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तब से अब तक और आगे

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adeswal
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तब से अब तक और आगे

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तब से अब तक और आगे

मेरी शुरुआत
मैं उस समय दसवीं कक्षा का छात्र था और दसवीं की परीक्षा खतम होने के बाद बस दोस्तों के साथ मस्ती और टाईम पास हो रहा था | हम लोग जिस कालोनी में रहते थे उसमें मैं अभी दो परिवारों के बारे में बताते हुए कहानी को आगे बढ़ाऊँगा | समयानुसार और भी पात्र आगे जरूरत के हिसाब से जुड़ते जाएँगे |

हाँ तो पहला परिवार है मिस्टर मोदी का | मिसेज़ मोदी सांवले रंग की लेकिन तीखे नैन नक्श की महिला थीं और लम्बाई तो इतनी थी की मिस्टर मोदी उनके आगे छोटे पड़ जाते थे |

दूसरा परिवार था मिस्टर कबड़वाल का | उनके परिवार में चार सदस्य थे | पति पत्नी और दो बच्चे | अब इस पहाड़ी परिवार में दोनों माँ बेटी का तो कहना ही क्या ? देखने वाले देख देख के निहाल हो जाते थे | क्या बूढ़ा, क्या ज़वान या क्या बच्चा ? बच्चा यानी मेरी उम्र के बच्चे जिनमे जवानी अंगड़ाई लेने लगी थी | मुझे खुद याद नही की मैंने कितनी बार कबड़वाल आंटी और उनकी बेटी के बारे में सोच कर मुठ मारी थी |

दिन बीत रहे थे | मैं एक दिन अपने घर से अपने एक दोस्त के घर जा रहा था | रास्ते में कुछ दूर निर्जन और सुन सान रास्ता पड़ता था जहाँ पर कम्पनी के पुराने न रहने लायक घोषित कई घर थे | शाम को अक्सर कई बार बच्चे भी यहाँ खेलने आ जाते थे | इस भरी दुपहरी में और चिलचिलाती धुप में तो यहाँ किसी के आने का प्रश्न ही नही उठता था | मैं अपनी ही धुन में आगे बढ़ा जा रहा था की अचानक एक घर में से किसी लड़की के बोलने की आवाज़ सुनाई दी ............... नही न इकबाल ये नही करूँगी |

मैं चौंका........ये आवाज़ तो कविता की लगती है, कबड़वाल आंटी की बेटी | उत्सुकतावश मै उस घर के दरवाजे को धक्का मारने ही वाला था की दूसरी आवाज़ ने मुझे रुकने पर विवश कर दिया...........अरे मुँह में नही लोगी तो सुखा ही घुसाऊँ फिर ? ये आवाज़ इकबाल की ही थी और अब मै लगभग सारा माजरा समझ चुका था | मैंने सोचा की अगर दरवाजा खोला तो ये दोनों सतर्क हो जाएँगे और मेरे हाथ कुछ भी नही लगेगा | मैंने देखा की पुराना होने के कारण दरवाजे में कई ज़गह दरारें और छोटे छोटे सुराख थे |

मैंने जल्दी से एक सुराख पर अपनी आँख लगा दी | अंदर का माजरा देख कर मेरे होश उड़ गए | कविता केवल ब्रा और पैंटी में एक चद्दर पर लेटी हुई थी और उसने अपने एक हाथ में इकबाल का लण्ड पकड़ रक्खा था | इकबाल पूरा नंगा था और उसका एक हाथ कविता की चुचीयों पर था और दुसरा हाथ पैंटी के उपर से ही उसकी चूत को सहला रहा था | तभी कविता बोली ..... सुखा क्यों मैंने कहा था न की वैसलीन ले के आना |

अब हो गई गलती तो क्या बच्चे की जान लोगी ?

नही नही तुम्हारा ये ६ इंच का बच्चा मेरी इस बच्ची (अपने हाथ को इकबाल के उस हाथ पर रख के दबाते हुए जो उसकी चूत पर था) की जान ले तो कोई बात नही |है न? रूठते हुए कविता बोली |

चलो मैं थूक हाथ में ले के लण्ड पर लगा देती हूँ, लेकिन मुँह में ले के चूसूंगी नही |

अरे यार ये सभी लोग करते हैं, तुम्हारी मम्मी भी करती होगी |

देखो मेरी मम्मी पर मत जाओ, अच्छा नही होगा |

अच्छा चूसोगी नही तो चूसने तो दोगी न ?

अब मैं बेचैन हो गया था और सोचने लगा की क्या करना चाहिए | तभी मेरा ध्यान मोबाइल पर गया | अरे ये मुझे अब तक क्यों नही सुझा | मैंने फट से विडियो मोड पर मोबाइल को सेट किया और उसे सुराख पर लगा दिया | अब मेरी लाईव शो की रिकॉर्डिंग शुरू हो गई थी|

तभी कविता बोली हाँ चूसो न किसने मना किया है ?

अच्छा जी, मज़ा लेने को तो तैयार बैठी हो पर मज़ा देने को नही | ये तरीका सही नही है |

समझो इकबाल;मुँह में लेने पर उबकाई आती है | अजीब सा कसैला स्वाद आता है तुम्हारे निकलते हुए रस का | तुम्हारे धक्कों के कारण गले में खराश भी हो जाती है | जब टाइम होता है तब मै ट्राई तो करती ही हूँ न ? अगर फ्लेवोर्ड कंडोम लाए होते तो बिना पूछे ही चूस देती | बोलो चुसती हूँ की नही?

हाँ वैसे तो चुसती हो |
adeswal
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Re: तब से अब तक और आगे

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अभी टाइम नही है हमारे पास | पापा ड्यूटी से आने वाले हैं | हमारे पास बस एक घंटा है | इस एक घंटे में मुझे करवा के घर पहुँच जाना है वरना सारी गड़बड़ हो जाएगी |

अरे चिंता मत कर जान.......... यह कहते हुए इकबाल ने हाथ पीछे ले जा कर कविता की ब्रा उतार फेंकी| बस कुछ दिनों की बात है बोल तो पटा के तेरी मॉम को चोद दूँ फिर उसके बाद यहाँ भी नही आना पडेगा | घर में गद्देदार बिस्तर पर चुदाई का मज़ा लूटेंगे |

देखो मुझे ये सब ठीक नही लगता | कहीं माँ और बेटी एक ही मर्द से करवा सकती हैं क्या?

क्यों नही अगर मर्द में इतनी ताकत हो की दोनो औरतों को संतुष्ट कर सके ?

तुम अकेले मुझे तो ठीक से संभाल नही पाते | १० बार में से कम से कम ८ बार तो मै ही जीतती हूँ | यानी तुम कंट्रोल नही कर पाते और मुझसे पहले झड़ जाते हो |

लेकिन चूस के तेरा काम भी तो कर देता हूँ न |

जो मज़ा अंदर डलवा के एक साथ झड़ने में है वो चुसवा के झड़ने में कहाँ ? जिस दिन तू मेरे साथ मेरी चूत में झड़ता है उस दिन की तो बात ही क्या ? चल पहले बेटी को खिला माँ की बाद में सोचना............. यह कहते हुए कविता अपनी पैंटी को उतार देती है और अपने हाथ पर थूक कर वो थूक इकबाल के लण्ड पर मल देती है | ऐसा कई बार करने के बाद इकबाल का लण्ड थूक के कारण चमकने लगता है और पूरी तरह से कड़क होकर अपने काम के लिए तैयार हो जाता है | अब कविता लेट जाती है और इकबाल को बोलती है ......चल जल्दी से अंदर तक जीभ डाल कर अच्छी तरह गीला कर दे | इकबाल उठ कर कविता की दोनों टांगों के बीच आ जाता है और टांगों को कंधे पर रखते हुए ऐसे झुकता है की उसका मुँह कविता की चुत के ठीक सामने आ जाता है | जीभ निकाल कर इकबाल भाग्नासे को जीभ से धीरे धीरे सहलाता है | यह सिलसिला करीब दो मिनट तक चलता है उसके बाद कविता दोनों हाथों से इकबाल का सर पकड़ कर पूरी ताकत से अपनी चुत पर दबाते हुए अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछालते हुए जोर से सित्कारती है......... ऊऊऊऊऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ साले खा जा | चूस जोर से नही हो तो बुला ले अपने बाप को भी | मेरी माँ की लेने चला था | तू और तेरा बाप दोनों पहले मुझे तो संभाल लो | आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह खा जा आज इस चूत को | बहुत परेशान करती है ये |

इधर इकबाल बिना कुछ बोले गूँ गूँ करता हुआ कविता की चूत चाटते जा रहा था | करीब १० मिनट चाटने के बाद वो उठा और बोला साली मैने इतनी देर चाटा तो तुझे एक मिनट ही सही लेकिन चूसना तो पड़ेगा ही ? यह कहते हुए इकबाल ने अपने लण्ड का सूपाड़ा कविता के होठों पर रख दिया |

कविता अपना मुँह दूसरी और घुमाने लगी तभी इकबाल ने एक हाथ से उसकी एक चूची को बहुत जोर से मसल दिया | दर्द के मारे कविता का मुँह खुला आआआआआआआआआआआईईईईईईईईईईईई माआआआआआआआआआआआआआआआ और शायद इकबाल इसी की फिराक में था | उसने पीछे से कविता का सर पकड़ा और अपने लण्ड को उसके मुँह के अंदर ठेल दिया | लण्ड ज्यादा नही लेकिन सुपाड़ा और उसके पीछे का लगभग एक ईंच का हिस्सा कविता के मुँह में घुस चुका था | कविता छूटने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन उसका सर इकबाल के कब्जे में था और अब तक उसने लण्ड को मुँह में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था | इकबाल के चेहरे को देख के ही इस बात का एहसास हो रहा था की वो इस वक्त एक ऐसा आनंद प्राप्त कर रहा है जिसका ब्यान शब्दों में नही किया जा सकता उसके लिए तो किसी लड़की से लण्ड चुसवा कर महसूस ही करना पड़ेगा | कविता का मुँह चोदते हुए इकबाल बड़बड़ा रहा था.............. आह चूस मेरी जान आज सारा रस ले ले मेरी रानी ओह निधी डार्लिंग | इधर कविता गूंऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ गुंऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ करते हुए मजबूरी में ही सही लेकिन इकबाल का लण्ड चुसे जा रही थी | लेकिन उसने जैसे ही निधी का नाम इकबाल के मुँह से सुना मानो उसमे कहाँ से ताकत आ गई और उसने पूरी जोर से धक्का लगा कर इकबाल को अपने ऊपर से हटाया और जैसे ही इकबाल का लण्ड उसके मुँह से बाहर निकला वो बोली तुझे कसम है आज सच बता ?

इकबाल सकपका गया | उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था लेकिन बात तो मुँह से निकल गई थी | क्या बताऊँ?

मुझे पूरा शक है की तू मेरी मम्मी के साथ भी...................

ये तू क्या कह रही है ? पागल हो गई है क्या |

फिर तुझे मेरी मम्मी का नाम कैसे पता चला ?

अरे यार निधी इस दुनिया में केवल तेरी मम्मी का नाम है क्या ? कोई और नही हो सकती?
मतलब कोई है जरूर ये तो तुने मान लिया |

अब इकबाल फँस चुका था ! सुन, ये बातें हम चुदाई के बाद भी कर सकते हैं | क्या बोलती है ?
adeswal
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कविता भी गर्म तो हो ही चुकी थी सो तैयार हो गई | चल ठीक है ..............कहते हुए कविता ने खोले हुए सारे कपड़ों का एक गट्ठर सा बनाया और उसे अपनी कमर के नीचे रख दिया | फिर दोनों टांगों को फैला कर लेट गई | इस बीच इकबाल उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया और कविता की जांघे अपनी दोनों जाँघों पर रख लण्ड के सुपाड़े को चूत की दरार पर रगड़ने लगा | अभी उसने दो चार बार ही रगड़ा होगा की कविता ने अपने हाथ से चूत की फाँकों को फैला दिया और बोली ...............यार अब घुसा दे , टाइम ज्यादा नही है अपने पास | अब मुझे तेरे लण्ड के धक्कों की ज़रूरत है | इक़बाल भी लण्ड चुसाई के कारण अपने चरम के निकट पहुँच चुका था सो उसे भी अब चूत मारने की जरूरत महसूस होने लगी थी | कुल मिला कर उन दोनों के पास शायद २० मिनट के करीब ही बचे थे चुदाई के लिए | इकबाल बोला ये ले डार्लिंग संभाल मेरे छोटू की चोट अपनी मुनिया पर और यह कहते हुए इकबाल ने चूत के छेद पर लण्ड का सुपाड़ा टिका कर एक हल्का लेकिन लम्बा धक्का दिया या यूँ कहें की लगभग ३० सेकेण्ड का समय ले के बिना रुके एक ही धीमी रफ्तार से लण्ड को चूत में तब तक पलते गया जब तक उसका लण्ड जड़ तक कविता की चूत में दाखिल नहीं हो गया | इस दौरान कविता के मुँह से आनन्दातिरेक चीख निकल गई .........आआआआआआआऐईईईईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ हाआआआआआआआआय्य्य्य्य तेरा इस तरह घुसाना ही मुझे तेरा दीवाना बना देता है रे इकबाल | और कविता अपनी दोनों टांगें इकबाल की कमर में लपेट देती है | सुन कविता जान ...... यह कहते हुए इकबाल उसी तरह धीरे से लण्ड को चूत से बाहर निकाल लेता है केवल सुपाड़े को छोड़ कर |

अरे इकबाल तेरा सुपाड़ा तो फुल – पिचक रहा है | मतलब तू अब कुछ देर का ही मेहमान है| आज फिर मुझे मुँह से ही करेगा क्या ?

नही कविता रानी, टाईम देख | कविता वहीं पर पड़ा मोबाईल उठाती है, अरे डेढ़ बज़ गए | किसी भी तरह पौने दो तक मुझे निकलना होगा |

इसीलिए तो बोल रहा हूँ की मैं तुझे चोदता हूँ और साथ में तू अपने हाथ से अपना भगनासा रगड़ | इस तरह हम दोनों एक साथ झड़ जाएँगे |

चल ठीक है अब तू पैसेंजर से सुपरफास्ट बन और लगा हुमच कर धक्के | ये ले मेरी जान और ये कहते हुए एक ज़ोरदार धक्के के साथ इकबाल ने पूरा लण्ड कविता की चूत में पैबस्त कर दिया और लगा धक्के लगाने |

कविता और इकबाल के कमर के टकराने से थप थप थपा थप की आवाज़, चूत में लण्ड अंदर बाहर होने से फच फच फचर फचर फचा फच की आवाजें और कविता और इकबाल की बहकी हुई सिस्कारियां और आनंद में डूबी हुई आवाजें.......... आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरे बालम मार ले, ले ले सारा मज़ा, चोद दे अपनी रानी को, फाड़ डाल साली चूत को | अरे मम्मी से ज्यादा मज़ा मुझमे है उसे छोड़ और मुझे चोद मेरे बालम | बहुत परेशान करती है साली चूत ; ठंडी कर दे इसकी गर्मी मेरे राजा और इकबाल हंह हंह हूँ हूँ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ये ले साली चूस ले सारा रस | इतनी टाईट कैसे है रे इतना चुदने के बाद भी | अरे चूस लिया रे साली ले ले मेरा रस अपनी चूत में आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं गया रे मधरचोद तेरी माँ की चूत मारूं | कविता भी अब आने वाली थी लेकिन इकबाल के सुपाड़े के फूलने पिचकने के कारण उसे महसूस हो गया था की अब वो झड़ेगा तो वो बोली ..........अरे इकबाल अंदर मत झड़ना | न तुने कंडोम लगाया है और न ये मेरा सेफ पीरियड है | जल्दी बाहर निकाल |

अरे तेरी माँ की; साली अनवांटेड ७२ ले लेना | मज़ा किरकिरा मत कर और ये कहते हुए इकबाल ने एक ज़ोरदार धक्का अंदर ठेला और लण्ड जड़ तक चूत में डाल कर झड़ने लगा आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अरे साली ले ले सारा रस और उसके लण्ड से पहली पिचकारी छूटी और कविता की बच्चेदानी पर पड़ी | उसकी गर्मी और गुदगुदाहट ने कविता को भी झड़ने पर मजबूर कर दिया | ऊऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईईईईईईई मैं भी आई मेरे बालम आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भर दे मेरी चूत को अपने लण्ड के रस से | तभी इकबाल के लण्ड से दूसरी पिचकारी छूटी | इस तरह इकबाल के लण्ड ने पांच पिचकारियाँ छोडीं और हर पिचकारी के साथ इकबाल और कविता दोनों झटका खाते हुए एक दूसरे को इस तरह जकड़ लेते मानो उन दोनों के बीच हवा भी पास नही हो सकती | दोनों झड़ने के बाद लगभग ५ मिनट निश्चल पड़े रहे उसके बाद कविता इकबाल के सर के बालों को सहलाते हुए बोली ...... हट अब जाने दे | पापा के आने का टाइम हो गया है |
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Re: तब से अब तक और आगे

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ओह हाँ इकबाल बोला और अपनी कमर को पीछे खींचा | पल्प की आवाज़ हुई और मुरझाया हुआ उसका लण्ड चूत से बाहर आ गया | यार लेकिन ये जल्दबाजी की चुदाई मज़ा कम देती है और बेचैन ज्यादा करती है | चल अब तू जल्दी निकल कहते हुए इकबाल उठ खड़ा हुआ |

हाँ राजा पर क्या करें, मजबूरी है | तभी कविता को फिर याद आ गया और वो बोली तू मेरे साथ मेरे घर चल रहा है | मेरे पापा तुझे घर में देख के कुछ नही कहेंगे | मुझे ये निधी वाली बात का जवाब चाहिए |

तो तू नहीं मानेगी?

नही

ठीक है तो सुन , हाँ जब भी मै तुझसे चुसवाता हूँ तो सोचता हूँ की तू नही चुसती लेकिन तेरी मम्मी तो जरूर चुसती होगी | इसलिए चुसवाते वक्त हमेशा मेरे मुँह से निधी निकल जाता है |

लेकिन मेरी मम्मी का नाम निधी है ये किसने बताया तुझे ?

तूने, और किसने |

न, मैंने नही बताया , तू झूठ बोल रहा है |

अरे यार तुझे याद नही, चुदवाते वक्त ही एक बार तूने बताया था |

ये हो सकता है | चुदाई के वक्त जोश में मै होश खो बैठती हूँ | तो पक्का मेरी मम्मी को तू नहीं करता है न |

अरे यार तेरे जैसी टाईट चूत को छोड़ कर उस बुढ़िया के पास क्यों जाऊँगा ?

हे वो बुढ़िया नही है | अभी भी कालोनी का लगभग हर लड़का और सभी अंकल लोग मम्मी को चुपके चुपके देखते हैं |

हाँ ये तो तुने सच कहा मेरी जान | पहाड़ी मॉल है ही ऐसा | जिसे मिल जाए वो निहाल हो जाए |लेकिन फिर भी तेरे जैसी नही है |

हाय तेरी इन्ही बातों पर तो मैं अपना सब कुछ खोल के तेरे सामने लेट जाती हूँ |

चल अब तेरा बाप आने वाला है उसके सामने लेट जा के |

हट बदमाश | यह कहते हुए चूत के छेद पर हाथ रख कर कविता उठती है और अपनी पैंटी ले के उसे चूत पर लगा देती है | उसकी चूत की रज और इकबाल के लण्ड के वीर्य का मिश्रण कविता की चुत से बाहर निकल कर उसकी पैंटी को पूरी तरह भीगा देता है |

चूत ठीक से साफ़ करने के बाद कविता अपने कपड़े पहनती है तब तक इकबाल भी अपने कपड़े पहन चुका होता है |
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Re: तब से अब तक और आगे

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चल पहले तू बाहर निकल उसके दो मिनट बाद मैं निकलूंगा | ठीक है बोलते हुए कविता दरवाजे की तरफ लपकी | मै भी जल्दी से पलटा और सड़क का रुख किया लेकिन तभी दरवाजा खुला और कविता बाहर आ गई | मुझे सड़क से नीचे टूटे हुए घर के पास पा के वो सशंकित हो उठी और बोली अरे रवि तुम यहाँ और इस वक्त ?

अब मुझसे कुछ न सुझा तो बोल पड़ा ... हाँ वो .....वो.....

कविता अब और अधिक सशंकित हो उठी और बोली हाँ बोलो न इस दोपहर में तुम यहाँ कैसे ?

तभी कुछ न सूझने पर मैं बोल पड़ा तुम भी तो इसी दोपहर में यहाँ हो | तो अब तुम ही बता दो की तुम यहाँ क्या कर रही हो ?

अब सकपकाने की बारी कविता की थी लेकिन संभलते हुए वो बोली की.............मैं तो नीतू के घर से आ रही थी की किसी का फोन आ गया और अब धुप में बात करने से अच्छा मैंने सोचा की चलो घर के अंदर छाया में बात कर लूँ फिर अपने घर चली जाऊँगी |

अब मुझे भी ज़वाब मिल गया था | बिलकुल ठीक, मै भी इस टूटे घर की तरफ ही आ रहा था | मेरा भी फोन आ रहा था और मैंने भी ठीक वही सोचा जो सोच कर तुम इस घर में गई थीं |

लेकिन तुम तो सड़क की तरफ जा रहे थे ? कविता प्रश्नवाचक मुद्रा में मुझे देखते हुए बोली|

अब मै सकपका गया और तभी मुझे कुछ सुझा और मैं बोला .......अरे अभी सड़क से नीचे उतरा और दो कदम ही गया था तब तक फोन ही कट गया तब मैंने सोचा की अब अपने घर पहुँच के ही बात करूँगा और मै वापस लौट चला |

ओह तो ये बात है? अब कविता कुछ आश्वस्त दिखी और मैंने भी राहत की सांस ली | तभी वो बोली तो चलो मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ ........और ये कहते हुए कविता ने मेरा हाथ पकड़ लिया |

मुझे एक झटका सा लगा की अभी थोड़ी देर पहले यही चुदवा रही थी और अब मेरा हाथ पकड़ के मेरे साथ चल रही है | उसके हाथ की गर्मी के कारण मेरा बुरा हाल हो गया था | खैर मैंने भी उसका हाथ हल्के से दबाया तो वो मुस्करा दी और बोली चलें ?

हाँ हाँ और हम दोनों चल दिए | ५ मिनट में हम दोनों घर पहुँच गए | कविता और मेरा घर तीन घरों के अंतर पर था सो पहले कविता अपने घर में गई और उसके बाद मैं अपने घर में घुसा |
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