Adultery ब्लैकमेल

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rajsharma
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Re: Adultery ब्लैकमेल

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१२
ईशा चिंताग्रस्त अवस्थामें अपनी कुर्सीपर बैठी थी. उसके टेबलके सामनेही निकिता बैठी हूई थी. अस्तित्व के साथ बिताया एक एक पल याद करते हूए पिछले तिन कैसे बित गए ईशाको कुछ पता ही नही चला था. लेकिन आज उसे चिंता होने लगी थी.

" आज तिन दिन हो गए … ना वह चाटींगपर मिल रहा है ना उसकी कोई मेल आई है." ईशाने निकितासे चिंताभरे स्वरमें कहा.

एक दिनमें न जाने कितनी बार चॅटींगपर चॅट करनेवाला और एक दिनमें न जाने कितनी मेल्स भेजनेवाला अस्तित्व अब अचानक तिन दिनसे चूप क्यों होगया? सचमुछ वह एक चिंताकी ही बात थी.
" उसका कोई कॉन्टॅक्ट नंबर तो होगाना ?" निकिताने पुछा.

" हां है… लेकिन वह कॉलेजका नंबर है… लेकिन वहां फोन कर उसके बारेमें पुछना उचीत होगा क्या ?" ईशाने कहा.

" हा वह भी है " निकिताने कहा.

" मुझे चिंता है … कही वह मेरे बारेमें कुछ गलत सलत सोचकर ना बैठे … और अगर वैसा है तो पता नही वह मेरे बारेंमे क्या सोच रहा होगा … " ईशाने मानो खुदसेही सवाल किया.

हॉटेलमें जो हुवा वह नही होना चाहिए था …उसकी वजहसे शायद वह अपने बारेमें कुछ गलत सोच रहा होगा….लेकिन जोभी हुवा वह कैसे … अचानक… दोनोंको कोई मौका दिए बिना हो गया…मैने उसे हॉटेलमें बुलाना ही नही चाहिए था…उसे अगर हॉटेलमें नही बुलाया होता तो यह घटना घटी ही नही होती…

ईशाके दिमागमें पता नही कितने सवाल और उनके जवाब भिड कर रहे थे.

" मुझे नही लगता की वह तुम्हारे बारेमें कुछ गलत सोच रहा होगा… वह दुसरेही किसी कारणवश तुम्हारे संपर्कमें नही होगा… जैसे किसी महत्वपुर्ण कामके सिलसिलेमें वह किसी बाहर गाव गया होगा…." निकिता ईशाके दिलको समझाने बहलानेकी कोशीश करते हुए बोली.

लेकिन अंदरसे वहभी उतनीही चिंतातूर थी. ईशाने निकिताको हॉटेलमें घटीत घटनाके बारेमें विस्तारसे बताया मालूम हो रहा था. वैसे वह उसे अपनी बहुत करीबी दोस्त मानती थी और उससे निजी बातेभी नही छुपाती थी.

" उसे हॉटेलके अंदर बुलाया नही होता तो शायद यह नौबत नही आती " ईशाने कहा.

" नही नही वैसा कुछ नही होगा… पहले तुम अपने आपको बिना मतलब कोसना बंद करदो… " निकिता उसे समझानेकी कोशीश करती हुई बोली.
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Re: Adultery ब्लैकमेल

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१३
दीपिकाने जल्दी जल्दी उसके सामनेसे गुजर रहे आनंदजींको रोका.

"आनंदजी आपने निकिताको देखा क्या ?" दीपिकाने पुछा.

" हां .. वह उपर विकासके पास बैठी हूई है … क्यो क्या हुवा ?" आनंदजीने दीपिकाका चिंतासे ग्रस्त चेहरा देखकर पुछा.

" कुछ नही… ईशा मॅमने उसे तुरंत बुलानेके लिए कहा है .. आप उधरही जा रहे हो ना … तो उसे ईशा मॅमके पास तुरंत भेज देंगे प्लीज… कुछ महत्वपुर्ण काम लगता है " दीपिका आनंदजींसे बोली.

" ठीक है … मै अभी भेज देता हूं .." आनंदजी सिढीयां चढते हूए बोले.

निकिताको आनंदजींका मेसेज मिलतेही वह तुरंत ईशाके कॅबिनमें गई. देखती है तो ईशा हताश, निराश दोनो हाथोंके बिच टेबलपर अपना सर रखकर बैठी थी.

" ईशा क्या हुवा ?" ईशाको उस अवस्थामें बैठी हुई पाकर निकिताने चिंताभरे स्वरमें, उसके पास जाकर, उसके पिठपर हाथ सहलाते हूए पुछा.

उसने उसे इतना हताश और निराश, और वह भी ऑफीसमें कभी नही देखा था.
ऐसा अचानक क्या हुवा होगा?…

निकिता सोचने लगी. ईशाने धीरेसे अपना सर उठाया. उसके हर हरकतमें एक धीमापन और दर्द दुख का अहसास दिख रहा था. उसका चेहराभी उदास दिख रहा था.

हां उसके पिताजी जब अचानक हार्ट अटॅकसे गुजर गए थे तबभी वह ऐसीही दिख रही थी….

धीरेसे अपना चेहरा कॉम्प्यूटरके मॉनीटरकी तरफ घुमाते हूए ईशा बोली, " निकिता… सब कुछ खतम हो चुका है "

कॉम्प्यूटरका मॉनीटर शुरुही था. निकिताने झटसे नजदिक जाकर कॉम्प्यूटरपर क्या चल रहा है यह देखा. उसे मॉनीटरपर अस्तित्व की ईशाने खोली हूई मेल दिखाई दी. निकिता वह मेल पढने लगी –
" मिस ईशा… हाय… वुई हॅड अ नाईस टाईम … आय रिअली ऍन्जॉइड इट.. खुशीसे और तुम्हारे प्यारकी वर्षावसे भिगे हुए वह पल मैने मेरे दिलमें और मेरे कॅमेरेमें कैद करके रखे है… मै तुम्हारी माफी चाहता हूं की वे पल मैने तुम्हारे इजाजतके बिना कॅमेरेमें बंद किये है … वह पल थे ही ऐसे की मै अपने मोहको रोक नही सका…. तुम्हे झूट तो नही लग रहा है न? .. देखो … उन पलोंसे एक चुने हूए पलको मैने इस फोटोग्राफके स्वरुपमें तुम्हारे मेलके साथ अटॅच करके भेजा है…. ऐसे बहुतसे पल मैने मेरे कॅमेरेमे और मेरे हृदयमें कैद कर रखे है … सोचता हूं की उन पलोंको .. इन फोटोग्राफ्सको इंटरनेटपर पब्लीश कर दूं .. क्यो कैसी दिमागवाली आयडिया है ? है ना? … लेकिन यह तुम्हे पसंद नही आएगी … तुम्हारी अगर इच्छा नही हो तो उन पलोंको मै हमेशाके लिए मेरे दिलमें दफन करके रख सकता हूं … लेकिन उसके लिए तुम्हे उसकी एक मामुलीसी किमत अदा करनी पडेगी…. क्या करे हर बात की एक तय किमत होती है … है की नही ?…कुछ नही बस ५० लाख रुपए… तुम्हारे लिए बहुतही मामुली रकम … और हां … पैसेका बंदोबस्त तुरंत होना चाहिए … पैसे कब कैसे पहुंचाने है … यह बादमें मेलके द्वारा बताऊंगा …

मै इस मेलके लिए तुम्हारी तहे दिलसे माफी चाहता हूं .. लेकिन क्या करें कुछ पाने के लिए कुछ खोना पडता है … अगले मेलका इंतजार करना … और हां … तुम्हे बता दूं की मुझे पुलिसका बहुत डर लगता है … और जब मै डरता हूं तब हडबडाहटमें कुछभी अटपटासा करने लगता हूं …. किसीका खुनभी …

— तुम्हारा … सिर्फ तुम्हारा … अस्तित्व "

मेल पढकर निकिताको मानो उसके पैरके निचेसे जमिन खिसक गई हो ऐसा लग रहा था. वह एकदम सुन्न हो गई थी. ऐसाभी हो सकता है, इसपर उसका विश्वासही नही हो रहा था. उसने अस्तित्व के बारेमें क्या सोचा था, और वह क्या निकला था.

" ओ माय गॉड… ही इज अ बिग फ्रॉड… आय कांट बिलीव्ह इट…" निकिताके आश्चर्यसे खुले मुंहसे निकल गया.

निकिताने मेलके साथ अटॅच कर भेजे फोटोके लिंकपर क्लीक करके देखा. वह ईशाका और अस्तित्व का हॉटेलके सुईटमें एकदुसरेको बाहों में लिया हुवा नग्न फोटो था.
" लेकिन उसने यह फोटो, कैसे लिया होगा ?" निकिताने अपनी उलझन जाहिर की.

" मै मुंबईको कब जानेवाली थी … कहा रुकने वाली थी … इसकी उसे पहलेसेही पुरी जानकारी थी. " ईशाने कहा.

" यह तो सिधा सिधा ब्लॅकमेलींग है." निकिता गुस्सेसे आवेशमें आकर चिढकर बोली.

" उसके मासूम चेहरेके पिछे इतना भयानक चेहराभी छिपा हूवा हो सकता है … मुझे तो अबभी विश्वास नही होता. " ईशाने दुखसे कहा.

" कमसे कम शादीके पहले हमें उसका यह भयानक रुप पता चला… नही तो न जाने क्या हो जाता …" निकिताने कहा.

" मुझे दुख पैसेका नही … दुख है तो सिर्फ उसने दिए इतने बडे धोखे और विश्वासघात का है. " ईशाने कहा.

" एक पलके लिए समझ लो की अगर हम उसे ५० लाख रुपए दे देते है… लेकिन पैसे लेनेके बादभी वह फिरसे हमें ब्लॅकमेल नही करेगा इसकी क्या ग्यारंटी? … " निकिताने फिरसे अपने मनमें चल रहा सवाल जाहिर किया.

ईशा चेहरे पर डर लिए सिर्फ उसकी तरफ देखती रही. क्योंकी उसके पासभी इस सवालका कोई जवाब नही था.

" मुझे लगता है तूम एक बार उसे मेल कर उसका मन परिवर्तीत करनेका प्रयास करो… और अगर फिरभी वह नही मानता है तो … चिंता मत करो… हम जरुर इसमेंसेभी कुछ रास्ता निकालेंगे. " निकिता उसको ढांढस बढाते हूई बोली.
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१४
सायबर कॅफेमें लोग अपने अपने क्यूबीकल्समें अपने अपने इंटरनेट सर्फींगमें बिझी थे. कुछ कॉम्प्यूटर्स वही खुले हॉलमें रखे थे, वहांभी कोई कॉम्प्यूटर खाली नही था. की बोर्डके बटन्स दबानेका एक अजिब आवाज एक लय और तालमें सारे कॅफेमें घुम रहा था. सब लोग, कोई चॅटींग, कोई सर्फींग, कोई गेम्स खेलनेमें तो कोई मेल्स भेजनेमें मग्न था. तभी एक आदमी दरवाजेसे अंदर आ गया. वह अंदर आकर जिस तरहसे इधर उधर देख रहा था, कमसे कम उससे वह यहां पर पहली बार आया हो ऐसा लग रहा था. रिसेप्शन काऊंटरपर बैठा स्टाफ मेंबर उसके सामने रखे कॉम्प्यूटरपर ताशका गेम ‘सॉलीटेअर’ खेल रहा था. उस आदमीकी आहट होतेही उसने झटसे, बडी स्फुर्तीके साथ अपने मॉनिटरपर चल रहा वह गेम मिनीमाईझ किया और आया हुवा आदमी अपना बॉस या उसके घरका कोई आदमी नही है यह ध्यानमें आतेही वह फिरसे वह गेम मॅक्सीमाईज करके खेलने लगा. वह अंदर आया हुवा आदमी कुछ पलके लिए रिसेप्शन काऊंटरके पास मंडराया और रुककर स्टाफको पुछने लगा –
" अस्तित्व आया क्या ?"

उस स्टाफने भावना विरहित चेहरेसे उसकी तरफ देखकर पुछा –
" कौन अस्तित्व ?"

" अस्तित्व जाधव … वह मेरा दोस्त है ….. और उसनेही मुझे यहां बुलाया है .." उस आदमीने कहा.

" अच्छा वह अस्तित्व … नही आज तो वह दिखा नही .. वैसे तो वह रोज आता है … लेकिन कलसे मैने उसे देखा नही है … " काऊंटरपर बैठे स्टाफने जवाब दिया और वह सामने रखे हूए कॉम्प्यूटरपर फिरसे ‘सॉलीटेअर’ खेलनेमें व्यस्त हो गया.

१५
ईशा कॉन्फरंन्स रुममें दिवारपर लगे छोटे पडदेपर प्रोजेक्टरकी सहाय्यतासे निकिताको कुछ समझा रही थी. और निकिता वह जो बोल रही है वह ध्यान देकर सुन रही थी.

" निकिता जैसा तुमने कहा था वैसेही मैने अस्तित्व को समझाकर देखनेके लिए एक मेल भेजी है … लेकिन उसे सिर्फ मेलही ना भेजते हूए मैने एक बडा दांव भी फेंका है … " ईशा बोल रही थी.

" दांव? … कैसा ?…" निकिताने कुछ ना समझते हूए आश्चर्यसे पुछा.

" उसे भेजे हूए मेलके साथ मैने एक सॉफ्टवेअर प्रोग्रॅम अटॅच कर भेजा है" ईशाने कहा.

" कैसा प्रोग्रॅम?" निकिताको अभीभी कुछ समझ नही रहा था.

" उस प्रोग्रॅमको ‘स्निफर’ कहते है … जैसेही अस्तित्व उसे भेजी हूई मेल खोलेगा .. वह स्निफर प्रोग्रॅम रन होगा …" ईशा बोल रही थी.

" लेकिन वह प्रोग्रॅम रन होनेसे क्या होगा ?" निकिताने पुछा.

" उस प्रोग्रॅमका काम है … अस्तित्व के मेलका पासवर्ड मालूम करना … और वह पासवर्ड मालूम होतेही वह प्रोग्रॅम हमे वह पासवर्ड मेलद्वारा भेजेगा … " ईशा बोल रही थी.

" अरे वा… " निकिता उत्साहभरे स्वरमें बोली लेकिन अगलेही पल कुछ सोचते हूए उसने पुछा, " लेकिन उसका पासवर्ड मालूम कर हमें क्या मिलेगा ?"

" जिस तरहसे अस्तित्व मुझे ब्लॅकमेल कर रहा है … उसी तरह हो सकता है की वह और बहुत लोगोंको ब्लॅकमेल कर रहा होगा …या फिर उसके मेलबॉक्समें हमे उसकी कुछ कमजोरी… या जो हमारे कामका साबीत हो ऐसा कुछतो हमें पता चलेगा … वैसे फिलहाल हम अंधेरेमें निशाना साध रहे है…. लेकिन मुझे यकिन है … हमें कुछ ना कुछतो जरुर मिलेगा " ईशा बता रही थी.

" हां … हो सकता है " निकिताने कहा.

और फिर कुछ सोचकर उसने कहा, " मुझे क्या लगता है … हमें अपना दुश्मन कौन है यह पता है … वह कहां रहता है यहभी पता है … फिर वह अपनेपर वार करनेके पहलेही अगर हम उसपर वार करते है तो ?"

" वह संभावनाभी मैने जांचकर देखी है … लेकिन अब वह उसके होस्टेलसे गायब है … वुई डोन्ट नो हिज व्हेअर अबाऊट्स"

तभी कॉम्प्यूटरका बझर बजा. ईशाने और निकिताने झटसे पलटकर मॉनिटरकी तरफ देखा. मॉनिटरकी तरफ देखतेही दोनोके चेहरे खिल गए. क्योंकी उनकी अपेक्षानुसार ईशाने अस्तित्व के मेलको अटॅच कर भेजे ‘स्निफर’ सॉफ्टवेअरकीही वह मेल थी. अब दोनोंको वह मेल खोलनेकी जल्दी हो गई थी. कब एक बार वह मेल खोलती हूं और कब एक बार उस मेल द्वारा आए अस्तित्व के पासवर्डसे उसका मेल अकाऊंट खोलती हूं ऐसा ईशाको हुवा था. उसने तुरंत डबलक्लीक कर वह मेल खोली.

" यस्स!" उसके मुंहसे विजयी उद्गार निकले.

उसने भेजे स्निफरने अपना काम बराबर किया था.

उसने बिजलीके गतीसे मेल सॉफ्टवेअर ओपन किया और …
" यह उसका मेल आयडी और यह उसका पासवर्ड" बोलते हूए अस्तित्व का मेल ऍड्रेस टाईप कर उस प्रोग्रॅमको अस्तित्व के मेलका पासवर्ड दिया.

ईशाने उसका मेल अकाऊंट खोलतेही और कुछ की बोर्डकी बटन्स और दो चार माऊस क्लीक्स किए. और दोनो अब कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ देखने लगी.

" ओ माय गॉड … आय जस्ट कान्ट बिलीव्ह" ईशाके खुले मुंहसे निकल गया.

निकिता कभी मॉनिटरकी तरफ तो कभी ईशाके खुले मुंहकी तरफ असमंजससे देख रही थी.

ईशा अपने ऑफीसमें कुर्सीपर बैठकर कुछ सोच रही थी. उसका चेहरा मायूस दिख रहा था. शायद उसने उसके जिवनमें इतना बडा भूचाल आएगा ऐसा कभी सोचा नही होगा. उसने अपना कॉम्प्यूतर शुरु कर रखा तो था, लेकिन उसे ना चाटींग करनेकी इच्छा हो रही थी ना किसी दोस्तको मेल भेजनेकी. उसने अपनी सारी ऑफीशियल मेल्स चेक की और फिरसे वह सोचने लगी. तभी कॉम्प्यूटरपर बझर बजा. उसने अपनी चेअर घुमाकर कॉम्प्यूटरकी तरफ अपना रुख कीया –
‘ हाय … मिस ईशा’

अस्तित्व का चॅटींगपर मेसेज था.

उसे अहसास हो गया की उसके दिलकी धडकने तेज होने लगी है. लेकिन इसबार धडकने बढनेकी वजह कुछ अलग थी. ईशा सिर्फ उस मेसेजकी तरफ देखती रही. उसे अब क्या किया जाए कुछ सुझ नही रहा था. तभी निकिता अंदर आ गई. ईशाने निकिताको अस्तित्व का मेसेज आया है ऐसा कुछ इशारा किया. निकिता झटसे बाहर चली गई, मानो पहले उन्होने कुछ तय किया हो. ईशा अबभी उस मेसेजकी तरफ देख रही थी.

‘ईशा कम ऑन एकनॉलेज यूवर प्रेझेन्स’ अस्तित्व का फिरसे मेसेज आ गया.

‘यस’ ईशाने टाईप किया और सेंड बटनपर क्लीक किया.

ईशाने कॉम्प्यूटर ऑपरेट करते हूए उसके हाथोमें और उंगलियोंमे पहली बार कंपन महसूस किया.

‘ मै अब मेलमें सारी जानकारी भेज रहा हूं ‘ अस्तित्व का मेसेज आ गया.

‘ लेकिन ५० लाख रुपए देनेके बादभी फिरसे तुम ब्लॅकमेल नही करोगे इसकी क्या गॅरंटी. ?’ ईशाने मेसेज भेजकर उसे बार बार सता रहा सवाल उठाया.

अस्तित्व ने उधरसे एक हंसता हूवा छोटासा चेहरा भेजा.

इस बार ईशाको उस चेहरेके हसनेमें मासूमियतसे जादा कपट दिख रहा था.

‘ देखो … यह दुनिया भरोसेपर चलती है … तुम्हे मुझपर भरोसा करना पडेगा … और तुम्हारे पास मुझपर भरोसा करनेके अलावा और क्या चारा है ?’ उधरसे अस्तित्व का ताना मारता हुवा मेसेज आ गया.

और वह भी सचही तो था … उसके पास उसपर भरोसा करनेके अलावा कोई दुसरा चारा नही था….

ईशा अब उसने भेजे मेसेजको क्या जवाब दिया जाए इसके बारेमें सोचने लगी. तभी अगला मेसेज आ गया –
‘ ओके देन बाय… दिस इज अवर लास्ट कन्व्हरसेशन… टेक केअर… तुम्हारा … और सिर्फ तुम्हारा अस्तित्व …’

ईशा उस मेसेजकी तरफ काफी देरतक देखती रही. बादमें उसे क्या सुझा क्या मालूम, उसने फटाफट कीबोर्डपर कुछ बटन्स दबाए और कुछ माऊस क्लीक्स किए. उसके सामने उसका खुला हुवा मेलबॉक्स अवतरीत हुवा. उसके अपेक्षानुसार और अस्तित्व ने जैसा कहा था, उसकी मेल उसके मेलबॉक्समें पहूंच चूकी थी. उसने पलभरकी भी देरी ना करते हूए वह मेल खोली.

मेलमें ५० लाख रुपए कहां, कैसे, और कब पहुचाने है यह सब विस्तारपुर्वक बताया था. साथमें पुलिसके चक्करमें ना पडनेकी हिदायतरुप धमकीभी दी थी. ईशाने अपनी कलाईपर बंधी घडीकी तरफ देखा. अबभी मेलमें बताए स्थानपर पैसे पहुंचानेमें ४ घंटेका अवधी बाकी था. उसने एक दिर्घ श्वास लेकर धीरेसे छोड दी. वह वैसे कर शायद अपने मनका बोझ हलका करनेकी कोशीश करती होगी. वैसे चार घंटे उसके लिए काफी समय था. और पैसोंका बंदोबस्त भी उसने पहलेसे ही कर रखा था – यहांतक की पैसे सुटकेसमें पॅकभी कर रखे थे. मेलकी तरफ देखते देखते उसके अचानक ध्यानमें आ गया की मेलके साथ कोई अटॅचमेंटभी आई हूई है. उसने वह अटॅचमेंट खोलकर देखी. वह एक फोटो था. उसने क्लीक कर वह फोटो खोला.

वह उनके हॉटेलके रुममें दोनो जब एक दिर्घ चुंबन लेते हूए आलिंगनबध्द थे तबका फोटो था.
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Re: Adultery ब्लैकमेल

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Re: Adultery ब्लैकमेल

Post by rajsharma »

१६
विकास अपनेही धुनमें मस्त मजेमें सिटी बजाते हूए रास्तेपर चल रहा था. तभी उसे पिछेसे किसीने आवाज दिया.
" विकास…"

विकासने वही रुककर सिटी बजाना रोक दिया. आवाज पहचानका नही लग रहा था इसलिए उसने पिछे मुडकर देखा. एक आदमी जल्दी जल्दी उसीके ओर आ रहा था. विकास असमंजससा उस आदमीकी तरफ देखने लगा क्योंकी वह उस आदमीको पहचानता नही था.

फिर उसे अपना नाम कैसे पता चला ?..

विकास उलझनमें वहा खडा था. तबतक वह आदमी आकर उसके पास पहूंच गया.

" मै अस्तित्व का दोस्त हूं … मै उसे कलसे ढूंढ रहा हूं … मुझे कॅफेपर काम करनेवाले लडकेने बताया की शायद तुम्हे उसका पता मालूम हो " वह आदमी बोला.

शायद उस आदमीने विकासके मनकी उलझन पढ ली थी.

" नही वैसे वह मुझेतो बताकर नही गया. … लेकिन कल मै उसके होस्टेलपर गया था… वहां उसका एक दोस्त बता रहा था की वह १०-१५ दिनके लिए किसी रिश्तेदार यहां गया है …" विकासने बताया.

" कौनसे रिश्तेदार यहां ?" उस आदमीने पुछा.

" नही उतना तो मुझे मालूम नही … उसे मैने वैसा पुछाभी था लेकिन वह उसेभी पता नही था … उसे सिर्फ उसकी मेल मिली थी " विकासने जानकारी दी.

ईशा अपने कुर्सीपर बैठी हूई थी और उसके सामने रखे टेबलपर एक बंद ब्रिफकेस रखी हूई थी. उसके सामने निकिता बैठी हूई थी. उनमें एक अजीबसा सन्नाटा छाया हूवा था. अचानक ईशा उठ खडी हो गई और अपना हाथ धीरेसे उस ब्रिफकेसपर फेरते हूए बोली, " सब पहेलूसे अगर सोचा जाए तो एकही बात उभरकर सामने आती है .."

ईशा बोलते हूए रुक गई. लेकीन निकिताको सुननेकी बेसब्री थी.

" कौनसी ?" निकिताने पुछा.

" … की हमें उस ब्लॅकमेलरको ५० लाख देनेके अलावा फिलहाल अपने पास कोई चारा नही है … और हम रिस्क भी तो नही ले सकते "

" हां तुम ठीक कहती हो " निकिता शुन्यमें देखते हूए, शायद पुरी घटनापर गौर करते हूए बोली.

ईशाने वह ब्रिफकेस खोली. ब्रिफकेसमें हजार हजारके बंडल्स ठीकसे एक के उपर एक करके रखे हूए थे. उसने उन नोटोंपर एक नजर दौडाई, फिर ब्रिफकेस बंद कर उठाई और लंबे लंबे कदम भरते हूए वह वहांसे जाने लगी. तभी उसे पिछेसे निकिताने आवाज दिया –
" ईशा…"

ईशा ब्रेक लगे जैसे रुक गई और निकिताके तरफ मुडकर देखने लगी.

" अपना खयाल रखना " निकिताने अपनी चिंता जताते हूए कहा.

ईशा दो कदम फिरसे अंदर आ गई, निकिताके पास गई, निकिताके कंधेपर उसने हाथ रखा औड़ मुडकर फिरसे लंबे लंबे कदम भरते हूए वहांसे चली गई.
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