वो लाल बॅग वाली

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Dolly sharma
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वो लाल बॅग वाली

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बारिश का मौसम पहाड़ो का सबसे सुहाना मौसम होता है, जब गर्मियों में सारे सैलानी अपनी छुट्टिया बिता कर वापस अपने घर चले जाते है, तब दुसरे मेहमान बादल तशरीफ़ लाते है, मानो कोई माली अपने लगाये बाग को सींचने आया हो | पहाड़ो कि हर ढलान झरना बन जाती है और हर झरना छोटी मोटी नदी का रूप ले लेता है, जब बादल छंटते है तो हरियाली पहाड़ो का नव श्रंगार उसे हरी चुनरी ओढाकर करती है |


इस सुन्दरता को निहारने कम ही सैलानी इस मौसम में यहाँ आते है, इसीलिए इस समय मसूरी का बस स्टैंड पूरी तरह से सुनसान पड़ा था, चाय कि चुस्की लेते हुए उसने अपने मोबाइल में समय देखा 6:15 हुए थे, देहरादून से मसूरी आने वाली आखरी बस के आने में कुछ ही देर बाकि थी और वो रोज कि तरह वह अपने ग्राहकों के इंतजार में बैठा था, यु तो पहाड़ो पर बादल अक्सर राहगीरों के साथ होली खेलते थे और ऐसे स्नान करवा कर रफूचक्कर हो जाते थे जैसे कोई बच्चा होली के दिन रंग डाल कर भाग गया हो, पर उस दिन बादल कुछ और ही योजना बना कर आये थे कुछ ज्यादा ही पानी भर कर लाये थे, पिछले एक घंटे से हो रही बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी और वो दोनों उस बस स्टैंड पर सबसे आशावादी व्यापारी कि तरह आखरी बस का इंतजार कर रहे थे कि शायद इस बस में कोई ग्राहक आ जाये तो हम अपने अपने घर चले उनमे एक चाय वाला था और दूसरा मयूर था जो यही पैदा हुआ और पला बढ़ा


वो एक पच्चीस छब्बीस साल का दिलचस्प रूप से खुबसुरत नौजवान था, दिलचस्प इसलिए क्योकि वो पहाड़ी और अंग्रेजी जीन्स का मिक्सचर था, उसके पिता पहाड़ी और माँ समन्था एक अंग्रेज थी उसने अपने माँ की लम्बाई पाई थी और अपने पिता से गठीला बदन, उसका स्किन कलर माँ पे गया था तो चेहरे के तीखे नाक नक्श पिता पे, और उसके सिक्स पैक अप्स इन पहाड़ो की देन थे जिन पर वो रोज चढ़ता था और उतरता था, उस इलाके का कोई ऐसा पहाड़ नही था जिस पर उसने फतह नही पाई हो |


उसकी माँ समन्था, अपनी जवानी के दिनों में अपने लिए एक इंडियन लड़का ढूंढते हुए लगभग 30 साल पहले इंग्लैंड से इंडिया आई थी, उसकी माँ ने निश्चय किया था कि किसी इंडियन लडके से ही शादी करेगी, क्योकि जब उसका जन्म होने वाला था उसके पिता उसको और उसकी माँ को छोड़ कर चले गये थे, और उनका परिवार तितर बितर हो गया था, वो अपने लिए ऐसा लड़का ढूंढ रही थी जो परिवार शब्द के महत्व को समझता हो, उसने कही पढ़ा था कि इंडियन लडके लॉयल होते है और अपनी फॅमिली वैल्यूज को अधिक महत्व देते है | जिसने भी वो लिखा था वो किताब लिखने वाला नही जानता था कि मयूर के भारत में जन्म लेने का कारण उसकी किताब थी जिससे प्रभावित होकर उसकी माँ भारत आई थी, ये देखने कि संयुक्त परिवार आखिर होता क्या है, कैसे लोग आपस में मिल जुल कर रहते है और वो सबसे पहले उदयपुर पहुची वहाँ के एक गेस्ट हाउस में अपने पहले स्टे में ही प्रभावित हो गई ये देख कर कि न सिर्फ पति पत्नी और उनके बच्चे बल्कि दादा दादी भी साथ में मिलकर रहते है और एक दुसरे को प्यार, सहारा देते है


और जब वो मसूरी आई तो उसकी मुलाकात मयूर के पिता से हुई जिनका पहाड़ो पर एक 8 रूम का होटल था | अपने लम्बे निवास के लिए वो सस्ता स्टे ढूंढते हुए उसके पिता के गेस्ट हाउस तक पहुची पर पहले उसे मसूरी कि सुन्दरता, पहाड़ो, झरने, जंगल से प्यार हुआ और पहाड़ो में जड़ी बूटियों का नॉलेज लेते लेते वो उसके पिता के प्यार में ही पड़ गयी और बिना किराया दिए हमेशा के लिए उस होटल में ही रह गयी |


उसके पिता की मृत्यु तक उनमे प्रेम बना रहा और जब वो जीवित थे, उसकी माँ के पास उसके पिता कि दी हुई वो होटल रूम के किराए कि पहली रसीद सम्भाल के रखी थी जो उन्होंने उसको उसके पहेली बार आने पर दी थी, और उसके पिता तब वो रसीद मिलने पर मजाक में उसकी माँ से पिछले 30 साल का बकाया किराया मांगते है और उसकी माँ उसके पिता पर फ्लाइंग किस उछाल कर अपना किराया भर देती थी|


शुरुआत में सब कुछ ठीक था परन्तु जैसे जैसे मसूरी में आने वाले पर्यटकों कि संख्या बढ़ने लगी कई नई और अत्याधुनिक होटले खुलती गई, परन्तु मयूर के पिता अपनी होटल का मूल स्वरूप बदलने को तैयार नही थे और ऑनलाइन बुकिंग और बड़ी बड़ी होटलों के बीच उनकी होटल दब सी गयी थी सीजन में तो कोई दिक्कत नही थी पर बारिश के मौसम में वो शाम को एक आध चक्कर बस स्टैंड का लगा लिया करता था, और कई बार उसे अपने होटल के लिए ग्राहक मिल जाते थे, और आज भी कुछ ऐसा ही दिन था, परन्तु उसे कुछ खास उम्मीद नही थी कि कोई पर्यटक उसे यहाँ मिलेगा, फिर भी उसने सोचा एक ट्राय मरने में क्या हर्ज है |

बस के चिर परिचित हॉर्न कि आवाज ने उसकी तन्द्रा भंग कर दी उसने देखा बस मोड़ काटकर अपने स्टॉपेज पर रुक गयी थी वो उठा लेकिन आगे नहीं बढ़ा क्योकि उसने सोचा बारिश में भीगने से अच्छा है कुछ देर यही रुक जाता हूँ, अगर कोई टूरिस्ट होगा तो ही आगे जाऊंगा |

उतरने वाले पेसेंजर में सभी उसके जाने पहचाने लोग थे जिनसे उसको कुछ खास लेना देना नही था वो तो ऐसे चेहरे तलाशता था जिनको उसने पहले कभी नही देखा हो, एक एक करके बस में से उतरती सवारी में से सभी स्कूल जाने वाले स्टूडेंट, दून से नौकरी करके आने वाले अंकल आंटीस और लोकल रहवासी ही थे, मतलब आज कोई सैलानी नही आया था वो मुड़ा और उसने अपने पर्स में से पैसे निकाल कर चाय वाले को दिए और उसकी नजर वापिस बस कि तरफ कि और तभी बस के पायदान पर कुछ हलचल हुई - पहले एक लाल बेग आया और बस के दरवाजे पर स्थित पायदान कि पहली और आखरी पंक्ति के बीच में फंस गया | एक बड़ा लाल बेग मतलब निश्चित ही कोई सैलानी है, उस समय बस स्टैंड किसी और होटल का कोई और एजेंट नही था उसने सोचा चलकर देखना चाहिए शायद कोई ग्राहक मिल जाये वो आगे बढ़ा और बस कि उतरने कि सीढियों तक पहुचा, बादल अपने प्लान को अंजाम देने कि पुरजोर कोशिश में लगे थे और उनका क्या प्लान था ये वो ही जानते थे


वो सीढियों पर पहुच कर रुका और उसने स्थिति का जाएजा लिया लाल ट्राली बेग रस्ते में कुछ इस तरह फंस गया था कि न बाहर निकाल रहा था और न ही अन्दर कि तरफ वापिस जा रहा था बेग का मालिक उसको अन्दर से धक्का दे रहा था पर बेग आगे खिसकने का नाम ही नहीं ले रहा था |


मयूर को अंदाजा लगा कि बेग के आगे एक पॉकेट था जिसमे कुछ सामान रखा हुआ था बेग से अगर आगे वाली चैन खोल कर सामान निकाल लीया जाये तो वो आसानी से बाहर आ जायेगा उसने कहा - रुको अगर हम पॉकेट का सामान निकाल ले तो बेग आसानी से बाहर आ जायेगा बारिश अपने प्लान के हिसाब से बहुत तेज हो गयी थी, और उसने बेग कि चैन खोली उसमे कुछ मेकअप के सामान के अलावा जो चीज रास्ता रोक रही थी वो थी एक मोटी किताब | उसने किताब निकाल कर अपने हाथ में ले ली,


इधर उसने किताब निकली और उधर ऊपर से बेग के मालिक ने एक जोरदार धक्का दिया शायद उसे नही मालूम था कि मयूर ने किताब निकाल ली है, और अब बेग पहले कि तुलना में इतना पतला हो चूका है कि आसानी से बाहर आ जाये पूरा बेग फिसल कर मयूर के हाथ में आ गया और वो लडखडा गया | अगर उसका बदन पहाड़ी मजबूत नही होता तो इस धक्के को वो नही झेल पाता और कीचड़ में गिर जाता परन्तु उसने लडखडाते हुए अपना संतुलन संभाला और कैसे तैसे उस बेग को अपने हाथ से छोड़कर जमीन पर रखा, उस बड़े बेग के दरवाजे से हटते ही उसके दोनों तरफ का दृश्य साफ दिखाई पड़ने लगा और मयूर ने अपना संतुलन सम्भालते हुए बस के अन्दर गुस्से से देखा पर यह क्या अन्दर का दृश्य देखते ही उसका सारा गुस्सा रफूचक्कर हो गया अन्दर दरवाजे पर एक उसकी उम्र कि लड़की खड़ी थी, वो सामान्य चेहरे वाली सांवली सी लडकी थी, उसकी आखे बड़ी और काली, तीखे नाक नक्श, और कुल मिला कर उसका चेहरा आकर्षक था, उसने सादगी से लाइट पिंक कलर कि चिकेन की कुर्ती और वाइट लेगी पहनी थी, उसके बाल खुल्ले थे और चेहरे पर बुद्धिमानी कि छाप थी, लम्बाई ओसत इंडियन वीमेन कि लगभग 5”5 और फीचर मिस इंडिया के नहीं शायद मिस यूनिवर्स उसने सोचा उसने देखा और देखता ही रह गया, झमाझम गिरती बारिश में वो सावली सुन्दरी उसको पहली नजर में ही भा गई थी |


दूसरी और दरवाजे पर खड़ी लडकी ने पहली बार अपने मददगार को देखा और पहला ख्याल जो उसके मन में आया वो था ये तो हीरो है, नहीं वो कंफ्यूज हो गयी इंडिया का कामदेव नही ये तो युनिवर्सल काम देव है, अपने ख्याल से उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी फिर उसने सोचा है भगवान क्या आपने मेरी मदद के लिए साक्षात् कामदेव को ही भेज दिया ? उसे अपने ही विचारो से शर्म और हसी का मिला जुला अहसास हुआ उसने अपने ख्यालो को झटका और सपनो कि दुनिया से बाहर आ गयी, उसने अपने आपको सँभालते हुए मयूर से कहा - थैंक यू वैरी मच ?


तभी उसकी नजर अपने बेग और किताब पर पड़ी और उसके चेहरे के भाव तेजी से बदल गये उसने अपना मुंह रोने जैसा कर लिया और अपने पांव पटकती हुए बोलने लगी – ये क्या किया तुमने मेरा बेग कीचड़ में कर दिया और मेरी किताब देखो पूरी गीली हो गयी |
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Dolly sharma
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मयूर जो एकटक उसी को ही देखे जा रहा था ने हडबडाकर कहा - आई ऍम सोरी लेकिन मेरे पास और कोई चारा भी नहीं था | पर उसे समझ में आ गया था कि उसकी मिस यूनिवर्स नाराज हो गई है लडकियों के अपने अनुभव से वो जानता था कि इससे पहले कि ये भारतीय नारी उसपर भारी पड़े अब उसके पास चुपचाप निकाल लेने के सिवा और कोई चारा नही है |

फिर भी उसने कहा – मैं तो तुम्हारी मदद कर रहा था तुमको जरूरत क्या थी इतनी जोर से धक्का देने कि ये कोई व्रेस्लिंग थोड़ी थी केवल फंसा हुआ बेग निकालना था, उसके लिए दिमाग कि जरूरत थी जो लगा कर मेने तुम्हारा बेग निकाल दिया अब वो गंदा हो गया तो मेरी क्या गलती थी |

लडकी के चेहरे के भाव नही बदले उसने चुपचाप अपनी किताब अपने बेग में रखी और आसपास देखा वहा कोई उसकी मदद के लिए नही दिखाई दिया सिवाय चाय वाले के, कीचड़ में ट्राली बेग का कोई मायना नहीं था क्योकि उसके पहिये कीचड़ में धंस सकते थे फिर भी उसने अपना बेग घसीटा और चाय कि होटल कि तरफ चल दी |

मयूर ने भी स्थिति कि गम्भीरता को समझा और उसके उलटे डायरेक्शन कि और बढ़ चला, उसने अब तक अपनी जिन्दगी में कई सैलानी लड़कियां और औरते देखी थी, पर इसकी बात कुछ और ही थी, इतने सालो से वो हर खुबसूरत लडकी का ऑफर इसी के इन्तजार में ठुकरा रहा था और जब वो मिली तो पहली ही मुलाकात में मनमुटाव हो गया, उसका मन एक अजीब से दर्द से भर गया |

वो मुस्कुराया अभी तो प्यार शुरू ही नही हुआ और लड़ाई हो गई, लेकिन इसमें उसका कोई दोष नही था सही में इसके अलावा उसके पास और कोई चारा भी नहीं था | उसने असमान में बादलो कि तरफ देखा क्या पता ये आज क्या साजिश कर के आये थे उसके खिलाफ ? अगर आज नही बरसते तो क्या होता कम से कम मिस यूनिवर्स कि किताब और बेग तो खराब नही होता और न वो नाराज होती और न उसके हाथ से उससे नजदीकी बढ़ाने का मौका चुकता |

उसने मुड कर देखा धीरे धीरे अपने बेग को कीचड़ में घसीटती हुए मिस यूनिवर्स चाय कि दुकान पर पहुच चुकी थी | उसका मन वाकई में एक दर्द से भरा हुआ था शायद इसी को प्यार और जुदाई बोलते है, जो उसके जीवन में आते ही चला गया उसके चेहरे पे एक मुस्कुराहट उभर आई जब उसने सोचा दुनिया कि सबसे छोटी प्रेम कहानी |

उसने बस स्टैंड पर मौजूद पब्लिक टॉयलेट यूज़ किया और वापिस अपनी कार कि तरफ चल पड़ा, बस स्टैंड से बाहर जाने का एक ही रास्ता था जो मॉल रोड होता हुआ सीधा उसकी होटल तक जाता था बारिश और तेज हो चुकी थी उसने कार स्टार्ट कि और मॉल रोड कि और बढ़ चला, आज उसकी अम्बेसेडर का एक वाइपर बंद हो गया था - इन्सान क्या इस बारिश में तो मशीन ने भी काम करना बंद कर दिया उसने सोचा |
उसकी कार मेन गेट से बाहर निकली वो अपनी कार कि साइड से सीधा देख सकता था परन्तु दांये हाथ कि तरफ नहीं क्योकि कांच पर पानी था और उस तरफ का वाइपर खराब था कैसी भी थी पर उसकी कार चलती बहुत बढिया थी और फिर वो उससे प्यार भी करता था कार से प्यार उसके चेहरे पर फिर एक बार मुस्कान आ गयी |

बस स्टैंड का दरवाजा पर करते ही उसकी नजर रिवर व्यू मिरर पर पड़ी और उसने देखा कि पीछे मिस यूनिवर्स खड़ी हुई उसको रुकने के लिए हाथ दे रही है | बाय गॉड उसके मुंह से निकला |

उसने गाड़ी पीछे ली और खिड़की का कांच निचे किया तब तक मिस यूनिवर्स ड्राईवर साइड पर आ चुकी थी उसने कहा – आई ऍम सॉरी फॉर माय बेहविअर क्या तुम मुझे यूनिवर्सल गर्ल्स हॉस्टल छोड़ दोगे ...... अभी उसका वाक्य पूरा ही नही हुआ था कि मयूर ने बीच में रोक दिया – बस इसके आगे मत बोलना |

लडकी के चेहरे पर झुंझलाहट के भाव आये मतलब – तुम लड़कियां जब भी किसी अजनबी से बात करती हो भैया बोलती हो पर मुझको मत बोलना उसने लडकी कि नकल निकालते हुए बोला - क्या मुझे हॉस्टल छोड़ दोगे भैया |

मयूर ने अपनी बात कुछ इस अंदाज में कही कि लडकी अपनी हंसी नही रोक सकी, वो निश्चित ही आधुनिक लडकी थी जिसमे कुछ वेस्टर्न और कुछ इंडियन कल्चर मिक्स थे |

ओके नही बोलूंगी पर क्या तुम हर लडकी से इसी तरह फ़्लर्ट करते हो हीरो? और उसे अपनी भूल का अहसास हुआ कि वो क्या बोल गयी |

अब हंसने कि बारी मयूर कि थी और उसने उस मौके का भरपूर फायदा उठाया | ये एक छोटा सा वार्तालाप आइस ब्रेकिंग साबित हुआ, उसने लडकी से कहा – जल्दी से समान पीछे रखो डिक्की खुल्ली है नही तो तुम बारिश में भीग जाओगी |

लडकी ने मयूर से कहा – आज बारिश बहुत हो रही है और मेरे पास कोई और चारा भी नही है, यहाँ कोई और दूसरा साधन नही है जो मुझे हॉस्टल तक छोड़ दे इसीलिए में तुम्हारी गाड़ी में बैठ रही हूँ |

मयूर ने ऊपर आसमान कि तरफ देखा और कहा माय गॉड तो ये था तुम्हारा आज का प्लान मुझे और मिस यूनिवर्स को मिलवाना इसीलिए आज सुबह से नॉन स्टॉप बरस रहे हो |

लडकी ने सामान डिक्की में रखा और कार कि अगली सिट का दरवाजा खोला, मयूर ने नोटिस किया वो एक शालीन लडकी थी, उसके कपड़े का अंदाज, बात करने का तरीका, और कार में बैठने के ढंग उसकी शालीनता को दर्शा रहा था |

लडकी शहरी थी स्कूल से लगा कर कॉलेज तक उसने कई स्मार्ट और हैण्डसैम लडके देखे थे जो उससे फ़्लर्ट करते थे पर उसने आज तक किसी को भाव नही दिया - उसने मन ही मन सोचा ये जो अजनबी लड़का मेरे पास बेठा है इससे में इतनी बात क्यों कर रही हूँ आज तक मैंने किसी फ्लर्ट करने वाले लडके को भाव नही दिया पर इसमें कुछ खास है क्या है वो यस ये चार्मिंग है, एक्सट्रीमली चार्मिंग और हेल्पिंग, और फनी भी और मजबूत भी और इसमें स्टाइल भी है सब कुछ है किसी फ़िल्मी हीरो जैसा, किसी रोमांटिक नावेल का हीरो, पर मुझे इससे दूर ही रहना है यस ऐसे तो कई लडके मेरी जिन्दगी में आये पर इसमें कुछ खास है उसने फिर सोचा इसमें एक आकर्षण है चुम्बक कि तरह इसका चेहरा चाइना और अमेरिकन का कॉकटेल है नहीं ये भी नही और अन्दर और अन्दर मन में कुछ हो रहा है – उसके विचार तेजी से चल रहे थे - इट्स अ फीलिंग ये एक अहसास है मुझे इससे प्यार हो गया है |


लडकी ने बैठते ही मयूर पर सवाल दाग दिया – बस स्टैंड पर मसूरी अकेले आने वाली लडकियों कि मदद करने के अलावा तुम और क्या करते हो ?

उसके चेहरे पर एक गंभीर मुस्कान फ़ैल गयी – में सब लडकियों कि मदद नही करता हूँ केवल उनकी जो मुझे खास लगती है | वैसे तुम्हारा नाम क्या है ?

नाम छोड़ो तुम ये बताओ मुझमे ऐसा क्या खास है ? लडकी ने पूछा

तुमने अपना बेग बस के दरवाजे में फंसा लीया था और जिस तरह तुम उसको निकालने कि कोशिश कर रही थी भगवान कसम बेग के साथ दरवाजा भी निकल कर बाहर आ जाता इतनी बुद्धिमान लड़की कि मदद करने से अपने आप को कौन रोक सकता है, और तुमने अपना नाम नही बताया तो में खुद तुम्हारा नामकरण संस्कार कर दूंगा, और पसंद नही आये तो नाराज मत होना |

तुम मुझे बेवकूफ बोल रहे हो पर में घबरा गयी थी मुझे समझ नही आ रहा था कि अब क्या करू |

मयूर ने जवाब दिया - वही तो में बोल रहा था कि मैं उन्ही लडकियों कि मदद करता हूँ जिनको समझ नहीं आता कि वो क्या करे |

थैंक्स फॉर योर हेल्प एनी वे आई ऍम नोट अ फुल – उसने मुंह बनाते हुए कहा
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Dolly sharma
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नही तुम फुल हो पर इंग्लिश वाला नही हिंदी वाला फुल – मयूर ने कहा अब पता ये करना है कि कौनसा फुल गुलाब, चमेली या गोभी का, गोभी तो तुम हो नही सकती, गुलाब में कांटे होते है और चमेली में खुशबु होती है तो तुम चमेली का हो माय डिअर चमेली और वो खिलखिला कर हंस दिया |

क्या ? लडकी ने पूछा

मैंने तुमसे कहा था कि अगर तुमने अपना नाम नही बताया तो मैं तुम्हारा नाम रख दूंगा, लो रख दिया |

अगर मेरा नाम जान लोगो तो एक कदम भी नही चल पाओगे धरती खिसक जाएगी तुम्हारे पांव के तले से लडकी ने मन ही मन कहा |

तुम्हे मेरा नाम रखने कि या जानने कि कोई जरूरत नही है मुझे हॉस्टल छोड़ने के बाद अपने रास्ते अलग अलग है ओके, लडकी ने अपने सारे अवरोधक अब ओन कर लिए थे |

इट्स ओके और ये आ गया आपका हॉस्टल, अपने रस्ते अलग अलग | मयूर जनता था अभी लडकी को प्रेशर करने से कुछ मिलने वाला नही है, अभी पतंग को ढील देना ही ठीक है |

लडकी कार से उतरी और उसने डिक्की खोली फिर बेग को निकालने कि कोशिश करने लगी परन्तु बेग तो प्रथ्वी जैसा भारी लग रहा था वो फिर मयूर के पास आई और बोली – क्या तुम मेरा बेग ऊपर हॉस्टल के अंदर तक पहुंचा दोगे प्लीज ?

मयूर ने कहा एक शर्त पर – जब वार्डन तुमसे पूछेगी कि मैं कौन हूँ तो तुम ये नही बोलोगी कि में तुम्हारा कोई रिश्ते का भाई हूँ ?

लडकी फिर हंस दी – उससे क्या फर्क पड़ेगा चलो नही बोलूंगी प्रॉमिस पर मेरी भी एक शर्त है तुम मुझसे फिर कभी मिलने कि कौशिश नही करोगे |

ये अपनी जिन्दगी में उसने पहली बार सुना था | लडकी एक पहेली है, मेरा अपने आप से जो घमंड है वो तोड़ कर ही मानेगी, ठीक है मुझे भी चुनौती पसंद है मिस चमेली - उसने मन ही मन सोचा |

वो कार से उतरा और उस भारी भरकम बेग को उठा कर ऊपर कि और चलने लगा, काफी मॉल भरा लगता है इसमें खालिस इम्पोर्टेन्ट बेग है काफी महंगा लडकी पैसे वाली लगती है पर सामान्य दिखने का प्रयास कर रही है |

उधर पीछे पीछे चल रही चिकेन कुरते वाली लडकी ने मन ही मन सोचा – लो वेस्ट ब्लू टाउसर और वाइट शर्ट में ये कितना स्मार्ट लड़का है, और लीन होने के बाद भी इतना भारी बेग कितनी आसानी से उठा लिया |
दोनों हॉस्टल के ऑफिस में पहुचे जहाँ लगभग 40 साल कि वार्डन एक लडकी के साथ बैठ कर चाय कि चुस्किया ले रही थी | मयूर ने बेग रखा और लडकी कि तरफ घूमकर बाय बोला | लडकी ने भी जवाब में अपना हाथ उठा कर बाय किया | मयूर मुड़ा और लडकी ने वार्डन से कहा मेरा यहाँ 6 महीने का रूम बुक है रागिनी के नाम से | आकाश अभी दरवाजे तक ही पहुचा था उसने हल्का सा मुड कर देखा रागिनी बिलकुल मधुर गाने कि तरह नाम उसके कानो तक होता हुआ दिल के अंदर तक हलचल मचा गया | नो चमेली नो मिस यूनिवर्स दुनिया का सबसे बढिया नाम रागिनी है |

वार्डन ने रजिस्टर देखा और कहा ठीक है तुम्हारा रूम नो. 205 है, सेकंड फ्लोर पर बाये पाचवां कमरा | उसने रजिस्टर में सिग्नेचर किया अपने पेपर दिखाए |

तभी वार्डन के पास बेठी लडकी ने वार्डन के कान में कुछ कहा –वार्डन ने सुना और रागिनी से पूछा अभी जो स्मार्ट लड़का तुमको छोड़ने आया था वो कौन था |

रागिनी अवाक् सी कभी उस लडकी और कभी उस वार्डन को देख रही थी और बरबस उसके मुंह से निकला गधा वो एक गधा था | दोनों खिलखिला कर हंस दी |

रागिनी ने अपना बेग उठाया और ऊपर कि तरफ जाने लगी – सुनो इस हॉस्टल में लडको का आना मना है, ठीक है |

मुझे लडको में कोई इंटरेस्ट भी नहीं है – उसने कहा

वार्डन ने अपने चश्मे में से उसको गौर से देखा और पूछा – फिर किस्मे है, अगर तुम चाहो तो आज का डिनर हम दोनों के साथ कर सकती हो |

रागिनी उनका मतलब समझ चुकी थी – उसने कहा मुझे उसमें भी इंटरेस्ट नही है, और ऊपर कि तरफ बढ़ गई |

वार्डन ने लडकी कि तरफ देख कर कहा जब इसे लडको में इंटरेस्ट नही है, अपने में नहीं है तो फिर ये क्या हुई ?

लडकी ने हाथ उठा कर छह उंगलिया दिखाई और दोनों खिलखिला कर हंस पड़ी |

रागिनी कि नींद सुबह 11 बजे खुली, दो दिन के सफर के बाद कल उसे ठीक से सोना मिला था | उसने उठकर अपने बाल हेयर बंद से बांधे और रूम का जायजा लिया, वो पुराने जमाने का कमरा था मगर बहुत गर्म और आरामदायक, कमरे में एक सोफा, टी टेबल और पलंग के अलावा एक अलमारी थी जिसमे वो अपने कपड़े रख सकती थी, पीछे एक खिड़की थी जिसपर मलमल का पर्दा लगा था, वो खिड़की तक पहुची और उसने पर्दा हटाया पीछे जो दृश्य उसे दिखाई दिया वो उसकी कल्पना से बाहर था, एक बड़ा सा हरा भरा मैदान जिसको चिड के पेड़ो ने चारो और से घेर रखा था, उसमे तितलियां और कई प्रकार कि चिड़ियाए फूलो पे मंडरा रही थी, मैदान ख़त्म होते ही एक ढलान था, और ढलान के साथ एक छोटा सा झरना वो आश्चर्य से प्रकर्ति कि सुन्दरता निहारने लगी, उसका मन प्रफुल्लित हो उठा ऐसा दृश्य उसने पहले कभी नही देखा था, वो अपने जीवन भर कंक्रीट कि दिवालो के बीच ही घिरी रही थी पहली बार उसे खुली हवा और सुंदर नजरो को जी भर के बिना डर के देखने का अवसर मिला था |

कल के पूरा घटनाक्रम उसकी नजरो के सामने उतर आया कैसे वो लड़का उसकी बेवकूफी से गिरते गिरते बचा और कैसे उसने उसके साथ बुरा बर्ताव किया अब उसे अच्छा महसूस नही हो रहा था | क्या उसे फिर से उससे मिलना चाहिए ?

उसके साथ कि सब लड़कियां जिनके कॉलेज में कई बॉयफ्रेंड थे और ब्रेकअप सोंग इस गरिमा से गा देती थी जैसे कोई भजन गा रही हो, आज शादी करके दो दो बच्चों कि माँ बन चुकी है और वो 25 साल कि नव युवती जिसकी जिन्दगी में अभी तक एक भी लड़का नही आ पाया था, फिर उसने गहरी साँस ली और सोचा – रागिनी बहुत ऊँची चीज है उसे पाना इतना आसान नही है मिस्टर यूनिवर्स, फिर वो मुस्कुराई और सोचा अगर वो मुझे चाहता होगा तो खुद ही आ जायेगा और अगर मेरे लायक है तो खुद ही साबित करेगा |

उधर नींद में मयूर को गर्मियों में आने वाले फार्च्यून टेलर सपने में आ रहा था – उसने मयूर को टेरो कार्ड निकालने को कहा और जब उसने टेरो कार्ड निकाल कर दिया तो उसने कार्ड पढ़ कर कहा - एक बहुत बड़ी मुसीबत तुम्हारे तरफ बढ़ रही है, आने वाले 6 महीने तुम्हारे ऊपर बहुत भारी है, फिर उसे सपने मैं अपनी ही हंसी सुनाई पढ़ी, फिर बस के दरवाजे पर खड़ी रागिनी दिखाई दी और उसकी नींद खुल गयी |

वो उठा और उसे रागिनी से मिलने कि त्रिव इच्छा हुई फिर उसने सोचा –अगर वो मुझसे नही मिलना चाहती तो कोई बात नही, उसने दृढ़ता से मुझे फिर नही मिलने का कहा था मैं उससे नहीं मिलूँगा आगे किस्मत को जो भी मंजूर हो |

रागिनी ने अपना सामान लाल बेग में से निकला और एक एक कर के अलमारी में जमाना शुरू किया, सरे ट्रेडिशनल सूट के साथ एक जोड़ा जींस और टी शर्ट भी थी जो उसने आज तक नही पहनी थी, सूट में दो चिकेन के एक कश्मीरी और तीन इंडो वेस्टर्न सूट थे इंडो वेस्टर्न सूट भी वो काम ही पहनती थी, कुछ ही देर में सारा सामान अलमारी में करीने से जम गया और वो फ्री हो गई |

सामान जमाते समय उसे अपने साथ लाये दो एप्पल भी मिले जिनको वो अलमारी में नही रख सकती थी, उसने उनको खाया और फिर बिस्तर पर सो गयी, वो आजाद थी जो चाहे वो करने के लिए, कोई डर नही कोई बंदिश नही बिलकुल एक आजाद चिड़िया कि तरह वो ख़ुशी से भर गयी फिर ख़ुशी में उसका मन डूबने लगा वो इस दुनिया मैं अकेली थी और फिर वो मयूर के बारे सोचने लगी, उसके मन में एक मीठी हलचल शुरू हो गई और फिर उसे एक मीठी गहरी नींद ने घेर लीया |

उसकी नींद खुली तब सामने लगी घड़ी में दो बज रहे थे, उसे तीव्र भूख लगी थी उसने कल रात से सिर्फ दो सेवफल के अलावा कुछ नही खाया था वो बाहर निकली और उसे गलियारे में एक लडकी मिली उसने पूछा क्या तुम मुझे बता सकती हो मेस कहाँ है | लडकी ने कहा – तीसरी मंजिल पर |
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वो एक रूफ टॉप किचेन था जहाँ का खाना बहुत सादा था, कम से कम उसके घर पे मिलने वाले खाने से तो बहुत ही सामान्य, न तेज मिर्च मसाले न पनीर, बटर सिर्फ चपाती दाल, आलू मटर कि सब्जी और चावल पर उसने आज पहली बार मटर का असली स्वाद लीया था, और वह उसे बहुत अच्छा लगा था, खाने के बाद उसे अपनी प्लेट खुद ही सिंक में रखनी थी वहा कोई नौकर नहीं था, पर बदले में इनाम में उसे आजादी मिली थी, जिसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार थी |

उसने प्लेट उठा कर किचेन सिंक में रखी, तभी उसके दिमाग में बिजली सी कौंधी वो तेजी से अपने रूम कि तरफ भागी, रूम में उसने अपनी पूरी अलमारी उलट पुलट दी, फिर बेग खोला और उसको पूरा टटोला उसका मन भय से भर गया, वो अपने आप से बुदबुदाई – कहाँ चली गयी मैंने कहाँ रख दी, तभी उसे कुछ ख्याल आया और वो बाहर कि तरफ तेजी से चल पड़ी |

जब तक वो उसे नही मिल जाती वो चैन से नही बैठ सकती थी, वो उसने अपने साथ ली ही क्यों थी, जबकि उसका नया जीवन शुरू हो रहा था ? – उसने अपने आप को सांत्वना दी, और अगर वह नही मिली तो ? जो होगा देखा जायेगा |

वो बाहर निकली और रिक्शा वाले को रोका और बोली – बस स्टैंड

उस समय लगभग 5 बजे थे और मयूर रागिनी के ख्यालो में डूबा था, कल का समय वापिस आ गया था और बादल भी कल कि अपनी नौकरी बखूबी निभा के आराम कर रहे थे, हल्की हल्की धुप में हरियाली निखर रही थी, और वो गम में डूबा था, सुबह से बाहर नही निकला था, उसने सोचा बस स्टैंड तक चलते है, काका कि चाय का समय हो गया है |

उसने अपना ब्लू टाउसर और वाइट शर्ट डाला और गाड़ी स्टार्ट कि, लगभग 5 मिनिट में वो बस स्टैंड पर था, आज कल कि तुलना में थोड़ी भीड़ थी और सैलानी भी आ जा रहे थे, उसने गाड़ी पार्किग में रखी और चाय कि दुकान कि तरफ बढ़ चला उसके मन में कल कि याद थी ये लडकी दूसरी लडकियों से अलग थी – सोचते सोचते सोचते वो काका कि चाय कि दुकान पर पहुच गया, उसे देखते ही काका ने कहा – वो लाल बेग वाली मेडम जी तुमको दो घंटे से ढूंढ रही है अभी यही प्रतिक्षालय में खड़ी थी !

वो हतभ्रत था – रागिनी मुझे ढूंढ रही थी ? कहा, कब, कैसे ? उसे अपने उतावलेपन पर खुद ही पछतावा हो गया |

अभी यही थी शायद कुछ अर्जेंट काम था तुमसे, यही कही होगी – काका ने कहा

तब तक वो संभल चूका था उसने घूम कर चारो तरफ देखा और वो उसे दिखाई दी आज फिर चिकेन का कुर्ता पर लाइट ग्रीन पैरेट कलर का फिर सफेद लेगी, बाल खुल्ले नहीं पर हेयर बंद से बांधे हुए, वो उसकी कार के पीछे खड़ी होकर डिक्की खोलने कि कोशिश कर रही थी |

असमंज में फंसा मयूर तेजी से अपनी कार कि और बढ़ा और उसने पूछा – क्या हुआ मेडम अब क्या डिक्की तोड़ने का इरादा है ?

उसके चेहरे कि अधीरता साफ देखी जा सकती थी – मैं कल किताब रखने के बाद बेग कि चैन लगाना भूल गयी थी, मेरी किताब अंदर ही गिर गयी है |

मयूर ने बिना कुछ बोले डिक्की का दरवाजा खोला और रागिनी ने अधीरता से अन्दर झाँका |

डिक्की में पीछे कि तरफ उसकी किताब पड़ी हुई थी मानो उसी के आने का इंतजार कर रही थी उसने लपककर किताब उठा ली और उसको अपने पर्स मैं इस तरह डाला जैसे कोई दुनिया कि सबसे कीमती चीज हो |

वो मुड़ी उसकी नजरे फिर मयूर से मिली जो उसको एक तक देख रहा था – क्या तुम यहाँ ये किताब लेने आई हो ?

यस ये किताब मेरे लिए बहुत मायने रखती है, मैंने आधी ही पढ़ी थी इसलिए मैं इसको लेने आई हूँ, और में चलती हूँ बाय वन्स अगेन |

लडकी वाकई में पहेली थी, किताब के बहाने मुझसे मिलने आई थी पर ऐसा बता रही है जैसे मैं नही, किताब कोहिनूर हिरा हो, फिर भी कुछ अजीब था उसको समझ नही आ रहा था कि वो क्या था ? कुछ तो अजीब है फिर भी उसने कहा – यहाँ पास एक रेस्तरा है जिसका नाम है मसूरी डिलाइट वहां की हर्बल टी और तोस बहुत महशूर है, में जा ही रहा था अगर तुम भी साथ चलो तो और अच्छा रहेगा ?

फिर वही नीली गहरी आँखे, जो उसके मन में उतर कर उसको पिघालने कि भरपूर कोशिश करती है जिनको रोक पाना फिर उसके लिए मुश्किल होता जा रहा था, ये आँखे उसके मन को दिमाग से बगावत करने को मजबूर करती है, उसने सोचा किसकी सुने दिमाग कि या मन कि दिमाग उसे रोकता है और मन उसे बोलता है, तुम एक पढ़ी लिखी नवयुवती हो, अपने फैसले खुद ले सकती हो, और तुम उससे प्यार भी करती हो, यही ठीक है इस बार मन कि बात सुन लेते है उसके मन में अंतर्द्वंद चल रहा था |

वो बोली कुछ नहीं पर सहमती से उसने अपना सर हिलाया - ओके |

दोनों पैदल ही रेस्तरा कि तरफ चल पड़े दूर कही गाना बज रहा था – अजब एहसास है ये, जो आई रात है ये मैं तेरी बांहों में दुनिया भुला दू |

आज मयूर भी मजाक के मूड में नही था और न ही रागिनी दोनों गंभीर थे मूक भाषा में बात हो रही थी |

वो एक आधुनिक रेस्तरा था जहाँ वेटर लाल कलर कि पहाड़ी ड्रेस पहने हुए थे, जिसमे एक फ़र वाली टोपी चमकदार कोट, और लाल कलर की पेंट थी | हर टेबल पर दो कैंडल लगी थी, और मंद रौशनी में पूरा रेस्तौरा का माहौल रोमांटिक था दोनों कोने कि एक जगह बैठ गये |

मयूर एकटक उसी को देखे जा रहा था – लडकी कि आँखों में उसके लिए प्यार था, ये बात उससे छुपी नही थी, उसके जीवन में कई परदेसी लडकिया आई थी, वो सब मयूर कि और आकर्षित थी कुछ उससे प्यार भी कर बैठी थी पर इसकी बात अलग थी इस लड़की कि बात अलग इसलिए थी क्योकि वो खुद भी उससे प्यार करता था, उसकी आँखों में मयूर के लिए भी प्यार था और वो नजरे भी नही मिला रही थी |

उसने ग्रीन टी, तोस विथ गार्लिक सौस और स्पाइसी फ्रूट सलाद का आर्डर दिया, उन दोनों में से कोई कुछ नही बोल रहा था, बहुत हल्के रेस्तरा में सोंग बज रहा था – वी टू वर अलोन बट नाव वी आर नोन |

मयूर ने ख़ामोशी तोड़ी - क्या तुम वाकई वो किताब लेने आई हो ?

नही में सिर्फ तुमसे मिलने आई हूँ, रात भर से नींद नही आ रही थी तुम्हारी याद में – और वो शरारती हंसी हंसने लगी - असल में मैं उस किताब के क्लाइमेक्स तक पहुंच गयी हूँ और अब मन मैं बहुत गहरा सस्पेंस है कि आगे क्या होगा – उसने उसकी नीली आँखों से बचते हुए शरारती अंदाज में बोला, ये नीली आँखे बहुत गहरा जाल डालती है शालिनी ने मन ही मन सोचा, इन आँखों से बच कर रहने में ही हम दोनों कि भलाई है |

अगर तुम्हारी ये किताब ख़तम हो जाये तो क्यों न अपनी एक रोमांटिक कहानी शुरू करे ? मयूर ने उसकी आखो में जबरन आखे डालते हुए कहा |

वैरी स्मार्ट, लेकिन रोमांटिक बिलकुल भी नही, क्या तुमको प्रोपोसे करने का इससे बढिया तरीका नही मिला था – रागिनी ने उसे चिढाते हुए कहा |

तो तुम भी उन हिंदी फिल्मो कि हेरोइन कि तरह प्रपोसे चाहती हो | उसने कहा और टेबल के गुलदस्ते में पड़ी एक गुलाब कि कली उठा कर रागिनी कि और बढ़ते हुए बोला – क्या तुम मुझसे प्यार करोगी ?

धत – रागिनी ने कहा – ऐसे तो शादी का प्रोपोसे करते है |

हाँ पर पहले प्यार कर लो फिर शादी भी कर लेंगे – मयूर ने फिर उसकी आँखों में आंखे डालते हुए कहा |

मेरे पापा बोलते है, प्यार एक भुत का नाम है जिसको लगता है उसको मार कर ही छोड़ता है |

मयूर ने चौक कर उसकी तरफ देखा – उसका चेहरा फत्थर कि तरह सख्त था, और आंखे भी पथराई हुई |

उसने फुल को वापिस गुलदस्ते में डाल दिया, शायद उसकी किस्मत नही थी किसी के प्यार इजहार और इकरार का गवाह बनने कि |

दोनों कुछ सेकंड तक बिना कुछ बोले एक दुसरे को देखते रहे मानो प्यार की किसी मूक भाषा में बात कर रहे हो, फिर क्या तुम मुझे वापिस हॉस्टल तक छोड़ दोगे – रागिनी ने पूछा

तुमको इतनी जल्दी क्या है हॉस्टल जाने कि ?

अब वो अपने आपको कम्फर्ट महसूस कर रही थी – उसने कहाँ - नही कोई जल्दी नही है – और उसने उन नीली आँखों में झाँका – तुम्हारी फ़ूड चॉइस अच्छी है, इतनी अच्छी ट्रीट के लिए थैंक्स

अजीब बहुत ही अजीब – मयूर ने कहाँ पहली बार किसी ने प्यार कि ऐसी परिभाषा दी है, ये सही नही है, तुम्हारे डैडी कहा है |

वो घर है अब हमको चलना चाहिए – उसने उठते हुए कहा और अपना बेग निकाला और पैसे देने लगी उसके पास नया कड़क दो हजार का नोट था जो उसने काउंटर पर बैठे लडके को दिया

लडके ने मयूर कि तरफ प्रश्नवाचक नजर से देखा, मयूर ने उसको इंकार से सर हिला दिया, और लडके ने दो हजार का नोट वापिस रागिनी को पकड़ा दिया तभी मयूर बोला - उसके पास छुट्टे नही है, में दे देता हूँ, और उसने अपने पास से पैसे निकाल के लडके को दिए, जो उसने काउंटर में डाल लिए, उसे क्या कोई भी दे उसे तो अपने पैसे से मतलब है, उसने पहले भी कई लडकियों के साथ मयूर को वह आते हुए देखा था पर ये पहली बार है जब उसने पैसे दिए हो, उसने सोचा – ये लडकी कुछ अलग है |

रागिनी अजीब थी उसकी आँखों में प्यार तो था पर एक डर भी, वो डरी हुए थी पर किस बात से, क्या वो घर से भाग कर आई थी उसके मन में कई सवाल उमड़ रहे थे, अभी इसको समय कि जरूरत है, ये अन्य लडकियों से भिन्न है क्या पता इसकी क्या प्रौब्लेम है ? और प्रौब्लेम ये जब तक नही बताएगी जब तक ये मेरे साथ कम्फर्ट महसूस नही करने लगेगी |

उसने बोलना चालू किया – यहाँ हर रविवार को एक मेला लगता है लखवर मेला,मुझे वह जाना बहुत अच्छा लगता है, वहां पहाड़ी संस्कृति, खाना, और लोकल लोगो से मुलाकात का मजा ही अलग है |
और फिर बाते करते करते हॉस्टल आ गया, ओके रागिनी बाय |

रागिनी उसका नाम सुनने में इतना अच्छा लगता है ये उसने पहली बार अपना नाम मयूर के मुंह से सुन कर महसूस किया |

घर पहुच कर मयूर ने अपना लैपटॉप निकला और फेसबुक पर रागिनी का नाम टाइप किया, रागिनी शर्मा इस नाम की कई प्रोफाइल खुल गयी पर उनमे से कोई भी रागिनी नही थी, उसने इन्स्टाग्राम, गूगल प्लस सब जगह टाइप किया, पर उसे नेट पर एक भी जगह रागिनी का फोटो दिखाई नही दिया | अजीब बात है आज की आधुनिक लडकी और नेट पर कोई उपस्थिति नही |

आग दोनों तरफ बराबर लगी थी - रागिनी ने अपना मोबाइल खोला और गूगल किया फ्रेडरिक मोटेल, मसूरी और उसके सामने एक खूबसूरत मोटेल का फोटो, लोकेशन, रूम अवलाब्लिटी, रेट उभर कर आ गये, इन सबमे उसको दिलचस्पी नही थी उसने पेज के निचे नजर डाली कांटेक्ट पर्सनल पर क्लिक किया और उसे दिखाई दिया मयूर फ्रेडरिक और साथ में कांटेक्ट इनफार्मेशन में एक मोबाइल नंबर भी लिखा था,

उसने नंबर अपने मोबाइल में सेव किया और व्हाटअप पर जाकर रिफ्रेश किया, मयूर का नंबर उसमे शो होने लगा था उसने प्रोफाइल पिक्चर पे क्लिक किया और उसे पिक्चर में वही दो नीली आखें अपनी और देखती हुई दिखाई दी, उसने फोटो अपने मोबाइल में डाउनलोड किया और मेसेज बॉक्स में हेल्लो लिखा, फिर मिटा दिया |

हेल्लो लिखने और मिटने का सिलसिला लगभग आधे घंटे तक चलता रहा, वो मेसेज भेज कर उसको हेल्लो बोलना भी चाह रही थी पर एक भय उसे रोक रहा था, सुबह जब वो सो कर उठी तो उसने हिम्मत जुटाई गुड मोर्निंग लिखा और आंख बंद कर सेंट् का बटन दबा दिया |
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Dolly sharma
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Re: वो लाल बॅग वाली

Post by Dolly sharma »

मयूर सुबह उठा तो उसे अपने व्हाट्सएप्प में कई रेगुलर मेसेज के साथ एक अननोन नम्बर भी दिखाई दिया, जिसपर मैसेज आया था – गुड मोरनिंग

उसने प्रोफाइल पिक्चर पे क्लिक किया और रागिनी अपनी सहेलियों के साथ बीच पर दिखाई दे रही थी, तो मेडम ने मेरा नम्बर कही से ले लिया, उसने मेसेज का जवाब दिया – वैरी गुड मोरिनिंग, कैसी हो, आज शाम को फ्री हो क्या ?

शाम के 8 बजे तक तक कोई रिप्लाई नही आया और रात भी निकल गयी, अगले दिन सूरज निकलने के साथ ही मयूर की ख़ुशी, मायूसी में बदल गयी आखिर उसने उसके मेसेज के रिप्लाई क्यों नही किया ?

फिर उसे एक हिंदी फिल्म का आईडिया सुझा, रागिनी की हिंदी फिल्मे बहुत पसंद है, उसको ऐसा ही आईडिया पसंद आएगा – उसने मैसेज किया आज दिन के सेकंड शो की दो टिगिट ली है, तुम्हारा इंतजार करूंगा विजेता मल्टीप्लेक्स के बाहर, बस स्टैंड के पास, रात 9 बजे सी यू बाय
.........................

स्काई ब्लू जींस और वाइट शर्ट पहना, ब्लैक फॉर्मल शूज, करीने से सजे बाल और क्लोंज से महकता वो खुद, मंजिल बहुत पास है, आजकल लडकिया भी हिंदी मूवीज देख देख कर ड्रामा क्वीन बन गई है, उसने कार स्टार्ट की और मल्टीप्लेक्स के पार्किंग में ही जा कर रोकी, कार से उतरा और रागिनी का इंतजार करने लगा |
उसने घडी देखी समय लगभग 8:30 बजा था, धीरे धीरे 9 बजने आई और उसके दिल की धड़कन बढ़ गयी, क्या होगा अगर वो नही आई तो, 9 की 10:30 हुई और 11 बजने आ गयी, उसका मन बैठने लगा, अब वो नही आएगी, वो पुरे शो के खतम होने तक वही खड़ा रहा, लगभग 11 बजे तक उसका मन डूब गया और वो बुझे मन से अपनी कार की और चल पड़ा |

रागिनी नहीं आई तो नही ही आई, अजीब लडकी है, उसने कहा – अब में कभी उसे मैसेज नही करूंगा, न ही कभी मिलूँगा चाहे कुछ भी हो जाये |

उस रात वो बिना कुछ खाए सो गया, उसका कुछ भी करने का मन नही हो रहा था, शाम खराब हो गयी थी |
सुबह उठकर गर्म पानी का शावर लेते हुए वो उसके सामने रागिनी का चेहरा उभर आया, उसका मन गुस्से, खीज, और अजीब से दर्द से भर गया, आज रविवार है, आज उसको फेअर (मेले) मैं जाना था, पर उसका कही जाने का मन नही हो रहा था |

वो चुपचाप बैठा शून्य को घुर रहा था की तभी फ़ोन की घटी बजी, उसने फ़ोन उठाया और एक खनकती हुए आवाज सुनाई दी – मयूर में कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ तुम आये क्यों नही ? वो आवाज रागिनी की ही थी |

उसके मुंह से बोल नही फुट रहे थे, बड़ी मुश्किल से उसने पूछा – कहाँ नही आया में ?

दूसरी तरफ से रागिनी ने कहा – माय गॉड, क्या तुमने मेरा मेसेज नही पढ़ा जो मेने तुम्हारे मूवी वाले मेसेज के बाद किया था ?

अब मयूर के मन में उत्सुकता अपने परवान पर थी – नही, क्या था उसमे ?

पढो, पहले उसे मेसेज को पढो और मुझे फ़ोन करो, मैं यहाँ तुम्हारा वेट कर रही हूँ |

मयूर ने फ़ौरन व्हाटएप्प खोला, उसमे रागिनी से नाम के निचे एक मैसेज था जो अभी तक अनरिड था, उसने मेसेज पर क्लिक करा उसमे लिखा था – मयूर मैं यहाँ मूवी देखने नही आई हूँ वो तो में डिएगो में बहुत देख सकती थी, मैं यहाँ पहाड़ो की सुन्दरता देखने आई हूँ चलो मेला देखने चलते है मैं कल तुम्हारा बस स्टैंड के पास वाली शॉप पे मिलूंगी सुबह 11 बजे, सी यू बाय |

मयूर को अपनी गलती का अहसास हुआ, उसने मूवी चलने के लिए रागिनी की सहमति नही ली थी और न ही बाद में उसका मेसेज खोल कर देखा था, उसको अब अपने आप पर गुस्सा आने लगा |

उसने घडी की तरफ देखा उस समय 11 बजने में 15 मिनिट बाकी थे |

उसने रागिनी को फोन लगाया – रागिनी में 15 मिनिट में तुम्हारे पास पहुंच रहा हूँ तुम कही जाना मत, आई ऍम सॉरी मैंने तुम्हारा मेसेज नही पढ़ा और कल रात को 3 घंटे तक मल्टीप्लेक्स के बाहर तुम्हारा इंतजार करता रहा |

रागिनी ने हसंते हुए बोला – सो स्वीट ऑफ़ यू, जल्दी आओ पूरा दिन घूमना है, मैं बहुत एक्साइटेड हूँ, मेले में जाने के लिए |

अभी 5 मिनिट मैं आया – मयूर ने कहा

पिछले जनम में आर्मी में थे क्या, जो 5 मिनिट में तैयार हो कर आ जाओगो – रागिनी
तम्हारा दिल जितना, दुश्मन का किला जितने से कौन सा कम है – उसने हँसते हुए कहा

हाँ वो तो है, मंजिल इतनी आसान नही है, कामयाबी के चांसेस बहुत कम है – उसने हँसते हुए जवाब दिया और फ़ोन काट दिया |

मुश्किल से 10 मिनिट में मयूर अपनी चिर परिचित स्टाइल में रेडी था, मिस रागिनी से मिलने के लिए, रात का गुस्सा, खीज, और दर्द की जगह एक ख़ुशी और उत्साह उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था, मिसेस फ्रेडरिक मयूर की माँ ने देखा उनका लड़का मयूर अधीरता से कार में बैठा और कार गोली की तरह होटल के कंपाउंड से बाहर निकल गयी |

उसने अपना वादा निभाया और 15 मिनिट मैं उसकी कार बस स्टैंड के पास शॉप पर पहुची, रागिनी ने हाथ उठा कर इशारा किया, और कार की अगली सीट पर मयूर के पास आ कर बैठ गई, कार बस स्टैंड पार करके दून ले जाने वाली घुमावदार ढलान पर नागिन की तरह चलने लगी |

कार की खिड़की में से ठंडी हवा ने माहौल को नशीला बना दिया था, सड़क के एक और पहाड़ तो दूसरी और गहरी घाटी थी, पहाड़ो पर फूलो का जाल बिछा था, थोड़ी थोड़ी दुरी पर उतरती हुई पानी की धाराये झरने का रूप ले चुकी थी, और दूसरी और ढलान में बड़े बड़े चिड के पेड़, और घास के मैदान तो कही नदिया प्रकृति की सुन्दरता का अद्भुत नजर पेश कर रही थी |

मयूर ने रागिनी की आँखों में देखते हुए कहा – तो तुम सरेंडर करती हो की हम एक दूजे के लिए बने है या मुझे और जंग लडनी पड़ेगी |

माहौल का असर कहो, या सच्चा वाला प्यार रागिनी ने इस बार अपने दिमाग को बीच में नही आने दिया और मन से कहा – मैं अपने आपको और नही रोक सकती, मैं समपर्ण करती हूँ – उसके चेहरे पर संतोष के भाव और हलकी मुस्कान थी |

ये हुई न बात – मयूर ने ख़ुशी से अपना हाथ कार के स्टीयरिंग पे मारा |

घुमावदार रोड का हर टर्न बहुत खतरनाक था पर मयूर इन रास्तो का खिलाडी था, लखवर देहरादून के पास एक छोटा सा गाँव था जहाँ हर साल लखवर का मेला लगता था, खुबसूरत नजारों, कल कल करते झरनों और नदियों को पार करते करते वो लखवर पहुच गये |

पारम्परिक परिधान पहने महिला पुरुष, गीत संगीत और रंग बिरंगे झंडो से सजा ये त्यौहार रागिनी की जिन्दगी के यादगार लम्हों में से एक साबित हुआ, वहा मौजूद एक महिला ने जिद की और उन दोनों को भी गढ़वाली परिधान पहना दिए वो एक रंग बिरंगा पहनावा था, जिसमे वो पूरी तरह गढ़वाली ही लग रहे थे |

डांस, मस्ती, खाने पिने और म्यूजिक में दिन कब बीत गया पता ही नही चला |

रागिनी ने कहा - चलो मयूर झूले में झूलते है |

मयूर ने कहा – तुम कोई बच्ची हो क्या जो झूले में झुलोगी ? वो एक बड़ा गोल पहिये जैसा झुला था जो बहुत ऊंचाई तक जाता था और फिर लौट कर आ जाता था, पर रागिनी की जिद के आगे मयूर की एक न चली और वो झूले के दो टिगिट खरीद लाया |

वो टीगीट लेकर लाइन में लग गये, मेले में उस समय बहुत भीड़ थी, और उनके आगे भी कई लोग झूले की लाइन में लगकर अपने नंबर का इंतजार कर रहे थे, झूले ने अपना एक राउंड पूरा किया और फिर झूले वाला पुरानी सवारी को उतार कर नई सवारी को झूले में बिठा रहा था |
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