Incest परिवार मे प्यार बेशुमार

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Dolly sharma
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Re: Incest परिवार मे प्यार बेशुमार

Post by Dolly sharma »

नेहा .. और क्या बोलू तू ही बता दे ..

ज्योति .. अच्छा बाबा मेरे साथ जब भी कुछ होगा सबसे पहले तुझे खबर करूँगी अब खुश ....वैसे नेहा क्या कर रही है तू आ सकती है मेरे घर ...

नेहा ...यार आज सनडे है मम्मी पापा गाँव जा रहे है आज नही आ सकती....
(वैसे भी आज का दिन नेहा ने राज के लिए
बुक किया हुआ था..बस नेहा को इंतज़ार
अपने मम्मी पापा के जाने का था )

ज्योति ... ओह्ह्ह चल ठीक है रखती हू कल कॉलेज में मिलते है ....

नेहा ... ओके बाइ ज्योति

ज्योति ... बाइ ...
ज्योति का अकेले घर में बिल्कुल दिल नही लग रहा था ....

राज भी इस तरह ज्योति को अकेला छोड़ कर चला गया था ...

उधर राज ऑफीस जाते हुए एक रेस्टोरेंट में रुककर नाश्ता करता है फिर ऑफीस चला जाता है ..
राज को ऑफीस आये अभी थोड़ी ही देर हुई थी
की तभी उसके फोन पर नेहा की कॉल आती है ....

नेहा ... हेलो मेरी जान कहा हो तुम

राज ... ऑफीस में हू ..

नेहा ... सनडे को भी ऑफीस ..
अपनी जान को इतना भी मत तड़पाओ

राज ... सॉरी नेहा मुझे फाइल्स कंप्लीट करनी ज़रूरी है सुबह माल डेलिवरी करना है ..

नेहा ... ओह्ह्ह चलो कोई बात नही राज तुम अपनी फाइल्स कंप्लीट कर लो.. हम फिर किसी दिन अपना प्रोग्राम सेट कर लेंगे .....

नेहा राज की प्राब्लम समझ कर अपने दिल को तसल्ली देती है ...

राज को ऑफीस में शाम हो जाती है मगर राज तो जेसे घर जाने का नाम ही नही ले रहा था तभी राज के फोन पर ज्योति की कॉल आती है ...

ज्योति... भैया किस टाइम तक आओगे मुझे अकेले घर में डर सा लग रहा है ..

राज ... हा बस अभी निकल रहा हू ...

और राज को भी लगता है अब घर चलना चाहिए ...
थोड़ी देर बाद राज घर पहुचता है..
दरवाज़ा लॉक नही था
ज्योति किचिन में खाना बना रही थी ...

राज की नज़र ज्योति पर पड़ती है मगर राज कुछ कहे बिना सीधी अपने रूम में चला जाता है ....
और फ्रेश होकर अपने बॅड पर लेटकर मोबाइल में गेम खेलने लगता है ....

थोड़ी देर बाद ज्योति राज के रूम में खाना
लेकर आ जाती है ....
ज्योति ... लीजिए भैया मेंने आपके लिए मटर पनीर और खीर बनाई है ...

राज ... रख दे ज्योति में खा लूँगा ...

ज्योति राज के सामने बैठते हुए ...
ज्योति ... ओह्ह्ह कमोन भैया सुबह से नोट कर रही हू आपको क्या बात है मुझसे कोई ग़लती हो गई ...



राज ... नही ज्योति इसमें तेरी कोई ग़लती नही है सारा कसूर मेरा है ....

ज्योति ... ओह्ह्ह तो आप इस बात पर अंदर ही अंदर घुट रहे है आपको ऐसा क्यूँ लग रहा है भैया इसमें सारा कसूर आपका है .में कोई बच्ची नही हू जो अपना अच्छा बुरा नही समझ सकती जो भी तुमने मेरे साथ किया है उसमें मेरी भी पूरी मर्ज़ी थी मुझे तो कोई पछतावा नही है ...

राज ... मगर ज्योति ये ग़लत है हम दोनो भाई बहन है हमारे बीच ये सब ग़लत है...

ज्योति ... भैया एक बात बताऊ आपको मेरे कॉलेज की ज़्यादातर लड़कियाँ सेक्स करती है
और अपने के सेक्स के बारे में खोलकर बताती है कैसे कैसे अपने बाय्फ्रेंड के साथ सेक्स किया... उनकी बाते सुनकर मेरा भी दिल करता किसी से सेक्स करने को मगर फिर डर भी लगता कही किसी को पता चल गया तो कितनी बदनामी होगी.

और आज जब मेंने आपके साथ सेक्स किया तो मुझे इस बात का बिल्कुल भी डर नही
बल्कि मुझे बहुत खुशी है..
मुझे पहला प्यार देने वाला और कोई नही
मेरे भैया है ....

ज्योति की बाते सुनकर राज को भी लगता है
ज्योति वास्तव में बड़ी हो गई ..अपना अच्छा बुरा भली भाँति समझती है ....
राज को सोचता देख ..

ज्योति ...भैया अब ज़्यादा सोचना बंद करो
खाना ठंडा हो रहा है मेंने इतने प्यार से बनाया है ....
ज्योति एक नीवाला बनाती है और अपने हाथो से राज को खिलाने लगती है ...

राज भी अपना मूह खोलकर ज्योति के हाथ से
पहला नीवाला खा लेता है ......
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Dolly sharma
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Re: Incest परिवार मे प्यार बेशुमार

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अपडेट..... 37......


अब राज भी ज्योति के साथ रिलॅक्स लग रहा था
दोनो भाई बहन में पहले जैसी शरारत
होनी शुरू हो गई थी ...

अबकी बार राज ज्योति को अपने हाथ से नीवाला खिलता है ...

मगर ज्योति को तो शरारत करने का कोई मोका मिलना चाहिए ..जेसे ही राज का नीवाला ज्योति के मूह में जाता है ज्योति फॉरन राज की उंगली अपने दाँतों में दबा लेती है ...

राज ...उउईईईईईई काट लिया आाअ...

ज्योति खूलखिलाकर हँस पड़ती है ......

राज ... ज्योति की बच्ची छोड़ मेरा हाथ दर्द हो रहा है ....

ज्योति पूरे शरारत के मूड में थी तभी राज का फोन बज उठता है ...
राज मोबाइल उठाकर देखता है मम्मी का फोन था ...

सुषमा...हेलो बेटा

राज ... हेलो मम्मी केसी तबीयत है नानी की

सुषमा...हा बेटा ठीक है. ज्योति कहा है ज़रा बात करा उससे उसकी चोट ठीक हुई की नही...

राज अपना मोबाइल ज्योति को पकड़ाते हुए
बड़ी हैरानी से ज्योति की तरफ देखता है
ज्योति को चोट कब लगी ...

ज्योति.. हेलो मम्मी

सुषमा...बेटा अब केसा है तेरे पर का दर्द

ज्योति ... मेंने मूव लगा ली थी अब ठीक है ..

सुषमा... ओह्ह्ह मुझे तेरी बड़ी फिकर हो रही थी ...

ज्योति ... ऊहह मम्मी आप टेंशन ना लो में ठीक हू और वहाँ पर सब कैसे है ...

सुषमा.. सब तुझे ही याद कर रहे है
साथ क्यूँ नही लाए ज्योति को ....

मम्मी से बात करने के बाद राज ज्योति की तरफ घूर कर देखता है ...\

राज .. ये सब क्या चक्कर है तुझे चोट कब लगी थी ...

ज्योति ... वो भैया सुबह जाते टाइम फर्श पर फिसल गई थी ...

राज .. ओह अब बात समझ में आई ये सब तेरा ड्रामा था अपनी जगह दीदी को जयपुर भेजने का ....

ज्योति खाने के बर्तन उठाती हुई ..
राज को एक आँख मारती है

ज्योति ... ऐसा ही समझ लो भैया...

राज ... रुक अभी बताता हू तुझे

ज्योति दौड़ती हुई किचिन में पहुचती है ..

पीछेपीछे राज भी दौड़ता हुआ ज्योति को पीछे से दबोच लेता है ...

राज ... बता ऐसा क्यूँ किया तूने

ज्योति .. आपसे प्यार करने के लिए

राज ..ओह इसका मतलब ये सब तूने पहले से प्लान किए हुए था...

ज्योति ... जी भैया

राज ज्योति की सारी असलियत जानकर ...
राज .. तूने मेरे साथ इतना बड़ा गेम खेला है आज तुझे नही छोड़ूँगा...

और राज ज्योति की चोटी पकड़कर खिचने लगता है ..
राज ... बता फिर करेगी ऐसा

ज्योति ... उईईईई मर गई भैया छोड़ो मेरे बाल आआईयईईईईईईईईईईई ईईईईईईईईईईई ईईईईरीर
अच्छा भैया सॉरी सॉरी अब आगे से नही करूँगी ...... .

राज कुछ सोचकर ज्योति के बाल छोड़ देता है और अपने रूम में आ जाता है .....

रात के 10 बज चुके थे राज कपड़े बदल कर लोवर पहन लेता है...
और रूम की लाइट ऑफ करके बॅड पर लेटकर सोने की कोशिश कर रहा था ...

ज्योति किचिन का काम निपटा कर अपने रूम में पहुचती है और एक बिन ब्रा का टॉप पहन
राज के रूम में पहुचती है ..

ज्योति .. भैया सो गये क्या रूम में अंधेरा होने के कारण राज ठीक से ज्योति को देख नही पाया था ....

राज ... हा अब क्या है ...

ज्योति ... भैया मुझे अकेले डर लगता है
क्या में आपके पास सो सकती हू ...
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Dolly sharma
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Re: Incest परिवार मे प्यार बेशुमार

Post by Dolly sharma »

राज .. क्या मुसीबत है ठीक है ठीक है
चल सो जा ..

ज्योति एक दम खुश होते हुए
ज्योति ... ऊओ थॅंक यू भैया ...

और ज्योति झट से राज से चिपकती हुई बराबर में लेट जाती है राज को एक दम अपने नंगे सीने पर ज्योति की चुचि महसूस होती है ...

राज ... देख ज्योति चुप चाप सो जा अब कोई शरारत मत करना ..

ज्योति .. ठीक है भैया नही करूँगी प्रॉमिस...

दोनो भाई बहन का चेहरा आमने सामने था ..
ज्योति ... भैया एक बात पुछु

राज ... नही जो भी पूछना है सुबह पूछ लेना ...
राज ज्योति को चुप कर देता है ...

मगर ज्योति को नींद कहा आ रही थी ज्योति के दिमाग़ में शरारत करने की सूझ रही थी ....सुबह की चुदाई ने ज्योति की चूत में खारिश मचा रखी थी.. जो सिर्फ़ फिर से चुदने से मिट सकती थी.. मगर राज था की ज्योति की बात सुनने को भी तैयार नही था...

ज्योति राज से चुदने को बेकरार थी मगर जल्दबाज़ी के मूड में बिल्कुल नही थी ...

धीरे धीरे राज को उत्तेजित करके तैयार करने की सोचती है .जिससे राज पूरी तरह तैयार होकर सारी रात चुदाई करे ......
आज की रात ज्योति स्पेशल बनाना चाहती थी ..

ये सब सोचते हुए ज्योति को काफ़ी देर हो जाती है ...और फिर ज्योति राज की तरफ खिसकती हुई अपना हाथ राज के लंड के पास ले जाती है

ज्योति को राज का लंड खड़ा सा महसूस होता है ....
ज्योति .. ओह्ह्ह हो लगता है दिल तो भैया का भी मगर पहल करने में झिझक रहे है.. लगता है आज मुझे ही सब कुछ करना पड़ेगा ...... ..

लंड की अकड़ाहट से ज्योति की हिम्मत बढ़ जाती है और ज्योति लंड को लोवर के ऊपर से ही अपने हाथ में पकड़ लेती है ...
इस बार ज्योति को राज की हल्की सी अहह सुनाई देती है ....
फिर भी राज कुछ नही बोलता ...

भैया जाग भी रहे है और कुछ कह भी नही रहे ...
ज्योति को लगता है अब शरारत करने का टाइम आ चुका है...
और ज्योति अपना हाथ लोवर के अंदर डालकर
राज का लंड पकड़कर मसलने लगती है ...

बस फिर क्या था राज के सब्र का बाँध टूट जाता है और राज पलट कर ज्योति को अपनी बाँहो में भर लेता है ....
और ज्योति खुद भी राज को अपनी आगोश में भर लेती है ....

राज ... ओह ज्योति क्या कर रही है तू

ज्योति ... भैया मुझे इस वक़्त आपके प्यार
की बहुत ज़रूरत है मुझे आपका प्यार चाहिए....
और अचानक दोनो के होंठ एक दूसरे से जुड़ जाते है.. दोनो भाई बहन एक दूसरे के होंटो का अमृत पीने लगते है ....





राज ज्योति के होंटो को चूस्ते हुए ज्योति के बालों को सहला रहा था ..
जेसे राज को भी कोई जल्दी नही थी ...
ज्योति भी यही तो चाहती थी ...

ज्योति बिना किसी झिझक के राज के ऊपर वाला होंठ चूस रही थी और राज ज्योति का निचला होंठ ...काफ़ी देर बाद दोनो की किस टूटती है
ज्योति को किस करके इतना मज़ा आया था..
जेसे आज अमृत पी लिया हो ...

ज्योति बैठते हुए खुद ही अपना टॉप उतार देती है और बैठे बैठे ही राज के मूह के पास अपनी छोटी सी गोलाइयाँ को ले आती है ...
जेसे कह रही हो ..
भैया थोड़ा सा स्वाद इसका भी चख लो..

जेसे राज भी यही चाह रहा था फॉरन अपना मूह खोलकर ज्योति के निप्पल से लगा देता है ...




ज्योति ... आअहह भैय्ाआआ पी जाओ
एक दम ताज़ा दूध है ...

ज्योति की बाते राज को और भी उत्तेजित कर रही थी ...
और राज आहिस्ता आहिस्ता निप्पलो को चूस रहा था ...

ज्योति ... आअहह सस्सीएरए भैयाअ बहुत अच्छा लग रहा है आअहह आईईीीइसस्शह ऊहह सस्स्स्सीईई सस्स्स्सीईई उूुुउउम्म्म्ममममममममममममम

राज काफ़ी देर तक ज्योति की दोनो चुचियों को चूस्ता रहा ज्योति बिन पानी मछली की तरह
मचलने लगी थी ...

चूत से जेसे लिक्विड का झरना बहने लगा था ज्योति से बर्दास्त करना मुश्किल हो गया था ...
और ज्योति के हाथ अपनी गीली चूत पर पहुच कर चूत को रगड़ने लगते है...मगर इससे भी ज्योति को आराम नही मिलता और ज्योति फॉरन अपनी एक लौति
पेंटी भी उतार फेंकती है ...
और ज्योति राज का हाथ पकड़कर सुलग रही चूत पर रख देती है ...

राज भी अपना हाथ चूत की फांको पर चला कर देखता है राज का पूरा हाथ चूत के लिक्विड से गीला हो जाता है ...
राज अपने गीले हुए हाथ को जेसे ही अपने मूह के पास लाकर देखता है उसकी सुगंध राज को टेस्ट करने पर मजबूर कर देती है ...और राज अपनी गीली उंगली को मूह में लेकर टेस्ट करता है ..राज को स्वाद इतना अच्छा लगता है की राज एक दम ज्योति की चूत पर अपना मूह लगा देता है ....

ज्योति .. आआहहस्स्स्स्स्स्स्स्स्शह
सस्स्स्स्स्स्सस्स ऊऊहह
सस्स्सीईईई सस्सीईए उूुुउउम्म्म्ममममममममममममम
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Re: Incest परिवार मे प्यार बेशुमार

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ज्योति तो सागर में गोते लगाने लगी थी
चुदाई से भी ज़्यादा मज़ा उसको चुसाई में आ रहा था

राज ने ज्योति की चूत को चूस चूस कर बिल्कुल क्लीन कर दिया था ज्योति पूरी तड़प चुकी थी उत्तेजना में ज्योति ने राज के सिर के बाल जेसे नोच ही डाले थे मगर राज को जेसे इसकी कोई परवाह नही थी बस ज्योति की चूत को चाटे जा रहा था..
ज्योति पूरी तड़पति हुई बिस्तर पर मछली की तरह मचल रही थी

आख़िर ज्योति झड़ जाती है और सारा पानी राज के गले से नीचे उतरता चला जाता है ...
जेसे एक साथ दोनो की प्यास बुझ गई थी ...

दोनो हान्फते हुए बिस्तर पर लूड़क जाते है
मगर अभी खेल ख़तम नही हुआ

अभी तो ज्योति की नज़र में ये खेल स्टार्ट ही हुआ था ज़रा सा सांस लेते ही ज्योति फिर से उठकर बैठ जाती है और अपने हाथो में अपने सरताज को लेकर दुलार्ने लगती है

ज्योति को राज के लंड का रूप भा गया था
और इतना भाया था की सहलाते दुलारते कब अपने होंटो में लेती है पता ही नही चलता ...

राज की भी सिसकी निकल जाती है ...

ज्योति भी बड़ी अदा से राज के लंड को अपने होंटो से प्यार कर रही थी.




और जेसे ही ज्योति ने मूह खोलकर पूरा लंडअंदर लेना चाहा राज से कंट्रोल करना भारी हो गया था लंड इस कदर उत्तेजना में आ गया था किसी भी पल अपना लावा निकल सकता था .

राज.....ऊहह यययययययययएसस्सस्स
आअहहीीइसस्स्स्स्स्स्शह सस्स्सीएअहह आअहह

मगर ज्योति को इसकी कोई परवाह नही थी अपनी मस्ती में राज का पूरा लंड अंदर लेने की कोशिश करते हुए अंदर बाहर चप्पे लगा रही थी ... बस तभी राज के लंड से सूनामी बह निकलती है और ज्योति के गले को भरती हुई पेट में समा जाती है ....

राज के सकूँ की कोई सीमा नही थी इतना तृप्त आज पहली बार हुआ था सच में आज तो राज को भी मज़ा आ गया था क्या ब्लोवजोब दिया था ज्योति उसको ....

राज पूरी तरह तृप्त होकर निढाल बिस्तर पर लूड़क चुका था और राज की आँखे धीरे धीरे बंद होने लगी थी ....
मगर ज्योति को अभी भी नही सोना था अभी तो ज्योति का खेल शुरू हुआ था ...

ब्लो जॉब करते करते ज्योति का मूह भी बुरी तरह दुखने लगा था मगर ये राज के लिए प्यार था या ज्योति के जिस्म की वासना जिसे अपने दर्द की कोई परवाह नही थी ....

थोड़ी देर बाद ज्योति रिलॅक्स होकर फिर से राज के लंड को टटोलती है मगर इस बार राज का लंड सिकुड़ कर बिल्कुल चूहा बन चुका था ...

मगर अब ज्योति अनाड़ी नही थी उससे मालूम पड़ गया था चूहे को शेर कैसे बनाया जाता है ...
और ज्योति चूहे को शेर बनाने के लिए फिर से राज का लंड मूह में ले लेती है ...

राज की आँखे खुल जाती है ...
राज ... बस कर ज्योति बहुत रात हो चुकी है

मगर ज्योति पर राज की बातो का कोई असर नही होता ..ज्योति की ज़रा ही मेहनत से चूहा शेर बन चुका था ...
ये देखकर ज्योति का चेहरा भी खिल जाता है और ज्योति राज के दोनो तरफ पर करके खड़ी हो जाती है और अपने हाथो से राज का लंड पकड़ कर ठीक अपनी चूत पर सेट करती है और आहिस्ता से लंड पर बैठती चली जाती है ...
लंड भी चूत की गहराई में सरकता चला जाता है ....




ज्योति एक हल्की सी चीख निकल जाती है ...
ज्योति .....आआईयईईईईईईईई आअहह .
मगर ज्योति को पता था इस दर्द के बाद ही असली मज़ा मिलने वाला है ....
और ज्योति हल्के हल्के अपना वजन ऊपर उठाती है जिससे राज का लंड ज्योति की चूत से बाहर
आ जाता है और फिर ज्योति धम से नीचे बैठ जाती है ....बस फिर तो ज्योति को चुदाई का असली सुख मिलने लगता है..और ज्योति की उठक बैठक तेज़ हो जाती ...
लंड सटासट चूत में अपनी जगह बना चुका था ...

पूरे रूम में छप छप की आवाज़े गूँज रही थी थोड़ी देर में राज झड़ने के करीब पहुच जाता है और अपने ऊपर से ज्योति को हटाने की कोशिश करता है ...मगर ज्योति बिल्कुल हटने की स्टेज पर नही थी ..और अगले पल राज का लिक्विड ज्योति की चूत की गहराई में उतरता चला जाता है ...और इसी के साथ ज्योति भी झड़ती हुई राज के लंड को अपने पानी से शुद्ध कर देती है .....

आज ज्योति की मनचाही चुदाई हुई थी
अबकी बार तो ज्योति की आँखे बिस्तर पर लूड़कते ही बंद हो गई थी ....

शायद यही असली सुख का नशा था जिसमें तृप्त होकर ज्योति निढाल सो चुकी थी .....
रात के करीब 12.30 बज रहे थे .....

दूसरी तरफ डॉली के ननिहाल में इस वक़्त रात के 12.30 बजे ये सब देखकर डॉली के पैरों तले ज़मीन खिसक गई थी ...
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