Thriller बारूद का ढेर

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Masoom
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Re: Thriller बारूद का ढेर

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(^%$^-1rs((7)
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: Thriller बारूद का ढेर

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'नहीं मिलेंगे।'
' उसे विशेष सुरक्षा सुविधा हासिल है। ध्यान रखना , कहीं हल्की-सी भी चूकी न हो जाए। तुम्हारी
तरफ से की जाने वाली कोई भी छोटी से छोटी गलती तुम्हे बड़ी मुश्किल में पहुंचा देगी । '
'जानता हूं।'
'अब यह बताओ कि आ र० डी० एक्स० किस ऐड्रेस पर भेज दूं?'
माणिकी देशमुख ने एक पता बताया जिसे सुनते ही लाम्बा ने अपने दिमाग में नोट कर लिया।
' वहां कौन मिलेगा?'
' मेरा बेटा। ' माणिकी देशमुख ने विनायकी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
'ठीकी है तो सारा प्लान तय हुआ। अब हम चलते हैं। कल आर० डी० एक्स ० उस जगह पहुंच जाएगा।'
माणिकी देशमुख ने उन चारों का अभिवादन किया।
वे चारों एक कतार में हॉल से बाहर निकल
गए।
लम्बा अपने स्थान पर छिपा रहा ।

उसका दिमाग तेजी से काम कर रहा था। उसने तुरन्त ही उसब विल्डिंग से बाहर निकलने का फैसला कर लिया।
वह उन चारों खतरनाकी नकाबपोशों के पीछे जाना चाहता था , लेकिन जब तक उसने सीढियां उतरकर बाउंड्री वॉल पार की , तब तक किसी कार के इंजन का शोर उभरकर दूर होता चला गया।
वह यह भी न देख सका कि इमारत से बाहर निकलने वाली कार कौन-सी थी और उसका नम्बर
क्या था।
उसके हाथ कुछ न लग सका।
उसे मालूम था , उसब विल्डिंग में माणिकी देशमुख का हीं कारोबार चलता था।
अभी तक वे तीनों कारें जिनमें देशमुख अपने आदमियों समेत वहां पहुंचा था , अन्दर ही थीं । इसका साफ मतलब था कि माणिकी देशमुख अभी
अन्दर व्यस्त था।
उसने एक मिनट सोंचा , अग ले ही क्षण वह अपनी कार की ओर चल पड़ा।
उसके दिमाग में नई योजना जन्म ले चुकी थी।
कार में बैठते ही उसने उसे स्टार्ट करके गति दे दी। वह तूफानी रफ्तार से अपनी कार माणिकी
देशमुख की विला की ओर दौड़ा ए चला जा रहा था।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
रंजीत लाम्बा ने माणिकी देश मुख के विला में उस समय सीधा धावा बोल देना उचित अवसर माना था। उसे मालूम था , उस समय विला में माणिकी देशमुख , विनायकी देशमुख , कोठारी और जोजफ में से कोई नहीं था।
उसकी कार धड़धड़ाती हुई विला के फाटकी को उड़ाकर अन्दर दाखिल होती चली गई।
वह यूं भी पूरी तैयारी के साथ आ रहा था। उरसका प्लान थोड़ा-सा लेट हो गया। दो कुत्ते भौंकते हुए कार की ओर दौड़ने लगे।
उसने एक हाथ से स्टेरिंग संभालते हुए पिस्तौल नि का ली और फिर दो ही फायरों ने कुत्तों
का भौंकना बंद कर दिया।
लेकिन!
विला के फाटकी के उड़ने का शोर , कुत्तों का भौंकना और पीछे से दरबान द्वारा
ललकारा जाना , कुल मिलाकर इतना बड़ा शोर हो गया था कि समूचे विला में जाग ही गई थी।
गार्ड अंधाधुंध गोलियां बरसने लगे थे।
उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हुआ था।
लाम्बा ने तेजी से धावा बोला था ।
कुत्तों को निशाना बनाने के तुरन्त बाद उसने दो दस्ती बम विला के पोर्टिको वाले क्षेत्र में फेंके।
दीवारों को थर्रा देने वाले दो विस्फोट हुए।
विला के विभिन्न भागों से गोलियां चलाई जाने लगीं। लम्बा ने गैरेज वाली दिशा में अपनी कार रोकते ही पांच-छ: धुएं के बम आसपास के क्षेत्र में उछाल दिए।
धुएं के बमों ने आनन-फानन में वहां इतना धुवां फैला दिया मानों वहां कोई बहुत बड़ी काली घटा उतर आयी हो।
बारूद की तीखी गंध वहां हर तरफ फैल चुकी थी।
लाम्बा ने कुछ इस तेजी से हमला बोला था कि विला के हर क्षेत्र में अफरा-तफरी फैल गई।
किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
और!
उसी अफरा-तफरी का फायदा उठाता लम्बा

विला में दाखिल होकर जा पहुंचा उस
कॉरीडोर में जिसके सिरे वाले कमरे में पूनम की मौजूदगी की खबर उसके पास थी।
कॉरीडोर एकदम खाली पड़ा था।
उसे लगा उसका रास्ता साफ था।
गन संभाले वह दबे कदमों से उस तरफ बढ़ने लगा। उसके कान आसपास की आहट सुनने के लिए पूरी तरह सजग थे।
नीचे मचे हड़कम्प की वजह से शायद ऊपर का ध्यान किसी को नहीं था।
उसे लगा उसके लिए रास्ता एकदम साफ है।
वह बिना आहट किए भूपत द्वारा बताए गए कमरे तक पहुंच गया।
कमरे के दरवाजे बंद थे।
उसने इधर-उधर देखा और फिर गन की बैरल से दरवाजे को अंदर की तरफ ठेला।

दरवाजा खुलता चला गया। पूनम उसे सामने ही बैड पर नजर आ गई।
वह तेजी से पूनम की ओर बढ़ने लगा। उस क्षण उसे लगा , पूनम के चेहरे पर विचित्र-से भाव आए हो।
___ अंतिम समय में पूनम ने जोर से इंकार में सिर हिलाया।
उसी क्षण।
एकदम से नीचे गिरते हुए उसने कुलांच लगाई। उसकी गन के दहाने ने आग उगली।
पीछे से प्रकट होने वाले दोनो गार्ड गोलियां के वेग के साथ पीछे वालो दीवार से जा टकराए और दीवार पर खून के दुब बे छोड़ते हुए फर्श पर ढेर हो गए।
चीख मारती पूनम फटी-फटी आंखों से उन दोनों लाशों को देखने लगी।
'पूनम चलो! जल्दी निकलो यहां से! ' फुर्ती से कमरे के बाहर निकलता हुआ लाम्बा उत्तेजनापूर्ण स्वर में चिल्ला या।
पूनम भयभीत अवस्था में उसके पीछे भागी
दोनों एक साथ कॉरीडोर में दौड़ने लगे! बाल कनी के समीप से गुजरते हुए लम्बा ने एक स्मोकी बम हॉल में फेंकी दिया।'
हल्के ध मा के के साथ विला के अंदर धुओं ही धुआ फैलता चला गया।
विला में मौत का तक छा गया।
हर एक बौखलाया हुआ था।
लम्बा वहां ऐसा टेरर फैला चुका था जिससे उबरने का अवसर किसी को भी नहीं मिल पा रहा
था। गार्ड इधर से उधर भाग रहे थे।
पूनम ने उचित समय पर लम्बा को नया रास्ता सुझाया।
विला को स्थिति से लम्बा की इतनी अच्छी वाकफियत नहीं थी जितनी अच्छी पूनम को थी। पूनम ने उसे दायी ओर वाले हॉल से । बाहर निकाल दिया। बाहर दायीं और संकरा पैसेज था जो आगे जाकर ड्राइव-वे से जुड
जाता था।
लेकिन अचानकी ही ड्राइ व- वे दो गार्ड पहुंचे और उनकी नजर लम्बा पर पड़ गई । उस तरफ धु आ कुछ कम हो गया था।
दोनों गार्ड ने जैसे ही अपनि -अपनी गर्ने तनी, पूनम तुरन्त लाम्बा के सामने आ गई।
'खबरदार , जो किसी ने गोली चलाई। ' उसने चिल्लाकर धमकी भरे स्वर में कहा।
गार्ड कर्त्तव्यविमुढ़ स्थिति में खड़े के खड़े रह
गए।
उनकी समझ में नहीं आ रख था कि वे किस तरह से पूनम को रोकें।
पूनम के पीछे से लम्बा ने भी अपनी गन उन दोनों की ओर ता नी हुई थी। वह अपलकी दोनों गा
डों को देख रहा था।
अगर गार्ड हलाकि-सी भी हरकत करते तो वह गोली चलाने को तत्पर था ।
दोनों ओं र तनावपूर्ण स्थिति थी।
सिर्फ पूनाम थी जो बीच में दीवार बनी हुई थी।
त म लोग रास्ते से हट जाओ !' पूनम ने आह त स्वर में कहा।
' नहीं ... हम देशमुख साह व को क्या जवाब देंगे। ' उनमें से एक गार्ड बोला।
_ 'तो! तुम मुझ पर गोली चला दो फिर जवाब दे देना।'
'नहीं !'
'तो फिर यहां से हट जाओ।'
'नहीं !'
पूनम असमंजस की स्थिति में कसमसाई।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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वहां उसे एक-एक पल भरी प्रतीत हो रहा था। वह नहीं चाहती थी कि हाथ आया वह अवसर खाली चला।
जाए। उसे विला की कैद में गुजरा वक्त किसी खतरनाकी जेल से कम नहीं लगा था। इसलिए वह नहीं चाहती थी कि उसे उसका बाप फिर से उसी जेल
जैसी कैद में पहुंचा दे।
एकाएक उसने नया कदम उठाया।
रंजीत लाम्दा के होलक्टर में फंसे रिवॉल्वर को खींचकर उसने फुर्ती के साथ अपनी कनपटी पर उसकी नाल चिपटा ली।
'खबरदार! अगर तुम लोगों ने रास्ता नहीं छोड़ा तो मैं अपने-आपको गोली मार लूंगी ! ' उसने तीखे स्वर में चेतावनी दी।
'नहीं! हम रास्ता नहीं छोड़ेंगे।'
'रास्ता नहीं छोड़ोगे तो मुसीबत में पड़ जाओगे।'
'नहीं।'
'मेरी लाश यह कहने वाली नहीं कि मुझे किसने गोली मारी। मेरी मौत पर डैडी का बौखला
जाना स्वाभाविकी होगा और बौखलाहट में वह क्या कर जाएंगे , कुछ मालूम नहीं।'
दोनों गार्ड अभी उलझन में फंसे विचार कर ही रहे थे कि पूनम के पीछे से लाम्बा ने एक और धुएं का बम फेंका।
दोनों गार्ड चिल्लाते हुए पीछे हटे।
पलकी झपकते बादलों जैसा घना धुआ वहां फैल गया।
लाम्बा पूनम को अपनी बांहों मे उठाकर तेजी से बायीं ओर की दीवार से सटता हुआ भाग निकला।
हालांकि उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था फिर भी अच्छा जे से भाग रहा था।
गोलियां चलने लगी थीं।
लेकिन उसकी , चालाकी कारगर साबित हुई थी। अगर वह उसी लाइन में भागता तो मुमकिन था कि गोलियों का शिकार हो जाता।
फिर उसने भागते-भागते आगे के रास्ते पर दो स्मोकी बम और फेंके। उसके बाद पीछे मुड़कर हैंड ग्रेनेड की पिन दांतों से खींचकर ग्रेनेड पीछे की दिशा में उछाल दिया।
कानों के पर्दे हिला देने वाला धमाका हुआ।
स्मोकी बम के ठहरते धुएं को यकायकी ही उड़ता ग्रेनेड का धुआ किसी तूफान की तरह भड़कता नजर आया।
पीछे उभरने वाली पगचा उस विस्फोट के साथ ही खत्म हो गई।
निकट ही लम्बा की कार थी।
वह फुर्ती से कार की ओर झपटा।
तभी अचानक!
कार की ओट से एक गनर सामने आया।
उसकी गन ने आग उगली।
लम्बा नीचे गिरा। उसने नीचे गिरते हुए अपनी गन से गोलियां बरसानी चाही थीं, लेकिन वह गनर कुछ ज्यादा ही खतरनाकी साबित हुआ।
उसने गजब की फुर्ती से अपनी गन पूनम की ओर तान दी।
'खबरदार! अगर कोई हरकत की तो इसका भेजा उड़ा दंगा। ' वह लम्बा की ओर देखता हुआ गुर्राया।
'नहीं।' लाम्बा चिल्लाया।
'गन वहीं छोड़ दो और दोनों हाथ सिर पर रखकर खडे हो जाओ।'
उसने तुरन्त आ ज्ञा का पालन करते हुए गन वहीं छोड़ दी और वह अपने दोनों हाथों को सिर पर रखकर धीरे-धीरे खड़ा होने लगा।
गनर पूरी तरह सावधान था।
वह कभी पूनम की ओर देखता तो कभी लाम्बा की ओर । उसे देखने से प्रतीत हो रहा था जैसे वह दोनों से बराबर का खतरा महसूस कर रहा था।
'देखो...मुझे जाने दो। ' पूनम प्रतिरोध पूर्ण स्वर में बोली।

'नहीं! खबरदार! कोई हकरत न करना !' वह बार-बार अपनी गन पूनम और लाम्बा की ओर घुमाता हुआ जोर-से बोला।
लाम्बा ने जान-बूझकर अपने हाथ नीचे करने का प्रयास किया।
'हाथ ऊपर ही रहने चाहिएं वरना। ' गनर उत्तेजना की अधिकता में सांस रोककर दांत पीसता हुआ कुछ इस प्रकार गुर्राया कि उसके गले की तमाम
नसें फूल गई।
लम्बा ने इस प्रकार उदास होकर हाथ ऊपर उठाने शुरू किए मानो गनर की सजगता की वजह से उसका कोई होता हुआ काम होत-होते रह गया हो।
'हाथ बीच में मत रोको। सिर तक पहुंचा
दो।'
ये लो।' लाम्बा ने खीझ के साथ दोनों हाथ अपने सिर पर रख लिए।
__' हमें जाने दो...प्लीज हमें जाने दो! ' पूनम ने गनर से विनती करते हुए कहा।
'नहीं!'
'हमें रोककर तुम्हारा कोई फायदा होने वाला नहीं।'
'फायदा नुकसान देशमुख साहब जानें। मेंने अपनी ड्यूटी करनी है।'
लाम्बा देख रहा था।
गनर उस समय पूनम की बातों में उलझा हुआ था। उसके अपने हाथ सिर पर थे ही। गनर के ठीकी पीछे पीठ वाले होलस्टर में उसका रिवाल्वर मौजूद था।
उसने बहुत छोटी-सी हरकत मात्र करनी थी।
पून म से बातों में व्यस्त समय को उचित अवसर मानते हुए उसने दायां हाथ थोड़ा-सा गर्दन के पीछे किया।
कोई हरकत हो रही है , यह जानकारी गनर को भी हुई।
उसकी पुतली फिरने से भी पहले लाम्बा फुर्ती के साथ पीठ वाले होलस्टर से रिवाल्वर खींचकर फायर झोंकी चुका था।
गोली बंदूकधारी का भेजा उड़ाती हुई निकल
गई।
बह प्रतिरोध स्वरूप कुछ भी न कर सका।
उसकी लाश लहराती हुई-सी नीचे गिरने
लगी।
लम्बात जी से दौडता हुआ अपनी कार में जा घुसा।

पूनम भी दूसरी ओर वाले दरवाजे को खोलकर अन्दर दाखिल हो गई।
उसके कार में बैठने से पहले ही कार स्टार्ट हो चुकी थी।
तत्पश्चात्।
यूं लगा मानो कार को पंख लग गए हों। वह तूफानी रफ्तार से दौड़ती हुई विला का फाटकी वाला स्थान पार कर गई।
फाटकी अब अपनी जगह बाकी नहीं था। उसे लाम्बा आते समय अपनी कार की टक्कर से उडा चुका था।
00
पुलिस के चले जाने के बाद माणिकी देश मुख विला के भूमिगत भाग में कोठारी और जोजफ से मिला।
उसका चेहरा बता रहा था कि वह बहुत अधिकी क्रोध में है।
कोठारी और जोजफ दोनों समझ रहे थे कि उनकी शामत आनी है अब। जो भी
होना था उसे बर्दाश्त करने के लिए वे चुपचाप सिर
झुकाकर उसके सामने खड़े हो गए।
कुछ देर तक वह खामोश रहकर अपलकी उन दोनों को घूरता रहा और फिर तीखे स्वर में गुर्राया - ' कितने सारे आदमियों के बीच से वह हरामजादा लाम्बा मेरी बेटी को उड़ा ले गया और-ये तमाम आदमी तेरे चुने हुए हैं कोठारी। तेरे हिसाब से तूने चु नींदा आदमी मेरी फौज के लिए इकट्ठे किए थे। योग्यताओं से भरपूर थे ये लोग...हां?'
.
.
.
कोठारी को ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे किसी ने उसे ऊपर से ठोंककर जमीन में घुटनों तक गाड़ दिया हो।
'वो ले गया...ले गया मेरी बेटी को उड़ाकर और तेरे ये मिट्टी के शे र उसके सामने घुटने टेककर खड़े हो गए।
-
-
'मेरे चुने आदमियों की कोई गलती नहीं है साहब। ' कोठारी दबे हुए स्वर में बोला।
'फिर मेरी गलती होगी।'
'नहीं।'
'फिर?'
'आप अगर याद करें तो आपको याद आएगा कि रंजीत लाम्बा का चुनाव भी मैंने ही किया था और कहा था कि वह वाहिद शख्स इतना ज्यादा खतरनाकी है कि बीस-तीस आदमियों पर भी भारी पड़ सकता है। वह बारूद है बारूद। ऐसा बारूद जिसे छूते ही छूने वाला जलकर राख हो जाया करता है। इसीलिए मैं नहीं चाहता था कि उससे किसी तरह की दुश्मनी हो।'
'दुश्मनी मैंने की है...मैंने ?' माणिकी देशमुख क्रोध में चिल्लाया।
मैं उस मामले को सुलझा सकता था। वह समझदार आदमी है। अगर मैं उसे समझाता तो वह पूनम बेबी के रास्ते से हट जाता। '
'कोठारी तू पागल हो गया है। क्या तू नहीं जानता कि माणिकी देशमुख की बेटी की तरफ गलत इरादों से उठने वाली आंख को निकाल लिया जाता है।'
'इस दुनिया में हर किसी को बाप बनाया गया है। 'कोठारी धीमे स्वर में बड़बड़ाया।
'तूने कुछ कहा ?'
' मैं यह कह रहा हूं साहब कि रंजीत लाम्बा अब कुछ नहीं कर सकेना। अगर उसने दोबारा विला में कदम रखने की कोशिश की तो वह बच के जा नहीं सकेगा।'

'अरे बेवकूफ, अब वह विला में कदम रखेगा ही क्यों.. उसने जो करना था वह वो कर
चुका। उसने बंदूकों के साए में छिपी पूनम को बड़ी आसानी से किडनेप कर लिया। '
उसने हम लोगों की गैर मौजूदगी का फायदा उठाकर यह काम किया है। '
'उसने जैसे भी किया मूर्ख! वहमेरी बेटी को ले उड़ा है और अब हमारे सामने सिर्फ एक ही रास्ता रह गया है।'
'कौन-सा रास्ता?'
'जितनी जल्दी हो सके हम उसे तलाश कर
लें।'
' पहले उसे तलाश किया जाए या फिर नेता श्याम दुग्गल के केस पर काम शुरू किया जाए? हमें वह काम भी जल्द से जल्द पूरा करना है। '
' हां... वह काम भी...।'
' ऐसे ही कामों के लिए रंजीत लाम्बा को रखा गया था। अगर इस वक्त वह हमारे साथ होता तो हमारे लिए किसी भी तरह की उलझन न होती। वह
अकेला ही श्याम दुग्गल का काम तमाम कर डालता।
'कोठारी!'
'यसब ॉस ?'
कुछ भी हो जाए , तेरे मुंह से उसके लिए तारीफ ही निकलती है। '
'वह है ही तारीफ के काबिल। '
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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' मैं समझ रहा हूं।'
'अब आप यह भी बताएं, किया क्या जाए
'सुन..।'
'जी?'

' ते रा एक ही काम है।'
'लाम्बा की तलाश न ?'
'हा।'
' और दुग्गल वाला मामला?'
'उसे फिलहाल जोजफ देखेगा।'
' समझ ले बॉस... वहमामला बहुत सीरियस है। बच्चों का खेल नहीं। जिन लोगों ने बी स लाख एडवांस दिए हुए है। उन्हें अपने काम में किसी तरह का नुक्स नहीं चाहिए होगी।'

'तू फिक्र मत कर। मुझे किसी भी कीमत पर लम्बा चाहिए । तू लाम्बा को ले आ। दुग्गल का काम मैं पूरी करवा दूंगा।'
'लगता नहीं।'
'क्या नहीं लगता ?'
' दोनों में से एक भी काम होता। '
'तुझे जो करने को बोला है वो कर...बस! '
.
.
.
'जो आज्ञा बॉस।'
'अब तुझे यहां रुकने की जरूरत नहीं है।'
कोठारी ने कनखियों से जोजफ की तरफ देखा और फिर वह चुपचाप तहखाने की सीढियों की
ओर बढ़ गया।
उसके चले जाने के बाद देशमुख धीमे स्वर में जोजफ को कुछ समझाने लगा।
लम्बा ने सलीम के गोरव में अपनी खस्ता हालत कार बनने को छोड़ दी थी। उसका नया ठिकाना समीप ही था। जिस तरह की जिन्दगी वह जी रहा था , उसके लिए उसे कितने ही ठिकाने दरकार थे।

यह एक पुरानी बिल्डिंग थी।
उस क्षेत्र में बिखरी हुई आबादी थी।
बिल्डिंग में जरूरत का तमाम सामान पहले से ही जमा था। इस तरह के इंतजाम वह करके रखता
था।
उसे विश्वास था कि उसे आसानी से वहां तलाश नहीं किया जा सकता था।
उसके ठिकानों से मकान मालिकों के अलावा अगर कोई वाकिफ होता था , तो वह खुद होता था।
पूनम को मुक्त कराने के बाद उसे जो शांति मिली थी, उसके आगे जैसे उसे और कुछ चाहिए ही
नहीं था।
वह शाम उसने शानदार कॉकटेल पार्टी करके सेलीब्रेट को थी।
उस पार्टी में उसके और पूनम के अतिरिक्त तीसरा कोई न था।
नशे में दोनों अपने-आपको दुनिया का सब से खुशकिस्मत व्यक्ति महसूस कर रहे थे।
बैडरूम में दाखिल होते ही पूनम एका एक ही ठोकर लगने के बाद बड़बड़ाई- ' ऐई धक्का देते हो?'
वह हंसा।
'हंसना ' नहीं।'
वह फिर हंसा।
प्रत्युत्तर में पूनम भी हंसी।
उसकी हंसी में नशे की आजादी को स्पष्ट अनुभव किया जा सकता था। उस समय उसने हल्के पीले रंग का स्वेटर और ब्राउन जींस पहनी हुई थी।
नशे की वजह से उसकी आंखो में चमकी उभर आयी। उसके गोरे विकसित कपोल तपकर लाल हो चले थे।
जिस अंदाज से वह देख रही थी , उससे लाम्बा के दिल में विचित्र-सी हलचल मचती जा रही थी।
__कैद से मुक्त पंछी जिस त रह खुश होता है, वैसी ही खुशी पूनम के चेहरे पर देखी जा सकती थी। शराब के नशे ने उस खुशी में चार-चांद लगा दिए थे।
उस उच्छृखल खुशी के आगे दुनिया की कोई भी खुशी उसके लिए फीकी थी।
लाम्बा आदतन अपने आसपास का ध्यान रखे हुए था। वह एक पेशेवर हत्यारा था और उसके लिए हमेशा अपने कान और आंखों को खुला रखना
होता था।
उसने खिड़की से बाहर झांका फिर वापस लौट आया।
हालांकि उस खुले क्षेत्र में किसी प्रकार के खतरे की आ शा नहीं थी , लेकिन फिर भी वह चूंकि सजग रहने का आदी था-इसलिए हर त रफ उसकी निगाहें घूमती रहती थीं।
धीरे-धीरे पूनम की मस्ती बढ़ती जा रही थी।
नशा उसकी आंखों में मस्ती को बढ़ाता जा रहा था।
लम्बा का ध्यान जब उसे इधर-उधर भटकता-सा लगा तो वह स्वयं आगे बढकी और उसने अपनी सुडौल बांहों का हार लम्बा की गर्दन में पहना दिया।
लाम्बा के हाथ उसकी कमर पर जा पहुंचे ।
उसके बाद गर्म सांसें घुलने लगीं। अधरों से अधर जुगाये। एक प्रगाढ़ चुम्बन!
उस ए की चुम्बन ने पैट्रोल में चिंगारी का काम किया।
वासना की आग भड़की उठी।
पूनम के दोनों हाथों की उंग लिया लाम्बा के सिर के बालों में घूमनी आरंभ हो गई। उसका नि चला
अधर लम्बा के मुंह के अंदर जा चुका था।
दोनों एक-दूसरे के आलिंगन में गुंथ गए ।
फिर लम्बा ने पूनम को एकाएक ही अपनी बांहों में उठा लिया।
__ 'हाय रे...क्या कर रहे हो?' वह उसे आंख मारती हुई नशे में डूबे स्वर में बोली।
' प्यार।।
' कैसे करोगे प्यार ?'
' प्यार से करूँगा...प्यार।'
'हाय।'
'बहुत खुश नजर आ रही हो?'
'तुम्हारे पास किसी भी हाल में खुश हूं।'
'किसी भी हाल में ?'
'हां...किसी भी हाल में।'
मुस्कराते हुए लाम्बा ने पूनम को ऊपर से ही बैड पर छोड़ दिया।
'उई मां।' वह नीचे गिरती हुई बनावटी क्रोध के साथ चिल्लाई।
'मुलायम डनलप बैड पर गिरने से चोट लगने का सवाल ही नहीं उठता था ।
हंसता हुआ लाम्बा उसके ऊपर ही ढेर हो
गया।
उसके बाद दोनों ने एक-दूसरे के शरीर से उनके वस्त्र उतार फे के। निर्वसन, स्निग्ध ब द न। करंट लगने जैसा स्पर्श और तेज होती हुई सांसें।
एकाकार होते हुए आलिंगनबद्ध हो गए वे।
दोनों ही एक-दूसरे को विभिन्न स्थानों पर चूम रहे थे। पूनम नीचे आ चुकी थी।
उसके मुख से कामुकी सत्कार निकले आरंभ हो गए। उसकी सांसें लम्बा की सांसों के साथ ही तीव्र होती जा रही थीं।
अंत में वह क्षण भी आया जब आनन्द के चरमोत्कर्ष पर पहुंचती पूनम के दांत लाम्बा के कंधे में गढ़ गए।
वह लम्बा से कसकर लिपट गई।
दोनों एक-दूसरे के आलिंगन में देर तक जकड़े रहे।
और!
उसी स्थिति मे उन्हें नीद ने आ दबोचा।
कोठारी ने रंजीत लाम्बा की तलाश में कुछ आदमियों को भेजने के साथ-साथ स्वयं भी भाग-दौ ड़ की थी और उस समय वह थका-हारा निराशा में डूबा विला में दाखिल हुआ ही था कि एक गार्ड ने उसे सूचित किया की विदेशमुख साहब उसे अपने कमरे में बुला रहे हैं।
वह सीधा माणिकी देशमुख के कमरे में जा पहुंचा।
कमरे में कदम रखते ही वह चैका ।
वहां देशमुख अकेला नहीं था।
जोजफ था और जोजफ के अतिरिक्त था जार्ज पीटर। अ ण्ड रवर्ल्ड का एक अहम मोहरा।
'कुछ पता चला ?' उसे देखते ही मुणिकी देशमुख ने पूछा।
' अभी नहीं। ' उसने अपेक्षाकृत धीमे स्वर में कहा।

'पी टर तेरी मदद करेगा रंजीत लम्बा की तलाश करने में।'
'क्यों बॉस...क्या मैं लाम्बा को तलाश कर नहीं सकूँगा?'
'अभी तक तो नहीं ही कर सका है न और पीटर ने लम्बा से अपना कुछ उधार
भी चुकता करना है। ' देशमुख जार्ज पीटर की ओर देखता हुवा विषैले अंदाज में मुस्कराया।
'ले किन बॉस...।'
.
.
.
.
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.
'नो इफ एण्ड नो बट . ..जो मैं कह रहा हू वह तू कर। लम्बा की तलाश में पीटर की तू हर तरह की मदद करेगा। पीटर भी तुझे मदद करेगा और उसकी यहमदद फ्री ऑफ कॉस्ट होगी। अगर इसे लम्बा का मर्डर भी करना पड़ा तो उसका भी कोई चार्ज नहीं।'
कोठारी खामोश रहा। लेकिन उसकी खामोशी के बावजूद इस बात को भली-भांति समझा जा सकता था कि वह अपने बॉस के उस फैसले से नाखुश था।
जार्ज पीटर का दखल उसकी समझ में नहीं आ रह था।

'तू समझ रहा है न मैं क्या कह रहा हूं?' माणिकी देशमुख उसके चेहरे को पढने की चेष्टा करता हुआ बोला।
'जी।'
'तो अब जा...जाकर पीटर की मदद कर।'
पीटर उठ खड़ा हुआ।
कोठारी माणिकी देशमुख से कुछ कहना चाहता था किन्तु फिर उसने इरादा बदल दिया।
पीटर उसके चलने के इंतजार में उससे दो कदम आगे खड़ा उसे निहार रहा था।
मजबूरन उसे पीटर के साथ चल देना पड़ा।
वह पीटर को लेकर बाहरले हॉल में जा पहुंचा।
हॉल में उन दोनों के अतिरिक्त कोई नहीं था।
पीटर ने कोई भी औपचारिकी ता निभाए बिना सिगरेट सुलगाई और फिर आराम के साथ उसके कश लगाने लगा।
'तुमने लाम्बा को कहां-कहां तलाश किया ?' कुछ देर बाद उसने धुवां उगलते हुए अपने और कोठारी के बीच की खामोशी को तोड़ा।
'उसके जितने भी ठिकानों की जानकारी और उसने जोजफ के नाम की जानकारी तुमसे हासिल करने के बाद तुम्हें गोली नहीं मारी। वरना तो वह अपने किसी भी दुश मन को कभी क्षमा नहीं करता। वह ए ग्जीक्यूशनर है। जल्लाद! और जल्लाद बेरहम होता है।'
'मुझे गोली मारने के लिए शेर का कलेजा चाहिए।'
'वह शेर ही है।'
'शेर नहीं-गीदड़ है , इसीलिए तो दुम-दबाए भागा फिर रहा है। शेर होता तो कब का सीना ताने मेरे सामने आ चुका होता।'
शेर जब अपना शिकार करता है तो उसे पहले तो छिपना ही पड़ता है घात लगाने के लिए। अगरु वह सामने आ गया तो फिर शिकार ने तो भाग ही जाना होगा न। ' कोठारी ने अपलकी उसकी
आंखों में झांकते हुए बेझिझकी कहा।
वह पीटर के बारे में जानता था-लेकिन उसका अपना दबदबा भी अण्डर वर्ल्ड में कुछ कम नहीं था। वह खुद एक बहुत बड़ा दादा हुआ करता
था।'
वह पीटर जैसे लोगों से खौफ खाने वालों में नहीं था। पीटर कोठारी की शक्ति से वाकिफ था।
__'बहुत तारीफ कर रहे हो उसकी?' पीटर उसके चेहरे को पड़ने की कोशिश करता हुआ बोला।
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Masoom
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Re: Thriller बारूद का ढेर

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