Adultery लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ

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jay
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Adultery लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ

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प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ

भाइयो मैं इस सुत्र मे लेखक प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ पोस्ट करूँगा मुझे प्रेम गुरु की कहानियाँ बहुत पसंद हैं आशा करता हूँ आपको भी पसंद आएँगी
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jay
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तीसरी कसम
प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना
हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है
बाद मुद्दत के होता है चमन में दीदा-ए-वार पैदा

ओह... प्रेम ! क्या तुम नहीं जानते प्रेम अँधा होता है। यह उम्र की सीमा और दूसरे बंधन स्वीकार नहीं करता। इवा ब्राउन और अडोल्फ़ हिटलर, राहब (10) और जेम्स प्रथम, बित्रिश (12) और दांते, जूली (32) और मटूक नाथ, संध्या और शांताराम, करीना और सैफ उम्र में इतना अंतर होने के बाद भी प्रेम कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं कर सकती ? मिस्र के बादशाह तो लड़की के रजस्वला होने से पहले ही उनका कौमार्य लूट लिया करते थे। इतिहास उठा कर देखो कितने ही उदाहरण मिल जायेंगे जिनमें किशोर होती लड़कियों को कामदेव को समर्पित कर दिया गया था। मैं जानती हूँ यह सब नैतिक और सामाजिक रूप से सही नहीं होगा पर सच बताना क्या यह छद्म^ नैतिकता नहीं होगी ?
इसी कहानी में से................
प्रिय पाठको और पाठिकाओ,
मैं जानता हूँ आप सभी मेरी कहानियों का बड़ी शिद्दत^ से इंतज़ार करते हैं। आप सभी ने मुझे जो प्यार और इज्जत दी है मैं उसके लिए आप सभी का जीवन भर आभारी रहूँगा। पर अब मैंने कहानियाँ लिखना बंद कर दिया है। आप सभी ने मुझे बार बार पूछा है कि मैंने कहानियाँ लिखना और अपने प्रशंसकों के पत्रों का जवाब देना क्यों बंद कर दिया? आज मैं उसका जवाब अपनी इस अंतिम रचना के माध्यम से देने जा रहा हूँ। यह कहानी मेरी दूसरी सिमरन के बारे में है। मैंने उसकी कसम खाई थी कि अब मैं इसके बाद कोई और कहानी नहीं लिख पाउँगा। आप सोच रहे होंगे ऐसी क्या बात हो गई थी? आप इस कथा को पढ़ कर खुद ही समझ जायेंगे कि मेरा यह फैसला कितना जायज़ है।
भाग-1
उसने अपना नाम पलक बताया था और उम्र 18 साल। उसने बताया कि वह बी.कॉम के प्रथम वर्ष में पढ़ रही है और उसने अपनी एक सहेली के कहने पर मेरी कहानी "काली टोपी लाल रुमाल" और "आंटी गुलबदन और सेक्स (प्रेम) के सात सबक" पढ़ी जो उसे बहुत पसंद आई थी। वो अब मुझ से दोस्ती करना चाहती है।
यह कोई नई बात नहीं थी। मुझे इस किस्म के बहुत से पत्र आते ही रहते हैं। "जब वी मेट" कहानी के बाद तो बहुत से लड़कों ने लड़की के नाम से बने आई डी से मुझे मेल करके संपर्क बढ़ाने का प्रयास किया था। मेरा ख्याल था कि यह भी कोई सिरफिरा लड़का होगा और मुझे बेवजह परेशान कर रहा है। शायद वह सोचता होगा कि मैं किसी लड़की के नाम से बने आई डी से आये मेल का जवाब जल्दी दूँगा। हो सकता है उसे किसी लड़की या आंटी को पटाने के कुछ नुस्खे (टिप्स) चाहिए होंगे या फिर उसे भी किसी लड़की या आंटी का मेल आई डी या फोन नंबर चाहिए होगा ताकि वो भी कहानियों की तरह उनके साथ मज़े कर सके। मैंने उसके मेल का कोई जवाब नहीं दिया। पर जब उसके 3-4 संदेश और आये तो आखिर मैंने उसे जवाब दिया :
"देखो प्यारे लाल ! तुम्हें कहानी पसंद आई उसके लिए धन्यवाद पर तुम मुझ से दोस्ती क्यों करना चाहते हो?"
फिर उसका जवाब आया,"सर, आपकी मेल पाकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई। मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि आप मेरी मेल का जवाब देंगे। पर आपने मुझे ‘चाहती हो’ के बजाय ‘चाहते हो’ क्यों लिखा ? मैं तो लड़की हूँ ना?
चलो कोई बात नहीं, मुझे आपसे बहुत ही जरुरी सलाह लेनी है, प्लीज, सर मुझे मेल जरूर करना और अपनी एक फोटो भी भेजना। मैं आपके साथ बात भी करना चाहती हूँ आप अपना फोन नंबर भी मुझे जरूर देना।"
मैंने कोई जवाब नहीं दिया। मुझे शक था वो जरूर कोई लड़का ही है। बहुत से लड़के मेरा टेलीफोन नंबर मांगते ही रहते हैं। मेरे शक करने का एक वाजिब कारण और भी था। अमूमन शुरू शुरू में कोई भी लड़की ना तो अपनी फोटो दिखाना चाहती है और ना ही फोन पर बात करने के लिए राज़ी होती है। उसने भी अपना नंबर और फोटो देने के बजाय मेरा ही नम्बर और फोटो माँगा था।
उसके बाद 4-5 दिन उसका कोई मेल नहीं आया। मैं तो उस बात को भूल ही गया था। अचानक उस दिन मैंने नेट खोला तो P.r*****1992 के नाम से के नाम से एक चैट रिकुएस्ट आई।
"हेलो सर, आपने मुझे पहचाना?"
"नहीं, प्लीज अपने बारे में बताओ?"
"मैं पलक हूँ !"
"कौन पलक?"
"सर, मैंने आपको 3-4 मेल्स किये थे और आपने मेरे एक मेल का जवाब भी दिया था पर बाद में आपका कोई मेल नहीं आया ?"
"ओह.. हाँ बोलो प्यारेलाल, तुम किस बार में बात करना चाहते हो?"
"सर, मैंने बताया न मैं लड़की हूँ?"
"चलो मान लिया, अब बोलो?"
"सर, मुझे एक सलाह लेनी है !"
"ठीक है बोलो !"
"वो… मुझे शर्म आ रही है !"
"हाँ लड़कियों को ज्यादा ही शर्म आती है !"
"नहीं ऐसी बात नहीं है !"
"अब बिना बताये मैं कैसे समझूंगा?"
"सर, वो… वो.. अच्छा मैं बताती हूँ !"
"हम्म.."
"सर, पहले एक बात बताएँ?"
"क्या ?" मैंने उकता कर लिखा।
"आपके हिसाब से किसी लड़की के वक्ष का आकार कितना होना चाहिए?"
अज़ीब सवाल था, मैंने कहा,"मैं समझा नहीं !"
"ओह….. ?"
"तुम घुमा फिरा कर क्या पूछना चाहती हो साफ़ बोलो ना?" मैं किसी तरह उससे पीछा छुड़ाना चाहता था।
"ओके सर, वो.. वो... 18-19 साल की लड़की के वक्ष का आकार कितना होना चाहिए?"
"तुम्हारी उम्र कितनी है?"
"मैं 13 सितम्बर को पूरी 18 की हो गई हूँ !"
अब मेरे चौंकने की बारी थी। आप समझ ही गए होंगे आज से 18 साल पहले 13 सितम्बर के ही दिन मेरी सिमरन और 3 साल पहले मेरी मिक्की इस दुनिया से चली गई थी। कितना विचित्र संयोग था पलक का जन्म इसी तारीख को हुआ था। हे लिंग महादेव ! कहीं सिमरन ने ही पलक के रूप में दूसरा जन्म तो नहीं ले लिया?
"सर, क्या हुआ?"
"ओह... क.. कुछ नहीं !"
"तो बताइये ना !"
"ओह.. वो.. दरअसल..."
"क्या दरअसल?"
"दरअसल यह सब उसके डील-डौल, आनुवांशिकता (पारिवारिक पृष्ठभूमि), खानपान और रहन सहन पर निर्भर करता है। सभी की एक जैसी नहीं होती किसी के छोटे होते हैं किसी के बड़े !"
"क्या इनको बढ़ाया जा सकता है?"
"हाँ.. पर तुम यह सब क्यों पूछ रही हो?"
"सर, वो.. दरअसल मेरे स्तन बहुत छोटे हैं और मैं चाहती हूँ.. कि.. ?"
"ओह... अच्छा.. कितने बड़े हैं?"
"कैसे बताऊँ?"
"अपने मुँह से ही बता दो?" मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाया।
"मैं 28 नंबर की ब्रा पहनती हूँ पर वो भी ढीली रहती है।"
"ओह... ऐसे नहीं !"
"तो कैसे समझाऊं?"
"संतरे जितने हैं?"
"नहीं !"
"आम जितने?"
"नहीं !"
"तो क्या नीबू जितने हैं?"
"नहीं उससे तो थोड़े बड़े ही लगते हैं.. हाँ लगभग चीकू या अमरुद जितने तो होंगे !"
"ठीक ही तो हैं !"
"नहीं सर, वो सुहाना है ना ? उसके तो बहुत बड़े हैं !"
"कौन सुहाना?"
"वो मेरे साथ पढ़ती है !"
"हम्म.."
"पता है? सारे लड़के उसी के पीछे लगे रहते हैं !"
"तो क्या तुम चाहती हो लड़के तुम्हारे भी पीछे लग जाएँ?"
"न... नहीं वो बात नहीं है सर, पर मैं चाहती हूँ कि मेरे वक्ष भी सुहाना के जैसे बड़े बड़े हो जाएँ !"
"पर तुम्हारे इतने छोटे भी नहीं हैं जो तुम इतना परेशान हो रही हो? तुम क्यों उन्हें बढ़ाना चाहती हो?"
"वो मैं आपको बाद में बताउंगी। आप मुझे बस इनको बड़ा करने का कोई तरीका समझा दो।"
"ठीक है, मैं बता दूंगा।"
"प्लीज सर, अभी बता दो ना?"
"अभी तो मैं थोड़ा व्यस्त हूँ, कल बात करेंगे।"
"आप नेट पर कभी (कब) आते हैं?"
"मैं दिन में तो व्यस्त रहता हूँ पर रात को 10:00 बजे के बाद नेट पर मिल सकता हूँ !"
"ठीक है मैं आज रात को आप से चैट करूँगी।"
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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उसके बाद तो अक्सर चैट पर उससे बातें होने लगी। उसके घर में बस उसकी दादी और पापा ही हैं। बड़ी बहन की शादी हो गई है। उसका एक बड़ा भाई भी है जो बंगलौर में रहकर इंजीनियरिंग कर रहा है। जब वो एक साल की थी तो उसकी मम्मी का देहांत हो गया था। सभी उसे मनहूस मानते हैं और वो एक अनचाही संतान की तरह है। उसे कोई प्रेम नहीं करता, कोई नहीं चाहता। उसकी एक बुआ भी है जो कभी कभी घर आ जाती है। पता नहीं उसे पलक से क्या खुन्नस है कि हर वक़्त उससे नाराज़ ही रहती है और दादी और पापा को भड़काती रहती है। उसके पापा किसी सर्वे कम्पनी मैनेजर हैं और अक्सर टूर पर जाते रहते हैं। वो तो अपने पापा के प्यार के लिए तरसती ही रहती है। एक नौकर और नौकरानी भी हैं जो दिन में काम करने आते हैं। वैसे घर पर वो अकेली बोर होती रहती है।
उसने शर्माते हुए मुझे बाद में बताया कि उसकी एक लड़के के साथ दोस्ती थी और उसके साथ उसने एक दो बार चूमा-चाटी भी की थी और एक बार तो उसने उसकी सु सु वाली जगह पर पैंट के ऊपर से हाथ भी फिराया और उसे भींच भी दिया था उस समय उसे बहुत शर्म आई थी। पर अब उसने किसी और लड़की के साथ अपना आंकड़ा फिट कर लिया है। इसका कारण उसने बताया कि उस लड़के को मोटे मोटे चूचे बहुत पसंद थे। चूंकि पलक के स्तन बहुत छोटे थे इसलिए उसने पलक की जगह उस लड़की के साथ अपना टांका भिड़ा लिया था। उसने एक और भी किस्सा बताया था कि उसकी बड़ी बहन के भी बहुत छोटे हैं और इसी कारण उसका पति उसे पसंद नहीं करता और उनकी शादी टूटने के कगार पर है। इस वजह से पलक बहुत परेशान रहती थी और इस फिराक में थी कि किसी तरह उसका आकार 28 से बढ़ कर 36 हो जाए।
आप अब मेरी हालत का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि मुझे मिक्की और सिमरन की कितनी याद आई होगी।
याद करें "तीन चुम्बन" और "काली टोपी लाल रुमाल"
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हे लिंग महादेव ! अगर मुझे इन छोटे छोटे चीकुओं को चूसने या मसलने का एक मौका मिल जाए तो मैं तो सब कुछ छोड़छाड़ कर इनका अमृतपान ही करता रहूँ। एक बार तो मेरे मन में आया कि उसे कह दूँ कि मेरे पास आकर रोज़ इनकी मालिश करवा लिया करो या चुसवा लिया करो, देखना एक महीने में ही इनका आकार 32 तो जरूर हो जायेगा पर मैं जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। अभी उसने ना तो अपनी कोई तस्वीर ही मुझे भेजी थी और ना ही अपना फोन नंबर ही दिया था। हाँ उसने अपनी तनाकृति के बारे में जरूर बता दिया था। उसने बताया कि उसका क़द 5 फुट 2 इंच है और वज़न 48 किलो, छाती 28, कमर 23 और नितम्ब 32 के हैं।
हे भगवान् ! कहीं यह "दो नंबर का बदमाश" वाली निशा तो नहीं ?
कुछ दिनों बाद उसने अपना सेल नंबर भी मुझे दे दिया। अब हम दोनों देर रात गए तक खूब बातें किया करते। ऐसा नहीं था कि हम केवल उसके वक्ष की समस्या पर ही बातें किया करते थे, हम तो दुनिया-जहान के सारे विषयों पर बात करते थे। उसके प्रश्न तो हातिमताई के सवालों जैसे होते थे। जैसे टेस्ट ट्यूब बेबी, सरोगेट मदर, सुरक्षित काल, वीर्यपान, नसबंदी आदि आदि।
कई बार तो वो बहुत ही बेतुके सवाल पूछती थी, जैसे :
-चूत को चोदना कहते हैं तो गांड को मारना क्यों कहते हैं?
-आदमियों की भी माहवारी आती है क्या?
-बच्चे पेट से कैसे निकलते हैं?
-क्या सभी पति अपनी पत्नियों की गांड भी मारते हैं?
-क्या सच में गांड मरवाने वाली औरतों के नितम्ब भारी हो जाते हैं?
-क्या पहली रात में खून ना आये तो पति को पता चल जाता है कि लड़की कुंवारी नहीं है?क्या वीर्य पीने या चुम्बन लेने से भी गर्भ रह जाता है?
-प्रथम सम्भोग में जब झिल्ली फटती है तो कोई आवाज भी आती है?
-अब मैं उसे क्या समझाता कि चूत, गांड और दूध के फटने की आवाज़ नहीं आती।
उसने फिर बिना शर्माए बताया कि उसकी छाती का उठान 13-14 साल की उम्र में थोड़ा सा हुआ था। उसके जननांगों पर बाल तो 17 वें साल में जाकर आये थे। अब भी बहुत थोड़े से ही हैं और माहवारी (पीरियड्स) शुरू हुए एक साल हुआ है जो अनियमत है और कभी कभी तो दो ढाई महीने के बाद आता है। उन तीन दिनों में तो उसे पेडू और कमर में बहुत दर्द रहता है। जब मैंने उसकी पिक्की के भूगोल के बारे में पूछा तो वो इतना जोर से शर्माई थी कि मुझे उस रात उसके नाम की मुट्ठ लगानी पड़ी थी।
आप सोच रहे होंगे, यार, मुट्ठ मारने के क्या जरुरत पड़ गई?
मधु (मेरी पत्नी मधुर) आजकल लालबाई के लपेटे में है या नखरे करती है?
ओह...
माफ़ करना, मैं बताना ही भूल गया। इन दिनों मैं प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) पर अहमदाबाद आया हुआ था। 4 हफ्ते रुकना था। मधु तो इन दिनों जयपुर में अपने भैया और भाभी के पास छुट्टियाँ मना रही है।
अरे… मैं भी क्या फजूल बातें ले बैठा। मैं पलक की बात कर रहा था जिसने मेरी नींद और चैन दोनों उड़ा दिए थे। मैं इन दिनों बस उसी की याद में दिन रात खोया रहने लगा था।
उसे सेक्स के बार में ज्यादा कुछ पता नहीं था। बस सुहाना (उसकी सहेली) के कहने पर उसने मेरी एक दो कहानियाँ पढ़ी थी और वो यही सोचती रहती थी कि सभी को बड़े बड़े उरोज और नितम्ब पसंद होते हैं और सभी अपनी प्रेमिकाओं और पत्नियों की गांड भी मारते हैं। मैं तो उसकी इस मासूमियत पर मर ही मिटा।
मैंने जानता था यह लेट प्युबर्टी (देरी से यौवनारंभ) और हारमोंस की गड़बड़ी का मामला था। मेरा दावा है अगर वो 2-4 महीने तसल्ली से चुद जाए और वीर्यपान कर ले तो खिलकर कलि से फूल बन जायेगी। आप तो जानते ही होंगे कि छोटे छोटे उरोजों वाली कन्याएं ही तो आगे चलकर रति (सुन्दर कामुक स्त्री) बनती हैं।
उसने बूब्स की सर्जरी के बारे में भी पूछा था पर उसके साइड इफेक्ट जानकार वो थोड़ा निराश हो गई। मैंने उसे वक्ष-आकार बढ़ाने के सम्बन्ध में कुछ घरेलू नुस्खे (टिप्स) भी बताये थे, जैसे नहाने से पहले उरोजों पर रोज़ नारियल या जैतून (ऑलिव आयल) के तेल की मालिश, पौष्टिक आहार, विशेष व्यायाम और गर्म ठण्डे जल की थेरेपी (वाटर थेरेपी) आदि। उसे यह सब बड़ा झंझट वाला काम लगता था। वह तो कोई ऐसी दवाई चाहती थी जिसे खाने या लगाने से रातों रात उसके स्तन बढ़ जाएँ।
एक दिन मैंने उसे मज़ाक में कह दिया कि अगर तुम कुछ दिनों तक इनको किसी से चुसवा लो तो ये जल्दी बढ़ जायेंगे,
तो वो तुनक गई और नाराज़ होकर बोली,"हटो आगाह... खतोड़ा… हवे हु तमाई साथे क्यारे पण वात नहीं करू" (हटो परे.. झूठे कहीं के .. अब मैं कभी आपसे बात नहीं करूँगी)
मैं तो उसकी मासूमियत पर जैसे निस्सार ही हो गया था। वही मिक्की और सिमरन वाली मासूमियत और चुलबुलापन। बात बात पर रूठ जाना और फिर खिलखिला कर हंसने की कातिलाना अदा तो मुझे उस ऊपर कुर्बान ही हो जाने को मजबूर कर देता।
"देखो अगर तुम इस तरह गुस्सा करोगी तो रात को तुम्हारे सपनों में देवदूत आएगा और तुम्हें डराएगा !"
"कौन देवदूत?"
"देवदूत यानी फरिश्ता !"
"पण ए मने केम डरावशे?" (पर वो मुझे क्यों डराएगा?)
"तुम परी हो ना !"
"तो?"
"उसे मुस्कुराती हुई खूबसूरत परियाँ बहुत अच्छी लगती हैं और जब कोई परी गुस्सा होती है तो उसे बहुत बुरा लगता है !"
"हटो आघा ....कोई देवदूत नथी होतो" (हटो परे … कोई देव दूत नहीं होता) वो खिलखिला कर हंस पड़ी।
"पलक तुम बहुत खूबसूरत हो ना इसलिए देवदूत तुम्हारे सपनों में जरूर आएगा और तुम्हें आशीर्वाद भी देगा !"
"तमे केवी रीते खबर के हु खूबसूरत (सुंदर) छु ??? तमे मने क्या जोई छे ?" (आपको कैसे पता मैं खूबसूरत हूँ? आपने मुझे अभी कहाँ देखा है?)
"ओह.. मैंने पराविज्ञान से जान लिया है !" मैंने हँसते हुए कहा।
"अच्छा जी ....?" इस बार उसने ‘हटो परे झूठे कहीं के’ नहीं बोला था।
उसकी मासूमियत देख कर तो मेरे होंठों से बस यही निकलता :
वो कहते हैं हमसे कि अभी उम्र नहीं है प्यार की
नादाँ है वो क्या जाने कब कलि खिले बहार की
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नादाँ है वो क्या जाने कब कलि खिले बहार की
अब तो वो निसंकोच होकर सारी बातें करने लगी थी। मैंने उसे समझाया कि यह सब हारमोंस की गड़बड़ के कारण होता है। हमारा जैसा खानपान, विचार या सोच होगी उसी तरह हमारे दिमाग का कंप्यूटर हारमोंस छोड़ने का आदेश देता रहता है। अगर तुम मेरे साथ रोज़ कामोत्तेजक (सेक्सी) बातें करती रहो तो हो सकता है तुम्हारे भी हारमोंस बदलने लगें और तुम्हारे वक्ष व नितम्बों का आकार बढ़ कर 36 हो जाए। जब मैंने उसे बताया कि अगर चूचियों को रोज़ मसला जाए तो भी इनका आकार बढ़ सकता है तो वो ख़ुशी के मारे झूम ही उठी।
मैंने उसे कहा- तुम मुझे अपनी छाती की एक फोटो भेज दो तो मैं उन्हें ठीक से देख कर उचित सलाह दे सकता हूँ ताकि कोई साइड ईफेक्ट ना हों।
पर इतना जल्दी वो कहाँ मानने वाली थी, कहने लगी- आप तो उम्र में मेरे से बहुत बड़े हो, मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ? मुझे बहुत शर्म आती है ऐसी बातों से।
"पलक, तुम शायद सोचती होगी कि मैं तुम जैसी खूबसूरत लड़कियों के पीछे किसी यौन विकृत व्यक्ति की तरह घूमता फिरता रहता हूँ या किसी भी तरह उनका कोई नाजायज़ फायदा उठाने की कोशिश में रहता हूँ?"
"मैंने ऐसा कभी (कब) बोला ? नहीं सर, मैं आपके बारे में ऐसा कभी सपने में भी नहीं सोच सकती। आप तो सभी की मदद करने वाले इंसान हैं। मैंने आपसे दोस्ती बहुत सोच समझ कर की है ना कि किसी मजबूरी के कारण !"
"पलक, यह सच है कि मुझे युवा होती लड़कियाँ बहुत अच्छी लगती हैं मैं उनमें अपनी सिमरन और मिक्की को देखता हूँ पर इसका यह मतलब कतई नहीं है कि मैं किसी भी तरह उनका यौन शोषण करने पर आमादा रहता हूँ।"
मैंने उसे समझाया कि अगर वो वास्तव में ही अपने वक्ष और नितम्बों को बढ़ाना चाहती है तो उसे यह शर्म छोड़नी ही पड़ेगी तो वह मान गई। मैंने उसे यह भी समझाया कि डाक्टर और गुरु से शर्म नहीं करने चाहिए। अब तुम अगर सच में मेरी अच्छी शिष्य बनाना चाहती हो और मेरे ऊपर विश्वास करती हो तो अपने वक्ष की फोटो भेज दो नहीं तो तुम जानो तुम्हारा काम जाने।
थोड़ी ना-नुकर के बाद वो मान गई और उसने मोबाइल से अपने वक्ष की दो तीन तस्वीरें उतार कर मुझे भेज दी। पर साथ में यह भी कहा कि मैं इन तस्वीरों को किसी दूसरे का ना दिखाऊँ।
हे भगवान ! गुलाबी रंग के दो चीकू जैसे उरोज और उनका एरोला कोई एक रूपए के सिक्के जितना बड़ा गहरे लाल रंग का था। बीच में चने के दाने से भी छोटी गुलाबी रंग की घुन्डियाँ !
या खुदा ! अगर इनको रसगुल्लों की तरह पूरा मुँह में लेकर चूस लिया जाए तो बंदा जीते जी जन्नत में पहुँच जाए।
कभी कभी तो मुझे लगता जैसे मेरी मिक्की फिर से पलक के रूप में दुबारा आ गई है। मैं तो पहरों आँखें बंद किये यही सोचता रहता कि अभी पलक आएगी और मेरी गोद में बैठ जाएगी जैसे कई बार मिक्की अपने दोनों पैरों को चौड़ा करके बैठ जाया करती थी। फिर मैं हौले-हौले उसके चीकुओं को मसलता रहूँगा और उसके कमसिन बदन की खुशबू से रोमांचित होता रहूँगा। कई बार तो मुझे लगता कि मेरा पप्पू तो पैंट में ही अपना सिर धुनते हुए ही शहीद हो जाएगा।
मैंने एक दिन फिर से उसे बातों बातों में कह दिया- पलक, अगर तुम कहो तो मैं इन्हें चूस कर बड़ा कर देता हूँ।
मेरा अंदाज़ा था कि वो शरमा जायेगी और सिमरन की तरह तुनकते हुए मुझे कहेगी 'छट… घेलो दीकरो !'
पर उसने उसी मासूमियत से जवाब दिया,"पण तमे तो भरतपुर माँ छो तो अहमदाबाद केवी रीते आवशो?" (पर आप तो भरतपुर में हो, आप अहमदाबाद में कैसे आयेंगे?)
सच कहूँ तो मुझे अपनी कमअक्ली (मंदबुद्धि) पर आज बहुत तरस आया। मैंने उससे दुनिया जहान की बातें तो कर ली थी पर उसके शहर का नाम और पता तो पूछना ही भूल गया था।
हे लिंग महादेव ! तू जो भी करता है सब अच्छे के लिए ही करता है। मेरा अहमदाबाद में डेपुटेशन पर आना भी लगता है तेरी ही रहमत (कृपा) से ही हुआ लगता है। मैं तो उस बेचारे अजीत भोंसले (हमारा चीफ) को बेकार ही गालियाँ निकाल रहा था कि मुझे कहाँ भेज दिया। मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा था। मुझे तो लगा मेरा दिल हलक के रास्ते बाहर ही आ जाएगा। मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि यह अहमदाबाद का चीकू मेरी झोली में इस प्रकार टपक पड़ेगा।
"अरे मेरी परी ! तुम कहोगी तो मैं भरतपुर तो क्या बैकुंठ भी छोड़कर तुम्हारे पास आ जाऊँगा !"
"सच्चु ? खाओ मारा सम्म ?" (सच्ची ? खाओ मेरी कसम ?)
"हाँ हाँ मेरी पलक ! मैं सच कहता हूँ !"
"तमे पाक्कू आवशो ने मारा माते ? म.. मारो अर्थ छे के पेली जल थेरेपी सारी रीति देवशो ने ? (आप पक्का आओगे ना मेरे लिए? म. मेरा मतलब है वो जल थेरेपी वगैरह ठीक से समझा दोगे ना?)
"हाँ.. हाँ.. जरूर ! वो सब मैं तुम्हें प्रेक्टिकल करके सब कुछ अच्छी तरह से समझा दूँगा, तुम चिंता मत करो।"
"ओह.. सर, तमे केटला सारा छो.. आभार तमारो" (ओह... सर, आप कितने अच्छे हैं थैंक्यू)
"पलक..."
"हुं..."
"पर तुम्हें एक वचन देना होगा !"
" केवू वचन ?" (कैसा वचन ?)
"बस तुम शर्माना छोड़ देना और जैसा मैं समझाऊं वैसे करती रहना !"
"ऐ बधू तो ठीक छे पण तमे केवू आवशो ? अने आवया पेला मने कही देजो.. भूली नहीं जाता ? कई गाड़ी थी, केवू, केटला वगे आवशो ?" (वो सब ठीक है पर आप कब आओगे? आने से पहले मुझे बता देना.. भूल मत जाना? कौन सी गाड़ी से, कब, कितने बजे आओगे)
मेरे मन में आया कह दूँ ‘मेरी छप्पनछुरी मैं तो तुम्हारे लिए दुनिया भर से रिश्ता छोड़ कर अभी दौड़ा चला आऊँ’ पर मैंने कहा,"मैं अहमदाबाद आने का कार्यक्रम बना कर जल्दी ही तुम्हें बता दूँगा।"
आज मेरा दिल बार बार बांके बिहारी सक्सेना को याद कर रहा था। रात के दो बजे हैं और वो उल्लू की दुम इस समय जरूर यह गाना सुन रहा होगा :

अगर तुम मिल जाओ, ज़माना छोड़ देंगे हम
तुम्हें पाकर ज़माने भर से रिश्ता तोड़ लेंगे हम ….

कहानी जारी रहेगी !
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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