तब से अब तक और आगे

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adeswal
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Re: तब से अब तक और आगे

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न न नही नही; वो बात नही है |

तो क्या बात है ? आंटी थोड़ा डांटते हुए बोली और मेरी पैंट के हुक खोल दिए, फिर ज़िप खुली और देखते ही देखते पैंट मेरी टांगों से बाहर आ गई | अब आंटी घुटनों के बल खड़ी हुईं और मेरी शर्ट और बनियायन भी मेरे बदन से अलग हो गईं | आंटी फिर से बेड पर बैठ गई और उन्होंने मेरी चड्डी के ऊपर से ही मेरे लण्ड को पकड़ते हुए कहा तो यहाँ पर मेरे छोटे बालम का छोटू कैद है | आंटी ने ये कहते हुए चड्डी के ऊपर से ही मेरे लण्ड को एक चुम्मा दिया और बोली बस छोटू अब तेरे आज़ाद होने का टाइम आ गया है | मै अभी तुझे आज़ाद किए देती हूँ | यह कहते हुए आंटी ने चड्डी के ऊपर से ही लण्ड को मुट्ठी में पकड़ लिया और बोली देख पप्पू कैसे फड़फड़ा रहा है ये आज़ाद होने के लिए | कर दूँ न इसे आज़ाद ?...............और आंटी मेरी तरफ देखने लगी | अभी भी आंटी ने मेरे लण्ड को चड्डी के ऊपर से ही मुठी में पकड़ा हुआ था | अब मेरी हालत बिगड़ने लगी थी |

आपको जो अच्छा लगे वो कर दो आंटी आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह | मेरे मुह से आह इसलिए निकल गई क्योंकि आंटी ने मेरा लण्ड सुपाड़े वाली जगह पर मसल दिया था |

इतने में ही आह निकल गई ? अभी तो इसे बहुत कुछ सहना है पप्पू | वैसे लग तो बड़ा प्यारा रहा है | अब देख ही लेना चाहिए ..............और ये कहते हुए आंटी ने झट से मेरी चड्डी निचे सरका दी | इससे पहले की मैं कुछ समझ पाता मेरी चड्डी घुटनों के नीचे उतर चुकी थी और चड्डी के नीचे सरकते ही फनफनाता हुआ मेरा लण्ड जो १२० डिग्री का कोण बना के खड़ा था आंटी के गालों पर जा लगा | आंटी ने झट से चड्डी छोड़ी और दोनों हाथों से लण्ड पकड़ते हुए बोली अरे पप्पू !कौन कहता है की तू बच्चा है ? तू तो जिसको चोद दे वो तेरे बच्चे की माँ बन जाए | इतना बड़ा ? ये तो तेरे मोदी अंकल से भी बड़ा है !

मै विस्मोहित सा कभी आंटी के आश्चर्य भरे चेहरे को देख रहा था और कभी उने हाथों का मेरे लण्ड पर जो स्पर्श था वो महसूस कर मदहोश हुए जा रहा था की तभी एक और सीमा का अतिक्रमण हो गया |

इससे पहले की मै कुछ समझ पाता.........आंटी बोल पड़ी ऐसे प्यारे छोटू का तो भव्य स्वागत होना चाहिए और आंटी ने मेरा लण्ड मुझे बिना कुछ सोचने का मौक़ा दिए मुँह में ले लिया और सुपाड़े तक मुँह में ले के उसके चारों तरफ अपनी जीभ फिराने लगीं | उनके मुँह की गर्माहट, वो चिपचिपापन और जीभ की गुदगुदाहट , मेरे मुँह से आआआआआआआ आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गई | वो तो अच्छा था की सुपाड़े पर से चमड़ी नही हटी थी और न ही आंटी ने हटाई थी वरना शायद मैं झड़ ही जाता | मेरे जीवन का पहला और ऐसा एह्साह था ये जो बयान नही किया जा सकता | मेरे जीवन में पहली बार किसी औरत ने मेरा लण्ड अपने मुँह में लिया था | यही मेरे लिए उत्तेजना का सबसे बड़ा कारण था | मैंने आंटी का सर अपने हाथों में पकड़ लिया और बोल पड़ा .....

आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आंटी मै गिर जाऊँगा मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा | प्लीज़ मेरी चड्डी पूरी उतार दीजिए और मुझे लेट जाने दीजिए |

बिलकुल नही | तुम्हे खड़ा रहना होगा यही तुम्हारी सज़ा है |

मैंने क्या किया है ? मै रुआंसा होकर बोला तो वो बोली...... जैसे मैंने तुम्हारी चड्डी खोली तो तुम्हारे छोटू को अपने मुँह में ले के प्यार किया वैसे ही तुम्हे भी ब्रा खोलने के बाद मेरी चुचियों को चूसना चाहिए था |

मै बोल पड़ा ......ये मेरा पहली बार है मुझे पता थोड़ी न था की ऐसा करते हैं |

हाय मेरे अनाड़ी बालम , आंटी बोली और फिर बोली.........झूठा | मै बोला झूठा क्यों?

तुम ब्ल्यू फिल्म नही देखते क्या ?

सर झुका के मै बोला देखता तो हूँ |

तो उसमे नही देखा ये ?

देखा है पर मुझे लगा ये ऐसे ही दिखाते होंगे |

और अब क्या लग रहा है ?

यही की सच में चूची को पीया जाता है |

हाँ पप्पू देखो पहले फोरप्ले करते हैं | फोरप्ले मतलब एक दूसरे के अंगों से खेल कर इतना जोश में आ जाना की चुदाई का मज़ा आ जाए |

मै एक अनपढ़ शिष्य की तरह आंटी से ज्ञान लेते हुए बोला - जी |

चलो अब मेरे सारे कपड़े उतारो |
adeswal
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Re: तब से अब तक और आगे

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अब मै लाज शर्म खो चुका था और खोता भी क्यों न ? जब आंटी मेरा लण्ड मुँह में ले के चूस चुकी थी तो अब बाकी ही क्या था ?

मैंने झट से उनकी साड़ी उतारी और पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया | अब आंटी लेट गई थी सो मै बोला अपने चूतड़ ऊठा लीजिए, पेटीकोट बाहर निकालना है | आंटी ने अपने चूतड़ उचका दिए और मैंने झट से पेटीकोट उतार दिया | उनकी बिना झांटो वाली चिकनी चुत मेरे सामने थी | इस बार मैं आंटी को शिकायत का कोई मौक़ा नही देना चाहता था सो मै झुका और झट से अपनी जीभ से चुत चाटने लगा |

वाआआआआआआआआऊऊऊऊऊऊऊऊ ऊऊऊऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ओह मेरे राजा और मेरा सर पकड़ कर दो चार बार चटवाने के बाद ही आंटी ने मुझे ऊपर ऊठा लिया | ये क्या पप्पू ?

वही जो आपने किया था मेरे साथ | कहते हुए मैं ऊपर आ गया |लेकिन मन ही मन खुश भी हुआ क्योंकि आंटी की चुत का स्वाद कुछ कसैला और नमकीन सा लग रहा था जो अच्छा तो नही था लेकिन मैंने सोचा की ये मेरा लण्ड चूस रही है तो इसकी चुत तो चाटनी ही पड़ेगी और फिर इकबाल भी तो कविता की बूर चाट रहा था | इसका मतलब बुर की चटाई और लण्ड की चुसाई होती ही है चुदाई से पहले | मैं अभी इन्ही ख्यालों में था की आंटी बोल पड़ी .........................

जियो मेरे राजा तुम्हे चुदक्कड़ बनने में ज्यादा टाइम नही लगेगा | जल्दी ही सब कुछ सीख जाओगे |

मै शर्मा गया | फिर आंटी ने मुझे अपनी चुचियों पर झुका दिया और बोली तुम्हारी ज़गह अभी यहाँ है मेरे बालम चुत तो मोदी को चाटने दो |

मैं बोला ऐसा क्यों आंटी ? केवल मोदी अंकल ही आपकी चुत क्यों चाटेंगे ? क्या मै ठीक से नहीं चाट रहा ?

नही बेटे ऐसी बात नही है | तुम्हारा मुँह लगते ही मैं स्वर्ग में पहुँच गई लेकिन अभी तुम इस काम के लिए नए हो और बूर का स्वाद कोई अच्छा तो होता नही है की कोई स्वाद लेने के लिए चुसे | बुर तो औरत को गर्म करने के लिए चुसी जाती है | इसी तरह लण्ड का स्वाद थोड़ी न अच्छा होता है लेकिन चुकी चुसवाने में मर्दों को बहुत मज़ा आता है इसलिए वो लण्ड चुसवाना चाहते हैं | और ये कहते हुए ...............

आंटी ने मेरा एक हाथ पकड़ा और उसे अपनी चुत के दाने पर लगा के बोली बेटा इसे धीरे धीरे दो ऊंगलियों से मसलो | मैंने मसलना शुरू किया | और हल्के बेटा | ये ज़गह बहुत सेंसिटिव होती है | मै चूची चूसते हुए उनके बूर के दाने को आहिस्ते आहिस्ते मसल रहा था | और कभी कभी मुँह में से चूची निकाल के उनसे बात भी कर रहा था |

इधर आंटी ने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया और सुपाड़े के ऊपर की चमड़ी को ऊपर नीचे कर धीरे धीरे मेरी मुठ मारने लगी | लेकिन मुझे अब लण्ड चुसवाने के आगे मुठ मरवाना फीका लग रहा था | लेकिन मै शर्म के कारण कुछ बोल नही पा रहा था | अब कैसे कहता की आंटी मेरा लण्ड चूस दो ?

मैं बोला बिलकुल ठीक कह रही हैं आंटी आप | अब तक मैं मुठ मारता था तो मुझे लगता था की इससे ज्यादा मज़ा कुछ नही हो सकता लेकिन थोड़ी देर पहले जब आपने मेरा लण्ड अपने मुँह में लिया तो मुझे उससे भी ज्यादा मज़ा आया | और ये भी आप ठीक कह रही हैं की बूर चूसने में कोई अच्छा स्वाद नही आ रहा था हाँ आपको कैसा लगा ये तो आप ही बताएंगी |

मुझे ऐसा ही लगा जैसा तुम्हे मेरे से लंड चुसवाने में लगा | बेटे असली लण्ड चुसाई तो अभी बाकी है उसका मज़ा ले लोगे तो मुठ मारना ही भूल जाओगे |

क्या सच में आंटी ?

हाँ

फिर तो चुदाई में और भी ज़्यादा मज़ा आता होगा ?

चुदाई तो चुदाई होती ही है बेटा | उसका तो कहना ही क्या ?

जी ........कहते हुए...................

मै एक अच्छे शागिर्द की तरह आंटी की चुचियों को बदल बदल के चूसते रहा और उनकी चुत के भगानाशे को हौले हौले सहलाता रहा | अभी पाँच मिनट भी नही बीते होंगे की आंटी की सिस्कारियां शुरू हो गईं | आआआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ईईईईईईईइस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स हाँ हाँ ऐसे ही पप्पू थोड़ा और तेज़ी से रगड़ो आआआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊऊऊउईईईईईईईईई हां हां ऐसे ही और न जाने क्या क्या | और थोड़ी देर के बाद ही मेरे हाथों में कुछ गीलापन महसूस हुआ | और आंटी थोड़ी सी सुस्त पड़ी और मेरे हाथ को पकड़ कर रोक दिया | मैं अचम्भित सा आंटी को देखता रहा और आंटी आँखें बंद किए हुए लगभग पाँच मिनट यूँ ही पड़ी रही | फिर उन्होंने आँखें खोलीं और मुझे अपनी गोद में ले के अपने से चिपकाते हुए मुझे एक चुम्मा लिया और बोलीं थैंक्यू बेटा |

किस लिए आंटी ?

मुझे इतना ज़बरदस्त ओर्गास्म देने के लिए | मै भौंचक्का सा आंटी को देखते हुए बोला की लेकिन मैंने तो अभी आपके साथ कुछ किया भी नही है ?


अरे बुद्धू जैसे तुम लडके मुठ मारते हो वैसे ही हम औरतें बूर का दाना रगडती हैं तो हमारा भी पानी निकल जाता है | तुम मेरा दाना ही तो रगड़ रहे थे न ?

हाँ वो तो है |

चलो अब तुम्हारी बारी | मै भी तुम्हारा पानी निकाल दूँ |

अब मै शशंकित हो उठा की आंटी कहीं अपनी तरह ही मेरा मुठ मार के मेरा पानी निकाल देंगी और चुदवाएँगी नही | मै इधर बूर चोदने के लिए बेचैन था सो हिम्मत कर के आंटी से पूछ ही लिया तो क्या आप मुठ मार के मेरा पानी निकालेंगी ?

हाँ एक तरह से मुठ ही कहो |

एक तरह से मतलब ?

मतलब की तुम तो अपने हाथ से करते होगे न ?

जी |
adeswal
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Re: तब से अब तक और आगे

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मैं हाथ और मुँह दोनों से करुँगी |

तो क्या आप बुर नहीं चोदने देंगी ?

ओह तो ये बात है | इसलिए मेरा पप्पू उदास है क्या ?

जी |

अरे मेरे बालम आज तुम्हारे लण्ड का मेरी बूर से मिलन तो होना तय है मेरे राजा | अभी तो मै तुम्हे तैयार कर रही हूँ क्योंकि ये तुम्हारा पहली बार है न ?

जी |

अगर अभी बूर में लण्ड डलवा लिया मैंने तो तुम दस बीस धक्कों में ही झड़. जाओगे और लम्बी चुदाई का मज़ा नही ले पाओगे और मैं भी प्यासी रह जाऊँगी |

तो बाद में लम्बी चुदाई कैसे कर पाऊँगा ? ऐसा क्या करेंगी आप मेरे साथ ?

मैं अपने मुँह में एक बार तुम्हारा पानी निकाल दूँगी जिससे तुम जब उसके बाद मेरी बुर में अपना लण्ड डालोगे तो ज़्यादा देर चोदोगे, जल्दी झड़ोगे नही |

अच्छा अच्छा ये भी ठीक है | ये बात मुझे सही लगी क्योंकि मैंने ये आजमाया था की एक बार मुठ मार लेने के बाद दूसरी बार मुठ मारने पर पानी देर से छुटता था | लेकिन आप मेरा पानी मुँह में निकालेंगी तो क्या ये ठीक होगा |

अरे यही तो अमृत है बुद्धू | तू मेरे मुँह में पानी निकालने से हिचकिचाना मत |

जी | लेकिन आप ही बोल रही थी न की इसका स्वाद अच्छा नही होता फिर भी आप मुँह में लेंगी ?

मुँह में लूंगी ही नही उसे पी जाऊँगी |

छी ! वो भी कोई पीने वाली चीज़ है ?

हाँ है बेटा अभी टाइम नही है उसके बारे में बात करने का | कभी बाद में आराम से समझा दूँगी तुम्हे अभी तो तुम लण्ड चुसाई का मज़ा लो और सारा लण्ड का रस मुझे पीला दो |

ये लो आंटी जैसी आपकी मर्जी .......कहते हुए मैंने लण्ड आंटी के मुँह के पास लगा दिया |

आंटी ने लण्ड हाथ में पकड़ा और बोली ..........ऐसे नही चल अब लेट जा |

मैं लेट गया और आंटी मेरे दोनों टांगों के बीच में आ के पेट के बल लेट गई और उन्होंने मेरे लण्ड को एक हाथ में पकड़ लिया और सीधा मुँह में ले लिया | दो तीन चुस्से मारे | वो सुपाड़े तक लण्ड मुँह में लेती और मुँह से अंदर खीचते हुए अपना सर पीछे की तरफ करती जिससे ऐसा लगता मानो उनका मुँह वैक्यूम पम्प की तरह मेरे लण्ड को खींचने की कोशिश कर रहा है | मेरे आनंद की कोई सीमा नही थी आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आंटी बहुत मज़ा आ रहा है | ऐसे हीं टाईट टाईट चुसिए हाँ हाँ ऐसे ही | ऐसा मज़ा आज तक नही मिला था | आप बहुत अच्छी हैं आंटी | और जोर से आंटी हाँ हाँ | तभी आंटी ने फिर मेरे लण्ड को मुँह में लिया लेकिन इस बार चुस्सा नही लगाया और सुपाड़े के चारों तरफ अपनी जीभ घुमाने लगी | मेरा मज़ा कम हो गया क्योंकि सुपाड़े पर से चमड़ी अभी भी हटी नही थी | चुस्सा तो वैक्यूम की तरह होता था इसलिए उसमे मज़ा आ रहा था | जब दो मिनट बीत गए और आंटी ने फिर चुस्सा मारना शुरू नहीं किया तो मै बोला आंटी पहले की तरह कीजिए न | उसमे बहुत मज़ा आ रहा था |



मेरे राजा तुम चिंता मत करो आज तुम्हे स्वर्ग की सैर करवाऊँगी | ये लो संभालो कितना मज़ा संभाल सकते हो | यह कहते हुए आंटी ने सुपाड़े पर से चमड़ी नीचे खिसका दी | अब जीभ सीधा सुपाड़े के सम्पर्क में आ गई | और जब जीभ का घर्षण सुपाड़े पर पड़ा तो मेरी मज़े के कारण चीख निकल गई | आःह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ये कौन सा स्टाईल है आंटी ? यही सबसे अच्छा है, हाँ हाँ पहले वाले से भी अच्छा | हाँ हाँ लो चूस लो आंटी और मैंने जोश में आ के आंटी के मुँह में एक धक्का मार दिया | लेकिन आंटी का ये रोज का काम था और उन्हें ये पता था की ऐसा हो सकता है इसलिए उन्होंने मेरे लण्ड को हाथ से भी पकड़ा हुआ था | आंटी ने कनखियों से मुझे देखा लेकिन लण्ड चूसना नही छोड़ा | आंटी के मुँह से फच फच फचर फचर फचा फच की आवाज़ आ रही थी और वो कई बार मेरे धक्कों के कारण गूं गूं भी कर रही थीं | पाँच मिनट बाद आंटी ने अब हाथ से भी मुठ मारनी शुरू कर दी और मुँह में भी लण्ड डाल के चुसाई ज़ारी रक्खी | अब वो बहुत तेज़ी से मेरी मुठ मारने लगी और अपना मुँह भी आगे पीछे करते हुए तेज़ी से लण्ड चूसने लगी |
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