Thriller बारूद का ढेर
'पीटर...मेरे हाथ में एक रिमोट है।
'रिमोट ?' इसबार पीटर चौंका।'
'हां...रिमोट। रिमोट का एक बटन ऐसा है जिसको-दबाते ही तेरे बदन के नन्हे-नन्हे टुकड़े मलबे के साथ इस तरह बिखर जाएंगे कि तेरा वजूद ही खत्म हो जाएगा।'
'एक रिमोट से इतना कुछ ?'
' हां...इतना कुछ।'
'लेकिन...?'
'पीटर...तू बारूद के देर पर बैठा है।'
'ब...ब...बारूद का देर?'
'हां...बारूद का देर। देख...तेरी जुबान भी लड़खड़ाने लगी है।'
'ब...बारूद की ढेर किधर हे ?'
'तेरी कोठी के अंदर। वहां जहां तू राजा इन्द्र की तरह अप्सराओं की गोद में पड़ा है।
अफसोस.. अप्सराएं भी गेहूं के साथ पिस जाएंगी।'
'देख मजाक मत कर।'
'मजाक...अच्छा ले, तुझे नमूना दिखाता हूं। अभी मैं एक बटन दबाऊंगा। तेरी कोठी का बायीं ओर वाला हिस्सा गत्ते के डिब्बे की तरह उड़ जाएगा।'
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दूध-सी गोरी पूनम लम्बे कद की दिलकश , दि लफरेब , ग्लै मरस और बेहद सैक्सी नवयुवती थी। अट्ठारह साल की उम्र और टूटकर आया यौवन उससे संभाला नहीं जा रहा था।
स्लीव लैसब नियान और टाइट जींस। हाई हील की सैडिलें, खुले बा ल , हल्का मेकअप। टाइट जींस से लम्बी आकर्षकी टांगों का आकार स्पष्ट होता था। नितम्बों का सुडौल आकार दिखाई देता था और स्लीव लैसब नियान से मांसल बांहों की चमकी के अतिरिक्त उन्नत वक्षों का कम्पन। वक्ष काफी उन्नत थे। उन्हें बनियान के अतिरिक्त चोली जैसा कोई- भी बंधन हासिल नहीं था।
हाहाकारी रूप था उसका।
जो देखता था , वही उस चूरा उनमुक्त यौवन का दीवाना-सा हो जाता था।
लेकिन !
रंजीत लम्बा वो शख्स था। जिसे पूनम का हाहाकारी रूप भी पिघला नहीं सका था। फौलादी जिस्म के स्वामी रंजीत की ओर पूनम खुद खिंचकर पहुंची।
मानो कोई जादू था जिसने उसे रंजीत लाम्बा के फ्लैट में उसके बैडरूम तक पहुंचने को विवश कर दिया था।
रंजीत अभी शूज उतारकर उसकी ओर घूमा ही था कि उसने बनियान उतारकर एक ओर को उछाल दी।
कमर से ऊपर वह एकदम नग्न हो गई। उसके -तने हुए उन्नत उरोज स्पष्ट नजर आने लगे।
रंजीत ने देखा।
देखते ही उसे लगा जैसे उसके दिमाग में सैकड़ों आंधियों का शोर जुड़ गया हो। उसकी नजर संगमरमरी जिस्म के सुडौल आकार पर अटककर रह गई।
उन्नत वक्ष। पतली कमर। सपाट पेट और अन्दर को धंसी हुई नाभि।
रंजीत की शिशुओं में रेंगते खून में तूफानी तेजी आ गई। वह भी जवानी के खतरनाकी मोड़ से गुजर रहा था। उससे दूरी असहनीय हो गई।'
एक ही छलांग में वह बैड पर जा गिरा।'
पूनम उसके निचे दबकर रह गई।
बेहद सैक्सी थी वह।
उसने फुर्ती के साथ रंजीत की शर्ट के बटन खोलने का प्रयास किया। वह सिर्फ एक ही बटन खोल सकी। शेष बटन उसने खोलने के स्थान पर एक झटके के साथ तोड़ डाले।
अगले ही पल शर्ट रंजीत लाम्बा के पथरीले जिस्म से अलंग हो चुकी थी। '
प्रतिदिन जिम में चार घंटे की सख्त मेहनत-करने वाले रंजीत लाम्बा का फौलादी सीना और ठोसबों हों की उभरी हुई मसल्स बिकुल ही-मैन जैसी नजर आ रही थीं।
प्रशंसित दृष्टि से उसके मजबूत सीने को निहारती हुई पूनम ने अपना कोमल हाथ उसके कठोर सीने पर फेरा। उसके तन-बदन में आग लग गई। उसने एक झटके के साथ पूनम को अपनी बाहों में भींच लिया।'
कामुकी कराह उसके मुख से निकल गई। लता के समान लिपट गई वह रंजीत से।
रंजीत ने उसके तपते हुए अधरों को चूसना आरंभ कर दिया। उसका एक हाथ पूनम के विभिन्न अंगों से खेलने लगा।
पूनम के मुख से रह-रहकर कामुकी सिसकारियां उमरने लगी।