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जीवन संगिनी

लेखिका : सीमा

सब दोस्तों को प्यार भरी नमस्ते, इस नाचीज़ सीमा की खूबसूरत हर अदा से प्रणाम !

मैं पच्चीस साल की एक हसीन शादीशुदा लड़की हूँ, शादी को एक साल ही हुआ है अभी बच्चा नहीं हुआ है, पांच फुट पांच इंच लम्बी हूँ घनी लंबी जुल्फें, कमर पतली सी है, चूचे उभरे हुए, उन्हें देख बुड्डे का भी पानी निकल जाए !

लेकिन साला मेरी पति निकम्मा, किसी काम का नहीं है। हमारी लव मैरिज है, शादी से पहले मैं पूरे मजे करती थी, बारहवीं में थी, तभी मैंने चुदवा लिया था।

कॉलेज का सालाना फंक्शन था, मेरी उसमें दो दो आइटम थी, एक कत्थक और एक पंजाबी फोक सोंग पर डांस करना ! उसमें मेरे पति देव शुक्ला मुख्य अतिथि थे, वो एक नामी बिज़नेसमैन थे और जिला मार्कटिंग कमेटी के चीफ थे, बहुत पैसे वाला और अमीर बन्दा था।

पहली आइटम में नाचते नाचते मैंने अपने मम्मे खूब हिलाए, आइटम के बाद शुक्ला जी ने उठकर मुझे शाबाश देते मेरी पीठ सहला दी- बहुत प्यारी दिखती हो !

उसके बाद कत्थक में भी अच्छा परफोर्मेंस दिया। मुझे मेरी सहेलियों ने बताया कि नृत्य के बीच तेरे मम्मे बहुत उछल रहे थे।

तभी एक बंदा स्टेज के पीछे मेरे करीब आया और बोला- आप जरा मेरी बात सुनोगी?

मैंने थोड़ा आगे बढकर अलग होकर उसकी बात सुनी। उसने मुझे शुक्ला जी का कार्ड थमाया और कहा- सर आपसे बात करना चाहते हैं। शाम को मैंने उसको कॉल की।

उसने कहा- मैं आपको पसंद करने लगा हूँ, आप मेरी बनोगी?

"यह आप क्या कह रहे हैं?"

"सही कह रहा हूँ ! तुमसे ही पूछ रहा हूँ- मेरी बनोगी?"

मैंने सोचा कि इतना पैसा है इसके पास ! कहाँ मैं एक सामान्य से परिवार की जहाँ ख्वाहिशें पूरी होनी तो दूर सोच भी नहीं सकती।

उसने कहा- नंबर तेरा पर्सनल है?

मैंने कहा- हमारे पूरे घर में एक मोबाइल है, सभी इसे ही प्रयोग करते हैं।

"कल मुझे मिलने आओगी मेरे घर में? कार्ड पर सब लिखा है।"

"ठीक है !"

सोचा कि अगर सभी फ़ालतू खाली हाथ वाले लड़कों से एफेयर चला कर चुद चुकी हूँ, यह तो माल वाला है ! बैग में सेक्सी टॉप स्किन टाईट जींस रखी पर्स वाली माँ की किट निकाल रख ली, बस स्टैंड जाकर मैंने कपड़े बदले, पटाका बन कर उसके घर पहुँची। रास्ते में जब ऑटो से निकल कर चल रही थी, सभी मेरे हिलते और आधे बाहर निकले चूचों को ताक कर अपने लंड गर्म कर रहे थे।

उसका घर क्या, महल था, उसमें रहने वाला वो अकेला ! उसका भाई अमेरिका में था, माँ बाप कभी वहाँ कभी यहाँ आते जाते रहते थे। नौकर मुझे अंदर लेकर गए !

मानो किसी ज़न्नत में आ गई हूँ मैं !

वो आकर मेरे बिलकुल साथ बैठ गया !

"कैसी हो? बहुत हसीन लग रही हो ! बम्ब हो ! कल कमाल किया तुमने ! फोक डांस पर तुमने सबके खड़े करवा दिए होंगे !"

मैं मुस्कुरा कर रह गई- आपको क्या हो गया है?

"मुझे तुझसे इश्क हो गया है, प्यार हो गया है !"

उसने मेरी जांघ सहलाते हुए एक बाजू कमर से डाली और अपनी तरफ सरकाते हुए मेरे होंठों का रस पीने लगा।

मैंने उसका भरपूर साथ दिया। मेरी बारीक गुलाबी होंठ हैं ही ऐसे, उसने मुझे सोफे पर लिटा मेरा टॉप उठा मेरी ब्रा साइड कर मेरा दूध पीने लगा !

मैं बेकाबू हो रही थी- जानू छोड़ो ! अजीब सा हो रहा है, यह सब क्यूँ करने लगे? तुम तो मुझे चाहते हो या मेरे जिस्म को? मैंने इक्का फेंका।

"यह सब तो लाइफ में होता ही जाएगा आगे चलकर ! चल रूम में तुझे गिफ्ट देना है !" उसने मुझे फिर से बाँहों में भर लिया, कमरे में लेजा कर बैड पर लिटा मुझ पर सवार होने लगा।

मैंने उसको धकेल दिया ! चुदना तो चाहती थी लेकिन मुझे उसका दिल पूरी तरह जीतना था ! चुद तो मैं किसी और आशिक से भी सकती थी।

वो बोला- तुम मुझे प्यार करती हो? पसंद हूँ मैं? मेरी बनोगी?

मैंने आँखें झुका कर शर्माने का ऐसा नाटक किया कि सच्ची में खुद पर ही शर्म आ गई।

उसने मेरा चेहरा ऊपर करके होंठों पर चुम्मा जड़ा- बोलो?

"हाँ ! आप जैसे खूबसूरत मर्द की जीवन संगिनी बनने में मुझे भला क्या कोई इतराज़ होगा?"

"तो किस दिन शादी करना चाहती हो?"

"इतनी जल्दी? मैंने अपने परिवार वालों से अभी तक शादी के बारे कोई बात तक नहीं की, न उन्होंने कभी की है।"

"तुझे करनी पड़ेगी ! और यह तेरे लिए गिफ्ट ! जरा खोल कर देखो !"

जैसे मैंने खोला, मुझे मोबाइल लगा, सैमसंग ग्रैंड था, बहुत महंगा सैट था जो मैं शायद पूरी लाइफ में ना खरीद पाती ! उसमें सिम एक्टिवेटिड था।

"थैंक्स !"

"मेरी जान, आई लव यू !"

मेरी मॉम भी बहुत ज़बरदस्त चीज़ है, मैंने खुद को कहा- चलो आज देखती हूँ कि वो क्या कहती है।

मैंने घर जाकर माँ को मोबाइल दिखाया और पूरी बात बताई कि उसका घर नहीं महल है, बहुत पैसा है, उम्र से बड़ा है लेकिन अमीरी में मर कर भी दुबारा जन्म ले लूँ तो इतना अमीर नहीं मिलेगा।

"तुझे उम्र का क्या करना है ! अभी तुम हाँ कर दे !"

"मैंने तो पहले ही हाँ कर दी है, आप उसे कॉल करो !"

"मैं रात को तेरे पापा को बताऊँगी फ्री माइंड से मक्खन लगा कर !"

सबसे बात हो गई, दिन तय हो गया, उसने मेरे अकाउंट में दो लाख ट्रान्सफर किये शॉपिंग के लिए !

मेरे आशिक मुझसे पार्टी मांग रहे थे।

उस रात मॉम डैड गाँव दादा जी को लेने गए थे, घर में दादी में थी, दादी को कम दीखता है, मैंने अपने पुराने यारों के लिए कमरे में दारु मुर्गे का पूरा इंतजाम किया था, सब रेडीमेड था !

वाह ! सीमा तेरी चांदी हो गई एक एक पैग खींच सोनू ने मुझे बाँहों में में भर लिया, मेरे होंठ चूसने लगा, मैं उसका भरपूर साथ देने लगी।

पीछे से संग्राम ने मेरी सलवार खोल दी चूत पर हाथ फेरने लग गया। मैं गर्म होकर मचलने लगी। बबलू ने मेरा कमीज़ उतरवा दिया मेरे बदन पर दारु डाल कुत्तों की तरह चाटी। पूरी रात उन्होनें ने मुझे चोद चोद कर भरपूर पार्टी हासिल की और सुबह मॉम डैड आ गए।

और फिर वो दिन आया, मंदिर में सात फेरे लेकर सुबह के तीन बजे में मिसेस शुक्ला बन कर डोली में बैठ ससुराल गई। कमरा गज़ब का सजाया गया था। गुलाबों की महक, नर्म नर्म गद्दे थे।

एक एक कर उसने मेर जेवर उतारे जिनसे उसने मुझे लादा था, फिर कपड़े !

मैंने यहाँ फिर से शरमाने का पूरा ड्रामा किया लेकिन जब उसने खुद को नंगा किया। जवान लड़कों जैसी बॉडी नहीं थी, ठीक-ठाक थी, उसका लंड भी ज्यादा बड़ा नहीं था, बस पैसा बड़ा है सबसे !

उसने कहा- मेरा लंड चूस दे !

मैंने नाराज़ नहीं किया, उसका लंड मुह में लिया और उसने अपने तजुर्बे का इस्तेमाल कर छोटे लंड से भी भरपूर सुखी रात काटी। मैं थोड़ी खुश थी। सुबह अगली रात उसने मुझे एक बार ही चोदा, ऐसे दिन बीतने लगे, वो अपने काम में व्यस्त रहने लगा, मैं प्यासी !

उसे कई कई दिनों के लिए बाहर जाना पड़ता, मुझे तो लगता कि मानो वो मुझसे भागता हो कि जवान बीवी उसे बिस्तर में शर्मिंदा न कर दे !

बहुत कुछ बाकी है मेरे दोस्तो, अगले भाग में बताऊँगी कि शादी के बाद पहला पराया मर्द किस तरह आया मेरी जिन्दगी में !



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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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सबको प्यार भरी नमस्ते, इस नाचीज़ सीमा की खूबसूरत अदा से प्रणाम !

मैं पच्चीस साल की एक हसीन लड़की हूँ और बाकी सब आपने मेरी पिछली चुदाई की दास्तान में पढ़ ही लिया होगा किस तरह मैंने पैसों के लालच में आकर फुद्दू बन्दे से शादी कर ली।

चलो एक बात तो थी ! ना वो मुझसे हिसाब लेता था ना किसी चीज पर पैसे खर्चने से रोकता था।

और मुझे क्या चाहिए था, धीरे धीरे मेरे अंदर अमीर औरतों वाले गुण आने लगे, गाँव में हमारी काफी ज़मीन है, पति बिज़नेस की वजह से उस ज़मीन को ठेके पर दे देते थे, अब उसके ठेके को इकट्ठे करने का ज़िम्मा मेरा लगाया था। काफी दिन ऐसे घर में रहकर बोर होती, दीवारें और नौकर दिखते !

ईंट के भट्ठे का ऑफिस मुझे दे दिया, उसको मैं हैंडल करने लगी, घर से बाहर निकलने का मौका मिलने लगा। बाकी सब ठीक था, बस चुदाई के मामले में मेरी हालत काफी बुरी हो चुकी थी, ढंग से भरपूर चुदाई के लिए मरी जा रही थी, चूत फुदक फुदक जाती थी, ऊपर से ठेके का सीजन था और भट्ठे का भी ऑफिस था। मैं अपने ऑफिस में बैठी थी कि किसी ने दरवाज़ा खटखटाया।

"खुला है, आ जाओ !"

अंदर मुझे देख वो लड़का थोड़ा हैरान रह गया क्यूंकि मुंशी ने काम छोड़ दिया था। मैंने भरपूर गम्भीर नज़र से उसका जायजा लिया। रंग का ज़रूर पका हुआ था लेकिन उसका गठीला शरीर, उसकी चौड़ी छाती !

उसने भी मुझे भरपूर गहराई से नाप लिया और सामने बैठा, बोला- मैडम आप?

"हाँ मैंने ऑफिस सम्भाल लिया है, घर में बोर होती थी, इन्होंने मुझे ऑफिस सौंप दिया !"

"मैं आपके पति के गाँव से हूँ !"

"ओह !"

"भाई जी कहाँ हैं?"

"वो इंडिया से बाहर गए हैं !"

"मैं गुज़र रहा था, सोचा मिलता जाऊँ, कल ठेका दे जाऊँगा यहीं पर !"

"नहीं नहीं, कल मैं नहीं आऊँगी, शाम को घर ही आ जाना, मैं शाम को लौटूंगी !"

"शाम को मैडम मुझे वापस बहुत दूर जाना होता है !"

"कोई बात नहीं, आओ तो !" मैंने मुस्कान बिखेरी।और वो चला गया।

अगली शाम ठीक साढ़े छह बजे वो आया, मैंने स्लीवेलेस टॉप और शॉर्ट्स पहनी थी।

"आ गए? बैठो !"

"यह लो मैडम, ठेका ! मुझे निकलना है।"

"अरे रुक जाओ ना, इस वक़्त कहाँ लौटोगे? तुम्हारे भाई का घर है इतना बड़ा ! मैं नहीं भेजूँगी ! कल को वे मुझे गुस्सा होंगे !"

"चलो ठीक है !"

मैंने उसको अपने साथ वाला कमरा दिया, बीच में सांझा बाथरूम अटैच था। बाहर बैठ कर वोदका लेने लगी।

वो वापस लौटा तो बनियान और पेंट में था, उसकी चौड़ी छाती, घने बाल देख कर मेरा जी मचलने लगा।

"क्या लोगे, वोदका या व्हिस्की?"

वो बोला- हमें तो व्हिस्की ही भाती है।

मैंने उसके लिए मोटा पैग बनाया, उसको थमाने समय हाथ उसके हाथ से छुहा दिया। उसने मेरे वापस बैठने से पहले उसने पैग डकार लिया। मैंने थोड़ी देर बाद दूसरा बना दिया, ऐसे तीन पैग जाने के बाद उसको काफी नशा होने लगा था।

मैंने नौकर से कहा- खाना टेबल पर लगाओ और जाकर सो जाओ !

नौकर के जाते ही मैंने दरवाज़े बंद किये, उसके साथ सट कर बैठ गई।

वो बोला- पैग बना जान !

सुन कर मैं हैरान हो गई, पर बोली- अभी लो मेरे सरताज !

अब यह सुन उसकी थोड़ी उतरने लगी। मैंने पल्लू सरका दिया और कयामत बिखेर दी उस पर !

मैं उठकर गई, बिना पैंटी बिना ब्रा गुलाबी रंग की नाईटी पहनी उसके पास आकर बैठ गई। ।

"हाय क्या लग रही हो !"

उसकी छाती पर हाथ फेरते हुए मैंने कहा- तुम कौन सा कम लग रहे हो?

कहते हुए मैंने उसके गले में बाँहों का हार डाल दिया, उसने मुझे कस कर सीने से लगाया, मैंने उसकी पैंट भी उतार दी, अंडरवियर के ऊपर से उसके आधे खड़े लंड को सहलाया तो वो सांप फ़ुंकारें मारने लगा। मैंने भी वोडका छोड़ एक पैग व्हिस्की का खींचा।

वो बोला- आज मेरे साथ लेटोगी रानी?

"कमबख्त जवानी नहीं रहने दे रही राजा ! इसलिए तुझे जाने नहीं दिया !" मैंने उसका अंडरवियर भी सरका दिया, अपनी नाईटी उतार फेंकी। मुझे नंगी देख उसको मेरे हुस्न का नशा होने लगा। उसके आगे आगे उलटी चलती हुई उसको पीछे आने का इशारा करती बेडरूम में ले गई और जाकर बिस्तर पर उलटी लेट गई।

वो आकर मुझ पर चढ़ गया, उसका लंड मेरे चूतड़ों की दरार पर चुभ रहा था। उसने मुझे सीधे किया और मेरे मम्मे चूसने लगा।

मैं पागल हुए जा रही थी, मैंने उसको हटाया और उसके लंड को मुँह में ले लिया। शायद पहली बार उसने किसी के मुँह में अपना लौड़ा दिया था।

कुछ देर चूसने के बाद सीधी लेटी, टाँगें खोल उसने निशाने पर अपना आठ इंच का लंड रखा और धकेलता चला गया। उसने मेरी हड्डी से हड्डी बजा दी। जब तूफ़ान थमा तो मैं तृप्त थी।

पूरी रात खेल चला, उसने मुझे जी भर कर भोगा, मुझे आनन्द विभोर कर दिया। सुबह नींद खुली तो मैं और वो नंगे एक दूसरे की बाँहों में थे।

मैंने उसको जल्दी से उठाया, कहा- नौकर के आने का समय है, अब जाओ !

"अब किस दिन आऊँ?"

"मैं तुझे फ़ोन करुँगी !" कह उसको भेज दिया। मैं बहुत हल्का महसूस कर रही थी।

तीन दिन ही बीते कि मेरी र्वासना की आग फिर से हवा पकड़ने से मचलने लगी।




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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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जीवन संगिनी -3

सबको प्यार भरी नमस्ते, इस नाचीज़ सीमा की खूबसूरत अदा से प्रणाम !

मैं पच्चीस साल की एक हसीन लड़की हूँ और बाकी सब आपने मेरी पिछली चुदाई की दास्तान में पढ़ ही लिया होगा किस तरह मैंने पैसों के लालच में आकर फुद्दू बन्दे से शादी कर ली।

अपने पति के गाँव के एक बाकें जवान से चुदकर मेरी वासना कुछ दिन शांत रही। पति का पास होना, न होना एक बराबर है। मैं सोचने लगी कि किसको बिस्तर का साथी बनाऊँ, कहीं इनको मालूम पड़ा तो घर से निकाल देंगे और मैं फिर से वही छोटे से घर में चली जाऊँगी।

मेरा जन्म दिन था, इन्होंने दोनों ऑफिस और कम्पनी मेरे नाम कर दी। मैं खुद को सुरक्षित महसूस करने लगी।

रात को ढीली लुल्ली से मुझे आधी अधूरी चोद कर अगले दिन शुक्ला जी फिर चले गए।

मैं जब अकेली घर में रूकती हूँ, रोज़ खाने के बाद छत पर टहलने, हवा खाने जाती हूँ सिर्फ ब्रा शॉट्स पहन कर ! मैंने अचानक से नीचे ध्यान दिया, शायद कोई मुझे देख रहा था। मैंने सैर ज़ारी रखी और फिर वो लड़का गली में सैर करने लगा, बार बार मुझे देख रहा था। मैं सैर छोड़ किनारे पर खड़ी उसको ताकने लगी। मैंने दोनों हाथों से ब्रा के ऊपर से सहलाया उसको उकसाने के लिए, उसने इधर उधर देखा और पजामा नीचे करके अपने लुल्ले को सहलाने लगा।

उसका विकराल लुल्ला देख कर मेरी चूत मचलने लगी। उसने पने लौड़े को सहला सहला कर खड़ा कर दिया। उसने वापस पजामे में डाला और सैर करने लगा।

मैं एक रण्डी की तरह चुदक्कड़ बन चुकी हूँ मुझे सिर्फ वासना दिखती है ! मैंने अपनी ब्रा उतारी और दोनों हाथ से अपने मस्त मम्मों को उठा उठा मसलने लगी। वो फिर से रुक गया, मुझे चोदने का गंदा इशारा करने लगा, अंगूठे और साथ वाली उंगली से मोरी बना कर दूसरे हाथ की उंगली उस मोरी में अन्दर बाहर करने लगा।

मुझे उसकी यह गंदी हरक़त बहुत पसंद आई। वो हमारे गेट पर ही खड़ा हो गया, मैंने उसको दिखा मम्मे खूब सहलाए, मैंने भी होंठ काटते हुए चबाते हुए चुदने का गंदा इशारा उसकी तरफ किया।

उसने उसको अंदर आने को कहा। मैं नीचे गई, इधर उधर देख वो जल्दी से मेरे घर में घुस गया और उसको अंदर लेकर मैंने दरवाज़ा लॉक किया और उसने मुझे बाँहों में समेट लिया।

हाय भाभी ! बहुत दिनों से तुझे पसंद करता था ! काश तेरी चूड़ियों वाली बाजू मेरा तकिया बनती !

"अब क्या हो गया? बना लो अपनी !"

उसने मेरी ब्रा खोल शॉर्ट्स उतार दिया और पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को चूमने लगा। तभी उसने पैंटी सरका दी, मुझे बिस्तर पर लिटा कर जम कर मेरी चूत चाटी और मैंने बराबर उसका लुल्ला चूसा। यह कहानी आप अन्त र्वा स ना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

वो भी पागल हुए जा रहा था, उसका नौ इंच का लुल्ला काफी मोटा भी था, चूसने में तब थोड़ी परेशानी हुई, जब पूरा तन गया तो !

उसने मेरे मम्मे बारी बारी मुँह में लेकर खूब चूसे ! उस लड़के की उम्र तो चाहे कम थी, 18 का ही होगा लेकिन जान बहुत थी, उसने मुझे जम कर मसला और फिर उसने मुझे घोड़ी बना लिया, पहले मेरी चूत को और चाटा और फिर लंड घुसाने लगा। उससे घुस नहीं पाया, वो अनजान राही था, मंजिल हासिल करने में कच्चा था, मैंने हाथ ले जा कर उसके लुल्ले को पकड़ सही जगह टिका दिया और उसने झटका दिया, सर सर करता चीरता लंड घुसता चला गया मेरे !

दर्द से मेरी एक बार जान निकल गई लेकिन फिर उसी मोटे लुल्ले ने मुझे स्वर्ग दिखाया।

उसने अपने घर फ़ोन किया और बोला- मुझे सुनील मिल गया था और मैं उसके साथ हॉस्पिटल में हूँ, उसकी माँ बीमार है।

पूरी रात उसने मेरी चूत भजाई और एक बार फिर से मुझे तृप्त कर सुबह चला गया। मैं फिर से हल्की हल्की सी महसूस कर रही थी। लेकिन जब मुँह को खून लग जाता है तो वो नये नये शिकार ढूंढने निकलता है।

एक रात में कई बार चुदने के बाद मैंने उसको मैंने त्याग दिया क्योंकि मेरे खसम ने एक ड्राईवर मेरे आने जाने के लिए रख दिया।

काफी गठीला बदन था उसका, कड़क जवान था !

मैं कार में पीछे बैठने के बजाये उसके बराबर बैठती और मन में उसको बिस्तर पर ले जाने के सपने देखती।
अपने पति के गाँव के एक बाकें जवान से चुदकर मेरी वासना कुछ दिन शांत रही, उसके बाद गली के एक लड़के से तृप्ति हासिल करने के बाद मेरी नज़र अपने नये ड्राईवर पर थी। जब मैं उसके साथ बाहर जाती तो पीछे बैठने के बजाये उसके बराबर बैठती और मन में उसको बिस्तर पर ले जाने के सपने देखती और मुझे मालूम था किस तरह मर्द को लुभाया जाता है, मैं इस खेल की मंझी हुई खिलाड़िन बन चुकी थी, कभी उसके सामने अपनी चुन्नी सरका के अपने विशाल वक्ष के दर्शन करवा देती तो कभी छोटे कपड़े पहन घर में उसके कमरे तक किसी बहाने पहुँच जाती !

मुझे ऐसे कपड़ों में देख शाम का लंड ज़रूर खड़ा होता होगा।

मैंने एक दिन अपनी धोई हुई पैंटी सूखने के लिए पीछे तार पर डाल दी और अपने कमरे से खिड़की के ज़रिये उधर देखने लगी।

उसने सोचा मैडम सो गई है, वो धीरे धीरे आया और मेरी पैंटी उठा कमरे में लेकर गया। हैरानी तब हुई जब उसके साथ मैंने नौकर दीपक को निकलते देखा। उन्होंने पैंटी वापस वहीं टांग दी।

मैं थोड़ी देर बाद में उठी और पैंटी उतार लाई तो देखा कि चूत वाली जगह उनके माल से भीगी हुई थी। दो लौड़ों का पानी निकला था उस में ! मैं जुबान निकाल कर उस पर लगे माल को चाटने लगी, मेरे बदन में वासना की आग जलने लगी, उनकी ऐसी हरकत से तन बदन जलने लगा था।

रात हुई, दीपक खाना लगाकर वापस अपने कमरे में गया और मैं खाना खाकर अपने कमरे में गई और परदे सरका दिए। लाइट जलने दी। मैंने एक एक कर के अपने सारे कपड़े उतारे, एकदम नंगी होकर बिस्तर पर तकिया बाँहों में भरकर हाथ चूत के दाने को मसलते हुए 'शाम मुझे चोदो ! दीपक, मेरे राजा, मुझे चोदो !' कहने लगी।

मुझे मालूम था कि कोई मुझे बाहर से देख रहा है। मैंने टी.वी का रिमोट उठाया और डीवीडी पर ब्लू मूवी लगाईं और बिस्तर पर लौटने से पहले फुर्ती से पिछला दरवाज़ा खोल दिया। वो दोनों भाग नहीं पाए, उनके हाथों में उनके विकराल लौड़े तने देख मेरा बदन आहें भरने लगा।

मैंने बाहरी गुस्सा दिखाया उनको उकसाने के लिए- हरामजादो, मादरचोदो, शर्म नहीं आती, अपनी मालकिन को नंगी देखते हो? और उसकी पैंटी पर मुठ मारते हो? भागो, वरना जूती से मारूँगी कमीनो !

"साली रण्डी, छिनाल !" दीपक बोला- कुतिया न जाने कितनों से भोसड़ा मरवाती है!

मैंने करारा थप्पड़ उसके गाल पर मार दिया।

"हरामजादी, मुझे मारा?" उसने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया दोनों पाँव और हाथ बाँध दिए- कुतिया, दिखाते हैं तुझे कि चुदाई कैसे होती है !

दोनों नंगे हो गए, दीपक मेरी गोरी चूत चाटने लगा और शाम अपना लुल्ला चुसवाने लगा।

चपड़-चपड़ उसका लुल्ला चूसा, मुझे गर्म होती देख उन्होंने मुझे आज़ाद किया। मैंने नाटकीय रूप में उठने की भागने की कोशिश की दोनों ने मुझे वापस दबोच लिया और दीपक ने घोड़ी बना कर अपना बड़ा लुल्ला चूत में घुस दिया और झटके पर झटका लगाने लगा। दोनों दोपहर को झड़े थे इसलिए वक्त लगा रहे थे।

"साली रंडी, देख कितने मजे से आँखें मूँद रही है !"

"मादरचोद, बकवास छोड़, चूत मार मेरी !" मैं तड़फ़ते हुए बोली- उफ़... अह... उफ़... अह... अह... उइ... और... सी... सी... आई... उह... उन्ह... फक मी... जोर से...!

"साली छिनाल मालकिन है !"

"मादरचोदो, चोदो मुझे...!!"

दीपक ने लंड निकाल दिया और मेरी गांड पर रगड़ने लग गया, मुझे कुछ नियत खराब महसूस हुई। अभी कुछ कहती, करती, शाम ने मुझे आगे से कस लिया और दीपक ने मेरी चूत से गीला हुआ लंड मेरी गांड में घुस दिया।

मैं चिल्लाने लगी, जोर जोर से चीखें मारने लगी, दे दोनो मुश्टण्डे हँसते रहे। दीपक ने धीरे धीरे पूरा लंड मेरी गांड में उतार दिया।

मैं पहली बार गाण्ड मरवा रही थी।

अचानक उसने अपना लौड़ा निकाल लिया तो मुझे सुख का सांस आया लेकिन उनका इरादा देख मैं डर गई।

दीपक सीधे लेट गया मुझे उसकी तरफ पीठ करके लंड डलवाने को कहा।

मैंने मना किया तो करारा थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ा। मैं उस पर बैठ गई, पूरा लिंग मेरी गान्ड में घुस चुका था और ऊपर से शाम आया उसने अपना लंड मेरी चूत को फैला कर घुसा दिया।

"हाय ! तौबा ! मारोगे क्या ! मैं मर जाऊँगी !"

दोनों पेलने पर उतारू थे और धीरे धीरे मुझे इस चुदाई का बहुत मजा आने लगा। वे दोनों फाड़ फाड़ मेरी गांड चूत मार रहे थे। पहले दीपक झड़ा तो कुछ समय में शाम की पिचकारी मेरे अन्दर गर्माहट देने लगी।

दोनों काफ़ी देर तक मुझ नंगी को चूमते रहे थे। सुबह के ढाई बजे तक मेरी गेम बजाई और आज एक नया अनुभव प्राप्त हुआ।

फिर शाम और दीपक अक्सर मुझे मसलने लगे, मुझे उन दोनों के बाँहों में जाना बहुत सुखदायक लगने लगा था।

मैं खुश थी, घर में लंड मिल रहे थे। तभी एक घटना घटी, हमारी कार का एक्सीडेंट हुआ... !!



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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: जीवन संगिनी

Post by jay »

जीवन संगिनी -4


फ़िर अपने पति के गाँव के एक बाकें जवान से, उसके बाद गली के एक लड़के से तृप्ति हासिल करने के बाद मैं अपने नौकर दीपक और ड्राईवर शाम से चुदी।

दोनों पेलने पर उतारू थे और धीरे धीरे मुझे इस चुदाई का बहुत मजा आने लगा। वे दोनों फाड़ फाड़ मेरी गांड चूत मार रहे थे। पहले दीपक झड़ा तो कुछ समय में शाम की पिचकारी मेरे अन्दर गर्माहट देने लगी।

दोनों काफ़ी देर तक मुझ नंगी को चूमते रहे थे। सुबह के ढाई बजे तक मेरी गेम बजाई और आज एक नया अनुभव प्राप्त हुआ।

फिर शाम और दीपक अक्सर मुझे मसलने लगे, मुझे उन दोनों के बाँहों में जाना बहुत सुखदायक लगने लगा था।

मैं खुश थी, घर में लंड मिल रहे थे। तभी एक दुर्घटना घटी, हमारी कार का एक्सीडेंट हुआ, कार में सिर्फ शाम था, उसकी दोनों टांगों में फ्रैक्चर आया बाजू में भी शीशा माथे पर लगा। उधर दीपक को किसी ने दुबई जाकर काम करने की ऑफर दी, उसने नौकरी छोड़ दी पर जब तक गया नहीं, वो मुझे चोदने आता था।

उसके जाने के बाद मैंने फिर से मुँह मारना शुरु कर दिया। मेरे पति शुक्ला जी ने घर में पेंट के साथ पी ओ पी करवाने का फैसला लिया।

पी ओ पी के कारीगर आये और उन्हें ऊपर का कमरा दे दिया, वो इसलिए कि इन्होंने उनके साथ ठेका किया था जल्दी से जल्दी काम निपटाने के लिए ! लेकिन उनको क्या मालूम था कि उन्होंने पेंट के काम के साथ साथ एक हसीं दिलरुबा को खुश रखने का काम भी लिया है।

पहले मेरा ध्यान उनमें नहीं था पर वैसे में वासना में जलभुन रही थी, पति रात को ऐसे ही सो जाते, मुझे बहुत बहुत गुस्सा आता और जाकर खुद को और तरीकों से शान्ति देकर सो जाती, मोटे लौड़े की जरुरत थी मेरी प्यासी फ़ुद्दी को जो मेरी हड्डी से हड्डी बजा डाले। वो कुल चार लोग थे, वहीं ऊपर रहना था।

मेरी नज़र पहले दिन शाम को उन पर तब गई जब मैं नहा कर छत पर तौलिया सूखने डालने गई। मुझे देख कर उसका मुँह खुला का खुला रह गया, बालों से गिर रहा पानी गालों पर से होकर गर्दन से होकर मेरी पहाड़ी पर जा रहा था। जब मैंने उसको देखा उसने डर कर नजर हटा ली और काम करने लगा, दूसरे की तरफ मेरी पीठ थी, मैं स्लीवलेस ब्लाउज में थी, पीछे सिर्फ स्ट्रिप ही था, पतली कमर बड़े बड़े मम्मे, गोरा रंग, मुझे मालूम था कि एक बन्दा पीछे भी है। मैंने पीठ दिखाने के लिए पल्लू ठीक करने के बहाने साइड करके भीगे ब्लाउज के दर्शन करवा दिए। पर मुझे यह नहीं मालूम था कि उसने दर्शन किये या डरपोक ने मुँह दूसरी तरफ कर लिया था। मैं एकदम से मुड़ी, उसको गर्दन मोड़ते मैंने देख लिया, मतलब कि उसने देखा था।

नीचे वाले पोर्शन में सब टिपटॉप था ऊपर वाले पोर्शन में ही काम था। दो लोग अंदर कमरे की टुकाई कर रहे थे, उनको देखा वो दोनों काफी सोलिड जोशीले से लगे। दोनों ने मुझे खा जाने वाली नज़रों से देखा कि मेरी जान निकाल डाली ! हाय, क्या देखना था, दिल किया कि अभी उनके करीब चली जाऊँ पर मौका देखना था, अभी नहीं !

मुस्कान बिखेर वहाँ से बिखर आई, वो इसलिए कि मेरा अंग अंग बिखर गया जिसको वोह ही अब जोड़ सकते थे। जब मेरी वासना की

आग भड़कती है तब मैं बेकाबू होने लगती हूँ और मुझे उसका साधन भी मिल चुका था, बस फिर क्या था मुझे सीढ़ी पर आहट सुनी, बिल्कुल सामने कमरा है, मैंने झट से दरवाज़े की तरफ पीठ करके साड़ी उतार दी, ब्लाउज उतार दिया फिर पेटीकोट खोल जैसे नीचे हुआ, मेरे मदमस्त चूतड़ उसकी आँखों के सामने एक लाल पैंटी में सजे हुए दिखे। मैंने मुड़कर देखा, पसीने छूट रहे थे उसके, वो जल्दी से निकलने लगा, मैं मुस्कुरा दी, उसको थोड़ी राहत मिली।

मैंने सेक्सी सा सलवार कमीज पहना।

तभी मेरे पति देव घर लौटे, मौका देख मैंने उनके गले में बाँहों का हार डाल दिया।

"क्या कर रही हो जान?"

"प्यार करो न ! बहुत बेकरार हूँ जानू !"

"मुझे जरूरी काम के लिए दिल्ली जाना है, आठ बजे की फ्लाइट है !" पति बोले- नौकर को कहकर ऊपर चाय वगैरा भिजवा देना !

"सारे नौकर काम के सिलसिले गए हैं, मैं बना दूंगी !"

मैंने चार चाय बनाई, ट्रे में सजा छत पर गई। मैंने देखा कि अब तीन लोग बाहर थे, एक ही अंदर था। बाहर वालों को चाय देकर अंदर गई बेडरूम में, जो टुकाई कर रहा था, वो वही था जिसने मुझे सीढ़ियों से देखा था, मुझे देख हिल सा गया, गहरे गले का ऊपर से कसा हुआ कमीज़, मम्मे आपस में ही कुश्ती कर रहे थे।

"चाय ले लो !" नशीली आवाज़ में बड़ी कामुक सी अदा में कहा।

वो करीब आकर चाय का कप उठाने लगा, मैंने धीरे से कहा- सीढ़ी पर रुक कर क्या क्या देखा था तुमने?

"कुछ नहीं ! कुछ भी नहीं देखा !"

मैंने चुन्नी हटाई- बोलो, इन्हें देखा?

वो मुस्कुराने लगा, चाए रख दी, मैंने उसको खींचा और उसको अपनी बाँहों में कस कर जकड़ा। यह कहानी आप अन्त-र्वा-स-ना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

"मैडम, यह सब मत करो ! साब को मालूम चल गया तो?"

"अबे फट्टू ! डरता क्यूँ है?" उसके लंड को मसलते हुए मैंने कहा।

उससे रुका नहीं गया तो उसने भी मेरे मम्मे दबाये और मेरी गालों को जम कर चूमा।

बाकी रात को ग्यारह बजे नीचे उसी कमरे में आ जाना !
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