मर्द का बच्चा
रघुवीर सिंग- दादा
ज्योति सिंग,- दादी ( अब नही रही)
इनके चार लड़का दो लड़की है.
अनिल सिंग- बड़े काका.
ऋतु सिंग- बड़ी काकी.
इनको दो लड़की ऑर एक लड़का है.
सोनम- बी.ए फाइनल मे है.
रोमा- बी.ए मे गई है इस बार.
राघव- आर्मी मे है.
सुनील सिंग- मझले काका.
राज्ञी सिंग- मझली काकी.
इनकी दो लड़की है.
मीनू- रोमा के साथ बी.ए फर्स्ट एअर मे है.
रानी- 12 का एग्ज़ॅम दिया है.
रवि सिंग- छोटे काका.
सालनी सिंग- छोटी काकी.
इनको एक लड़की है.
गौरी- अभी 12 का एग्ज़ॅम दिया है रानी के साथ.
राम सिंग- पापा
काजल सिंग- माँ
इनके एक लड़की एक लड़का है.
कोमल- 12 मे है.
ललित - (लल्लू)- 8थ तक पढ़ा है एक हादसे मे इसके सर पर चोट लग गई थी. कभी पागल लगता है तो कभी इस से अच्छा इंसान इस धरती पर नही होगा. ऐसा लगता है. कोमल ऑर लल्लू दोनो जुड़वा है.
दिव्या सिंग- बड़ी बुआ.
दीपक सिंग- बड़े फूफा.
एक लड़की एक लड़का है इन्हे.
रूही- 10थ मे है.
राजू- 8थ मे है.
दीक्षा सिंग- छोटी बुआ.
दिनेश सिंग- छोटे फूफा.
इनको कोई संतान नही है.
संध्या का समय था. लल्लू नदी किनारे बैठा हुआ एक टक नदी के पानी को देख रहा था जिस मे छोटी छोटी मछलियाँ एक समूह मे इधर उधर भटक रही थी ऑर वही तीन चार बगुले उन मछलियो को अपनी चोच मे पकड़ पकड़ कर खाए जा रहे थे.
सूर्य महराज अब दूर छितिज मे छुपने वाले थे. परो की छाया लंबी हो गई थी. ये इशारा था सब को कि अब अपने घरो की ओर चले जाओ. अब अंधेरा होने वाला है.
लेकिन लल्लू इन चीज़ो से बेख़बर वही नदी किनारे बैठा हुआ था.
" लल्लू ओ लल्लू…" दूर से कोई लड़का चिल्लाता हुआ इधर नदी किनारे आ रहा था.
" अबे कब से तुम्हे ढूँढ रहा हूँ. कहाँ खोया हुआ है. तुम्हारे दादा जी तुम्हे बुला रहे है." एक दुबला पतला सा लड़का लल्लू के पास आ कर बोला.
" क्यूँ ढूँढ रहे है. मैं क्या खो गया हूँ."
लड़का- ये तो जा कर अपने दादा से पूछना. आज फिर तुम ने गंगा ताई की बेटी राधिया को तंग किया है ना. गंगा ताई आई थी शिकायत ले कर तुम्हारे घर.
लल्लू- बेहेन्चोद, उसकी बुर मारनी बेटी आज आम के बाग मे कलुआ से चुदवा रही थी. मैं बोला मुझे भी चोदने दे तो बोलती है कि मुझे नही देगी तो मैने कलुआ को मार कर भगा दिया इसी लिए शिकायत कर रही होगी.
लड़का- वो मुझे नही पता. चल घर चल. अंधेरा होने वाला है.
लल्लू उठ खड़ा हुआ ऑर उस लड़के के साथ गाँव की ओर चल दिया.
गाँव मे कही कही स्ट्रीट लाइट जल रही थी तो कही गाँव के आवारा लड़के फोड़ दिए थे क्योंकि उन्हे अपने माल के यहाँ रात को छुप कर जाने मे परेशानी जो होती थी इन लाइट्स से. अब अंधेरा हो गया था.
लल्लू नल से हाथ पैर धो कर दालान पर आ गया जहा उसके तीनो चाचा उसके पापा ऑर दादा जी के साथ बैठ कर बाते कर रहे थे.
पापा- आज फिर तुम राधिया को तंग कर रहे थे. तुम बहुत परेशान करते हो मुझे. किसी दिन मे तुम्हे तुम्हारे मामा के यहाँ छोड़ आउन्गा. समझ ले.
लल्लू- मैने कुछ नही किया है. ये सब उस राधिया का ही किया धरा है. वो फिर आज अपने आम के बाग मे गंदा काम कर रही थी. तो मैने भगा दिया वहाँ से. इस लिए वो मेरा शिकायत ले कर आई होगी.