Incest मर्द का बच्चा

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badlraj
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Re: Incest मर्द का बच्चा

Post by badlraj »

Keep updating.......
josef
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Re: Incest मर्द का बच्चा

Post by josef »

अपडेट 5.


लल्लू- ये बुरचोदी सब को बताती है और मुझे डाँटती है. अभी बताता हू.

लल्लू इधर उधर देखा फिर कुछ सोच कर.


लल्लू- यहाँ क्या कर रहे हो काका. कोई काम था तो मुझे बताओ.( थोड़ा ज़ोर से ताकि ये दोनो सुन ले.)

लल्लू- ( आवाज़ बदल कर) अरे बचुवा इस कमरे में कुछ समान है वो निकालना है. चाभी खो गया है कही तो इस टूटी खिड़की से ही जा कर निकाल लेंगे.

लल्लू- ( अपने आवाज़ में) क्या निकालना है काका मुझे बताओ. में निकाल दूँगा. कहा आप इस कमरे में जाओगे.

और फिर लल्लू उस कमरे में घुस्स गया.

लल्लू- ओो, आप लोग भी यही है. क्यू रे बहनचोद वहाँ तेरे बहन की शादी है और यहाँ इस रंडी की बुर में घुसा जा रहा है तू. ( एक थप्पड़ लगाता हुआ) भाग मादरचोद नही तो अभी गान्ड लाल कर दूँगा.

वो लड़का जो लल्लू से बड़ा था लेकिन अभी मार खा कर जल्दी जल्दी कपड़ा पहन कर खिड़की से निकल कर भाग गया.

लल्लू- हा तो रंडी. अब ये बता की सब को तो तू बात रही है अपनी चूत जैसे बाबा जी का लड्डू हो और मुझे डाट रही है. ये क्या बात हुई.
मेरे लुल्ली में क्या बदबू है क्या.

औरत- बेटा प्लीज़ माफ़ कर दे. आगे से कभी कुछ नही करूँगी.
लल्लू- बहनचोद दोनो मा बेटी एक नंबर की रंडी है. आज तो बिना बर फाडे नही जाने दूँगा.

औरत- प्लीज़ बेटा. आगे से में कुछ नही करूँगी. यही मुझे बहला कर लाया था की इस कमरे से समान लाना है. और ये सब हो गया.

लल्लू- हा रे रंडी. उसे समान तो लेना ही था और ले भी लिया. अब थोड़ा मुझे भी जल्दी से समान दे दो अपना.

औरत- नही नही बेटा मुझे जाने दो.

लल्लू- बिना चुदवाए नही जाने दूँगा आज तो.
औरत- ( रोती हुई) प्लीज़ में तुम्हारे पैर पार्टी हू मुझे माफ़ कर दे. में आगे से ऐसा कुछ नही करूँगी. किसी के भी साथ.

लल्लू- चुप कर ये टेशुवा ना बहा कर दिखा. मेरे तो समझ ही नही आता. बहनचोद सब से तू लोग चुदवा लेती हो लेकिन मेरे समय में क्यू बिदक जाती हो. चल भाग जा यहाँ से लेकिन याद रखना गंगू ताई तू और तेरी वो फटी बर वाली बेटी कभी भी घर के बाहर दिखी उसी दिन अपना लुल्ली निकाल कर दोनो को पेट से कर दूँगा ये गाँठ बाँध ले अब.

लल्लू एक थप्पड़ उसके नंगी गान्ड पर लगाता गंगू ताई को बोला.

लल्लू वहाँ से निकल कर अपने घर की ओर चल दिया.
उसका मूड खराब हो गया था.
सब उसकी लुल्ली को खड़ा कर देते है लेकिन जब असली काम की बारी आती है तो सब ठेंगा दिखा देते है.


घर आ कर अपना कपड़ा खोल कर केमर में वही अपना धोती लपेट लिया और खटिया पर लेट गया.

आज खेत में बहुत काम किया था फिर पूरे दिन भागा दौड़ी में लल्लू तक भी गया था तो खटिया पर लेटते ही उसे नींद आ गई.

इधर घर के कमरे में ऋतु काकी भी शादी वाले घर जाने वाली थी.
तो वो भी तैयारी में लगी थी.
नयी हरी रंग की सारी, उस से मॅचिंग ब्लाउस, पेटिकोट. हाथो में हरी चूड़ियाँ. हरी बिंदी. होंठो पर लाल लिपस्टिक. लिपस्टिक तो ऐसा लगाई थी ऋतु काकी की लग रहा था जैसे अभी होंठो से टपक पड़ेगा.

इस परिवार में जैसे एक वरदान मिला हो सब लॅडीस को उनकी बाल कमर तक लंबे है सब के.

ऋतु काकी तैयार हो कर अपनी नयी संडल निकाली लेकिन वो जमा नही फिर ढूँढ कर एक हरी जूती निकाल कर वो पहन ली.

बिल्कुल माल लग रही थी.
अभी ऋतु काकी ऐसी लग रही थी जैसे आज इनका ही शादी होने वाली है और इनका ही सुहागरात हो.

वो तैयार हो कर बाहर निकली और नालका पर बातरूम करने चली गई.
फिर वहाँ से आ कर सभी कमरो को बंद कर के अच्छे से ताला लगा कर लॉक कर दी.
चाभी एक जगह छुपा कर जिस के बारे में घर के सभी को पता रहता है.
फिर ऋतु काकी शादी वाले घर जाने लगी.
तभी उसने देखा की खटिया पर कोई सोया है.

वो चौक गई. ये कौन आ कर सोया है यहाँ.
पास आ कर देखी तो लल्लू सोया था.
josef
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Re: Incest मर्द का बच्चा

Post by josef »

ऋतु काकी आ कर उसके खटिया पर बैठ गई. लल्लू के सर को च्छू कर देखी की कही कोई तबीयत तो नही खराब हो गया है.

काकी- बेटा, क्या हुआ. यहाँ क्यू सोया है. तू तो शादी में गया था ना. क्या हुआ तो ठीक है ना.

लल्लू- काकी सोने दे ना. बहुत नींद आ रही है.

काकी- पहले बता तो सही. तू ठीक है ना. कोई लड़ाई झगरा तो नही हो गया किसी से. या तबीयत तो नही खराब हो गया तेरी.

लल्लू- काकी सब ठीक है. तुम इतना चिंता मत करो मेरा.
काकी- कैसे ना करू चिंता. तू तो मेरा प्यारा बेटा है.

लल्लू- क्या काकी नींद तोड़ दी पूरा तुम ने. शादी में नही गई तुम.( लल्लू आँख खोल कर काकी को देखता बोला)
लल्लू का मूह खुल गया इस अप्सरा रूप को देख कर.

लल्लू- हाय्यी मार दिया रे…( अपने छाती पर हाथ मारते हुए.)
काकी- ( घबरा कर) क्या हुआ बेटा. यहाँ दर्द कर रहा है क्या. क्या हुआ तुम्हे. किसी ने मारा है क्या यहाँ. चोट लगी है क्या. ला जल्दी दिखा.

लल्लू- काकी.. मेरी प्यारी काकी. मुझे कुछ नही हुआ. में तो तेरे हुश्न का मारा हुआ हू. किस का कत्ल करने जा रही है.

काकी- चुप मुआअ डरा दिया. कितना नाटक करता है. फिर कभी ऐसा किया ना तो चप्पल से मारूँगी.

लल्लू- हाय्यी मेरी जान. तू एक बार प्यार से देख तो ले. तेरा आशिक तो उसी से मर जायगा.

काकी- हे राम, मरे तेरे दुश्मन. ऐसा फिर बोला तो में कभी बात नही करूँगी तेरे से. ( काकी वहाँ से उठ कर जाती हुई बोली)

लल्लू खटिया से उतर कर नीचे घुटने पर बैठ गया एक हाथ आगे फैला कर.

लल्लू-

कहाँ चल दिए, इधर तो आओ
मेरे दिल को ना ठुकराओ, भोली सितम कर
मान भी जाओ
मान भी जाओ
मान भी जाओ.

ऋतु काकी वही रुक कर आश्चर्य से लल्लू को देखने लगी.

लल्लू-
झुकी झुकी सी नज़र, बेकरार है के नही..
दबा दबा सा सही, दिल में प्यार है के नही..
झुकी झुकी सी नज़र..
तू अपनी दिल की जवान धड़कनो को, गिन के बता..
तू अपनी दिल की जवान धड़कनो को, गिन के बता..
मेरी तरह तेरा दिल, बेकरार है के नही...
दबा दबा सा सही, दिल में प्यार है के नही..
झुकी झुकी सी नज़र…..

काकी शरमा कर नज़रे झुका ली.


काकी-
हाए बाली उमारिया में
अरी ब्याह के आई
अरी मे भोली बलमा नादान
अर्रे हाए कैसी बिपत पड़ी मोरी गुइयाँ
अरी कछु ना समझे नादान
सैयाँ मिले लरकइयाँ मैं का करूँ
हाए मैं क्या करू….
सैयाँ मिले लरकइयाँ मैं का
करूँ…

लल्लू उठ कर गया और काकी को बाहों में भर लिया.

लल्लू- काकी तुम आज कयामत लग रही हो. में क्या करू. मुझ से कोई ग़लती हो जाये तो पागल बेटा समझ कर माफ़ कर देना.

काकी कस कर लल्लू को अपने आगोश में ले ली.
काकी- फिर कभी ऐसा बोला तो बहुत पिटाई करूँगी.

लल्लू काकी की ठोडी पकड़ कर अपनी ओर घुमा कर उसके आँखो में देखने लगा.

दोनो की आँखो में एक नशा था.
दोनो आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन पहल कौन करे.
काकी दर रही थी. शरमा रही थी. तो लल्लू डर रहा था कही काकी नाराज़ हो गई तो में कैसे जियूंगा.
लेकिन लल्लू काकी का ये हुश्न देख कर काकी में खोता जा रहा था.
दोनो एक दूसरे की आँखो में देखते देखते मदहोश हो गये और दोनो की आँखे बंद हो गई.
जैसे जैसे आँखे मूंद रही थी वैसे वैसे दोनो के होंठ खुलते जा रहे थे.
एक दूसरे के पास आते जा रहे थे.
दोनो एक दूसरे की रोमांच में बढ़ी हुई
धड़कनों को सुन पा रहे थे.
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