भाई जो भी इस webside में कहानी कैसे लिखा जाता है मुझे screen record कर video mere email mesend kr do please me apni story send kr na chahta hu
sk0287904@gmail.com
Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
-
- Posts: 3
- Joined: 19 Sep 2020 09:08
Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
घर का माल
Hello friends मेरा नाम सुनील वर्मा है और यह मेरा पहला सेक्स अनुभव है जिसे में आप को बताना चाहता हूं यह मेरा पहला story है जिसे में आप सभी को बताना चाहता हूं। यदि मेरे से कोई गलती हो जाए तो माफ़ कर देना
- mastram
- Expert Member
- Posts: 3664
- Joined: 01 Mar 2016 09:00
Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
में दुबई पहुँच चुका था...ऑफीसर अब्दुलह के साथ में मॉर्ग के लिए निकल गया ...
वहाँ पहुँच कर बड़ी मुश्किल से में पापा और भाई की बॉडी को देख पाया मेरे आँसू रुकना भूल गये थे ....बिल्कुल अकेला पड़ गया था में...काश इस वक़्त कोई मेरे साथ होता जिसके कंधे पर सिर रख के में रो सकता...
कुछ ज़रूरी फ़ौरमलिटी के बाद अब्दुलह ने कहा..
अब्दुलह--मिस्टर जय आप अब ये बॉडी वापस ले जा सकते है मुझे बड़ा अफ़सोस है आपके साथ जो हुआ उसका..अभी थोड़ी देर में ही एक फ्लाइट जाने वाली है आपको टिकिट और बॉडीस को भेजने का प्रबंध मैने उसी में कर दिया है....
मुझे जैसे ही कुछ पता चलेगा हत्यारो के बारे में आपको इनफॉर्म कर दूँगा.
में--ठीक है ऑफीसर अब मुझे चलना चाहिए वैसे भी अब कुछ बचा नही है यहाँ पर.
उसके बाद एक आंब्युलेन्स में बैठ कर मैं एयिरपोर्ट की तरफ निकल जाता हूँ...आंब्युलेन्स में मेरे सामने दो ताबूतो में दोनो की बॉडी पड़ी हुई थी....में उस तरफ़ देखने की हिम्मत नही जुटा पा रहा था....एयिरपोर्ट आने पर वहाँ के स्टाफ ने ताबूतो को आंब्युलेन्स से निकाला और अपने साथ ले गये.
में जा कर अपनी सीट पर बैठ गया और अपनी सीट बेल्ट लगाने के बाद में अपनी आँखे बंद करके सोचने लग जाता हूँ....प्लेन अब आसमान में उड़ने लग गया था और में अपनी सोच के अंधेरे में अंधेरों से गिरता जा रहा था...
तभी एक आवाज़ मुझे उस भंवर में से निकाल देती है ...वहाँ रीना मेरे सामने खड़ी थी... और उसके हाथ में मेरे लिए एक ड्रिंक था...
में--आप इस फ्लाइट में भी...
रीना--सर ये वही प्लेन है जिसमें आप कुछ घंटो पहले आए थे...
अब ये प्लेन वापस भारत जा रहा है तो में भी तो इसी में मिलूंगी ना...ये लीजिए आपका ड्रिंक...क्या में जान सकती हूँ आप इतने परेशान क्यो है...
में--आपके प्लेन में मेरे पापा और भाई भी सफ़र कर रहे है....
रीना--ओह्ह थ्ट्स नाइस अगर आप बोले तो में आप लोगो की सीट्स एक साथ करवा दूं...
में--रीना तुम समझी नही वो उन दो ताबूतो में हैं वो अब मेरे पास नही बैठ सकते...
रीना--ओह्ह्ह माइ गॉड एक्सट्रीम्ली वेरी सॉरी सर...शायद मैने आपकी चोट को और कुरेद दिया..मुझे माफ़ कर देना.
में--आपको सॉरी बोलने की कोई ज़रूरत नही है...क्या आप मेरा एक काम कर सकती है...
रीना --बोलिए सर कौनसा काम करना है...
में--जहाँ वो बॉक्स रखे हुए है में वहाँ जाना चाहता हूँ थोड़ी देर में मेरे भाई और पापा के साथ रहना चाहता हूँ...
रीना--सर में कॅप्टन से पर्मिशन लेने की कोशिश करती हूँ शायद वो मान जाए..
में--ठीक है वैसे कोशिश अक्सर कामयाब हो जाती है आप जाइए.
उसके बाद रीना कॉकपिट में घुस गयी और थोड़ी देर बाद फिर से मेरे पास आई.
रीना--सर कॅप्टन मान गये है बस उन्होने ये कहा है बाकी पॅसेंजर्स को परेशानी नही होनी चाहिए....
में--रीना में किसी को भी परेशान नही करूँगा बस मुझे वहाँ छोड़कर तुम वापस अपना काम संभाल लेना.
रीना-- ठीक है सर आप चलिए मेरे साथ
उधर उदयपूर में एक बोलेरो किशोर गुप्ता के बंगले के सामने रुकती है....और वॉचमन दरवाजा खोल देता है..गाड़ी अंदर लेजाने के बाद रजत और उसकी फॅमिली बंगले की तरफ बढ़ जाते है....
रजत घर की बेल बजाता है और अंदर से नीरा दरवाजा खोल कर बाहर आजाती है
नीरा--जी बोलिए किस से मिलना है आपको.
रजत--बेटी हम किशोर भाई साहब से मिलने आए है....
नीरा--माफ़ करना अंकल आपको पहचाना नही मैने और पापा तो दुबई गये है....
रजत--क्या तुम उनकी बेटी हो...
नीरा--जी अंकल
रजत---बेटा में तुम्हारे पापा का छोटा भाई हूँ तुम्हारा रजत चाचा....
नीरा--चाचा....लेकिन पापा ने तो कभी कुछ बताया नही...एक मिनट आप अंदर आइए फिर बैठ कर बात करते है...
कोमल अपने पिता को इस तरह फँसता देख मुस्कुराने लग गयी थी...
नीरा--अंकल आप यहाँ बैठिए में मम्मी को बुलाकर लाती हूँ...
नीरा भागकर मम्मी के रूम की तरफ़ चली जाती है...
नीरा--मम्मी कोई अंकल आए है अपनी वाइफ और दो लड़कियो को लेकर और वो अपने आप को मेरा चाचा बता रहे है...
मम्मी--चाचा...
और फिर मम्मी लगभग भागते हुए हॉल में बैठे हुए रजत की तरफ़ बढ़ जाती है....
मम्मी गौर से रजत के चेहरे को देखने लगती है...
मम्मी--आप रजत भैया है ना.
रजत--जी भाभी में आपका एक्लोता देवर और ये आपकी देवरानी रजनी और ये दोनो शैतान आप ही की है...
मम्मी रजत भैया से मिलकर बहुत खुश हो जाती है वो रजनी से गले मिलती है और कोमल और दीक्षा को आशीर्वाद भी देती है....
और फिर वो सब को आवाज़ लगा लगा कर बोलाने लगती है नेहा....रूही...नीरा जल्दी यहाँ आओ देखो कौन आया है...
नेहा --कौन आया है मम्मी...
मम्मी--कौन क्या आया है ये तुम्हारे चाचा जी... हैं चल पैर छु इनके...
रजत भैया ये राज की पत्नी नेहा है रजनी नेहा भाभी को अपने गले से लगा लेती है...तभी रूही और नीरा भी वहाँ आ जाती है वो दोनो भी सब से बड़े प्यार से मिलती है उसके बाद नेहा और रूही किचन में घुस जाती है...इतने में रजनी भी उठकर उनलोगो की मदद करने के लिए किचन की तरफ जाने लगती है तो मम्मी उनका हाथ पकड़कर उन्हे वही रोक लेती है...
रजनी--भाभी घर का ही तो काम है और हम कौन्से. यहाँ मेहमान बनकर आए है..
मम्मी--नही रजनी तुम यहीं बैठो वो दोनो काम कर लेंगी..
रजनी--कोमल..दीक्षा जाओ अंदर रसोई में भाभी और दीदी की मदद करो ...
मम्मी--रहने दे ना रजनी क्यो बच्चो को परेशान कर रही है
रजनी--नही भाभी जी आप इनको जाने से मत रोको वरना मुझे बुरा लगेगा...
वहाँ पहुँच कर बड़ी मुश्किल से में पापा और भाई की बॉडी को देख पाया मेरे आँसू रुकना भूल गये थे ....बिल्कुल अकेला पड़ गया था में...काश इस वक़्त कोई मेरे साथ होता जिसके कंधे पर सिर रख के में रो सकता...
कुछ ज़रूरी फ़ौरमलिटी के बाद अब्दुलह ने कहा..
अब्दुलह--मिस्टर जय आप अब ये बॉडी वापस ले जा सकते है मुझे बड़ा अफ़सोस है आपके साथ जो हुआ उसका..अभी थोड़ी देर में ही एक फ्लाइट जाने वाली है आपको टिकिट और बॉडीस को भेजने का प्रबंध मैने उसी में कर दिया है....
मुझे जैसे ही कुछ पता चलेगा हत्यारो के बारे में आपको इनफॉर्म कर दूँगा.
में--ठीक है ऑफीसर अब मुझे चलना चाहिए वैसे भी अब कुछ बचा नही है यहाँ पर.
उसके बाद एक आंब्युलेन्स में बैठ कर मैं एयिरपोर्ट की तरफ निकल जाता हूँ...आंब्युलेन्स में मेरे सामने दो ताबूतो में दोनो की बॉडी पड़ी हुई थी....में उस तरफ़ देखने की हिम्मत नही जुटा पा रहा था....एयिरपोर्ट आने पर वहाँ के स्टाफ ने ताबूतो को आंब्युलेन्स से निकाला और अपने साथ ले गये.
में जा कर अपनी सीट पर बैठ गया और अपनी सीट बेल्ट लगाने के बाद में अपनी आँखे बंद करके सोचने लग जाता हूँ....प्लेन अब आसमान में उड़ने लग गया था और में अपनी सोच के अंधेरे में अंधेरों से गिरता जा रहा था...
तभी एक आवाज़ मुझे उस भंवर में से निकाल देती है ...वहाँ रीना मेरे सामने खड़ी थी... और उसके हाथ में मेरे लिए एक ड्रिंक था...
में--आप इस फ्लाइट में भी...
रीना--सर ये वही प्लेन है जिसमें आप कुछ घंटो पहले आए थे...
अब ये प्लेन वापस भारत जा रहा है तो में भी तो इसी में मिलूंगी ना...ये लीजिए आपका ड्रिंक...क्या में जान सकती हूँ आप इतने परेशान क्यो है...
में--आपके प्लेन में मेरे पापा और भाई भी सफ़र कर रहे है....
रीना--ओह्ह थ्ट्स नाइस अगर आप बोले तो में आप लोगो की सीट्स एक साथ करवा दूं...
में--रीना तुम समझी नही वो उन दो ताबूतो में हैं वो अब मेरे पास नही बैठ सकते...
रीना--ओह्ह्ह माइ गॉड एक्सट्रीम्ली वेरी सॉरी सर...शायद मैने आपकी चोट को और कुरेद दिया..मुझे माफ़ कर देना.
में--आपको सॉरी बोलने की कोई ज़रूरत नही है...क्या आप मेरा एक काम कर सकती है...
रीना --बोलिए सर कौनसा काम करना है...
में--जहाँ वो बॉक्स रखे हुए है में वहाँ जाना चाहता हूँ थोड़ी देर में मेरे भाई और पापा के साथ रहना चाहता हूँ...
रीना--सर में कॅप्टन से पर्मिशन लेने की कोशिश करती हूँ शायद वो मान जाए..
में--ठीक है वैसे कोशिश अक्सर कामयाब हो जाती है आप जाइए.
उसके बाद रीना कॉकपिट में घुस गयी और थोड़ी देर बाद फिर से मेरे पास आई.
रीना--सर कॅप्टन मान गये है बस उन्होने ये कहा है बाकी पॅसेंजर्स को परेशानी नही होनी चाहिए....
में--रीना में किसी को भी परेशान नही करूँगा बस मुझे वहाँ छोड़कर तुम वापस अपना काम संभाल लेना.
रीना-- ठीक है सर आप चलिए मेरे साथ
उधर उदयपूर में एक बोलेरो किशोर गुप्ता के बंगले के सामने रुकती है....और वॉचमन दरवाजा खोल देता है..गाड़ी अंदर लेजाने के बाद रजत और उसकी फॅमिली बंगले की तरफ बढ़ जाते है....
रजत घर की बेल बजाता है और अंदर से नीरा दरवाजा खोल कर बाहर आजाती है
नीरा--जी बोलिए किस से मिलना है आपको.
रजत--बेटी हम किशोर भाई साहब से मिलने आए है....
नीरा--माफ़ करना अंकल आपको पहचाना नही मैने और पापा तो दुबई गये है....
रजत--क्या तुम उनकी बेटी हो...
नीरा--जी अंकल
रजत---बेटा में तुम्हारे पापा का छोटा भाई हूँ तुम्हारा रजत चाचा....
नीरा--चाचा....लेकिन पापा ने तो कभी कुछ बताया नही...एक मिनट आप अंदर आइए फिर बैठ कर बात करते है...
कोमल अपने पिता को इस तरह फँसता देख मुस्कुराने लग गयी थी...
नीरा--अंकल आप यहाँ बैठिए में मम्मी को बुलाकर लाती हूँ...
नीरा भागकर मम्मी के रूम की तरफ़ चली जाती है...
नीरा--मम्मी कोई अंकल आए है अपनी वाइफ और दो लड़कियो को लेकर और वो अपने आप को मेरा चाचा बता रहे है...
मम्मी--चाचा...
और फिर मम्मी लगभग भागते हुए हॉल में बैठे हुए रजत की तरफ़ बढ़ जाती है....
मम्मी गौर से रजत के चेहरे को देखने लगती है...
मम्मी--आप रजत भैया है ना.
रजत--जी भाभी में आपका एक्लोता देवर और ये आपकी देवरानी रजनी और ये दोनो शैतान आप ही की है...
मम्मी रजत भैया से मिलकर बहुत खुश हो जाती है वो रजनी से गले मिलती है और कोमल और दीक्षा को आशीर्वाद भी देती है....
और फिर वो सब को आवाज़ लगा लगा कर बोलाने लगती है नेहा....रूही...नीरा जल्दी यहाँ आओ देखो कौन आया है...
नेहा --कौन आया है मम्मी...
मम्मी--कौन क्या आया है ये तुम्हारे चाचा जी... हैं चल पैर छु इनके...
रजत भैया ये राज की पत्नी नेहा है रजनी नेहा भाभी को अपने गले से लगा लेती है...तभी रूही और नीरा भी वहाँ आ जाती है वो दोनो भी सब से बड़े प्यार से मिलती है उसके बाद नेहा और रूही किचन में घुस जाती है...इतने में रजनी भी उठकर उनलोगो की मदद करने के लिए किचन की तरफ जाने लगती है तो मम्मी उनका हाथ पकड़कर उन्हे वही रोक लेती है...
रजनी--भाभी घर का ही तो काम है और हम कौन्से. यहाँ मेहमान बनकर आए है..
मम्मी--नही रजनी तुम यहीं बैठो वो दोनो काम कर लेंगी..
रजनी--कोमल..दीक्षा जाओ अंदर रसोई में भाभी और दीदी की मदद करो ...
मम्मी--रहने दे ना रजनी क्यो बच्चो को परेशान कर रही है
रजनी--नही भाभी जी आप इनको जाने से मत रोको वरना मुझे बुरा लगेगा...
मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
- mastram
- Expert Member
- Posts: 3664
- Joined: 01 Mar 2016 09:00
Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
मम्मी--ठीक है नीरा तुम अपनी बहनो को लेकर भाभी के पास ले जाओ अगर ये आराम करना चाहे तो अपने साथ रूम में ले जाना.
नीरा--मेरे पास पहले तंग करने के लिए बस एक बड़ी बहन ही थी अब तो मेरे पास 2 बड़ी बहन है तंग करने के लिए और एक छोटी बहन भी आ गयी.... और फिर वो दोनो का हाथ पकड़कर किचन के अंदर ले जाती है..
मम्मी--बताइए रजत भैया गाँव के हाल कैसे है में तो कभी आ नही पाई गाव आप लोगो को यहाँ देख कर सच में दिल खुश होगया..
रजत--भाभी गाव में सब बढ़िया है मुझे दो दिन से भाई साहब की बहुत याद आरहि थी इसीलिए मैने आज यहाँ आ गया और इन लोगो को भी यहाँ ले आया ...
मम्मी--अब आप यहाँ आगये होंठो अब कुछ दिन जाने का नाम मत लेना मुझे थोड़ी तो सेवा करवाने दो अपनी देवरानी से...आपने तो कभी भाभी का ध्यान रखा नही ...
रजत--नही नही भाभी आप सब तो हम लोगों के दिल में हमेशा रहते हो.....
घर में बड़ी खुशी फैली हुई थी....मम्मी अपनी देवरानी से मिलकर फूली नही समा रही थी...
मम्मी नीरा के बर्तडे का फोटो आल्बम उन्हे दिखाते हुए सब के बारे में बता रही थी....
एक चेहरे पर रजनी की नज़र टिक गयी....
रजनी--भाभी ये लड़का कौन है....ये आपकी लगभग सभी तस्वीरों में है...
मम्मी--ओहूऊ में भी कितनी पागल हूँ....ये जय है मेरा बेटा और आपका भतीजा...
रजनी--ये कहाँ है अभी ....बाहर रहता है क्या.
मम्मी--नही बाहर नही उसके किसी दोस्त का आक्सिडेंट हो गया है तो वो वहाँ गया हुआ है...
रजनी--ओह्ह्ह कब तक आएगा मेरा बड़ा मन कर रहा है अपने भतीजे को गले से लगाने का..
तभी....घर की बेल बजती है..
मम्मी उठ कर दरवाजा खोलने के लिए जाती है जैसे ही सामने देखती है...
वहाँ वही ड्राइवर खड़ा होता है जो उन्हे और उनकी गाड़ी को घर तक छोड़ने आता है...
मम्मी--अरे ड्राइवर साहब आप....आप अभी तक उदयपूर में ही हो????आप गये नही वापस..कोई परेशानी है क्या.??
ड्राइवर--मेडम ये चिट्ठी देनी थी आपको इसीलिए यही रुका हुआ था...
मम्मी--कैसी चिट्ठी....?? किसकी है ये चिट्ठि...??
ड्राइवर-- ये मुझे रिजोर्ट वालो ने दी थी आपको देने के लिए....अब में चलता हूँ मेरी ज़िम्मेदारी अब ख्तम हो गयी है...
उसके बाद वो ड्राइवर वहाँ से चला जाता है..
और मम्मी दरवाजा बंद करके जैसे ही उस लेटर को पढ़ने लगती है...उनकी आँखो से आँसुओ की धारा निकलने लगती है जैसे जैसे वो उस लेटर में आगे पढ़ती जाती है...वैसे वैसे उनकी आँखे बस फैलती ही चली जाती है.
तभी अचानक मम्मी लहरा कर ज़मीन पर गिर जाती है...उनको गिरता देखा रजनी और रजत भाग कर उनको संभाल ने पहुँच जाते है
रजनी--भाभी क्या हुआ आँखे खोलो अपनी...नेहा....रूहीी....नीराअ...वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगती है सभी वहाँ भागकर पहुँच जाते है सभी लोग मम्मी को घेर कर खड़े होते है....नीरा मम्मी के हाथ में से वो लेटर निकाल कर उसे पढ़ने लगती है....
और ज़ोर ज़ोर से रोते हुए सब को उस लेटर की सच्चाई बता देती है...
नेहा ज़ोर ज़ोर से चीखने लग जाती है वो नीरा से वो लेटर छीन कर नीरा को एक थप्पड़ तक मार देती है...और नीरा नेहा से चिपक्कर रोने रोने लग जाती है...
नेहा को तो जैसे कोई होश ही नही रहता वो एक पत्थर की तरह हो जाती है उस लेटर को पढ़ने के बाद...
तभी घर के बाहर आंब्युलेन्स की आवाज़ गूंजने लग जाती है और चाचा जी और नीरा और रूही भाग कर घर का दरवाजा खोल कर बाहर आजाते है ...उस आंब्युलेन्स में से जय को निकलता देख सब की रुलाई फूट जाती है...
में अपने आँसू किसी तरह संभाले हुए वो दोनो ताबूत घर के अंदर रखवा देता हूँ...उसके बाद नीरा मेरे सीने से लग कर रोने लग जाती है....और अपने हाथो से मेरे सीने पर मारने लग जाती है....
नीरा--ये क्या हो गया भैया....सब कुछ ख्तम हो गया भैया....अब कैसे जियेंगे हम सभी...और बेसूध होकर मेरी बाहो में झूल जाती है ....
अंदर भाभी अभी भी वैसे ही खड़ी थी...उनके हाथो ने अभी भी मेरा लिखा हुआ लेटर पकड़ रखा था...उधर रूही उन दोनो ताबूतो को खोल चुकी थी और वो कभी भैया से कभी पापा की बॉडी से लिपट लिपट के रोने लग गयी थी...
एक औरत रोते रोते अभी माँ को संभालने की कोशिश कर रही थी.
और वहाँ खड़ा एक आदमी रूही को उन ताबूतो से दूर हटाने की कोशिश करते करते खुद भी रोने लग गया था......
घर का महॉल पूरी तरह से बदल चुका था...जहाँ थोड़ी देर पहले पूरा घर खुशियो से भरा हुआ था....वहाँ अब मातम का सन्नाटा छाया हुआ था....कोई किसी से कुछ नही कह पा रहा था...कोई किसी के आँसू पोछ नही पा रहा था....ये कैसी मनहूसियत सी छाइ है मेरे घर के उपर...कैसे में सब का दर्द बाटू...कैसे में संभालू अपने आप को....कैसे सम्भालू...अपने परिवार को...
वो आदमी मेरे पास आकर बोलता है.
रजत--जय बेटा में तेरा चाचा हूँ...देख ना किसकी नज़र लग गयी मेरे भाई को ...और राज तो अभी बच्चा था....कैसे जिएगी नेहा उसके बिना...
उनके मुँह से चाचा शब्द सुनते ही में उनके गले लग कर रोने लगता हूँ अपने सारे बाँध में उनसे गले लगने के बाद तोड़ देता हूँ...वो खुद भी मेरे साथ रोए जा रहे थे...और कहे जा रहे थे...
चाचा--बेटा अपनी माँ और भाभी को संभाल...उनको दूसरे कमरे में लेकर जा और होश में लाने की कोशिश कर ...जब तक में इन दोनो की अंतिम यात्रा की तैयारी करता हूँ...
में--चाचा जी कुछ देर मुझे अपने सीने से लग कर रोने दो इन दो दिनो में दिल खोल कर रोना चाहता था लेकिन मुझे सहारा देने वाला कोई कंधा मुझे नही मिला जहाँ में सिर रख के रो सकूँ...
चाचा--बेटा हम मर्द है...और हम लोगो की ये बदक़िस्मती है कि हम अपनो के जाने पर रो भी नही सकते...क्योकि पूरे परिवार का ध्यान हमे ही रखना होता है...कुदरत ने इसीलिए आदमी का दिल सख़्त बनाया है और औरत का दिल इतना नाज़ुक क्योकि वो औरत भी हमारे दिल के आँसू अपनी आँखो से बहा देती है...
में--पर चाचा में कैसे संभालू इन सब को कैसे दे पाउन्गा में इन लोगो को वो खुशिया जो सिर्फ़ पापा और भैया ही दे सकते थे.
चाचा--बेटा अब तुम घर के सब से बड़े मर्द हो यानी इस परिवार के मुखिया...और परिवार के मुखिया का बस एक ही फ़र्ज़ होता है...अपने परिवार को हमेशा हँसता खेलता वो रख पाए...अब अपने आँसू पोछो और सम्भालो उन सभी को जिन्हे तुम्हारे पापा और भाई तुम्हारे भरोसे छोड़ कर गये है...
इतना कह कर वो घर से बाहर अपनी गाड़ी लेकर निकल जाते है...अब कुछ पड़ोसी भी हमारे घर में आ चुके थे जो मम्मी भाभी और रूही को संभाल रहे थे....तभी अचानक....नीराअ कहाँ गयी...
ये सोचते ही मेरा कलेजा धाड़ धाड़ बजने लगता है...में पूरे घर में बदहवासों की तरह उसे भागते हुए ढूँढने लग जाता हूँ..किसी को उसके बारे में कुछ पता नही होता.....
नीरा--मेरे पास पहले तंग करने के लिए बस एक बड़ी बहन ही थी अब तो मेरे पास 2 बड़ी बहन है तंग करने के लिए और एक छोटी बहन भी आ गयी.... और फिर वो दोनो का हाथ पकड़कर किचन के अंदर ले जाती है..
मम्मी--बताइए रजत भैया गाँव के हाल कैसे है में तो कभी आ नही पाई गाव आप लोगो को यहाँ देख कर सच में दिल खुश होगया..
रजत--भाभी गाव में सब बढ़िया है मुझे दो दिन से भाई साहब की बहुत याद आरहि थी इसीलिए मैने आज यहाँ आ गया और इन लोगो को भी यहाँ ले आया ...
मम्मी--अब आप यहाँ आगये होंठो अब कुछ दिन जाने का नाम मत लेना मुझे थोड़ी तो सेवा करवाने दो अपनी देवरानी से...आपने तो कभी भाभी का ध्यान रखा नही ...
रजत--नही नही भाभी आप सब तो हम लोगों के दिल में हमेशा रहते हो.....
घर में बड़ी खुशी फैली हुई थी....मम्मी अपनी देवरानी से मिलकर फूली नही समा रही थी...
मम्मी नीरा के बर्तडे का फोटो आल्बम उन्हे दिखाते हुए सब के बारे में बता रही थी....
एक चेहरे पर रजनी की नज़र टिक गयी....
रजनी--भाभी ये लड़का कौन है....ये आपकी लगभग सभी तस्वीरों में है...
मम्मी--ओहूऊ में भी कितनी पागल हूँ....ये जय है मेरा बेटा और आपका भतीजा...
रजनी--ये कहाँ है अभी ....बाहर रहता है क्या.
मम्मी--नही बाहर नही उसके किसी दोस्त का आक्सिडेंट हो गया है तो वो वहाँ गया हुआ है...
रजनी--ओह्ह्ह कब तक आएगा मेरा बड़ा मन कर रहा है अपने भतीजे को गले से लगाने का..
तभी....घर की बेल बजती है..
मम्मी उठ कर दरवाजा खोलने के लिए जाती है जैसे ही सामने देखती है...
वहाँ वही ड्राइवर खड़ा होता है जो उन्हे और उनकी गाड़ी को घर तक छोड़ने आता है...
मम्मी--अरे ड्राइवर साहब आप....आप अभी तक उदयपूर में ही हो????आप गये नही वापस..कोई परेशानी है क्या.??
ड्राइवर--मेडम ये चिट्ठी देनी थी आपको इसीलिए यही रुका हुआ था...
मम्मी--कैसी चिट्ठी....?? किसकी है ये चिट्ठि...??
ड्राइवर-- ये मुझे रिजोर्ट वालो ने दी थी आपको देने के लिए....अब में चलता हूँ मेरी ज़िम्मेदारी अब ख्तम हो गयी है...
उसके बाद वो ड्राइवर वहाँ से चला जाता है..
और मम्मी दरवाजा बंद करके जैसे ही उस लेटर को पढ़ने लगती है...उनकी आँखो से आँसुओ की धारा निकलने लगती है जैसे जैसे वो उस लेटर में आगे पढ़ती जाती है...वैसे वैसे उनकी आँखे बस फैलती ही चली जाती है.
तभी अचानक मम्मी लहरा कर ज़मीन पर गिर जाती है...उनको गिरता देखा रजनी और रजत भाग कर उनको संभाल ने पहुँच जाते है
रजनी--भाभी क्या हुआ आँखे खोलो अपनी...नेहा....रूहीी....नीराअ...वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगती है सभी वहाँ भागकर पहुँच जाते है सभी लोग मम्मी को घेर कर खड़े होते है....नीरा मम्मी के हाथ में से वो लेटर निकाल कर उसे पढ़ने लगती है....
और ज़ोर ज़ोर से रोते हुए सब को उस लेटर की सच्चाई बता देती है...
नेहा ज़ोर ज़ोर से चीखने लग जाती है वो नीरा से वो लेटर छीन कर नीरा को एक थप्पड़ तक मार देती है...और नीरा नेहा से चिपक्कर रोने रोने लग जाती है...
नेहा को तो जैसे कोई होश ही नही रहता वो एक पत्थर की तरह हो जाती है उस लेटर को पढ़ने के बाद...
तभी घर के बाहर आंब्युलेन्स की आवाज़ गूंजने लग जाती है और चाचा जी और नीरा और रूही भाग कर घर का दरवाजा खोल कर बाहर आजाते है ...उस आंब्युलेन्स में से जय को निकलता देख सब की रुलाई फूट जाती है...
में अपने आँसू किसी तरह संभाले हुए वो दोनो ताबूत घर के अंदर रखवा देता हूँ...उसके बाद नीरा मेरे सीने से लग कर रोने लग जाती है....और अपने हाथो से मेरे सीने पर मारने लग जाती है....
नीरा--ये क्या हो गया भैया....सब कुछ ख्तम हो गया भैया....अब कैसे जियेंगे हम सभी...और बेसूध होकर मेरी बाहो में झूल जाती है ....
अंदर भाभी अभी भी वैसे ही खड़ी थी...उनके हाथो ने अभी भी मेरा लिखा हुआ लेटर पकड़ रखा था...उधर रूही उन दोनो ताबूतो को खोल चुकी थी और वो कभी भैया से कभी पापा की बॉडी से लिपट लिपट के रोने लग गयी थी...
एक औरत रोते रोते अभी माँ को संभालने की कोशिश कर रही थी.
और वहाँ खड़ा एक आदमी रूही को उन ताबूतो से दूर हटाने की कोशिश करते करते खुद भी रोने लग गया था......
घर का महॉल पूरी तरह से बदल चुका था...जहाँ थोड़ी देर पहले पूरा घर खुशियो से भरा हुआ था....वहाँ अब मातम का सन्नाटा छाया हुआ था....कोई किसी से कुछ नही कह पा रहा था...कोई किसी के आँसू पोछ नही पा रहा था....ये कैसी मनहूसियत सी छाइ है मेरे घर के उपर...कैसे में सब का दर्द बाटू...कैसे में संभालू अपने आप को....कैसे सम्भालू...अपने परिवार को...
वो आदमी मेरे पास आकर बोलता है.
रजत--जय बेटा में तेरा चाचा हूँ...देख ना किसकी नज़र लग गयी मेरे भाई को ...और राज तो अभी बच्चा था....कैसे जिएगी नेहा उसके बिना...
उनके मुँह से चाचा शब्द सुनते ही में उनके गले लग कर रोने लगता हूँ अपने सारे बाँध में उनसे गले लगने के बाद तोड़ देता हूँ...वो खुद भी मेरे साथ रोए जा रहे थे...और कहे जा रहे थे...
चाचा--बेटा अपनी माँ और भाभी को संभाल...उनको दूसरे कमरे में लेकर जा और होश में लाने की कोशिश कर ...जब तक में इन दोनो की अंतिम यात्रा की तैयारी करता हूँ...
में--चाचा जी कुछ देर मुझे अपने सीने से लग कर रोने दो इन दो दिनो में दिल खोल कर रोना चाहता था लेकिन मुझे सहारा देने वाला कोई कंधा मुझे नही मिला जहाँ में सिर रख के रो सकूँ...
चाचा--बेटा हम मर्द है...और हम लोगो की ये बदक़िस्मती है कि हम अपनो के जाने पर रो भी नही सकते...क्योकि पूरे परिवार का ध्यान हमे ही रखना होता है...कुदरत ने इसीलिए आदमी का दिल सख़्त बनाया है और औरत का दिल इतना नाज़ुक क्योकि वो औरत भी हमारे दिल के आँसू अपनी आँखो से बहा देती है...
में--पर चाचा में कैसे संभालू इन सब को कैसे दे पाउन्गा में इन लोगो को वो खुशिया जो सिर्फ़ पापा और भैया ही दे सकते थे.
चाचा--बेटा अब तुम घर के सब से बड़े मर्द हो यानी इस परिवार के मुखिया...और परिवार के मुखिया का बस एक ही फ़र्ज़ होता है...अपने परिवार को हमेशा हँसता खेलता वो रख पाए...अब अपने आँसू पोछो और सम्भालो उन सभी को जिन्हे तुम्हारे पापा और भाई तुम्हारे भरोसे छोड़ कर गये है...
इतना कह कर वो घर से बाहर अपनी गाड़ी लेकर निकल जाते है...अब कुछ पड़ोसी भी हमारे घर में आ चुके थे जो मम्मी भाभी और रूही को संभाल रहे थे....तभी अचानक....नीराअ कहाँ गयी...
ये सोचते ही मेरा कलेजा धाड़ धाड़ बजने लगता है...में पूरे घर में बदहवासों की तरह उसे भागते हुए ढूँढने लग जाता हूँ..किसी को उसके बारे में कुछ पता नही होता.....
मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
- mastram
- Expert Member
- Posts: 3664
- Joined: 01 Mar 2016 09:00
Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
में बाहर गार्डन में आजाता हूँ लेकिन नीरा यहाँ भी नज़र नही आती...तभी मेरी नज़र गार्डन के एक पेड़ पर बने ट्री हाउस पर पड़ती है...नीरा जब भी बिना बताए गायब होती थी तब वो हम लोगो को इसी ट्री हाउस में मिलती थी...
मुझे लगा शायड होश में आने के बाद वो उस ट्री हाउस में चली गयी हो....
में तुरंत उस ट्री हाउस पर चढ़ जाता हूँ और अंदर जाकर देखता हू वहाँ नीरा अपना सिर अपने घुटनो पर रख कर लगातार रोए जा रही थी.....उसको इस तरह से रोता देख....मुझे अपनी खाई हुई वो कसम याद आ गई.... तेरी कसम... में तेरे सारे दर्द अपने उपर ले लूँगा...........,
में नीरा के पास जाकर बैठ गया और उसको अपनी बाहो में भर लिया...वो मुझ से किसी लता की तरह बिल्कुल चिपक गयी और उसके रोने की रफ़्तार लगातार बढ़ती ही जा रही थी में प्यार से उसको चुप करने की कोशिश करने लग गया...लेकिन वो तो बस रोए ही जा रही थी.
रोते रोते उसकी साँस भी उखड़ने लग गयी थी...उसको हिचकिया भी आने लग गयी थी रोते रोते...
मुझे समझ में नही आया कैसे में नीरा को चुप कराऊ....तभी मुझे याद आ गया भाभी ने मुझे किस तरह नदी के पास चुप करवाया था...
मैने अपने होंठ नीरा के होंठो से जोड़ दिए और उसे कस कर अपनी बाहो में भर कर उसके होंठ चूसने लगा .....नीरा मेरे इस तरह से करने से एक दम से हड़बड़ा जाती है और मुझ से दूर हट जाती है..
नीरा--भैया ये क्या कर रहे हो आप...
में--तू रोना बंद नही कर रही थी तो मुझे ऐसा करना पड़ गया...मुझे माफ़ कर देना नीरा.
नीरा--नही भैया आप माफी मत माँगो...में ही रोते रोते कैसे यहाँ पहुँच गयी मुझे खुद भी परा नही चला...आपने बल्कि अच्छा किया जो मुझे उस अंधेरे से निकाल दिया...
और उसके बाद वो मेरे सीने से लग कर सूबकने लगती है...
नीरा--भैया अब क्या होगा??कैसे इस परिवार में फिर से खुशिया वापस आएँगी...
में--तू चिंता मत कर तेरा भाई अभी ज़िंदा है में अपने परिवार की खुशी के लिए कुछ भी कर जाउन्गा...चल अब घर में चल और सबको संभालने में मेरी मदद कर....
नीरा--भैया मुझे यहीं रहने दो में वहाँ किसी का सामना नही कर पाउन्गि ....कैसे देखूँगी में माँ की आँखो में आँसू और भाभी तो बस पत्थर की तरह हो गयी है...कैसे संभालूगी में उन सब को....कैसे???
में--यही सवाल मेरे मन मे भी था जब में दुबई गया था, पापा और भैया को लेकर आने के लिए....अब तू खुद को मजबूत कर और चल मेरे साथ हम दोनो को मिलकर इस घर की खुशिया वापस लानी है...
नीरा--ठीक है भैया अब में नही रोउंगी ....
उसके बाद हम दोनो वहाँ से उतर कर घर के अंदर आ जाते है...माँ होश में आ चुकी थी और आस पास की औरतों के साथ वही बैठ कर रोने लग गयी थी.
उसके बाद हम दोनो वहाँ से उतर कर घर के अंदर आ जाते है...माँ होश में आ चुकी थी और आस पास की औरतों के साथ वही बैठ कर रोने लग गयी थी...
वो मुझे देखते ही उठ के मेरे पास आकर खड़ी हो जाती है और एक टक मुझे बस घुरे ही जा रही थी...और तभी वो मेरे सीने पर मुक्के बरसाते हुए रोने लग जाती और मेरे सीने से लगते हुए कहने लगती है...
मम्मी--तूने खुद को कैसे अकेला कर लिया इस दर्द में....कैसे सह गया तू अपने आँसू क्यो नही बताया हम लोगो को....क्यो बिना बताए चला गया हम लोगो को वहाँ हँसता बोलता हुआ छोड़कर....कैसे सांभाला तूने अपने पापा और भाई की जुदाई का दर्द...
में--मम्मी में कैसे सामना करता आप सभी का....कैसे. में अपने हँसते खेलते परिवार में खुद ही दुख की आग लगा देता ...और में भी अब रोने लगता हूँ...
हम दोनो माँ बेटे एक दूसरे के सीने से ऐसे ही काफ़ी देर तक रोते रहे तभी वहाँ किसी औरत ने मम्मी से कहा...
रजनी--भाभी....नेहा के आँसू नही निकल रहे...उसका रोना बहुत ज़रूरी है वो इस दर्द को अपने दिल से बाहर नही आने दे रही...
मम्मी मुझे छोड़ कर तेज़ी से भाभी के रूम की तरफ़ बढ़ जाती है और भाभी को इस हालत से निकालने की कोशिश करने लगती है ...
भाभी की आँखे बिल्कुल पथरा गयी थी वो बिल्कुल उस समय एक ज़िंदा लाश की तरह उस कुर्सी पर बैठी थी और एक टक दरवाजे को घुरे जा रही थी....
मम्मी से उनकी ये हालत बर्दास्त नाही हुई और वो उनके गालो पर चान्टे मारने लग जाती है लेकिन शायद चान्टो का दर्द कुछ भी नही था उनके दिल में दबे उस दर्द के आगे...
में मम्मी को इस तरह से मारता देख भाभी से लिपट जाता हूँ...और मम्मी को उन्हे मारने से मना करता हूँ.
मम्मी--जय तू हट जा यहाँ से...इसका रोना बहुत ज़रूरी है वरना ये ऐसे ही पागल हो जाएगी...
में--मम्मी आप लोग यहाँ से जाओ में भाभी को होश में लाने की कोशिश करता हूँ...आप मुझ पर भरोसा रखो में इन्हे किसी भी कीमत पर होश में ले आउन्गा...
मम्मी--बेटा अब तू ही कुछ कर इसका होश में आना बहुत ज़रूरी है...
उसके बाद वो लोग वहाँ से चले जाते है...
में भाभी से कहता हूँ..
में--भाभी आपको याद है उस दिन जब आपने मुझे नदी पर किस किया था तो उसके बाद आपने क्या कहा था....
आपने कहा था में तेरे भैया से अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती हूँ...
आपका वो प्यार मर गया है उठो और होश में आओ ....
मर चुका है आपका वो प्यार जो आपको आपको जान से भी प्यारा था....
मर चुका है आपकी माँग का सिंदूर....
तोड़ डालो अपने हाथ की ये चूड़िया...(मैने भाभी की चूड़िया अपने हाथो से दबाकर तोड़ दी)
तोड़ डालो ये मंगलसूत्र जिसकी याद में आपने पहन रखा है...
मैने जैसे ही भाभी के मंगलसूत्र की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाया .....टदाअक्कक ......एक ज़ोर दार थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ गया...
भाभी--हा .....हा....हा..... मर चुका है मेरा प्यार मर चुका है मेरी माँग का सिंदूर....लेकिन मेरे मंगलसूत्र को हाथ मत लगाना कभी भी वारना में जान ले लूँगी तेरी...
और इसी के साथ वो फूट फूट कर रोने लगती है उनका रोने की आवाज़ इतनी तेज थी कि घर की दीवारे भी थर्रा उठी थी उनको रोता हुआ देख कर मैने उनको अपनी बाहो में भर लिया...तब तक मम्मी भी भाभी के रोने की आवाज़ सुनकर रूम में आ चुकी थी......
भाभी को मम्मी के साथ छोड़कर में रूम से बाहर निकल जाता हूँ...
मुझे लगा शायड होश में आने के बाद वो उस ट्री हाउस में चली गयी हो....
में तुरंत उस ट्री हाउस पर चढ़ जाता हूँ और अंदर जाकर देखता हू वहाँ नीरा अपना सिर अपने घुटनो पर रख कर लगातार रोए जा रही थी.....उसको इस तरह से रोता देख....मुझे अपनी खाई हुई वो कसम याद आ गई.... तेरी कसम... में तेरे सारे दर्द अपने उपर ले लूँगा...........,
में नीरा के पास जाकर बैठ गया और उसको अपनी बाहो में भर लिया...वो मुझ से किसी लता की तरह बिल्कुल चिपक गयी और उसके रोने की रफ़्तार लगातार बढ़ती ही जा रही थी में प्यार से उसको चुप करने की कोशिश करने लग गया...लेकिन वो तो बस रोए ही जा रही थी.
रोते रोते उसकी साँस भी उखड़ने लग गयी थी...उसको हिचकिया भी आने लग गयी थी रोते रोते...
मुझे समझ में नही आया कैसे में नीरा को चुप कराऊ....तभी मुझे याद आ गया भाभी ने मुझे किस तरह नदी के पास चुप करवाया था...
मैने अपने होंठ नीरा के होंठो से जोड़ दिए और उसे कस कर अपनी बाहो में भर कर उसके होंठ चूसने लगा .....नीरा मेरे इस तरह से करने से एक दम से हड़बड़ा जाती है और मुझ से दूर हट जाती है..
नीरा--भैया ये क्या कर रहे हो आप...
में--तू रोना बंद नही कर रही थी तो मुझे ऐसा करना पड़ गया...मुझे माफ़ कर देना नीरा.
नीरा--नही भैया आप माफी मत माँगो...में ही रोते रोते कैसे यहाँ पहुँच गयी मुझे खुद भी परा नही चला...आपने बल्कि अच्छा किया जो मुझे उस अंधेरे से निकाल दिया...
और उसके बाद वो मेरे सीने से लग कर सूबकने लगती है...
नीरा--भैया अब क्या होगा??कैसे इस परिवार में फिर से खुशिया वापस आएँगी...
में--तू चिंता मत कर तेरा भाई अभी ज़िंदा है में अपने परिवार की खुशी के लिए कुछ भी कर जाउन्गा...चल अब घर में चल और सबको संभालने में मेरी मदद कर....
नीरा--भैया मुझे यहीं रहने दो में वहाँ किसी का सामना नही कर पाउन्गि ....कैसे देखूँगी में माँ की आँखो में आँसू और भाभी तो बस पत्थर की तरह हो गयी है...कैसे संभालूगी में उन सब को....कैसे???
में--यही सवाल मेरे मन मे भी था जब में दुबई गया था, पापा और भैया को लेकर आने के लिए....अब तू खुद को मजबूत कर और चल मेरे साथ हम दोनो को मिलकर इस घर की खुशिया वापस लानी है...
नीरा--ठीक है भैया अब में नही रोउंगी ....
उसके बाद हम दोनो वहाँ से उतर कर घर के अंदर आ जाते है...माँ होश में आ चुकी थी और आस पास की औरतों के साथ वही बैठ कर रोने लग गयी थी.
उसके बाद हम दोनो वहाँ से उतर कर घर के अंदर आ जाते है...माँ होश में आ चुकी थी और आस पास की औरतों के साथ वही बैठ कर रोने लग गयी थी...
वो मुझे देखते ही उठ के मेरे पास आकर खड़ी हो जाती है और एक टक मुझे बस घुरे ही जा रही थी...और तभी वो मेरे सीने पर मुक्के बरसाते हुए रोने लग जाती और मेरे सीने से लगते हुए कहने लगती है...
मम्मी--तूने खुद को कैसे अकेला कर लिया इस दर्द में....कैसे सह गया तू अपने आँसू क्यो नही बताया हम लोगो को....क्यो बिना बताए चला गया हम लोगो को वहाँ हँसता बोलता हुआ छोड़कर....कैसे सांभाला तूने अपने पापा और भाई की जुदाई का दर्द...
में--मम्मी में कैसे सामना करता आप सभी का....कैसे. में अपने हँसते खेलते परिवार में खुद ही दुख की आग लगा देता ...और में भी अब रोने लगता हूँ...
हम दोनो माँ बेटे एक दूसरे के सीने से ऐसे ही काफ़ी देर तक रोते रहे तभी वहाँ किसी औरत ने मम्मी से कहा...
रजनी--भाभी....नेहा के आँसू नही निकल रहे...उसका रोना बहुत ज़रूरी है वो इस दर्द को अपने दिल से बाहर नही आने दे रही...
मम्मी मुझे छोड़ कर तेज़ी से भाभी के रूम की तरफ़ बढ़ जाती है और भाभी को इस हालत से निकालने की कोशिश करने लगती है ...
भाभी की आँखे बिल्कुल पथरा गयी थी वो बिल्कुल उस समय एक ज़िंदा लाश की तरह उस कुर्सी पर बैठी थी और एक टक दरवाजे को घुरे जा रही थी....
मम्मी से उनकी ये हालत बर्दास्त नाही हुई और वो उनके गालो पर चान्टे मारने लग जाती है लेकिन शायद चान्टो का दर्द कुछ भी नही था उनके दिल में दबे उस दर्द के आगे...
में मम्मी को इस तरह से मारता देख भाभी से लिपट जाता हूँ...और मम्मी को उन्हे मारने से मना करता हूँ.
मम्मी--जय तू हट जा यहाँ से...इसका रोना बहुत ज़रूरी है वरना ये ऐसे ही पागल हो जाएगी...
में--मम्मी आप लोग यहाँ से जाओ में भाभी को होश में लाने की कोशिश करता हूँ...आप मुझ पर भरोसा रखो में इन्हे किसी भी कीमत पर होश में ले आउन्गा...
मम्मी--बेटा अब तू ही कुछ कर इसका होश में आना बहुत ज़रूरी है...
उसके बाद वो लोग वहाँ से चले जाते है...
में भाभी से कहता हूँ..
में--भाभी आपको याद है उस दिन जब आपने मुझे नदी पर किस किया था तो उसके बाद आपने क्या कहा था....
आपने कहा था में तेरे भैया से अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती हूँ...
आपका वो प्यार मर गया है उठो और होश में आओ ....
मर चुका है आपका वो प्यार जो आपको आपको जान से भी प्यारा था....
मर चुका है आपकी माँग का सिंदूर....
तोड़ डालो अपने हाथ की ये चूड़िया...(मैने भाभी की चूड़िया अपने हाथो से दबाकर तोड़ दी)
तोड़ डालो ये मंगलसूत्र जिसकी याद में आपने पहन रखा है...
मैने जैसे ही भाभी के मंगलसूत्र की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाया .....टदाअक्कक ......एक ज़ोर दार थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ गया...
भाभी--हा .....हा....हा..... मर चुका है मेरा प्यार मर चुका है मेरी माँग का सिंदूर....लेकिन मेरे मंगलसूत्र को हाथ मत लगाना कभी भी वारना में जान ले लूँगी तेरी...
और इसी के साथ वो फूट फूट कर रोने लगती है उनका रोने की आवाज़ इतनी तेज थी कि घर की दीवारे भी थर्रा उठी थी उनको रोता हुआ देख कर मैने उनको अपनी बाहो में भर लिया...तब तक मम्मी भी भाभी के रोने की आवाज़ सुनकर रूम में आ चुकी थी......
भाभी को मम्मी के साथ छोड़कर में रूम से बाहर निकल जाता हूँ...
मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
- mastram
- Expert Member
- Posts: 3664
- Joined: 01 Mar 2016 09:00
Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...