अनोखा इंतकाम रुबीना का

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mastram
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Re: अनोखा इंतकाम रुबीना का

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शुरू में रमीज की ड्यूटी रात में होती और रुबीना दिन में ड्यूटी करती थी। इसलिए जब कभी भी रुबीना रमीज के फ्लैट पर रुकती तो एक वक्त में उन दोनों बहन भाई में से कोई एक ही फ्लैट पर होता था। फिर कुछ टाइम गुजरने के बाद रमीज की ड्यूटी भी चेंज होकर सुबह की हो गई।

रमीज की इयूटी का समये चेंज होने से अब मसला ये हो गया कि जब रुबीना एक आध दफा लेट आफ होने की वजह से रमीज के पास रुकती तो, फ्लैट में एक ही बेड होने की वजह से रमीज को कमरे के फर्श पर बिस्तर लगाकर सोना पड़ा।

एक बहन होने के नाते रुबीना ये बात बखूबी जानती थी कि रमीज को शुरू ही से फर्श पर बिस्तर लगाकर सोने से नींद नहीं आती थी। रमीज ने एक आध दफा तो जैसे तैसे करके फर्श पर बिस्तर लगाकर रात गुजार ही ली। फिर कुछ दिनों बाद रमीज ने रुबीना को बताए बगैर एक और बेड खरीदा और उसको लाकर अपने बेडरूम में रख दिया।

चूंकी रुबीना तो कभी कभार ही रमीज के फ्लैट पर रुकती थी, इसलिए जब रमीज ने अपनी बहन से दूसरा बेड खरीदने का जिक्र किया तो रुबीना को उसका दूसरा बेड खरीदने वाली हरकत ना जाने क्यों एक फिजूल खर्च लगी, जिस पर रुबीना रमीज से थोड़ा नाराज भी हुई। फिर दूसरे दिन रुबीना ने अपने भाई के फ्लैट में जाकर बेडरूम में रखे हए बेड का मोआईना किया तो पता चला कि बेडरूम का साइज पहले ही थोड़ा छोटा था। इसलिए जब कमरे में दूसरा बेड रखा गया तो रूम में जगह कम पड़ गई, जिसकी वजह से कमरे में रखे हुए दोनों बेड एक दूसरे के साथ मिल से गये थे।

रुबीना- "रमीज ये क्या तुमने तो बेड को आपस में बिल्कुल ही जोड़ दिया है, दोनों में थोड़ा फासला तो रखते.."

रमीज- "मैं क्या करता, कमरे में जगह ही बहुत तंग है बाजी.."

रुबीना- "चल गुजारा हो जाएगा, मैंने कौन सा इधर रोज सोना है." बोलती हुई रुबीना कमरे से बाहर चली आई।

वैसे तो हर रोज रुबीना की पूरी कोशिश ये होती के वो रात को हर हाल में अपने घर जरूर पहुँच जाए, मगर कभी कभार ऐसा मुमकिन नहीं होता था।

इसके बाद फिर जब कभी रुबीना अपने भाई के पास रात को रुकती, तो वो दोनों बहन भाई रात देर तक अपने घर वालों और अपने रिश्तेदारों के बारे में बातें करते रहते। इस तरह रुबीना का अपने भाई के साथ टाइम बहुत अच्छा गुजर जाता था।

ऐसे ही दिन गुजर रहे थे, कहते हैं ना कि वक्त सबसे बड़ा मरहम होता है, इसलिए हर गुजरते दिन के साथ साथ रुबीना का बर्ताव धीरे-धीरे अपने पति से दुबारा थोड़ा बेहतर होने लगा था। उन दिनों गेहूं की बुआई का सीजन चल रहा था, जिस वजह से मकसूद दिन रात अपने खेतों में बिजी रहता था, इसलिए पिछले दो हफ्तों से वो और रुबीना आपस में चुदाई नहीं कर पाए थे।

लेकिन आज सुबह जब रुबीना गाड़ी में बैठकर हास्पिटल के लिए निकल रही थी, तो मकसूद उसके पास आकर कहने लगा कि काम खत्म हो गया है और अब मैं फ्री हूँ, फिर उसने आँख दबाकर रुबीना को इशारा किया "आज रात को." और खुद ही हँस पड़ा।

रुबीना ने मकसूद की बात का कोई जवाब ना दिया और चुपचाप से अपनी गाड़ी चला दी। बेशक रुबीना मकसूद के सामने खामोश रही थी, मगर हास्पिटल की तरफ गाड़ी मुड़ते हए रुबीना ने बेख्याली में जब अपनी चूत पर खारिश की, तो उसे अपनी टाँगों के बीच अपनी चूत बहुत गीली महसूस हुई। रूबीना समझ गई कि अंदर ही अंदर आज काफी टाइम बाद उसकी फुद्दी को खुद-ब-खुद लण्ड की तलब हो रही थी।

उस रोज ना चाहते हुए भी बे-इख्तियार रूबीना सारा दिन बार-बार अपनी घड़ी को देखती रही कि कब दिन खत्म हो और कब वो घर जाए और अपने पति का लण्ड अपनी फुद्दी में डलवाए। आज उसके दिल में एक अजीब सी उत्तेजना थी, और उस दिन दोपहर के बाद दो बड़ी सर्जरी भी थी, इसलिये काम भी बहुत था।

खैर, दूसरी सर्जरी के दौरान रुबीना को उम्मीद से ज्यादा टाइम लग गया और वो बुरी तरह थक भी गई थी। दो घंटे और थे और फिर वो होती और उसका पति और पूरी रात।

रात को अचानक रूबीना की आँख खुली, उसका बदन कमरे में गर्मी की वजह से पशीना-पशीना हो रहा था। रुबीना को एहसास हुआ कि उसकी कमीज उतरी हुई है और वो सिर्फ ब्रा और सलवार में अपने बेड पर लेटी हुई है। गर्मी की वजह से ना जाने कब और कैसे रुबीना ने अपनी कमीज उतार दी थी, इसका उसे खुद भी पता ना चला।

रूबीना अभी भी नींद की खुमारी में थी और इस खुमारी में रूबीना ने महसूस किया कि उसके हाथ में उसके पति का लण्ड था। जिसे वो खूब सहला रही थी, और सलवार में मौजूद उसके पति का लण्ड रूबीना के हाथों में झटके मार रहा था।

इतने में रोबीना का दूसरा हाथ मकसूद के पेट से हल्का सा टच हुआ तो रुबीना को अंदाजा हुआ कि उसकी तरह उसके पति का कमीज भी उतरा हुआ है। रुबीना अपने पति के लण्ड को अपने काबू में पाकर मुश्कुराने लगी, मगर सोते हुए भी उसे लण्ड को नहीं छोड़ा।

कमरे में अंधेरा था, जिसकी वजह से कोई भी चीज देखाई नहीं दे रही थी, मगर रुबीना को कमरे में गूंजती हुई अपने पति की तेज तेज सांसों से पता चल रहा था कि वो भी जाग रहे हैं। रुबीना ने अपने पति के लण्ड पर नीचे से ऊपर तक हाथ फेरा तो उसके पति के मुंह से एक जोरदार सी "सस्स्स्स्सी .." सिसकारी निकल गई।

सिसकारी की आवाज से लगता था आज रुबीना का पति कुछ ज्यादा ही गरम हो रहा था। रुबीना को भी अपने हाथ में थमा हुआ अपने पति का लण्ड आज कुछ ज्यादा ही लंबा, मोटा और सख्त लग रहा था, खास कर लण्ड की मोटाई से तो आज ऐसा महसूस हो रहा था कि लण्ड जैसे फूलकर डबल हो गया हो। रुबीना को पूरे दिन की सख्त मेहनत का अब फल मिल रहा था।

वो आज पूरा दिन हास्पिटल में बहुत ही बिजी रही थी। और फिर शाम को दूसरी सर्जरी में जटिलता की वजह से रुबीना को हास्पिटल में काफी देर हो गई थी और रुबीना को ऐसा लग रहा था कि वो आज रात अपने घर नहीं जा पाएगी इतनी रात को। अचानक रुबीना के दिमाग ने झटका खाया और वो नीद से पूरी तरह जाग गई। उफफ्फ़.. रात को तो मैं बहत लेट हो गई थी और फिर मैंने घर फोन किया था कि मैं घर नहीं आ पाऊँगी। फिर मैं अपने भाई के फ्लैट पर?

सोते-सोते ये सोचकर ही अचानक रुबीना के पूरे जिश्म में एक झरझरी सी दौड़ गई- "मैं अपने पति के साथ नहीं बल्कि मैं अपने सगे भाई.. नहीं नहीं नहीं.. सर्दी की ठंडी रात में भी रूबीना का बदन पीने से तर-बतर हो गया।

"ये हुआ कैसे?” रुबीना सोच रही थी।

जब वो रमीज के फ्लैट में आई थी तो उसका भाई सोया हुआ था। फ्लैट की एक चाभी रुबीना पास भी थी, रुबीना ने दरवाजा खोला और कपड़े चेंज किए बिना ही लेट गई और लेटते ही उसे नींद आ गई। फ्लैट में आते वक्त रुबीना इतना थकी हुई थी, जिसकी वजह से उसे डर था कि नींद के मारे वो कहीं रास्ते में ही ना गिर जाए। तो फिर क्या रात में भाई ने?

'नहीं, ऐसा नहीं हो सकता, मेरा भाई ऐसा नहीं है, तो फिर कैसे?

रुबीना सोच रही थी- "कैसे मेरे हाथ में अपने भाई का लण्ड आ गया, अगर उसने कोई गलत हरकत नहीं की.." रुबीना जे जब आँखें खोलकर गौर से देखा तो उसे अंदाजा हआ कि रात को नींद की वजह से वो करवटें बदलते बदलते ना जाने किस तरह अपने भाई के बेड पर चली आई है।

हालांकी दोनों बेड परे जड़े हए नहीं थे, लेकिन वो इतने करीब थे कि नींद में करवटें बदलते हए इंसान एक बेड से दूसरे बेड पर बड़ी आसानी से जा सकता था।

"तो इसका मतलाब मैं ही, अपने भाई के बेड पर.. उसका लण्ड हाथ में लेकर उफफ्फ़.. नहीं.. वो क्या सोचता होगा मेरे बारे में?" रुबीना अपनी नींद के खुमार में अपने आपसे ही बातें किए जा रही थी।

रुबीना ने अपने भाई की तरफ से कोई हलचल महसूस नहीं की, लगता था शायद रमीज को अंदाजा हो गया था कि उसकी बहन रुबीना अब शायद जाग गई है, और ये जो कुछ उनके बीच हुआ वो सब नींद में होने की वजह से हो गया था।

दोनों बहन भाई के बीच मुश्किल से दो फिट का फासला होगा और वो दोनों चुपचाप लेटे हुए थे। रुबीना की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे? वो ये सोचकर शर्म से पानी-पानी हो रही थी कि उसका भाई उसके बारे में क्या सोचेगा?

कमरे में बिल्कुल सन्नाटा था, रह-रह कर रुबीना अपने दिल-ओ-दिमाग में अपने आपको कोस रही थी "ये तूने क्या कर दिया? अब रमीज क्या सोचता होगा? मेरी बड़ी बहन ऐसी है कि अपने भाई क्के लण्ड को?” रुबीना अभी इन्हीं सोचो में गुम थी कि उसे एक और झटका लगा।
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रुबीना ने अभी भी अपने भाई का लण्ड पकड़ा हआ था, जबकि उसे नींद से जागे हए कोई 15 मिनट हो गये थे। रुबीना ने सोचा कि वो जल्दी से अपना हाथ रमीज के लण्ड से हटा ले, मगर उस वक्त सूरतेहाल ऐसी थी कि वो चाहते हुए भी ऐसा भी ना कर सकी। रुबीना डर रही थी कि अगर वो कोई हरकत करती है तो उसका भाई कुछ बोल ना पड़े?

"क्या करूं?” रुबीना ये सोच रही थी मगर उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। ऐसे ही पड़े-पड़े कोई एक आध मिनट गुजर गया और रुबीना का हाथ अभी तक रमीज के लण्ड पर था।

रमीज का लण्ड अब कुछ ढीला हो गया था मगर फिर भी रूबीना को अपने भाई रमीज का लण्ड साइज में काफी बड़ा महसूस हो रहा था। आधी रात को अंधेर कमरे में बेड पर साथ-साथ सीधे लेटे दोनों बहन भाई जाग तो रहे थे, मगर उन दोनों में कोई नहीं जानता था कि वो अब करें तो क्या करें।

मकसूद के लण्ड के मुकाबले में रमीज का लण्ड काफी लंबा और मोटा है। उफफ्फ़.. मैं भी क्या सोच रही हूँ? अपने ही भाई के लण्ड के बारे में, रुबीना ने अपने आपको कोसा। मगर सच में है तो बहुत बड़ा? उफफफ्फ़.. पूरा खड़ा होकर तो? मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए रुबीना ने अपने आपको फिर डांटा


'भाई तो तसल्ली कर देता होगा सच में, हाई कितना लंबा है मोटा तो बाप रे... किसी कवारी लड़की की तो..." सोचते-सोचते कब रुबीना ने अपना हाथ रमीज के लण्ड के गिर्द कस दिया, उसे पता ही नहीं चला। रुबीना के हाथ ने जैसे ही रमीज के लण्ड को कसा तो रमीज के मुँह से सिसकारी फूट पड़ी, और उसके सोते हुए लण्ड ने फिर झटका खाया और फिर से एकदम खड़ा होने लगा।

रमीज की सिसकारी सुनकर रूबीना एकदम हड़बड़ाकर अपने खयालों की दुनियां से बाहर निकल आई और उसने फौरन अपने भाई के लण्ड को अपने हाथ से छोड़ दिया।

मगर जब एक जवान कुंवारा मर्द हो और साथ में एक खूबसूरत जवान शादीशुदा औरत, जो उसकी सगी बहन हो, और वो औरत जब रात को एक ही बिस्तर पर अधनंगी लेटी हुई उस जवान मर्द के लण्ड को सहला रही हो, तो एक भाई होने के बावजूद रमीज अपने आपको कैसे काबू में रखता?

इसलिए जब रमीज ने अपने लण्ड को अपनी बहन के हाथ से निकलता हुआ महसूस किया तो उसने फौरन ही रुबीना की तरफ करवट बदली। रमीज ने रुबीना को पकड़कर अपनी तरफ खींचा और फिर अपनी बहन के हाथ को पकड़कर उसे दुबारा अपने लण्ड पर रख दिया। साथ ही रमीज का बायां हाथ सरकता हुआ रुबीना की टाँगों के बीच आया और उसने अपना हाथ पहली बार अपनी बहन की शादीशुदा चूत पर रख दिया।

रमीज का हाथ फुट्टी पर लगते ही रूबीना का बदन अकड़ सा गया। रुबीना ने रमीज को रोकने के लिए थोड़ी कसमकस करते हुए रमीज के हाथ को अपनी फुद्दी से हटाने की कोशिश की। मगर वो उसे रोक ना पाई और रमीज का हाथ बेताबी से अपनी बहन की फूली हुई फुद्दी पर फिसलता रहा।

रुबीना पिछले दो हफ्तों से अपने पति मकसूद से नहीं चुदी थी, इसलिए आज रुबीना के बदन में आग लगी हुई थी, और उसकी फुद्दी से पानी बहने लगा था। रुबीना की फुद्दी लण्ड माँग रही थी और लण्ड रुबीना के हाथ में था। उसके अपने सगे छोटे भाई का लंबा चौड़ा लण्ड।

जवानी की गर्मी और सेक्स की हवस ने उन दोनों बहन भाई की सोचने और समझने की सालिहत जैसे खत्म कर दी थी और शर्म का पर्दा गिरना शुरू हो गया था।
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रमीज का हाथ उसकी बहन की पानी छोड़ती हुई फुद्दी से खेलने में मसरूफ रहा, जिनके असर से रुबीना का बदन अब ढीला पड़ने लगा।

जब रमीज ने महसूस किया कि उसकी बहन थोड़ी ढीली पड़ गई है तो उसका हौसला भी बढ़ गया, और उसका हाथ अपनी बहन की फुददी को छोड़कर उसके मम्मों पर आ गया और ब्रा के ऊपर से अपनी बहन के जवान तने हुये मम्मों पर हाथ फेरने लगा।

उधर रमीज के बहकते हाथों ने रुबीना की फुद्दी में भी हलचल मचा दी थी, इसलिए उसको भी अब अपने आप पर कंट्रोल ना रहा और फिर रुबीना का हाथ भी खुद-बा-खुद तेज-तेज उसके अपने भाई के लण्ड पर दोबारा चलने लगा, ऊपर से नीचे तक रुबीना अपने भाई के लण्ड को मुट्ठी में भरकर निचोड़ रही थी।


अब रमीज ने अपने हाथ से रुबीना के मम्मों को मसलना शुरू कर दिया, जितना जोर से वो रुबीना के मम्मों को मसलता उतने ही जोर से उसकी बहन रुबीना उसके लण्ड को पकड़कर खींचती और दबाती। ऐसा लग रहा था जैसे अंधेर कमरे में दोनों बहन भाई आपस में कोई मुकाबला कर रहे हों। पूरे कमरे में दोनों की आहे, कराहें और सिसकियां गूंज रही थीं।
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Re: अनोखा इंतकाम रुबीना का

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रमीज ने रुबीना को थोड़ा सा उठाया और उसने अपने हाथ रुबीना की कमर पर लेजाकर अपनी बहन की ब्रा के हक खोल दिए। बहन की ब्रा की हक खोलते ही एक बेसने बच्चे की तरह रमीज ने ब्रा को खींचकर निकाला और अपनी बहन के बदन से दूर फेंक दिया।

अब रुबीना अपने भाई के सामने कमर से ऊपर पूरी नंगी थी। हालांकी कमरे में बहुत अंधेरा था, लेकिन रुबीना अपने भाई की नजरें अपने जिश्म पर महसूस कर रही थी।

रमीज ने अपना मुँह नीचे झुकाया और अपनी बहन के दायें मम्मे को जीभ से चाटने लगा।

भाई का मुंह अपने मम्मे पर लगते ही रुबीना तो जैसे सिहर सी उठी, उसने अपने भाई का सिर पकड़कर अपने मम्मे पर दबाया तो रमीज ने मुँह खोला और अपनी बहन के तने हुए निपलों को मुंह में लेकर चूसने लग गया।

"रमीजे, रमीजे ए तू की कर दित्ता, हाई..” रुबीना फरहत-ए-जज़्बात में पंजाबी जुबान में बोल उठी।

पर रमीज ने अपनी बहन की बात का कोई जवाब नहीं दिया और जोर-जोर से रुबीना के निपलों को काटते हुए चूसता रहा। बीच-बीच में उसे बदलकर दूसरे मम्मे को चूसने लग जाता। रमीज एक मम्मा चूसता तो दूसरा मसलता। रुबीना अपने भाई के वहसीपन को महसूस करके मजे के मारे पागल हो रही थी।

15 मिनट मम्मे चूसते हो गये थे और रुबीना अब बेसुध होती जा रही थी, तभी रुबीना ने अपने भाई का हाथ अपनी सलवार के नाड़े पर महसूस किया।

रमीज ने रुबीना का मम्मा मुंह से निकाला और फिर अपनी बहन की सलवार का नाड़ा पकड़कर एक ही झटके मैं खोल दिया।
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