश करने लगी।

मैंने घड़ी में देखा तो 7.15 बजे थे।
“लक्ष्मी आंटी, मुझे लगता है कि तुम छिपना नहीं चाहती थी। चलो इधर आओ और अपनी इठलाती बलखाती दुम तो दिखाओ। देखूं तो सही, कैसी अदा से लक्ष्मी आंटी की पूंछ निकली हुई है।”

लक्ष्मी आंटी ने अपनी जीभ निकली और मुंह बनाया। लक्ष्मी आंटी ने मेरे सामने आकर गोल चक्कर लगाया। अपनी रंगीन पूंछ हिलाकर, आम के पेड़ का सहारा ले कमर में मुड़कर अपनी पूंछ उपर कर दी। मैंने और इंतजार न करते हुए लक्ष्मी आंटी की पूंछ पकड़ कर उसे उठाया।

लक्ष्मी आंटी की आह निकल गई और उसने अपने ऐड़ियों को उठकर गांड़ और उठाई। मैंने पैंट उतार कर ' लोमड़ी मारने की बंदूक ' निकली और लक्ष्मी आंटी ' लोमड़ी ' की गीली गुन्फा की ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी।

लक्ष्मी आंटी की गांड़ में फंसा butt plug उसकी गीली चूत में से मेरे लौड़े को दबा रहा था। ये एक अलग ही एहसास था जो अजीब पर मजेदार था। लक्ष्मी आंटी ने अब उस पेड़ को लिपट कर पकड़ा था और इसी लिए वो लाचार होकर मेरे लौड़े का मार खा रही थी। मैंने 10 मिनट तक लक्ष्मी आंटी की कुटाई की और फिर उसे पकड़ कर अपनी ओर मोड़ लिया। मैंने लक्ष्मी आंटी को नीचे घास में लिटाया और झड़कर गीले हुए उसकी जांघों को फैलाया। पनियाई चूत के रस से भिगती उस रंगीन पूंछ को पकड़ कर खींच निकाला। 'चपाक' की आवाज के साथ लक्ष्मी आंटी की पूंछ अलग हुई और मैंने Simon को एक तरफ फेंक दिया। लक्ष्मी आंटी झड़कर घास में फैली पड़ी थी तो मैंने लक्ष्मी आंटी की एडियों को पकड़ कर उन्हें अपने कंधो पर रख दिया। लक्ष्मी आंटी की गांड़ उठ गई तो मैंने लक्ष्मी आंटी की गांड़ चिर दी। लक्ष्मी आंटी ने अपनी उंगलियों में घास पकड़ कर अपने शरीर को सहारा देने की कोशिश की मगर मेरी तलवार की वार से उसके हाथ में घास के पत्ते टूट कर आते। लक्ष्मी आंटी अपना सर हिलाकर अपनी गांड़ में पेल कर बन रही काम उत्तेजना को बता रही थी।

हर झटके से लक्ष्मी आंटी के मम्मे हिचकोले खाते उसके शानदार कपड़ों में से अपना प्रदर्शन कर रहे थे। मैंने लक्ष्मी आंटी का टॉप खींच उतार फेंका। उसके दोनों दूधिया गोले पकड़कर अपनी रफ्तार बढ़ा दी। मेरा स्खलन अब नजदीक आ गया तो मैं लक्ष्मी आंटी को पकड़ तेज झटके देने लगा। लक्ष्मी आंटी ने मेरे लौड़े से आने वाले रस की धार को अपनी गांड में लेने के लिए मुझे पैरों से जकड़ लिया।

गरम विर्य के फव्वारों ने लक्ष्मी आंटी की गांड भरना शुरू किया तो लक्ष्मी आंटी ने पलटी मार दी। मेरा पूरा खूंटा अपने अंदर समाकर लक्ष्मी आंटी मुझपर सवार हो बैठी।

थोड़ी देर में मेरा हथियार लक्ष्मी आंटी कि गांड से निकलने को था तभी हमें विक्की की आवाज सुनाई दी।

विक्की “Simon तू इधर है तो लक्ष्मी आंटी किधर चुध रही है? सन्नी!!!”

लक्ष्मी आंटी झटसे उठी और मेरा रस अपनी गांड से टपकाते भाग खड़ी हो गई।
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josef
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12
विक्की

लक्ष्मी आंटी गेराज और बाकी जगह नहीं मिली तो मैं सन्नी से मिलने आम के बगीचे में आया। वहीं रास्ते में Simon को देख बोल पड़ा “Simon तू इधर है तो लक्ष्मी आंटी किधर चुध रही है? सन्नी!!!”

सन्नी की बस आह सुनाई दी जब मुझे नीचे लक्ष्मी आंटी का पारदर्शी टॉप मिला। आगे बढ़ने पर पाया कि सन्नी नीचे घास में चूसे आम की तरह पड़ा था। मैंने उसका इशारा समझकर लक्ष्मी आंटी का पीछा किया।

लक्ष्मी आंटी एक पेड़ पर चढ रही थी। मैंने कुद के उसको पकड़ने की कोशिश की तो मेरे हाथ सिर्फ लक्ष्मी आंटी का नटखट स्कर्ट आया।

“लक्ष्मी आंटी, लोमड़ी पेड़ पर नही चढ़ती। तुम पकड़ी गई हो, नीचे उतरो।”

लक्ष्मी आंटी “मेरी पूंछ नही तो मैं लोमड़ी नही। पर मेरे शहरी शिकारी आप दोनों पेड़ पर नहीं चढ़ सकते। अब मैं पूरा दिन यहीं रहूंगी।”

लक्ष्मी आंटी ने ऊपर चढ़ते हुए अपनी गांड हिलाकर मुझे चिढ़ाते हुए कहा।



लक्ष्मी आंटी के पैर को कुछ छू गया और नीच देख कर चीखी। मैं तेज़ी से ऊपर चढ़ गया था और उसके पीछे खड़ा हो गया। लक्ष्मी आंटी बीच में पकड़ी गयी थी। लक्ष्मी आंटी के पैर फैले दो अलग शाखाओं के ऊपर थे तो हाथों से पेड़ का तना पकड़ा था।

मैंने नीचे देखा तो पाया कि हम ज्यादा ऊंचाई पर नही थे और सन्नी ने इशारा कर सहमती दी। मैं लक्ष्मी आंटी के पिछे से उसे चिपक गया कि वह अपनी जगह पर अटक गई।

लक्ष्मी आंटी हंसकर बोली,“ तुम जीते विक्की बाबू। तुम तो पेड़ पर चढ़ने में माहिर हो। अब हटो, मैं नीचे उतरती हूं। सन्नी बाबू ने मिट्टी में लिटाकर गन्दा कर दिया है। अब हटो भी!”

मैंने लक्ष्मी आंटी पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए पेड़ पर दबा दिया। मेरे लौड़े का सुपारा लक्ष्मी आंटी की गांड़ को चूमने लगा तो उसने डर के हटने की कोशिश की।

लक्ष्मी आंटी “विक्की बाबू रुको, रुक जाओ, नहीं, नहीं… मैं गिर जाऊंगी विक्की बाबू। नीचे उतर कर आप को सब कुछ दूंगी पर अब रुक जाओ बाबू। बाबू… बाबू… विक्की… बाबू…!!!! सन्नी बाबू!!! बचाओ…”

तभी नीचे से सन्नी कि आवाज आई “विक्की, मुझे लगता है कि इसे मेरी याद आ रही है। ये ले…”

सन्नी ने उछाली चीज मैंने लपक ली। वह एक लंबा मोटा खीरा था। सन्नी का इशारा समझ कर मैंने उसे लक्ष्मी आंटी की बूर पर रगड़ने लगा। लक्ष्मी आंटी को हम दोनों ने ठंडा होने का मौका दिया ही कब था? जल्द ही लक्ष्मी आंटी दुनिया की सुध भूल कर अपने रस से सन्नी खीरा धोने लगी।

मैंने लक्ष्मी आंटी के फैले पैरों का पूरा फायदा उठाते हुए सन्नी खीरे को पूरा अंदर पेल दिया। लक्ष्मी आंटी उछल कर नीचे गिर जाती अगर मैं तैयार न होता। अपनी उंगलियों से सन्नी खीरे को लक्ष्मी आंटी की गरमी में दबाकर मैंने अपनी हथेली से लक्ष्मी आंटी की चूत का दाना मसलने लगा। लक्ष्मी आंटी ने अपनी गांड़ हिलाकर अपनी उत्तेजना दिखाई तो मैंने उसे दबोच लिया।

अब लक्ष्मी आंटी पेड़ से सटी, डालियों को पकड़ कर खड़ी थी। लक्ष्मी आंटी के पैर फैले दो शाखाओं पर रखे हुए थे। मैंने लक्ष्मी आंटी को पिछे से पकड़ कर उसकी तरह शाखाओं पर खड़ा था पर मेरा एक हाथ उसकी गीली चूत में सन्नी खीरा दबाए हुए था तो दूसरा उसके बगल से होते हुए लक्ष्मी आंटी के कंधे को जकड़े हुए था। लक्ष्मी आंटी सिर्फ सिर हिलाकर, अपनी गांड़ हिलाकर अपनी विवशता दिखा सकती थी। मैंने सन्नी खीरे को लक्ष्मी आंटी की चूत से निकाल कर, उसपर लगे रस से मेरा लौड़ा पोत दिया। सन्नी खीरा फिर से लक्ष्मी आंटी की चूत में डाल दिया गया और उसके दबने पर लक्ष्मी आंटी की गांड़ उठ गई।

मौका साध कर मैंने अपने लौड़े को लक्ष्मी आंटी की गांड़ में पेल कर जड़ तक घुसा दिया। लक्ष्मी आंटी की चीख पूरे आम के बगीचे में गूंज उठी। मैं जवान था, कामोत्तेजना में डूबा हुआ था पर दरिंदा नहीं था। मैं ऐसे ही बिना हिले डुले रुक गया और अपनी हथेली से लक्ष्मी आंटी के दाने को सहलाने लगा। मेरे हथेली के घूमने से सन्नी खीरा हिल रहा था और लक्ष्मी आंटी के रस से वह फिर भीगने लगा।

लक्ष्मी आंटी ने धीरे धीरे आगे पीछे हो कर मुझे गांड़ मारने की इजाजत दी तो मैंने भी बड़े प्यार से लक्ष्मी आंटी की गांड़ मारी। लक्ष्मी आंटी की चूत में घुस बैठा सन्नी खीरा मेरे लौड़े को लक्ष्मी आंटी की गांड़ में बीच के पतले परदे से सेहला रहा था। इस अलग ही हलचल से लक्ष्मी आंटी और मुझे नया मज़ा आ रहा था। इस पोज़ में हम दोनों ने घमासान मचा दिया और केवल 5 मिनट में मैंने लक्ष्मी आंटी को जकड़ कर उसकी गांड़ की गहराई को अपनी गरमी से भर दी।

लक्ष्मी आंटी लगभग बेसुध होकर मेरे सहारे खड़ी थी तो मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। सन्नी खीरा लक्ष्मी आंटी की चूत से फिसल कर नीचे सन्नी के पैरों में गिर गया। हम दोनों एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराए।

शिकारी शिकार करने के बाद क्या करते हैं? हमने लगभग बेसुध लक्ष्मी आंटी को जैसे तैसे पेड़ से उतरा और सहारा देकर फार्महाउस में ले गए।
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