तब से अब तक और आगे

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adeswal
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Re: तब से अब तक और आगे

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अब तो मैं अपने होशो हवास में नहीं था | मेरे लण्ड का सुपाड़ा फुल के लाल हो गया था और आंटी के मुँह के थूक और लार के कारण लण्ड चमकने भी लगा था | अब मेरे मुँह से जोर जोर से आवाजें निकलने लगी थीं और मै अपने पर कोई कंट्रोल नही कर पा रहा था | अभी जोर से चुसाई शुरू हुए तीन चार मिनट भी नही हुए थे की मुझे लगा की मेरे अंडकोषों (टट्टों ) में से कोई जोर से कुछ खींच रहा हो |

न चाहते हुए भी अब मै आंटी के मुँह में ही धक्के मार कर उनका मुँह चोदने लगा और बोल पड़ा आआआआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आंटी ले लो चूस लो मेरा रस | मेरा निकलने वाला है | अब मेरा निकलेगा आंटी और तभी आंटी ने झट से लण्ड को मुँह से बाहर निकाला और लण्ड का सुपाड़ा दो ऊंगलियों के बीच में पकड़ कर कस के दबा दिया | मेरे मुँह से निकल पड़ा न्न्न्न्न्न्न्हीईईईईईइ नही नही ये क्या किया आंटी आपने ? ओह मेरा निकलने क्यों नही दिया ?


दरसल आंटी के सुपाड़ा मसलने के कारण जो वीर्य बाहर निकलने वाला था वो थम गया और मैं उत्तेजना के कारण छटपटा उठा | मै किसी पर कटे पंछी की तरह छटपटा रहा था | अभी मैं कुछ समझ पाता की आंटी ने फिर से लण्ड को मुँह में ले लिया और उसी शिद्दत से लण्ड चूसने लगी और हाथ से मुठ मारने लगी | फिर वही हुआ और पाँच मिनट बितते बितते मेरी हालत पतली हो गई | मै झड़ने को बेचैन हो गया तभी आंटी ने वही पुरानी कहानी दोहरा दी और लण्ड का सुपाड़ा मसल कर मेरा झड़ना रोक दिया | अब मैं झड़ने के लिए पागल हुआ जा रहा था इस बार आंटी ने फिर वही किया की मेरा जोश कुछ कम हुआ तभी मेरा लण्ड फिर मुँह में ले लिया और फिर उसे ज़ोरों से चूसने लगी | इस बार मै सतर्क था जैसे ही थोड़ा सा महसूस हुआ की अब मै झड़ने के नजदीक पहुँचने वाला हूँ तो मैंने आंटी का सर पकड़ लिया और लगा जोर जोर से उनके मुँह की चुदाई करने | मेरा आधा लण्ड ही उनके मुँह में जा पा रहा था |


आंटी मेरे हाथों से अपना सर छुडाने की पूरी कोशिश कर रही थी | उन्होंने अपने हाथ से मेरा हाथ पकड़ा और खींचने ही वाली थी की तभी खिंचाव के साथ मेरे अंडकोषों से रस की धार आंटी के मुँह में छूट गई अब आंटी का हाथ ढीला पड़ गया और एक पिचकारी के बाद दूसरी | इस तरह मेरे लण्ड ने आंटी के मुँह में चार पाँच पिचकारियाँ छोडीं और आंटी ने पूरी कोशिश की कि उसे बाहर न गिरने दें और गटक जाएँ | लेकिन फिर भी कुछ वीर्य उनके मुँह के कोनों से टपक कर बाहर आ गया और मै आंटी का सर हाथ में पकडे निढाल सा पड़ गया | आंटी भी यूं ही पड़ी रही |

कुछ देर के बाद मुझे लगा कि आंटी मेरे सिकुड़े हुए लण्ड को फिर से चूसने लगीं तो मैने आँख खोली और बोला अरे आंटी मै इसे धो देता हूँ फिर चूस लीजिएगा |

धत्त पगले | जिस लण्ड का रस पी गई उस लण्ड को साफ़ क्या करना ? इसे मुँह से ही चूस के साफ़ कर दूंगी और वो फिर से लण्ड चूसने लगीं |

नतीजतन लण्ड साफ़ तो हो गया लेकिन फिर से तनतना गया | आंटी हैरानी से देख रही थी और बोली यही अंतर है नए और पुराने सामान में |

मै समझा नही आंटी ?

अरे बेटा तुम्हारे अंकल एक बार चोदने के बाद कम से कम एक घंटा लेते हैं दुबारा तैयार होने में और इधर तुम्हारा देखो ; अभी लण्ड की सफाई होते होते ही तैयार हो गया |

आंटी आपने मज़ा तो बहुत दिया लेकिन जान निकाल दी |

आंटी जोर से हंसी और बोली क्यों; क्या हुआ पप्पू ?

आंटी जब भी मेरा पानी निकलने वाला होता था तो आप लण्ड मुँह से बाहर कर के दबा देती थी और मुझे झड़ने से रोक देती थी | मेरी तो आपने हालत पतली कर दी थी |

हा हा हा हा आंटी हंसी और बोली ...और तुमने मेरी जान नही निकाल दी ?

मैंने क्या किया ?

मेरा सर पकड़ कर चार ईंच लण्ड मेरे मुँह में अंदर तक घुसा दिया जो जा के मेरे गर्दन में फँस गया | मुझसे तो सांस भी नही ली जा रही थी |

मै बोला आप ऐसे ही बोल रही हैं | मोदी अंकल का मुझसे बड़ा होगा और वो भी तो आपके अंदर ईसी तरह डालते होंगे?
नही रे मैंने कहा नही तुझसे कि मोदी का तेरे से छोटा है?

आप मजाक कर रही हैं | वो मुझसे इतने बड़े हैं तो उनका छोटा कैसे हो सकता है |

धत्त बुद्धू | उम्र से लण्ड के बड़े या छोटे होने का कोई संबंध नही है | हाँ एक उम्र तक बच्चों का लण्ड बड़ा होता है उसके बाद उसका साइज़ वही रहता है |

अभी तेरा साईज क्या है ?

मुझे पता नही |

अच्छा रुक .........और आंटी एक स्केल ले आई , लण्ड को मुँह में ले के पन्द्रह बीस चुस्से मारे और लण्ड टनटना गया |
फिर उन्होंने नापा और बोली देख तेरा लगभग आठ ईंच है| आठ ईंच तो किसी किसी मर्द का होता है | हर औरत चाहती है कि उसे ऐसा ही लण्ड चोदे |\

मोदी अंकल का कितना बड़ा है ?

साढ़े छे ईंच |

आप झूठ बोल रही हैं |
adeswal
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Re: तब से अब तक और आगे

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मै क्यों झूठ बोलूंगी | चल कभी दिखा दूंगी तुझे | अच्छा चलिए मान लिया कि उनका साढ़े छे इंच का भी है तो भी लण्ड तो वो भी मुँह में अंदर डाल के मेरी तरह धक्का मारते ही होंगे ?

इस बार आंटी ने मेरे गाल पकड़ के खींच लिए और बोली नहीं पप्पू तेरे मोदी अंकल तरस जाते हैं कि मै उनका लण्ड चूसूं लेकिन मैंने नियम बना दिया है कि केवल संडे को और वो भी बस पाँच मिनट चूसूंगी |

ऐसा क्यों आंटी ?

इसलिए कि वो लण्ड इतना मजेदार नही है जितना तेरा ये आठ ईंच का डंडा है...........और आंटी ने मेरे लण्ड को पकड़ कर हिला दिया |

अब मुझे अपनी मर्दानगी पर नाज़ होने लगा था | मै बोला आंटी चुदाई कब करवाएंगी?

अरे दस मिनट आराम कर लेने दे तेरे कडक लण्ड ने थका दिया है |

जी अच्छा मैने मन मार कर कहा | आंटी ने अपने चुचे मेरे मुँह में डाल दिए और पहले कि तरह ही मेरा हाथ अपनी बूर पर लगा दिया | इस बार मैंने अपने आप उनके बुर के दाने तो पकड़ लिया और मसलने लगा |

शाबाश बेटा तू बहुत जल्दी चुदाई के सारे गुण सीख जाएगा | चल गरम कर दे मुझे |

कुछ ही देर बीतने के बाद आंटी बोली अब आ जा मेरे शेर | निकाल अपनी तलवार और घुसेड मेरी म्यान में |

हाँ आंटी देखो न मेरा लण्ड आपकी बूर में जाने के लिए कैसे मचल रहा है |

अब आंटी सीधी होकर पीठ के बल लेट गई और अपनी दोनो टांगें फैला दीं | फिर मुझसे बोली ....पप्पू बेटा वो तकिया मेरे चुत्तडों के नीचे लगा दे | मैंने तकिया लिया तो आंटी ने अपनी कमर उचका दी मैंने आंटी के कहे अनुसार तकिया उनकी कमर के नीचे डाल दिया | फिर मैंने पूछा ........ऐसा क्यों किया आंटी ?

इसलिए कि बूर ऊपर उठ जाए और तेरा लण्ड आराम से मेरी बूर में घुस जाए |

जी समझ गया |

पप्पू अब तू मेरी दोनों टांगों के बीच आ जा और मेरी दोनों जांघों को अपनी दोनों जांघों पर रख ले |

मैंने ऐसा ही किया अब मेरा लण्ड अपने आप आंटी कि बूर पर ठोकर मार रहा था |

आंटी बोली ...अब जो बता रही हूँ वो बहुत ध्यान से सुन |

जी

देख पप्पू लण्ड जब चुदाई के समय पहली बार बूर में घुसाया जाता है तो उस से पहले उसे बुर पर ऊपर नीचे कर के रगड़ना चाहिए | इससे भाग्नाशे पर रगड़ पड़ती है और असर ये होता है की बूर अपने रस से गीली हो जाती है जिससे लण्ड आराम से बूर में सरक जाता है| हाँ एक और बहुत ज़रुरी बात |

क्या आंटी कहते हुए मैंने एक हाथ से लण्ड पकड़ा और उसे बूर पर ऊपर नीचे कर के रगड़ने लगा |

शाबाश बेटा ठीक कर रहा है तू | ऐसे ही रगड़ा जाता है | सुन जब बूर गीली हो जाए तो लण्ड को बूर के छेद पर सेट करके धीरे से हल्का दबाव डालना चाहिए और ध्यान रखना चाहिए की सुपाड़े से ज्यादा लण्ड बूर में न घुसे |

ऐसा क्यों आंटी ?

क्योंकि बूर किसी एलास्टिक की तरह होती है | जितनी बड़ी चीज़ उसमे घुसती है वो उतना ही फ़ैल जाती है | चुदाई के शुरू होने के समय बूर का मुँह बंद रहता है जो धीरे धीरे लण्ड के धक्कों से खुल जाता है | एक बार धीरे धीरे करके जब पूरा लण्ड घुस जाए तो हल्के हल्के धक्के लगाने चाहिए |

जिस मर्द का लण्ड छोटा हो वो तेज धक्का भी मार दे तो कोई बात नही लेकिन तेरे जैसा जिसका आठ ईंच का है वो अगर जोर से धक्का मार के लण्ड बूर में पेल दे तो औरत की तो फट जाएगी | बिचारी को बहुत दर्द होगा | और यही धीरे धीरे बूर का छेद लण्ड से खोलते हुए लण्ड बूर में पेलोगे तो औरत को भी मज़ा मिलेगा और तुम्हे भी | पूरा लण्ड घुसाने के बाद कुछ देर धीरे धीरे लण्ड अंदर बाहर कर के चुदाई करो और उसके बाद फिर जम के हचा हच मार के धक्के चोदो तो बहुत मज़ा आएगा | समझ गए न |

जी |

देखो जोश में आकर भी करार घक्का मत मारना | यही वो टाइम है जब तुम्हे अपने आप को कंट्रोल करना पड़ेगा |

जी समझ गया अब तो बूर भी गीली हो गई है | घुसाऊँ?

ठीक है आओ और आंटी ने अपनी दो उँगलियों से अपनी बूर की दोनों फाँकों को फैला दिया जिससे उनकी बुर का छेद साफ साफ़ दिखने लगा | दिख गया न छेद पप्पू?

हाँ आंटी और मैंने लण्ड का सुपाड़ा छेद के ऊपर रख के थोड़ा सा दबाया की वो फिसले नही और उसी ज़गह पर सेट रहे |

यही है न आंटी ?

हाँ बेटा अब धीरे से दबाओ | देखो धीरे से दबाना |

जी और मेने अपनी कमर को आगे की तरफ दबाया | लण्ड का सुपाड़ा फच्च की आवाज़ के साथ बूर में घुस गया और मुझे लगा जैसे मेरे लण्ड का सुपाड़ा किसी गर्म तेल के अंदर घुस गया हो और आंटी की बूर ने उसे ज़ोरों से जकड रखा था |

ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई माआआआआआआआ ! आंटी के मुँह से निकला |

क्या हुआ आंटी ?

कुछ नही बेटा मुझे इतने बड़े लण्ड की आदत नही है | तेरा मोटा भी ज्यादा है न मोदी से | बूर लण्ड को ऐडजस्ट करने में थोड़ा टाइम लेगी | तू चिंता मत कर ऐसे ही धीरे धीरे घुसाते जा |

जी बहुत अच्छा |

मैंने लण्ड को थोड़ा बाहर खींचा | आधा सुपाड़ा केवल बूर के अंदर था | इस बार थोड़ा जोर से दबाया तो सुपाड़े के साथ आधा ईंच और लण्ड बूर में दाखिल हो गया |

आआह्ह आंटी के मुँह से निकला | तेरा कुछ ज्यादा ही मोटा है रे | चल ठीक है दे एक और हल्का सा धक्का |
adeswal
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Re: तब से अब तक और आगे

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मैंने लण्ड फिर बाहर खींचा और सोचा की इस तरह तो पूरा घुसाने में काफी टाइम जाएगा और मैं धकापेल चुदाई करने के लिए बेचैन था सो मैंने एक ज़ोरदार धक्का चूत में रसीद कर दिया और आधे से ज़्यादा लण्ड चूत में दाखिल हो गया |

हाआय्य्य्य मार डाला रे | कहा था न की धीरे से मारना | अरे अनाड़ी ने जान ले ली मरी अम्मा | और हाथ नीचे ले जा के आंटी ने लण्ड को उस ज़गह से पकड़ लिया जहां वो बूर से मिल रहा था | हाय राम अभी भी इतना बाकी है ? तेरा लण्ड है या मुसल? कोई कुँवारी तेरे हत्थे चढ़ गई तो वो तो बिचारी चलने फिरने लायक भी नही रहेगी ? अरे बेटा जोश में होश मत गँवा | धीरे धीरे मार मेरे लल्ला | मै कोई भागी थोड़ी न जा रही हूँ ? तेरे नीचे ही तो लेटी हूँ बूर फैला के |

जी जी वो जोश में कंट्रोल नही हो पाया | अब ध्यान रक्खूंगा |

बहुत अच्छा | सुन लगभग आधा तो घुस ही चुका है ?

जी | उससे थोड़ा ज्यादा ही चला गया है अंदर |

बहुत अच्छा | अब एक काम कर की इतने लण्ड को ही धीरे धीरे अंदर बाहर कर के २० -२५ धक्के मार इससे बूर ढीली हो जाएगी और लण्ड आराम से सरकने लगेगा |

जी जैसा आप कहें और मैंने लण्ड अंदर बाहर करना शुरू किया | लण्ड शुरू में तो खिंचाव के साथ बहुत टाईट घिस के अंदर बाहर हो रहा था लेकिन कुछ धक्कों के बाद ही आराम से सरकने लगा और बूर ने भी पानी छोड़ दिया था और गीली हो गई थी जिसके कारण और आराम से लण्ड बूर में सरक रहा था |फच फच फचाक फचाक फचर फचर की आवाज लण्ड और बूर के घर्षण के कारण निकलने लगी थी जो माहौल को और मादक बना रही थी |

हाँ हाँ पप्पू ऐसे ही | तेरा तो बहुत घिस के रगड़ मार रहा है रे | तेरे अंकल का इतना रगड़ नही मारता | उनका तो इतना टाईट भी नही होता | ऐसे ही मारते जा मेरे बच्चे | आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आज सालों बाद मेरी बूर की अच्छी तरह घिसाई हो रही है|

मेरे छोटे बालम | चोद ले अपनी इस दुल्हन को | आज कोई कसर मत छोड़ना मेरे राजा ................और भी न जाने क्या क्या |
इधर मै बहुत कुछ बोलने की स्थिति में नहीं था क्योंकि आंटी के ऊपर मैं चढ़ा हुआ धक्के लगा रहा था और इस तरह का मज़ा जिंदगी में मुझे पहली बार मिल रहा था सो मै उसमे पूरी तरह डूब चुका था | हर धक्के के साथ मेरे मुँह से हंह हंह हाँ हाँ उंह उंह आं आंह आंह हं हं ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हं ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हं आदि निकल रहा था | अब मै पुरे जोश में था लेकिन आंटी के कहने के अनुसार हल्के धक्के ही मार रहा था और लण्ड भी बस आधे से कुछ ज्यादा बूर में घुसा हुआ था | मै अब पूरा लण्ड बूर में पेलने को बेचैन था लेकिन डर भी रहा था की आंटी ने मना किया है | मैंने देखा की आंटी ने आँखें बंद की हैं और बड़बड़ाते हुए लण्ड के धक्कों का मज़ा ले रही हैं तो मैंने एक चांस लेने की सोची इस बार भी मैंने बहुत प्यार से धीरे से लण्ड को बूर के बाहर खींचा | मेरा केवल आधा सुपाड़ा ही बूर के अंदर रह गया था आंटी को जब खालीपन महसूस हुआ तो आँख बंद किए हुए ही बोली..........
डाल दे अंदर बेटे | पूरा बाहर क्यों निकाल लिया |

जी | कहते हुए मैंने एक ज़ोरदार धक्का लण्ड का बूर पर रसीद कर दिया | इस बार लण्ड बूर को चीरता हुआ बूर की जड़ तक जाकर बैठा था | इधर मुझे भी धक्का लगाने की बाद ऐसा लगा जैसे आधे से कुछ ज़्यादा लण्ड बूर में घुसने के बाद मेरे लण्ड के सुपाड़े को किसी चीज़ ने अंदर जाने से रोका हो और तेज धक्के के कारण सुपाड़ा उसे रगडता हुआ अंदर घुसा हो | उस समय जो मज़ा आया उसका बयान शब्दों में मुश्किल है उसे तो केवल महसूस ही किया जा सकता है | मैं फिर से लण्ड खींच के एक और ऐसा ही धक्का लगाने वाला था की फिर वही आनंद लूटूँ की ...............
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Re: तब से अब तक और आगे

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उधर अचानक हुए इस हमले (धक्के) के लिए शायद मोदी आंटी तैयार नही थीं सो मोदी आंटी चीख पड़ी ऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईईईईईई माआआआआआआआआआआआआर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र डाला रे ज़ालिम और उन्होंने अपनी कमर साइड में खीच ली | मुझे नही मालुम था की ऐसा हो सकता है | उनके ऐसा करने से मेरा लण्ड उनकी बूर के बाहर आ गया था | वो उठ बैठीं और बूर पर हाथ रखते हुए बोली अरे बाप रे बाप तेरा लण्ड है की मुसल मेरी तो सील तोड़ दी तुने और वो भी बिना मुझे बताए ? बदमाश |

मैं भौंचक्का सा आंटी को देख रहा था........ आपने ही तो कहा था की डाल दे |

हाँ हाँ कहा था लेकिन तेरा मेरी बच्चेदानी के मुँह को पूरा खोल के उसके भी अंदर चला जाएगा मुझे ये थोड़ी न पता था | और मेरे अनाड़ी बालम सील तो तुने तोड़ी ही है वो कैसे मै तुझे बाद में बताऊँगी लेकिन इस बार अनाड़ीपना मत करना और जैसे जैसे कहूँ वैसे ही करना |

ठीक है आंटी लेकिन ये तो बता दीजिए न की मैंने कैसे सेल तोड़ी | प्लीईईईइज़ |

अच्छा बाबा लेकिन पहले फिर से लण्ड बूर में घुसाने वाली पोजीसन में आ.....कहते हुए आंटी ने फिर से तकिया अपनी कमर के नीचे लगाया और अपनी टांगें फैला के लेट गई | मैं आंटी का मतलब समझ गया और उनकी टांगो के बीच आ के उनकी जांघों को अपनी जांघों पर रख के लण्ड के सुपाड़े से आंटी की बूर की दरार को घिसने लगा | अब हम दोनों को फिर से मज़ा मिलना शुरू हो गया | आंटी बोली देख या तो पहले चुदाई कर ले फिर सील तोड़ने वाली बात समझ लेना या फिर एकदम धीरे धीरे हल्के हल्के धक्के मारेगा तभी मै तुझे बता सकती हूँ की कैसे तुने मेरी सील तोड़ी है अभी | मेरे लिए बहुत मुश्किल घड़ी थी | इधर मैं ज़बरदस्त धक्के लगा के चुदाई का पूरा मज़ा भी लेना चाहता था और उधर ये भी जानने को उत्सुक था की चूदी हुई बूर की सील आज अभी मेरी चुदाई से कैसे टूटी ? खैर मैंने सोचा की चोदने को तो मिल ही रहा है और वैसे कहा जाए तो बात करते हुए धीरे धीरे चोदने का अपना ही मज़ा है | मै यही सब सोच रहा था की आंटी बोली अरे रगड़ता ही रहेगा या घुसाएगा भी ?

जी अभी घुसाता हूँ कहते हुए मैंने लण्ड के सुपाड़े को बूर के छेद पर सेट किया और धक्का मारने की पोजीसन बना ही रहा था की आंटी ने मेरी कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया | मै बोला ये क्या कर रही हैं ? मेरी कमर पकड़ लेंगी तो धक्का कैसे मारूंगा ? तू झटके से मार देता है इसलिए पकड़ा है | ध्यान से सुन ...केवल पहले की तरह आधा घुसा के ही चोद तभी बता पाऊँगी की सील कैसे टूटी मेरी तेरी चुदाई से वरना नही बता पाऊँगी | समझा?

जी समझ गया | मन ही मन मै अपनी मर्दानगी पर खुश हो रहा था की चलो अगर आंटी सही बोल रही है तो अपनी पहली चुदाई में ही मैंने एक सील तोड़ी और वो भी चूदी हुई एक्सपीरिएंसड आंटी की |

तो क्या मोदी अंकल पूरा लण्ड घुसा के नही चोदते आपको ? उनका भी तो आपकी बच्चेदानी के अंदर जाता होगा ? यह कहते हुए मैंने लण्ड का एक हल्का धक्का बूर के अंदर लगा दिया| फ्ह्च्च्च्च की आवाज़ के साथ लण्ड बूर के अंदर दाखिल हो गया |

आंटी थोड़ा सा उचकी और फिर बोली .......हाँ बेटे ऐसे ही धीरे से मारते हुए अब चोदना यानी लण्ड अंदर बाहर करना शुरु करो | बस ध्यान यही रखना की जितना घुसा हुआ है उस से ज्यादा अंदर न घुसने पाए |
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