लेकिन ऐसा महज इस वजह से नहीं हुआ , कयोंकि मैंने निशाना गलत लिया था। क्योंकि अभी मैं तुम्हें सिर्फ यह समझाना चाह रहा था कि माफिया का सबसे बड़ा डॉन भी अगर गोली के रास्ते में आएगा तो गोली उसे भी उड़ा डा लेगी। गोली पर किसी तरह का कोई फर्की पड़ने वाला नहीं। खोपड़ी किसी की भी हो , गरीब आदमी की या अमीर आदमी- की, उसके
रास्ते में आएगी तो उड़ जाएगी।'
पटिर ने गले में फंसा थू की निगला।
'अब सिर्फ इतना बता दो कि मेरे सवालों का जवा ब देना जरूरी है या नहीं?'
उसने सहमी हुई नजर से लाम्बा की ओर देखा, फिर बोला- ' पूछो।'
'तुझसे मेरी दुश्मनी नहीं फिर तूने काने को मेरे नाम की सुपारी क्यों दी?'
'मुझे किसी ने तुम्हारी हत्या का कान , सौंपों था।'
' किसने-किसने जार्ज?'
वह हिचकिचाया।
'नाम बता, उसका...नाम बता? '
'जोजफ।'
'जोजफ !' लाम्बा के नेत्र आश्चर्य से फैल गए - ' वही जोजफ न जो माणिकी देशमुख के यहां उसकी बेटी के शैडो की हैसियत से काम करता है ? '
'वही।।
'आई सी...तो यह जोजफ का काम था। ' वह बड़बड़ाया।
पीटर खामोश रहा।
'काने !' लाम्बा ने दलपत का ने से संबोधित होते हुए कहा- इसे दूसरे कमरे में बांधकर डाल दे ताकि यह किसी प्रकार का शोर न मचा सके। '
'जो हुक्म मालिक।'
आनन-फानन में दलपत का ने ने आदेश के पालन में कार्यवाही कर डाली।
जार्ज को बांध कर दूसरे कमरे में बूंद करने के बाद वह रंजीत लाम्बा के साथ कोठी से बाहर निकल
आया!
ए की बार फिर उसे कार की ड्राइविंग सीट पर बैठना पड़ा।
सब कुछ प्लान के मुताबिकी हुआ। ' लाम्बा सिगरेट सुलगाता हुआ बोला।
लेकिन माई-बाप मेरी तो मुसीबत है।
' वह किसलिए?'
' इसलिए कि पीटर कभी न कभी तो कमरे के बाहर निकलेगा ही उसके बाहर आते ही मेरे लिए मुसीबत शुरू हो जाएगी।'
'कोई मुसीब त नहीं होगी।'
'क्यों?'
' क्योंकि यह सब तो मेरा किया-धरा है। अगर उसे कोई कार्यवाही करनी होगी तो वहमेरे खिलाफ करेगा।'
' मेरे खिलाफ नहीं करेगा , इस बात की भी तो कोई गारंटी नहीं है।'
'तू मर मत ...अगर तेरे खिलाफ ऐसा-वैसा कुछ हो तो तू मुझे फोन कर सकता है। यह ले मेरा फोन नम्बर। ' लाम्बा ने विजिटिंग कार्ड निकालकर दलपत काने की ओर बढ़ा दिया।
काने ने कार्ड इस तरह संभालकर रख लिया मानो वह उसकी सुरक्षा का गारंटी कार्ड हो।
__ 'किधर चलूं मालिकी ?' कुछ देर बाद मोड़ आने पर उसने पूछा।'
__'तू जहां जाना चाहता हो वहीं चल। मैं तुझे वहां तक तो छोड़ ही सकता हूं।'
'जो आज्ञा साई।'
| पर दलपत कानाकार से उतर गया।
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__ 'हैलो...कोठारी...! ' दूसरी ओर से कोठारी की आवाज सुनने के पश्चात् रंजीत लाम्बा माउथ पीस में बोला- ' मैं लाम्बा बोल रहा हूं।'
___ 'तुम कहां हो लाम्बा ? देशमुख साहब कबसे तुम्हारी तलाश करवा रहे हैं ?' दूसरी ओर से उभरने वाले कोठारी के उत्तेजित स्वर में शिकायत के स्पष्ट भाव थे।
'कब से?'
' बहुत देर हो गई।' ' और उसब हुत देर में मैं उन्हें नहीं मिला ?'
_' हां...तुम कहीं नहीं मिले। अभी कहां से फोन कर रहे हो?'
' टेलीफोन बूथ से।'
'कौन-से टेलीफोन बूथ से?'
' मेरा पता जानने के लिए बड़े उतावले हो रहे हो कोठारी।'
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___ 'नहीं...मैं पता जानने को उतावला नहीं हो रहा।'
'फिर?'
' मैं चाहता हूं तुम जल्द से जल्द देशमुख साह ब के सामने हाजिर हो जाओ। देशमुख साहब को तुमसे कोई बेहद जरूरी काम कराना है।'
'माणिकी देखमुख के जरूरी काम से मैं वाकिफ हूं।'
'अच्छा !'
'हां कोठारी...मैं सब-कुछ जान चुका हूं। तुम्हारे झूठे स्टेटमेन्ट भी अब मेरे सामने नंगे हो चुके
' मेरे झूठे स्टेटमेन्ट ?'
'हां-हां , अब तुम तक मुझसे जो झूठ कहते आए कि तुम मेरी और पूनम की कहानी की खबर देशमुख को नहीं करोगे।'
'हां...वो खबर तो मैंने अभी-भी छिपाकर रखी है।'
'झूठ बकते हो।'
'नहीं रंजीत... मैं सच कह रहा हूं।'
.
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.
___ 'झूठ है...झूठ! मैं हर रहस्य की तह तक प हुंच चुका हूं।'
'कैसा रहस्य ?'
'मुझ पर हो ने वाले जानलेवा हमलों का रहस्य ।'
'मुझे ... मुझे कुछ नहीं- मालूम। ' __'लेकिन मुझे सब कुछ मालूम है। मैं जा नता हूं, पेशेवर हत्यारे दलपत को मेरे पीछे अण्डरवर्ल्ड के बादशाह जार् ज पीटर ने लगाया और पीटर को मेरी हत्या की सुपारी देने वाला है जोजफ...जोजफ , पूनम'का शैडो !'
'ओह नो...जोजफ ने किया ये सब। मैं उसे कितना समझाया था कि वह देशमुख साहब को कुछ न बता ए। मेरे सामने मुंह बन्द रखने की बात कहकर , इसका मतलब उसने सब - कुछ देशमुख साहब के
सामने उगल दिया है।'
'कोठारी तुम कुछ भी कहो...मैं अब वहां की किसी भी बात पर यकीन करने वाला नहीं।'
__ 'शायद तुम ठीकी कह रहे हो , इसी वजह से जोजफ फिलने ही आद मियों की भीड़ लेकर तुम्हारी तलाश कर रहा था और पूनम की चीख-पुकार भी सुनाई दी थी।'
___ 'पूनम... क्या हुआपूनम को ? कोठारी मुझे बताओ पूनम को क्या हुआ ?' एकाएक ही लाम्बा उत्तेजित स्वर में चिल्लाया।
___ 'मुझे ठीकी तरह नहीं मालूम , मगर ऐसा लगता है कि उसे पीछे बाले दो कमरों में रखा गया है और शायद बाहर निकलने का दरवाजा लॉक्ड है। '
___ 'कोठारी !' लाम्बा दांत पीसता हुआ गुर्राया - मैं पूनम पर होने वाला जुल्म बर्दाश्त नहीं करूंगा।
कह देना अपने आका माणिकी देखमुख से-बारूद से खेलोगे तो जल जाओगे, फिर मैं तो बारूद का वो ढेर हूं जो माणिकी देशमुख को लाखों टुकड़ों में बदल डालने में पूरी तरह सक्षम है। '
रंजीत ... रिलैक्स रंजीत। देखो..सुनो...।'
'न मुझे देखना है , न सुनना है...समझ गए तुम। तुम माणि की देशमुख के लैफ्टीनेंट हो... उसे समझा सको तो समझा देना। मैं सब-कुछ बर्दाश्त कर लूंगा लेकिन पूनम पर किसी भी तरह का जुल्म बर्दाश्त नहीं कर सकूँगा।'
'पूनम को कुछ नहीं होगा रंजीत। तुम मेरे पास आजाओ, मैं सारी-उलझनों का हल निकाल
लूंगा।'
लाम्बा हंसा।
जहरीली हंसी।
बोला-को ठारी मुझे पुड़िया देने की कोशिश म त करो। बहलाया बच्चों को जाता है । जहां मेरे लिए जाल तैया र करके रखा गया है , तुम मुझे वहां पुचकार के बुलाना चाहते ही ताकि मै उस जाल में जाकर फंस जाऊं।'
' नहीं...यह बात नहीं।'
'अब मुझे तुम्हारी किसी बात पर यकीन नहीं।' माणिकी देशमुख से कह देना कि बगावत हो चुकी है। उसने जितने वार करने थे वो कर चुका , अब मेरी बारी है।'
'नहीं रंजीत!'
__ ' उसे कहना कि अगर बचा सकता है तो वह अपने-आपको बचा ले। मौत का काला साया उसे कभी-भी अपने शिकंजे में जकड़ सकी ता है।'
Thriller बारूद का ढेर
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Re: Thriller बारूद का ढेर
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: Thriller बारूद का ढेर
'ऐसा मत कहो रंजीत...मैं...मै देशमुख साहब से तुम्हारी बावत बात करूंगा। मुझे विश्वास है, वो मेरी पेशकश को ठुकराएंगे नहीं।'
'नहीं कोठारी... तीर कमान से निकल चुकी- है। वह वापस तरकश में नहीं लौट सकता।'
'रंजीत , जल दीबाजी में कोई कदम न उठाओ। मैं कह रहा हूं न , मैं सब संभाल लूंगा।'
'मुझे कुछ नहीं संभालना। मुझे तो सब-कुछ बिगाड़ना है। ' इतना कहकर लाम्बा ने रिसीवर हुकी में लटकाया और सावधानी के साथ टेलीफोन बूथ से बाहर आ गया।
सड़की वीरान पड़ी थी।
उसने सिगरेट सुलगा ई , दाएं-बाएं देखा तत्पश्चात् कार का दरवाजा खोलकर अन्दर बैठ
गया।
कार स्टार्ट होकर आगे बढ़ गई।'
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बड़ा-सा हाल था वह।
हॉल के बीचों-बीच एक बहुत बड़ा झूमर छत
से लटका हुआ था। फर्श पर बिछे मखमली कार पेट पर चलते हुए कोठारी के आधे जूते उस कारपेट में धंसे जा रहे थे।
दाहिनी दीवार पर एक बड़ी-सी सीनरी लगी
थी।
इतनी बड़ी सीनरी कि उसके पीछे समूची दीवार ढकी गई थी।'
उस दीवार के आगे एक वेशकीमती मेज थी जिसकी टाप शीशे की बनी हुई थी। पाए चंदन की काली लकड़ी के थे जिन पर अच्छी-खांसी नक्काशी की गई थी।
टेबल पर लाल रंग का कॉर्डलैस टेलीफोन रखा था । पेपरवेट से दबे हुए कुछ कागज थे, नोटो
की गड्डियां थीं और एक पिस्टल थी जो कि उस कीम ती देबल के ठीकी पीछे रखी रिवाल्विंग चेयर के निकट रखी थी।
रिबाल्विग चेयर पर बैठा व्यक्ति असानी से हाथ बढ़ाकर टेबल पर रखी पिस्तौल को उठा सकता
था।
रिवाल्विंग चेयर पर एक लहीम-शहीम पचपन साला व्यक्ति बैठा था।
उसके लाल चेहरे से उसकी सेहत झलकती दिखाई दे रही थी।
वह था...माणिकी देशमुख।
तेज कदमों से चलता हुआ कोठारी टेबल के इस ओर जा ठहरा।
माणिकी देशमुख ' ने उसकी ओर नजर उठाई।
'रंजीत लाम्बा मिला? 'कोठारी को देखते ही उसने सवाल किया।
' मिला। ' कोटारी ने अपलकी उसकी ओर देखते हुए- पूछा।
___ कहां है वह ?' जैसे उसे करंट लग गया हो, इस- पैकार एक झटकी के साथ उठ खड़ा हुआ वह और उसने फुर्ती के साथ पिस्तौल उठा ली!
उसका चेहरा तमतमा उठा।
'फोन पर अमी-अभी मेरी उससे बात हुई है
' कंहा से किया था उसने फोन ?'
'यह नहीं मालूम बॉ स।'
'मालूम कर कोठारी।' 'मालूम करने की जरूरत नहीं है।'
'क्यों ?' देशमुख के माथे पर बल पड़ गए।
__' इसलिए कि वह की हीं जाने वाला नहीं। मैं उसे कहीं से भी खोज जाऊंगा , लेकिन उसने आप पर जो इल्जाम ल गाया है , मैं उसके बारे में जानना चाहता हूं, क्या वह सही है ?
'कौन-सा इल्जाम ?'
' आपने किसी को रंजीत की हताया के लिए किराए पर हासिल किया था ?'
__ 'अण्डर वर्ल्ड की जानी-मानी हस्ती जार्ज पीटर को।'
'क्यो... वह तो अपना आदमी था फिर आपने ऐसा क्यों किया?'
' मैंने उसके साथ ऐसा क्यों किया , यह तू जानता है। कोठारी। मुझे अफसोस है कि मेरा लैफ्टीनेंट होते हुए भी तूने मुझे उसके बारे में नहीं बताया। यह नहीं बताया कि वहमेरी भोली-भाली बेटी
को बहकाने में कामयाब होता जा रहा है । अरे हरा मखोर!
इस बात की जानकारी होते ही सबसे पहले तूने उसकी लाश गिरा देनी थी। फिर तू मुझे उस गद्दार के बारे में बताता। लेकिन तूने वह काम नहीं किया। तू उसबात को दबाकर रंजीत का सपोर्ट कर रहा था
और दबाव जोजफ पर डाल रहा था कि वह पूनम की बात को आगे न बढ़ाए। क्यों?'
' उसकी एक वजह थी बॉ स। '
'कौन-सी वजह ?'
' रंजीत आपके काम का आदमी है। बड़े से बड़े काम को अकेले कर गुजरने की योग्यता है उसमें। इस मामले से बात बिगड़ जाती। मैं चाहता था कि पूनम और रंजीत के बीच का रिश्ता भी खत्म हो जाए और रंजीत हमारे साथ काम भी करता रहें, जिसे कि जोजफ ने शायद इस स्वार्थ के परवश आप पर जाहिर कर दिया ताकि रंजीत का पत्ता साफ हो जाए और आप उस पैर मेहरबान होकर उसे रंजीत लाम्बा का स्थान दे दें।'
'ऐसा हो भी सकी ता है कोठारी, तू देखना...तू देखना जोजफ रंजीत का काम तमाम करके उसकी जगह ले लेगा।'
'जोजफ रंजीत लम्बा की जगह कभी नहीं ले सकेगा बॉ स। मैं अपने हर मोहरे का वजन जानता
.
'कोठारी...मैं रंजीत की लाश देखना चाहता हं।।
'मैं चाहता हूं बॉस कि इस मामले में आप ठंड़े दिमा ग से काम लें।'
' कहना क्यो चाहता है तू ?' माणिकी देशमुख के तेवर एकाऐंकी ही बदल गए।
_ 'यह कि पूनम को यहां से हटाकर पूनम की बात को खत्म किया जा सकता है। रंजीत को दोबारा काम की रने के लिए मैं तैयार कर लूंगा।'
'नही चाहिए मुझे वह हरामखोर रंजीत.. .नहीं चाहिए! ' गुस्से से चिल्ला ता हुआ वह चे यर
छोड़ कर उठ खड़ा हुआ।
' उसके खिलाफ जंग का ऐलान भी आपको भारी पड़ सकता है।'
'जोजफ उसे तिनके की तरह उड़ा डालेगा।
_ 'गलतफहमी हैं आपको। जोजफ की स्थिति मैं आपको बता दूं...जोजफ तिनका है , रंजीत तूफान। तूफान के सामने एक तिनके का जो महत्व होता है वही महत्व जोजफ का रंजीत लाम्बा के सामने है। अब तक जोजफ अनजाने में उसके खिलाफ चालें चलता रहा। उसे कुछ मालूम नहीं था। लेकिन अब वहमामले की जड़ में पहुंच चुका है। वह जोजफ , दलपत काना और जार्ज पीटर सबकी कहानी से वाकिफ हो चुका है और उसने यह भी कह दिया है कि...बगावत हो चुकी है। '
बागियों का सिर कुचल ना मैं अच्छी तरह जानता हूं।'
' इसब गावत को दूसरे ढंग से रोका जा सकता है बॉस। अभी भी वक्त हैं।'
'तू मुझे रंजीत के सामने झुकने की राय दे रहा है कोठारी ? तू चाहता है अपने टुकड़ों पर पलने वाले अपने नौकर के सामने मैं गिड़गिड़ा ऊं? नहीं ... कोठारी ... नहीं मैं कट सकता हूं झुकी नहीं सकता।'
' बॉस ... आप समझते क्यों नहीं।'
'क्या मतलब है तेरा ...क्या तू रंजीत लाम्बा के नाम से इतना ज्यादा खौफजदा है कि तू इस जंग मै मेरा साथ देने को तैयार नहीं?'
' इस जंग को मैं रोकना चाहता हूं। आपका नमकख्वार हूं। आपसे अलग होकर कहां जाऊंगा।'
__'तो फिर तैयारी कर। मैं अपनी इज्जत से खिलवाड़ करने वाले शख्स का कटा हुआ सिर अपने कदमों में देखना चाहता हूं। 'देशमुख हिंसकी स्वर में गुर्राया।
'मैं, यह कहना चाहता था...। '
'कुछ नहीं कहना चाहता था तू.. .कुछ नहीं।
अभी कोठारी वापसी के लिए मुड़ा ही था कि दौड़ती हुई पगचापों के साथ नारी चीखें वहां तक सुनाई देने लगी।
विला के किसी दूर वाले हिस्से में वो सब हो रहा था।
माणि की देशमुख के माथे पर बल पड़ गए।
उसने फुर्ती से फोन उठाकर एक बटन पुश किया, फिर माउथपीस में बोला- ' क्या हुआ...क्या बात है?'
'नहीं कोठारी... तीर कमान से निकल चुकी- है। वह वापस तरकश में नहीं लौट सकता।'
'रंजीत , जल दीबाजी में कोई कदम न उठाओ। मैं कह रहा हूं न , मैं सब संभाल लूंगा।'
'मुझे कुछ नहीं संभालना। मुझे तो सब-कुछ बिगाड़ना है। ' इतना कहकर लाम्बा ने रिसीवर हुकी में लटकाया और सावधानी के साथ टेलीफोन बूथ से बाहर आ गया।
सड़की वीरान पड़ी थी।
उसने सिगरेट सुलगा ई , दाएं-बाएं देखा तत्पश्चात् कार का दरवाजा खोलकर अन्दर बैठ
गया।
कार स्टार्ट होकर आगे बढ़ गई।'
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बड़ा-सा हाल था वह।
हॉल के बीचों-बीच एक बहुत बड़ा झूमर छत
से लटका हुआ था। फर्श पर बिछे मखमली कार पेट पर चलते हुए कोठारी के आधे जूते उस कारपेट में धंसे जा रहे थे।
दाहिनी दीवार पर एक बड़ी-सी सीनरी लगी
थी।
इतनी बड़ी सीनरी कि उसके पीछे समूची दीवार ढकी गई थी।'
उस दीवार के आगे एक वेशकीमती मेज थी जिसकी टाप शीशे की बनी हुई थी। पाए चंदन की काली लकड़ी के थे जिन पर अच्छी-खांसी नक्काशी की गई थी।
टेबल पर लाल रंग का कॉर्डलैस टेलीफोन रखा था । पेपरवेट से दबे हुए कुछ कागज थे, नोटो
की गड्डियां थीं और एक पिस्टल थी जो कि उस कीम ती देबल के ठीकी पीछे रखी रिवाल्विंग चेयर के निकट रखी थी।
रिबाल्विग चेयर पर बैठा व्यक्ति असानी से हाथ बढ़ाकर टेबल पर रखी पिस्तौल को उठा सकता
था।
रिवाल्विंग चेयर पर एक लहीम-शहीम पचपन साला व्यक्ति बैठा था।
उसके लाल चेहरे से उसकी सेहत झलकती दिखाई दे रही थी।
वह था...माणिकी देशमुख।
तेज कदमों से चलता हुआ कोठारी टेबल के इस ओर जा ठहरा।
माणिकी देशमुख ' ने उसकी ओर नजर उठाई।
'रंजीत लाम्बा मिला? 'कोठारी को देखते ही उसने सवाल किया।
' मिला। ' कोटारी ने अपलकी उसकी ओर देखते हुए- पूछा।
___ कहां है वह ?' जैसे उसे करंट लग गया हो, इस- पैकार एक झटकी के साथ उठ खड़ा हुआ वह और उसने फुर्ती के साथ पिस्तौल उठा ली!
उसका चेहरा तमतमा उठा।
'फोन पर अमी-अभी मेरी उससे बात हुई है
' कंहा से किया था उसने फोन ?'
'यह नहीं मालूम बॉ स।'
'मालूम कर कोठारी।' 'मालूम करने की जरूरत नहीं है।'
'क्यों ?' देशमुख के माथे पर बल पड़ गए।
__' इसलिए कि वह की हीं जाने वाला नहीं। मैं उसे कहीं से भी खोज जाऊंगा , लेकिन उसने आप पर जो इल्जाम ल गाया है , मैं उसके बारे में जानना चाहता हूं, क्या वह सही है ?
'कौन-सा इल्जाम ?'
' आपने किसी को रंजीत की हताया के लिए किराए पर हासिल किया था ?'
__ 'अण्डर वर्ल्ड की जानी-मानी हस्ती जार्ज पीटर को।'
'क्यो... वह तो अपना आदमी था फिर आपने ऐसा क्यों किया?'
' मैंने उसके साथ ऐसा क्यों किया , यह तू जानता है। कोठारी। मुझे अफसोस है कि मेरा लैफ्टीनेंट होते हुए भी तूने मुझे उसके बारे में नहीं बताया। यह नहीं बताया कि वहमेरी भोली-भाली बेटी
को बहकाने में कामयाब होता जा रहा है । अरे हरा मखोर!
इस बात की जानकारी होते ही सबसे पहले तूने उसकी लाश गिरा देनी थी। फिर तू मुझे उस गद्दार के बारे में बताता। लेकिन तूने वह काम नहीं किया। तू उसबात को दबाकर रंजीत का सपोर्ट कर रहा था
और दबाव जोजफ पर डाल रहा था कि वह पूनम की बात को आगे न बढ़ाए। क्यों?'
' उसकी एक वजह थी बॉ स। '
'कौन-सी वजह ?'
' रंजीत आपके काम का आदमी है। बड़े से बड़े काम को अकेले कर गुजरने की योग्यता है उसमें। इस मामले से बात बिगड़ जाती। मैं चाहता था कि पूनम और रंजीत के बीच का रिश्ता भी खत्म हो जाए और रंजीत हमारे साथ काम भी करता रहें, जिसे कि जोजफ ने शायद इस स्वार्थ के परवश आप पर जाहिर कर दिया ताकि रंजीत का पत्ता साफ हो जाए और आप उस पैर मेहरबान होकर उसे रंजीत लाम्बा का स्थान दे दें।'
'ऐसा हो भी सकी ता है कोठारी, तू देखना...तू देखना जोजफ रंजीत का काम तमाम करके उसकी जगह ले लेगा।'
'जोजफ रंजीत लम्बा की जगह कभी नहीं ले सकेगा बॉ स। मैं अपने हर मोहरे का वजन जानता
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'कोठारी...मैं रंजीत की लाश देखना चाहता हं।।
'मैं चाहता हूं बॉस कि इस मामले में आप ठंड़े दिमा ग से काम लें।'
' कहना क्यो चाहता है तू ?' माणिकी देशमुख के तेवर एकाऐंकी ही बदल गए।
_ 'यह कि पूनम को यहां से हटाकर पूनम की बात को खत्म किया जा सकता है। रंजीत को दोबारा काम की रने के लिए मैं तैयार कर लूंगा।'
'नही चाहिए मुझे वह हरामखोर रंजीत.. .नहीं चाहिए! ' गुस्से से चिल्ला ता हुआ वह चे यर
छोड़ कर उठ खड़ा हुआ।
' उसके खिलाफ जंग का ऐलान भी आपको भारी पड़ सकता है।'
'जोजफ उसे तिनके की तरह उड़ा डालेगा।
_ 'गलतफहमी हैं आपको। जोजफ की स्थिति मैं आपको बता दूं...जोजफ तिनका है , रंजीत तूफान। तूफान के सामने एक तिनके का जो महत्व होता है वही महत्व जोजफ का रंजीत लाम्बा के सामने है। अब तक जोजफ अनजाने में उसके खिलाफ चालें चलता रहा। उसे कुछ मालूम नहीं था। लेकिन अब वहमामले की जड़ में पहुंच चुका है। वह जोजफ , दलपत काना और जार्ज पीटर सबकी कहानी से वाकिफ हो चुका है और उसने यह भी कह दिया है कि...बगावत हो चुकी है। '
बागियों का सिर कुचल ना मैं अच्छी तरह जानता हूं।'
' इसब गावत को दूसरे ढंग से रोका जा सकता है बॉस। अभी भी वक्त हैं।'
'तू मुझे रंजीत के सामने झुकने की राय दे रहा है कोठारी ? तू चाहता है अपने टुकड़ों पर पलने वाले अपने नौकर के सामने मैं गिड़गिड़ा ऊं? नहीं ... कोठारी ... नहीं मैं कट सकता हूं झुकी नहीं सकता।'
' बॉस ... आप समझते क्यों नहीं।'
'क्या मतलब है तेरा ...क्या तू रंजीत लाम्बा के नाम से इतना ज्यादा खौफजदा है कि तू इस जंग मै मेरा साथ देने को तैयार नहीं?'
' इस जंग को मैं रोकना चाहता हूं। आपका नमकख्वार हूं। आपसे अलग होकर कहां जाऊंगा।'
__'तो फिर तैयारी कर। मैं अपनी इज्जत से खिलवाड़ करने वाले शख्स का कटा हुआ सिर अपने कदमों में देखना चाहता हूं। 'देशमुख हिंसकी स्वर में गुर्राया।
'मैं, यह कहना चाहता था...। '
'कुछ नहीं कहना चाहता था तू.. .कुछ नहीं।
अभी कोठारी वापसी के लिए मुड़ा ही था कि दौड़ती हुई पगचापों के साथ नारी चीखें वहां तक सुनाई देने लगी।
विला के किसी दूर वाले हिस्से में वो सब हो रहा था।
माणि की देशमुख के माथे पर बल पड़ गए।
उसने फुर्ती से फोन उठाकर एक बटन पुश किया, फिर माउथपीस में बोला- ' क्या हुआ...क्या बात है?'
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: Thriller बारूद का ढेर
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Re: Thriller बारूद का ढेर
'पूनम भागने की कोशिश कर रही थी डैड! 'दूसरी ओर से उसके बेटे विनायकी देशमुख का झुल्लाहट भरा स्वर उभरा- ' मैंने पकड़ लिया उसे। '
' कौन-सेर कमरे में हो ?' 'लॉन के सामने वाले कमरे में।'
' मैं आ ' रहा हूं।'
कहने के सा थ ही माणिकी देशमुख ने फोन टेबल पर रखा और तेज कदमों से बाहर की ओर चल
पड़ा। कोठारी उसके पीछे लपका।
आगे-पीछे चलते हुए दोनों उस कमरे में पहुंचे जिसमें पूनम और विनायकी थे। विनायकी ने उसके सिर के बाल मुट्ठी में जकड़ रखे थे और वह दाहिने हाथ से पूनम को बेरहमी से पीट रहा था
पूनम चीख-चिल्लाकर उस का विरोध कर रही थी। छोड़ दे इसे! ' माणिकी देशमुख ने विनायकां
को आदेश दिया।
विना यकी ने आदेश के पालन में पूनम को छोड़ दिया।
पूनम सिसकने लगी।
'क्यों भाग रही थी ?' माणिकी देशमुख ने उसके ठीक सामने पहुंचते हुए पूछा।
वह कुछ न बोली।
जवाब दे ! ' एक जन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ा।
उसका चेहरा दूसरी तरफ को उलट गया। गाल पर उंगलियों की छाप उभर आई।
पीडा से तड़प उठी वह।
अधरों के किनारे से रक्त की पतली-सी लकीर बनकर ठोढ़ी की ओर उतरती चली गई। सिसकियों के साथ रोने लगी वह।
माणिकी देशमुख ने हिकारत भरी दृष्टि से उसे
देखा।
'विनायकी !'
'यसुर डैड ? '
' इसे ऊपरले कमरे में बंद कर दे और वहां दो आदमियों का पहरा बिठा दे। '
'यस डैड।'
'ले जा इसे मेरी आंखों के सामने से। मैं इसबगैरत की सूरत भी देखना नहीं चाहता।'
'चल! ' विनायकी देशमुख पूनम को घसीटता हुआ वहां से ले गया।
कुछ पल वहां कर्त्तव्यविमूढ़ स्थिति में खड़े रहने के उपरान्त मणिकी देशमुख वापस उसी हॉल में लौट आया।
कोठारी उसके पीछे-पीछे वहां पहुंचा।
'बेबी पर जुल्म करने से क्या फायदा।' उसने अत्यंत धीमे स्वर में कहा।
'तू क्या समझता है , मैं अपनी इजत यूं ही लुट जाने दूंगा।'
' ले किन अभी तो लाम्बा ने ऐसा-वैसा कुछ किया नहीं।'
'उसके लिए तो मौत की सजा निश्चित है। अब वह ऐसा-वैसा कुछ कर भी नहीं सकेगा।'
बॉ स!'
'तू बातों में वक्त बर्बाद मत कर। मैं जल्द से जल्द उस हरामजादे रंजित लाम्बा का पता मालूम कर लेना चाहता हूं।'
'उसकी पता अब आसानी से मालूम नहीं हो सकेगा।'
' आसानी से नहीं तो मुश्किल से सही। पता मालूम कर।'
'यसब ॉस।'
'जा...दफा हो जा यहां से। मेरे पास रुककर वक्त बर्बाद मत कर।' कहने के साथ ही देशमुख लिकर कैबिनेट की ओर बढ़ गया। उसने अपने लिए पहले आधा गिलास भरा । उसके बाद पूरा गिलास भरकर एक ही सांस में पीता चला गया।
कोठारी समझ गया की अब उसके रोके वह जंग रुकने वाली नहीं।
वह बाहर निकला।
कॉरीडोर में विपरीत दिशा से आते जोजफ से उसका सामना हो गया।
जोजफ उसे देखकर चौंका।
उसने कोठारी से नजरें चुराते हुए निकलने की कोशिश की , परन्तु कोठारी ने उसका मार्ग अवरुद्ध कर दिया।
'जोजेफ...!'
.
.
.
.
__' मेरे पास टाइम कम है। मैंने फौरन बॉ स से मिलना है।' इतना कहकर जोजफ रास्ता काटता हुआ
उसके बराबर से निकला चला गया।
00
पचास के पेटे में पहुंचा मोटी आकृति वाला भूपत माणिकी देशमुख का बहुत पुराना रसोईया था ।
भूपत को अफीम की आदत थी! रसोई की तमाम खरीददारी के अधिकार उसी के पास थे और वह आए दिन की खरीददारी में से बचत करके अफीम के लिए पैसों का जुगाड़ बिठा लिया करता था। लेकिन पिछले कुछ महीनों से वह अफीम के चक्कर से निकलकर ड्रग्ज लेने लगा था।
उसी एक डोम पैडलर से वाकफियत हो गई थी।
इस तरह अब उसे अपने नशे के लिए पहले से ज्यादा बड़ी रकम दरकार थी।
नतीजतन रसोई के सामान में उसने बड़े घपले करने शुरू कर दिए थे।
आज वह तमाम झिक झिक करने के बाद भी मैनेजर से अतिरिक्त रकम हासिल न कर सका। झुंझलाई हुई स्थिति में बड़बड़ाता हुआ वह बाहर निकला। स्कूटर रिक्शा के पैसे मिले थे मगर वह पैदेल
ही बाजार की तरफ चल पड़ा।
' कौन-सेर कमरे में हो ?' 'लॉन के सामने वाले कमरे में।'
' मैं आ ' रहा हूं।'
कहने के सा थ ही माणिकी देशमुख ने फोन टेबल पर रखा और तेज कदमों से बाहर की ओर चल
पड़ा। कोठारी उसके पीछे लपका।
आगे-पीछे चलते हुए दोनों उस कमरे में पहुंचे जिसमें पूनम और विनायकी थे। विनायकी ने उसके सिर के बाल मुट्ठी में जकड़ रखे थे और वह दाहिने हाथ से पूनम को बेरहमी से पीट रहा था
पूनम चीख-चिल्लाकर उस का विरोध कर रही थी। छोड़ दे इसे! ' माणिकी देशमुख ने विनायकां
को आदेश दिया।
विना यकी ने आदेश के पालन में पूनम को छोड़ दिया।
पूनम सिसकने लगी।
'क्यों भाग रही थी ?' माणिकी देशमुख ने उसके ठीक सामने पहुंचते हुए पूछा।
वह कुछ न बोली।
जवाब दे ! ' एक जन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ा।
उसका चेहरा दूसरी तरफ को उलट गया। गाल पर उंगलियों की छाप उभर आई।
पीडा से तड़प उठी वह।
अधरों के किनारे से रक्त की पतली-सी लकीर बनकर ठोढ़ी की ओर उतरती चली गई। सिसकियों के साथ रोने लगी वह।
माणिकी देशमुख ने हिकारत भरी दृष्टि से उसे
देखा।
'विनायकी !'
'यसुर डैड ? '
' इसे ऊपरले कमरे में बंद कर दे और वहां दो आदमियों का पहरा बिठा दे। '
'यस डैड।'
'ले जा इसे मेरी आंखों के सामने से। मैं इसबगैरत की सूरत भी देखना नहीं चाहता।'
'चल! ' विनायकी देशमुख पूनम को घसीटता हुआ वहां से ले गया।
कुछ पल वहां कर्त्तव्यविमूढ़ स्थिति में खड़े रहने के उपरान्त मणिकी देशमुख वापस उसी हॉल में लौट आया।
कोठारी उसके पीछे-पीछे वहां पहुंचा।
'बेबी पर जुल्म करने से क्या फायदा।' उसने अत्यंत धीमे स्वर में कहा।
'तू क्या समझता है , मैं अपनी इजत यूं ही लुट जाने दूंगा।'
' ले किन अभी तो लाम्बा ने ऐसा-वैसा कुछ किया नहीं।'
'उसके लिए तो मौत की सजा निश्चित है। अब वह ऐसा-वैसा कुछ कर भी नहीं सकेगा।'
बॉ स!'
'तू बातों में वक्त बर्बाद मत कर। मैं जल्द से जल्द उस हरामजादे रंजित लाम्बा का पता मालूम कर लेना चाहता हूं।'
'उसकी पता अब आसानी से मालूम नहीं हो सकेगा।'
' आसानी से नहीं तो मुश्किल से सही। पता मालूम कर।'
'यसब ॉस।'
'जा...दफा हो जा यहां से। मेरे पास रुककर वक्त बर्बाद मत कर।' कहने के साथ ही देशमुख लिकर कैबिनेट की ओर बढ़ गया। उसने अपने लिए पहले आधा गिलास भरा । उसके बाद पूरा गिलास भरकर एक ही सांस में पीता चला गया।
कोठारी समझ गया की अब उसके रोके वह जंग रुकने वाली नहीं।
वह बाहर निकला।
कॉरीडोर में विपरीत दिशा से आते जोजफ से उसका सामना हो गया।
जोजफ उसे देखकर चौंका।
उसने कोठारी से नजरें चुराते हुए निकलने की कोशिश की , परन्तु कोठारी ने उसका मार्ग अवरुद्ध कर दिया।
'जोजेफ...!'
.
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__' मेरे पास टाइम कम है। मैंने फौरन बॉ स से मिलना है।' इतना कहकर जोजफ रास्ता काटता हुआ
उसके बराबर से निकला चला गया।
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पचास के पेटे में पहुंचा मोटी आकृति वाला भूपत माणिकी देशमुख का बहुत पुराना रसोईया था ।
भूपत को अफीम की आदत थी! रसोई की तमाम खरीददारी के अधिकार उसी के पास थे और वह आए दिन की खरीददारी में से बचत करके अफीम के लिए पैसों का जुगाड़ बिठा लिया करता था। लेकिन पिछले कुछ महीनों से वह अफीम के चक्कर से निकलकर ड्रग्ज लेने लगा था।
उसी एक डोम पैडलर से वाकफियत हो गई थी।
इस तरह अब उसे अपने नशे के लिए पहले से ज्यादा बड़ी रकम दरकार थी।
नतीजतन रसोई के सामान में उसने बड़े घपले करने शुरू कर दिए थे।
आज वह तमाम झिक झिक करने के बाद भी मैनेजर से अतिरिक्त रकम हासिल न कर सका। झुंझलाई हुई स्थिति में बड़बड़ाता हुआ वह बाहर निकला। स्कूटर रिक्शा के पैसे मिले थे मगर वह पैदेल
ही बाजार की तरफ चल पड़ा।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: Thriller बारूद का ढेर
उसने अपने नशे के लिए एक-एक पैसा जो बचाना था।
सामान की खरीददारी में भी वह इत ने पैसे नहीं बचा सका जिससे कि वह डोम पैड लर को भुगतान करके अपने लिए नशे की एक भी पुड़िया खरीद पाता।
डोम पैडलर उसे मिला भी मग र वह सिर्फ उससे दोबारा मिलने की बात ही कर सका। उसे नहीं मालूम शा कि कोई उसके पीछे साए की तरह लगा हुआ है और उसकी एक-एक हरकत नोट कर रहा है। उसकी हर छोटी-बड़ी बात पर ध्यान दे रहा है।
नशा किए उसे लम्बा समय हो गया था और अब वक्त पर डोज न मिल पाने की वजह से उसे अपनी आंखों मे पानी बढ़ता महसूस होने लगा था। टांगों में हल्की-सी कम्फोर्ट और जिस्म में दर्द पैदा होने लगा था।
जो उसका पीछा कर रहा था, उसने तुरन्त ही उस समय जबकि भूपत पैडलर को छोड़कर आगे बड़ा , पाउडर को रोककर संक्षिप्त वार्ता की और दस पुड़ियों का पैकेट खरीदकर जेब में डाल लिया।
भूपत खरीददारी के बाद विला में पहुंचा।
उसका पीछा करने वाला साया छह रह गया।
भूपत ने मुस्किल तमाम रसोई का काम किया। एक औरत उसकी सहायकी के रूप में काम करती थी। वह उसे ही ज्यादातर काम में लगाए रहा।
जैसे-जैसे वक्त गुजरता जा रहा था, उसकी हालत खराब होती जा रही थी। आंखों से पानी बहता तो वह उसे जल्दी से पोंछ डालता।
इसी बीच कॉफी का ऑर्डर आ गया ।
माणिक-देश मुख के मीटिंग चैम्बर में आठ कॉ फी तुरन्त पहुंचनी थीं।
उसने जल्दी-जल्दी कॉफी बनाकर मीटिंग चै म्बर में पहुंचा दी।
फिर वह लौटा ही था कि एक नौकर ने उसे आकर बताया कि उसके भतीजे का फोन है।
वह चकित हो उठा।
___ भतीजा। ' असमंजस भरे स्वर में बड़बड़ाते उसने अपने-आपसे कहा- 'लेकिन मेरा तो कोई भाई
ही नहीं, फिर भतीजा...?'
.
.
.
असमंजस भरी स्थिति में चलता हुआ वह टेलीफोन तक पहुंचा।
'कौन है ?' कंपकंपाते हाथ से रिसीवर कान से लगाते उसने माउथपीस में बोला।
'आपका भतीजा हूं चचा। ' दूसरी ओर से सामान्य स्वर उभरा।
'कौन-से भतीजे भाई ?'
'वहीं भतीजा...पुड़िया बाला। आपकी जरूरत की पुड़िया , जो आप उस पैडलर से हर रोज लिया करते हैं, इस वक्त मेरे सामने रखी है। '
उसने अपने सूखे हुए होंठों पर जीभ फिराई।
'अगर कोई जरूरी काम न करे रहे हों तो बाहर आकर वह पुड़िया ले जाएं। उसकी आपको कीमत अंदा नहीं करनी पड़ेगी।
'क्यों ?'
'क्योंकि आप चचा हैं और आपके भतीजे के पास आपकी जरूरत का सामान पड़ा सडा रहा
है।'
.
'तुम हो कौन ?' एकाएक की भूपत शंकित सर में बोला।
'बाहर आओगे तो अपने-आप जान जा ओगे कि मैं कौन हूं।'
'नहीं.. .यहीं बताओ?'
' लगता है आपको पुड़िया चाहिए नहीं है।' वह सोच में पड़ा रहा।'
'ठीकी है ... अब मैं उसे फेकूगा तो नहीं लेकिन हां .... किसी दूसरे ज रूरतमंद की तलाश जरूर करूंगा।'
उसके होंठों पर ताला पड़ा रहा। चचा. ..मैं फोन रखने जा रहा हूं। अलविदा।'
सुनो! ' बोलते हुए भूपत ने जोर से थूकी निगली।
'हां चचा।'
'थोड़ी देर रुको.. .मैं...मैं आता हूं।'
'ठीकी है।'
'तुम मिलोगे कहां हैं ?'
'आप बाहर निकलें तो सही , मैं आपको किसी भी वाजिब जगह पर मिल जाऊंगा !'
' मैं आ रहा लूं।' इतना कहकर भूपत ने रिसीवर क्रेडिल पर रख दिया। फिर वह किचन में
पहुंचा। उसने अपनी असिस्टेंट को आवश्यकी निर्देश दिए और फिर वहमक्खन लेने के बहाने से बाहर निकला।
दरबान ने उसे टोका भी तो उस ने मालिकी पर आरोप लगाते हुए कहा- ' क्या करू भैया, छोटी-छोटी चीजें भी मुझे ही लेने जाना होता है। अब मक्खन खत्म हो गया। अभी कोई दूसरी चीज खत्म हो जाएगी और मै तुम्हें फिर से दौड़ता हुआ नजर आने लगूंगा।'
दरबान तम्बाकू घिसता हुआ मुंह फाड़कर हंसा।
वह बाहर आकर इधर-उधर देखने के बाद दायीं ओर को चल पड़ा।
सड़की सूनी पड़ी थी-। दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था।
वह चलता रहा...लता रहा।
अचानका
पीछे से आने वाली एक कार के ब्रेकी ठीकी उसके बराबर में आकर चरमराए।
उसने चौंककर कार की ओर देखा। कार से एक हाथ बाहर निकला और उसने उसे कार के
अन्दर बैठ जाने का संकेत किया।
वह पहले झिझका , फिर उसने कार का दरवाजा खोला और अन्दर बैठ गया।
रंजीत लाम्बा कार की ड्राइविंग सीट पर नजर आया उसे।
वह लाम्बा को पहचानता था। आखिर विला में रहने वाले हर शख्स को नाश्ता , खाना, चाय-कॉफी वही तो बनाकर पेश करता था।
'तु म ! ' उसने चिंतित स्वर में कहा।
'हां चचा...मैं ...। तुम्हारा भतीजा। ' लाम्बा मुस्कराता हुआ बोला।
'लेकिन...।'
.
'स वाल बाद में पहले ये लो। ' उसने दो पुड़ियाँ भूपत की गोद में डाल दी।
पुड़ियाँ देख भूपत की आंखों की चमकी बढ़ गई। उसने कांपते हाथों से दोनों पुड़िया संभाल लीं।
___ ' बाबूजी, आपने मुझे आउट हाउस में ही बुला लिया होता। ' वह कृतिया स्वर में बोला।
___ 'नहीं चचा...अब वहां मेरा जाना नहीं हो सकता।'
'क्यों?'
'सब बताउंगा । पहले आप यह बताएं कि पूनम किस हाल में है ?'
पूनम बिटिया की तो दुर्गत हो गई बाबूजी। '
'क्या हुआपूनम को ?' एकाएक ही लम्बा का स्वर कठोर हो गया। दांत भिंच जाने के कारण उसके जबड़ों के मसल्स उभर आए।
'पूनम बिटिया की पिटाई लगी और उसे अलग कमरे में बंद कर दिया गया है । दो आदमी हमेशा पहरे पर रहते हैं। मैं उसी पहरे के दौरान खाना देने जाता हूं।'
सामान की खरीददारी में भी वह इत ने पैसे नहीं बचा सका जिससे कि वह डोम पैड लर को भुगतान करके अपने लिए नशे की एक भी पुड़िया खरीद पाता।
डोम पैडलर उसे मिला भी मग र वह सिर्फ उससे दोबारा मिलने की बात ही कर सका। उसे नहीं मालूम शा कि कोई उसके पीछे साए की तरह लगा हुआ है और उसकी एक-एक हरकत नोट कर रहा है। उसकी हर छोटी-बड़ी बात पर ध्यान दे रहा है।
नशा किए उसे लम्बा समय हो गया था और अब वक्त पर डोज न मिल पाने की वजह से उसे अपनी आंखों मे पानी बढ़ता महसूस होने लगा था। टांगों में हल्की-सी कम्फोर्ट और जिस्म में दर्द पैदा होने लगा था।
जो उसका पीछा कर रहा था, उसने तुरन्त ही उस समय जबकि भूपत पैडलर को छोड़कर आगे बड़ा , पाउडर को रोककर संक्षिप्त वार्ता की और दस पुड़ियों का पैकेट खरीदकर जेब में डाल लिया।
भूपत खरीददारी के बाद विला में पहुंचा।
उसका पीछा करने वाला साया छह रह गया।
भूपत ने मुस्किल तमाम रसोई का काम किया। एक औरत उसकी सहायकी के रूप में काम करती थी। वह उसे ही ज्यादातर काम में लगाए रहा।
जैसे-जैसे वक्त गुजरता जा रहा था, उसकी हालत खराब होती जा रही थी। आंखों से पानी बहता तो वह उसे जल्दी से पोंछ डालता।
इसी बीच कॉफी का ऑर्डर आ गया ।
माणिक-देश मुख के मीटिंग चैम्बर में आठ कॉ फी तुरन्त पहुंचनी थीं।
उसने जल्दी-जल्दी कॉफी बनाकर मीटिंग चै म्बर में पहुंचा दी।
फिर वह लौटा ही था कि एक नौकर ने उसे आकर बताया कि उसके भतीजे का फोन है।
वह चकित हो उठा।
___ भतीजा। ' असमंजस भरे स्वर में बड़बड़ाते उसने अपने-आपसे कहा- 'लेकिन मेरा तो कोई भाई
ही नहीं, फिर भतीजा...?'
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असमंजस भरी स्थिति में चलता हुआ वह टेलीफोन तक पहुंचा।
'कौन है ?' कंपकंपाते हाथ से रिसीवर कान से लगाते उसने माउथपीस में बोला।
'आपका भतीजा हूं चचा। ' दूसरी ओर से सामान्य स्वर उभरा।
'कौन-से भतीजे भाई ?'
'वहीं भतीजा...पुड़िया बाला। आपकी जरूरत की पुड़िया , जो आप उस पैडलर से हर रोज लिया करते हैं, इस वक्त मेरे सामने रखी है। '
उसने अपने सूखे हुए होंठों पर जीभ फिराई।
'अगर कोई जरूरी काम न करे रहे हों तो बाहर आकर वह पुड़िया ले जाएं। उसकी आपको कीमत अंदा नहीं करनी पड़ेगी।
'क्यों ?'
'क्योंकि आप चचा हैं और आपके भतीजे के पास आपकी जरूरत का सामान पड़ा सडा रहा
है।'
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'तुम हो कौन ?' एकाएक की भूपत शंकित सर में बोला।
'बाहर आओगे तो अपने-आप जान जा ओगे कि मैं कौन हूं।'
'नहीं.. .यहीं बताओ?'
' लगता है आपको पुड़िया चाहिए नहीं है।' वह सोच में पड़ा रहा।'
'ठीकी है ... अब मैं उसे फेकूगा तो नहीं लेकिन हां .... किसी दूसरे ज रूरतमंद की तलाश जरूर करूंगा।'
उसके होंठों पर ताला पड़ा रहा। चचा. ..मैं फोन रखने जा रहा हूं। अलविदा।'
सुनो! ' बोलते हुए भूपत ने जोर से थूकी निगली।
'हां चचा।'
'थोड़ी देर रुको.. .मैं...मैं आता हूं।'
'ठीकी है।'
'तुम मिलोगे कहां हैं ?'
'आप बाहर निकलें तो सही , मैं आपको किसी भी वाजिब जगह पर मिल जाऊंगा !'
' मैं आ रहा लूं।' इतना कहकर भूपत ने रिसीवर क्रेडिल पर रख दिया। फिर वह किचन में
पहुंचा। उसने अपनी असिस्टेंट को आवश्यकी निर्देश दिए और फिर वहमक्खन लेने के बहाने से बाहर निकला।
दरबान ने उसे टोका भी तो उस ने मालिकी पर आरोप लगाते हुए कहा- ' क्या करू भैया, छोटी-छोटी चीजें भी मुझे ही लेने जाना होता है। अब मक्खन खत्म हो गया। अभी कोई दूसरी चीज खत्म हो जाएगी और मै तुम्हें फिर से दौड़ता हुआ नजर आने लगूंगा।'
दरबान तम्बाकू घिसता हुआ मुंह फाड़कर हंसा।
वह बाहर आकर इधर-उधर देखने के बाद दायीं ओर को चल पड़ा।
सड़की सूनी पड़ी थी-। दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था।
वह चलता रहा...लता रहा।
अचानका
पीछे से आने वाली एक कार के ब्रेकी ठीकी उसके बराबर में आकर चरमराए।
उसने चौंककर कार की ओर देखा। कार से एक हाथ बाहर निकला और उसने उसे कार के
अन्दर बैठ जाने का संकेत किया।
वह पहले झिझका , फिर उसने कार का दरवाजा खोला और अन्दर बैठ गया।
रंजीत लाम्बा कार की ड्राइविंग सीट पर नजर आया उसे।
वह लाम्बा को पहचानता था। आखिर विला में रहने वाले हर शख्स को नाश्ता , खाना, चाय-कॉफी वही तो बनाकर पेश करता था।
'तु म ! ' उसने चिंतित स्वर में कहा।
'हां चचा...मैं ...। तुम्हारा भतीजा। ' लाम्बा मुस्कराता हुआ बोला।
'लेकिन...।'
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'स वाल बाद में पहले ये लो। ' उसने दो पुड़ियाँ भूपत की गोद में डाल दी।
पुड़ियाँ देख भूपत की आंखों की चमकी बढ़ गई। उसने कांपते हाथों से दोनों पुड़िया संभाल लीं।
___ ' बाबूजी, आपने मुझे आउट हाउस में ही बुला लिया होता। ' वह कृतिया स्वर में बोला।
___ 'नहीं चचा...अब वहां मेरा जाना नहीं हो सकता।'
'क्यों?'
'सब बताउंगा । पहले आप यह बताएं कि पूनम किस हाल में है ?'
पूनम बिटिया की तो दुर्गत हो गई बाबूजी। '
'क्या हुआपूनम को ?' एकाएक ही लम्बा का स्वर कठोर हो गया। दांत भिंच जाने के कारण उसके जबड़ों के मसल्स उभर आए।
'पूनम बिटिया की पिटाई लगी और उसे अलग कमरे में बंद कर दिया गया है । दो आदमी हमेशा पहरे पर रहते हैं। मैं उसी पहरे के दौरान खाना देने जाता हूं।'
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)