भोली-भाली शीला compleet

Post Reply
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

भोली-भाली शीला compleet

Post by jay »

भोली-भाली शीला पार्ट--1

एक लड़की है शीला, बिल्कुल सीधी सादी, भोली-भाली, भगवान में बहुत

विश्वास रकने वाली. अनफॉर्चुनेट्ली, शादी के 1 साल बाद ही उसके पति का

स्कूटर आक्सिडेंट हो गया और वो ऊपर चला गया. तब से शीला अपने पापा-मम्मी

के साथ रहने लगी. अभी उसका कोई बच्चा नहीं था.उसकी एज 24 थी. उसके पापा

मम्मी ने उसे दूसरी शादी के लिए कहा, लेकिन शीला ने फिलहाल मना कर

दिया था. वो अभी अपने पति को नहीं भुला पाई थी, जिसेह ऊपर गये हुए आज

6 महीने हो गये थे.

शीला फिज़िकल अपीयरेन्स में कोई बहुत ज़्यादा अट्रॅक्टिव नहीं थी, लेकिन

उसकी सूरत बहुत भोली थी, वह खुद भी बहुत भोली थी, ज़्यादा टाइम चुप ही

रहती थी. उसकी हाइट लगभग 5 फुट 4 इंच थी, कंपेक्स्षन फेर था, बाल

काफ़ी लंबे थे, फेस राउंड था. उसके बूब्स इंडियन औरतों जैसे बड़े थे,

कमर लगभग 31-32 इंच थी, हिप्स राउंड और बड़े थे, यह ही कोई 37 इंच.

वो हमेशा वाइट या फिर बहुत लाइट कलर की सारी पेहेन्ति थी.

उसके पापा सरकारी दूफ़्तर में काम करते थे. उनका हाल ही में दूसरे शहर

में ट्रान्स्फर हुआ था. नये शहर में आकर शीला की मम्मी ने भी एक स्कूल

में टीचर की जॉब ले ली. शीला का कोई भाई नहीं था और उसकी बड़ी बेहन की

शादी 6 साल पहले हो गयी थी.

नये शहर में आकर उनका घर छोटी सी कॉलोनी में था जो के शहर से थोड़ी

दूर थी. रोज़ सुबेह शीला के पापा अपने दूफ़्तर और उसकी मम्मी स्कूल चले

जाते तह. पापा शाम 6 बजे और मम्मी 4 बजे वापस आती थी...(यह कहानी

आप कामुक-कहानिया-ब्लॉग स्पॉट डॉट कॉम मे पढ़ रहे हैं )

उनके घर के पास ही एक छोटा सा मंदिर था. मंदिर में एक पंडित था, यह ही

कोई 36 साल का. देखने में गोरा और बॉडी भी मस्क्युलर, हाइट 5 फुट 9 इंच.

सूरत भी ठीक ठाक थी. बाल बहुत छोटे छोटे थे. मंदिर में उसके

अलावा और कोई ना था. मंदिर में ही बिल्कुल पीछे उसका कमरा था. मंदिर के

मुख्य द्वार के अलावा पंडित के कमरे से भी एक दरवाज़ा कॉलोनी की पिछली गली

में जाता था. वो गली हमेशा सुन सान ही रहती थी क्यूंकी उस गली में अभी

कोई घर नहीं था.

नये शहर में आकर, शीला की मम्मी ने उसे बताया कि पास में एक मंदिर

है, उसे पूजा करनी हो तो वहाँ चले जाया करे. शीला बहुत धार्मिक थी.

पूजा पाठ में बहुत विश्वास था उसका. रोज़ सुबेह 5 बजे उठ कर वो मंदिर

जाने लगी.

पंडित को किसी ने बताया था एक पास में ही कोई नयी फॅमिली आई है और

जिनकी 24 साल की बेटी विधवा है.

शीला पहले दिन मंदिर गयी. सुबेह 5 बजे मंदिर में और कोई ना था...सिर्फ़

पंडित था. शीला ने वाइट सारी ब्लाउस पहेन रखा था.

शीला पूजा करने के बाद पंडित के पास आई...उसने पंडित के पेर छुए

पंडित: जीती रहो पुत्री.....तुम यहाँ नयी आई हो ना..?

शीला: जी पंडितजी

पंडित: पुत्री..तुम्हारा नाम क्या है?

शीला: जी, शीला

पंडित: तुम्हारे माथे (फोर्हेड) की लकीरों ने मुझे बता दिया है कि तुम

पर क्या दुख आया है.....लेकिन पुत्री...भगवान के आगे किसकी चलती है

शीला: पंडितजी..मेरा ईश्वर में अटूट विश्वास है.....लेकिन फिर भी उसने

मुझसे मेरा सुहाग छीन लिया...

शीला की आँखों में आसू आ गये

पंडित: पुत्री....ईश्वर ने जिसकी जितनी लिखी है..वह उतना ही जीता है..इसमें

हम तुम कुछ नहीं कर सकते...उसकी मर्ज़ी के आगे हुमारी नहीं चल

सकती..क्यूंकी वो सर्वोच्च है..इसलिए उसके निर्णेय (डिसिशन) को स्वीकार करने

में ही समझ दारी है.

शीला आसू पोंछ कर बोली

शीला: मुझे हर पल उनकी याद आती है...ऐसा लगता है जैसे वो यहीं कहीं

हैं..

पंडित: पुत्री...तुम जैसी धार्मिक और ईश्वर में विश्वास रखने वाली का

ख़याल ईश्वर खुद रखता है...कभी कभी वो इम्तहान भी लेता है....

शीला: पंडितजी...जब मैं अकेली होती हूँ..तो मुझे डर सा लगता है..पता

नहीं क्यूँ

पंडित: तुम्हारे घर में और कोई नहीं है?

शीला: हैं..पापा मम्मी....लेकिन सुबेह सुबेह ही पापा अपने दूफ़्तर और मम्मी

स्कूल चली जाती हैं...फिर मम्मी 4 बजे आती हैं.......इस दौरान मैं

अकेली रहती हूँ और मुझे बहुत डर सा लगता है...ऐसा क्यूँ है पंडितजी?

पंडित: पुत्री...तुम्हारे पति के स्वरगवास के बाद तुमने हवन तो करवाया था

ना..?

शीला: नहीं....कैसा हवन पंडितजी?

पंडित: तुम्हारे पति की आत्मा की शांति के लिए...यह बहुत आवश्यक होता

है..

शीला: हूमें किसी ने बताया नहीं पंडितजी....

पंडित: यदि तुम्हारे पति की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी तो वो तुम्हारे आस

पास भटकती रहेगी...और इसीलिए तुम्हें अकेले में डर लगता है..

शीला: पंडितजी...आप ईश्वर के बहुत पास हैं...कृपया आप कुछ कीजिए जिससे

मेरे पति की आत्मा को शांति मिले

शीला ने पंडित के पेर पकड़ लिए और अपना सिर उसके पेरॉं में झुका

दिया....इस पोज़िशन में शीला के ब्लाउस के नीचे उसकी नंगी पीठ दिख रही

थी...पंडित की नज़र उसकी नंगी पीठ पर पड़ी तो...उसने सोचा यह तो

विधवा है...और भोली भी...इसके साथ कुछ करने का स्कोप है........उसने

शीला के सिर पे हाथ रखा..

पंडित: पुत्री....यदि जैसा मैं कहूँ तुम वैसा करो तो तुम्हारे पति की आत्मा

को शांति आवश्य मिलेगी..

शीला ने सिर उठाया और हाथ जोड़ते हुए कहा

शीला: पंडितजी, आप जैसा भी कहेंगे मैं वैसा करूँगी...आप बताइए क्या

करना होगा..

शीला की नज़रों में पंडित भी भगवान का रूप थे

पंडित: पुत्री...हवन करना होगा...हवन कुछ दिन तक रोज़ करना होगा.....लेकिन

वेदों के अनुसार इस हवन में केवल स्वरगवासी की पत्नी और पंडित ही भाग ले

सकते हैं...और किसी तीसरे को खबर भी नहीं होनी चाहिए...अगर हवन

शुरू होने के पश्चात किसी को खबर हो गयी तो स्वरगवासी की आत्मा को

शांति कभी नहीं मिलेगी..

शीला: पंडितजी..आप ही हमारे गुरु हैं....आप जैसा कहेंगे हम वैसा ही

करेंगे.....आग-या दीजिए कब से शुरू करना है...और क्या क्या सामग्री चाहिए

पंडित: वेदों के अनुसार इस हवन के लिए सारी सामग्री शुद्ध हाथों में ही

रहनी चाहिए...अतेह..सारी सामग्री का प्रबंध मैं खुद ही करूँगा...तुम

सिर्फ़ एक नारियल और तुलसी लेती आना

शीला: तो पंडितजी, शुरू काब्से करना है..

पंडित: क्यूंकी इस हवन में केवल स्वरगवासी की पत्नी और पंडित ही होते

हैं...इसलिए यह हवन उस समय होगा जब कोई विघ्न (डिस्टर्ब) ना करे...और

हवन पवित्र स्थान पर होता है...जैसे की मंदिर...परंतु...यहाँ तो कोई

भी विघ्न डाल सकता है...इसलिए हम हवन इसी मंदिर के पीछे मेरे कक्ष

(रूम) में करेंगे...इस तरह स्थान भी पवित्र रहेगा और और कोई विघ्न भी

नहीं डालेगा..

शीला: पंडितजी...जैसा आप कहें....किस समय करना है?

पंडित: दुपहर 12:30 बजे से लेकर 4 बजे तक मंदिर बंद रहता है......सो इस

समय में ही हवन शांति पूर्वक हो सकता है..तुम आज 12:45 बजे आ

जाना..नारियल और तुलसी लेके.....लेकिन सामने का द्वार बंद होगा.....आओ मैं

तुम्हें एक दूसरा द्वार दिखाता हूँ जो की मैं अपने प्रिय भक्तों को ही

दिखाता हूँ..

पंडित उठा और शीला भी उसके पीछे पीछे चल दी..उसने शीला को अपने कमरे

में से एक दरवाज़ा दिखाया जो की एक सुनसान गली में निकलता था....उसने गली

में ले जाकर शीला को आने का पूरा रास्ता समझा दिया..

पंडित: पुत्री तुम रास्ता तो समझ गयी ना..

शीला: जी पंडितजी..

पंडित: यह याद रखना की यह हवन गुप्त रहना चाहिए...सबसे...वरना

तुम्हारे पति की आत्मा को शांति कभी ना मिल पाएगी..

शीला: पंडितजी...आप मेरे गुरु हैं..आप जैसा कहेंगे..मैं वैसा ही

करूँगी...मैं ठीक 12:45 बजे आ जाओंगी

ठीक 12:45 पर शीला पंडित के बताए हुए रास्ते से उसके कमरे के दरवाज़े पे

गयी और खाट खटाया..

पंडित: आओ पुत्री...

शीला ने पहले पंडित के पेर छुए

पंडित: किसी को खबर तो नहीं हुई..

शीला: नहीं पंडितजी...मेरे पापा मम्मी जा चुके हैं...और जो रास्ता अपने

बताया था मैं उससी रास्ते से आई हूँ...किसी ने नहीं देखा..

पंडित ने दरवाज़ा बंद किया

पंडित: चलो फिर हवन आरंभ करें

पंडित का कमरा ज़्यादा बड़ा ना था...उसमें एक खाट था...बड़ा शीशा

था...कमरे में सिर्फ़ एक 40 वॉट का बल्ब ही जल रहा था...पंडित ने टिपिकल

स्टाइल में हवन के लिए आग जलाई...और सामग्री लेके दोनो आग के पास बैठ

गये...

पंडित मन्त्र बोलने लगा...शीला ने वही सुबेह वाला सारी ब्लाउस पहेना था

पंडित: यह पान का पत्ता दोनो हाथों में लो...

शीला और पंडित साथ साथ बैठे तह..दोनो चौकड़ी मार के बैठे

तह...दोनो की टाँगें एक दूसरे को टच कर रही थी..

शीला ने दोनो हाथ आगे कर के पान का पत्ता ले लिया........पंडित ने फिर उस

पत्ते में थोड़े चावल डाले...फिर थोड़ी चीनी....फिर थोडा

दूध...................फिर उसने शीला से कहा..

पंडित: पुत्री....अब तुम अपने हाथ मेरे हाथ में रखों....मैं मन्त्र

पाड़ूँगा और तुम अपने पति का ध्यान करना..

शीला ने अपने हाथ पंडित के हाथों मे रख दिए....यह उनका पहला स्किन टू

स्किन कॉंटॅक्ट था..

क्रमशः........................
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: पंडित & शीला

Post by jay »

पंडित & शीला पार्ट--2

गतांक से आगे...........................

पंडित: वेदों के अनुसार.....तुम्हे यह कहना होगा कि तुम अपने पति से बहुत

प्रेम करती हो.....जो मैं कहूँ मेरे पीछे पीछे बोलना

शीला: जी पंडितजी

शीला के हाथ पंडित के हाथ में थे

पंडित: मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूँ

शीला: मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूँ

पंडित: मैं उन पर अपना तन और मन न्योछावर करती हूँ

शीला: मैं उन पर अपना तन और मन न्योछावर करती हूँ

पंडित: अब पान का पता मेरे साथ अग्नि में डाल दो

दोनो ने हाथ में हाथ लेके पान का पता आग में डाल दिया

पंडित: वेदों के अनुसार...अब मैं तुम्हारे चरण धौँगा...अपने चरण यहाँ

साइड में करो..

शीला ने अपने पेर साइड में किए...पंडित ने एक गिलास मैं से थोड़ा पानी हाथ

में भरा और शीला के पेरो को अपने हाथों से धोने लगा.....

पंडित: तुम अपने पति का ध्यान करो..

पंडित मन्त्र पड़ने लगा...शीला आँखें बंद करके पति का ध्यान करने

लगी.....

शीला इस वक़्त टाँगें ऊपर की तरफ मोड़ के बैठी थी..

पंडित ने उसके पेर थोड़े से उठाए और हाथों में लेकर पेर धोने लगा.. ?

टाँग उठनेः से शीला की सारी के अंदर का नज़ारा दिखनेः लगा?.उसकी थाइस

दिख रही थी?.और सारी के अंदर के अंधेरे में हल्की हल्की उसकी वाइट

कछि भी दिख रही थी?..लेकिन शीला की आँखें बंद थी?.वो तो अपने

पति का ध्यान कर रही थी?.और पंडित का ध्यान उसकी सारी के अंदर के

नज़ारे पे था?.पंडित के मूह में पानी आ रहा था..लेकिन वो इसका रेप करने

से डरता था....सो उसने सोचा लड़की को गरम किया जाए...

पेर धोने के बाद कुछ देर उसने मन्तर पड़े..

पंडित: पुत्री....आज इतना ही काफ़ी है...असली पूजा कल से शुरू होगी....तुम्हें

भगवान शिव को प्रसन्न करना है.....वो प्रसन्न होंगे तभी तुम्हारे पति की

आत्मा को शांति मिलेगी....अब तुम कल आना..

शीला: जो आग्या पंडितजी..

अग्लेः दिन..

पंडित: आओ पुत्री.....तुम्हें किसी ने देखा तो नहीं...अगर कोई देख लेगा तो

तुम्हारी पूजा का कोई लाभ नहीं..

शीला: नहीं पंडितजी...किसी ने नहीं देखा...आप मुझे आग्या दे..

पंडित: वेदों के अनुसार.....तुम्हें भगवान शिव को प्रसन्न करना है..

शीला: पंडितजी...वैसे तो सभी भगवान बराबर हैं...लेकिन पता नहीं

क्यूँ..भगवान शिव के प्रति मेरी श्रधा ज़्यादा है..

पंडित: अच्छी बात है.....पुत्री..शिव को प्रसन्न करने के लिए तुम्हें पूरी

तरह शूध होना होगा....सबसे पहले तुम्हें कच्चे दूध का स्नान करना

होगा......शूध वस्त्रा पहेनेः होंगे...और थोड़ा शृंगार करना होगा..

शीला: शृंगार पंडितजी..

पंडित: हाँ......शिव स्त्री- प्रिय (वुमन लविंग) हैं...सुंदर स्त्रियाँ उन्हे

भाती हैं...यूँ तो हर स्त्री उनके लिए सुंदर है...लेकिन शृंगार करने से

उसकी सुंदरता बढ़ जाती है....जब भी पार्वती ने शिव को मनाना होता

है...तो वह भी शृंगार करके उनके सामने आती हैं..

शीला: लेकिन पंडितजी...क्या एक विधवा का शृंगार करना सही रहेगा....?

पंडित: पुत्री...शिव के लिए कोई भी काम किया जा सकता है....विधवा तो तुम

इस समाज के लिए हो...

शीला: जो आग्या पंडितजी...

पंडित: अब तुम स्नान-ग्रे (बाथरूम) में जा के कच्चे दूध का स्नान

करो...मैने वहाँ पर कच्चा दूध रख दिया है क्यूंकी तुम्हारे लिए कच्चा

दूध घर से लाना मुश्किल है.......और हाँ...तुम्हारे वस्त्रा भी स्नान-ग्रेह

में ही रखें हैं..

पंडित ने ऑरेंज कलर का ब्लाउस और पेटिकोट बाथरूम में रखा था...पंडित

ने ब्लाउस के हुक निकाल दिए थे..हुक्स पीठ की साइड पे थे...(आस कंपेर्ड

टू दा हुक्स राइट इन फ्रंट ऑफ बूब्स)

शीला दूध से नहा कर आई.....सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट में उसे पंडित के

सामने शरम आ रही थी..

शीला: पंडितजी.....

पंडित: आ गयी..

शीला: पंडितजी....मुझे इन वस्त्रों में शरम आ रही है...

पंडित: नहीं पुत्री...ऐसा ना बोलो....शिव नाराज़ हो जाएगा....यह जोगिया

वस्त्रा शूध हैं....यदि तुम शूध नहीं होगी तो शिव प्रसन्न कदापि नहीं

होंगे...

शीला: लेकिन पंडितजी..इस...स....ब..ब्लाउस के हुक्स नहीं हैं...

पंडित: ओह!...मैनेह देखा ही नहीं...वैसे तो पूजा केवल दो घंटे की ही

है...लेकिन यदि तुम ब्लाउस के कारण पूजा नहीं कर सकती को हम कल से पूजा

कर लेंगे....लेकिन शायद शिव को यह विलंभ (डेले) अच्छा ना लगे..

शीला: नहीं पंडितजी....पूजा शुरू कीजिए..

पंडित: पहले तुम उस शीशे पे जाकर शृंगार कर लो...शृंगार की सामग्री

वहीं है..

शीला ने लाल लिपस्टिक लगाई....थोड़ा रूज़....और थोड़ा पर्फ्यूम...

शृंगार करके वो पंडित के पास आई..

पंडित: अति सुंदर.....पुत्री...तुम बहुत सुंदर लग रही हो...

शीला शरमाने लगी....यह फीलिंग्स उसने पहली बार एक्सपीरियेन्स की थी...

पंडित: आओ पूजा शुरू करें...

वो दोनो अग्नि के पास बैठ गये....पंडित ने मन्त्र पड़नेः शुरू किए....

थोड़ी गर्मी हो गयी थी इसलिए पंडित ने अपना कुर्ता उतार दिया.......उनसे

शीला को अट्रॅक्ट करने के लिए अपनी चेस्ट पूरी शेव कर ली थी....उसकी बॉडी

मस्क्युलर थी.....अब वो केवल लूँगी में था...

शीला थोड़ा और शरमाने लगी..

दोनो चौकड़ी मार के बैठे थे..

पंडित: पुत्री....यह नारियल अपनी झोली में रखलो...इसे तुम प्रसाद

समझो......तुम दोनो हाथ सिर के ऊपर से जोड़ के शिव का ध्यान करो....

शीला सिर के ऊपर से हाथ जोड़ के बैठी थी....पंडित उसकी झोली में फल

(फ्रूट्स) डालता रहा...

शीला की इस पोज़िशन में उसके बूब्स और नंगा पेट पंडित के लंड को सख़्त कर

रहे थे...

शीला की नेवेल भी पंडित को सॉफ दिख रही थी....

पंडित: शीला....पुत्री...यह मौलि (थ्रेड) तुम्हें पेट पे बाँधनी

है....वेदों के अनुसार इसे पंडित को बाँधना चाहिए....लेकिन यदि तुम्हें

इसमें लज्जा की वजह से कोई आपत्ति हो तो तुम खुद बाँध लो...परंतु विधि

तो यही है की इसे पंडित बाँधे...क्यूंकी पंडित के हाथ शूध होते

हैं..जैसे तुम्हारी इच्छा..

शीला: पंडितजी.....वेदों का पालन करना मेरा धर्म है....जैसा वेदों में

लिखा है आप वैसा ही कीजिए...

पंडित: मौलि बाँधने से पहले गंगाजल से वो जगह सॉफ करनी होती है....

पंडित ने शीला के पेट पे गंगाजल छिड़-का...और उसका नंगा पेट गंगाजल से

धोने लगा....शीला की पेट की स्किन (लाइक मोस्ट विमन) बहुत स्मूद

थी....पंडित उसके पेट को रगड़ रहा था...फिर उसने तौलिए (टवल) से शीला

का पेट सुखाया...

शीला के हाथ सिर के ऊपर थे.....पंडित शीला के सामने बैठ कर उसके

पेट पे मौलि बाँधने लगा...पहली बार पंडित ने शीला के नंगे पेट को

छुआ....

नाट बाँधते समय पंडित ने अपनी उंगली शीला के नेवेल पे रखी.....

अब पंडित ने उंगली पे तिक्का (रेड विस्कस लिक्विड विच इस सपोज़्ड सेक्रेड)

लगाया...

पंडित: शीला....शिव को पार्वती की देह (बॉडी) पे चित्रकारी करने में आनंद

आता है....

यह कह कर पंडित शीला के पेट पे तिक्का लगाने लगा...उसने शीला के पेट पर

त्रिशूल बनाया.....

शीला की नेवेल पर आ कर पंडित रुक गया...अब अपनी उंगली उसकी नेवेल में

घुमाने लगा...वह शीला की नेवेल में तिक्का लगा रहा था..शीला के दोनो

हाथ ऊपर थे....वह भोली थी.......वह इन सब चीज़ों को धरम समझ

रही थी.....लेकिन यह सब उसे भी कुछ कुछ अच्छा लग रहा था....

फिर पंडित घूम कर शीला के पीछे आया.....उसने शीला की पीठ पर

गंगाजल छिड़-का और हाथ से उसकी पीठ पे गंगाजल लगाने लगा..

पंडित: गंगाजल से तुम्हारी देह और शूध हो जाएगी, क्यूंकी गंगा शिव की जटा

से निकल रही है इसलिए गंगाजल लगाने से शिव प्रसन्न होते हैं..

शीला के ब्लाउस के हुक्स नहीं थे....पंडित ने खुले हुए हुक्स को और साइड

में कर दिया....शीला की ऑलमोस्ट सारी पीठ नंगी होगआई...पंडित उसकी नंगी

पीठ पर गंगाजल डाल के रगड़ रहा था..वो उसकी नंगी पीठ अपने हाथों से

धो रहा र्था.....शीला की नंगी पीठ को छूकर पंडित का बंटी ( लंड ) टाइट हो गया

था...

पंडित: तुम्हारी राशी क्या है..?

शीला: कुंभ..

पंडित: मैं टिक्के से तुम्हारी पीठ पर तुम्हारी राशी लिख रहा

हूँ...गंगाजल से शूध हुई तुम्हारी पीठ पे तुम्हारी राशी लिखनेः से

तुम्हारे ग्रेहों की दिशा लाभदायक हो जाएगी..

पंडित ने शीला की नंगी पीठ पे टिक्के से कुंभ लिखा...

क्रमशः........................

......................

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: पंडित & शीला

Post by jay »

पंडित & शीला पार्ट--3

गतांक से आगे......................

फिर पंडित शीला के पैरों के पास आया..

पंडित: अब अपने चरण सामने करो..

शीला ने पेर सामने कर दिए...पंडित ने उसका पटटीकोआट थोड़ा ऊपर
चड़ाया.....उसकी टाँगों पे गंगाजल छिड़-का....और उसकी टाँगें हाथों से
रगड़नेः लगा..

पंडित: हमारे चरण बहुत सी अपवित्र जगाहों पर पड़ते हैं..गंगाजल से
धोने के पश्चात अपवित्र जगहों का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता....तुम
शिव का ध्यान करो..

शीला: जी पंडितजी..


पंडित: शीला...यदि तुम्हें यह सब करने में लज्जा आ रही तो....यह तुम
स्वयं कर लो...परंतु वेदों के अनुसार यह कार्य-यह पंडित को ही करना
चाहिए..

शीला: नहीं पंडितजी...यदि हम वेदों के अनुसार नहीं चले तो शिव कभी
प्रसन्न नहीं होंगे.....और भगवान के कार्य- में लज्जा कैसी ..?..

शीला अंधविश्वासी थी..

पंडित ने शीला का पेटिकोट घुटनो के ऊपर चढ़ा दिया...अब शीला की
टाँगें थाइस तक नंगी थी...

पंडित ने उसकी थाइस पे गंगाजल लगाया और उसकी थाइस हाथों से धोने
लगा...शीला ने शरम से टाँगें जोड़ रखी थी...

पंडित ने कहा..

पंडित: शीला...अपनी टाँगें खोलो..

शीला ने धीरे धीरे अपनी टाँगें खोल दी.....अब शीला पंडित के सामने
टाँगें खोल के बैठी थी...उसकी ब्लॅक कछि पंडित को सॉफ दिख रही
थी....पंडित ने शीला की इन्नर थाइस को छुआ...और उन्हे गंगाजल से रगड़ने
लगा.....

इस वक़्त पंडित के हाथ शीला के चूत के नज़दीक थे.....कुछ देर शीला के
आउटर और इन्नर थाइस धोने के बाद अब वो उनेह तौलिए से सुखानेः
लगा........फिर उसने उंगली में तिक्का लगाया और शीला के इन्नर थाइस पे
लगानेः लगा..

शीला: पंडितजी...यहाँ भी टीका लगाना होता.है...(शीला शरमातेः हुए
बोली, वो अनकंफर्टबल फील कर रही थी)

पंडित: हाँ....यहाँ शिवलिंग बनाना होता है..

शीला टाँगें खोल के बैठी थी और पंडित उसकी इन्नर जांघों पे उंगलियों
से शिवलिंग बना रहा था..

पंडित: शीला...लज्जा ना करना..

शीला: नहीं पंडितजी..

जैसे उंगली से माथे (फोर्हेड) पर टीका लगातेः हैं....पंडित कछि के
ऊपर से ही शीला की चूत पे भी टीका लगानेः लगा....शीला शर्म से लाल
हो रही थी...लेकिन गरम भी हो रही थी...पंडित टीका लगानेः के बहानेः
5-6 सेकेंड्स तक कछि के ऊपर से शीला की चूत रगड़ता रहा...

चूत से हाथ हटानेः के बाद पंडित बोला...

पंडित: विधि के अनुसार मुझे भी गंगाजल लगाना होगा...अब तुम इस गंगाजल
को मेरी छाती पे लगाओ..

पंडित लेट गया...

शीला: जी पंडितजी...

पंडित ने चेस्ट शेव कर रखी थी...और पेट भी...उसकी चेस्ट और पेट बिल्कुल
हेरलेस और स्मूद थे...शीला गंगाजल से पंडित की चेस्ट और पेट रगड़नेः
लगी.....शीला को अंदर ही अंदर पंडित का बदन अट्रॅक्ट कर रहा था...उसके
मन में आया की कितना स्मूद और चिकना है पंडित का बदन..ऐसे ख़याल
शीला के मन में पहले कभी नहीं आए थे..

पंडित: अब तुम मेरी छाती पे टिक्के से गणेश बना दो.....गणेश इस प्रकार
बनना चाहिए कि मेरे यह दोनो निपल्स गदेश के ऊपर के दोनो खानो की
बिंदुएं हो..

निपल्स का नाम सुन कर शीला शर्मा गयी...

शीला ने गणेश बनाया....लेकिन उसने सिर्फ़ गणेश के नीचे के दो खानो की
बिंदुए ही बनाई टिक्के से..

पंडित: शीला....गणेश में चार बिंदुए डालती हैं..

शीला: पंडितजी...लेकिन ऊपर की दो बिंदुए तो पहले से ही बनी हुई हैं..

पंडित: परंतु टीका उन पर भी लगेगा..

शीला पंडित के निपल्स पर टीका लगानेः लगी...

पंडित: मानव की धुन्नी उसकी ऊर्जा का स्त्रोत (सोर्स) होती है...अतेह यहाँ भी
टीका लगाओ...

शीला: जो आग्या पंडितजी..

शीला ने उंगली में टीका लगाया....पंडित की नेवेल में उंगली डाली...और
टीका लगानेः लगी.....पंडित ने शीला को अट्रॅक्ट करने के लिए अपना पेट और
चेस्ट शेव करने के साथ साथ अपनी नेवेल में थोड़ी क्रीम लगाई
थी...इसलिए उसकी नेवेल चिकनी हो गयी थी.....शीला सोच रही थी कि इतनी
चिकनी नेवेल तो उसकी खुद की भी नहीं है....शीला पंडित के बदन की तरफ
खीची चली जा रही थी....ऐसे थॉट्स उसके मन मैं पहले कभी नहीं आए
थे...

शीला ने पंडित की नेवेल में से अपनी उंगली निकाली...पंडित ने अपने थैले
से एक लंड की शेप की लकड़ी निकाली.....लकड़ी बिल्कुल वेल पॉलिश्ड थी....5
इंच लंबी और 1 इंच मोटी थी...

लकड़ी के एंड में एक छेद था...पंडित ने उस छेद में डाल कर मौलि
बाँधी...

पंडित: यह लो...यह शिवलिंग है...

शीला ने शिवलिंग को प्रणाम किया..

पंडित: इस शिवलिंग को अपनी कमर में बाँध लो.....यह हमेशा तुम्हारे
सामने आना चाहिए...तुम्हारे पेट के नीचे...

शीला: पंडितजी...इससे क्या होगा..?

पंडित: इस से शिव तुम्हारे साथ रहेगा....यदि किसी और ने इसे देख लिया
तो शिव नाराज़ हो जाएगा...अतेह..यह किसी को दिखाना या बताना नहीं.....और
तुम्हें हर समय यह बाँधे रखना है.......सोतेः समय भी....

शीला: जैसा आप कहें पंडितजी...

पंडित: लाओ...मैं बाँध दू..

दोनो खड़े हो गये...पंडित ने वो शिवलिंग शीला की कमर में डाला और उसके
पीछे आ कर मौलि की गाँठ बाँधनेः लगा...उसके हाथ शीला की नंगी कमर
को छू रहे थे...गाँठ लगानेः के बाद पंडित बोला..

पंडित: अब इश्स शिवलिंग को अंदर डाल लो..

शीला ने शिवलिंग को अपनेह पेटिकोट के अंदर कर लिया....शिवलिंग शीला की
टाँगों के बीच में आ रहा था...

पंडित: बस...अब तुम वस्त्रा बदल कर घर जा सकती हो...जो टीका मैने
लगाया है उसे ना हटाना...चाहे तो घर जा कर सारी उतार के सलवार
कमीज़ पहेन लेना.....जिससे की तुम्हारे देह पर लगा टीका किसी को दिखे ना...

शीला: परंतु स्नान करतेः समय तो टीका हट जाएगा...

पंडित: उसकी कोई बात नहीं....

शीला कपड़े बदल कर अपने घर आ गयी.....उसने टाँगों के बीच शिवलिंग
पहन रखा था...पूरे दिन वह टाँगों के बीच शिवलिंग लेके चलती फिरती
रही....शिवलिंग उसकी टाँगों के बीच हिलता रहा...उसकी स्किन को टच करता
रहा....

रात को सोतेः वक़्त शीला कछि नहीं पेहेन्ति थी.....जब रात को शीला
सोनेः के लिए लेटी हुई थी तो शिवलिंग शीला की चूत के डाइरेक्ट कॉंटॅक्ट में
था...शीला शिवलिंग को दोनो टाँगें टाइट्ली जोड़ के दबानेः लगी...उसे
अच्छा लग रहा था...उसे अपने पति के लिंग (पेनिस) की भी याद आ रही
थी......उसनेह सलवार का नाडा खोला...शिवलिंग को हाथ में लिया और
शिवलिंग को हल्के हल्के अपनी चूत पे दबानेः लगी....फिर शिवलिंग को अपनी
चूत पे रगड़नेः लगी....वह गरम हो रही थी......तभी उसे ख़याल आया
"शीला, यह तू क्या कर रही है.....शिवलिंग के साथ ऐसा करना बहुत पाप
है....".....यह सोच कर शीला ने शिवलिंग से हाथ हटा लिया.....सलवार का
नाडा बाँधा और सोनेः की कोशिश करने लगी....

तकरीबन आधी रात को शीला की आँख खुली....उसे अपनी हिप्स के बीच में
कुछ चुभ रहा था....उसने सलवार का नाडा खोला....हाथ हिप्स के बीच में
ले गयी....तो पाया की शिवलिंग उसकी हिप्स के बीच में फ़सा हुआ
था...शिवलिंग का मूँह शीला के अशोल से चिपका हुआ था....शीला को पीछे
से यह चुभन अच्छी लग रही थी....उसने शिवलिंग को अपने गांद पे और
प्रेस किया......उसे मज़ा आया...और प्रेस किया....और मज़ा आया...उसके गांद
मैं आग सी लगी हुई थी...उसका दिल चाह रहा था कि पूरा शिवलिंग अशोल
में दबा दे.....तभी उसे फिर ख़याल आया कि शिवलिंग के साथ ऐसा करना
पाप है.....उसने यह भी सोचा की "क्या भगवान शिव मेरे साथ ऐसा करना
चाहते हैं?".....डर के कारण उसने शिवलिंग को टाँगों के बीच में कर
दिया....नाडा बाँधा....और सो गयी...

अगले दिन शीला वही पिछले रास्ते से पंडित के पास सलवार कमीज़ पहेन करआ
गयी.....

पंडित: आओ शीला....जाओ दूध से स्नान कर आओ....और वस्त्रा बदल लो..

शीला दूध से नहा कर कपड़े पहन रही थी तो उसने देखा कि आज जोगिया
ब्लाउस और पेटिकोट के साथ जोगिया रंग की कछि भी पड़ी थी.....उसने
अपनी ब्लॅक कछि उतार के जोगिया कछि पहन ली...नहा के बाहर आई...

पंडित अग्नि जला कर बैठा मन्त्र पढ़ रहा था....

शीला भी उसके पास आ कर बैठ गयी..

पंडित: शीला.....आज तो तुम्हारे सारे वस्त्रा शूध हैं ना..?

शीला थोडा शर्मा गयी..

शीला: जी पंडितजी...


क्रमशः........................

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: पंडित & शीला

Post by jay »

पंडित & शीला पार्ट--4

गतांक से आगे...................

वह जानती थी कि पंडित का मतलब कcछि से है...

पंडित: तुम चाहो तो वो शिवलिंग फिलहाल निकाल सकती हो...

शीला खड़ी होकर शिवलिंग की मौलि खोलने लगी...लेकिन गाँठ काफ़ी टाइट लगी
थी....पंडित ने यह देखा..

पंडित: लाओ मैं खोल दूँ..

पंडित भी खड़ा हुआ...शीला के पीछे आ कर वो मौलि खोलने लगा...

पंडित: शिवलिंग ने तुम्हें परेशान तो नहीं किया....ख़ास कर रात में
सोनेः में कोई दिक्कत तो नहीं हुई..?

शीला कैसे कहती की रात को शिवलिंग ने उसके साथ क्या किया है...

शीला: नहीं पंडितजी...कोई परेशानी नहीं हुई..

पंडित ने मौलि खोली......शीला ने शिवलिंग पेटिकोट से निकाला तो पाया की
मौलि उसके पेटिकोट के नाडे में इलझ गयी थी...शीला कुछ देर कोशिश
करती रही लेकिन मौलि नाडे से नहीं निकली...

पंडित: शीला.....पूजा में विलंभ हो रहा है...लाओ मैं निकालूं

पंडित शीला के सामने आया और उसके पेटिकोट के नाडे से मौलि निकालने
लगा........

पंडित: यह ऐसे नहीं निकलेगा...तुम ज़रा लेट जाओ

शीला लेट गयी...पंडित उसके नाडे पे लगा हुआ था...

पंडित: शीला....नाडे की गाँठ खोलनी पड़ेगी...पूजा में विलंभ हो रहा
है...

शीला: जी...

पंडित ने पेटिकोट के नाडे की गाँठ खोल दी....गाँठ खोलने से पॅटिकोट
लूज हो गया और शीला की कछि से थोडा नीचे आ गया....

शीला शर्म से लाल हो रही थी....पंडित ने शीला का पेटिकोट थोड़ा
नीचे सरका दिया....शीला पंडित के सामने लेटी हुई थी....उसका पेटिकोट
उसकी कछि से नीचे था...मौलि निकालते वक़्त पंडित की कोनी (एल्बो) शीला
की चूत के पास लग रही थी....कुछ देर बाद मौलि नाडे से अलग हो गयी..

पंडित: यह लो...निकल गयी...

पंडित ने मौलि निकाल कर शीला के पेटिकोट का नाडा बाँधने लगा....उसने
नाडे की गाँठ बहुत टाइट बाँधी....शीला बोली..

शीला: आह...पंडितजी....बहुत टाइट है....

पंडित ने फिर नाडा खोला.....और इस बार गाँठ लूज बाँधी....

फिर दोनो चौकड़ी मार के बैठ गये..

पंडित: .....अब तुम ये मन्त्र 200 बार पढ़ो...और उसके बाद शिव की आरती
करना...

जब शीला की मन्त्र और आरती ख़तम हो गयी तो पंडित ने कहा...

पंडित: मैनेह कल वेद फिरसे पड़े तो उसमें लिखा था कि स्त्री (वुमन) जितनी
आकर्षक दिखे शिव उतनी ही जल्दी प्रसन्न होते हैं.....इस के लिए स्त्री जितना
चाहेः शृंगार कर सकती है.......लेकिन सच कहूँ.....

शीला: कहिए पंडितजी...

पंडित: तुम पहले से ही इतनी आकर्षक दिखती हो की शायद तुम्हे शृंगार की
आवश्यकता ही ना पड़े........

शीला अपनी तारीफ़ सुन कर शरमाने लगी...

पंडित: मैं सोचता हूँ कि तुम बिना शृंगार के इतनी सुंदर लगती हो...तो
शृंगार के पश्चात तो तुम बिल्कुल अप्सरा लगोगी...

शीला: कैसी बातें करतें हैं पंडितजी....मैं इतनी सुंदर कहाँ
हूँ......

पंडित: तुम नहीं जानती तुम कितनी सुंदर हो......तुम्हारा व्यवहार भी बहुत
चंचल है.....तुम्हारी चाल भी आकर्षित करती है...

शीला यह सब सुन कर शर्मा रही थी...मुस्कुरा रही थी....उसे ये सब अच्छा
लग रहा था...

पंडित: वेदों के अनुसार तुम्हारा शृंगार पवित्र हाथों से होना
चाहिए....अथवा तुम्हारा शृंगार मैं करूँगा......इसमें तुम्हें कोई
आपत्ति तो नहीं....

शीला: नहीं पंडितजी.....

पंडित: शीला.....मुझे याद नहीं रहा था....लेकिन वेदों के अनुसार जो
शिवलिंग मैने तुम्हें दिया था उस पर पंडित का चित्रा होना
चाहिए.....इसलिए इस शिवलिंग पे मैं अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका रहा
हूँ.....

शीला: ठीक है पंडितजी...

पंडित: और हाँ...रात को दो बार उठ कर इस शिवलिंग को जै करना...एक बार
सोने से पहले...और दूसरी बार बीच रात मैं

शीला: जी पंडितजी...

पंडित ने शिवलिंग पर अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका दी....और शीला को
बाँधने के लिए दे दिया...

शीला ने पहले जैसे शिवलिंग को अपनी टाँगों के बीच बाँध लिया...

शीला अपने कपड़े पहेन के घर चली आई......पंडित से अपनी तारीफ़ सुन कर
वो खुश थी....

सारे दिन शिवलिंग शीला के टाँगों के बीच चुभता रहा....लेकिन अब यह
चुभन शीला को अच्छी लग रही थी...

शीला रात को सोनेः लेटी तो उसे याद आया की शिवलिंग को जै करना है...

उसने सलवार का नाडा खोल के शिवलिंग निकाला और अपने माथे से लगाया...वो
शिवलिंग पे पंडित की फोटो को देखने लगी...

उसे पंडित द्वारा की गयी अपनी तारीफ़ याद आ गयी.....उसेह पंडित अच्छा
लगने लगा था...

कुछ देर तक पंडित की फोटो को देखने के बाद उसने शिवलिंग को वहीं अपनी
टाँगों के बीच में रख दिया और नाडा लगा लिया...

शिवलिंग शीला की चूत को टच कर रहा था....शीला ना चाहते हुए भी एक
हाथ सलवार के ऊपर से ही शिवलिंग पे ले गयी...और शिवलिंग को अपनी चूत
पे दबाने लगी....साथ साथ उसे पंडित की तारीफ़ याद आ रही थी...

उसका दिल कर रहा था कि वो पूरा का पूरा शिवलिंग अपनी चूत में डाल
दे....लेकिन इसे ग़लत मानते हुए और अपना मन मारते हुए उसने शिवलिंग से हाथ
हटा लिया...

आधी रात को उसकी आँख खुली तो उसेह याद आया की शिवलिंग को जै करनी
है...

शिवलिंग का सोचते ही शीला को अपनी हिप्स के बीच में कुछ लगा......शिवलिंग
कल की तरह शीला की हिप्स में फ़सा हुआ था....

शीला ने सलवार का नाडा खोला और शिवलिंग बाहर निकाला.....उसने शिवलिंग
को जै किया....उस पर पंडित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी.."यह क्या
पंडित जी...पीछे क्या कर रहे थे...".....शीला शिवलिंग को अपनी हिप्स के
बीच में ले गयी और अपने गांद पे दबाने लगी.....उसे मज़ा आ रहा था
लेकिन डर की वजह से वो शिवलिंग को गांद से हटा कर टाँगों के बीच ले
आई....उसने शिवलिंग को हल्का सा चूत पे रगड़ा...फिर शिवलिंग को अपने
माथे पे रखा और पंडित की फोटो को देख कर दिल मैं कहने लगी
"पंडितजी....क्या चाहते हो..?...एक विधवा के साथ यह सब करना अच्छी बात
नहीं"..........

फिर उसने वापस शिवलिंग को अपनी जगह बाँध दिया....और गरम चूत ही ले के
सो गयी....

अगले दिन......

पंडित: शीला...शिव को सुंदर स्त्रियाँ आकर्षित करती
हैं......अतः..तुम्हें शृंगार करना होगा....परंतु वेदों के अनुसार यह
शृंगार शूध हाथों से होना चाहिए.......मैने ऐसा पहले इसलिए नहीं
कहा की शायद तुम्हें लज्जा आए...

शीला: पंडितजी...मैने तो आपसे पहले ही कहा था कि मैं भगवान के काम
में कोई लज्जा नहीं करूँगी.....

पंडित: तो मैं तुम्हारा शृंगार खुद अपने हाथों से करूँगा....

शीला: जी पंडितजी...

पंडित: तो जाओ...पहले दूध से स्नान कर आओ..

शीला दूध से नहा आई....

पंडित ने शृंगार का सारा समान तैयार कर रखा था...लिपस्टिक, रूज़,
एए-लाइनर, ग्लिम्मर, बॉडी आयिल.....

शीला ने ब्लाउस और पेटिकोट पहना था....

पंडित: आओ शीला...

पंडित और शीला आमने सामने ज़मीन पर बैठ गये....पंडित शीला के बिल्कुल
पास आ गया

पंडित: तो पहले आँखों से शुरू करते हैं....

पंडित शीला के एए-लाइनर लगाने लगा..

पंडित: शीला...एक बात कहूँ..?

शीला: कहिए पंडितजी..

पंडित: तुम्हारी आँखें बहुत सुंदर हैं....तुम्हारी आँखों में बहुत
गहराई है...

शीला शर्मा गयी....

पंडित: इतनी चमकीली....जीवन से भारी...प्यार बिखेरती........कोई भी इन
आँखों से मन्त्र-मुग्ध हो जाए....

शीला शरमाती रही...कुछ बोली नहीं...थोडा मुस्कुरा रही थी....उसे अच्छा
लग रहा था....

एए-लाइनर लगाने के बाद अब गालों पे रूज़ लगाने की बारी आई..

पंडित ने शीला के गालों पे रूज़ लगातेः हुए कहा...

पंडित: शीला....एक बात कहूँ...?

शीला: जी...कहिए पंडितजी..

पंडित: तुम्हारे गाल कितने कोमल हैं.....जैसे की मखमल के बने हो....इन पे
कुछ लगाती हो क्या.....

शीला: नहीं पंडितजी.....अब शृंगार नहीं करती....केवल नहाते वक़्त साबुन
लगाती हूँ..

पंडित शीला के गालों पे हाथ फेरने लगा...

शीला शर्मा रही थी..

पंडित: शीला...तुम्हारे गाल छूनेः में इतने अच्छे हैं की..शिव का भी
इन्हें...इन्हें....

शीला: इन्हें क्या पंडितजी..?

पंडित: शिव का भी इन गालों का चुंबन लेने को दिल करे..

शीला शर्मा गयी....थोड़ा सा मुस्कुराई भी...अंदर से उससे बहुत अच्छा
लग रहा था...

पंडित: और एक बार चुंबन ले तो छोड़ने का दिल ना करे.....

गालों पे रूज़ लगाने के बाद अब लिप्स की बारी आई....

पंडित: शीला....होंठ (लिप्स) सामने करो...

शीला ने लिप्स सामने करे...

पंडित: मेरे ख़याल से तुम्हारे होंठो पर गाढ़ा लाल (डार्क रेड) रंग बहुत
अच्छा लगेगा....

पंडित ने शीला के होंठो पे लिपस्टिक लगानी शुरू की....शीला ने शरम से
आँखें बंद कर रखी थी...

पंडित: शीला...तुम लिपस्टिक होंठ बंद करके लगाती हो क्या....थोड़े होंठ
खोलो...

शीला ने होंठ खोले......पंडित ने एक हाथ से शीला की तोड़ी पकड़ी और
दूसरे हाथ से लिपस्टिक लगाने लगा....

पंडित: वाह...अति सुंदर.....

शीला: क्या पंडितजी...

पंडित: तुम्हारे होंठ....कितने आकर्षक हैं तुम्हारेहोंठ....क्या बनावट
है......कितने भर्रे भर्रे....कितने गुलाबी...

शीला: ....आप मज़ाक कर रहे हैं पंडितजी....

पंडित: नहीं...शिव की सौगंध.....तुम्हारे होंठ किसी को भी आकर्षित कर
सकते हैं.......तुम्हारे होंठो देख कर तो शिव पार्वती के होंठ भूल
जाए....वह भी ललचा जाए......तुम्हारे होंठो का सेवन करे.....तुम्हारे
होंठो की मदिरा पिएं................

शीला अंदर से मरी जा रही थी....उससे बहुत ही अच्छा फील हो रहा था....

पंडित: एक बात पूछूँ?

शीला: पूछिए पंडितजी..

पंडित: क्या तुम्हारे होंठो का सेवन किसी ने किया है आज तक...

शीला यह सुनते ही बहुत शर्मा गयी....

शीला: एक दो बार....मेरे पति ने..

पंडित: केवल एक दो बार.....

शीला: वो ज़्यादातर बाहर रहते थे....

पंडित: तुम्हारे पति के अलावा और किसी ने नहीं...

शीला: कैसी बातें कर रहें हैं पंडितजी....पति के अलावा और कौन कर
सकता है...क्या वो पाप नहीं है....

पंडित: यदि विवश हो के किया जाए तो पाप है.....वरना
नहीं............लेकिन तुम्हारे होंठो का सेवन बहुत आनंदमयी होगा......ऐसे
होंठो का रूस जिसने नहीं पिया..उसका जीवन अधूरा है...

शीला अंदर ही अंदर खुशी से पागल हुई जा रही थी...........अपनी इतनी
तारीफ़ उसने पहले बार सुनने को मिल रही थी...

फिर पंडित ने हेर-ड्राइयर निकाला..

अब पंडित ड्राइयर से शीला के बॉल सुखाने लगा....शीला के बॉल बहुत लंबे
थे...

पंडित: शीला झूट नहीं बोल रहा...लेकिन तुम्हारे बॉल इतने लंबे और घन्ने
हैं की शिव इनमें खो जाएँगे...

उसने शीला का हेर-स्टाइल चेंज कर दिया...उसके बॉल बहुत फ्लफी हो गये...

एए-लाइनर, रूज़, लिपस्टिक और ड्राइयर लगाने के बाद पंडित ने शीला को शीशा
दिखाया...

शीला को यकीन ही नहीं हुआ कि वह भी इतनी सुंदर दिख सकती है...

पंडित ने वाकई ही शीला का बहुत अच्छा मेक-अप किया था...

ऐसा मेकप देख कर शीला खुद को सेन्ल्युवस फील करने लगी...

उससे पता ना था कि वो भी इतनी एरॉटिक लग सकती है....

पंडित: मैने तुम्हारे लिए ख़ास जड़ीबूटियों का तेल बनाया है....इससे
तुम्हारी त्वचा में निखार आएगा...तुम्हारी त्वचा बहुत मुलायम हो
जाएगी.....तुम अपने बदन पे कौनसा तेल लगाती हो.?

शीला 'बदन' का नाम सुन के थोडा शर्मा गयी.....सेन्ल्युवस तो वो पहले ही
फील कर रही थी...'बदन' का नाम सुनके वो और सेन्युवस फील करने लगी...

शीला: जी...मैं बदन पे कोई तेल नहीं लगाती...

पंडित: चलो कोई नहीं.....अब ज़रा घुटनो के बल खड़ी हो जाओ....

शील नी-डाउन (टू स्टॅंड ओं नीस) हो गयी....

पंडित: मैं तुम पर तेल लगाओंगा....लज्जा ना करना..

शीला: जी पंडितजी...

शीला ब्लाउस-पेटिकोट में घुटनो पे थी......

पंडित भी घुटनो पे हो गया...

शीला के पेट पे तेल लगाने लगा....

अब वो शीला के पीछे आ गया....और शीला की पीठ और कमर पे तेल लगाने
लगा.....

पंडित: शीला तुम्हारी कमर कितनी लचीली है....तेल के बिना भी कितनी
चिकनी लगती है...

पंडित शीला के बिल्कुल पीछे आ गया....दोनो घुटनो पे थे...

शीला के हिप्स और पंडित के लंड मैं मुश्किल से 1 इंच का फासला था...

पंडित पीछे से ही शीला के पेट पे तेल लगाने लगा....

वो उसके पेट पे लंबे लंबे हाथ फेर रहा था...

पंडित: शीला....तुम्हारा बदन तो रेशमी है...तुम्हारे पेट को हाथ
लगाने में कितना आनद आता है....ऐसा लग रहा है कि शनील की रज़ाई पे
हाथ चला रहा हूँ..........

पंडित पीछे से शीला के और पास आ गया...उसका लंड शीला की हिप्स को जस्ट
टच कर रहा था...

पंडित शीला की नेवेल में उंगली घुमाने लगा....

पंडित: तुम्हारी धुन्नी कितनी चिकनी और गहरी है....जानती हो यदि शिव ने
ऐसी धुन्नी देख ली तो वह क्या करेगा..?

शीला: क्या पंडितजी.?

पंडित: साधा तुम्हारी धुन्नी में अपनी जीभ डाले रखेगा.....इसे चूस्ता
और चाट-ता रहेगा

यह सुन कर शीला मुस्कुराने लगी.....शायद हर लड़की/नारी को अपनी तारीफ़
सुनना अच्छा लगता है....चाहे तारीफ़ झूठी ही क्यूँ ना हो....

पंडित एक हाथ शीला के पेट पे फेर रहा था...और दूसरे हाथ की उंगली
शीला की नेवेल में घूममा रहा था...

शीला के पेट पे लंबे लंबे हाथ मारते वक़्त पंडित दो तीन उंगलिया शीला के
ब्लाउस के अंदर भी ले जाता...

टीन चार बार उसकी उंगलियाँ शीला के बूब्स के बॉटम को टच करी....

शीला गरम होती जा रही थी....

पंडित: शीला...अब हमारी पूजा आखरी चरनो(स्टेजस) मैं है.....वेदों के
अनुसार शिव ने कुछ आससन बतायें हैं...

शीला: आससन...कैसे आससन पंडितजी..?

पंडित: अपने शरीर को शूध करने के पश्चात जो स्त्री वो आस्सन लेती
है...शिव उस-से सदा के लिए प्रसन्न हो जाता है..........लेकिन यह आस्सन
तुम्हें एक पंडित के साथ लेने होंगे....परंतु हो सकता है मेरे साथ आससन
लेने में तुम्हें लज्जा आए...

शीला: आपके साथ आस्सन........मुझे कोई आपत्ति नहीं है.......

पंडित: तो तुम मेरे साथ आस्सन लॉगी..?

शीला: जी पंडितजी...

पंडित: लेकिन आस्सन लेने से पहले मुझे भी बदन पे तेल लगाना होगा....और
यह तुम्हें लगाना है...

शीला: जी पंडितजी...

यह कह कर पंडित ने तेल की बॉटल शीला को दे दी....और वो दोनो आमने सामने
आ गये....दोनो घुटनो पे खड़े थे...

शीला ने पंडित की चेस्ट पे तेल लगाना शुरू किया....

पंडित ने चेस्ट, पेट और अंडरआर्म्स शेव किए थे......इसलिए उसकी स्किन बिल्कुल
स्मूद थी...

शीला पहले भी पंडित के बदन से अट्रॅक्ट हो चुकी थी....आज पंडित के बदन
पे तेल लगाने से उसका बदन और चिकना हो गया...............वो पंडित की
चेस्ट, पेट, बाहें और पीठ पर तेल लगाने लगी.....वह अंदर से पंडित के
बदन से लिपटना चाह रही थी....शीला भी पंडित के पीछे आ गयी...और
उसकी पीठ पे तेल मलने लगी...फिर पीछे से ही उसके पेट और छाती पे तेल
मलने लगी....शीला के बूब्स हल्के हल्के पंडित की पीठ से टच हो रहे
थे....शीला ने भी पंडित की नेवेल में दो तीन बार उंगली घुमाई......
पंडित: शीला...तुम्हारे हाथों का स्पर्श कितना सुखदायी है....

शीला कहना चाह रही थी कि 'पंडितजी..आपके बदन का स्पर्श भी बहुत
सुखदायी है... '........लेकिन शर्म की वजह से ना कह पाई.......

पंडित: चलो...अब आस्सन ले...........पहले आस्सन में हम दोनो को एक दूसरे
से पीठ मिला कर बैठना है...

पंडित और शीला चौकड़ी मार के और एक दूसरे की तरफ पीठ कर के बैठ
गये....फिर दोनो पास पास आए जिससे की दोनो की पीठ मिल जाए.....

पंडित की पीठ तो पहले ही नंगी थी क्यूंकी उसने सिर्फ़ लूँगी पहनी
थी....शीला ब्लाउस और पेटिकोट में थी......उसकी लोवर पीठ तो नंगी
थी ही....उसके ब्लाउस के हुक्स भी नहीं थे इसलिए ऊपर के पीठ भी थोड़ी
सी एक्सपोज़्ड थी...

दोनो नंगी पीठ से पीठ मिला कर बैठ गये...

पंडित: शीला...अब हाथ जोड़ लो....

पंडित हल्के हल्के शीला की पीठ को अपनी पीठ से रगड़नेः लगा...दोनो की
पीठ पे तेल लगा था...इसलिए दोनो की पीठ चिकनी हो रही थी....

पंडित: शीला......तुम्हारी पीठ का स्पर्श कितना अच्छा है.......क्या तुमनें
इससे पहले कभी अपनी नंगी पीठ किसी की पीठ से मिलाई है..?

शीला: नहीं पंडितजी....पहली बार मिला रही हूँ....

शीला भी हल्के हल्के पंडित की पीठ पे अपनी पीठ रगड़नेः लगी....

पंडित: चलो...अब घुटनो पे खड़े होकर पीठ से पीठ मिलानी है....

दोनो घुटनो के बल हो गये....

एक दूसरे की पीठ से चिपक गये.....इस पोज़िशन में सिर्फ़ पीठ ही नहीं..दोनो
की हिप्स भी चिपक रहीं थी...

पंडित: अब अपनी बाहें मेरी बाहों में डाल के अपनी तरफ हल्के हल्के
खीँचो...

दोनो एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल के खींच ने लगे....दोनो की नंगी
पीठ और हिप्स एक दूसरे की पीठ और हिप्स से चिपक गयी....

पंडित अपनी हिप्स शीला की हिप्स पे रगड़ने लगा....शीला भी अपनी हिप्स पंडित
की हिप्स पे रगड़ने लगी...

शीला की चूत गरम होती जारही थी..

पंडित: शीला.....क्या तुम्हें मेरी पीठ का स्पर्श सुखदायी लगा रहा है..?

शीला शरमाई....लेकिन कुछ बोल ही पड़ी...

शीला: हाँ पंडितजी......आपकी पीठ का स्पर्श बहुत सुखदायी है...

पंडित: ...और नीचे का..?..

शीला समझ गयी पंडित का इशारा हिप्स की तरफ है..

शीला: ..ह..हाँ पंडितजी...

दोनो एक दूसरे की हिप्स को रगड़ रहे थे...

पंडित: शीला.....तुम्हारे चूतड़ भी कितने कोमल लगते हैं....कितने
सुडोल...मेरे चूतड़ तो थोड़े कठोर हैं...

शीला: पंडितजी....आदमियों के थोड़े कठोर ही अच्छे लगते हैं....

पंडित: अब मैं पेट के बल लेटूँगा...और तुम मेरे ऊपर पेट के बल लेट जाना...

शीला: जी पंडितजी...

पंडित ज़मीन पर पेट के बल लेट गया और शीला पंडित के ऊपर पेट के बल लेट
गयी...

शीला के बूब्स पंडित की पीठ पे चिपके हुए थे...

शीला का नंगा पेट पंडित की नंगी पीठ से चिपका हुआ था....

शीला खुद ही अपना पेट पंडित की पीठ पे रगड़ने लगी....

पंडित: शीला.....तुम्हारे पेट का स्पर्श ऐसे लगता है जैसे की मैने शनील
की रज़ाई औड ली हो.....और एक बात कहूँ...

शीला: स...कहिए पंडितजी..

पंडित: तुम्हारे स्तनो का स्पर्श तो......

शीला अपने बूब्स भी पंडित की पीठ पे रगड़ने लगी...

शीला: तो क्या....

पंडित: मदहोश कर देने वाला है.....तुम्हारे स्तनो को हाथों में लेने के
लिए कोई भी ललचा जाए...

शीला: स्सह.........

पंडित: अब मैं सीधा लेटूँगा और तुम मुझ पर पेट के बल लेट जाओ....लेकिन
तुम्हारा मुँह मेरे चरनो की और मेरा मुँह तुम्हारे चरनो की तरफ होना
चाहिए...

पंडित पीठ के बल लेट गया और शीला पंडित के ऊपर पेट के बल लेट गयी....

शीला की टाँगें पंडित के फेस की तरफ थी........शीला की नेवेल पंडित के
लंड पे थी....वह उसके सख़्त लंड को महसूस कर रही थी.....

पंडित शीला की टाँगों पे हाथ फेरने लगा...

पंडित: शीला........तुम्हारी टाँगें कितनी अच्छी हैं....

पंडित ने शीला का पेटिकोट ऊपर चड़ा दिया और उसकी थाइस मलने लगा....

उसने शीला की टाँगें और वाइड कर दी.....शीला की पॅंटी सॉफ दिख रही
थी...

पंडित शीला की चूत के पास हल्के हल्के हाथ फेरने लगा....

पंडित: शीला....तुम्हारी जाघे कितनी गोरी और मुलायम हैं.....

चूत के पास हाथ लगाने से शीला और भी गरम हो रही थी....

पंडित: तुम्हें अब तक सबसे अच्छा आस्सन कौनसा लगा.?

शीला: स....वो...घुटनो के बल....पीठ से पीठ...नीचे से नीचे वाला.....

पंडित: चलो....अब मैं बैठ-ता हूँ...और तुम्हें सामने से मेरे कंधों पे
बैठना है.....मेरा सिर तुम्हारी टाँगों के बीच में होना चाहिए...

शीला: जी....

शीला ने पंडित का सिर अपनी टाँगों के बीच लिया और उसके कंधों पे बैठ
गयी...

इस पोज़िशन में शीला की नेवेल पंडित के लिप्स पे आ रही थी....

पंडित अपनी जीभ बाहर निकाल के शीला की धुन्नी में घुमाने लगा...

शीला को बहुत मज़ा आ रहा था...

क्रमशः..............................

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: पंडित & शीला

Post by jay »

पंडित & शीला पार्ट--5

गतांक से आगे......................

पंडित: शीला...आँखें बाद करके बोलो..स्वाहा..

शीला: स्वाहा..

पंडित: शीला....तुम्हारी धुन्नी कितनी मीठी और गहरी है..............क्या
तुम्हें यह वाला आससन अच्छा लग रहा है..

शीला: हान्न...पंडितजी....यह आस्सन बहुत अच्छा है....बहुत अच्छाअ...

पंडित: क्या किसी ने तुम्हारी धुन्नी में जीभ डाली है....

शीला: आहह....नहीं पंडितजी...आप पहले हैं...

पंडित: अब तुम मेरे कंधों पे रह के ही पीछे की तरफ लेट जाओ.....हाथों से
ज़मीन का सहारा ले लो...

शीला पंडित के कंधों का सहारा लेकर लेट गयी......

अब पंडित के लिप्स के सामने शीला की चूत थी....

पंडित धीरे से अपने हाथ शीला के स्तनो पे ले गया...और ब्लाउस के ऊपर से
ही दबाने लगा...

शीला यही चाह रही थी.....

पंडित: शीला....तुम्हारे स्तन कितने भर्रे भर्रे हैं.......अच्छे
अच्छे....

शीला: आहह.......

शीला ने एक हाथ से अपना पेटिकोट ऊपर चड़ा दिया और अपनी चूत को पंडित
के लिप्स पे लगा दिया....

पंडित कच्ची के ऊपर से ही शीला की चूत पे जीभ मारने लगा....

पंडित: शीला....अब तुम मेरी झोली मैं आ जाओ...

शीला फॉरेन पंडित के लंड पे बैठ गयी.....उस-से लिपट गयी....

पंडित: आ....शीला...यह आस्सन अच्छा है..?..

शीला: स..स..सबसे.अच्छा....ऊओ पंडितजी...

पंडित: ऊहह...शीला....आज तुम बहुत कामुक लग रही हो.....क्या तुम मेरे
साथ काम करना चाहती हो..?

शीला: हाँ पंडितजी.....सस्स.......मेरी काम अग्नि को शांत
कीजिए....हह...प्लीज़..पंडितजी...

पंडित शीला के बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा....शीला बार बार अपनी चूत
पंडित के लंड पे दबाने लगी...

पंडित ने शीला का ब्लाउस उतार के फेंक दिया और उसके निपल्स को अपने मुँह
में ले लिया.....

शीला: आअहह...पंडितजी....मेरा उद्धार करो....मेरे साथ काम करो....

पंडित: बहुत नहाई है मेरे दूध से.....सारा दूध पीजाउन्गा तेरी
चूचियो का....

शीला: आअहह....पी जाओ.....मैं सीसी...कब मना करती हूँ...पी लो
पंडितजी....पी लो....

कुछ देर तक दूध पीने के बाद अब दोनो से और नहीं सहा जा रहा था...

पंडित ने बैठे बैठे ही अपनी लूँगी खोल के अपने कछे से अपना लंड
निकाला...शीला ने भी बैठे बैठे ही अपनी कच्ची थोड़ी नीचे कर दी....

पंडित: चल जल्दी कर.....

शीला पंडित के सख़्त लंड पर बैठ गयी....लंड पूरा उसकी चूत में चला
गया....

शीला: आअहह......स्वाहा....करदो मेरा स्वाहा..आ...

शीला पंडित के लंड पे ऊपर नीचे होने लगी....चुदाई ज़ोरो पे थी....

पंडित: आहह.....मेरी रानी.....मेरी पुजारन.....तेरी योनि कितनी अच्छी
है....कितनी सुखदायी.....मेरी बासुरी को बहुत मज़ा आ रहा है....

शीला: पंडितजी.....आपकी बासुरी भी बड़ी सुखदायी है....आपकी बासुरी मेरी
योनि में बड़ी मीठी धुन बजा रही है...

पंडित: शिवलिंग को छोड़....पहले मेरे लिंग की जै कर ले.....बहुत मज़ा देगा
यह तेरेको..

शीला: ऊऊआअ....प्प....पंडितजी....रात को तो आपके शिवलिंग ने कहाँ कहाँ
घुसने की कोशिश की......

पंडित: मेरी रानी...एयेए....फिकर मत कर.....स...तुझे जहाँ जहाँ घुस्वाना
है....मैं घुसाऊंगा....

शीला: आअहह......पंडितजी....एक विधवा को...दिलासा नहीं....मर्द का बदन
चाहिए....असली सुख तो इसी में है....क्यूँ.......आआ....बोलिए ना
पंडितजी...आऐईए...

पंडित: हाँ..आ....

अब शीला लेट गयी और पंडित उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा...

साथ साथ वो शीला के बूब्स भी दबा रहा था...

पंडित: आअहह...उस....आज के लिया तेरा पति बन जाऊं...बोल...

शीला: आआई...सस्स.......ई.....हाआन्न....बन जाओ.....

पंडित: मेरा बान (अर्रो) आज तेरी योनि को चीर देगा......मेरी प्यारी....

शीला: आअहह.....चीर दो....आआअहह....चईएर दो नाअ.....आआहह

पंडित: आअहह...ऊऊऊऊ नही स्‍वाहा

दोनो एक साथ झाड़ गये और पंडित ने सारा सीमेन शीला की चूत के ऊपर झाड़
दिया....

शीला: आहह......

अब शीला पंडित से आँखें नहीं मिला पा रही थी......

पंडित शीला के साथ लेट गया और उसके गालों को चूमने लगा...

शीला: पंडितजी....क्या मैने पाप कर दिया है....?..

पंडित: नहीं शीला.....पंडित के साथ काम करने से तुम्हारी शुधता बढ़
गयी है.....

शीला कपड़े पहेन के और मेकप उतार के घर चली आई.....

आज पंडित ने उसे शिवलिंग बाँधने को नहीं दिया था.....

रात को सोतेः वक़्त शीला शिवलिंग को मिस कर रही थी.......

उसे पंडित के साथ हुई चुदाई याद आने लगी..................वो मन ही मन
में सोचने लगी..'पंडितजी...आप बड़े वो हैं....कब मेरे साथ क्या क्या करते
चले गये..पता ही नहीं चला...पंडितजी...आपका बदन कितना अच्छा
है........अपने बदन की इतनी तारीफ़ मैने पहली बार सुनी है.........आप
यहाँ क्यूँ नहीं हैं..'

शीला ने अपना सलवार का नडा खोला और अपनी चूत को रगड़ने
लगी....'पंडितजी....मुझे क्या हो रहा है'..यह सोचने लगी...

चूत से हटा के उंगली गांद पे ले गयी...और गांद को रगड़ने लगी....'यह
मुझे कैसा रोग लग गया है...टाँगों के बीच में भी चुभन.....हिप्स के
बीच में भी चुभन.....ओह..'...

अगले दिन रोज़ की तरह सुबेह 5 बजे शीला मंदिर आई.....इस वक़्त मंदिर में
और कोई ना हुआ करता था...

पंडित ने शीला को इशारे से मंदिर के पीछे आने को कहा.....

शीला मंदिर के पीछे आ गयी....आतेः ही शीला पंडित से लिपट गयी..

शीला: ओह...पंडितजी....

पंडित: श...शीला........

पंडित शीला को लिप्स पे चूमने लगा....शीला की आस दबाने लगा...शीला भी
कस के पंडित के होंठो को चूम रही थी......तभी मंदिर का घंटा
बजा.....और दोनो अलग हो गये.....

मंदिर में कोई पूजा करने आया था......पंडित अपनी चूमा-चॅटी चोर के
मंदिर में आ गया......

जब मंदिर फिर खाली हो गया तो पंडित शीला के पास आया.

पंडित: शीला....इस वक़्त तो कोई ना कोई आता ही रहेगा.....तुम वही अपने पूजा
के टाइम पे आ जाना...

शीला अपनी पूजा करके चली आई..........उसका पंडित को छोड़ने का दिल नहीं
कर रहा था...खेर....वो 12:45 बजे का इंतज़ार करने लगी.....

12:45 बजे वो पंडित के घर पहुँची......दरवाज़ा खुलते ही वो पंडित से लिपट
गयी...

पंडित ने जल्दी से दरवाज़ा बंद किया और शीला को लेकर ज़मीन पे बिछी
चादर पे ले आया.....

शीला ने पंडित को कस के बाहों में ले लिया..... पंडित के फेस पर किस पे
किस किए जा रही थी....अब दोनो लेट गये तह और पंडित शीला के ऊपर
था....

दोनो एक दूसरे के होंठो को कस कस के चूमने लगे...

पंडित शीला के होंठो पे अपनी जीभ चलाने लगा.....शीला ने भी मुँह खोल
दिया...अपनी जीभ निकाल के पंडित की जीभ को चाटने लगी.........पंडित ने
अपनी पूरी जीभ शीला के म्नूः में डाल दी......शीला पंडित के दातों पे
जीभ चलाने लगी....

पंडित: ओह...शीला.....मेरी रानी...तेरी जीभ...तेरा मुँह तो मिल्क-केक जैसा
मीठा है...

शीला: पंडितजी...एयेए......आपके होंठ बड़े रसीलें हैं.....आपकी जीभ
शरबत है..आआहह...

पंडित: ओह्ह्ह...शीला....

पंडित शीला के गले को चूमने लगा......

आज शीला सफेद सारी-ब्लाउस में आई थी......

पंडित शीला का पल्लू हटा के उसके स्तनो को दबाने लगा....शीला ने खुद ही
ब्लाउस और ब्रा निकाल दिया..

पंडित उसके बूब्स पे टूट पड़ा.....उसके निपल्स को कस कस केचूसने लगा....

शीला: ह...पंडितजी.....आराम से.......मेरे स्तन आपको इतने अच्छे लगे
हैं...?...आऐईई....

पंडित: हाँ......तेरे स्तनो का जवाब नहीं.....तेरा दूध कितनी क्रीम वाला
है.....और तेरे गुलाबी निपल्स...इने तो मैं खा जाऊँगा...

शीला: आअहह....ह...ई......तो खा जाओ ना...मना कौन करता है......

पंडित शीला के निपल्स को दातों के बीच में लेके दबाने लगा...

शीला: आऐईए......इतना मत काटो.....आहह....वरना अपनी इस भेंस (काउ) का
दूध नहीं पी पाओगे....

पंडित: ऊओ...मेरी भेंस.....मैं हमेशा तेरा दुदु पीता रहूँगा....

शीला: ई...त..आआ....तो..पी..आ...लो ना.....निकालो ना मेरा
दूध......खाली कर दो मेरे स्तनो को.....

पंडित कुछ देर तक शीला के स्तनो को चूस्ता, चबाता, दबाता और काट-ता
रहा...

फिर पंडित नीचे की तरफ आ गया.....उसने शीला की सारी और पेटिकोट उसके
पेट तक चढ़ा दिए.....उसकी टाँगें खोल दी......

पंडित: शीला....आज कच्ची पहनने की क्या ज़रूरत थी....

शीला: पंडितजी...आगे से नहीं पहेनूगी....

पंडित ने शीला की कच्ची निकाल दी...

पंडित: मेरी रानी....अपनी योनि द्वार का सेवन तो करादे....

यह कह कर पंडित शीला की चूत चाट-ने लगा..........शीला के बदन में
करेंट सा दौड़ गया....शीला पहली बार चूत चटवा रही थी....

शीला: आआहह......म...एमेम..म.....मेरी योनि का सेवन कर लो
पंडितजी.....तुम्हारे लिए सारे द्वार खुले हैं....अपनी शूध जीभ से मेरी
योनि का भोग लगा लो....मेरी योनि भी पवित्र हो जाएगी.......आआहह

पंडित: आअहह...मज़ा आ गया....

शीला: अया....हां..हां.....ले लो मज़ा.....एक विधवा को तुमने गरम तो कर
ही दिया है....इसकी योनि चखने का मौका मत गावाओ.......मेरे
पंडितजी...आआईई..........प......

पंडित ने शीला को पेट के बल लिटा दिया...उसकी सारी और पेटिकोट उसकी हिप्स
के ऊपर चढ़ा दिए..और शीला की हिप्स पे किस करने लगा...शीला की हिप्स
थोड़ी बड़ी थी...बहुत सॉफ्ट थी....

पंडित: शीला.....मैं तो तेरे चूतड़ पे मर जाऊं......

शीला: पंडितजी....आहह...मरना ही है तो मेरे छूतदों के असली द्वार पे
मरो......आपने जो शिवलिंग दिया था वो मेरे छूतदों के द्वार पे आकर ही
फस्ता था...........

पंडित: तू फिकर मत कर.....तेरे हर एक द्वार का भोग लगाऊँगा....

यह कह कर पंडित ने शीला को घोड़ा बनाया...और उसकी गांद चाट-ने लगा....

शीला को इसमें बहुत अच्छा लग रहा था.........पंडित शीला का अशोल
चाट-ने के साथ साथ उसकी फुददी को रगड़ रहा था.......

शीला: आअहह....चलो...पंडितजी...अब स्वाहा कर दो.....उउस्स्ष्ह

पंडित: चल....अब मेरा प्रसाद लेने के लिए तैय्यर हो जा...

शीला: आहह...पंडितजी.....आज मैं प्रसाद पीछे से लूँगी....

पंडित: चल मेरी रानी....जैसे तेरी मर्ज़ी......

पंडित ने धीरे धीरे शीला की गांद में अपना पूरा लंड डाल दिया......

शीला: आआआहहह......

पंडित: अया...शीला प्यारी....बस कुछ सबर करले....आहह

शीला: आआहह....पंडितजी....मेरे पीछे...आऐईए...पीछे के द्वार मे आपका स्वागत है

पंडित: आअहह....मेरे बान (आरो) को तेरा पिछला द्वार बहुत अच्छा लगा
है.....कितना टाइट और चिकना है तेरा पीछे का द्वार.....

शीला: आअहह....पंडितजी.....अपनेह स्कूटर की स्पीड बड़ा दो....रेस दो
ना....एयेए...

पंडित ने गांद में धक्कों की स्पीड बड़ा दी...

फिर शीला के गांद से निकाल कर लंड उसकी फुददी में डाल दिया....

शीला: आई माआ........कोई द्वार मत छोड़ना........आआ...आपकी बासुरी मेरे
बीच के...आहह......द्वार में क्या धुन बजा रही है..........

पंडित: मेरी शीला.....मेरी रानी....तेरे छेदों में मैं ही बासुरी
बजाओंगा....

शीला: आअहह...पंडितजी....मुझे योनि में बहुत...अया....खुजली हो रही
है.....अब अपना चाकू मेरी योनि पे चला दो......मिटा दो मेरी
खुजली.....मिताआओ ना.....

पंडित ने शीला को लिटा दिया.....और उसके ऊपर आके अपना लंड उसकी चूत
में डाल दिया......साथ साथ उसने अपनी एक उंगली शीला के गांद में डाल
दी....

शीला: आअहह....पंडितजी.....प्यार करो इस विधवा लड़की को......अपनी
बासुरी से तेज़ तेज़ धुन निकालो......मिटा दो मेरी
खुजली................आहहहह....आ.आ..ए.ए.....

पंडित: आआहह...मेरी राअनी.......

शीला: ऊऊहह......मेरे राज्जाअ.......और तेज़ .........अओउुउउर्र्ररर
तेज़्ज़्ज़.....आआहह.........अंदर...और अंदर
आज्ज्जाआ......आअहह....प्प्प...स.स..स.

पंडित: .....आहह...ओह्ह्ह..........शीला...प्यारी....मैं छूट-ने वाला
हूँ....

शीला: आअहह......मैं भीइ....आआ...ई.......ऊऊऊ.....अंदर ही
......गिरा....द...दो अपना....प्रसाद.....

पंडित: आअहह...........

शीला: आआहह..................आ..आह...
आह.........आह..............आह....
भाई लोगो आप सब भी बोलो स्वाहा स्वाहा आहा आहा


--
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
Post Reply