Incest ये प्यास है कि बुझती ही नही

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SUNITASBS
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Re: Incest ये प्यास है कि बुझती ही नही

Post by SUNITASBS »

nice story
😪
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rajsharma
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Re: Incest ये प्यास है कि बुझती ही नही

Post by rajsharma »

अपडेट 3

भैया ने किया मार्गदर्शन

आगे अब अर्जुन की ज़ुबानी:

शाम को किसी के हिलाने से मेरी आँखें खुली. देखा तो सामने संजीव भैया खड़े थे.
"छोटे चल खड़ा हो जा. बाहर चलते है थोड़ा घूमने." भैया ने मुझे बोला तो मैं एक झटके मे
खड़ा हो गया. कमरे के साथ ही बने वॉशरूम मे मूह धोया और चल दिया भैया के पीछे. नीचे
आए तो देख बाहर बगीचे मे दादा जी अपने कुछ दोस्तो के साथ बैठे थे और मधुरी दीदी चाइ
सर्व कर रही थी. सबको नमस्कार करने के बाद मैं भैया के पीछे स्कूटर पर बैठ गया.

संजीव भैया ज़्यादा किसी से बात नही करते थे लेकिन मुझ से उन्हे बहुत लगाव था. सबके सामने
चुपचाप रहने वाला ये मेरा बड़ा भाई मेरे साथ कुछ हद तक खुला था और मेरी परवाह भी करते थे.
घर से निकल के हम पहुँच गये दूसरे सेक्टर की मार्केट मे.

"छोटे तू तो जीरा-लेमन ही लेगा ना? या और कुछ चाहिए?", भैया ने शॉप पे जाने से पहले मुझ से
पूछा. मैं पार्किंग मे ही फुटपॅत पे बैठ गया.

"नही भैया. बस एक जीरा-लेमन." मैने बोला

थोड़ी देर मे भैया मेरे लिए एक जीरा ऑर अपने लिए एक कोला ऑर सिग्रेट ले आए.

"भैया इसको पीने से सेहत खराब होती है. फिर क्यो पीते हो? मैने उन्हे बोला जब वो सिग्रेट जला रहे थे

"भाई देखा जाए तो हर चीज़ से सेहत खराब होती है. खाने से, पीने से, खेलने से, रोने से, सोने से
और प्यार से. तो फिर क्या फायेदा नही पीने का." उन्होने हंस कर मुझे जवाब दिया.

"प्यार. ये कैसे होता है भैया? इसके लिए तो शादी ज़रूरी है ना?" मैने पूछा तो वो हँसने लगे

"छोटे तू ना सच मे छोटा है. चाचा ने तुझे बोरडिंग भेजा तब भी तू बड़ा नही हुआ. प्यार तो
किस्मत से होता है ऑर वो भी सबको नही होता. और जो भी प्यार व्यार करने का ड्रामा करते है वो सिर्फ़
जिस्म की प्यास भुजाने का काम है." उनका जवाब कुछ समझ नही आया मुझे.

"भैया मेरी प्यास तो ये जीरा लेमन से बुझ गई. पानी से भी बुझ जाती है. ये जिस्म की प्यास मतलब?"
मैने अगला क्वेस्चन पूछ लिया

भैया बोले,"चल जल्दी ख़तम कर और वीसीआर वाले रिंकू के पास चलते है. कुछ नई फिल्म आई है वो देखेंगे.
कल मेरी भी छुट्टी है और तेरी भी. गुड़िया लोग भी एक फिल्म देख ही लेंगे."

मैं भी बिना कुछ कहे चल दिया उनके पीछे स्कूटर पे बैठ के. ये रिंकू भाई का दोस्त ही था बचपन से
लेकिन ज़्यादा पढ़ाई नही करी तो अपने भाई के साथ दुकान चलाता था वीसीआर की ऑर वीडियो गेम की. हम वहाँ
पहुचे तो संजीव भैया रिंकू से बात करने लगे.

"बड़ा आदमी हो गया है संजीव तू तो.. स्कूटर, नौकरी और छोकरी.." रिंकू भाई को देखते ही बोल दिया
मुझे झटका लगा ये सुनकर "छोकरी"..

कुछ नॉर्मल बातें कर के संजीव भैया ने उस से पूछा नई फिल्म कोन्सि आई है तो रिंकू ने 6-7 नाम
लिए. मुझे उस समय तक कोई खास लगाव नही था टीवी ऑर फिल्म का लेकिन देख लेता था कभी कभी. भैया
ने एक अजय देवगन की फिल्म ली, एक शाहरुख की जो दीदी लोगो को पसंद था उस टाइम और एक फिल्म ली जिसके
उपर कोई नाम नही था. वीसीआर मैने पकड़ा और हम आ गये घर.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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rajsharma
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Re: Incest ये प्यास है कि बुझती ही नही

Post by rajsharma »

8 बजे घर मे खाना खाने का टाइम रहता था. घर पहुचे तो ताऊ जी, दादा जी, ऋतु दीदी, अलका दीदी
खाना खा रहे थे. दादी जी अपने कमरे मे खा रही थी. वीसीआर हम चुपके से पहले ही उपर रख आए थे अपने
रूम मे. दादा जी ने देखते ही कहा.

"बर्खुरदार सिर्फ़ कल तक कर लो मौज मस्ती. सोमवार से नया टाइम टेबल बनाएँगे आपका."

मैने भी हंसते हुए कहा "जो हुकुम आपका मालिक". मैं अकेला हे था जो दादा जी मज़ाक कर लेता था.
वो भी हंस दिए.

हाथ धो कर मैं और संजीव भैया भी बैठ गये खाना खाने. भैया दीदी लोग से भी ज़्यादा बात
नही करते थे लेकिन जो भी वो मँगवाती हमेशा ला देते थे. फिर उन्होने मुझे इशारा किया कि मैं
चारों दीदी को बता दूं कि "दिल तो पागल है" फिल्म देखने आ जाना उपर खाना खा के. मैं सिर्फ़ एक कोमल
दीदी से ही तोड़ा ज़्यादा बात करता था. जब वो मुझे रोटी देने आई तो मैने उनके कान मे बता दिया.
वो मुस्कुराती हुई गई ऑर धीरे धीरे मेरी चारों बहनें मुझे स्माइल देने लगी.

दादा जी के पैर दबाए और चुप चाप चल दिया अपने कमरे मे.

रात तकरीबन 10 बजे संजीव भैया ने 2न्ड फ्लोर के ड्रॉयिंग रूम मे वीसीआर लगाया टीवी पे ऑर शाहरुख की
फिल्म चला दी. एक सोफे पे भैया बैठे थे, एक पे ऋतु दीदी, बड़े सोफे पे अलका, मधुरी और कोमल दीदी
बैठ गये. मैने वही नीचे मेरा मॅट्रेस बड़े सोफे के नीचे बिछा लिया क्योंकि मेरी नींद का कोई भरोसा
नही था. रात मे लगभग सभी दीदी लूस या पुराने सूट मे ही रहते थे तो आज भी कुछ नया नही था
फिल्म अछी थी और गाने भी सबको पसंद थे. लेकिन जब भी सॉंग आता तो भैया आगे कर देते. करिश्मा
कपूर को देख के मुझे बहोत मज़ा आ रहा था. 12 बजे तक फिल्म ख़तम हो गई तो भैया ने अजय देवगन
वाली फिल्म लगा दी. ऋतु दीदी उठ कर नीचे पानी पीने चली गई और अलका दीदी सोने. फिर मैं भी बड़े
सोफे पे बैठ गया कोमल दीदी और मधुरी दीदी के बीच मे. हम फिल्म देखने लगे तो ऋतु भी आ गई थी.
थोड़ी देर बाद फिल्म मे काजोल को देख कर मैं उसके शरीर की तुलना कोमल दीदी से करने लगा. दीदी का सीना
काजोल से भी भारी था लेकिन फीचर्स लगभग एक जैसे. पता नही क्या हो रहा था मुझे. फिल्म देखते हुए
मैं सो गया और मेरा सर कोमल दीदी के कंधे पे टिका था. लगभग एक घंटे बाद संजीव भैया ने मुझे
उठाया तो देखा कि ड्रॉयिंग रूम कोई नही था. 2 बज रहे थे और वीसीआर खाली था.

"डोर बंद कर उठ के मैं एक और केसेट लगाता हूँ. सब गये नीचे" भैया ने मुझे कहा तो मैने हैरान
होते हुए दरवाजे बंद कर दिए.

थोड़ी देर तो टीवी पे कुछ नही आया लेकिन जैसे ही फिल्म शुरू हुई तो नाम लिखा आया "छमिया"

"भैया ये कोन्सि फिल्म है? ये नाम तो पहले कभी नही सुना? कौन हीरो है?"

"बेटा आज तुझे मैं असली ग्यान देता हूँ जो सिर्फ़ अंधेरे मे ही दिखाई देता है. लोग इसके बारे मे ज़्यादा बात
नही करते. शाम को पूछा था ना जिस्म की प्यास, अब देख."

मैं उत्सुकता से देखने लगा टीवी. कुछ ही देर मे एक लड़की जो हेरोइन थी वो दिखने लगी. किसी से फोन पे बात
करते हुए. थोड़ी देर मे सीन चेंज. एक लड़का उस लड़की के घर की डोर बेल बजाता है ऑर वो लड़की शरीर
पे तोलिया लपेटे हुए दरवाजा खोलती है. दोनो गले मिलते है. यहाँ तक मुझे कुछ अजीब नही लगा.
5 मिनिट के बाद सीन कुछ बदल गया. वो दोनो एक दूसरे को चूमने लगे और लड़के ने धीरे धीरे पूरा
तोलिया निकल दिया. जहाँ अंदर वो लड़की नंगी थी. ये देख मैने अपनी आँखें बंद कर ली.

संजीव भैया,"छोटे आँख खोल और देख. शरमा मत. ये सब ज़रूरी है सीखना. ये दोनो प्यार कर रहे
है."

डरते डरते मैने खोली तो देखा कि वो लड़का उस लड़की के दूध पी रहा था. मुझे मेरे कानो मे गर्मी
लगने लगी. आज पहली बार ऐसा कुछ देख रहा था. फिर लड़की ने उस लड़के के सब कपड़े निकाले ऑर नीचे
बैठ कर उस लड़के का पिशाब वाला अंग मूह मे ले लिया.

"छि... ये सब गंदगी है भैया. ऐसे कॉन करता है?" मैने नज़र हटा के भैया से पूछा

"बेटा प्यार करने मे कुछ गंदगी नही होती. जब एक दूसरे से प्यार करते है तो उसकी कोई सीमा थोड़ी
होती है. और वो पिशाब करने वाला अंग लिंग है. जिसको लंड भी बोलते है. ऑर लड़की के अंग को योनि या
चूत. एक बार देख अगर तुझे फिर भी अछा नही लगा तो आज के बाद मैं खुद कभी नही देखूँगा.?" भैया
ने मुझे बोला
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Re: Incest ये प्यास है कि बुझती ही नही

Post by rajsharma »

मैं एक बार फिर से देखने लगा सब कुछ भूल कर. अब वो लड़का लड़की एक दूसरे के अंग चाट रहे थे. ऑर
थोड़ी देर बाद उस लड़के ने लड़की को बेड पे लिटाया ऑर अपना लिंग डाल दिया उसकी योनि मे. उस लड़की के चेहरे
का हावभाव बिल्कुल बदल चुका था. वो लड़का लगा हुआ था धक्के मारने मे. थोड़ी देर बाद उसने लड़की
को पैरो के बल किया ऑर पीछे से धक्के देने लगा. मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मुझे बुखार हो गया
है. और फिर उस लड़के ने अपना लिंग निकाला और लड़की के उपर सफेद पानी टपकाने लगा.

"इसको वीर्य बोलते है भाई. तेरी लॅंग्वेज मे स्पर्म." भैया ने बताया

"ओह तो इस से ही बच्चा होता है." मैने भी बिना सोचे बोल दिया.

"हाँ भाई. जब ये लड़की की योनि के अंदर छोड़ दो तो बचा होता है."

"भैया सेक्षुयल रिप्रोडक्षन मे पढ़ा था स्पर्म, पेनिस, वेजाइना.. लेकिन सिर्फ़ वही पता था. देखा आज है"

फिर संजीव भैया ने मुझे बताना शुरू किया. बूब्स, किस, वेजाइनल सेक्स, अनल सेक्स.. पल्ले कुछ ज़्यादा नही
पड़ा लेकिन नज़र टीवी पे ही थी. एक बार फिर वैसा ही सीन था. यहा एक कामवाली अपने मालिक के साथ वही सब
कर रही थी. इसके ब्रेस्ट्स पहले वाली से बहोत बड़े थे. ये देख भैया ने मुझे बताया कि बड़े ब्रेस्ट
वाली लड़की मे सेक्स ज़्यादा होता है. मैने भी मान लिया.

थोड़ी देर हम दोनो टीवी देखते रहे. मेरा ध्यान जब भैया की तरफ गया तो देखा कि वो अपनी ज़िप खोल कर
अपने लिंग को सहला रहे थे. जैसी हालत उनके लिंग की थी ऐसी मेरी कभी कभी सुबह जागने के टाइम होती
थी. वैसी ही हालत फिल्म वाले अंकल के लिंग की थी.

"तू भी हल्का कर ले अपने आप को भाई. बड़ा मज़ा आएगा. शरमा मत यहा सिर्फ़ हम दोनो है."

मैं चुप रहा ऑर शरम के मारे वापिस टीवी देखने लगा. भैया की आवाज़ फिर आई.

"अर्रे लड़की तो नही है तू?"

मैने घबरा के बोला "नही नही भैया ऐसा तो मेरे भी पास है लेकिन शरम आती है."

"अगर तूने आज ज़िप खोल ली तो मैं तेरा प्रॅक्टिकल भी जल्दी करवा दूँगा." भैया ने जैसे ही ये बोला
मैने झटके मे अपने पेंट की ज़िप खोल दी. अंडरवेर मैं रात मे पहनता ही नही था.

"साले ये क्या है? भैया अपनी कुर्सी से खड़े हो के मेरे सोफे के पास आ कर देखने लगे

"वही है भैया जो आपके पास है." मैने अपने लिंग को दोनो हाथ से पकड़ा हुआ था

संजीव भैया ने फिर थोड़ी देर बाद बोला,"भाई ये लिंग नही लोडा है. देख तेरे दोनो हाथ से भी बाहर
है."

मैने कहा, "भैया मेरी हाइट लंबी है शायद इसलिए. सबकी हाइट के अकॉरडिंग ही तो होता होगा"

वो एकदम से बोले, "छोटे अपने रूम मे जा और स्केल लेके आ."

मैं भाग के साथ वाले कमरे से 12 इंच वाला रूलर लेके आ गया. पहले उन्होने अपने लिंग की जड़ पर
स्केल लगाया तो उनका लिंग का हेड 5.5 इंच पे था. फिर उन्होने मुझे वो दिया ऑर बोले ले अब अपना चेक
कर छोटे.

मैने स्केल टच किया तो अलग सा मज़ा आया. फिर ध्यान दिया तो देखा 7.5 इंच.

भैया बोले, "देख मेरे भाई तेरा खास है. शायद तू हमेशा सेहत का ध्यान रखता है ऑर ग़लत काम
नही करता. हेल्त पे और ध्यान देगा तो ये और मजबूत बनेगा. चल अब अपना लिंग सहला."

हम दोनो अपनी अपनी जगह बैठ गये वापिस और लग गये लिंग सहलाने. 10 मिनिट के बाद मुझे लगा
जैसे मेरी जान निकल रही है. और फिर एक दम से जैसे चिपचिपी गोंद मेरे लिंग से उड़ने लगी. 3-4
बार. और फिर मैं ऐसे ही लाते गया. 5 मिनिट के बाद भैया भी वैसे ही निढाल हो गये.

"क्यो छोटे मज़ा आया? भैया ने धीमी आवाज़ मे पूछा

"भैया ऐसा लगा जैसे जान निकल गई. लेकिन फिर एकदम अलग मज़ा आया जैसे कभी नही आया"

"भाई इसको हस्तमैथुन कहते है. हफ्ते मे एक दो बार तो ठीक है ज़्यादा मत करना." भैया
उठते हुए बोले. उन्होने अख़बार से ज़मीन पे पड़ा वीर्य सॉफ किया और फेंक दिया डस्टबिन मे.
4 बज चुके थे सुबह के. दादा जी के तो जागने का टाइम और आज मैं पहली बार इस टाइम सो रहा था.
फिर जो नींद आई तो ऐसा लगा जैसे पहली बार सोया हू.
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