कमसिन कलियाँ compleet

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jay
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कमसिन कलियाँ compleet

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कमसिन कलियाँ-1

प्रस्तावनारात का समय, तेज घनघोर बारिश हो रही है। सुनसान जगह पर स्तिथ एक महलनुमा हवेली से एक के बाद एक गोली चलने की आवाज बिजली कड़कने के शोर में दब के रह गयी थी। उस हवेली के ड्राइंगरूम में पड़ी हुई रक्तरंजित लाश को घूरते हुए जड़वत खड़े हुए लोग। एक लम्बा और चौड़ा दबंग सा दिखने वाला व्यक्ति हाथ में गन थामे नीचे पड़ी हुई लाश को घृणा भरी नजरों से घूरता हुआ जिसे चार मुस्टंडे कस कर पकड़े हुए हैं। एक ओर पड़ी हुई घायल लड़की को अपनी बाँहों में थामे एक नवयुवक जिसकी सिसकियाँ की आवाज कमरे में गूँज रही है। उन्हीं दोनों को घेरे हुए एक छोटी बच्ची और एक नवयौवना गोदी मे बच्ची को लिए घायल लड़की को घूरती है…।

घायल लड़की अपनी उखड़ी हुई आवाज में बोलती है… मै तुम पर अपनी दीदी और उनकी बच्चियों की जिम्मेदारी डाल रही हूँ प्लीज उनका ख्याल रखना। युवक पास खड़ी हुई छोटी बच्ची के हाथ को थाम कर सिसकते हुए हामी भरता है।

तुम मुझे भूल तो नहीं जाओगे… मगर मै तुम्हें भूलने नहीं दूँगी क्योंकि मै वापिस आऊँगी… कहते हुए घायल पड़ी लड़की एक आखिरी हिचकी लेकर हमेशा के लिए शान्त हो जाती है।

नवयुवक उस लड़की से लिपट कर रोता है। पास खड़ी नवयुवती उसे सांत्वना देती हुई उसका ध्यान सामने पड़ी हुई दूसरी लाश की ओर खींचती है। नवयुवक की नजर पड़ते ही उसके मुख से चीख निकल जाती है… पिताजी…। उठ कर कहते हुए सामने पड़ी हुई लाश से लिपट कर बिलख-बिलख कर रोने लगता है। कुछ देर के बाद अपने आप को शान्त करते हुए कहता है… ठाकुर तूने अपनी झूठी शान के लिए मेरी पत्नी और मेरे पिता को मार दिया… मै कसम खाता हूँ कि तेरे जीतेजी मै तेरी हर एक बेटी को अपनी हमबिस्तर बनाऊँगा अब तू रोक सके तो रोक लेना… साले हवस के पुजारी… तूने मेरा घर बर्बाद कर दिया अब तू अपनी बर्बादी का मंजर देख…

नवयुवती गोदी मे बच्ची लिए उस दबंग से दिखने वाले व्यक्ति की ओर बढ़ती है और गुस्से में बिफरती हुई… पिताजी आज से मै और मेरी बच्चियाँ आप के लिए हमेशा के लिए मर गयी है… मै जा रही हूँ… कहते हुए नवयुवक का हाथ थाम कर चली जाती है।

मेरा नाम राजेश है, मेरी उम्र 38, अपना व्य्वासय है। मेरे परिवार और नजदीकी दोस्तों बहुत गिने चुने है। प्लीज एक बार सब से मिल लिजिए।

1) मुमताज- मेरी पत्नी- 35 वर्षीय, गुदाज-भरीपूरी देह, मोहिनी मूरत, भारी वक्ष और गोल नितंब, नयन नक्श एक दम तीखे

2) लीना- मेरी पुत्री- 16 वर्षीय, माँ की तरह तीखे नयन नक्श, मोहिनी मूरत, उभरता योवन, कोमल देह

3) टीना- मेरी पुत्री- 13 वर्षीय, चंचल, माँ का प्रंतिरुप

4) एलन: मेरा मित्र- 40 वर्षीय, साँवला रंग, कसरती जिस्म, लम्बा कद, मिलनसार, अच्छे खासे व्यक्तित्व का मालिक, फिटनेस सेन्टर का मालिक

5) डौली: एलन की पत्नी- 32 वर्षीय, छरहरा बदन, गुदाज, भारी वक्ष और नितंब एवं tतीखे नयन नक्श

7) स्वीटी: एलन और डौली की पुत्री- 14 वर्षीय, सुन्दर नयन नक्श, मोहिनी मूरत, चंचल, माँ का प्रंतिरुप

8) करीना: टीना की सहेली- 13 वर्षीय, तीखे नयन नक्श, गेहुआँ रंग, छरहरा बदन, गुदाज, भारी वक्ष और नितंब, चंचल

सीन-1

(शाम का समय: बीयर बार, राजेश अपने दोस्त एलन और उसकी पत्नी डौली के साथ गपश्प करता हुआ।)

राजेश: बहुत दिनों के बाद दिखे, क्या हाल है।

एलन: कुछ खास बात नहीं। कुछ घरेलू कार्य की वजह से निकलना नहीं हुआ।

राजेश: और डौली तुम कहाँ गायब हो गयी थी। अगर एलन नहीं है, तुम तो अपना समय हमारे साथ गुजार सकती हो? बहुत दिन हो गये तुम्हारे साथ रात बिताये हुए।

डौली: नहीं, एसी कोई बात नहीं। आपके दोस्त की मदद कर रही थी। एक साल से पीछे पड़े थे कि स्वीटी तेरह सावन पार कर गयी हे, अभी भी बच्ची बनी हुई है, कब बड़ी होगी?

राजेश: यार, तुम दोनों की मदद चाहिये। अगर कामयाब हो गया, तो जन्न्त, वरना निश्चित तलाक।

एलन: लगता हे कि अब गाड़ी लाईन पर आ गयी। लीना या टीना? आखिर दोनों अपनी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी है। यार तूने अपनी बच्चियो को प्यार के सुख से वन्चित रखा है। अगर किसी स्कूली भँवरे को उनकी मह्क लग गयी, तो बहुत पछ्ताएगा।

राजेश: तू सही कह रहा है। पर तू मुमु को जानता है, वह डौली की तरह खुले विचारों की नहीं है। सेक्स के मामले में बहुत दकियानूसी है।

(एलन दंपति एक दूसरे की तरफ मुस्कुरा कर देखते है)

राजेश: मुझे एक कातिल आइडिया आया है, जो तुम्हारी मदद के बिना पूरा नहीं हो सकता।

(तीनो नजदीक आकर खुसर-पुसर करते है। अचानक राजेश और डौली खिलखिला कर हँसते है और डौली एलन को चूम लेती है)

सीन-2

(राजेश के घर के ड्राइंगरूम का सीन)

(राजेश सोफे पर लेट कर टीवी देख रहा है, मुमु नजदीक बैठी हुई है। राजेश बार-2 अपना हाथ मुमु के सीने की तरफ बढ़ाता है पर मुमु उसके हाथ को झट्क देती है। टीना का आगमन।)

(अभी-2 टीना सो कर उठी है। छोटी सी महीन टी-शर्ट मे से छोटे-छोटे नांरगी जैसे पुष्ट सीने के उभार साफ दिखते हुए, और घुटने से भी एक फुट उपर मिनि सर्क्ट जो बामुश्किल जांघो को छुपाने की नाकाम कोशिश करती हुई। आकर राजेश के उपर गिर कर लिपट जाती है।)

टीना: मम्मी, मुझे दीदी की याद आ रही है।

(राजेश अपने हाथ प्यार से धीरे-धीरे टीना की पीठ पर फिराते हुए उसे अपनी ओर खीचता है। टीना की अर्धविकसित उरोज, राजेश की बालिष्ट छाती से जा टकराते है। राजेश का हाथ नीचे की ओर चला जाता है और टीना के नग्न जांघों पर आ टिकता है। मुमु इन सब से बेखबर, टीवी देखने मे मस्त।)

टीना: (थोड़ा कसमसाते हुए) मम्मी तुम सुन नहीं रहीं।

(राजेश थोड़ा मस्ती में टीना की नग्न जांघ पर अपना हाथ फिराते हुए, नीचे से अपने खड़े होते लिंग का दबाव बढ़ाता है। कोई चीज अपनी जांघ के निचले हिस्से में गड़ती हुई मह्सूस करती हुए, टीना फिर से एक बार कसमसाती है।)

मुमु: एक महीने कि तो बात है। अपनी क्लास के साथ छुट्टियां मनाने कशमीर गयी है, कोई फोरन तो नहीं गयी है।

टीना: (थोड़ा कसमसाते हुए) पापा, मुझे छोड़ो।

राजेश: (अपने तन्नाए हुए लिंग का दबाव बढ़ाते हुए और नग्न जांघ पर अपना हाथ फिराते हुए) न मेरा प्यारा बेटा, लीना जल्दी वपिस आएगी। तेरी मम्मी को तो टीवी देखने से फुरसत मिले तो वह तेरे बारे में सोचे कि तू अपनी छुट्टियाँ कैसे बिताए।

मुमु: तुम तो रहने दो। टीना ह्ट वहां से, अब तू छोटी बच्ची नहीं रही। कोई देखेगा तो क्या कहेगा।

टीना: (थोड़ा इठलाते हुए) क्यों पापा, क्या मैं बच्ची नहीं रही, अब मैं जवान हो गयी हुं ।

राजेश: (अपने लिंग को धीरे से घिसते और दबाव बढ़ाते हुए) न मेरा प्यारा बेटा, तू तो अभी मेरी छोटीसी गुड़िया है। तेरी मम्मी के दिमाग का तो भगवान ही मालिक है। (टीना के गाल को चूमते हुए) तुझे नहीं लगता, तेरी मम्मी अक्ल और शरीर से मोटी होती जा रही है?

मुमु: (आंख तरेरते हुए) तुम रहने दो। तुमको इतने दिनों से कह रहीं हुं कि मेरा वजन बढ़ता जा रहा है, कोई फिट्नेस सेन्टर के बारे मे पता लगाओ। पर तुम हो कि कुछ भी नहीं करते।

टीना: (अपने को राजेश की बाहो से छुड़ाते हुए) मम्मी, यह ठीक रहेगा। मैं और आप, दोनों एक ही फिट्नेस सेन्टर जौइन कर लेते है क्योंकि मुझे भी अपना फ़िगर और वजन ठीक रखना है। मेरी छुट्टियाँ भी अच्छी तरह से इस्तेमाल हो जाएगी।

राजेश: (टीना को अपनी ओर खींचते हुए) मैनें तुम्हारे बारे मैं एलन और डौली से बात की है, उनका कहना है कि पहले तुम एक बार उनके फिट्नेस सेन्टर पर आओ और देखो, फिर वह दोनों तुमसे बात करने घर पर आएगें।

मुमु: उनको तो रहने दो, मैनें उनके बारे मे बहुत सुन रखा है। दोनों बहुत लम्पट किस्म के है।

राजेश: (टीना की नग्न जांघ पर अपना हाथ फिराते हुए, नीचे से अपने खड़े हुए लिंग को घिसते हुए) तुम पता नहीं घर मे बैठ कर कहाँ से उल्टी-सीधी बातें सुन लेती हो। उनका फिट्नेस सेन्टर शहर का सबसे बड़ा और एक्स्क्लुसिव सेन्टर है। हर कोई उसका मेम्बर नहीं बन सकता।

टीना: (फिर से एक बार कसमसाती है, हिलने से उसके अर्धविकसित उरोज राजेश की छाती पर घिसाव करते है जिस से उसकी छोटी-छोटी घुन्डियां खड़ी होने लगती है। लाल-लाल डोरे मासूम आँखों में तैरने लगते है। अजीब सी कश्मकश मासूम टीना को अपने शरीर में महसूस होने लगी थी। छातियों की घुन्डियों से करन्ट उत्पन्न हो कर पुरे शरीर में फैल रहा था और सीधे नीचे जाकर योनिद्वार पर दस्तक दे रहा था। उधर राजेश के हाथ और लिंग के जैसे अपने दिमाग थे, कि हाथ का निशाना टीना की नग्न जांघों पर था और खड़ा हुआ लिंग कपड़ों से ढंकी योनिद्वार पर बार-बार ठोकर मार रहा था) (हल्की सी कपकंपायीं आवाज मे) मम्मी अ...हं..ह्ह.....लन अंकल का फिट्नेस सेन्टर बहुत मशहूर है। मेरी कुछ फ्रेंड्स के पेरन्ट्स मेम्बरशिप पाने के लिये बहुत दिनों से कोशिश कर रहे है पर उन्हें अभी तक नहीं मिला है .अंह..अंह..ह.ह..(अचानक बार-बार घर्षण और ठोकर से टीना की योनिद्वार के मुख से गर्म लावा बह निकला, वह राजेश से कस के लिपट गयी)

मुमु: अरे इसे क्या हुआ?

राजेश: (अपने तन्नाए हुए लिंग को और भीषणता से घिसते हुए, टीना को अपनी बाँहों मे भींचते हुए) कुछ नहीं, बस जरा कस के पकड़ लिया तो बेचारी की साँस घुट कर रह गयी। तुम बताओ कि क्या सोचा? (इस बीच टीना ने जबरदस्ती अपने को राजेश की बाँहों से मुक्त किया और बाथरुम की ओर भाग गयी। आखिरी कश्मकश मे राजेश के लिंग ने भी उफनता हुआ लावा हल्का सा छ्लका दिया, इस से पहले मुमु देखे जल्दी से राजेश ने पाजामा ठीक-ठाक किया) .... अं.ह... मेरा ख्याल है कि एक बार तुम जा कर देख लो, अगर अच्छा लगे तो करना अन्यथा कुछ और सोचेंगे।

मुमु: लेकिन जो बाते मैनें सुनी है, मै टीना को उधर ले जाना ठीक नही समझती क्योंकि मैनें सुना है कि उधर बहुत अश्लील पहनावे मे जवान युवक-युवतियां योग एवं क्रीड़ा में मग्न होते है।

…(दरवाजे के पीछे से टीना ने सब सुन लिया और पैर पट्कती हुई आती है और मुमु से लड़ती है)

टीना: (रुआंसी हो कर) मम्मी तुम हमेशा ऐसे ही करती हो। तुम्हारी दकियानूसी बातें हमे अच्छी नहीं लगती। तुम लीना दीदी को भी टूर पर जाने से मना कर रही थी। अगर पापा जिद्द नहीं करते तो लीना दीदी भी आज शायद यहीं पर बैठ कर बोर हो रही होती।

राजेश: (जरा कठोरता से) टीना बेटा, तुम्हें अपनी मम्मी से ऐसे बात नहीं करनी चाहिये। वह हमेशा तुम्हारी भलाई की सोचती है। अगर वह सोचती है कि फिट्नेस सेन्टर में तुम्हारा जाना अच्छा नहीं है तो तुम्हें जिद्द नहीं करनी चाहिये। तुम्हें अपनी मम्मी से माफ़ी माँगनी चाहिये।

(राजेश को मुमु की तरफदारी करते हुए देख कर, टीना झेंप जाती है और रोते हुए अपने कमरे मे चली जाती है।)

राजेश: मुमु, टीना नाराज हो गयी। अब कई दिनों तक मुँह फुला के बैठी रहेगी। बेचारी की सारी छुट्टियाँ बरबाद हो जायेंगी।

मुमु: लेकिन उसकी हर जिद्द तो पूरी नहीं की जा सकती। और वैसे भी मैं उसके खुले विचारों से पहिले से ही काफी चिन्तित हूँ।

राजेश: तुम चिन्ता मत करो, मैं उसे मनाने की कोशिश करुँगा। पर तुम अब अपनी सेहत के बारे मे सोचो, एलन का फिटनेस प्रोग्राम बहुत लाभदायक है। मैंने कई लोगों से इसके बारे मे सुना है।

मुमु: तुम जा कर टीना को मनाओ, वर्ना आज वह पूरे दिन मातमी चेहरा बना कर बैठी रहेगी।

राजेश: हाँ, मैं उसके पास जाता हुं।

मुमु: मैं थोड़ी देर के लिये बेला के घर जा रही हुं, उसकी बेटी और दामाद आए हुए है। तुम दरवाजा बंद कर लो क्योंकि तुम उपर टीना के पास बैठने जा रहे हो। मैं आकर घंटी बजा दूँगी।

(मुमु घर से जाती है, राजेश दरवाजे को लाक करके टीना के पास जाता है।)

सीन-3 (टीना का बेडरूम)

(राजेश धीरे से टीना के दरवाजे पर दस्तक देता है।)

राजेश: बेटा टीना, क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ ?

(कोई जवाब न पा कर, राजेश धीरे से दरवाजे को अन्दर की ओर ढ्केलता है और बेडरूम मे दाखिल हो जाता है। टीना उन्हीं वस्त्रों मे अपने बिस्तर पर ओंधे मुँह लेटी हुई सुबक रही है। मिनी-स्कर्ट कुछ उपर खिसक जाने से उसकी मासंल जांघे और आधे अधूरे गोल-गोल नितंब सर्वविदित होते हुए। पीठ पर से टी-शर्ट भी कुछ उपर खिसक गयी है।)

राजेश: बेटा, मुझसे बात भी नहीं करोगी? क्या बहुत नाराज़ हो?

(यह सब बोलते हुए, राजेश बेड के पास आ कर खड़ा हो जाता है। टीना हल्के से कुनमुनाती है पर कुछ नहीं बोलती है। राजेश धीरे से उसके साथ ही बेड पर लेट जाता है। और धीरे से उसे पलट कर सीधा कर देता है। रोता हुआ चेहरा लाल हो गया है, यह देख कर झट से टीना के गाल चूम लेता है और उसे अपनी ओर खींच लेता है।)

टीना: मैं आपसे नहीं बोल रहीं।

राजेश: क्यों नहीं बोल रहीं? बेटा, क्या मुझसे कोई गल्ती हो गयी? लड़ाई तुम माँ-बेटी करती हो और अपनी नाराजगी मुझ गरीब पर उतारती हो।

(यह सब बात करते हुए, राजेश जबरदस्ती टीना को अपने उपर घसीट लेता है। इस खीचाँतानी मे टीना का दायाँ ऊरोज उघड़ गया, गोरे स्तन पर एक गुलाबी घुंडी के दर्शन मात्र से राजेश के रोंगटे खड़े हो गये। अर्धविकसित बायाँ उरोज, राजेश की बालिष्ट छाती से दब गया। इन सब से अनिभिज्ञ, मासूम टीना मचलती हुई राजेश की गिरफ्त से निकलने की पुरजोर कोशिश करते हुए उसके और चिपक जाती है। राजेश का हाथ नीचे की ओर चला जाता है और टीना के नग्न नितंबों पर आकर ठहर जाता है। अब वही पहिले जैसी स्थिति मे दोनों आ जाते है। टीना को पकड़े हुए राजेश करवट बदलता है और उसे अपने नीचे दबा लेता है। अपने तन्नाए हुए लिंग का दबाव बढ़ाते हुए और टीना के गालों को लगातार चूमता हुआ गिड़गिड़ाता है।)

राजेश: न मेरा प्यारा बेटा, इतनी नाराज़गी अच्छी नहीं। (चूमते हुए........) क्या मैने तुम्हारी कोई इच्छा को आज तक मना किया है?

(सिल्क पाजामे मे से राजेश का तन्नाया हुआ लिंग टीना की जांघों के बीचोंबीच आ टिकता है। फिर से एक बार टीना कसमसाती है, हिलने से उसकी अर्धविकसित छोटी-छोटी घुन्डियां रगड़ खा कर खड़ी होने लगती है। राजेश अपनी बालिष्ट छाती से टीना के स्तनों को पीस देता है। टीना की मासूम आँखों में एक बार फिर से लाल-लाल डोरे तैरने लगते है। अजीब बैचैनी और कश्मकश में मासूम टीना अपनी आँखे मूंद लेती है। छातियों की घुन्डियों मे से करन्ट फिर से प्रावाहित होना शुरु कर देता है। नीचे लिंगदेव कठोरता धारण कर योनिद्वार पर बार-बार ठोकर मारना शुरु कर देते है।

राजेश: क्या हुआ, टीना की मुआफी नहीं मिलेगी। मुझसे बात नहीं करोगी।

टीना: (नशीली आवाज में) आपने मम्मी की साइड क्यों ली? आप लीना दीदी को ज्यादा प्यार करते हो, मुझे नहीं। जाओ मैं आपसे बात नहीं करती।

(अब राजेश के हाथ भी हरकत मे आ गये और नीचे की ओर सरकते हुए टीना के नग्न नितम्बों पर जा कर ठहर गये। कुछ ढूँढते हुए और हल्के-2 हाथ से सहलाते हुए कुछ दबाते हुए इधर-उधर बेटोक विचरने लगे। अचानक, राजेश को विदित हुआ कि टीना नीचे से बिलकुल नग्न अवस्था में लेटी हुई है और उसके लिंग और योनिमुख के बीच मे बस एक रेशम की दीवार है। अपनी भुजाओं मे कस कर, राजेश धीरे से टीना का बायां पाँव उपर उठा कर अपने लिंग को ढकेलता है। एक हल्की सिसकारी के साथ टीना कस के राजेश को चिपट जाती है।)

राजेश: नहीं बेटा, घर मे मुझे सबसे ज्यादा प्रिय कोई है तो वह तुम और लीना हो और कोई नहीं। अगर मै उस समय तुम्हारा साथ देता तो तेरी मम्मी कभी भी फिट्नेस सेन्टर जाने के लिये सहमति नहीं देती। (बात करते हुए, राजेश अपने तन्नाए हुए लिंग को भीषणता से ठेलता है। जोर-जबरदस्ती के आलम मे रेशम से ढके लिंगदेव का अग्र भाग अछूती योनिमुख के कपाट थोड़ा सा खोलने मे सफल हो जाता है।)

टीना: पा .उई....प.आ... पा, मै भी अपने वजन को कम करना चाहती हूँ। मै भी मम्मी की तरह अपनी फिगर को मेन्टेन करना चाहती हूँ। आगे चलके मेरा भी मम्मी जैसा हाल न हो जाए इसलिए मै फिट्नेस सेन्टर जाना चाहती हूँ.उ.उ.उ...आह......

(राजेश बार-बार टीना के गालों को चूमता, नीचे से अपने लिंग को धीरे से ठेलता हुआ अपनी चरम सीमा की ओर बढ़ता जा रहा है। बार-बार नितम्बों पर दबाव, लगातार घर्षण और ठोकर से टीना की योनिद्वार के मुख से गर्म लावा बह निकलता है, टीना बदहवासी मे राजेश से कस कर लिपट जाती है। राजेश के लिंगदेव ने भी गुस्से से लावा उगलना शुरु कर दिया। राजेश ने वक्त़ की नजाकत को समझते हुए टीना को पुचकारना शुरु किया।)

राजेश: टीना ..टीना..क्या हुआ। (पिण्डलियों मे से हाथ निकाल कर, टीना को हिलाते हुए).. टीना..क्या हुआ।

टीना: (झेंप कर) कुछ.. नहीं।

राजेश: क्या हुआ बताओ। मुझे फिकर हो रही है। तुम बोल क्यों नहीं रहीं?

(सब तूफान शांत हो गया था। राजेश धीरे से टीना के उपर से सरक कर उसकी ओर मुख करके लेट जाता है। पाजामे के सामने का हिस्सा दोनों के प्रेमरस के मिश्रण की गाथा से सरोबर हो रहा था।)

राजेश: (टीना को अपनी छाती से लगाते और दिखाते हुए) अररे...यह क्या हुआ? क्या यहां पानी पड़ा था? सारा पाजामा गीला हो गया।

(उघड़ा हुआ अपना दायाँ ऊरोज को देख कर टीना जल्दी से टी-शर्ट नीचे खींचती है। अपनी झेंप मिटाने के लिये, झुकी हुई आँखें लिये राजेश के सीने से लग जाती है।)

टीना: (रुआँसी आवाज में) पापा, पता नहीं मुझे क्या हो गया है। जब भी आप मुझे प्यार से लिपटाते हो, मुझे न जाने क्या हो जाता है। मेरे पूरे शरीर में और पेट में अजीब सी हलचल मच जाती है और अचानक ऐसा लगता है कि मेरा पेशाब निकल जायगा। (और यह कर रोने लगती है)

राजेश: न बेटा, न रो। मेरा पजामा तेरे पेशाब से नहीं भीगा है। (टीना को पुचकारता हुआ) अब तू जवान हो गयी है। जब तुझे बहुत प्यार आता है तो तेरे शरीर में से एक तरह के टाक्सिन बनने लगते है और जब तू बहुत एक्साईटिड हो जाती है तो सारे टाक्सिन बाहर निकल जाते हैं।

(टीना ढ्बढबाई आँखों से चुपचाप राजेश के सीने से लग कर सारी बात सुनती है। राजेश भी आत्मग्लानि मे डुबा हुआ मासूम टीना को प्यार से समझाता है।)

राजेश: बेटा, जैसे तुम्हारी माहवारी होती है। वैसे ही तुम्हारे जवान होने पर यह टाक्सिन बनने और निकलना शुरु हो जाते है। यही हाल लड़कों के साथ भी होता है। मेरे को भी जब तुम पर बहुत प्यार आता है, मेरे शरीर से भी टाक्सिन निकल जाते है। खैर, तुम इसकी चिन्ता न करो। मुँह-हाथ धो कर फ्रेश हो जाओ। हम दोनों नीचे ड्राइंगरूम में बैठ कर फिट्नेस सेन्टर की पहेली सुलझाते है।

(राजेश उसके गाल थपथपाता है और टीना के कमरे से बाहिर निकल जाता है।)

क्रमशः

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कमसिन कलियाँ--2

गतान्क से आगे..........

सीन-4 (ड्राइंगरूम का सीन)

(राजेश अपने कुर्ते-पाजामे में सोफ़े पर बैठ कर टीवी पर अंग्रेजी फिल्म देख रहा है। टीना का आगमन्। मलमल का कुरता, जींन्स, चेहरे पर मासूमियत और यौन संतुष्टि की पुर्ण रौनक)

राजेश: आओ, बेटा मेरे पास बैठ जाओ।

टीना: पापा, मुझे मम्मी के साथ एलन अंकल के फिट्नेस सेन्टर में एनरोल करा दिजिये। मेरी छुट्टियाँ भी अच्छी तरह से कट जाएँगीं।

राजेश: पर तुम्हारी मम्मी नहीं मानेंगी।

टीना: (ठुनकते हुए) यह भी कोई बात हुई। आप किसी भी तरह मम्मी को राजी कराईए।

राजेश: तुम जानती हो अपनी मम्मी को, वह नहीं मानेगी। (राजेश अपनी ओर टीना को खींचता है।)

टीना: (राजेश से सटती हुई उसके गाल को चूमती है) आप मुझे प्यार करते हो?

राजेश: (जवाब में राजेश भी उसके गाल को चूमता है) यह भी कोई पूछने की बात है। मैं तुमसे सब से ज्यादा प्यार करता हूँ।

राजेश: हाँ, एक काम कर सकता हूँ कि तुम एलन अंकल वाली एक्सरसाईज भी कर पाओ और मम्मी को भी पता न चले।

टीना: (खुशी से राजेश के उपर कूद पड़ती है) पापा, मेरे लिए प्लीज कुछ ऐसा कर दो।

(राजेश टीवी पर ध्यान लगाता है। सीन में आदमी एक नवयौवना को बाँहों में लेकर उसके होंठ चूमता है। लड़की भी उसके होंठ अपने होंठों में लेकर चूमती है।)

टीना: छिँ ... छिँ.. पापा, आप क्या गन्दी फिल्म देख रहे हो। मेरी मदद करो।

राजेश: क्यों बेटा, इस में क्या गन्दा है। वह अपने प्यार का इजहार कर रहें है। जब कोई किसी से प्यार करता है, वह ऐसे ही चूमते है।

टीना: क्या यह करना जरुरी है?

राजेश: हाँ, बिलकुल। ऐसा करने से वह अपने प्यार को प्रगाढ़ करते है और उसके परिणामस्वरूप उनके शरीरों से उतप्न्न टाक्सिन बाहिर निकाल फेकते है।

टीना: (मन्त्र्मुग्ध सी राजेश की बात सुनती है) आखिर यह टाक्सिन क्या होता है।

राजेश: टाक्सिन शरीर के अन्दर का जहरीला केमिकल है जिसकी वजह से चेहरे पर दाग, बालों का झड़ना, खाल में झुर्रियॉ, इत्यादि, हो जाती है। टाक्सिन का शरीर से निकालना बहुत ही आवयश्क है। वर्ना व्यक्ति जल्दी बूढ़ा होने लगता है।

टीना: पापा, क्या मेरे चेहरे पर भी दाग आजाएगें अगर मैनें टाक्सिन बाहिर नहीं निकाल फेके? राजेश: बिलकुल।

(टीना का चेहरा अपने हाथ में ले कर, राजेश धीरे से गालों को चूमता है)

राजेश: बताओ, तुम्हें कुछ मह्सूस हुआ?

टीना: नहीं, कुछ भी नहीं।

राजेश: इसका मतलब है कि ऐसे चूमने से तुम्हारे शरीर का जहर टाक्सिन नहीं बन पाया।

टीना: पर सब तो ऐसे ही करते है। क्या अभी आप ने मुझे ऐसे नहीं चूमा था?

राजेश: हाँ। तुम सही कह रही हो। पर मैं मुमु को तो तुम्हारी तरह नहीं चूमता हूँ। उसके तो होंठों को अपने होंठों मे ले कर चूमता हूँ।

टीना: पर मुझसे क्यों नहीं? या इस लिए कि मै आपकी बेटी हूँ और यह अच्छी बात नहीं।

राजेश: पहली बात, सिर्फ प्यार मे दो व्यक्ति ऐसा करते है। प्यार के बिना चूमने से टाक्सिन नहीं बनेंगें। दूसरी बात, जब तुम छोटी थी, मैं तुम्हें ऐसे ही चूमता था, पर जब से तुम बड़ी हुई मैं ऐसा करने से डरता था।

टीना: क्या आप मम्मी से डरते थे? या मुझसे?

राजेश: दोंनों से। यह पता नहीं ज्यादा डर किस से लगता है। (बड़े दुखी से चेहरे के साथ) पर मुझे लगता था कि अब तुम मुझे प्यार नहीं करती हो इस लिए मैं अपने प्यार का इजहार तम्हें नही कर पाता हूँ। और कहीं कर दिया तो तुम्हारी मम्मी को ऐसा न लगे कि मै तुम्हें उस से ज्यादा प्यार करता हूँ।

टीना: (खुशी में राजेश के गाल को जोरों से चूम लेती है) पापा मैं आपसे सब से ज्यादा प्यार करती हूँ। मम्मी और दीदी से भी ज्यादा। पर ऐसे चूमना गलत नहीं होगा।

राजेश: बताओ तुम मुझसे प्यार करती हो?

टीना: हाँ।

राजेश: (बड़े भोले अन्दाज में) और मै तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। जब हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते है तो ऐसे चूमना गलत कैसे होगा?

टीना: (कुछ सोचती और सकुचाई हुई) ऐसा तो मैनें सोचा ही नहीं था। पर पापा मुझे तो ऐसे चूमना नहीं आता।

राजेश: बेटा, जब तुम्हें मैथ्स के सवाल नहीं आते, तो किसके पास सीखने जाती हो?

टीना: आप के पास।

राजेश: तो फिर आज से हम ऐसे ही चूमेगें। इस से हमारे बीच प्यार भी बढ़ेगा और हमारे शरीर से टाक्सिन भी निकलवायेंगे। (थोड़ा रुक कर) पर तुम तो जानती हो की तुम्हारी मम्मी कितनी शक्की किस्म की औरत है। अगर उसके सामने हम ने ऐसा किया तो वह सोचेगी मै तुम्हें उस से ज्यादा प्यार करता हूँ।

टीना: हाँ, इस से तो वह अपना सारा गुस्सा हम पर निकालेगीं। पापा, क्यों न हम यह सब मम्मी के पीठ पीछे करें, तो उन्हें पता ही नहीं चलेगा।

राजेश: (अंधा क्या चाहे, दो आँखे) हाँ, यह ठीक रहेगा। अभी तुम्हारी मम्मी बेला आंटी के घर पर गयी हुई है, क्यों न हम ऐसे चूमने की कोशिश करके देखें। देखें कि क्या ऐसा करने से टाक्सिन बनते है कि नहीं।

टीना: (कुछ असमंजस में, कुछ शर्माती हुई और कुछ सकुचाई) हुं..हुं

राजेश: अगर तुम्हें कोई आपत्ति है तो नहीं करते है। बेटा, इससे मेरे प्यार में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

टीना: (कुछ शर्माती हुई) नहीं, ऐसी बात नहीं। पापा मुझे डर लग रहा है। चलिये आप मुझे सिखाना शुरु करिये।

(राजेश अपने सामने टीना को बैठाता है। टीन शर्म से अपनी आँखें मूंद लेती है। राजेश कुछ पल उसके चेहरे को निहारता है। तीखे नयन नक्श, मोहिनी मूरत, माँ का प्रंतिरुप, गुलाब सी पंखुड़ियों से होंठों को देख कर राजेश की दिल की धड़कने बड़ जाती हैं। वह धीरे से अपने होठों को टीना के होठों पर कुछ क्षणों के लिए रख कर हटा देता है।)

राजेश: बताओ टीना, कुछ हुआ क्या?

टीना: नहीं, कुछ भी नहीं।

राजेश: यह इस लिए कि मैनें सिर्फ अपने होंठों से तुम्हारे होंठों को स्पर्श किया था। इस क्रिया में प्यार नहीं था। तुमने अपने शरीर को अकड़ा लिया और होंठ भींच लिये थे। अपने शरीर को ढीला छोड़ दो और अपने होंठों को जरा सा खोलो।

टीना: (कुछ शर्माती हुई) ठीक है।

(एक बार फिर सकुचाती हुई टीना आँखें मूंद कर बैठ जाती है। राजेश एक बार फिर से टीना के कमसिन गुलाबी होंठों की ओर बढ़ता है। टीना की मासूम जवानी को सिर से पाँव तक आँखों से पीने की कोशिश करता है। कुछ क्षणों के लिये ठिठक कर रुक जाता है, पर फिर टीना की कमर को पकड़ कर अपनी ओर धीरे से खींचते हुए अपने शरीर से सटा लेता है।)

राजेश: (बहुत धीरे से अपने होठों को टीना के कान से छूते हुए) टीना अपने शरीर को ढीला छोड़ दो।

(राजेश की गर्म साँसों को कान पर मह्सूस होते ही टीना के शरीर में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। अपने हाथों में टीना का चेहरा ले कर, बड़े प्यार से अपने होंठ टीना के होठों पर रख देता है और धीरे से अपनी जुबान का अग्र भाग टीना के निचले होंठ पर फिराता है। इस नये एहसास से टीना के शरीर मे बिजली सी कौंध जाती है और उसके होंठ थोड़े से अपनेआप खुल जाते है। उसी क्षण राजेश के होंठ टीना के निचले होंठ को अपने कब्जे मे ले लेते है जैसे वह इसी ताक में बैठे थे। राजेश धीरे-धीरे निचले होंठ को चूसना शुरु कर देता है और बीच-बीच में अपनी जुबान टीना के उपरी होंठ पर फिराता है। टीना अपने आपे में नहीं रह पाती और अपने होठों को पूरा खोल देती है पर राजेश टीना से अलग हो जाता है। टीना आँखे मूंदें अपने झोंक में राजेश के होंठों को छूने के लिये आगे को झुकती है पर कुछ न पा कर आँखें खोलती है तो राजेश से आँख मिलते ही झेंप जाती है।)

राजेश: अब की बार कुछ हुआ क्या? मुझे तो 740 वोल्ट का करन्ट लगा। इसका तो यह मतलब है कि तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो।

टीना: (कुछ सकुचाई) हुं..हुं हाँ। पापा, मुझे पुरा विश्वास हो गया कि आप मुझ से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं।

राजेश: यह तुम्हें कैसे पता चला। क्या तुम्हें भी ऐसा लगा कि टाक्सिन बनने लगे?

टीना: (कुछ शर्माती हुई सिर हिला कर हामी भर देती है)

राजेश: पर बेटा, मुझे कुछ ज्यादा महसूस नहीं हुआ क्योंकि इस बार सब कुछ मैं ही कर रहा था। अगर तुम भी वही सब मेरे साथ करोगी तो मेरे अन्दर भी टाक्सिन बनने शुरु हो जाएँगे। क्या एक बार फिर से करें?

टीना: (एक बार फिर से शर्माती हुई सिर हिला कर हामी भर देती है)

राजेश: बेटा, एक या दो बार, या दस बार? प्लीज बताओ।

टीना: पा.. पा. (ठुनकते हुए) आप भी...न.. जाओ मै आप से नहीं बोलती।

राजेश: (मुस्कुराते हुए) मेरी गुड़िया फिर से नाराज हो गयी। पर बताओ तो सही क्योंकि मै जानना चाहता हूँ कि तुम्हें कैसा लगा। बताओ प्लीज्।

टीना: (शर्माते हुए) जितनी बार आप चाहें।

राजेश: मै तो बार-बार करना चाहता हूँ। तुम्हारे प्रति अपना प्यार बाँट्ने का सपना हमेशा देखता रहता हूँ।

टीना: (थोड़ा इठलाते हुए) आप ही बेकार बातों में समय बिता रहें है।

राजेश: सौरी। लेकिन अब की बार हम खड़े हो कर करते हैं। बैठ्ने से मिलन आधा-अधुरा रहता है और झुकने से पीठ में दर्द भी होता है।

(टीना सकुचाई सी राजेश से सट के खड़ी हो जाती है। दोनो अब आमने-सामने से चिपक कर खड़े हो जाते है। टीना की कमर को पकड़ कर राजेश धीरे से अपनी ओर खींचता है। राजेश की दिल की धड़कने बड़ जाती हैं क्योंकि अब टीना के स्तन राजेश के सीने में गड़ जाते है और नीचे से लिंगदेव मे भी हरकत आ जाती है। वह धीरे से अपने होठों को टीना के होठों के करीब ले जाता और कुछ क्षणों के लिए रख कर हटा देता है।)

राजेश: टीना अब की बार तुम करो।

(शर्माते हुई धीरे से टीना भी अपने होठों को राजेश के होठों के करीब ले जाती है और कुछ क्षणों के लिए रख कर हटा लेती है।)

राजेश: कुछ हुआ क्या? तुमको वही करना है जो मैनें पहले तुम्हारे होठों के साथ किया था। इसी तरह से हम दोनों के शरीरों मे टाक्सिन बनेगें।

(टीना को राजेश ने अपनी बालिष्ठ बाहों मे और कस कर जकड़ लेता है। टीना कसमसाती है, हिलने से उसकी अर्धविकसित छोटी-छोटी घुन्डियां रगड़ खा कर खड़ी होने लगती है। राजेश टीना के स्तनों को पीस देता है। टीना की मासूम आँखों में एक बार फिर से लाल-लाल डोरे तैरने लगते है। अजीब बैचैनी और कश्मकश में मासूम टीना अपने होठों के बीच राजेश के निचले होंठ को ले कर धीरे से चूसते हुए आँखे मूंद लेती है। स्तनों की घुन्डियों मे एक बार फिर से करन्ट प्रावाहित होना शुरु हो जाता है। नीचे पाजामे में राजेश का लिंग कठोरता धारण कर टीना के पेट पर बार-बार ठोकर मारना शुरु कर देता है। जैसे ही टीना अपनी जुबान का अग्र भाग राजेश के उपर के होठ पर फिराती है, कि दरवाजे की घंटी बज उठ्ती है। डर के मारे दोनों जल्दी से अलग हो जाते हैं।)

राजेश: शायद मुमु आ गयी, तुम अपने कमरे मे जाओ। मैं जाकर दरवाजा खोलता हूँ। याद रहे यह हमारा सीक्रेट है। अभी यह काम अधूरा रह गया, शाम को तुम्हारी मम्मी एलन अंकल के फिट्नेस सेन्टर जाएगीं। उसके जाने के बाद इस अध्याय को पूरा करेगें। कल मै एलन के पास जा कर तुम्हारी ट्रेनिंग का कोई रास्ता खोजता हूँ।

(टीना जल्दी से सीड़ीयाँ चड़ती अपने कमरे में चली जाती है। राजेश दरवाजा खोल देता है। मुमु का आगमन्।)

मुमु: तुम्हारी टीना से बात हुई क्या? क्या हाल है।

राजेश: हाँ, बात तो हो गयी। बहुत नाराज थी पर मैने उसे मना लिया है।

मुमु: मै जानती थी कि वह तुम्हारी बात नहीं टाल सकती। यह ठीक रहेगा कि सिर्फ पहले मै वहाँ का जायजा लूँ, अगर सब ठीक रहा तो बाद मे लीना और टीना को भी एनरोल करा देंगे।

राजेश: तुम भूल मत जाना कि आज शाम को 6 बजे तुम्हें एलन के फिट्नेस सेन्टर जाना है।

मुमु: हाँ, मुझे याद है।

(राजेश टीवी के सामने जा कर बैठ जाता है और मुमु रसोई मे चली जाती है।)

सीन-5

(शाम को फिट्नेस सेन्टर पर)

मुमु: डौली, एलन कहाँ है। आज मै उस से मिलने आयी और वह नदारद्।

डौली: नहीं यार, वह यहीं पर कुछ क्लाइन्टस के साथ बिजी है। अभी उनसे फारिग हो कर आता है।

(एलन का आगमन।)

एलन: हाय्। मुमु तुम्हारा वजन वाकई में बड़ गया है। राजेश बता रहा था कि तुम इसके बारे मे बहुत चिन्तित हो। तुम कुछ दिनों के लिये हमारे वजन घटाने वाला प्रोग्राम मे शामिल हो जाओ और फिर उसका असर देखलो।

मुमु: एलन तुम ठीक कह रहे हो। लेकिन मुझे शर्म आती है। मैने तुम्हारे फिटनेस केन्द्र के बारे में बहुत अश्लील बाते सुनी है।

एलन: सुनी सुनाई बातें पर विश्वास नहीं करना चाहिये। हां, यहाँ पर कुछ खास बातों का ख्याल रखना पड़ता है, जैसे वस्त्र, क्रीडा, आसन, ईमोशन, इत्यादि।

डौली: सारी बातें यहीं पर करोगे क्या? तुम एक बार मुमु को फिट्नेस सेन्टर का चक्कर लगवा दो, मुझे विश्वास है कि मुमु को पसन्द आएगा। मुमु जाकर देख लो, अगर पसन्द आये तो जौइन कर लेना।

मुमु: हाँ एलन, यह ठीक रहेगा। मेरे साथ कौन चलेगा, एलन या डौली?

डौली: (कुछ आँखों मे शैतानी भर कर) अगर तुम्हें औरतें आर्कषित करती हैं तो मै चलती हूँ। (आखँ मारते हुए) पर अगर जवाँ मर्दों का शौक रखती हो तो एलन के साथ जाओ।

मुमु: (शर्माते हुए और झेंपती हुई) डौली जब से तुम एलन के साथ इस काम को शुरु किया है, तुम ने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी है।

एलन: नहीं तुम गलत समझ रही हो। ट्रेनिंग का पहला नियम है कि क्लाइन्ट अपने ट्रेनिंग पार्टनर के साथ सुखदायी एवं आरामदायक अवस्था मे हमेशा रहे। यह तभी संभव होगा जब पार्टनर क्लाइन्ट के मन मुताबिक हो।

मुमु: ठीक है। डौली, तुम क्या सलाह देती हो।

डौली: मुमु, मै तुम्हें पिछ्ले 12 साल से जानती हूँ, मैं तो चाहूँगी कि तुम एलन के साथ जाओ। तुम्हें मैने कभी भी दूसरी औरत में रुचि लेते नहीं देखा है।

एलन: (डौली को आँख मारते हुए) मेरे साथ का घूमने का फायदा है कि तुम अकेली नहीं ए ..क लन के साथ घूमती हुई दिखोगी।

मुमु: (शर्म से लाल होते हुए) तुम भी न, ऐसा साथ कौन औरत नहीं चाहेगी।

(सब खिलखिला के हँस पड़ते है। एलन मुमु को ले कर फिटनेस केन्द्र का चक्कर लगाने चला जाता है।)

एलन: मुमु यहाँ पर क्लाइन्ट अपने ट्रेनिंग पार्टनर का चुनाव खुद करता है। मेरे पास तुम्हारे लिये एक सुझाव है कि कोई पार्टनर फिक्स मत करना। तुम रोज एक नये पार्टनर के साथ Tट्रेनिंग करना। ऐसा करने मे तुम्हे रोज एक नयी तकनीक सीखने को मिलेगी।

मुमु: मैं तो तुम्हें अपना पार्टनर बनाने की सोच रही थी।

एलन: मैं तो हमेशा तुम्हारे लिये हाजिर हूँ। पर अभी नहीं, तुम्हें अभी यहाँ की दुनिया देखनी है। यहाँ पहली ट्रेनिंग की झलक मिलेगी। तुम भी करना चाहोगी तो मै इन्तजाम कर दूगाँ।

(सामने एक ह्र्ष्ट-पुष्ट युवक बड़ी उत्तेजक आसन मे एक अधेड़ औरत के साथ आसन लगाए हुए है। वह औरत एक महीन से कपड़े की ब्रा और पैन्टी में नग्न युवक की बाँहों में पीठ के बल झूलती हुई अपना निचला अंग को युवक के लिंग से धीरे-धीरे रगड़ती हुई दिखाई देती है। युवक भी झुलाते हुए आगे-पीछे होने की क्रिया मे लीन है।)

मुमु: छिः, यह यँहा पर क्या कर रहे है।

एलन: क्या तुम इसको एक ईलाज की दृष्टि से नहीं देख सकती। दोनों ट्रेनिंग भी कर रहें है और पूरा मजा भी ले रहे है। मेरा मानना है कि सिर्फ ट्रेनिंग करना ही काफ़ी नहीं, शरीर के पूरे विकास के लिये व्यक्ति की सारी भावनाएँ की संतुष्टी बेहद जरुरी है।

मुमु: परन्तु गैर मर्द और औरत एक दूसरे के साथ, यह क्या अच्छी बात है।

एलन: मुमु, क्या ठीक है और क्या नहीं, मै नहीं जानता और जानना भी नहीं चाहता। अगर किसी कार्य से मुझे असीम सुख की अनुभूति होती है मैं उस कार्य को ठीक मानता हूँ।

एलन: सेक्स एक जरुरत है, जैसे खाना, पानी, इत्यादि। तुम्हे अपने आप पर बहुत विश्वास है न्। क्या तुम मेरे साथ एक प्रयोग में भाग लोगी? मेरे लिये आधा-घंटा ही काफी है तुम्हें अपनी बात समझाने के लिए। तुम सिर्फ अपनी आँखें कुछ देर के लिये मींच लो। मैं तुम्हारे बिना हाथ लगाये, तुम्हें मजबूर कर दूँगा कि तुम अपनी सारी लाज त्याग कर मेरे साथ कुछ भी करने तैयार हो जाओगी।

मुमु: अगर तुम नहीं कर सके तो?

एलन: मै तुम्हारी आजीवन फीस माफ कर दूँगा और कहीं तुम हार गयीं तो जैसा मै कहूँ वैसा तुम करोगी। मंजूर?

मुमु: ठीक है, मंजूर।

एलन: तुम उस के जैसे ट्रेंनिग वाले लिबास में आ जाओ। सामने चेंजिग रूम है।

मुमु: यह तो तुम ने नहीं कहा था। मैं सिर्फ ब्रा और पैन्टी में तुम्हारे सामने, कभी नहीं।

एलन: क्यों डरती हो कि अपना आपा खो दोगी?

मुमु: नहीं तो। पर

एलन: पर क्या? मैने कहा है कि मै तुम्हें छूऊँगा भी नहीं। तो फिर किस बात का डर है।

मुमु: ....पर...

एलन: पर क्या, फिर से? प्लीज मेरा कहा मान लो, इसको सिर्फ एक साईंस का प्रयोग की तरह लो, बस्।

मुमु: (कुछ सोचते हुए) यहाँ के बजाय किसी और जगह पर नहीं कर सकते यह प्रयोग?

एलन: ठीक है। तुम चेंज करो, फिर एक दूसरे कमरे में चलते है।

(मुमु चेंजिग रूम में चली जाती है। एलन मोबाइल फोन पर राजेश से बात करता है)

एलन: यार, मछ्ली जाल में फँस गयी है। बस कुछ देर की बात है।

राजेश: थैंक्स यार्। तेरी फीस कल मैं खुद देने आऊँगा। चल रख, क्योकि मै टीना को चूमना सीखा रहा हूँ।

एलन: बेस्ट आफ लक्। बाय।

क्रमशः

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Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--3

गतान्क से आगे..........

(मुमु शर्माते हुए चेंजिग रूम से निकलती है। एलन का मुहँ खुला रह जाता है। उसकी धमनियों मे रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। और उसकी एक खास जगह पर तो ऐसा मानो की रक्त की बाढ़ आ गयी है। मोहिनी मूरत लिए मुमु धीरे-धीरे एलन की ओर बढ़ती है। भारी वक्ष जो आधे से भी ज्यादा ब्रा के बाहर झाँकते हुए और हर पग पर और भी ज्यादा बाहर निकलने की कोशिश करते है। पूरी गोलाई लिये नितंब हर पग पर दिलों मे भूचाल मचाने की क्षमता रखते हुए एक सगीत्मय लय मे हिलते हुए। तीखे नयन नक्श जो कि अजन्ता की मूर्ति को भी मात देदे। झीनी सी ब्रा में से बादामी रंग का दस रुप्ये के सिक्के का आकार और उस पर उठी हूई घुन्डीयाँ जैसे चूमने को आमंत्रित करती हों। नीचे की ओर एलन की नजर टाईट पैन्टी पर पड़ी तो मुमु की बालोंरहित कटिप्रदेश साफ विद्यमान होती हुई। सब कुछ मिला कर जैसे कोई स्वर्ग से अप्सरा आज एलन के पास कामसूत्र के राज खोलने आई हो।)

मुमु: तुम्हें क्या हुआ?

एलन: दिल पर बिजली गिर गयी। मुमु मै सोच रहा हूँ कि अपने शब्द वापिस ले लू। तुम्हारे हुस्न के ढ्के हुए जलवे देख कर मेरी जुबान में ताला लग गया है।

मुमु: (इठ्लाती हुई) अब इतनी भी ढ्की नहीं हूँ। ठीक है, मेरी फीस माफ करो, पाँच लाख रुपये कम नहीं होते।

एलन: इस बेमिसाल हुस्न के लिये कोई गधा ही कीमत लगाने की कोशिश करेगा। पर अभी तो प्रयोग बाकी है। चलो दूसरे रूम में चलते हैं।

(यह कह्ते हुए, एलन मुमु की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींचता है।)

मुमु: तुम भूल रहे हो, तुम मुझे छूओगे नहीं।

(एलन खिलखिला कर हँस देता है।)

एलन: तुम्हें छू कर देख रहा था कि कोई सपना तो नही देख रहा हूँ। तुम्हें सामने खड़े देख कर मै अपने आपे मे नही रहा। अच्छा चलो, दूसरे रूम में चलते हैं।

(दोनों साथ-साथ चलते हुए एक कमरे में आ जाते है। छोटा सा कमरा, परन्तु बहुत सुन्दर सजावट, साईड में करीने से एक बेड लगा हुआ और एक्स्र्साईज करने के लिये काफी जगह।)

मुमु: क्या बात है, (मुस्कुराती हुई) यहाँ सब कुछ काम का इन्तजाम है। पर कुछ करने की सोचना भी नहीं।

एलन: जब से तुम्हारे हुस्न का दीदार हुआ है, तब से तुम्हारे साथ सिर्फ एक काम करने की सोच रहा हूँ, पर तुम हो कि वार्निग ही दिए जा रही हो या फिर मुझे छिपे शब्दों मे आमन्त्रित कर रही हो। (मुमु धीरे से सिर हिलाती है।) खैर जो भी हो, अपनी आँखे मीच लो, या तुम कहो तो मै तुम्हारी आँखो पर पट्टी बाँध देता हूँ।

मुमु: हाँ, पट्टी ठीक रहेगी।

(एलन एक काली पट्टी मुमु की आँखों पर बाँध देता है। उसका हाथ पकड़ कर कमरे के बीचोंबीच ले जा कर खड़ा कर देता है। एक बार फिर से झीनी सी ब्रा के बाहर झाँकते हुए उरोजों को और बादामी रंग की उठी हूई घुन्डीयों को भूखी निगाहों से घूरता है। कुछ पल हुस्न का जाम पीने के बाद, नीचे की ओर रुख करता है। मैचिंग गुलाबी रंग की टाईट जालीदार पैन्टी मै बालोंरहित कटिप्रदेश की तरफ ध्यान केन्द्रित करता है। कुछ न होता पाकर मुमु खड़े-खड़े कसमसाती है। अचानक एलन अपना मुख अधखुली और फूली हुई योनि के बहुत नजदीक लेजा कर धीरे से फूँक मारता है। इस अप्रत्याशित हमले से मुमु चिहुँक उठती है और उत्तेजना से काँप उठती है। अब एलन लगातार धीरे-धीरे गर्म साँस छोड़ना शुरु करता है। सबसे पहले बालोंरहित कटिप्रदेश पर ध्यान केन्द्रित करता है, जैसे कि हवा से बंद फूल को खोलने की कोशिश कर रहा हो। धीमी रफ्तार से नंगी जांघों के अन्दरुनी भाग पर अपनी गर्म शव्सों को लगातार छोड़ते हुए फिर से उपर बालोंरहित कटिप्रदेश की ओर बढ़ता है। अपनी योनि पर लगातार गर्म साँसों का आघात से मुमु थोड़ा विचलित होने लगती है। एक अजीब सी सनसनाहट सारे शरीर में फैलना शुरु हो जाती है, और अपने शरीर को बस में रखने के लिये पंजो को निरन्तर सिकोड़ने लगती है।)

एलन: तुम्हारी तिजोरी के कपाट बिलकुल सील बंद दिख रहे है, दो बच्चों के बाद तो तिजोरी की दरार बहुत गहरी हो जाती है। क्या बात है राजेश के हथियार ने तिजोरी खोलना बंद कर दिया है।

(ऐसी अश्लील बातें मुमु की परेशानी और बढ़ा रहीं है। बार-बार एलन की साँसों का आघात कभी ज़ाँघो के अन्द्रुनी हिस्सों पर और कभी जंघाओं के बीचोंबीच मुमु को विचलित किये जा रहीं हैं। बहुत दिनों से मुमु की दबी हुई भावनाओं में आज उफान आने लगा है। एलन बीच में सब कुछ छोड़ कर अब खड़ा हो गया। अबकी बार उसने मुमु के दाएँ कान के पीछे से अपना कार्य शुरु किया और धीरे-धीरे चेहरे के पास आ कर पंखुडी से होठों पर लगातार प्रहार करना आरंभ कर दिया। थोड़ा रुक कर, फिर गले से होता हुआ दो हसीन पहाड़ियॉ के बीचोंबीच बनी खाई पर आ कर रुक गया। अबकी बार एलन के निशाने पर झीनी गुलाबी ब्रा में उठी हूई घुन्डीयाँ थी और अपनी गर्म साँसें से उन पर आघात करना आरंभ कर दिया। इधर मुमु भी उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँचने को हो रही है, कभी गुदगुदी का एहसास, कभी शरीर मे सिहरन, कभी अनजानी राह की अनिश्चितता, और इन सब में धीमी आँच मे जलता हुआ तन। बार-बार मुमु के अर्धनग्न जिस्म् पर गर्म-गर्म साँसों का प्रहार एक तूफान आने का संकेत दे रहा है।)

मुमु: .उ.अ..आह.अ.उउआ.आह.ए...ल...लन..हा..लन..लन

एलन: चाहिए क्या…इस वक्त तुम्हारी…तिजोरी…को एक सख्त हथौड़े की जरुरत है। क्या चाहिए हथौड़ा?

(एलन एक बार फिर से नीचे बैठ कर कटिप्रदेश पर ध्यान केन्द्रित करता है।)

एलन: मुमु....क्या......कुछ हुआ....क्या? (खुशी से चिल्लाते हुए) तुम्हारी मचलती कली ने बाहर झाकँना शुरु कर दिया है। अर....रे.. उस पर तो ओस की बूदं भी आ गयी है। (मुमु कुछ कहती, इससे पहले एलन झट से अपनी जुबान से कली के ऊपर पड़ी बूंद को चाट जाता है।)

मुमु: अ..आह....लन....लन..लन। (एलन का सिर पकड़ कर जबरदस्ती योनिमुख पर रख देती है)

(एलन की जुबान हरकत में आ जाती है। अपनी दोनों उँगलियों से योनिमुख को खोलता है और उसमें से झाँकती कली पर टूट पड़ता है। बेहाल मुमु सिर्फ पागलों की तरह झूमती हुई अवाजे निकालती है। एक कँपकँपी के साथ ढेर हो कर बैठ जाती है। उत्तेजना से काँपते हुए एलन से लिपट जाती है।)

एलन: मुमु…मुमु… सिर्फ अभी बाईस मिनट हुए है। आठ मिनट और बचे हुए है। अगर तुम कहो तो अपने हथौड़े का प्रयोग करुँ…?

(धीरे से मुमु होश मे आती है और अपनी साँसों को काबू करती हुई एलन से अलग हो जाती है। चेहरे पर शर्म की लालिमा और झुकी आँखे लिये, मुमु आत्मग्लानि महसूस करती है और एलन से लिपट जाती है। एलन प्यार से मुमु की पीठ सहलाता हुआ उसके होंठों को अपने होंठों के कब्जे मे ले लेता है। अब मुमु ने भी अपने सारे हथियार डाल कर एलन का साथ देना आरंभ कर देती है। एलन किसी शातिर खिलाड़ी की तरह होठों को चूमते, चूसते और काट्ते हुए धीरे से मुमु को निवस्त्र कर बेड पर लिटा देता है। मुमु को वासना की आग मे तड़पती हुई छोड़ कर धीरे-धीरे अपने को निवस्त्र करता है।)

मुमु: आह.ए...ल...लन अब और न तड़पाओ, मेरे शरीर में आग लगी हुई है जल्दी से इसे बुझाओ।

एलन: अब जो मै कहूँगा, तुम वही करोगी तो मै तुम्हें जन्नत की सैर कराऊँगा वर्ना इतना ही काफी है। मै तुम्हें और गलत काम के लिए नहीं उकसाऊँगा।

मुमु: मै तुम्हारी बात समझ गयी…बस और न तड़पाओ। आगे से तुम जो भी कहोगे मै मानूँगी।

एलन: प्रामिस्।

मुमु: हाँ गोड प्रामिस्।

(एलन का इतना सुनना था कि वह मुमु पर टूट पड़ा। अपना ढाई इंची गौलाई और नौ इंची लम्बे फनफनाते हथियार को मुमु के योनिमुख पर लगा कर धीरे से अन्दर सरका दिया। एलन का एक हाथ गोरी पहाड़ियों को रोंदने में मस्त है, और उसका मुख पहाड़ियों की गुलाबी बुर्जीयों को लाल किये जा रहा है। नीचे अन्दर सरकता हुआ हथियार मुमु को मीठे दर्द का एहसास करा रहा है। एलन थोड़ा रुक कर अचानक एक जोर का धक्का मारता है और उसका हथियार लबालब पूरा अन्दर तक धँस जाता है।)

मुमु: (दर्द से बिलबिला कर)….उ.अ..आह.मर.र…गई… उई माँ…ए...ल...लन....लन..…(एलन जल्दी से अपने मुख से मुमु का मुख ढक कर उसकी चीख दबा देता है। मुमु कुछ क्षणों के लिए शिथिलता से एलन के नीचे दबी पड़ी रहती है।)

एलन: मुमु…क्या हुआ? बस अब कुछ नहीं बाहर है।

मुमु: तुम्हारे काले अजगर ने मुझे बीच में चीर दिया। अपनी जगह बनाने की जल्दी मे इसने मेरी जान ही निकाल दी।

एलन: अब कैसा लग रहा है। आगे का रास्ता अब सिर्फ प्यार और मजे का रह गया है।

(अब दोनों बेल की तरह एक दूसरे के साथ लिपटे पड़े हुए हैं। एलन अपने आप को थोड़ा सा पीछे खीच कर फिर से एक करारा धक्का देता है। मुमु के मुख से संतुष्टि से भरी सिसकारी निकल जाती है। एलन का एक हाथ एक बार फिर से गोरी पहाड़ियों के मर्दन में और उसका मुख गुलाबी बुर्जीयों को लाल करने में वयस्त हो जाते है। दूसरा हाथ धीरे से मुमु के नितंबों पर बेखट्क कुछ ढूंढने के लिए विचरने लगता है। इधर एलन बिना रुके अपने हथियार से शाट पर शाट लगाये जा रहा है और मुमु भी उचक-उचक कर हर शाट का जवाब शाट से दे रही है। मुमु की सिसकारीयाँ और एलन की गहरी साँसों ने कमरे का वातावरण बहुत उत्तेजक बना दिया है। इस आपाधापी मे एलन की उंगली मुमु के सूरजमुखी आकार के पिछ्ले छिद्र पर आ टिकती है। धीरे से एलन अपनी उँगली को मुमु के पिघलते लावे मे निहला कर छिद्र पर फिराता है। मुमु इन बातों से अनभिज्ञ, मिलन की चरम सीमा पर पहुँचने के लिए व्याकुल हो उठी तो एलन धीरे से अपनी उंगली को छिद्र पर रख कर दबाव बढ़ाता है। मुमु की बायीं बुर्जी को चूसता हुआ काट लेता है और पूरी ताकत से उँगली को सूरजमुखी आकार के छिद्र मे प्रविष्ट कर देता है। इस अप्रत्याशित तीन तरफे हमले से मुमु कि योनि झरझरा कर बरस पड़ती है और कुछ पलों की देर से एलन का हथियार भी अपने लावे को उगल कर मुमु की आग को शान्त कर देता है। दोनों एक दूसरे को बाहों मे कसे निढाल पड़ जाते है।)

एलन: (अपने को अलग करते हुए) मुमु क्या एक और पारी खेलनी है?

मुमु: एक ही पारी मे तुमने मेरी यह हालत कर दी कि अब उठने की भी हिम्मत नहीं है। क्या टाइम होगा। मुझे तो लगता है कि अब मै चल भी नहीं पाउंगी।

एलन: (हड़बड़ाहट में) अरे हमें गुथे हुए एक घंटा हो गया। डौली हमारा इन्तजार कर रही होगी। चलो चलते हैं।

मुमु: (एलन के लिंग को सहलाते हुए) डौली बहुत लकी है।

एलन: इसको मत छेड़ो, अगर उठ बैठा तो तुम आज कहीं जाने के लायक नहीं रहोगी।

(दोनों अपने कपड़े पहनते है और रिसेप्शन की ओर बढ़ते है जहाँ डौली किसी नवयुवक से हँसते हुए बात कर रही है।)

डौली: अरे मुमु तुम्हें क्या हुआ? तुम्हारे चेहरे पर यह लालिमा कैसी? तुम्हारा चेहरा दीप्तीमान हो गया है।

मुमु: (झेंपती हुई) तुम्हारे मियाँजी की करतूत है। मुझे ट्रेंनिग करवा रहे थे।

डौली: फिर क्या सोचा। तुम्हें अभी एनरोल करूँ या बाद में?

मुमु: बिलकुल, अभी करो।

डौली: मै जानती थी, मैने सारा पेपर-वर्क करके रखा हुआ है, बस तुम यहाँ साइन कर दो। (आँख मारते हुए) जिस किसी के पीछे मै एलन को लगाती हूँ मजाल है कि वह न कर दे।

(मुमु भिन्न-भिन्न पेपरों पर साइन कर देती है और एलन और डौली के साथ बाहर आती है।)

डौली: मुमु, तुम ने तो अपना पार्टनर तो चुना नहीं।

मुमु: मै तो एलन के साथ ट्रेंनिग करने की सोच रही थी।

एलन: मुमु, मैनें तुम्हें बताया था कि तुम रोज एक नया पार्टनर चुनना, इस तरह तुम नये-नये तरीके सीख पाओगी। जब समय हो तो कभी-कभी तुम मेरे साथ भी ट्रेंनिग कर लेना।

डौली: हाँ, यह भी ठीक रहेगा। मैं भी इसी तरीके को प्रिफर करती हूँ।

एलन: डौली, तुम कल मुमु के घर चले जाना और ट्रेंनिग-कासट्यूम के नाप ले आना।

डौली: ठीक है। मुमु मै कल लंच टाइम में तुम्हारे घर नाप लेने आउँगी।

मुमु: ओके।

(मुमु अपनी कार में बैठ कर घर की ओर रवाना हो जाती है।)

डौली: तुमने तो कमाल कर दिया। एक घंटे में इस पंछी को शीशे मे उतार लिया।

एलन: दोस्ती में क्या-क्या करना पड़ता है।

डौली: रहने दो। बिकनी में देख कर तो तुम्हारे मुँह से लार टपक रही थी। वैसे शरीर से काफी अच्छी है। राजेश बहुत लकी है, जब घर में ऐसा खजाना छुपा हो तो बाहर की ओर रुख करना मुश्किल है।

एलन: आज अपने छोटे भाई से मिलवा दिया तो देखो कैसी चेहरे पर चमक आ गयी। पहिले तो मुमु मुझसे कटी-कटी रहती थी।

(दोनों खिलखिला कर हँस पड़ते है और आफिस में चले जाते है।)

सीन-6

(शाम का समय, राजेश का ड्राइंगरूम। अभी कुछ देर हुई है मुमु को फिटनेस सेन्टर गये हुए।)

राजेश: (टीना को आवाज लगाता है) टीना बेटे उठ जाओ। शाम हो गयी है… रात को फिर नींद नहीं आएगी।

(राजेश आवाज लगा कर सोफे पर लेट कर नावल पढ़ने लगता है। सुबह और दोपहर की धींगामस्ती से थक कर टीना अपने कमरे मे सो रही है। समय निकलता जा रहा है और राजेश बीच-बीच में घड़ी को देख कर झुँझलाता है। मुमु एक घंटे की कह कर गयी है, पर वह जानता है कि एलन और डौली इतनी जल्दी मुमु को नहीं छोड़ेगें। राजेश एक बार फिर से स्टेअरस के पास खड़े हो के आवाज लगाता है।)

राजेश: शाम हो गयी है, टीना बेटे उठ जाओ।

टीना: (उनीदीं आवाज में) मैं उठ गयी हूँ पापा। हाथ-मुहँ धो कर अभी थोड़ी देर मे नीचे आती हूँ।

राजेश: ठीक है। मै चाय बनाने जा रहा हूँ, जल्दी से नीचे आ जाओ। क्या तुम्हारे लिये कुछ खाने के लिये भी बना दूँ। दोपहर मे भी तुम ने कुछ नहीं खाया था।

(बोलते हुए राजेश रसोई की तरफ रुख करता है। मोबाइल फोन की घंटी बजती है। एलन का फोन है, राजेश बात करता है)

टीना: (नीचे आ कर, अलसायी सी आवाज मे) पापा, मै आपकी कोई मदद करूँ?

राजेश: न बेटा, चाय तो बन गयी है। मै अभी ले कर आता हूँ।

(टीना अपने पारदर्शी नाइट-गाउन मे धम से सोफ़े पर पसर जाती है। नादान टीना अपनी नग्नता से अनभिज्ञ आँखे मूंद कर लेटी हुई है। राजेश ट्रे मे चाय ले कर आता है कि उसकी नजर केले सी चिकनी व गोरी टांगे, मासंल जांघों तक की नग्नता, पर पड़ती है। सीने पर कसाव के कारण, सीने की गुलाबी गगनचुम्बिँया साफ विद्यमान हो रही है। ऐसा उत्तेजक द्र्श्य किसी को भी पागल करने की क्षमता रखता है।)

राजेश: (हिचकिचाते हुए) उठो बेटा, चाय पी लो।

(टीना अलसायी सी मुद्रा लिये उठ कर बैठ जाती है। राजेश उसके समीप बैठ जाता है। दोनों चुपचाप कुछ सोचते हुए धीरे-धीरे गर्म चाय की चुस्की लेते है। राजेश का दिमाग आगे की गुत्थी सुलझाने मे लगा हुआ है। टीना के होठों का जायका लेकर अन्दर का शैतान तो अब पुरा रास्ता तय करने का मन बना चुका है। और इधर टीना सुबह और दोपहर के घटनाक्रमों में उलझी हुई है। बार-बार उन घटनाओं की याद कर उसके शरीर के अंग-अंग में अजीब सा कसाव उत्पन्न हो जाता है।)

टीना: पापा…

राजेश: हूँ…

टीना: आपने एलन अंकल के यहाँ मेरी ट्रेंनिग के बारे में कुछ सोचा है?

राजेश: वही सोच रहा हूँ। अगर तुम वहाँ पर गयीं और तुम्हारी मम्मी को पता लग गया तो आफत आ जाएगी।

टीना: मै जानती हूँ। पर आप एलन अंकल से बात क्यों नहीं कर लेते?

राजेश: (टीना की जांघ पर थपथपता हुए) मैं उस से कल बात करुँगा। अभी तो तुम्हारी मम्मी वहाँ पर होंगी।

(फिर कुछ देर के लिये चुपचाप बैठ जाते है। राजेश का हाथ अभी भी टीना की नग्न जांघ पर रखा हुआ है। वह बड़ी सहजता से हल्के हाथ से जांघ को सहलाता है जैसे कि वह कुछ सोच रहा है और इधर टीना के शरीर में चीटीयाँ सी दौड़ने लगती है। सहलाने का दायरा बड़ाते हुए राजेश चुप्पी तोड़ता है।)

राजेश: बेटा, तुम कुछ सोच रही हो। क्या बात है?

टीना: (झेंपती हुई) नहीं पापा, (राजेश के उपर खिसकते हाथ को पकड़ते हुए) कोई खास बात नहीं। आपके छूने से मुझे कुछ हो जाता है।

राजेश: (धीरे से हाथ छुड़ाते हुए) क्या हो जाता है? तुम्हें अच्छा नहीं लगता है, क्या (थोड़ी सी चेहरे पर मायूसी लाते हुए)?

टीना: नहीं, ऐसी बात नहीं है। (भोलेपन से) मुझे लगता है कि मेरे शरीर मे आपके छूने से टाक्सिन बनने लगते है।

राजेश: यह तो अच्छा है। इसका मतलब है कि तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो। कोई जब किसी से बहुत प्यार करता है, तो उस व्यक्ति के छूने मात्र से शरीर में टाक्सिन बनने लगता है। ऐसा लगता है कि शरीर में चीटीयाँ सी दौड़ने लगी, आँखों में एक नशा सा छा गया, सारे बदन के अंगो में अजीब सा कसाव आ जाता है।

टीना: हाँ पापा ऐसा ही कुछ होता है। (खुशी में राजेश से लिपट जाती और उसके गाल चूम लेती है)।

राजेश: न ऐसे नहीं बेटा, मैने तुम्हें प्यार से चूमना दोपहर को बताया था। अब जब तुम्हारी मम्मी नहीं है, क्यों न तुम थोड़ा प्रेक्टिस कर लो। आखिर कल तुम्हारी शादी होगी, वहाँ पर कौन सिखाएगा।

टीना: अभी? (शर्माते हुए) ठीक है।

राजेश: बेटा अबकी बार हम बैठ कर किस करते है। तुम मेरी छोटी सी गुड़िया हो, गोदी में बैठ जाओ। हम एक दूसरे के नजदीक भी होंगें और थकान भी नहीं होगी।

(टीना उठ कर राजेश की गोदी में धम से बैठ जाती है। राजेश धीरे से टीना की कमर को पकड़ कर आमने-सामने पोजीशन मे अपने जांघों पर बिठाता है, टीना की चिकनी व गोरी टांगों को पकड़ कर अलग करते हुए अपने पाँवों के दोंनों ओर लटका देता है। पारदर्शी नाइट-गौन उपर खिसक कर मासंल जांघों तक नग्न कर देती हैं और सीने की गुलाबी गगनचुम्बिँया राजेश की आँखों के सामने विद्यमान हो उठीं हैं। अपनी नग्नता से अनभिज्ञ टीना ग़रदन झुकाये राजेश के पाजामे मे सिर उठाये लिंग को हैरत से देख रही है।)

राजेश: टीना (कमर से पकड़ कर खींचते हुए) नजदीक आओ।

(टीना सरक कर आगे हुई तो अपनी कोमल योनिमुख पर अनजानी कठोर चीज की ठोकर महसूस करती है। उसकी नारंगी जैसे सख्त उरोज राजेश की छाती से जा टकराते है।)

राजेश: (टीना को अपने बाहुपाश में भर कर) हाँ, अब ठीक है। टीना, तुम दुबारा से शुरु करो।

(टीना शर्माती हुई अपने होठों के बीच राजेश के निचले होंठ को ले कर धीरे से चूसते हुए आँखे मूंद लेती है। अपनी जुबान के अग्र भाग को राजेश के उपरी होंठ पर फिराती है। उत्तेजना में राजेश अपनी बालिष्ठ बाहों मे कसमसाती हुई टीना के उन्नत स्तनों को पीस देता है। नीचे पाजामे में से राजेश का लिंग कठोरता धारण कर बार-बार टीना की योनिमुख पर दस्तक देनी शुरु कर देता है।)

क्रमशः

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Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--4

गतान्क से आगे..........

राजेश: टीना बेटे, क्या टाक्सिन बनने शुरु हुए…।

टीना: हुं…हूँ…हाँ पा…पा।

(अब टीना के होंठों को कब्जे मे ले कर, राजेश अपनी जुबान से कोमल पंखुडी से होठों की कोमलता का लुत्फ लेता है। धीरे से अपनी जुबान से टीना के मुख का जायज़ा लेता हुआ, टीना की कैंची सी चलने वाली जुबान के साथ लुकाछिपि खेलना शुरु कर देता है। टीना के लिये इस तरह की मौखिक-क्रीड़ा करने का पहला अवसर है। उत्तेजित टीना की आँखों में एक बार फिर से लाल-लाल डोरे तैरने लगते है। अजीब कश्मकश में मासूम टीना के स्तनों की घुन्डियों मे एक बार फिर से करन्ट प्रावाहित होना शुरु हो जाता है। नीचे लिंगदेव अपनी पूरी मस्ती में जांघिये से ढकी योनि पर रगड़ मारना शुरु कर देते हैं।)

टीना: .उ.अ.पा.आह….पा…अ.उउआ.आह.…पापा…

राजेश: (और थोड़ा सा जकड़ते हुए) टाक्सिन बन रहे है, है न्…

(एक बार फिर से चुम्बनों की बारिश, योनीमुख पर लगातार पड़ती ठोकर और बार-बार पिसते हुए स्तन, उत्तेजित टीना को बरसने के लिए मजबूर कर देते है। एक ही क्षण में टीना का बदन काँपते हुए झटके लेता है और फिर निढाल पड़ जाता है। उत्तेजना का मारा राजेश सब कुछ समझते हुए प्यार से लिपटी हुई टीना को धीरे से अलग करता है और गोदी मे उठा कर सोफे पर लिटा देता है।)

राजेश: टीना, तुम थोड़ा आराम कर लो। तुम्हारे शरीर में मेरे प्यार के कारण काफी टाक्सिन बन गये थे और अच्छा है कि बाहर निकल गये। मै तुम्हारे लिए गर्म दूध का गिलास ले कर आता हूँ। बहुत फायदा करेगा।

टीना: नहीं पापा। मुझे नहीं…(अचानक टीना की नजर पाजामे मे तन्नाये लिंगदेव पर पड़ती है और झेंप जाती है।)

राजेश: क्या हुआ? (जान कर भी अनजान बनते हुए)

टीनाआँखे झुकाए) कुछ नहीं। आप मुझसे बहुत प्यार करते है।

राजेश: क्यों पूछ रही हो?

टीना: नहीं, मै बता रहीं हूँ।

राजेश: थैंक्यू बेटा। तुम मेरी सबसे प्यारी बेटी हो।

टीना: मम्मी आने वाली होंगीं। (उठते हुए) मै अपने कमरे मे कपड़े बदलने जा रही हूँ।

राजेश: ठीक है। मैं मार्किट से सब्जी ले कर आता हूँ, तुम दरवाजा बन्द कर लो। अन्दर आने के लिये मेरे पास चाबी है।

(राजेश के जाने के बाद टीना दरवाजा बन्द कर के अपने कमरे मे जाती है। कमरा बन्द कर के गुनगुनाते हुए अपने कपड़े उतारती है। जमीन पर पड़ी अपनी पैन्टी को गीली देख कर उठाती है और छू कर देखती है कि पेशाब तो नहीं है। पर पैन्टी के उपर लगी तरलता में कुछ चिपचिपापन महसूस करती है। हैरानी में सूंघ कर देखती है और कुछ ज्ञात न होने पर धोने के लिये डाल देती है। शावर को चला कर नीचे खड़ी हो कर स्नान करती है। घंटी बजती है)

टीना: आ…ती हुँ।

(दरवाजा खुलने की आवाज आती है। फिर राजेश और मुमु की आवाजें सुनाई देती है।)

राजेश: आज बहुत थकी हुई लग रही हो?

मुमु: हाँ, एलन के साथ जरा सी ट्रेनिंग की थी। आदत नहीं है तो थकान हो गयी है।

राजेश: आज बाहर से खाना मँगवा लेते है। जल्दी सो जाना तो आराम आ जाएगा।

मुमु: हाँ, यही ठीक रहेगा।

राजेश: पसंद आया। क्या सोचा?

मुमु: बहुत अच्छा है। मैनें तो एनरोल करा लिया है। कल डौली कासट्यूम का नाप लेने आएगी।

राजेश: चलो अच्छा है। अगले हफ्ते से तुम्हारी ट्रेनिंग शुरु हो जाएगी।

मुमु: पर तुम्हें उस टाईम पर यहाँ टीना के पास होना पड़ेगा क्योंकि उसे घर पर अकेला नहीं छोड़ा जा सकता है।

राजेश: तुम उसकी चिन्ता छोड़ दो। हम बाप-बेटी यहाँ पर ऐश करेगें।

(दोनों अपने-अपने काम में लग जाते है।)

सीन-7

(दोपहर का समय, मुमु ड्राइंगरूम में बैठी हुई है। डौली के आने का इंतजार कर रही है। अभी कुछ देर हुई है खाना खा कर टीना अपने बेडरूम में सोने चली गयी है। घंटी बजती है, मुमु उठ कर दरवाजा खोलती है। डौली का आगमन्।)

डौली: हाय मुमु। आज बड़ी रौनक है चेहरे पर, क्या बात है?

मुमु: हैलो। सब तुम्हारे फिट्नेस केन्द्र की कृपा है। एक ही दिन मे शरीर में हल्कापन आ गया। आओ बैठो।

डौली: (सोफे पर बैठ कर) बहुत अच्छे। आज जरा जल्दी में हूँ फिर कभी आराम से बैठ कर गप्पें मारेंगे। लीना और टीना कहाँ है? काफी दिन हुए उन्हें देखे।

मुमु: तुम तो बिजनस-वुमन हो गयी हो इस लिए हमेशा जल्दी मे ही रहती हो। जरीन की किट्टी पार्टी में भी तुम आयीं और गयी जैसे ही थी। लीना अपने स्कूल के ट्रिप पर काश्मीर गई हुई है और टीना खाना खा कर सोने गई है।

डौली: मुमु सेन्टर पर कोई नहीं है। कुछ मेम्बर्स को ट्रेनिंग करते छोड़ कर आ रहीं हूँ और तुम ने तो देखा है की हमेशा कोई न कोई आता-जाता रहता है। चलो यार, बातें करते हुए तुम्हारा नाप भी ले लेते हैं।

मुमु: कहाँ पर चलें, यहीं पर या बेड-रूम में?

डौली: जहाँ पर तुम्हें ठीक लगे क्योंकि तुम्हें बिलकुल निर्वस्त्र होना पड़ेगा। बेडरूम ही ठीक रहेगा।

(मुमु और डौली मास्टर बेडरूम की ओर जातें है। बेडरूम की भव्यता को देखकर डौली के मुख से सीटी निकल जाती है। विशाल बेड, बारह इचं का डनलप का गद्दा, मुलायम फ़्लोर कार्पेट, आलीशान वार्डरोब, फुलसाईज मिरर की ड्रेसिंग टेबल, बेड के ठीक सामने की दीवार पर फुल वाल-मिरर और अत्यन्त माड्रन सुख सुविधा चीजों से सुसज्जित, बेडरूम न लग कर एक अरब के शैख का हरम लग रहा है।)

डौली: क्या… बात है, तुम और राजेश तो इस कमरे का उप्युक्त लाभ उठाते होंगें।

मुमु: राजेश को तुम अच्छी तरह जानती हो। कभी-कभी तो जैसे कमरे मे भूकंप आ जाता है। मेरी तो कुछ सुनते ही नहीं। रात-रात भर में पूरा शरीर तोड़-मरोड़ कर रख देते है।

डौली: यार तू तो बड़ी लकी है कि तेरा आदमी अभी भी तेरे उपर मुग्ध है। आजकल ऐसे मर्द कहाँ मिलते है, दो बच्चों के बाद तो जैसे सारी जवानी काफुर हो जाती है और बीवी तो बस घर की गाय बन कर रह जाती है।

मुमु: मैं तो रोकती रह जाती हूँ कि दो जवान बेटियाँ है कुछ तो शर्म करो, पर उन पर तो जैसे हमेशा कोई वासना का जुनून हावी रहता है।

डौली: तुम तो… खैर आज मै जल्दी मे हूँ। नाप लेने के लिये तुम्हें कपड़े उतारने पड़ेंगें।

(मुमु अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार कर एक तरफ रखती है। डौली ललचायी निगाहों से काली जालीदार ब्रा में से बाहर झाँकते गोरे पुष्ट उरोज, नितंबों की गोलाईयाँ और पैन्टी में बालोंरहित योनि को घूरती है।)

मुमु: अब नाप ले लो।

डौली: (मुमु की दायें वक्ष को अपने हाथ में ले कर ब्रा को खींचते हुए) इस को कौन उतारेगा? चलो मै तुम्हारी मदद कर देती हूँ।

(धीरे से डौली फ्रंट ओपेनिंग ब्रा का हुक खोल देती है। दोनों पुष्ट गोल वक्ष नग्न हो कर डौली के सामने उदित हो गये, मुहँ चिड़ाती बादामी रंग की उठी हूई घुन्डीयों चुमने और चूसने को आमन्त्रित करने लगीं। डौली पैन्टी के दोनों साइड के इलास्टिक मे अपनी उँगलियॉ फँसा कर नीचे की ओर खींचती है। पैन्टी जैसे किसी केले के छिलके की तरह नीचे उतरती जाती है। उत्तेजना में एसी कि ठंढक के बावजूद भी कुछ पसीने की बूँद डौली के माथे पर उभर आयीं।)

डौली: हाँ, अब ठीक है।

(अपने पर्स में से नापने की टेप निकाल कर सारे साईज लिख कर नोट करती है। कभी-कभी धीरे से मुमु के उरोजों को हाथ मे लेकर सहलाती है और कभी सिर उठाए बादामी बुर्जीयों को अपनी दो उंगलियों के बीच में ले कर तरेड़ती है। मुमु को भी अब इस नपाई करने के तरीके में मजा आने लगता है। डौली नीचे झुक कर पैरों की लंबाई और जाँघों की चौड़ाई नापती हुई अपनी उँगलियों को मुमु के योनिमुख पर फिराती है और चिपके हुए होठों को खोल कर गहरे बादामी रंग के बीज को घिसती है। एक सिसकारी भरती हुई मुमु पीछे की ओर हठ जाती है।)

मुमु: क्या कर रही हो……?

डौली: छुपे हुए खजाने को देख कर मै रोक नहीं पायी। अगर मेरे पास थोड़ा और समय होता तो तुम्हारा रेप आज निशचित था।

मुमु: (हसँती हुई) क्या आज तक किसी औरत ने किसी औरत का रेप किया है।

डौलीहसँती हुई) अभी तुम इस मामले में बहुत नादान हो। अब तो हफ्ते में तीन दिन मिला करेंगें, कभी किसी दिन औरत को ट्रेनिंग पार्टनर ले लेना। ऐसी हसीन चीज को शायद ही कोई बिना तृप्त किये छोड़ेगा।

मुमु: (मुस्कुरा कर) छोड़ो भी, नाप ले लिया?… एक बात बताओ कि नाप की ऐसी क्या जरूरत है, मैं अपने कपड़े पहन कर ट्रेनिंग नहीं कर सकती।

डौली: हाँ, नाप तो हो गया। ट्रेनिंग के लिये विशेष कपड़ों की जरूरत होती है। कुछ अंगों को कसाव (आँख मारते हुए) और कुछ अंगों को ढीलापन चाहिए, यह कोस्ट्यूम इन सबका ख्याल रखता है।

मुमु: यार, तुम्हें तो हर चीज में शैतानी ही सूझती है। यह कपड़े कब तक तैयार हो जाएँगें?

डौली: दो दिन में, पर तुम चाहो तो मेरे साथ कल से ट्रेनिंग कर सकती हो…(कुछ मुस्कुराते हुए) क्योंकि मैं बिना कपड़ों के एक्स्र्साईज करती हूँ।

मुमु: (अपने कपड़े पहनते हुए हँसती है) एलन की संगत में तुम बहुत बेशर्म हो गयी हो।

(दोनों बेडरूम से बाहर आ जाती है। उपर से टीना सीड़ीयों से नीचे उतरती हुई दिखती है।)

डौली: हैलो टीना। कैसी हो?

टीना: हाय आन्टी। फाईन, आप कब आई?

डौली: थोड़ी देर हो गयी, तुम्हारी मम्मी के कोस्ट्यूम के लिये नाप लेने आयी थी।

टीना: क्यों मम्मी आपको फिट्नेस सेन्टर की मेम्बरशिप मिल गयी? यह तो कमाल हो गया। आंटी मेरे को भी आपका सेन्टर जौइन करना है। स्वीटी कैसी है, वह भी तो वहाँ जाती होगी?

डौली: नहीं बेटा, स्वीटी तो अपने घर पर ही ट्रेनिंग करती है। मुमु, अपनी बेटी को बुरी नजर से बचाना, बहुत जल्दी जवान हो गयी है। अपने उठान पर है और सुन्दर भी होती जा रही है। राजेश से कहो की टीना के लिये टाईम निकालना शुरू कर दे नहीं तो इसका बचपना नहीं जाएगा।

मुमु: यही तो मै भी कहती हूँ पर वो है कि बिजनिस मे हरदम उलझे रहते हैं। लेकिन अबकी बार मैनें उनसे वादा लिया है कि जब मैं फिट्नेस सेन्टर जाऊँगी तो वह घर पर टीना का ख्याल रखेंगें।

डौली: अच्छा यार मै चलती हूँ, बहुत देर हो गयी है। परसों से ट्रेनिंग शुरू करना। फिट्नेस सेन्टर पर ऐसे ही आ जाना, अपना कोस्ट्यूम भी ट्राई कर लेना और एक्स्र्साईज भी शुरू कर देना।

मुमु: ठीक है, परसों से मेरी ट्रेनिंग शुरु। (दरवाजे पर आ कर) बाय-बाय्।

टीना: बाय आन्टी।

डौली: बाय-बाय्।

(माँ और बेटी एक दूसरे को देखती है और अपने-अपने काम मे लग जाती हैं। मुमु रसोई में चली जाती है और टीना टीवी देखने मे मग्न हो जाती है।)

सीन-8

(शाम का समय, राजेश और मुमु ड्राइंगरूम में बैठे हुए टीना के आने का इंतजार कर रहे हैं। टीना पड़ोस के शर्माजी की लड़की करीना के साथ खेलने गयी हुई है। घंटी बजती है, मुमु उठ कर दरवाजा खोलती है। करीना और टीना का आगमन्।)

करीना: हैलो आंटी, हैलो अंकल्।

मुमु और राजेश: (दोनों एक स्वर मे) हैलो बेटा।

राजेश: शर्माजी कैसे है।

करीना: ठीक हैं अंकल, पापा तो टूर पर बाहर गये हुए है। आंटी मुझे पता चला है कि आप परसों से फिट्नेस सेन्टर जाना शुरू कर रहीं है?

मुमु: हाँ बेटा, वजन बढ़ता जा रहा है। थोड़ी एक्स्र्साईज शुरू कर देनी चाहिए।

टीना: मै भी जौइन करना चाहती थी, पर मम्मी है कि मानती नही।

मुमु: (थोड़ी कड़ी आवाज में) अब इस टापिक पर ‘नो डिसकशन’। डौली ने भी तो स्वीटी के बारे मे बताया था।

करीना: (मुमु और टीना की तकरार सुन कर) आंटी मै टीना को छोड़ने आयी थी, अच्छा मै चलती हूँ।

टीना: मम्मी मैं गेट तक करीना को छोड़ कर आती हूँ।

राजेश: फिर बेटा तुम टीना को गेट पर छोड़ने आ जाना। रात भर यही कार्यक्रम चलता रहेगा। इस बार मै करीना को छोड़ कर आता हूँ जिस से इस बेचारी को दुबारा तकलीफ नहीं करनी पड़ेगी। (टीना मुँह बनाती है)

राजेश: मुमु तुम खाना लगाओ मै करीना को छोड़ कर आता हूँ।

(राजेश खड़ा हो कर करीना के साथ घर के बाहर जाता है। रास्ते में अपनी पैनी निगाहों से करीना को निहारता है। करीना भी टीना की हम-उम्र परन्तु कद-काठी से ज्यादा विकसित, गोल चेहरा, हल्का गेहुआँ रंग, तीखे नैन-नक्श, भारी सीना और नितंब, बेबाक और चंचल, हर तरह से एक आकर्षक व्यक्तित्व। ब्रा न होने के कारण, हर पग पर हिचकोले लेते हुए वक्ष और टाईट जींन्स में एक लय में हिलते हुए नितंब, राजेश के दिल पर बिजली गिरा रहे थे।)

राजेश: और बेटा छुट्टियओं मे क्या चल रहा है। सिर्फ खेल-कूद या थोड़ी पढ़ाई भी कर रही हो?

करीना: अंकल मैने साईँस की कोचिंग क्लास जौइन करी हुई है।

(बात करने में करीना का ध्यान बँटने से एक पाँव मे ठोकर लगी तो वह लड़खड़ाई, झट से राजेश ने संभालने के लिये अपना हाथ बढ़ा कर पकड़ने की कोशिश करी। लेकिन सब इतनी जल्दी हुआ कि राजेश का हाथ बाँह को पकड़ने के बजाय करीना की उन्नत छाती से जा टकराया। राजेश ने करीना को अपनी बाँहों मे जैसे-तैसे संभाला और बाँये वक्ष को जानबूझ कर अपनी हथेली मे लेकर सहलाने लगा जैसे कि दर्द कम करने की कोशिश कर रहा हो। नादान करीना शर्म के मारे दोहरी होती जा रही, पर राजेश टी-शर्ट में से झाँकती हुई बुर्जी को अपनी दो उंगलियों के बीच में ले कर बड़े प्यार से धीरे-धीरे खींचने का क्रम जारी रखे हुए था। इस नये एहसास ने करीना को अन्दर तक गुदगुदा दिया।)

करीना: (शर्माते हुए) अंकल अब ठीक है।

राजेश: (बाँये वक्ष को सहलाते हुए और खड़ी हुई बुर्जी पर चिकोटी भरते हुए) बेटा अगर खून जम गया तो कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।

करीना: उई…ई, अब ठीक है अंकल (धीरे से अपने को छुड़ाते हुए)।

(राजेश ने पीछे से अपनी बाँहों का सहारा दे कर करीना को खड़ा किया और एक बार फिर से जानबूझ के दाँये और बाँये वक्ष को दोनों को अपने हाथों मे भर कर धीरे-धीरे दबाने का कार्यक्रम जारी रखा। अब तक राजेश का हथियार भी अपने पूरे जोश मे आ चुका था और पीछे से जींन्स में कसे नितंबों की खाई में जोर आजमाइश कर रहा था। दोनों के दिलों की धड़कन अनजाने भय से बढ़ी हुई थी पर दोनों ही उत्तेजित अवस्था मे अपनी-अपनी प्यास बुझाने मे व्याकुल थे। अंधेरी सुनसान पगडण्डी पर कमसिन करीना के शरीर मे हलचल मची हुई थी और राजेश पर तो जैसे नई कली को चखने का भूत सवार था। अचानक एक आहट सुन कर दोनों छिटक कर अलग हो गये।)

राजेश: (झेंपते हुए) तुम अब ठीक हो। अपने पाँव पर चल सकती हो।

करीना: (शर्म से अधमरी हुई जा रही) हुं…

राजेश: तो फिर चलो, देर हो रही है। घर पर इंतज़ार हो रहा होगा।

(इतना कह कर दोनों चुपचाप करीना के घर की ओर चल पड़ते है। राजेश करीना को दरवाजे पर छोड़ कर कुछ बोले बिना वापिस अपने घर की ओर चल देता है। घर पर मुमु और टीना डाईनिंग टेबल पर बैठ कर इंतजार कर रहे है।)

मुमु: इतनी देर कैसे लग गयी।

राजेश: करीना रास्ते में गिर पड़ी थी, थोड़ीसी चोट लगने के कारण देर हो गयी। घबराने की बात नहीं है, सब ठीक है। घर पर छोड़ कर आ रहा हूँ। भूख लग रही है चल कर खाना लगाओ।

(मुमु रसोई में चली जाती है।)

टीना: पापा क्या ज्यादा चोट लग गयी।

राजेश: नहीं बेटा, मैने वक्त रहते उसे संभाल लिया था।

टीना: (आशवस्त हो कर) आज डौली आंटी नाप लेने आयी थी। आपकी एलन अंकल से कोई बात हुई?

राजेश: (मुख पर उँगली रख कर चुप रहने का ईशारा करता हुआ) हाँ मेरी बात हुई थी। रात को तुम्हारी मम्मी के सोने से बाद मै तुम्हारे कमरे आ कर बताऊँगा।

मुमु: खाना मेज पर लग गया है। तुम दोनों आ जाओ।

(सब मिल कर खाना खाते है। सारा परिवार टीवी के प्रोग्राम बैठ कर देखते है।)

मुमु: बहुत रात हो गयी, मुझे नींद आ रही है, बेटा टीवी बन्द करो और सोने जाओ। मै तो सोने जा रही हूँ।

(राजेश टीवी बन्द कर के अपने बेडरूम की ओर बढ़ता हुआ टीना को आँखों से इशारा करता है। टीना झट से उठ कर अपने कमरे में चली जाती है। मुमु भी रसोई का काम समेट कर बेडरूम की ओर रुख करती है। राजेश सोने का नाट्क करता है। मुमु भी नजदीक लेट जाती है। एक बार राजेश को हिलाती है पर कुछ प्रतिक्रिया न देख कर करवट ले कर सो जाती है। थोड़ी देर के बाद, राजेश लुगीं पहने दबे पाँव टीना के कमरे की ओर रुख करता है। टीना इंतजार मे जाग रही है।)

राजेश: बेटा तुम अब तक जाग रही हो।

टीना: आपने ही तो कहा था कि ट्रेनिंग के बारे मे रात को मेरे रूम मे आ कर बताएँगे।

राजेश: (टीना के साथ लेटते हुए) हाँ, आज मै एलन से मिला था। (टीना के गले में हाथ डाल कर राजेश अपने कंधे का सिरहाना देते हुए टीना के बदन को अपने से सटाते हुए) एलन का कहना है कि फिट्नेस सेन्टर पर बच्चों को ट्रेनिंग करना मना है। (टीना ठुनकती है और राजेश उसके केश में प्यार से उंगलियों फिराता है) एलन बता रहा था कि स्वीटी को भी फिट्नेस सेन्टर मे ट्रेनिंग करना मना है।

(राजेश प्यार से पुचकारता है और अपने बाँह में टीना को और कस के जकड़ लेता है। दोनों एक दूसरे के बदन के कटावों को महसूस कर रहे है। राजेश अपनी हथेली को टीना के अर्धनग्न नितंबो फिराता है।)

राजेश: लेकिन कभी ऐसा हुआ है कि जो मेरा बेटा कहे और मै न करूँ। मैने इस मुश्किल का हल भी निकाल लिया है।

(इस खुशी में टीना अपने पारदर्शी हाफ़ नाईट-गाउन में बिना ब्रा और झीनी सी पैन्टी पहने राजेश से और चिपट जाती है। टीना का यौवन नीले रंग के नाईट लैम्प और उभर कर राजेश के दिल पर बिजली गिरा रहा है। टीना की गोल-गोल सख्त उरोज और उन पर सिर उठाती गुलाबी गगनचुम्बियाँ राजेश के शरीर को घायल किये जा रही है।)

टीना: पापा ज्यादा सस्पेंस मत बढ़ाओ।

राजेश: मैने सोचा है कि जब तुम्हारी मम्मी फिट्नेस सेन्टर चली जाए, तुम घर पर ही ट्रेनिंग कर लिया करो। मैने एलन को पैसे दे कर राजी कर लिया है कि वह अपनी कुछ एक्स्र्साईज मुझे समझा देगा, शाम को वो सारी एक्स्र्साईज मै तुम्हें बता दूँगा और तुम कर लिया करना। तुम्हारी मम्मी भी खुश और तुम भी खुश्।

(अब तक राजेश के हाथ अपना जादू दिखाने में मस्त है। हल्के हाथ से पैन्टी को नितंबो की दरार मे सरकाते हुए और नग्न हिस्सों को धीरे-धीरे सहलाते हुए, राजेश के होंठ कुछ पल के लिये टीना के होंठों को अपने कब्जे में ले लेते है।)

टीना: (कसमसाती हुई)…पापा, घर पर पार्टनर कहाँ से लाऊँगी।

(शाम को करीना के साथ हुआ हादसा और अब अधखिली कली के शरीर की चुभन और खुशबू, राजेश की मचलती हुई भावनाओं को और भी ज्यादा भड़का दिया, लुगीं मे छुपे राक्षस ने लहरा कर सिर उठा दिया।)

राजेश: बेटा अगर ठीक समझो तो मुझ बूढ़े को अपना पार्टनर बना लेना। ट्रेनिंग मे तुम्हारा साथ दे कर मै भी थोड़ा शरीर से फिट हो जाउँगा।

टीना: (जरा हिचकिचाते हुए) क्या मै किसी और को अपना पार्टनर नहीं बना सकती? आप के साथ ट्रेनिंग करने मे मुझे शर्म आती है।

राजेश: (मायुसी के अंदाज मे) हाँ भई, जवान लोगों को बूढ़े नहीं पसन्द आते। ठीक है तुम्हारा सोचना।

टीना: ऐसी बात नहीं है। आप तो बहुत हैडंसम हो लेकिन मुझे लगता नहीं कि हम दोनों ट्रेनिंग ठीक से कर पाएगें क्योंकि हम दोनों के लिए यह पहला अवसर है।

राजेश: कोई बात नहीं, मै एलन को जा कर बता दूँगा कि हम उसका कोर्स नहीं कर सकेगें। लेकिन दिये हुए पैसे वह वापिस नहीं करेगा। मुझे सीधे दो लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा।

टीना: पापा मेरे लिए आपने इतना खरचा कर दिया। (अपने शरीर को राजेश के हाथों मे ढीला छोड़ देती है। हिलने से उसके अर्धविकसित उरोज राजेश की छाती पर घिसाव करते है जिस से उसकी छोटी-छोटी गुलाबी घुन्डियां सिर उठाने लगती है।)

क्रमशः

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Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--5

गतान्क से आगे..........

राजेश: मेरी गुड़िया सी बेटी ने एक चीज चाही, क्या मै पैसों की ओर देखता। मै तो अपनी बेटी से बहुत प्यार करता हूँ। हाँ, मेरी बेटी तो मुझे अपने काबिल नहीं समझती यह अलग बात है।

टीना: (प्यार से राजेश के पेट पर अपनी एक टांग रख देती है) ऐसी बात नहीं है। पापा, हम दोनों एक दूसरे के पार्टनर बनेगें।

राजेश: नहीं बेटा, कोई जरुरी तो नहीं। (टीना को अपने उपर खींचकर लिटा लेता है। टीना के चेहरे को अपने हाथों मे ले कर) तुम अभी हामी भर रही हो, लेकिन ट्रेनिंग के बीचोंबीच छोड़ने पर मुझे काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। (लुगीं में राजेश का तन्नाया हुआ लिंग टीना की जांघों के बीचोंबीच आ टिकता है। टीना को फिर से एक बार किसी कठोर चीज का एहसास होता है। वह कसमसाती है और हिलने से उसकी अर्धविकसित छोटी-छोटी घुन्डियां रगड़ खा कर खड़ी हो जाती है।)

टीना: न……हीं पा…पा (उत्तेजना से काँपते हुए) मुझे आपके साथ ट्रेनिंग करनी है।

राजेश: (खुशी से टीना को अपनी बाँहों में भर कर अपनी बालिष्ट छाती से टीना के स्तनों को पीस देता है) ठीक है। कल मैं तुम्हारा नाप लेने डौली को भेज दूंगा जिससे तुम्हारा कोस्ट्यूम टाईम से तैयार हो जाए और हम एक्स्र्साईज भी शुरू कर दें। अच्छा इसी बात पर क्या मेरी बेटी मुझे प्यार से एक चुम्बन देगी?

टीना: हुँ… अब से जब भी आप चाहें, मुझे बता दें। (टीना झुक कर राजेश के होंठों पर अपने होठ रख कर चूमने और चूसने का दौर शुरु कर देती है। राजेश के दोनों हाथ टीना के नग्न नितंबों को गूँथना आरंभ कर देते है। टीना की आँखों में एक बार फिर से लाल-लाल डोरे तैरने लगते है। इसी कश्मकश में मासूम टीना अपनी आँखे मूंद लेती है। छातियों की गुलाबी घुन्डियों बार-बार रगड़ खाने से लाल हो जाती है। नीचे योनिद्वार में एक मीठी सी अकड़न होने लगती है और सारे शरीर में करन्ट प्रावाहित होना शुरु कर देता है। नीचे लिंगदेव टीना को अपनी पूरी कठोरता का एहसास कराते हुए योनिद्वार पर बार-बार ठोकर मारना शुरु कर देते है।)

राजेश: बेटा मुझे लगता है तुम्हारे प्यार की वजह से मेरे शरीर मे टाक्सिन बनने शुरु हो गये है। क्या तुमको भी ऐसा ही मह्सूस हो रहा है?

टीना: (अपने जुबान राजेश के होठों पर फिराते हुए) हुँ…हुँ…

(टीना के होठों को चूसते हुए राजेश एक झटके से करवट लेता हुआ पोजीशन बदलता है और टीना को अपने नीचे दबा लेता है। हल्के-2 हाथ से नग्न नितंबो को सहलाते हुए, कुछ दबाते हुए और अपने हथियार को बेटोक योनिच्छेद पर घिसते हुए राजेश पूरी हरकत मे आ गया है। अपनी भुजाओं मे कस कर, राजेश धीरे से बेबस टीना का बायां पाँव उपर उठा कर अपने लिंग को ढकेलता है। एक हल्की सिसकारी के साथ टीना कस के राजेश को चिपट जाती है।)

टीना: पा .उई....प.आ...पा.…उ.उ.उ...आह.....

राजेश: बेटा…(बात करते हुए, राजेश अपने तन्नाए हुए लिंग को भीषणता से ठेलता है। राजेश बार-बार टीना के गालों को चूमता, नीचे से अपने लिंग को धीरे से ठेलता हुआ अपनी चरम सीमा की ओर बढ़ता है। बार-बार नितम्बों पर दबाव, लगातार घर्षण और ठोकर से टीना की योनिद्वार के मुख से गर्म लावा बह निकलता है, टीना बदहवासी मे राजेश से कस कर लिपट जाती है। राजेश के तन्नाये लिंगदेव भी गुस्से से लावा उगलना शुरु कर दिया।)…बेटा…मेरे शरीर में से सारा टाक्सिन बाहर निकल गया।

टीना: (उत्साहित स्वर में) पापा, मेरा भी निकल गया।

(कुछ देर दोनों एक दुसरे के साथ लिपटे हुए अपनी-अपनी साँसों को काबु में लाते है। राजेश एक बार फिर से टीना के होठों को चूमता है। धीरे से अपने को टीना से अलग करता है। टीना के गालों पर हाथ फेरता है।)

राजेश: अब से हम ट्रेनिंग पार्टनर हैं।

टीना: (शर्माते हुए) हाँ। परन्तु परसों से।

राजेश: बेटा, मै अब जाता हूँ, बहुत रात हो गयी है तुम अब सो जाओ।

(यह कहते हुए राजेश अपनी अस्त-व्यस्त लुंगी को सम्हालता हुआ कमरे से बाहर चला जाता है। परन्तु टीना की आँखो मे नींद कहाँ, वह तो बार-बार उस रहस्यमयी कठोर चीज के बारे सोच रही है। इसी उधेड़बुन में निढाल सी पड़ी हुई टीना को अपनी पैन्टी के अन्दर कुछ गीलेपन का एहसास होता है। लेटे-लेटे ही वह अपनी पैन्टी को उतारती है और गीली जगह को सूंघ कर और छू कर देखती है। एक बार फिर से वही चिपचिपेपन को महसूस करती है। टीना उठ कर अपने बाथरूम मे जाकर फुल साइज आइने के सामने खड़ी हो कर अपने निचले हिस्से पर नजर डालती है। दो संतरे की जुड़ी हुई फाँके समान सफाचट गोरी योनि, हल्के भूरे रोएँ और योनिमुख के पास काला तिल देख कर रोमांचित हो उठती है। दो फाँकों के जोड़ पर धीरे से उँगली फिराती हुई उन्हें खोलने का प्रयत्न करती है। कुछ सोच कर वापिस बेड पर आकर लेट जाती है और पिछ्ले दो दिनों के अनुभव के बारे मे सोचते हुए और अगले दिन ट्रेनिंग कोस्ट्यूम की आस में सो जाती है।)

सीन-9

(शाम का समय, मुमु और टीना ड्राइंगरूम में बैठीं हुई हैं। डौली के न आने की वजह से टीना का मूड खराब है। घंटी बजती है, मुमु उठ कर दरवाजा खोलती है। करीना का आगमन्।)

मुमु: करीना, पाँव कैसा है?

करीना: हाय आंटी, अब ठीक है। हाय टीना…

टीना: (बुझे मन से) हाय करीना।

करीना: क्या बात है, आज नहीं चहक रही है। क्या मूड खराब है?

(पोर्च में कार रुकने की आवाज आती है। मुमु दरवाजे की ओर बढ़ती है)

मुमु: टीना लगता है कि तेरे पापा आ गये।

टीना: मुझे क्या। मै उनसे नाराज हूँ। मै उनसे बात नहीं करुंगी। चल करीना मेरे कमरे मे चलते है। (यह कहते हुए खड़ी हो कर करीना का हाथ थाम कर अपने कमरे मे करीना को ले जाती है।)

(राजेश और डौली का आगमन)

मुमु: हाय डौली। यह डौली तुम्हें कहाँ मिल गयी।

डौली: क्या यार, मैनें राजेश को फोन किया था कि घर जाते हुए मुझे फिट्नेस सेन्टर से लेता हुआ जाए क्योंकि तुम्हारा एक ट्रेनिंग कोस्ट्यूम तैयार हो गया था तो मैनें सोचा कि ट्राई करवा लूँगी तो बाकी पीसिज के लिये अच्छा रहेगा। इसी लिए तुम्हारी सेवा मे हाजिर। चलो जल्दी से ट्राई कर लो क्योंकि मुझे अभी वापिस जाना है।

मुमु: तुम्हारी लाडली नाराज बैठी है। बहुत गुस्से मे है।

(कोस्ट्यूम ले कर बाथरूम की ओर जाती है)

राजेश: (आँख मारते हुए) डौली, प्लीज तुम टीना के पास जाओ और कुछ मेरी सिफारिश कर दो। वैसे ही माँ और बेटी ने मेरी हालत पतली कर रखी है।

(डौली उठ कर टीना के कमरे मे चली जाती है। कुछ देर के बाद मुमु अपने कोस्ट्यूम पहन कर आती है। राजेश के मुख से सीटी निकल जाती है। गुलाबी रंग की स्पैनडक्स की टाईट वेस्ट जो सिर्फ मुमु के भारी वक्षों को बामुश्किल ढक पा रहे थे, सिर्फ जांघों तक की काली स्किन टाईट स्पैनडक्स पैन्ट, जो नीचे के सभी कटावों पर चिपक जाने से, आगे-पीछे के खास कटाव और भी ज्यादा उभर कर साफ तौर पर झलक रहे थे।)

मुमु: डौली कहाँ है? क्या मैं यह पहन कर ट्रेनिंग करुँगी?

राजेश: क्यों इसमे क्या खराबी है, बहुत सैक्सी लग रही हो। मुझे तो डर है कि कोई तुम्हें भगा के न ले जाए। मैने डौली को टीना को मनाने उपर भेजा है।

(थोड़ी देर बाद डौली टीना और करीना को ले कर नीचे आ गयी। टीना खुश हो कर राजेश के गले से लग जाती है। करीना के उपर नजर पड़ते ही राजेश झेंप जाता है। इधर करीना भी राजेश से नजर चुराती है। मुमु को कोस्ट्यूम मे देख कर टीना और करीना एक साथ हँस पड़ती है। दोनों को हँसता देख कर मुमु भी शर्माती हुई डौली की ओर शिकायती नजरों से देखती है।)

डौली: ऐसे क्यों देख रही हो। तुम तो बहुत सुन्दर लग रही हो। क्यों लड़कियों क्या ख्याल है?

टीना: मम्मी तुम बहुत सैक्सी लग रही हो।

मुमु: तेरे पापा भी यही कह रहें है।

करीना: नहीं आंटी, सच में आप बहुत अच्छी लग रहीं है।

डौली: लाजवाब फिटिंग है। मै अब चलती हूँ, राजेश तुम मुझे अपनी कार से वापिस सेन्टर पर छोड़ दो।

राजेश: यार, इतनी जल्दी किस बात की कर रही हो। कुछ देर ठहरो, चाय और नाश्ता कर के चलते हैं।

डौली: नहीं, मुझे जल्दी है। आज एलन भी सेन्टर पर नही है। मुझे निकलना चाहिए।

राजेश: चलो, फिर तुम्हें छोड़ कर मै कपड़े बदलूँगा।

(राजेश और डौली घर के बाहर निकल जाते है। मुमु भी अपने कपड़े बदलने बाथरूम मे चली जाती है। दोनों सहेलियाँ खुसर-पुसर मे लग जाती है और चलते हुए टीना के कमरे की ओर बढ़ जाती है। एक घंटे के बाद, राजेश का आगमन। राजेश सीधा अपने बेडरूम मे कपड़े बदलने चला जाता है और मुमु रसोई मे चाय बनाने चली जाती है। राजेश बनियान और रेशमी लुंगी मे सोफे पर आ कर बैठ जाता है और धीरे से चाय की चुस्की लेता है। मुमु भी राजेश के नजदीक आ कर बैठ जाती है)

मुमु: सच कहना, क्या मै कोस्ट्यूम मे बहुत बुरी दिख रही थी?

राजेश: पागल हो तुम। सच, तुम तो कोस्ट्यूम मे बहुत खूबसूरत दिख रहीं थी। सच मानो तुम लीना की बड़ी बहन लग रही थी।

मुमु: चलो झूठे। लेकिन कल से तुम्हें घर जल्दी आना पड़ेगा क्योंकि ट्रेफिक का ख्याल रखते हुए मुझे पाँच बजे निकलना चाहिए।

राजेश: तुम आराम से जाओ। यहाँ की फिकर करनी छोड़ दो। मै कल से ठीक टाईम से आ जाउँगा।

(मुमु खाने की तैयारी करने रसोई में चली जाती है। अंधेरा गहराता हुआ, करीना और टीना बात करते हुए सीड़ीयों से नीचे उतर कर दरवाजे की ओर बड़ते है।)

राजेश: भई, रात में यह जोड़ी कहाँ चल दी?

टीना: पापा, मै करीना को घर छोड़ने जा रही हूँ।

राजेश: (मुस्कुराते हुए) क्या बात है करीना, न कोई हैलो-हाय, बस चुपचाप आयीं और चल दी।

करीना: (नजरें चुराती और झेंपती हुई) ऐसी कोई बात नहीं अंकल्। (दोनों की नजरें मिलती है, एक बार फिर से करीना नजरें नीचे कर लेती है।)

राजेश: तुम्हारे पापा टूर से वापिस आ गये?

करीना: (नीची नजरें किये) अभी नहीं। वह तो अगले हफ्ते वापिस आएगें।

टीना: क्या हम जाएं अब?

राजेश: क्यों तुम्हारी सहेली को मेरा बात करना अच्छा नहीं लगता? (यह सुन कर करीना शर्माती है) खाने का टाईम हो रहा है, आज करीना तुम हमारे साथ खाना खा कर जाना।

टीना: हाँ करीना। तू हमारे साथ खाना खा कर जाना। मै मम्मी से कह देती हूँ कि वह तेरी मम्मी को फोन पर बता दें।

करीना: नहीं, पापा भी नहीं है और घर पर सब इंतजार करेंगे। रात भी हो गयी है मैं चलती हूँ।

(फोन की घंटी बजती है। राजेश टीना की ओर इशारा करता है। टीना फोन पर बात करती है तो पता चलता है कि लीना का फोन है। दोनों बहनें लम्बी बातें शुरु कर देती है। करीना सकुचाई सी घर जाने के लिये दरवाजे पर निगाहें झुकाए खड़ी है।)

राजेश: मुमु लीना का फोन है। (मुमु भाग कर आती है और टीना के हाथ से फोन ले लेती है।)

टीना: मम्मी मुझे दीदी से जरूरी बात करनी है, फोन बन्द मत करना। (मुमु के साथ खड़ी हो जाती है। टीना की नजर करीना पर पड़ती है)

टीना: पापा प्लीज आप करीना को घर तक छोड़ दो क्योंकि मुझे दीदी से बात करनी है।

करीना: नहीं ठीक है। अभी इतनी रात नहीं हुई है। मै चली जाउँगी।

राजेश: क्यों भई, प्रामिस आज मै तुम्हें नहीं गिरने दूँगा। ठहरो, मै शर्ट पहन कर आता हूँ।

(इस से पहले करीना न नुकर करे, राजेश शर्ट पहनने अपने कमरे मे चला जाता है। करीना बेबसी की हालत में खुले दरवाजे के सामने खड़ी रह जाती है। कुछ पलों मे राजेश शर्ट के बटन लगाते हुए करीना की तरफ आता है। नजरें मिलते ही राजेश मुस्कुरा देता है। करीना एक बार फिर से झेंप जाती है।)

राजेश: आओ चले।

(करीना का हाथ थाम कर बाहर निकल आता है।)

सीन-10

(रात का समय, अंधेरा गहराता हुआ। सड़क पर गाड़ियों की आवाजाही भी कम होती हुई। दूर-दूर बसे हुए घरों से आती हुई रोशनी भी बाहर का अंधियारा मिटाने मे नाकामयाब होती लग रही है। राजेश प्यार से करीना को निहारता है। चांदनी रात में फूल और पत्तियों के डिजाइन कि घुटने तक की फ्राक पहने करीना गजब की लग रही थी। राजेश सिर्फ शर्ट और लुगीं पहने करीना के उमड़ते हुए यौवन के हर कटाव को आँखों से पीने की कोशिश में लगा हुआ था। चलते हुए राजेश हल्के से करीना कि बाँह थाम लेता है।)

राजेश: क्या बात है करीना आज बहुत चुप हो। तुम ठीक तो हो?

करीना: अंकल ठीक हूँ। बस…ऐसे ही आप को लग रहा है।

राजेश: (पैंतरा बदलते हुए) तो तुम मुझे आज इतनी सुन्दर क्यों लग रही हो?

(राजेश उसका हाथ छोड़ कर अपना हाथ करीना के कंधे पर रख देता है और अपनी ओर खींच कर सटा लेता है।)

राजेश: करीना तुम्हारी फ्राक बहुत सुन्दर है। (अपना हाथ करीना के कंधे से सरकाता हुआ कमर तक ले जाता है जैसे कि कपड़े की सलवटें हटा रहा हो। करीना के सारे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। असमंजस में अलग होने की कोशिश करती है परन्तु राजेश कमर को कस कर थाम लेता है।)

करीना: अंकल कोई देख लेगा…

राजेश: क्या देख लेगा? यही कि मैं तुम्हें बड़े संभाल के ले जा रहा हूँ। यह सब छोड़ो, मुझे सच सच बताओ कि कल तुम्हें आराम से नींद आ गयी थी।

करीना: आप ऐसे क्यों पूछ रहे हो…

राजेश: रात भर मै नहीं सो सका, इसीलिए।

करीना: क्यों…

राजेश: मुझे डर था कि कहीं मेरे हाथ की चोट की वजह से तुम्हारे सीने में कैंसर न हो जाए। अगर ऐसा हुआ तो मै जीते जी मर जाउँगा।

करीना: नहीं, मुझे कुछ नहीं हुआ।

राजेश: तुम्हें क्या पता इन सब चीजों का, तुम तो अभी बच्ची हो। हाँ, तुम अगर चाहो तो मेरी परेशानी दूर कर सकती हो।

करीना: कैसे…

राजेश: (बड़े भोलेपन से) एक बार मै देख लूँ कि सब ठीक है तो मुझे विश्वास हो जाएगा।

करीना: नहीं अंकल, किसी ने देख लिया तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी। नहीं, बिलकुल नहीं।

राजेश: (अपना हाथ कमर से सरकाते हुए पीठ पर ला कर) पाँच कदम पर वही पगडंडी आ जाएगी, अगर तुम कहो तो दो मिनट के लिए नीचे उतर कर झुरमुटों के पीछे चल कर मुझे दिखा दो तो मेरी टेन्शन कम हो जाएगी। प्लीज करीना।

करीना: नहीं अंकल, किसी को पता चल गया तो आफत आ जाएगी।

राजेश: कौन बताएगा, तुम या मैं, हम दोनों तो बताने से रहे तो फिर कौन।

(करीना के घर की ओर जाने वाली पगडंडी पर पहुँच कर करीना की पीठ पर हल्का सा जोर लगाते हुए नीचे की ओर झुरमुटों के पीछे ले जाता है।)

राजेश: प्लीज करीना, मेरी चिन्ता को दूर करो। (बात करते हुए फ्राक के पीछे लगे हुए हुक धीरे से खोल देता है।)

करीना: (डरते-डरते) अंकल प्लीज जल्दी किजीए।

(राजेश पीछे से खुले हुए स्थान मे हाथ सरकाते हुए आगे बढ़ा कर ब्रा के उपर अपनी हथेली बायें उरोज पर टिका देता है। करीना चिहुँक उठती है। राजेश पीछे से आकर दायाँ उरोज भी अपनी हथेली मे ले लेता है। करीना के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। ब्रा के उपर से ही राजेश सहलाने, दबाने और मसलने का कार्य आरंभ कर देता है। इधर उत्तेजना में करीना की साँसे तेज होने लगी और उधर राजेश का मतवाला हथियार पूरे जोश में आ कर नितंबो पर दबाव बढ़ाने लगा है। धीरे से राजेश एक हाथ से ब्रा का हुक खोल देता है। इससे पहले नादान करीना को इसका आभास हो, राजेश की हथेलियाँ करीना के नग्न, सुडौल और उन्नत उरोजों को अपने कब्जे मे ले लेती है। अब बिना रुके राजेश सहलाने और दबाने के कार्य में लीन हो गया है। कभी अपनी उँगली को सुप्तअवस्था मे पड़ी चोटियों पर फिराता और कभी बीच-बीच में खड़ी हुई घुन्डियों को दो उँगलियों मे फँसा कर तरेड़ता। लुंगी से ढके अपने तन्नाये हुए लिंग को नितंबो कि दरार मे फसाने की कोशिश करता हुआ राजेश करीना के कानों पर चुम्बनों की झड़ी लगा देता है।)

राजेश: करीना

करीना: हुं…

राजेश: मुझे आगे से देखना है क्योकि मुझे तुम्हारे सीने मे कोई सूजन तो नहीं महसूस हो रही है। (इससे पहले करीना कुछ बोले राजेश घुमा कर अपने सामने कर लेता है। शर्म और उत्तेजना से लाल हुई करीना अपनी नजरें झुका देती है। राजेश धीरे से उपर से खुली हुई फ्राक को नीचे सरका कर दोनों उन्नत पहाड़ियों को अनावरित कर देता है। कभी चोटियों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे घुन्डियों को फँसा कर खींचता, कभी पहाड़ियों को अपनी हथेलियों मे छुपा लेता और कभी उन्हें जोर से मसक देता। यह कार्यक्रम कुछ देर चलने के बाद, राजेश ने अपने दोनों हाथों मे करीना का चेहरा लेकर अपनी ओर किया। आँखे मुदें हुए करीना का चेहरा उत्तेजना से लाल और दोनों होंठ ह्ल्के से खुले हुए देख कर राजेश अपने आप को रोक नहीं सका और तड़ से उन थिरकते होठों को अपने होठों के कब्जे में ले लिया। नादान करीना ने भी एक अनजान सफर पर चलने के लिये अपने आप को राजेश की बाँहों मे ढीला छोड़ दिया। वासना की आग मे झुलसते दोनों धम्म से जमीन पर बैठ जाते जैसे की पैरों की जान ही निकल गयी हो।)

राजेश: करीना

करीना: हुं…

राजेश: (करीना को अपनी गोद में खींचते हुए) करीना कैसा लग रहा है… तुम्हारी सुन्दरता को देख कर (नीचे की ओर झुक कर बायें वक्ष पर चुम्बन जड़ देता है) मै अपने को काबू में नहीं रख सका (और फिर पूरा बाँया वक्ष अपने मुँह में समाने के लिये कोशिश करता हुआ, जुबान से फूले हुए निपल को छेड़ता है)।

करीना: .उई....अ.आ...क.…उ.उ.उ.ल..न्…हई…आह.....

(राजेश का एक हाथ दाएँ वक्ष के मर्दन में लग जाता है और दूसरा हाथ फ्राक के नीचे खिसक कर पैन्टी के उपर से ही योनिमुख को टटोलता है।)

करीना: (इस दो तरफा वार से छ्टपटती हुई) .उई....अ.आ...क.…उ.उ.उ.ल..न्…हई…क्या कर आह.हो....(करीना अपने दोनों हाथों से राजेश का हाथ पकड़ने की कोशिश करती है, पर राजेश की उँगलियों पैन्टी को एक तरफ सरका कर जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को अलग करने मे जुट जाती है। राजेश की उंगली योनिच्छेद में जगह बनाती अकड़ी हुई घुन्डी पर जा टिकती है।)

करीना: .उई...माँ….अँ.क.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....

(अचानक कुछ आह्ट सुनाई देती है, दोनों चुपचाप पड़ जाते है। दो लोग आपस में बात करते हुए पगडंडी पर चले आ रहे है। राजेश करीना को चुप रहने का इशारा करता है, परन्तु अपनी उंगली से घुन्डी का घिसाव जारी रखता है। बेबस हुई करीना इस नये वार से हतप्रभ रह जाती है। राजेश अपने होठों से करीना के होंठों को सीलबन्द कर देता है, अपने एक हाथ से कभी चोटियों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे निपल को फँसा कर खींचता, कभी एक पहाड़ी को अपनी हथेली मे छुपा लेता और कभी दूसरी को जोर से मसक देता। ऐसे तीन तरफा वार को करीना बरदाश्त नहीं कर पायी और असीम आनंद की सिसकियाँ गले में घुट कर रह गयी और झटके लेते हुए ढेर होई। अब तक जाने वाले भी चले गये थे और पगडण्डी पर भी शान्ति छा गयी।)

राजेश: (करीना के निचले होंठ को चूसते और धीरे से काटते हुए) करीना…करीना…

करीना: (शर्म से अधमरी हुई जा रही) हुं…

राजेश: क्या हुआ…कैसा लग रहा है?

करीना: हुं…ठीक हूँ…

राजेश: बताओ तो, कैसा लगा… आज तुमने जवानी की देहलीज पर पहला कदम रख लिया है। कैसा लगा…

करीना: अंकल यह गलत है। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था।

राजेश: मै तुम्हारी सुन्दरता पर मर मिटा हूँ (इतना कह कर एक बार फिर से नीचे की ओर झुक कर बायें वक्ष पर चुम्बन जड़ देता है) तुम इतनी सुन्दर हो कि मै अपने को काबू में नहीं रख सका (और एक बार फिर से कभी जुबान से फूले हुए निपल को छेड़ता और कभी पूरी पहाड़ी को निगलने की कोशिश करता है)।

करीना: (राजेश को ढकेलती हुई) .उई....अ.आ...क.…उ.उ.उ.ल..न्…हई…आह.....

(एक बार फिर से राजेश का हाथ फ्राक के नीचे खिसक कर योनिमुख को टटोलते हुए पैन्टी के गीलेपन को महसूस करता है।)

करीना:.उई....अ.आ...क.…उ.उ.उ.ल..न्…हई…क्या कर आह.हो....(करीना अपने दोनों हाथों से राजेश का हाथ पकड़ने की कोशिश करती है, पर राजेश अपनी उँगलियों दोनों ओर से पैन्टी की इलास्टिक मे फसाँ कर नीचे की ओर घुटनों तक सरका देता है। हल्की रोशनी में राजेश के सामने सफाचट और फूले हुए पाव की भाँति जुड़ी हुई संतरे की फाँकें विद्दमान होती है। इस नजारे को देख कर राजेश की उत्तेजना चरम-सीमा पर पहुँच जाती है।)

राजेश: करीना…जरा उठो, जमीन पर बैठने से फ्राक गन्दी हो जाएगी। ठहरो मै अपनी लुगीं बिछा देता हूँ।

करीना: अंकल्…न (राजेश हाथ पकड़ कर करीना को उठा देता है।)

राजेश: (लुगीं उतारते हुए) करीना अपनी आँखे बन्द कर लो, क्योंकि आज मै तुम्हें जवानी के दूसरे कदम का भी आभास करा देता हूँ। (लुगीं को उतार कर जमीन पर बिछा देता है और करीना की तरफ बड़ता है।)

(करीना चुपचाप कनखियों से राजेश की ओर देखती है तो उसकी निगाहें लिंगदेव पर पड़ती है। गोरे रंग का सर उठाए लम्बा, परन्तु बहुत मोटा, हर चाल पर पेट से टकरा कर सलामी देता हुआ। कौतुहलवश चुपचाप जड़वत खड़ी रह जाती है। राजेश उसे गोदी मे भरकर जमीन पर लिटा देता है। बदहवासी में करीना खुद को अलग करने मे जुट जाती है। राजेश (69) पोजीशन मे आ कर अपने शरीर से करीना का बदन ढक देता है। बड़े प्यार से जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपनी जुबान टिका देता है।)

करीना: .उई...माँ….अँ.क.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....

(राजेश अपनी जुबान से घुन्डी के उपर घिसाव आरंभ करता है। बेबस हुई करीना इस नये वार से हतप्रभ रह जाती है। राजेश अपने होठों से करीना की योनि को अपने कब्जे में ले कर बार-बार अपनी जुबान को योनिच्छेद के अन्दर डालने का प्रयास करता है। उधर उत्तेजना में तड़पती करीना के चेहरे और होंठों पर तन्नाये हुए लिंगदेव भँवरें की भाँति बार-बार चोट मार रहा है। बेचारी करीना अपना चेहरा बचाने की कोशिश में राजेश के लिंग को अपने हाथ में ले लेती है। नरम हाथ का स्पर्श पा कर लिंगदेव एक जिवित गर्म लोहे की सलाख में तब्दील हो जाते है।)

करीना: उ.उई...अँ.उ…उक.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....

(राजेश की जुबान योनि की गहराई और लम्बाई नापने की कोशिश मे वार पर वार कर रही थी और करीना के हाथ में कैद लिंगदेव ने भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह उघाड़ दिया है। क्षण भर रुक कर, राजेश करीना के दोनों हाथों को पकड़ कर फिर से अपने कार्य में लग गया है। अब की बार दो तरफा वार शुरु करता है। एक तरफ जुबान का वार योनिच्छेद पर, दूसरी ओर लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सिर करीना के होंठों को खोलने पर आमादा हो रहा है। ऐसे दो तरफा वार को करीना बरदाश्त नहीं कर पायी और असीम आनंद में झटके खाते हुए अपने होंठ खोल दिये। राजेश तो बस इसी क्षण की आस में बैठा था, जैसे ही होंठों के बीच थोड़ी सी जगह बनी हल्का सा जोर लगाते हुए लिंगदेव के सिर से करीना के मुख को सीलबन्द कर दिया।)

करीना: .गग…गगगू...म…गूग.गअँ.न्ई…आह.....

(साँस घुटती हुई लगी तो करीना को मुख पूरा खोलना पड़ गया, राजेश ने वक्त की नजाकत को समझते हुए थोड़ा और अन्दर सरका दिया। बेबस करीना पुरी ताकत से राजेश को उपर से हटाने की कोशिश करती, राजेश थोड़ा उपर खिसकता पर लिंग पर दबाव बढ़ा कर उसे और अन्दर खिसका देता। कुछ मिनट यह मुख के अन्दर-बाहर का दौर चलता रहा और लगातार लिंग के नंगे सिर पर करीना के होंठों के घर्षण से झट्के के साथ उबलता हुआ लावा करीना के मुख मे बेरोकटोक बहने लगा। बेचारी करीना छटपटाती रह गयी पर निर्दयी राजेश ने अपने लिंगदेव को उसके मुँख से बाहर नहीं निकलने दिया जब तक कि वह सारा लावा गटक नही गयी। तूफान आ कर थम गया। दोनों अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसो को काबू करने मे लगे थे। राजेश ने आगे बढ़ कर करीना को अपने आगोश में ले कर जमीन पर लेट गया। अंधेरा और गहराता हुआ।)

क्रमशः

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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