Thriller बारूद का ढेर

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Re: Thriller बारूद का ढेर

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कुछ देर बाद कोठारी की कार तूफानी रफ्तार से दौडती हुई वहां आकर रुकी। कोठारी बाहर निकला।
बचा हुआ आदमी अभी उसे रिपोर्ट देकर हटा ही था कि पीछा करने वाले दोनों आदमी वहां आपहुंचे।
'पता चला क्या ?' उन्हें देखते ही उसने आतुर स्वर में पूछा।
' हां...।' एक आदमी ने उत्तर दिया ।
'कहां है लम्बा का ठिकाना ?'
' मेरे साथ चलो।'
कोठारी ने तुरन्त उन्हें कार में बिठाया और वहां से चल पड़ा।
उसकी कार ज्यों ही बाहरले क्षेत्र में बनी बिल्डिंग की ओर बढ़ी और एक आदमी ने उसब शिल्डिंग की ओर उंगली उठाई-त्यों ही लम्बा खून में लथपथ पूनम को लिए बदहवास स्थिति में बिल्डिंग से बाहर निकलता दिखाई दिया।
फिर टैक्सी कार में बैठकर वह निकल चला।
'उसे रोकें बॉस ?' एक आदमी ने कोठारी से पूछा।
'नही। रोको नहीं सिर्फ पीछा करो।' अपने-आप पर संयम रखते हए उसने आदेश दिया। खून में डूबी पूनम ने उसका दिल दहला दिया था।
हॉस्पि टल तक उसने लम्बा का पीछा किया।
फिर वह छिपता-छिपाता अन्दर दाखिल हुआ। एक डाक्टर से कुछ जानकारी हासिल की। उसके बाद बाहर आकर एक टेलीफोन बूथ में जा
घुसा।
उसने कांपती उंगलियों से माणिकी देशमुख के नम्बर डायल किए।
'देशमुख साहब. . .मैं कोठारी बोल रहा हू।' लाइन मिलने पर वह धीमे स्वर में बोला।
'सुन रहा हूं. . . । बो ल...बोल कुश पता चला लम्बा का या अभी भी ख्याली घो ड़े ही दौड़ा रहा है। 'दूसरी ओर से माणिकी देशमुख का उखड़ा हुआ
स्वर उभरा।
'पता चला साहब , लेकिन...।'
'क्या लेकिन ?'
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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' बॉस , बात कुछ समझ में नहीं- आ रही है।
'पहेलियां मत बुझा। साफ-साफ बता , क्या मामला है ?'
उसने झिझकते हुए बतायया।
'कोठारी...!' सुनने के बाद दूसरी और से माणिकी देशमुख का तीखा स्वर उभरा- ' मेरी बेटी जिन्दा तो है न ?'
हां बॉस ।'
'फिर वह हरामजादा लम्बा अभी तक जिन्दा क्यों है ?'
'वह...बॉस...व ह पूनम बेबी को बचाने की कोशिश की र रहा है।'
'मा रने की कोशिश भी उसी ने की होगी।'
'मुझे नहीं लगता।'
'तुझे लगना चाहिए।'
' नहीं बॉस...वह ऐसा नहीं कर सकता। ' 'क्यों! क्यों नहीं कर सकता ?'
'इ... इसलिए कि वह बेबी को लव करता है।

'नहीं ! वह...वह किडनेपर है। उसने पूनम को किडनेप किया है । तूं उधर ही ठहर और जब तक मैं वहां पहुंच न जाऊं , उसे वहां से निकलेने मत देना।'
'लेकिन बॉस ...?'
शटअप ! ' चिल्लाती हुई आवाज के साथ ही दूसरी ओर से लाइन डिस्कनेक्ट हो गई।
फोन करने के बाद कोठारी उलझन में पड
गया।
उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि करे तो की रे क्या। वहमाणिकी देशमुख के क्रोध से वाकिफ था । उसे मालूम था कि उसका बॉस तूफान की तरह वहां आकर लाम्बा पर टूट पड़ेगा।
उसे विश्ववास था कि लाम्बा ने पूनम के साथ वह सब नहीं लिया।
__ अगर किया होता तो वह पूनम को बचाने की इस तरह की कोशिश न कर रहा होता।
'कोठारी साहब...! ' एकाएक ही उसके एक आदमी ने सामने आते हुए कहा- ' लाम्बा टैक्सी का र पकड़कर जल्दी में कहीं चला कि गया।'
कोठारी एकदम हरकत में आया।
उसे लम्बा की बावत देशमुख के सम्मुख जवाबदेह होना था।
अपने आदमियों को बाहर ही छोड़कर वह तेजी से एमरजेंसी वार्ड में दाखिल हो गया। जिस डाक्टर से उसने पहले पूछा था उसी से उसने पूनम की बावत दोबारा पूछा।
' अब कैसी है वह डाक्टर ?'
'खून बहुत बह गया है। उसके ग्रुप का खून लेने वह लडका गया है जो उसे यहां लेकर आया है। 'डाक्टर ने उसे बताया।'
खबर सुनकर उसकी जान में जान आई।
'पूनम की जान को तो कोई खतरा नहीं डाक्टर?'

.
हो भी सकता है। ''
'प्लीज डाक्टर , उसे कैसे भी बचा लो। खर्चे की फिक्र बिल्कुल नहीं करो। '
__'पूरी कोशिश की जा रही है। फिलहाल-सबसे ज्यादा जरूरी है। '
'खून...मैं अभी...।'
'वह लड़का गया है खून लेने। आप बाहर ही रहे। कभी भी कोई दूसरी जरूरत पड़ सकती है।'
'ओ० के०।'
चिंतित अवस् था में कोठारी बाह र निकल आया।
डाक्टर की बातों से वह समझ चुका था की पूनम खतरे में है और उसकी पहली जरूरत खून है! हालांकि खून लेने वह खुद ब्लड बैंकी जा सकता था, लेकिन डाक्टर के आदेशानुसार उसे बाहर ही रुकना पड़ रहा था।
उसके दोनों आदमी सड़की की तरफ चहलकदमी कर रहे थे।
थोड़ी देर बाद!
अचानक!
अचानकी ही गोलियों की आवाज ने उसे चौंका दिया।
वह उछलकर बाहर की ओर भागा।
फाटकी के बा हर दायीं ओर सड़की पर ही उसे लम्बा फायर करता नजर आया। उसने बाएं हाथ से खून की दो बोतलों को अपने सीने से लगा रखा था
और दाहिने हाथ में संभाल रखी पिस्तौल से करवटें बदलता हुआ आगे खड़ी कार पर फायरिंग करता चला जा रहा था।
इसी बीच !
एक और कार वहां आपहुंची।
उस कार से माणिकी देशमुख और जोजफ झांक रहे थे। उन दोनों ने लाम्बा को देखते ही गोलीबारी शुरू कर दी।
नहीं... नही ! ' कोठारी पागलों की तरह चिल्लाया। उसने दौड़कर बीच में आना चाहा। लेकिन जिस तरह उस क्षेत्र में गोलियां बरस रही थीं, उसे देखते हुए वह झिझकी कर रुकी गया । वह जानता था कि गोलियों की उसब रसात में अपने-आपको झोकना , मौत को दावत देने के अति रिक्त कुछ नहीं होगा।
वह इस सच्चाई से वाकिफ था कि पूनम की जान बचाने के लिए रंजीत लम्बा सिर पर कफन बांधकर उसके लिए खून लेने गया था।
और!
इस हकीकत से अनजान माणिकी देशमुख उस पर गोलियों की बौछार किए जा रहा था । एक प्रकार से बाप खुद अपनी बेटी की जान का दुश्मन बना हुआ था।
उसकी कार बाद में आती खुद , कोठारी ने अपनी आंखों देखी थी। वह यह नही समझ पा रहा था कि जिस कार से पहले ही गोलियां बरसाई जा रही थीं , उसमें कौन था।
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इधर!
करवट बदलते लाम्बा को अपनी जान बचानी मुश्किल हो रही थी। वह तेजी से करवट बदलता डूबा सड़क के किनारे की ओट में पहुंच जाना चाहता था। तभी उसके हाथ से खून की एक बोतल निकल गई।
उसने झपटकर- बोतल पर हाथ डालना चाहा लेकिन इसी बीच एक गोली बोतल से टकराई और बोतल छार -छार होकर बिखर गई।
सड़की पर खून ही खून फैल गया।
लाम्बा ने क्रोध में उस दिशा में देखा जिस दिशा से चलने वाली गोली ने खून की बोतल जोड़ी थी। उसे कार की खिड़की से झांकता हुआ जोजफ नजर आया।
अगले ही पल उसके पिस्तौल का ट्रेगर दब गया। जोजफ अगर फुर्ती से हट न गया होता तो पिस्तौल की गोली उसका भेजा बिखरा देती।
लाम्बा उस समय बच निकलने की फिरंकी में
था।
लड़ने के लिए बाद में उसके पासब हुत वक्त था , तब तक वक्त नहीं था जब तक कि वह खून की बोतल डाक्टर को पहुंचा नहीं देता।
उस समय उसके पास वह खून की बोतल अपनी जान से भी ज्यादा कीमत रखती थी।
वह लुटकता हुआ सड़की के किनारे तक पहुंच गया था।
उसने अपनी पिस्तौल सामने की ओर खाली किया। वह तब तक फायरिंग करता रहा जब तक
कि पिस्तौल खाली नहीं हो गया।
पिस्तूल खाली होते ही उसने होल्सतर से रिवा ल्व र निकाल लिया और फिर बोतल संभालते हुए हॉस्पिटल की दिशा में दौड़ लगा दी।
वह सीधा रास्ते न जाकर फुलवारी के बीच कूद गया।
सीधा रास्ता खुली और साफ था।
उसे निशाना बनाया जा सकता था।
फुलवारी से होकर जब वह हॉस्पिटल के कम्पाउंड में दाखिल हुआ तो आते-जाते मरीजों में खलबली मच गई। एक हाथ में छून की बोतल , दूसरे हाथ में रिवाल्वर, बदहवास-सा आदमी।
वह जिस तरफ दौड़ता उस ओर काई-सी फूट जाती।
जैसे ही उसे पूनम को देखने वाला बाकुर मिला , उसे खून की बोतल सौंपकर वह वहां
से तुरन्त भाग निकला , क्योंकि पुलिस सायरन की कर्कश ध्वनि वहां गूंज उठी थी।
00
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'जानते हैं आप , वो खून की बो तल जो सड़की पर चकनाचूर हुई पड़ी है , किसके लिए. थी? जानते हैं ? ' कोठारी माणिकी देशमुख की ओर देखता हुआ तीखे स्वर में बोला- वो बोतल जो
आपकी गोली का शिकार बनी , आपकि बेटी के लिए लेकर आया था लाम्बा । वह सिर पर कफन बांधकर पूनम को बचाना चाह रहा था और आप...! आप अपनी बेटी की जिन्दगी की रहमें कांटे चुन रहे थे! कांटे! '
माणिकी देशमुख सकते की हालत में खड़ा अपने ले फ्टीनेंट की चुभती हुई बातों को सुन रहा था।
जसब हादुर इंसान ने अपनी जान की बाजी लगा दी पूनम को बचान में। वहमौत के दहाने से गुजरकर भी पूनम की जरूरत का खून डाक्टर को पहुंचाकर यहां से गया है।'
'खून. . .खून दिया जा रहा है उसे ?' देशमुख ने लड़खड़ाते हुए स्वर में पूछा।
__ 'हां...दिया जा रहा है खून मगर एक बोतल खून कम पड़ सकता है। उसबोतल का सूच जिसे आपने गोलियों से उड़ा डाला। '
_ 'खून...खून का बंदोबस्त कर कोठारी। फौरन!
'आदमी भेज दिया है लेकिन उसे आने में वक्त लग सकता है। अगर बोतल आने
में देर हो गई...अगर पूनम को कुछ हो गया तो उसके जिम्मेदार आप होंगे। सिर्फ आप
अपनी ओर तनी कोठारी की उंगली से देशमुख इस तरह घबरों गया जैसे कि उसके सीने की
ओर कोठारी , ने उंगली नहीं रिवा ल्व र तान रखी हो।
'कोठारी...मैंने समझा था कि लम्बा ...।'
___ ' हां....आप तो शुरू से ही उसे दुश्मन मानते चले आ रहे हैं । कैसे-समझा ऊं आपको कि पूनम के साथ जो कुछ भी घटा है वह किसी और की कार्यवाही है। अगर लम्बा ने ऐसा-वैसा कुछ करना होता तो वह पूनम को बचाने की जान तोड़ कोशिश कभी न करता।'
'ठीकी कह रहे हो।'
'यह अब समझ में आया। '
'ओह गॉड! यहमैंने सग कर डाला। '
'अब आपके पास पछताने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।'
'कोटारी -मुझे पर लानत-मलानत तू बाद में भेजता रहना-अभी. सिर्फ इतना मालूम करके आ कि पूनम कैसी है ?'
'वहां किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है। चारों तरफ पुलिस ही पुलिस है। अफसोस इसी बात का है कि पुलिस को भी उसी नौजवान यानी लम्बा की तलाश है , ' जो घायल पूनम को लेकर वहां आया
और उसके लिए खून का बंदोबस्त किया। '
'अगर यह काम लम्बा का नहीं है तो फिर किसका है ?'
' इस बात को सिर्फ लम्बा ही जानता है। '
'तो फिर लम्बा की तलाश कर। मैं उससे फौरन मिलना चाहता हूं।'
'आप तो मिलना चाहते हैं लेकिन वह तो आप से मिलना नहीं चाहता होगा।' उसे खत्म करने के लिए आपने कोई कसर तो उठा नहीं रखी न।'
'वह सब गलतफहमी में हुआ ।'
' लेकिन आपकी गलतफहमी से वह तो वाकिफ नहीं।'
कोठार ... कुछ कर-कुछ कर! मुझे इस तरह परेशान मत कर।'
'सब से पहले तो आपको-अपने तमाम ऐसे आदमी हटाने होंगे यहां से , जो हथियार बंद हैं। '
'क्यों?'
'क्योंकि अगर उनमें से एक भी पुलिस के हाथ लग गया तो पुलिस आसानी से उसका मुंह
खुलवा लेगी। वक्ती तौर पर आप हॉस्पिटल के बाहर होने वाली फायरिंग के लिए जिम्मेदार ठहरा दिए जाएंगे। हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ है , मगर आपको आतकवादियों का साथी ठहराकर जेल में पहुंचाया जा सकता है।'
'ठीकी है , तूही कर यह काम। मैं पूनम को देखने जाता हूं।'
'अभी नहीं। अभी मैं चक्कर लगा लूं उसके बाद।'
'जल्दी जा कोठारी..जल्दी! '
कोठरी चला गया।
उसने हॉस्पिटल का पूरा चक्कर लगाया और वहां मौजूद अपने सभी आदमियों को वहां से हटा दिया।
उन्हें आगाह भी कर दिया कि उन्हें पुलिस की रेंज से दूर रहना है।
फिर वह वापस देशमुख के निकट पहुंचा।
'हट गए ?' उसे देखते ही देशमुख ने पूछा।
'हां।'
'अब चलें हम?'
' हां ...चलिए।'
माशिकी देशमुख बौखलाया हुआ-सा कॉरीडोर में बढ़ने लगा।
कोठारी उसके पीछे चल पड़ा।
एमरजेंसी वार्ड के विशेष चैम्बर के बाहर पुलिस ही!
पुलिस थी। उसी चैम्बर में पूनम का इलाज चल रहा
था।
ज्योंही देशमुख ने बताया कि पूनम उसकी बेटी है , पुलिस इंस्पेक्टर ने तुरन्त उसे घेर लिया। सवालों की झड़ी लगा दी।
वह जवाब देता-देता परेशान हो गया।

इसी बीच एक नर्स ने सूचना दी कि खून और चाहिए।
'कोठारी।' देश मुख उत्तेजित स्वर में चिल्लाया-खून कोठारी...खून! '
'मैं अभी बंदोबस्त करता हूं। ' कह ता हुआ कोठारी वंहा से जाने लगा।
तभी!
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इसी बीच एक नर्स ने सूचना दी कि खून और चाहिए।
'कोठारी।' देश मुख उत्तेजित स्वर में चिल्लाया-खून कोठारी...खून! '
'मैं अभी बंदोबस्त करता हूं। ' कह ता हुआ कोठारी वंहा से जाने लगा।
तभी!
एक कमजोर-सा भिखारी हाथ में खून की बोतल लिए वहां आपहुंचा-'बाबू साहब , यह खून की बोतल मुझे यहां पहुंचाने को दी है। किसी को खून चाहिए क्या ?'
पुलिस इंस्पेक्टर ने फौरन बोतल लेकर नर्स को दे दी और देशमुख को छोड़कर भिखारी को घेर लिया।
'खून की बोतल किसने दी तुम्हें ?' उसने संदिग्ध दृष्टि से भिखारी को घूरते हुए पूछा।
एक नौजवान ने दरोगा जी।'
'कौन था वह ?'
'नहीं मालूम।'
'तुम किसी का भी काम करने को तैयार हो जाते हो ?'
'नहीं साहब...उसने लालच दिया था। '
'कैसा लालच ?'
भिखारी ने अपने लबादे की जेब से सौ-सौ के मुड़े-तुड़े कितने ही नोट इंस्पेक्टर को दिखाए-'ये सब उस नौजवान ने दिए थे। उसने कहा था कि अगर मैने बोतल यहाँ पहुंचा दी तो किसी की जान बच सकती है।।
'वह नौजवान कहां गया ?'
' नहीं मालूम।'
देशमुख को अवसर मिला और व ह पूनम वाले चैम्बर में दाखिल हो गया। पूनम को खून की दूसरी बोतल लगाई जा रही थी।
पुलिस इंस्पेक्टर भिखारी से अन्य किसी प्रकार की जानकारी हासिल नहीं कर सका।
___ भिखारी से उसने नौजवान का हुलिया पूछा गे भिखारी ने बताया कि उसकी एक आंख में मोतिया है और दूसरी से सिर्फ काम चलाऊ वाला हिसाब है। इसलिए वह हुलिया नहीं बता सकता।
पुलिस कुछ न कर सकी।
आखिरकार भिखारी को छोड . देना पड़ा।
थोड़ी देर बाद चिंतित अवस्था में माणिकी देशमुख चैम्बर से बाहर निकला।

'कोठारी ! ' बहु कोठारी की ओर बढ़ता हुआ बोला -खून की चार बोतलें और मंगवा लो।'
'क्यों बॉस ... क्या दूसरी बोतल भी खत्म हो गई?'
'अभी नहीं।'
' फिर'
'सावधानी के लिए। मैं नहीं चाहता कि खून की कमी की वजह से मेरी बेटी को कुछ हो जाए। '
'एक अदमी गया हुआ है। '
' उसे कुछ हो सकता है। कहीं फंस सकता है वह इसीलिए दूसरा आदमी भेज दे। जल्दी कर।'
जो आज्ञा ।'
कोठारी दूसरा आदमी भेजने के लिए वहां से चला गया।
00
00 ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
श्याम दुग्गल बहुत बड़ा नेता था। उसे सुरक्षा के उच्च कोटि के साधन उपलब्ध थे। वह जानता था कि हिट लिस्ट में उसका ना म बहुत ऊपर था इसीलिए वह हमेशा सतर्की रहा करता था। वह जहां भी जाता , ब्लैकी कैट कमाण्डोज उसके साथ होते।

उसने कभी भी कमाण्डोज का घेरा पार करके बाहर निकलने की कोशिश नहीं कि थी। आज उसे एक पब्लिकी मीटिंग में तब किसी ने चौंकाया जबकि वह कमाण्डोज के घेरे में चलता हुआ भाषण के बाद मंच से नीचे आ रहा था।'नेताजी तुम्हें सावधानी बरतनी होगी। इसके बाद कोई भी पब्लिकी मीटिंग अटैण्ड करना हानिकारकी हो सकता है।'
कहने वाला एक युवकी था।
उसके शब्दों को उसने स्पष्ट सुना था।
कमाण्डोज के' अतिरिक्त उसके कुछ आदमी सादा वर्दी में भी आस पास ही रहा करते,थे ताकि कोई असामाजिकी तत्व सहज ही उसके निकट न जा सके।
वैसे ही एक सादा वर्दी वाले को उसने आंखों ही आंखों ' में आदेशित किया।
और अब!
अब वह अपने उसी आदमी की प्रतीक्षा कर रहा था ताकि वह उससे उस युवकी की बावत जानकारी हासिल कर सके।
__ 'साहब। ' एक कमाण्डो ने आकर आदर सूचकी स्वर में कहा- 'वह आ गया।'
' उसे फौरन हाजिर करो। '

कमाण्डो वापस चला गया।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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