Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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मैने नीरा की इस बात का कोई जवाब नही दिया और अपनी टी शर्ट खोल कर बेग में से मेरा नाइट सूट निकालने लग जाता हूँ.

तभी अचानक तडाक एक ज़ोर दार आवाज़ मुझे सुनाई देती है और एक और तडाक की आवाज़ आती है.
वो आवाज़ नीरा की थी वो खुद के गालो पर बेरहमी से चाँटा मार रही थी .

मैने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया और कहने लगा.


में---ये क्या कर रही है तू पागल तो नही होगयि है.



नीरा--हाँ में पागल हो गयी हूँ...आप सब के प्यार में पागल हो गयी हूँ...आप लोग मेरी ग़लती पर मुझे सज़ा भी नही देते....मुझे जो चाहे वो सज़ा दे दो बस मुझ से नाराज़ मत हुआ करो. मुझे माफ़ कर दो भैया मुझे माफ़ कर दो...और ये कह कर वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है...


में तुरंत उसे अपने सीने से लगा लेता हूँ तब जाकर वो रोना थोड़ा कम करती है.


में तुरंत उसे अपने सीने से लगा लेता हूँ तब जाकर वो रोना थोड़ा कम करती है.


नीरा--भैया अब में कभी आपको तंग नही करूँगी ....में आपसे बहुत प्यार करती हूँ आप मुझ से नाराज़ मत होना कभी भी.



में--नीरा में कभी तुझ से नाराज़ नही हो सकता लेकिन जिस तरह से आज तूने खुद को चोट पहुँचाई है.वो चोट सीधे मेरे दिल पर लगी है.



नीरा--सॉरी भैया आगे से में ऐसा कभी कुछ नही करूँगी. और मुझे कस कर गले से लगा लेती है .तभी मम्मी भी अंदर आजाती है.



मम्मी--में इसीलिए बाहर गयी थी ताकि तुम दोनो अपना मसला आपस में सुलझा लो फिर नीरा उठ कर मम्मी के गले से लग जाती है और हम तीनो वहाँ एक साथ सो जाते है.


उधर भाभी और रूही कॅंप में लेटे हुए थे तभी भाभी रूही से एक सवाल पूछ लेती है.


भाभी--रूही तुम लोगो ने कौनसा राज दबा रखा है अपने अंदर.

रूही ये बात सुनकर तुरंत चोंक जाती है और उठ के बैठ जाती है.



भाभी--क्या तुम लोग मुझे अपना नही समझते जो मुझे बता भी नही सकते.

रूही बस एक टक भाभी की तरफ़ देखे जा रही थी ...उसे उसके कानों पर भरोसा नही हो रहा था.


भाभी--रूही मैने मम्मी और तेरी बातें सुन ली थी....ऐसा कौनसा राज है जिस से इतना बड़ा तूफान आज़ाएगा.

रूही अब संभल चुकी थी.

रूही--भाभी आप अपने परिवार से कितना प्यार करती हो.


भाभी--में अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती हूँ.


रूही --तो आपको उसी परिवार की कसम आप आज के बाद दुबारा ये सवाल नही पुछोगि...कुछ राज हमेशा राज ही रहने चाहिए जिस दिन वो बाहर आजाते है सब कुछ खाक हो जाता है. क्या आप अपने परिवार को बिखरता देख सकोगी..क्योकि अगर वो राज खुल गया तो ये परिवार पूरी तरह से बिखर जाएगा.


भाभी भी अब उठ कर बैठ चुकी थी ....उसके बाद उन्होने कोई सवाल नही किया और रूही को. रोता देख उसे गले से लगा लिया.


भाभी--मुझे पता नही था रूही के इस मुस्कुराते नन्हे से दिल पर एक राज का इतना भारी बोझ पड़ा है...तेरी कसम....में ये सवाल किसी से नही पुछुन्गि.तेरी कसम....रूही तेरी कसम...,,.

रूही और भाभी अपने आँसू पोछ कर सोने लगते है...इधर मम्मी की नींद उड़ी हुई थी.

वो लगातार पुरानी यादो में खोती चली जा रही थी ....


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20 साल पहले.... आगे की कहानी राज की ज़ुबानी
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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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20 साल पहले.... आगे की कहानी राज की ज़ुबानी
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उस समय संध्या(मम्मी) के दो बच्चे थे.
एक राज और एक रूही राज अभी राज ** साल का हो गया था और रूही ** साल की थी ...

संध्या के पति किशोर गुप्ता अपने बिज़्नेस को फैलने में दिन रात मेहनत कर रहे थे जबकि संध्या अपने द्वारा बनाए गये एक एनजीओ जो कि बेसहारा बच्चो को घर और अच्छी पढ़ाई और खाने का इंतज़ाम करवाता था.


उस दिन संध्या बहुत ज़्यादा थक गयी थी घर आते ही वो नहाना चाहती थी...

घर आकर संध्या ने अपने कपड़े उतारे और बाथरूम में घुस गयी , नहाने के बाद वो किचन में घुस गयी और खाना बनाने लग गयी ...तभी राज और रूही दोनो स्कूल से आगये...और आते ही मम्मी मम्मी करते हुए संध्या से लिपट गये.


राज--मम्मी आज क्या बना रही हो बहुत अच्छी खुश्बू आरहि है..


मम्मी--में तुम लोगो के लिए पालक के पकौड़े और आलू टमाटर की सब्जी बना रही हूँ...तुम लोगो को ये पसंद है ना..


रूही--हाँ मम्मी काफ़ी दिन हो गये पकोडे खाए हुए.


मम्मी--चलो अब जा कर चेंज कर लो और मुँह हाथ धो कर डाइनिंग टॅबेल पर आ जाओ..में तब तक खाना लगाती हूँ.


उसके बाद हम सभी डाइनिंग टॅबेल पर रेडी हो कर आ जाते है और मम्मी हम लोगो को खाना खिलाने लगती है...


राज--मम्मी आप खाना नही खा रही हो..


मम्मी--बेटा तुझे पता है ना में वो दवाई पीने के बाद ही खाना खाती हूँ.

फिर दोनो अच्छे से खाना खा कर मम्मी के बेडरूम में जाकर टीवी देखने लग जाते है...उधर मम्मी ने बाथरूम में जाकर एक सिल्क की नाइटी पहन ली थी जो कि एक शर्ट और एक पाजामे जैसी थी...

फिर मम्मी ने अपनी अलमारी में से एक बोतल निकाली जिसपर शिवास लिखा हुआ था.


वो आकर हमारे पास बैठ जाती है और एक गिलास में उस दवाई को डालकर पानी मिलाने लगती है...


फिर उसकी एक सीप लेने के बाद वो एक पकोड़ा अपने मुँह में डाल लेती है...और इस तरह करते करते वो 5 ग्लास दवाई के पी जाती है ..में कब से ये देखे जा रहा था... तभी मम्मी ने कहा ऐसे क्या देखे जा रहा है.


में(राज)--मम्मी आप तो हमे अगर दवाई देनी होती है तो एक चम्मच में भरकर एक छ्होटी सी बोतटेल में से देती हो ...ये आप कौनसी दवाई पीटी हो जो इतनी बड़ी बोतटेल लानी पदती है...और वो भी 5 ग्लास आप पी जाती हो.



मम्मी--ये बडो की दवाई है तू नही समझेगा चल अब थोड़ी देर मेरे पेर दबा दे काफ़ी दर्द कर रहे है.


फिर उसके बाद में मम्मी के पैर दबाने लगता हूँ और रूही मुझे देख कर उनके हाथ दबाने लगती है मम्मी अब पेट के बल लेट जाती है और में उनके पैर का पंजा अपनी गोद में रख कर दबाने लगता हूँ मम्मी का पंजा मेरे लिंग पर रगड़ खा रहा था जिस से मेरा लिंग अकड़ गया.


मम्मी को भी मेरे लिंग का कड़क होना महसूस हो गया और वो अपने पैर का अंगूठा मेरे लिंग पर रगड़ने लग जाती है.


मम्मी अंगूठा रगड़ रगड़ कर काफ़ी गरम हो जाती है और मुझे कहती है..


मम्मी-- थोड़ा उपर दबा यहाँ ज़्यादा दर्द हो रहा है ..

में मम्मी की जाँघो को दबाने लगता हूँ...लेकिन मम्मी मुझे और उपर दबाने के लिए कहती है...में अब उनके कूल्हे दबा रहा था...वो दबाते हुए मुझे काफ़ी मज़ा भी आ रहा था मेरे हाथ बार बार फिसल के उस दरार में जाने लगते है...


और मेरा लिंग अब पहले से भी ज़्यादा कड़क हो जाता है फिर मम्मी मुझे रुकने को कहती है और सीधी लेट जाती है अब मुझे वो अपने कंधे दबाने को कहती है.


में अब उनकी जाँघो पर बैठा था और उनके कंधे दबाए जा रहा था मम्मी के बूब्स की निपल मुझे नाइटी में से मुझे बिल्कुल कड़ी हुई नज़र आ रही थी रूही अभी भी मम्मी के हाथ दबाए जा रही थी.


में कंधे दबाने के लिए जैसे ज़ोर लगाता मम्मी की चूत और मेरा लिंग रगड़ जाता और हाथो पर उनके बूब्स.


फिर मम्मी ने मुझे खड़ा होने को कहा और ये बोला कि मेरे पेट पर क्या चुभ रहा है...


में--मम्मी मेरे पास तो चुभने जेसा कुछ भी नही है ..


मम्मी--तेरा निक्कर उतार ज़रूर कुछ ना कुछ तो है जो मुझे चुभ रहा है...

मेने अपना निक्कर तुरंत उतार दिया मेरा लिंग जो इस समय कड़क हो गया था जो कि लगभग 4 इंच से ज़्यादा का था....

मम्मी मेरे लिंग को हाथ में लेकर...



मम्मी--तेरा ये इतना बड़ा कैसे हो गया.


में --पता नही मम्मी मुझे भी समझ नही आया.


मम्मी--मेरे शरीर से रगड़ खाने की वजह से ये बड़ा हो गया है चल में इसे ठीक कर देती हूँ .


और फिर वो मुझे पूरा नंगा कर देती है और खुद अपनी शर्ट उतारकर रूही को बोबे से दूध पीने को बोलकर मेरा लिंग अपने मुँह में लेकर चूसने लग जाती है.


रूही मम्मी का बोबा चूस्ते चूस्ते बोलती है मम्मी इन में से दूध तो आ ही नही रहा..


मम्मी मेरा लिंग अपने मुँह से निकाल कर .

मम्मी--इनमें ऐसे दूध नही आएगा तू एक काम कर एक बोबा ज़ोर ज़ोर से चूस और दूसरा बोबा पूरी ताकत लगा कर दबा जितनी ज़्यादा ज़ोर से तू चुसेगी और दबाएगी उतनी ही जल्दी इन में से दूध निकलने लगेगा.उसके बाद रूही अपनी पूरी ताकत लगा कर उस काम में जुट जाती है..
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और इधर मम्मी मेरे लिंग को फिर से मुँह में लेकर चूसने लग जाती है ...मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था तभी मेरा शरीर अकड़ने लगता है और में अपना पानी मम्मी के मुँह में ही छोड़ देता हूँ और मम्मी के चेहरे की तरफ़ देखने लगता हूँ...मम्मी का चेहरा इस समय पूरा लाल हो तखा था मेरा सारा पानी उनके मुँह मे छूट गया था लेकिन कुछ बूंदे उनके होंठो पर आ गयी थी उन्होने अच्छे से मेरे लिंग को अपनी जीभ से सॉफ किया और होंठो पर लगा मेरा पानी भी जीभ फेर कर सॉफ कर दिया..


में--मम्मी सॉरी पता नही ये सुसु आपके मुँह में कैसे निकल गया मुझे तो बड़ा मज़ा आरहा था.


मम्मी--कोई बात नही बेटा तू एक काम कर अब तू मेरे बोबो में से दूध निकाल ये रूही से ढंग से ताक़त नही लग रही.

फिर रूही को वो अपने बोबे से हटा देती है और अपने सारे कपड़े खोल कर मुझ अपनी टाँगो के बीच में ले लेती है और मेरा लिंग अपनी चूत में डालकर कहती है..अब तू यहाँ अपना लिंग ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर और दोनो हाथो से मेरे बोबे दबाता जा और बीच में रुकना मत...


उसके बाद में लगातार ज़ोर ज़ोर से अपना लिंग मम्मी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था और अपने हाथो से उनके बोबे दबाए जा रहा था....और मम्मी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी और ज़ोर लगा बेटा और ज़ोर लगा...


मम्मी तीन बार झड चुकी थी लेकिन मेरा पानी छूट ही नही रहा था लेकिन में लगातार धक्के लगाए जा रहा था तभी मेरे शरीर में सिहरन आने लगी और मेरे लिंग से खूब सारा पानी मम्मी की चूत की गहराइयो में जाता चला गया......

हम ये खेल काफ़ी दिनो तक खेलते रहे...और उसके बाद एक दिन ऐसा हुआ जो किसी तूफान से कम नही था....संध्या के पीरियड्स आने बंद हो गये थे...


एक दिन.....


राज--रूही मम्मी जब तक बाहर से आती है तब तक हम दोनो वो खेल खेलते है बड़ा मज़ा आएगा..



रूही--हाँ भैया कल मम्मी आप पर कैसे उच्छल रही थी..


राज--चल तू अपने कपड़े उतार और वहाँ सोफे पर बैठ जा ..

राज भी अपने सारे कपड़े उतार के अपनी बहन के नंगे जिस्म पर हाथ घुमाए जा रहा था....


तभी अचानक घर का दरवाजा खुल जाता है...मम्मी बस हम दोनो को लगातार घुरे ही जेया रही थी...


राज--मम्मी जल्दी आओ हम दोनो वो खेल शुरू करने ही वाले थे..


लेकिन संध्या को होश नही रहा वो वही फर्श पर बैठ कर रोने लगी...


संध्या को रोता हुआ देख कर राज और रूही अपने कपड़े पहन कर संध्या के पास आ जाते है.


राज --क्या हुआ मम्मी आप रो क्यो रही हो....



संध्या--रोते हुए ...राज मेरी एक बात मानेगा.


राज--हाँ मम्मी बोलो.


संध्या--हमने जो कुछ भी किया वो अब दुबारा इस घर में नही होगा..में तुझे कुछ सालो के लिए हॉस्टिल में डाल रही हूँ...क्योकि तू अब कुछ टाइम हम लोगो से दूर रहेगा.

जो ये खेल हम खेल रहे थे ये सब ग़लत है ये सब एक परिवार में नही होना चाहिए...आज के बाद तुम दोनो इस बारे में किसी से कोई भी बात नही करोगे.


राज--मम्मी हम अब दुबारा ऐसा कुछ नही करेंगे प्लीज़ मुझे हॉस्टिल मत भेजो..
और राज रोने लग जाता है.


संध्या राज को अपनी छाती से लगा लेती है और कहती है तुम्हे हॉस्टिल जाना ही होगा.इसी में तुम सब की भलाई है...उसके बाद वो अपने रूम में चली जाती है.
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