Fantasy School teacher complete

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Ankit Kumar
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Re: Fantasy School teacher

Post by Ankit Kumar »

“भाड़ में जाओ साले मादरचोदों!” मैंने भी ज़रा चिढ़ते हुए उन्हें गाली दी और अपनी बेकरार चूत के लुत्फ़ो-सुकून के लिये मुश्त ज़नी ज़ारी रखी। इसी तरह एक हाथ से अपने फूले हुए बाज़र (क्लिट) को इश्तिआल करती हुई मैं मस्ती में दूसरे हाथ की दो उंगलियाँ अपनी चूत में ज़ोर से अंदर-बाहर कर रही थी और झड़ने के करीब ही थी जब मुझे अपने नज़दीक कुछ हरकत महसूस हुई। मैंने आँखें खोल के देखा तो कुळदीप का पालतू डॉबरमैन कुत़्ता, प्रिंस मेरे इर्द गिर्द मंडरा रहा था।

मुझे उससे कोई खौफ़ नहीं था क्योंकि वो अक्सर फार्महाउज़ पे मौजूद होता था और वो भी मुझसे वाक़िफ़ था। उसकी मौजूदगी को नज़र-अंदाज़ करते हुए मैंने खुद-लज़्ज़ती ज़ारी रखी लेकिन कुछ ही लम्हों में मुझे अपनी चूत पे उसकी गरम साँसें महसूस हुई तो मैंने फिर आँखें खोल के उसे देखा। “या अल़्लाह! इस कुत्ते को भी मेरी चूत चहिये क्या!” मैंने मज़ाक में अपने दिल में सोचा लेकिन अगले ही पल जो हुआ उसने तो मुझे बेहद चुदक्कड़ और हवस-परस्त होने के बावजूद भी बदहवास कर दिया।

उस कुत्ते़ ने अपनी लंबी सी ज़ुबान मेरी चूत के लबों पे फिरा दी। उसकी ज़ुबान का लम्स महसूस करते ही एक पल के लिये तो मेरी साँस ही रुक गयी… किसी खौफ़ या नफ़रत की वजह से नहीं बल्कि इसलिये कि ये बेहद लुत्फ़ अंदोज़ एहसास था। उसने फिर से अपनी ज़ुबान तीन-चार मर्तबा मेरी चूत पे फिरायी तो मेरी चूत ने वहीं पानी छोड़ दिया।

प्रिंस ने मेरी चूत चाटना ज़ारी रखा और मेरी चूत उसके एहसास से बिलबिलाने लगी। नशे और मस्ती में मेरी टाँगें खुद-ब-खुद उसकी काबिल ज़ुबान का और ज्यादा मज़ा लेने की तलब में फैल गयीं। वो भी अब पूरे जोश में अपनी ज़ुबान मेरी चूत में घुसा-घुसा कर चाटने लगा। उसकी ज़ुबान की लम्बाई का मुकाबला किसी मर्द के लिये मुमकिन नहीं था। उस कुत्ते की ज़ुबान मेरी चूत के अंदर उन हिस्सों तक दाखिल हो रही थी जहाँ पहले कभी किसी भी ज़ुबान का लम्स नहीं हुआ था।

मैं बेहद मुश्तैल हो चुकी थी और मेरी साँसें बे-रब्त होने लगी। जब उसकी ज़ुबान खून से लबालब फुले हुए मेरे बाज़र पे सरकती तो साँस हलक़ में अटक जाती। थोड़ी सी देर में मेरी चूत इस कदर लुत्फ़-अंदोज़ हो के झड़ने लगी कि मैं बयान नहीं कर सकती। मैं इतनी ज़ोर से चींखी कि मेरे चारों स्टूडेंट्स मैच छोड़ कर हैरत से मेरी जानिब देखने लगे।

चारों लड़के दूर सोफ़े से उठ कर मेरे नज़दीक आ गये और मेरा मज़ाक बनाने लगे। “वाह तब़स्सुम मैडम जी! और कोई तरीका नहीं मिला जो कुत्ते से ही चूत चटवाने का मज़ा लेने लगी!” “साली ठरकी तब़्बू मैडम… तुमने तो हद ही कर दी!” “कमाल की चुदक्कड़ी छिनाल है हमारी मैडम!” वो कुत्ता अभी भी मेरी चूत चाटने में लगा हुआ था और मैं कालीन पे टाँगें फैलाये नंगी पसरी हुई झड़ने की बेखुदी के एहसास का मज़ा ले रही थी। मैंने अपने स्टूडेंट्स की तंज़िया बातों का ज़रा भी बुरा नही मनाया।

मेरा उनसे रिश्ता था ही ऐसा कि आपस में इस तरह के मज़ाक और गंदी गालियाँ आम बात थी। मुझे सिर्फ़ उनकी कभी-कभार मज़हबी गालियाँ पसंद नहीं थी। मैंने भी पलट कर जवाबे-तल्ख दिया, “भोसड़ी के चूतियों… साले तुम मादरचोदों से तो ये कुत्ता बेहतर है… हारामखोरों… तुम चारों लौड़ू तो बीच में ही मैदान छोड़ कर भाग गये मुझे तड़पते हुए छोड़ के… तब इस कुत्ते ने मेरे अपनी ज़ुबान से मेरी चूत चाट कर मुझे बेइंतेहा लुत्फ़-अंदोज़ किया… ही इज़ द रियल स्टड!”

“इतना ही प्यार आ रहा है प्रिंस पर तो त़ब्बू मैडम जी इसी से चुदवा भी क्यों नहीं लेती!” कुलद़ीप मुझे ललकारते हुए बोला तो बाकी तीनों ने भी अपने दोस्त की हिमायत की। अब तक ये बात मेरे ज़हन में आयी नहीं थी। मैंने एक नज़र कुत्ते की जानिब देखा जो अभी भी मेरी चूत पे जीभ फिराते हुए उसमें से इखराज हुआ पानी चाट रहा था। पहली दफ़ा मेरी नज़र कुत्ते के लंड पे पड़ी।
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Ankit Kumar
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Re: Fantasy School teacher

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सुर्ख रंग की गाजर जैसा लंड काले खोल में से आधा निकला हुआ बेहद दिलकश और हवस अंगेज़ था। इतने में उन लड़कों ने फिर हंसते हुए कहा, “क्या हुआ भोंसड़ी की मादरजात मैडम… क्या सोच रही है… फट गयी ना गाँड… बोल है हिम्मत प्रिंस से चुदवाने की… उसकी कुत्तिया बनने की!”

शराब का नशा और शहूत मेरे ऊपर इस कदर परवान चढ़ी हुई थी कि उस वक़्त मैं किसी से भी चुदवाने को तैयार थी। मुझे तो लंड से मतलब था जो मुझे जम कर चोद सके… फिर वो चाहे इंसान का लंड हो या किसी जानवर का। वैसे भी मुझे इंटरनेट पे पोर्न वेबसाईट देखने का बेहद शौक लग चुका था जिसकी बदौलत मैंने जानवरों के साथ औरतों की चुदाई की तस्वीरें देख रखी थीं और किस्से-कहानियाँ भी पढ़ रखी थीं। कईं दफ़ा मैंने खुद-लज़्ज़ती के वक़्त जानवरों से चुदवाने का तसव्वुर भी किया था

और आज तो खुदा ने मुझे हकीकत में ये नायाब वहशी चुदाई का बेहतरीन मौका बख्शा था तो इसे गंवाने का तो सवाल ही मुमकिन नहीं था। इसके अलावा मैं उन लड़कों को भी हैरत-अंगेज़ कर देना चाहती थी। अपनी टीचर की कुत्ते से चुदाई पर उनका क्या रद्दे-अमल होगा… ये ख्याल भी मेरी शहूत और ज्यादा बढ़ा रहा था।

“ऊँऊँहह हाँऽऽऽ भैन के लौड़ों…. आआहऽऽऽ देखो कैसे ये मेरी चूत चाटे जा रहा अपनी मस्त ज़ुबान से…. मैं तो बेकरार हूँ इसके लंड से चुदवाने को! देखो मादरचोदों … तुम्हारी छिनाल चुदैल टीचर कैसे रात भर इस कुत्ते से चुदाई का मज़ा लेती है…!” ये बोलते हुए मैं नीचे हाथ बढ़ा कर प्रिंस का सिर सहलाने लगी।

“जोश-जोश में कोई काँड ना कर बैठना मैडम जी! सोच लो फिर से… हम तो मज़ाक कर रहे थे!” मुझे कुत्ते से चुदाई के लिये आमादा देख कर संज़य मुझे आगाह करते हुए बोला। चारों लड़कों को मुतरद्दिद हालत में देख कर मुझे बेहद मज़ा आया।

“क्यों मादरचोदों… फट गयी ना गाँड… लेकिन मैं तुम चूतियों की तरह मज़ाक नहीं कर रही… ऑय एम सीरियस… मैं इसका लंड भी चूसुँगी… और फिर इससे अपनी चूत भी चुदवाऊँगी… लेकिन पहले मुझे एक सिगरेट और पैग तो पिलाओ और फिर देखो कुत्ते से मेरी शानदार चुदाई के मस्त जलवे!”

एक लड़के ने गिलास में शराब और सोडा डाल कर तगड़ा पैग बना कर मुझे दिया और दूसरे ने सिगरेट दी। मैं दिवार के सहारे पीठ टिका कर बैठ के सिगरेट के कश लगाते हुए पैग पीने लगी। वो कुत्ता अभी भी कभी मेरी रानों के बीच में मुँह घुसेड़ कर भीगी चूत चाटने लगता तो कभी रिरियाते हुए मेरी टाँगों और सैंडलों को अपनी ज़ुबान से चाटने लगता। काले खोल में से लिपस्टिक की तरह निकले हुए उसके दिलफ़रेब नोकीले सुर्ख लंड को देख कर उससे चुदने की तवक्को में मेरे तमाम जिस्म में सिहरन सी दौड़ रही थी

और चूत में भी चुलचुलाहट उठ रही थी। मैंने जल्दी से शराब और सिगरेट ख़तम की और आगे झुक कर बड़े प्यार से उसकी पीठ सहलाते हुए अपना हाथ नीचले हिस्से पे ले जाकर उसका पेट सहलाने लगी। वो चारों लड़के सामने सोफ़े और कुर्सियों पे बैठे अपनी टीचर को बदकारियों की तमाम हद्दें पार करते हुए देख रहे थे लेकिन मुझे इस वक़्त उनमें ज़रा भी दिल्चस्पी और गरज़ नहीं थी।
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Ankit Kumar
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Re: Fantasy School teacher

Post by Ankit Kumar »

मैं अपने नर्म हाथों से उसके लंड के खोल को और उसमें से निकली हुई गाजर को आहिस्ता-आहिस्ता सहलाने लगी जिससे उसकी सुर्ख गजार ज्यादा लंबी और फूलने लगी। कुत्ते के लंड को इश्तिआल करते-करते मेरी खुद की चुदास भी परवान हुई जा रही थी। मैंने गौर किया कि उसके लंड को मुश्तैल करने से उसमें से मुसलसल लेसदार रक़ीक़ पानी निकल रहा था। मुझे एहसास था कि ये उसकी मज़ी है लेकिन उसकी मिक़दार से लग रहा था जैसे कि बे-मियादी सप्लाई हो। मैं जितना उसके लंड को मुश्तैल करती वो लंड उतना ही बड़ा होता जा रहा था। जल्दी ही वो करीब आठ-नौ इंच लंबा हो गया और उसकी जड़ में एक गोल गाँठ सी बनने लगी थी।

कुत्ते के फूले हुए लंड में से अब भी लेसदार मज़ी निकल कर बह रही थी जिसे देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैंने नीचे झुक कर आहिस्ता से उसका लंड अपने मुँह में ले लिया। शायद अपनी फ़ितरत-ए-अमल की वजह से… लेकिन वो कुत्ता फ़ौरन अपना लंड मेरे मुँह में आगे-पीछे चोदने लगा। उसकी रक़ीक़ मज़ी मेरे मुँह में मुसलसल रिस रही थी जिसका तल्ख-शीरीन सा मुख्तलिफ़ ज़ायका बेहद लज़्ज़त-अमेज़ था।

मेरी खुद की चूत में हवस के शोले दहक रहे थे और खुद के रस में बुरी तरह भीग गयी थी। मुझे अपनी चूत में से रस निकल कर रानों पे बहता हुआ महसूस हो रहा था। अगरचे उसका लंड चूसने में मुझे निहायत मज़ा आ रहा था लेकिन मेरी चूत के सब्र की भी हद हो गयी थी और मेरा बाज़र (क्लिट) भी फूल कर बिल्कुल सख्त हो गया था। मैं अब उसका लंड अपनी चूत में लेने के लिये बेहद बेकरार हो चुकी थी।

उसका लज़ीज़ लंड अपने मुँह से निकाल कर मैं फौरन अपने घुटने और हाथों के बल कुत्तिया की तरह झुक गयी और उसकी जानिब गर्दन घुमा कर बेकरारी से अपने चूतड़ हिलाते हुए बोली, “ऊँह कम ऑन प्रिंस…. आ जल्दी से चोद दे मुझे….बुझा दे मेरी चूत की आग अपने बेमिसाल लौड़े से!”

वो भी इशारा समझ गया और लपक कर मेरे पीछे आ गया और मेरी चूत सूँघने और चाटने लगा। इस दौरान मैंने एक नज़र उन चारों लड़कों पे डाली जो हैरान-कुन और बड़ी दिल्चस्पी से अपनी हवसखोर चुदक्कड़ टीचर की लुच्ची हर्कतों का तमाशा देख रहे थे जो शराब और हवस के नशे में चूर हो कर महज़ हाई हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी कुत्तिया की तरह झुकी हुई एक कुत्ते से अपनी चूत चोदने के लिये मिन्नतें कर रही थी। सच कहूँ तो उस वक़्त मुझे ज़रा सी भी शर्मिंदगी महसूस नहीं हो रही थी

और उस कुत्ते से चुदने का फ़ितूर सा सवार था। मैं उन चारों से मुखातिब होकर उन्हें लानत भेजते हुए बोली, “देखो मादरचोदों… अब मैं तुम्हारे नामाकूल लौड़ों की मोहताज़ नहीं हूँ… तुम चारों से तो अब ये कुत्ता बेहतर चोदेगा मुझे…!” फिर बेसब्री से अपने चूतड़ जोर से हिलाते हुए कुत्ते से बोली, “आ जा चोद दे अपनी कुत्तिया को… मेरी चूत बेकरार है तेरे लौड़े से चुदने के लिये… कम बेबी… फक एंड सैटिस्फाइ मॉय पुस्सी!”

मेरी भीगी चूत को तीन-चार दफ़ा अपनी ज़ुबान से चाटने के बाद उसने कूद कर मेरी कमर पे सवार होने की कोशिश की लेकिन अपने ऊँचे कद की वजह से नाकामयाब रहा। उसके कद की बराबरी के लिये मैंने अपनी कमर और गाँड ज़रा ऊपर उठा दिये तो वो दूसरी छलाँग में अपनी अगली टाँगें मेरे कंधों पे डाल कर मेरी कमर पे बखूबी सवार हो गया और फ़ौरन फ़ितरती तौर पे अपनी मंज़िले-मक़सूद ढूँढने के लिये मेरी रानों के दर्मियान बे-इख्तियार लंड आगे पीछे ठेलने लगा। उसके लंड की सख्ती
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और हरारत महसूस करते ही मेरी रानें थरथरा गयीं और पूरे जिस्म में मस्ती भरी लहर दौड़ गयी। उसकी लेसदार मज़ी मुसलसल मेरी रानों और चूतड़ों पे छलक रही थी। वो अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ने के लिये ज़ोर-ज़ोर आगे-पीछे ठेल रहा था लेकिन हर दफ़ा चूक जाता था। उसके लंड की सख्त हड्डी मेरी रानों और चूतड़ों पे जोर से ठोकर मार-मार के गढ़ रही थी। उनमें से कुछ ठोकरें दर्दनाक भी महसूस हो रही थीं और मेरे सब्र की भी इंतेहा हो गयी थी।

मेरी चूत बेहद बेकरार थी चुदने के लिये और मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने अपना हाथ अपनी रानों के दर्मियान पीछे ले जा कर उसका गर्म फ़ड़फड़ाता लंड पकड़ लिया। उसके लंड के कुछ ही पलों में अपनी चूत में घुसने की उम्मीद में मेरा जिस्म उसकी तलब की मस्ती में थरथराने लगा। मैंने अपने हाथ से उसके लंड की मक़सूद जगह रहनुमायी कर दी जहाँ मुझे उसकी निहायत ज़रूरत थी और वो भी जहाँ पहुँचने की तलब में फड़फड़ा रहा था। मैंने अपनी चूत के लबों के दर्मियाँ उसका लंड ज़रा सा अंदर घुसेड़ कर छोड़ दिया। अपने लंड पर मेरी चूत की तपिश और गीलापन महसूस होते ही वो फोरन समझ गया कि उसे क्या करना है। उसने दो-तीन धक्कों में पूरा लंड मेरी चूत में ठेल दिया।

उसके अजीबो-गरीब जसीम लौड़े को मेरी चूत में दाखिल होने में कोई खास तकलीफ नहीं हुई। वैसे भी मैं तो खूब चुदी-चुदाई थी और कुल्दीप और संजेय के दस-ग्यारह इंच लंबे और मोटे लौड़े लेने की आदी थी। एक दफ़ा अपना लंड अंदर ठेल कर फिर तो उस कुत्ते ने पुरजोश तुफ़ानी रफ़्तार से मेरी चूत में लंड पेलना शुरू कर दिया।

कुत्ते की चुदाई में मुख्तलीफ़ बात ये थी कि मेरी चूत में घुसते ही उसके लंड ने मेरी चूत के अंदर मुसलसल गरम लेसदार मज़ी छिड़कनी शुरू कर दी थी जो आग में घी के जैसे मेरी चुदास और ज्यादा भड़का रही थी। वो हुमच-हुमच कर पूरी शिद्दत से मुझे चोद रहा था। मैं भी मस्ती में चूर जोर-जोर से “आँहह… ऊँहह… चोद… आँहह” करती हुई मुसलसल सिसकने लगी। इतने में मुझे एहसास हुआ कि उसका लौड़ा इस दौरान आहिस्ता-आहिस्ता मेरी चूत में पहले से भी ज्यादा फूलता जा रहा था।

मुझे अपनी चूत मुकम्मल तौर पे उसके लंड से बुरी तरह ठसाठस भरी हुई महसूस होने लगी। इस दौरान ज़रा सी देर में ही मैं एक के बाद एक इतनी शदीद तरह से दो दफ़ा झड़ते हुए लुत्फ़-अंदोज़ हुई कि मैं अलफ़ाज़ों में बयान नही कर सकती।

अपनी वहशियाना हवस में वो बेहद जुनूनी ताल में मुझे अपनी कुत्तिया बना कर चोदे जा रहा था। उसके लंड की जड़ में फूली हुई गाँठ अब मेरी चूत पे कुछ ज्यादा ही जोर-जोर से टकरा रही थी लेकिन लज़्ज़त की बेखुदी के आलम में मुझे वो हल्का दर्द भी लज़्ज़त-अमेज़ ही महसूस हो रहा था और मेरी शहूत में इज़ाफ़ा कर रहा था। फिर उसके लंड की लट्टू-नुमा गाँठ की ठोकरें और ज्यादा जारेहाना होने लगीं तो मुझे एहसास हुआ कि वो कुत्ता उस गाँठ को मेरी चूत में ठेलने की पूरी शिद्दत से कोशिश कर रहा था।

उसकी मोटी गाँठ मेरी चूत पे बेहद दबाव डाल रही थी और कुत्ते की काफी मुशक्कत के बावजूद भी वो मोटी फूली हुई गाँठ मेरी चुदी-चुदाई चूत में भी घुसने में कामयाब नहीं हो पा रही थी। मैं खुद भी अपनी चूत में उसके लंड की गाँठ लेने के लिये बेहद तलबग़ार थी। आखिरकार साबित कदम वहशियाना धक्के मारते हुए उसने अपने लंड की मोटी लट्टू-नुमा गाँठ मेरी चूत को बड़ी बेदर्दी से फैलाते हुए अंदर ठेल ही दी। “आआआईईईऽऽऽ याल्लाऽऽहऽऽऽऽ आँआँहहह….” दर्द के मारे छटपटाते हुए मेरी जोर से चींख निकल गयी। मेरे जैसी तजुर्बेकार चुदक्कड़ की चूत भी कुत्ते के लंड की गाँठ जैसी मोटी चीज़ के लिये शायद तैयार नहीं थी।
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बेपनाह दर्द के बावजूद मेरी शहूत ज़रा भी कम नहीं हुई थी बल्कि मेरी चुदास में और इज़ाफ़ा ही हुआ था। मेरे ज़हन में कुत्ते के लंड की वो मोटी गाँठ अपनी चूत में ले पाने की खुशनुदी और मस्ती की कैफ़ियत थी। अगरचे मेरी दर्द के मारे चींख निकल गयी थी लेकिन चुदासी हवस में मुझे किसी दर्द या किसी भी दूसरी बात की कतई परवाह नहीं थी। उस वक़्त अगर उस कुत्ते से चुदवाते हुए मेरी जान भी निकल जाती तो मुझे अफ़सोस नहीं होता। मुझे अपनी चूत लंड से इस कदर ठसाठस भरी हुई पहले कभी महसूस नही हुई।

अपने लंड की गाँठ मेरी चूत में महफ़ूज़ ठूँसने के बाद उसने चुदाई ज़ारी रखी लेकिन अब उसके धक्कों की रफ़्तार पहले से धीमी हो गयी थी। मेरे मुँह से मुसलसल निकल रही मस्ती भरी सिसकारियों से पूरा हॉल गूँज रहा था। उसके लंड की तरह उसकी गाँठ भी मेरी चूत में दाखिल होने के बाद और ज्यादा फूलती महसूस होने लगी। मेरी चूत फैल कर बेहद चौड़ी हो गयी थी और फूलती हुई गाँठ का दबाव मेरे ‘जी-स्पॉट’ पे पड़ते ही मेरी चूत में लज़्ज़त का सैलाब उमड़ पड़ा और मेरा जिस्म बुरी तरह से थरथराने लगा और मैं लज़्ज़त और मस्ती में जोर से चींखते हुए एक दफ़ा फिर निहायत ज़बरदस्त तरीके से झड़ कर लुत्फ़-अंदोज़ हो गयी।

हालांकि उसके धक्कों की रफ़्तार पहले के मुकाबले कमतर हो गयी थी लेकिन उस कुत्ते ने अपना फूला हुआ लंड उतनी ही ताकत से मेरी चूत की गहराई और बच्चेदानी पे कूटना ज़ारी रखा जबकि उसकी फूली हुई गाँठ ने मेरी चूत को ठसाठस फैला रखा था और मेरे ‘जी-स्पॉट’ पे भी उसका दबाव कायम था। लिहाजा मेरी चूत मुसलसल तौर पे पानी छोड़ के बार-बार झड़े जा रही थी और मैं मस्ती में जोर-जोर से कराहती-सिसकती और चींखती हुई लुत्फ़-अंदोज़ी का बार-बार निहायत मज़ा ले रही थी।

उसके लंड से मुसलसल बहती रक़ीक मज़ी भी मुझे अपनी चूत में गहरायी तक धड़कती हुई महसूस हो रही थी जिसका मज़ेदार गरम-गरम मुख्तलिफ़ सा एहसास मेरी लज़्ज़त में इज़ाफ़ा कर रहा था। इस दौरान मैंने एक नज़र स्टूडेंट्स की जानिब देखा तो चारों नामाकूल लड़के अपने लौड़े हिला रहे थे और मुझे यानी कि अपनी हवसखोर टीचर को कुत्ते से चुदवाते हुए… एक जानवर के साथ अपनी शहूत पूरी करते हुए देख रहे थे।

इतने में मुझे अपनी कमर पे उसका जिस्म अकड़ता हुआ महसूस हुआ और उसकी अगली टाँगें भी मेरे इर्दगिर्द जोर से जकड़ गयीं। तभी जोर से एक करारा सा धक्का मार कर अपना लंड मेरी चूत में जोर से बच्चे दानी तक अंदर गड़ा कर वो साकिन हो गया और उसके लंड की गाँठ पहले से भी ज्यादा फूल गयी। मुझे एहसास हो गया कि अब वो कुत्ता मेरी चूत में मनी इखराज़ करने को तैयार था। मेरी चूत तो पहले से ही उसके लंड से मुसलसल बहते गरम मज़ी से निहाल थी और अगले ही पल उसके लंड ने तीन-चार दफ़ा बेहद ज़ोर से झटका खाया और

उसमें से गरम और गाढ़ी मनी की तेज़ धारें एक के बाद एक मेरी चूत में फूट-फूट कर इखराज़ होने लगीं। उसकी मनी की मिकदार मेरे लिये नाकाबिले यकीन और हैरान कुन तो थी ही और इसके अलावा मैं अपनी चूत में उसकी रवानी दर हक़ीकत महसूस भी कर पा रही थी। इसके सबब से मेरी चूत में फिर एक जोर का धमाका सा हुआ और तमाम जिस्म में लज़्ज़त भरे शोले भड़क उठे। मेरी आँखें ज़ोर से भींच गयीं और जिस्म थरथराते हुए बेतहाशा झटके खाने लगा। “आँआँहह याल्लाआहहह…. आआआआआ ऊँऊँऊँऊँ… ज़न्नत काऽऽऽ मज़ाऽऽऽ…. निहाऽऽल हो गयीऽऽ साऽऽऽलीऽऽ तऽऽबस्सुउउउउम तूऽऽऽऽ तो आऽऽऽऽज….” लज़्ज़त की शिद्दत में मैं बेहद ज़ोर से चींखी और मेरी चूत भरभराते हुए फिर पानी छोड़ने लगी।
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