Adultery बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी

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josef
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Re: Adultery बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी

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विक्की

परीक्षा में जाने से पहले ही हमारा मन छुट्टी के बारे में सोच हलका हो गया था और परीक्षा अचानक से बहुत आसान लगी। दोपहर तक सब ख़तम कर के हम लक्ष्मी आंटी से मिलने भागे।

घर पहुंच कर देखा तो लक्ष्मी आंटी ने खाने के साथ और भी कई चीजें बनाई थी। जब हमने लक्ष्मी आंटी से कहा की जहां जाएंगे वहां खाने को मिलेगा तो लक्ष्मी आंटी थोड़ी उदास हो गई। उसने हमारे लिए की हुई तयारी देख मैं समझ गया कि लक्ष्मी आंटी को लगा था कि हम उसे छोड़ कर जा रहे हैं। मैंने लक्ष्मी आंटी को पीछे से अपनी बाहों में लेते हुए कहा,

"तुम्हें इतनी आसानी से नहीं छोड़ेंगे लक्ष्मी आंटी। तुम भी तयार हो जाओ। हम सब 1 घंटे में निकल रहे हैं।"

लक्ष्मी आंटी ने खुश होकर पूछा, "इतनी वक़्त की पाबंदी क्यों? अगर छुट्टी पर जाना है तो ऐसे भागा दौड़ी क्यों?"

सन्नी ने लक्ष्मी आंटी की चाल पकड़ ली और कहा,
"ये सब तो वहां जाने पर ही समझ जाओगी। बस इतना बताऊंगा कि ज्यादा कपड़े लेने की कोशिश भी मत करना।"

लक्ष्मी आंटी की जिज्ञासा को शांत किए बगैर हम सब गाड़ी में बैठ गए। लक्ष्मी आंटी पीछे की सीट से आगे झांक कर देख रही थी कि हम किस ओर जा रहे हैं।

"सन्नी, याद कर की पिछली बार जब हम सब घूमने निकले थे तो लक्ष्मी आंटी कैसे चुपके से पीछे बैठकर आहें भर रही थी। एक दिन वो था और एक दिन आज है।"

लक्ष्मी आंटी, "आह हा हा!! आप दोनों ने मेरे अंदर जो झुनझुना डाल रखा था उसके बारे में भूल गए? आज भी उस बारे में सोचा तो पसीने छूट जाते हैं।"

"और चूत गीली हो जाती है, ये भी बता दो।"

हंसी मजाक में रास्ता कटने लगा और सन्नी ने लक्ष्मी आंटी से असली सवाल पूछा,
"लक्ष्मी आंटी, तुम्हें अपने गांव की याद नहीं आती?"

लक्ष्मी आंटी ने चुपके से कहा, "बाबू, वहां कोई अपना बचा हो तो उस बारे में सोच कर मतलब है। किसी दिन अगर बहुत उदास हो गई तो पहाड़ों के बीच से ढलते सूरज को याद कर अपना मन बहला लेती हूं। बाबू शहर में सब मिलता होगा पर सूरज आते और जाते हुए नहीं दिखता।"

हम दोनों ने लक्ष्मी आंटी को चिढ़ाते हुए उसका ध्यान भटकाया और गाड़ी पुराने मुंबई पुणे हाईवे पर लग गई। शहर को गुजरता देख लक्ष्मी आंटी खुली जमीन और हरियाली को निहारने लगी। बीच बीच में लक्ष्मी आंटी हम दोनों से हमारी मंजिल के बारे में पूछती पर अब वह भी समझ गई थी कि हम Lonavala जा रहे थे।

लक्ष्मी आंटी, "बाबू पहले बोल दिया होता कि हम Lonavala जा रहे हैं तो कुछ गरम कपड़े लाती। सुना है वहां साल भर सरदी रहती है।"

सन्नी ने लक्ष्मी आंटी को एक अय्याश मुस्कान देते हुए कहा, "लक्ष्मी आंटी हम दोनों तुम्हें अंदर- बाहर आगे - पीछे से हमारी गरमी से भर देंगे।"

लक्ष्मी आंटी ने सन्नी के कंधे पर हलकी चुटकी लेते हुए कहा, "हट बदमाश!"

तभी मैंने सिग्नल दिया और गाड़ी रास्ते छोड़ कर पुराने घाट को चढ़ने लगी। बुधवार की शाम होने से यहां कोई और नहीं था।

लक्ष्मी आंटी, "बाबू, यहां हम क्यों आए हैं? यहां पर तो दूर दूर तक कोई नहीं है।"

गाड़ी से उतरते हुए मैंने कहा," लक्ष्मी आंटी, यहां पर वेताल का मंदिर है। अगर यहां किसी औरत की बली चढ़ा दी तो हम दोनों को सिद्धि मिलेगी।"

लक्ष्मी आंटी हंस पड़ी, "बाबू ये पट्टी कॉलेज की किसी लड़की को पढ़ना। बली कुंवारियों की दी जाती होगी, तीन पतियों के बीवी की नहीं।"

चलते चलते हम सब उस घाट की चोटी पर पहुंच गए थे। ढलते सूरज ने अपना रंग बदला और सह्याद्रि की पहाड़ श्रृंखला को छूने चला। दूर नीचे गाडियां इस मंत्रमुग्ध करने वाले नजारे से अंजान छोटे छोटे खिलौनों की तरह दौड़ रही थीं।

मैंने एक चादर फैलाई और सन्नी ने लक्ष्मी आंटी ने बनाई खाने की चीजें लाई। हम सब चुप रह कर ढलता सूरज देख रहे थे। इस अनुभव में शब्द बेकार ही नहीं बल्कि बोझ थे। सूरज जमीन के पीछे छिपने लगा तो लक्ष्मी आंटी ने हम दोनों को अपनी बाहों में लेते हुए बहती आंखों से सूरज की आखरी किरणों को देखा। हम दोनों जानते थे की लक्ष्मी आंटी के इस आलिंगन में दोस्ती और ममता के अलावा और कुछ नहीं था। हमने भी अच्छे दोस्त की तरह लक्ष्मी आंटी का साथ दिया।

सूरज ढलते ही अंधेरा छा गया और हम सब गाड़ी में बैठ गए।

लक्ष्मी आंटी ने चुपके से कहा, "बाबू, मैं नहीं बता सकती की इतने सालों बाद ये देख कर कैसा लग रहा है पर यह किसी भी तोहफे से कीमती तोहफा दिया है आप दोनों ने।"

सन्नी, "अरे लक्ष्मी आंटी, अब जब हम दोनों को तुमने इतना पूजनीय बना दिया है तो शायद हमें अपनी हवस का शिकार किसी और को बनाना पड़ेगा।"

गाड़ी में माहौल अचानक हलका हो गया जब लक्ष्मी आंटी ने आगे बढ़कर सन्नी के कान को खींचकर उसके गाल को चूम लिया। हाईवे पर लगने से पहले एक छोटा पर अच्छा होटल दिखा और हमने यहां रात गुजारना ठीक समझा।

बुधवार शाम को यहां कोई रहता नहीं और सारे कमरे खाली होते हैं। होटल मैनेजर ने कमरे का भाड़ा 1500 कहा तो मैंने लोक लाज के खातिर 2 कमरे मांगे। मैनेजर ने कहा कि होटल के नियमों के अनुसार दो मर्द एक कमरे में नहीं रह सकते। 3 कमरे लेने के बारे में सोच रहा था कि लक्ष्मी आंटी बीच में आ गई।

लक्ष्मी आंटी (मैनेजर से), "अजीब बात है! क्या एक मर्द और एक औरत एक साथ रह सकते हैं? शादीशुदा ना हो तो भी? (मैनेजर ने सर हिलाकर हां कहा) क्या एक मर्द और एक औरत के साथ उस कमरे में एक और इंसान रह सकता है? (फिर से हां) क्या दो मर्द एक दूसरे से कुछ करेंगे या एक दूसरे की इज्जत लूटेंगे? चलो हम सब एक ही कमरे में रहेंगे।"

मैंने लक्ष्मी आंटी को समझने की कोशिश करते हुए कहा, "लक्ष्मी आंटी, अगर यहां…"

लक्ष्मी आंटी, "पुलिस आ गई तो क्या होगा? आप दोनों ने पिछले एक साल में मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की तो क्या अब करोगे?"

सच में, पिछले साल में हम दोनों ने लक्ष्मी आंटी से कोई जबरदस्ती नहीं की थी। जरूरत ही नहीं थी!

लक्ष्मी आंटी ने आगे कहा, "और क्या? साहब मेमसाब को बताएंगे? उन्होंने ही तो मुझे आप का खयाल रखने की जिम्मेदारी दी है। (मैनेजर से) हम सब एक ही कमरे में रहेंगे। एक चाबी दो और सुबह की चाय और नाश्ता वक़्त पर नहीं मिला तो समझ लेना।"

लक्ष्मी आंटी फिर मुड़ी और गाड़ी की ओर गई। 3 जोड़ी मरदाना आंखों ने उसके ठुमकते पिछवाड़े का दरवाजे तक पीछा किया और एक दूसरे से टकराई।

मैनेजर ने हमारी बेचैन जवानी के अधूरे सपनों पर अपनी नजरों से अफसोस दिखाते एक चाबी सौंपी। मैनेजर,
"रेस्टोरेंट में रात को veg non veg खाना मिलता है और सुबह 6 बजे से नाश्ता मिलेगा।"

हम सब अपना सामान गाड़ी से ले कर कमरे में पहुंचे। कमरे का दरवाज़ा बंद होते ही लक्ष्मी आंटी ने नटखट मुस्कान देते हुए कहा,
"कैसी रही?"

समझ नहीं आ रहा था कि लक्ष्मी आंटी के पैर पकडूं या उस बेड पर पटख दूं। सन्नी ने लक्ष्मी आंटी को कंधे पर उठाकर बेड पर पटक दिया और …

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josef
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46
सन्नी

लक्ष्मी आंटी की चुलबुली जवानी तो खुद कामदेव को बलात्कारी बना देती, मैं तो सिर्फ जवान था। जिस तरह लक्ष्मी आंटी ने न केवल हमारे पैसे बचाए बल्कि रात को दो कमरों के बीच छुपना भी नहीं पड़ेगा।

कमरे का दरवाज़ा बंद होते ही लक्ष्मी आंटी ने नटखट मुस्कान देते हुए कहा,
"कैसी रही?"

मैंने लक्ष्मी आंटी को सीधे अपनी बाहों में लेते हुए बेड पर पटक दिया और उसके ऊपर लेट गया। लक्ष्मी आंटी ने तुरंत अपने हाथ मेरे गले में डाल कर मुझे अपनी ओर खींचा। लक्ष्मी आंटी के होटों को चूमते ही दिमाग के बाकी हिस्सों ने काम करना बन्द कर दिया। लक्ष्मी आंटी ने अपनी नाज़ुक उंगलियों से मेरे बाल पकड़ लिए तो मैंने लक्ष्मी आंटी की लेगिंग्स को खींच कर उतारने लगा। लक्ष्मी आंटी ने पिछले एक साल में elastic band वाली लेगिंग्स पहनना जरूरी समझा था क्योंकि हम दोनों उसकी कई सलवार के नाड़े तोड़ चुके थे। लक्ष्मी आंटी की लेगिंग्स और पैंटी को नीचे घुटनों तक उतार कर मैंने अपनी पैंट और अंडरवियर को भी अपने घुटनों तक उतारा।

मेरा तपा लौड़ा लक्ष्मी आंटी की पनियाई बुर से टकराया तो लक्ष्मी आंटी सिहर उठी। मैंने लक्ष्मी आंटी की गीली बुर में एक जोर का धक्का दिया और अपना पूरा झंडा गाड़ दिया।

लक्ष्मी आंटी, "मां… आह… हां… सन्नी बाबू… शैतान… चोदो…"

लक्ष्मी आंटी को आज सुबह से चोदा नहीं था और मैं बहुत उतावला हो गया था। मैंने लक्ष्मी आंटी के कंधों को पकड़ा और उसके गाल को चूम कर उसके कानों में अपनी खुशी बताते हुए अपनी हवस की आग को बुझाने में जुट गया। लक्ष्मी आंटी भी शायद सुबह से चुदाने के लिए उतावली थी और उसके बाहों ने मुझे जकड़ लिया और वह झडने लगी।

लक्ष्मी आंटी की चूत में बढ़े गरमी, कसाव और रस की अनुभूति ने मुझे चरम सुख के पार कर दिया और अपना गाढ़ा घोल लक्ष्मी आंटी की सुनी कोख में भर कर मैं निढाल हो गया।

अब मेरा दिमाग काम करने लगा और मुझे विक्की की याद आई। मै लक्ष्मी आंटी के उपर से हट गया और देखा तो विक्की बगल में sofa bed पर बैठा अपना सामान मल रहा है। मेरे हटते ही विक्की उठा और हमारी ओर बढ़ा।

विक्की ने लक्ष्मी आंटी के घुटनों को लेगिंग्स के साथ पकड़ कर लक्ष्मी आंटी को बेड से आधा नीचे खींचा। लक्ष्मी आंटी की गीली बुर अब बेड के किनारे पर लग हमारे रस टपका रही थी। मैंने बेड पर ठीक से बैठते हुए विक्की की मुद्रा को देखा।

विक्की ने लक्ष्मी आंटी के घुटनों में फंसी लेगिंग्स और पैंटी को अपने गले के पीछे फंसाकर उठाया तो लेगिंग्स थोड़ी और उतरी पर साथ ही लक्ष्मी आंटी की गेंद भी बेड से उठ गई।

लक्ष्मी आंटी ने सुस्ताई मादक मुस्कान से विक्की का स्वागत किया। विक्की ने लक्ष्मी आंटी की गीली बुर के छेद पर अपना मोटा लौड़ा रगड़ कर उसके टोपे को मेरे गाढ़े वीर्य से पोत लेते हुए मेरा वीर्य लक्ष्मी आंटी की खुली चूत में फिर से भरा।

लक्ष्मी आंटी की भरी हुई चूत अब ऐसे उठी थी कि वह बिना छलके मेरा वीर्य संजो कर रही थी। विक्की के पंजों ने लक्ष्मी आंटी के गोल मटोल गांड़ के गोलों को कस कर पकड़ लिया और उनके बीच में छिपे हुए छेद को चौड़ा किया। विक्की का इरादा पहचान कर लक्ष्मी आंटी ने कहा,
"रुक जाओ विक्की बाबू! आप का बहुत मोटा… आ… आह… हा… हा… उन्ह…"

विक्की बोल पड़ा, "अरे लक्ष्मी आंटी, सन्नी से चुदा चुदा कर मुझे तडपाने के बाद मैंने आसानी से छोड़ दिया तो मुझ पर शक करना बनता है। अब तक तो समझ लेना चाहिए था कि तेरा दूसरा आशिक हमेशा बेरेहम होता है।"

विक्की ने मेरे वीर्य से चिकना अपना लौड़ा लक्ष्मी आंटी की कसी हुई गांड़ से सुपाड़े की गीली चोंच तक बाहर खींच लिया। लक्ष्मी आंटी को एक हवस भरी कातिलाना मुस्कान देते हुए विक्की ने लक्ष्मी आंटी की खुली गांड़ एक धक्के में पूरी तरह पेल दी। लक्ष्मी आंटी ने अगर पिछले एक साल में हम दोनों से कुछ सीखा था तो वो था कि जब भी गांड़ मारी जाए तो उसका मज़ा उठाया जाए।

विक्की ने लक्ष्मी आंटी के घुटनों को अपने गले में लटका कर उसकी गांड़ फैला कर मारी। लक्ष्मी आंटी ने भी उसे साथ देते हुए अपनी गांड़ से विक्की के लौड़े को निचोड़ते हुए अपनी लंबी उंगलियों से अपनी चूत पर रखे यौन सुख के मणि को सहलाते हुए अपनी काम ज्योति को भड़काकर विक्की के बदन में आग लगा दी। विक्की बेचारा सुबह से भूका, मेरे कारण पहले से तपा लौड़ा रगड़ बैठा कितनी देर लक्ष्मी आंटी की अनुभवी प्रेम क्रीड़ा को सेहेता?

विक्की ने लक्ष्मी आंटी की गांड़ को एक गहरे धक्के से पेलते हुए अपनी काम अग्नि समर्पित कर दी। विक्की पीछे सरक कर सोफ़ा बेड पर मेरे बगल में बैठ गया और हम दोनों लक्ष्मी आंटी का अद्भुत रूप निहारते रहे।

लक्ष्मी आंटी के पैर सलवार में बंधे हुए थे पर घुटने फैल कर लक्ष्मी आंटी की खुली चूत और गांड़ में से बहती हमारी गंगा जमुना की धाराओं का संगम होते दिखा रहे थे।

लक्ष्मी आंटी ने उठकर अपने कपड़े उतारे और satin की camisole और शॉर्ट्स पहन कर सोफे पर बैठ गई।
लक्ष्मी आंटी ने कहा, "बाबू वो मैनेजर यहां तांक झांक करने के लिए उतावला हो रहा होगा। जल्दी से खाना मंगवा लो और बताती हूं वैसा करो।"

मैनेजर खुद खाना ले आया तब मैं और विक्की बेड पर बैठ कर वीडियो game खेल रहे थे तो लक्ष्मी आंटी सोफ़ा बेड पर बैठ अपना एक पैर बेड के हाथ पर रख पैरों में nail polish लगा रही थी। Camisole में जैसे तैसे सिमटती चूचियां घुटने से दब कर विद्रोह कर बाहर आने की कोशिश कर रही थीं। शॉर्ट्स पहने होने के कारण लक्ष्मी आंटी की मनमोहक काया का बिना अश्लीलता के दर्शन हो रहा था। लक्ष्मी आंटी गाना गुनगुना रही थी,
"aai main to aai nazaro ke
anjane ek jahan se
layi main to layi bahaaro ke
afsaane bhi waha se
na na mujhe chhuna na door rakhna
pari hun main
aye koi meri panaho le jaye ye nazare
dekhe koi meri nigaaho me pahchane ye ishaare
na na mujhe chhuna na door hi rakhna
pari hun main
pari hun main, mujhe na chhuna
pari hun main…"

मैनेजर ने हमारे लिए खाना परोसा तो लक्ष्मी आंटी हाथ धोने भागी।

मैनेजर (दबी आवाज में), "मैं समझ सकता हूं कि आप दोनों पर क्या गुजर रही होगी। मैं होता तो नजदीक के बार से शराब ला कर थोड़ी खुद पिता बाकी सब (बाथरूम की ओर देखते हुए) दूसरों को पिलाता। सुबह सर पकड़ कर सब शराब के नाम बोल देता। अफसोस मैं ऐसा करने की सलाह नहीं दे सकता।"

"बात हमारे घर तक की है और इसीलिए हमें ये अफसोस नजाने कब से है।"

मैनेजर अफसोस का भाव चेहरे पर रख चला गया और लक्ष्मी आंटी के बाहर आते ही हम सब कमरे का दरवाजा बंद करके हंसने लगे।


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josef
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47
विक्की

खाना खाने के बाद हम ने plates भिजवा दिए और वहीं नीचे टहलने लगे। मैनेजर को आंखे दिखाकर लक्ष्मी आंटी ने हम दोनों के बीच में आते हुए हमारे हाथ पकड़ लिए और हम सब बाहर गए।

"लक्ष्मी आंटी, उस मैनेजर को इतना भी मत डांटो। बेचारा अपना काम कर रहा है।"

लक्ष्मी आंटी, "बाबू आप दोनों को बड़ी बड़ी बातें समझ आती हैं पर मैं इंसान पहचानती हूं। ये कामिना आप को 3 कमरे लेने पर मजबुर करता और मालिक को 1 कमर दिखाकर बीच में खुद मलाई खाता। अगर मेरे साथ आप दोनों में से एक का नाम लिखवाते, तो जरूर बाद में फोन कर के ब्लैकमेल करने की कोशिश जरूर करता।"

सन्नी ने लक्ष्मी आंटी को चिढ़ाते हुए कहा, "तो लक्ष्मी आंटी, आज रात को चुप चाप सो जाना पड़ेगा?"

लक्ष्मी आंटी ने नटखट मुस्कान देते हुए कहा, "बस आप दोनों मुझे इतना तंग मत करना की मेरी चीख निकल आए।"

हम सब ने हंसते हुए वापस होटल को रस्ता पकड़ा। मैंने होटल मैनेजर से बात की और सुबह जल्दी नाश्ता तयार रखने को कहा। लक्ष्मी आंटी ने मेरी बात सुन कर पूछा,
"बाबू, यहां तो छुट्टी पर आए हैं। तो आप को जल्दी क्यों उठना है? सो जाओ 1 दिन आराम से!"

"अरे लक्ष्मी आंटी, कल सुबह से बहुत बड़ा प्लान तैयार किया है। शाम होने तक पूरा हो जाए तो भी काफी।"

लक्ष्मी आंटी ने झूठे गुस्से में कहा, "आप प्लान मुझ से छुपाकर मुझे परेशान कर रहे हो।" और अपनी कमर मटकाती हुई कमरे में चली गई। तीन जोड़ी मर्दानी आंखें फिर मिली तो सन्नी ने बड़े भारी मन से कहा,
"चल हम भी सो जाते हैं। कल बहुत घूमना है।"

हम दोनों कमरे में दाखिल हुए तो लक्ष्मी आंटी बेड के बीच में सर तक चादर ओढ़े लेटी हुई थी। सन्नी ने दरवाजा बंद करके लॉक किया और बेड कि ओर बढ़ा।

लक्ष्मी आंटी ने हमें रोकते हुए कहा, "रुको! ये हमारे लिए नया बेड है। इसके साथ अच्छी यादें बनाना हमारा फ़र्ज़ बनता है।"

मुझे शक हुए और मैंने लक्ष्मी आंटी के पैरों पर से चादर को नीचे खींचा।

लक्ष्मी आंटी के बाल तकिए पर फैले हुए थे तो लक्ष्मी आंटी की आंखे शरारत से चमक रही थी। लक्ष्मी आंटी के कंधे खुले थे और उन पर camisole के पट्टे नहीं थे। चादर और नीचे खींचने पर लक्ष्मी आंटी के नंगी चूचियों पर जडी लाल बेरियों के ललचाते दर्शन हुए। लक्ष्मी आंटी ने मेरे सर पर अपना camisole फेंका और अपनी बाहों को खोल कर अपने खूबसूरत बदन को दिखाया। सन्नी ने मेरे हाथ में से चादर को खींच लिया और तेजी से नीचे खींचने लगा। लक्ष्मी आंटी के कसे हुए पेट के बीच में बने नाभि के कुंवे की गहराई साफ झलक रही थी। लक्ष्मी आंटी का बदन चादर के नीचे से खुलता गया और उसकी साफ गुप्तांग को पैरों के बीच दबाकर छुपाया देख हमारी हवस की आग और भड़क उठी। तभी लक्ष्मी आंटी ने अपने पैरों को फैला कर घुटनों को मोड़ते हुए उठाया।

लक्ष्मी आंटी की बुर बुरी तरह से पनिया रही थी और उसके चादर पर टपकते काम उत्तजना के आंसू हमसे देखे नहीं गए। लक्ष्मी आंटी के इस चाल का मतलब समझते हुए हम दोनों ने अपने कपड़े उतार फेंके और लक्ष्मी आंटी पर कूद पड़े।

सन्नी, "लक्ष्मी आंटी, चाहे जो हो जाए पर चिल्लाना मत।"

अपना ही इशारा खुद को मिलने से लक्ष्मी आंटी चौंक गई। सन्नी ने अपने घुटनों को लक्ष्मी आंटी के फैले हाथों पर ऐसे रख दिया कि लक्ष्मी आंटी अपने हाथ बिना किसी तकलीफ के रख सकती थी और कोहनी से मोड़ सकती थी पर हाथ मिटा नहीं पाती। सन्नी का लंबा भाला लक्ष्मी आंटी के होठों को चूम रहा था तो लक्ष्मी आंटी ने अपनी जीभ से सन्नी के सुपाड़े को चाटते हुए अपनी होठों को सुपाड़े के ऊपर लगी खुली त्वचा पर लगाते हुए चूमने लगी। सन्नी ने बेड के सिरहाने को पकड़ बिना आवाज किए लक्ष्मी आंटी के अत्याचार को सहना शुरू किया।

अपने मित्र को बचाने के परम कर्तव्य के कारण मैंने लक्ष्मी आंटी के पैरों के बीच जा कर उसके पैर अपने कंधों पर रख दिए। मेरी नाक में लक्ष्मी आंटी की जवानी की मादक खुशबू चलने लगी तो लक्ष्मी आंटी को अपनी हार का अंदाजा हो गया। लक्ष्मी आंटी ने मुझे रोकने के लिए अपने पैरों को बन्द करने की कोशिश की पर मेरा सर बीच में पकड़ा गया और वह अपने हाथों से सन्नी को हटाने की कोशिश करने लगी।

सन्नी ने लक्ष्मी आंटी के बाल पकड़ लिए और उसे अपने लौड़े को ज्यादा गहराई तक चूसने से रोका। मैंने अपनी जीभ से थुंकी की एक बूंद को लक्ष्मी आंटी के यौन मणि पर टपका दिया और फिर अपनी जीभ की नोक से उस बूंद को मणि पर मालिश करने के लिए इसतेमाल करने लगा। लक्ष्मी आंटी की बुर में सैलाब उमड़ पड़ा और काम रस की धारा बह उठी। लक्ष्मी आंटी ने अपनी पूरी उत्तेजना को सन्नी के सुपाड़े पर लगाया तो वह बेचारा कराहने लगा। मैंने अपने दोस्त को मिलती यातना को वापस देने की ठान ली और

लक्ष्मी आंटी के यौन मणि ने उत्तेजित हो कर त्वचा से बना अपना घर छोड़ दिया था और बाहर आ कर मेरी जीभ के हमले का सामना कर रहा था। मैंने अपने होठों को उस मणि के इर्द गिर्द बनी त्वचा पर रखते हुए जोर दिया और मणि को ज्यादा बाहर निकाला। अब अपने होटों को उस त्वचा से लगाकर अपनी जीभ से मणि को छेड़ते हुए चूमने लगा।

चूमने से मणि की उत्तेजना बढ़ी और होठों से मणि का पूरा आकार मेरे जीभ की पहुंच में था। लक्ष्मी आंटी की उत्तेजना ऐसे बढ़ी की उसका शरीर कांपने लगा और लक्ष्मी आंटी की चूत में से फव्वारे फुट पड़े। लक्ष्मी आंटी की चीखें सन्नी के सुपाड़े से होती हुई उसके अंडकोष तक पहुंची।

सन्नी बुदबुदाने लगा, "विक्की की गांड़! काले भैंसे की गोबर लगी गांड़! मोटे बूढ़े प्रोफेसर राव की ढीली पतलून!…"

सन्नी ने बड़े संयम से अपने स्खलन को रोका और लक्ष्मी आंटी बेड पर बेहोश हो गई। मैंने सन्नी की मदद करते हुए अपनी जगह उसे दे दी। लक्ष्मी आंटी की आज खैर नहीं थी!!

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josef
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48
सन्नी

मैंने विक्की के साथ 2 बार जगह बदली और लक्ष्मी आंटी से कभी चुसाया तो कभी चूसकर चाटा। जब दूसरी बार मेरा लौड़ा बड़ी मुश्किल से रोक कर लक्ष्मी आंटी के रसीले होंठों से दूर किया तो और सेह पाना ना मुमकिन था। विक्की ने लक्ष्मी आंटी के मुंह में अपना मूसल ढ़क्कन की तरह लगा दिया और मैंने लक्ष्मी आंटी के बाएं मम्मे को दबाते हुए उस पर जड़ी बेरी को अपने होठों में कस कर पकड़ लिया।

लक्ष्मी आंटी चुध चूध कर बेसुध हो गई थी। मैंने लक्ष्मी आंटी की चूची को चूसा तो वह बस "ऊंह!" कर पड़ी रही। मैंने लक्ष्मी आंटी की बहती यौन गंगोत्री को उसके भक्त की चोंच से स्पर्श किया तो लक्ष्मी आंटी को कुछ होश आया। मेरे सुपाड़े ने बिना किसी तकलीफ के एक साफ धक्के में अपने आप को लक्ष्मी आंटी की गहराई में गाड़ दिया।

लक्ष्मी आंटी, "अंह… हां… आंह… "

मैंने अपने लौड़े को सुपाड़े तक बाहर खींच लिया और 1 पल के लिए वैसे ही रुक गया। लक्ष्मी आंटी ने सिसकते हुए अपनी कमर उठाते हुए अपनी टांगों से मुझे पकड़ने की कोशिश की।

लक्ष्मी आंटी, "अन्ह… उम्म… उम्… "

मेरे धीरज की हालत धागे से टंगे पर्वत की तरह थी और धागा तो टूटना था। मैंने लक्ष्मी आंटी की गीली चूत के मज़े लेने के लिए अपने लौड़े को खुली छूट दे दी। लक्ष्मी आंटी के दूधिया गोले मेरे हर धक्के से हिचकोले खा रहे थे। लक्ष्मी आंटी ने अपनी पूरी ताकत से विक्की का लौड़ा चूसना शुरू किया। मैंने लक्ष्मी आंटी के यौन कूंवे से उड़ते गरम पानी के फव्वारों की मधुरता में खुद को भुलाकर उससे एक हो गया। लक्ष्मी आंटी अब तेज झड़ते हुए मानो एक बहुत लंबे स्खलन की शिकार हो गई। लक्ष्मी आंटी की झडती चूत में मेरा लौड़ा ऐसे निचोड़ लिया गया कि मैं अपनी एक एक बूंद उसकी कोख में उड़ेलकर ही रुका।

विक्की ने मुझे रुकने के बाद सुस्ताने का मौका नहीं दिया। मैंने अपने लौड़े को बाहर खींच लेते ही विक्की ने लक्ष्मी आंटी के अंदर मेरी जगह ले ली। लक्ष्मी आंटी को झडने से कोई राहत नहीं मिले यह जैसे विक्की ने ठान लिया था।

विक्की ने लक्ष्मी आंटी की तेज रफ्तार से ठुकाई करते हुए उसकी कोख में मेरा वीर्य पेल कर भर दिया। बचा कुचा जो रस अंदर रह नहीं पाया वह झाग बन कर लक्ष्मी आंटी की गीली चूत की शोभा बढ़ाने लगा। विक्की ने लक्ष्मी आंटी को कस कर पकड़ लिया और अपने लौड़े को जड़ तक घुसा दिया।

लक्ष्मी आंटी की आहें विक्की की आह में मिल गई और दोनों ढेर हो गए। रात के 10 बजने से पहले ही हम सब थक कर चूर होकर एक दूसरे की बाहों में सो गए।

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