अनोखा इंतकाम रुबीना का

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mastram
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Re: अनोखा इंतकाम रुबीना का

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चुदाई की हवस में डूबी हुई रुबीना ने भी बिना सोचे समझे अपनी कमर उठाकर अपने आपको पूरा नंगा करने में अपने ही भाई की मदद की। अगले ही पल रुबीना ने अपने भाई की उंगलियां अपनी पैंटी के एलास्टिक में महसूस की और फिर दूसरे झटके में रुबीना की पैंटी भी उसके बदन से अलग हो गई। अब रुबीना पूरी तरह से नंगी थी। आज से पहले वो ये कभी सोच भी नहीं सकती थी कि उसका अपना भाई उसे कभी इस तरह ना सिर्फ नंगी करेगा बल्कि वो खुद उसके हाथों जंगी होने में उसकी मदद करेगी।

लेकिन वो जो सोचा नहीं था हो रहा था और तेजी से हो रहा था।

अपनी बहन को परी तरह नंगी करने के बाद रमीज ने भी अपना पाजामा उतारकर नीचे फेंक दिया, रुबीना बिस्तर पर अपनी टाँगें फैलाए पड़ी थी। खुद को नंगा करते ही थोड़ा सा भी टाइम बर्बाद किए बगैर रमीज फौरन अपनी बहन रुबीना की खुली टाँगों के बीच आ गया और अपना लण्ड अपनी बहन की फुद्दी के मुंह पर टिका दिया।

अपने भाई के मोटे ताजे और जवान लण्ड का अपनी गरम प्यासी फुद्दी के साथ टकराव महसूस करते ही रुबीना की फुद्दी जो पहले ही बुरी तरह से गीली थी, वो कॉप सी गई।

रुबीना ने बेइख्तियार अपनी बाहें अपने भाई की कमर के गिर्द लपेट दीं। रुबीना से अब इंतेजार नहीं हो रहा था, वो चाहती थी कि अब उसका भाई अपना लण्ड उसकी फुद्दी के अंदर डालकर उसे बस चोद ही डाले।

रमीज अपना लण्ड अपनी बहन की फुद्दी में डालने की बजाए फुद्दी के होंठों के ऊपर ही अपना लण्ड रगड़ने लगा, शायद वो अपनी बहन की फुद्दी की प्यास और बढ़ाने के लिए जानबूझ कर ऐसा कर रहा था।

रूबीना के लिए वाकाई ही ये बात अब नाकाबिले बर्दाश्त होने लगी थी और वो हवस के तूफान में अंधी होकर अपने भाई पर बरस पड़ी- "ये क्या कर रहा है? अंदर डाल, अंदर डाल जल्दी से.. हाई अब बर्दाश्त नहीं होता जल्दी कर."

रमीज ने जब अपनी बहन के मुंह से ये अल्फाज सुने तो एक पल के लिए वो अधेरे में ही रुबीना का मुंह ताकने लगा, शायद उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि उसकी बहन जिसे वो बचपन से जानता है ऐसा भी बोल सकती

लेकिन रुबीना अपने होसो-हवास गंवा चुकी थी, और अब बिस्तर पर रमीज के सामने एक बहन नहीं बल्की एक प्यासी औरत पड़ी थी, जिसके बदन की आग आज बहुत उँचाई पर पहुंच चुकी थी, और ये आग अब उस वक्त सिर्फ रमीज के लण्ड से ही बुझ सकती थी।

रूबीना- "भाई क्या सोच रहे हो? इसे जल्दी से अंदर डालो, वरना मैं पागल हो जाऊँगी.” रुबीना लगभग चिल्ला उठी थी।

अपनी बहन के चिल्लाने पर रमीज जैसे नींद से जाग उठा, उसने जल्दी से लण्ड अपनी बहन की फुद्दी के मुंह पर टिकाया और रुबीना की पतली कमर को अपने हाथों से मजबूती से थाम लिया।

रुबीना ने मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर ली, और उस लम्हे के लिए खुद को तैयार कर लिया जिसका उसे अब बेसबरी से इंतजार था।

रमीज ने दबाव बढ़ाया और उसका मोटा लण्ड उसकी बहन की फुद्दी के होंठों को फैलाता हुआ फुद्दी के अंदर जाने लगा।

पिछले तकरीबन एक साल से रुबीना अपने पति से खूब चुदी थी मगर अपने भाई के मोटे लण्ड का एहसास ही होने की वजह से रमीज को अपना लण्ड बहन की फुद्दी में डालते वक्त खूब जोर लगाना पड़ रहा था।
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mastram
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Re: अनोखा इंतकाम रुबीना का

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रुबीना को अपने भाई के मोटे लण्ड को अपनी फुद्दी के अंदर लेते वक्त हल्की-हल्की तकलीफ तो हो रही थी, लेकिन जोश में होने की वजह से उसे अब किसी भी तकलीफ की परवाह नहीं थी, बल्कि उसे तो इस तकलीफ में भी एक मजा आ रहा था। रुबीना ने अपने भाई के कंधे थाम लिए और अपनी कमर पूरी जोर से ऊपर उठाते हुए भाई की मदद करने लगी।

लण्ड की टोपी अंदर घुस्सा कर रमीज रुका और फिर उसने रुबीना की कमर पर अपने हाथ कस लिए और एक कररा झटका मार।

"हाए हाए.- रमीजे मार दित्ता तू मेनू उफफ्फ़.. बहुत मोटा है तेरा..” रुबीना ने फिर मजे से कराहते हुए कहा।

रमीज के उस एक धक्के में उसका आधा लण्ड उसकी बहन की फुद्दी में समा चुका था। रमीज ने लण्ड बाहर निकाला और फिर एक जोरदार झटका मारा और इस बार लण्ड और अंदर तक चला गया। इसी तरह वो पूरा लण्ड एक्दम से अंदर डालकर धीरे-धीरे अपनी बहन को चोदने लगा। कुछ ही मिनट में रमीज का लण्ड रुबीना की फुद्दी की जड़ तक पहुंच चुका था।

रुबीना ने अपनी टाँगें अपने भाई की कमर पर लपेट दी, रूबीना के मुंह से फूटने वाली हल्की सिसकियां उसके भाई का हौसला बढ़ा रही थीं और वो हर घस्से पर अपनी पूरी ताकत लगा रहा था। और रुबीना मजे की इस हालत में पहुंच चुकी थी, कि इस हालत को लफ्जों में बयान करना उसके लिए ना म्मकीन था।

रुबीना- "आराम से रमीजे, इतना भी जोर मत लगा कि मेरी कमर टूट जाए, तेरे पास ही हूँ जितना चाहे तू मुझे.."

रमीज- "क्या करूं बाजी, उफफ्फ़... तुम्हारी इतनी टाइट है कि कंट्रोल नहीं होता। ऐसा मजा जिंदगी में पहले कभी नहीं आया..

रुबीना- "नहीं रे तेरा ही इतना मोटा है कि, देख तो कैसे फंसा हुआ है? उफफ्फ़.. कैसे रगड़ रहा है मेरी फुद.." रुबीना के मुंह से फुद्दी लफ्ज निकलते-निकलते रह गया।

रुबीना ने कभी भी अपने पति के साथ भी सेक्स करते हुए ऐसी जुबान का इश्तेमाल नहीं किया था। मगर आज अपने भाई के साथ इतनी गरमजोशी से सेक्स करते वक्त रुबीना शर्म-ओ-हेया की सब हदें पार कर जाना चाहती थी।

फुद्दी और लण्ड की जंग जारी थी, फुद्दी में लगातार पड़ रहे जोरदार घस्सों से जाहिर हो रहा था, कि रमीज को अपनी बहन की फुद्दी चोदने में कितना मजा आ रहा था। वो हर घस्से में लण्ड रुबीना की फुद्दी की जड़ तक उतार देता।

उसका लण्ड रुबीना की बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा था, हर घस्से के साथ उसके टट्टे रुबीना की फुद्दी के नीचे जोर से टकराते।

रुबीना भी अपने भाई की ताल से ताल मिलाते हुए अपनी कमर उछालती हुई अपनी फुद्दी अपने भाई के लण्ड की और ले जाने लगी। रुबीना ने रमीज के कंधे मजबूती से थाम लिए और अपनी टांगें उसके चूतड़ों के गिर्द । कस दी, और अपने भाई के हर घस्से का जवाब भी उतने ही जोश से देने लगी, जितने जोश से वो अपनी बहन को चोद रहा था। हर घस्से के साथ रुबीना के मुख से सिसकारियां फूट रही थीं।

दोनों बहन भाई के जिस्मों के टकराने और लण्ड की गीली फुद्दी में हो रही आवाजों ही से पूरे कमरे में आबाजें गूंज रही थीं।

रुबीना- "और जोर लगा रमीजे... और जोर से.. हाई ऐसा मजा पहले कभी नहीं आया.. और जोर लगाकर डाल मेरी फुद्दी में भाई.." रूबीना के मुंह से निकलने वाले लफ्जों ने आग में घी का काम किया।

अब रमीज एक बेकाबू सांड़ की तरह अपनी बहन रुबीना को चोदने लगा, साफ जाहिर था कि उसे अपनी बहन के मुंह से निकले उन गरम लफ्जों को सुनकर कितना मजा आया था, और उसके जोश में इतना इजाफा हो गया था, जिसकी वजह से उसका हर घस्सा उसकी बहन की फुद्दी को फाड़कर रख देने वाला था।

रुबीना- "शाबाश भाई, चोद मुझे, और जोर से घस्से मार... पूरा अंदर तक डाल अपना लण्ड मेरी फुद्दी में.." आज रुबीना ने सब रिस्ते नाते भुलाकर दुनिया की सब हदें पार कर ली, और इसका इनाम भी उसे खूब मिला।
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mastram
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Re: अनोखा इंतकाम रुबीना का

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रमीज अपने दाँत पीसते हए बुलेट ट्रेन की रफ्तार से अपनी बहन की फुदी चोदने लगा। रुबीना के जिश्म में जैसे करेंट दौड़ रहा था, फुद्दी के अंदर पड़ रही चोटों से मजे की लहरें उठकर पूरे बदन में फैल रही थी, जिस वजह से रुबीना अपना बदन अकड़ाने लगी, रुबीना अब जल्दी ही छूटने वाली थी।

रुबीना- "हाई, मार दित्ता मेन, उफफ्फ़.. अपनी बहन को चोद रहा है या, पिछले किसी जन्म का बदला ले रहा था।

रमीज- "नहीं मेरी बहना, मैं तो तुझे दिखा रहा हूँ कि असली चुदाई कैसे होती है? कैसे एक मर्द औरत की तसल्ली कराता है..."

रुबीना- "हाई, देखना कहीं तसल्ली कराते-कराते मेरी फुददी ना फाड़ देना." कहकर रुबीना ने अपनी बाहें अपने भाई की गर्दन पर लपेट दी और अपनी टांगें भाई की कमर पर और भी जोर से कस दी। रुबीना की कमर अब हिलनी बंद हो चुकी थी।

दोनों भाई बहन बुरी तरह से हांफ रहे थे। रुबीना को अपनी टाइट फुददी में अपने भाई का लण्ड फूलता हुआ महसूस हुआ, लगता था वो भी झड़ने के करीब ही था।

रुबीना- "रमीजे मैं छूटने वाली हूँ, मेरे साथ साथ तू भी.. हाई हाई उफफफ्फ़.. भाई भाईss." और रुबीना की फुद्दी झड़ने लगी। फुद्दी से गरम रस निकलकर भाई के लण्ड को भिगोने लगा। रुबीना की फुद्दी बुरी तरह से खुलती और बंद होते हुए अपने भाई के लण्ड को कस रही थी।

रमीज ने पूरा लण्ड बाहर निकालकर पूरे जोर से अंदर पेला, ऐसे दो तीन जोरदार घस्से मारने के बाद एक हंकार भरते हुए रुबीना के ऊपर पड़े रमीज के लण्ड से गादी मलाई निकलकर उसकी बहन की फुद्दी को भरने लगी, उन दोनों की हालत बहुत बुरी थी।

रुबीना को एक अंजानी खुशी का अहसास अपने पूरे जिश्म में महसूस हो रहा था। उसे लग रहा था जैसे उसका जिश्म एकदम हल्का होकर आसमान में उड़ रहा हो, वो पल कितने मजेदार थे, ऐसा सुख, ऐसा करार उसने जिंदगी में पहली बार महसूस किया था। धीरे धीरे रुबीना की फुद्दी ने फड़फड़ाना बंद कर दिया।

उधर रमीज का लण्ड भी अब पुरसकून हो चुका था और धीरे-धीरे उसका लण्ड भी दी ला होता जा रहा था।

रमीज अभी तक अपनी बहन के ऊपर ही गिरा पड़ा था, और उसके जिश्म के बोझ तले रुबीना के लिए अब हिलना भी मुश्कील था। थोड़ी देर बाद रमीज रुबीना के ऊपर से उतरकर उसके बराबर में लेट गया।

जब दिमाग से चूत की गर्मी कम हुई, तब रुबीना के होशो हवास वापस लोटने लगे। और अब रुबीना के सामना एक हकीकत से हो रहा था। अब उसे ये एहसास हो रहा था कि उन दोनों भाई बहन ने कैसा गुनाह कर दिया।

रुबीना ने जब उन लफ्जों को अपने दिल में दोहराया जो उसने कुछ लमहे पहले रमीज से सेक्स करते हुए उसको कहे थे तो रुबीना के पूरे बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई- "मैं इतनी बेशर्म और बेहया कैसे बन गई? मेरे मुंह से वो अल्फ़ाज कैसे निकल गये? कैसे मैं भूल गई कि मैं अब शादीशुदा हूँ। मैं क्यों खुद को ये गुनाहा करने से रोक नहीं पाई?"

रूबीना के दिल में अब ये तमाम सवाल उठ रहे थे, जिनका कोई भी जवाब उसे सूझ नहीं रहा था। सबसे बड़ा सवाल तो ये था- "कि अब मैं अपने भाई रमीज का सामना कैसे काँगी? वो मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा? कैसे मैं एक बाजारू औरत की तरह उससे पेश आ रही थी? मेरा काम तो अपने भाई को गलत रास्ते पर जाने से रोकना था, मगर में तो खुद, खुदा मुझे इस गुनाह के लिए कभी माफ नहीं करेगा.” रुबीना दिल ही दिल में खुद को धिक्कार रही थी।

उधर बिस्तर पे पड़े रमीज की तरफ से भी कोई हलचल नहीं हो रही थी, शायद उसे भी अपनी बहन रुबीना की सोच का अंदाजा हो गया था, जिस वजह से शायद उसको भी अफसोस हो रहा था, और वो भी अपनी बहन की तरह अपने किए पर अब शर्मिंदा था।

रुबीना ऐसे ही सोचो में गुम बिस्तर पर पड़ी रही, कोई रास्ता कोई हाल उसे नहीं सूझ रहा था। रुबीना जितना अपने किए हुए गुनाह के बारे में सोच रही थी उतना ही उसे खुद से नफरत हो रही थी, ऐसे ही सोचों में गुम काफी वक्त गुजर गया।

कमरे में गूंजती रमीज की हल्की-हल्की सांसों की आवाज से लग रहा था कि वो सो गया है, लेकिन रुबीना की आँखों में तो नींद का नामो-निशान तक ना था। आखिरकार रुबीना उठी और बाथरूम की तरफ बढ़ गई, ये सोचते हुए कि शायद नहाकर बदन को कुछ राहत मिले, या नहाने से शायद उस गुनाह की गंदगी उसके बदन से थोड़ी बहत उतर जाए, जिससे रूबीना का जिश्म अब भरा पड़ा था।
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Re: अनोखा इंतकाम रुबीना का

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रुबीना इन्हीं खयालों में डूबी हई बाथरूम में गई और दरवाजा बंद करके बाथरूम का बल्ब औन कर दिया। रुबीना ने जब बाथरूम के आईने में अपनी शकल देखी तो उसे खुद पर ही रहम आने लगा। रुबीना के पूरे बाल बिखरे हुए थे, होंठ थोड़े सूज गये थे, आँखें एकदम सुर्ख हो गई थीं, और उनमें उदासी सी झलक रही थी। रूबीना ने अपनी ऐसी हालत पहली बार देखी थी, वो बिना कपड़े पहने ही बाथरूम में चली आई थी। वैसे भी कमरे में अधेरा होने की वजह से कपड़े ढूँढने के लिए रुबीना को लाइट जलानी पड़ती, जो वो रमीज के जाग जाने के डर से नहीं करना चाहती थी।

रुबीना की निगाहें आईने में अपने चेहरे से नीचे होते हुए अपने मम्मों पर टिक गई।

उसके निपल अभी भी अकड़े और खड़े हुए थे और वो एकदम सूज गये थे, रमीज के मसलने की वजह से रुबीना के मम्मे एकदम सुर्ख हो गये थे। रूबीना ने एक गहरी सांस ली और आईने के सामने से हटते हुए शावर के नीचे चली गई। शवर का मुंह खोलते ही रुबीना के जिश्म पर ठंडा पानी पड़ा तो उसने फौरन एक राहत की सांस ली।

पानी के नीचे खड़े होते ही रुबीना के हाथ उसके जिश्म पर घूमने लगे। जिश्म पर घूमते हए जैसे ही रुबीना का हाथ उसकी फुद्दी पर गया तो उसका पूरा हाथ उसकी फुदद्दी के अंदर से बहकर बाहर आने वाले उसके अपनी फुददी और उसके सगे भाई के लण्ड के पानी से भीग गया।

रुबीना जल्दी-जल्दी हाथ चलते हुए अपनी फुददी साफ करने लगी, जैसे वो अपने किए हुए गुनाह का सबूत मिटा देना चाहती हो। मगर उस गुनाह की छाप तो रुबीना के तन बदन पर लग चुकी थी। अब वो अपने आपको जितना भी साफ करती मगर रस था कि निकलता ही जा रहा था।

हार कर रुबीना ने शावर का पाइप निकाला और उसे एक हाथ से पकड़कर अपनी फुद्दी के मुंह पर रखा और दूसरे हाथ से अपनी फुद्दी के मुंह को फैलाया जिससे वो अंदर तक साफ हो जाए। थोड़ी देर बाद रूबीना ने शावर के पानी से बाथरूम में बने हुए टब को भरा और फिर वो टब में लेट गई।

रुबीना का दिल अब हर गुजरते पल के साथ अब कुछ पुरसकून होता जा रहा था, अंदर चल रहा तूफान अब ठंडा पड़ रहा था। रुबीना टब में लेटी ये सोचने लगी कि कल जब दिन के उजाले में अपने भाई का सामना करूंगी तो खुद को कैसे संभालूंगी?

एक सवाल जो अब भी रूबीना के दिल में गूंज रहा था, जिससे वो पीछा नहीं छुड़ा पा रही थी, वो ये था कि क्या रमीज भी उसकी तरह ही अपने किए पर पछता रहा था? अगर उसके दिल में पछतावा नहीं हुआ और कहीं उसने दोबारा कोशिश की तो?

नहीं ये दोबारा नहीं हो सकता, मैं उसे कभी दोबारा खुद को छूने नहीं दूंगी- "हालांकी पिछली बार गलती मेरी अपनी थी, इस काम की शुरुआत जाने अंजाने में खुद मैंने की थी, लेकिन वो सब एक गलती थी। मगर फिर भी अगर रमीज ने सोचा कि मैंने खुद जानबूझ कर उससे अपने नाजायज ताल्लुकात बनाए हैं और मैं फिर से उससे चुदवाना चाहती हूँ तो?"

यही सवाल था जो बीना को बार-बार परेशान किए जा रहा था।

काफी टाइम बाद रुबीना टब से बाहर निकली, अब वो काफी हद तक संभल चुकी थी। ये अब फिर से आने वाले तूफान के पहले की खामोशी थी।

रुबीना ने अपना जिश्म पौंछा, अब उसके पहनने के लिए कुछ भी नहीं था सिवाए बाथरूम में लटके हुए एक तौलिया के, मगर वो छोटा सा तौलिया भी रूबीना के जिश्म को ढकने के लिए काफी नहीं था।

रुबीना फिर से आईने के सामने खड़ी हो गई और अपने बदन को आईने में दोबारा देखने लगी। रुबीना का दूध सा मखमली बदन बल्ब की रोशनी में दमक रहा था। रुबीना ने अपने बालों में उंगलियां फेरते हए जब उन्हें झटका तो रुबीना के मोटे-मोटे मम्मे उछल पड़े।

रुबीना को अपने मम्मों पर मान था, बिल्कुल गोल मटोल ऊपर हल्के गुलाबी रंग का गोरा और उनपर गहरे गुलाबी रंग के निपल्स। रुबीना ने अपने दोनों हाथ अपने मम्मों पर रखें और उन्हें धीरे-धीरे सहलाया, उफफफ्फ़ कैसे तने हए जवान मम्मे थे उसके?

"कुछ भी हो एक बात तो है, रमीज याद जरूर रखेंगा इस रात को, चाहे उसकी बहन हूँ लेकिन मेरी जैसी उसे पूरी जिंदगी में दोबारा चोदने को कभी नहीं मिलेगी, उफफफ्फ़.. ये मैं क्या सोच रही हूँ इतना कुछ हो जाने के बाद भी?” रुबीना ने खुद को दुतकारा।

मगर बात थी तो सच, दूध जैसा गोरा रंग, गोल मटोल मोटे-मोटे मम्मे, पतली सी कमर और बाहर को निकली गोल मटोल गाण्ड, जिसे देखकर किसी की भी आँखों में हवस का नशा चढ़ सकता था।

"रमीज की तो एक तरह से लाटरी ही लग गई, वरना उसे तो सपने में भी मेरे जैसी चोदने को ना मिले.." सोचते हुए रुबीना मुश्कुरा पड़ी।
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