कलयुग की द्रौपदी

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rajsharma
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कलयुग की द्रौपदी

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कलयुग की द्रौपदी

हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक ओर नई और हॉट लोन्ग स्टोरी लेकर आपके लिए लेकर हाजिर हूँ

जिसे पढ़कर आपके लंड उबाल खा जाएँगे और चूते रस से भीग जाएँगी तो दोस्तो कहानी का पहला सीन कुछ इस तरह से शुरू होता है दिल संभाल कर कहानी पढ़ना शुरू कीजिए और मुझे भी बताना मत भूलिएगा की कहानी आपको कैसी लगी

उसके जाँघ खून से लथपथ थे. आँखें बाहर की तरफ उबाल रही थी. जिस्म पर कपड़े का एक रेशा नहीं था. बूर (चूत) से खून रीस रहा था जो अब रुकने लगा था और उसकी सासें भी रुकने लगी थी. बदन ने एक आखरी झटका लिया और ठंडा पड़ गया.

17-18 साल से उपर की नहीं थी वो. नींबू समान चूचियाँ, मांसल जांघें, पतली कमर, सावला रंग, लंबे बॉल, होठ रसभरे, कुल मिलकर चुदाई का पूरा जुगाड़. इसी सोच से रंगा और जग्गा के बदन में हवस की आग जल उठती थी और लंड बेकाबू हो जाता था.

आज के शिकार ने को-ऑपरेट नहीं किया वरना शायद कल का दिन देख लेती.

इनका लंड भी सिर्फ़ कमसिन लड़कियों को ही देख कर खड़ा होता था. 18-20 साल. उससे उपर पर तो ये नज़र भी नहीं डालते थे.

जाने कितने कतल, लूट-पाट, बलात्कार किए थे उन्होने. रामपुर, जो फुलवारी शरीफ से 60 किलोमीटर दूर एक गाओं था, यहाँ के बेताज बादशाह थे वो. लोकल पोलिसेवालों से अच्छी साठ गाँठ थी इसलिए अपने गाओं को छोड़के दूसरे गाओं में वारदातें करते थे.

अब तक करीब 40-50 लड़कियों को अपने हवस का शिकार बना चुके होंगे. जिसमे से 15-20 लड़कियों को तो इन्होने अपनी घरवाली बनाकर कई बच्चे भी जनवाये. 20 साल की होने के बाद उन्हे कोठे पे बेच देते.

गाओं से 20 किलोमीटर दूर जंगलों में उनका मकान था. सांड़ जैसे बुलेट पे जब निकलते तो सब सड़क खाली कर देते.

45 की उमर के आस-पास होंगे वो और कद करीब 6’5”, वजन होगा यही कोई 120-140 किलोग्राम.

घनी मुछे, चौड़ा पहेलवानी डील-डौल, लंड करीब 10” लंबा और 2.5” मोटा.

इनकी एक ख़ासियत ये थी की जो लड़की थोड़े समझाने पर अपनी मर्ज़ी से अपनी आबरू लुटाने पर तैयार हो जाए उसे ये बड़े मज़े से चोद्ते थे और अपने घर पर बीवी बना के रखते थे. वरना, बाकियों का वही हाल होता जो 18 साल की कमला का हुआ था जिसे ये लोग फुलवारी के गोवेर्मेंट हाइ स्कूल की गेट से उठा लाए थे.

दोस्तो अब चलते हैं अपनी कहानी की मैं किरदार के पास जिसको आगे चल कर कलयुग की द्रौपदी बना दिया गया

रानी 11थ क्लास की स्टूडेंट थी जो फुलवारी के जिलहा हाइ स्कूल में पढ़ती थी.

18 साल की उस अनचुई जवानी में इतना रस था जो किसी भी भंवरे को प्यासा कर दे.

छोटे तोतापरी आम के आकर की उसकी चूचियों पर वो भूरा सा बड़ा अंगूर उसकी छाती की शोभा बढ़ाते थे. गांद के छेद तक लंबे बॉल और भरे भरे नितंब. उसके होठ मोटे थे और आँखें बड़ी-बड़ी. सावले से थोडा मंद रंग और भारी जांघें. 18 साल की उमर में भी 25 साला बदन. चेहरे की मासूमियत ही उसे बस 14-15 का एहसास देता था. 40 किलोग्राम वजन की वो कमसिन जवानी अपना रस छल्काने को पूरी तरह तैयार थी.

सेक्स का कोई ज्ञान ना था उसे पर अपने शराबी रिक्कशे ड्राइवर बाप को रोज रात में मा के साथ बिस्तर पे खट-पट करते सुना था.

अभी तक उसकी मा ने उसे ब्रा नही पहनने दी थी जिसकी वजह से उसकी घुंडीयां उसके शर्ट या फ्रॉक पे से काफ़ी ज़ाहिर होती थी. चूत पे एक बॉल तक ना था ना किसी ने कभी उसके जवान बदन को कभी टच तक किया था.

ग़रीब घर की वो लड़की सुबह घर का काम करती जब उसकी मा दूसरों के घर काम करती. मा के आने के बाद वो दिन में सरकारी स्कूल जाती.

उन्ही दीनो की बात है जब एक दिन रानी की स्कूल की छुट्टी हुई. करीब दोपहर के 4 बज रहे होंगे और तेज बारिश की वजह से बाहर बहुत कम रोशनी थी. बारिश भी इतनी तेज की हाथ को हाथ नही सूझ रहा था.

करीब आधा घंटा वेट करने पर भी जब बारिश कम ना हुई तो उसने निकलने का फ़ैसला किया. आधे घंटे का पैदल सफ़र था उसके घर तक का. जूते गीले ना हो जाए इसलिए उसने उतार कर प्लास्टिक के थैले में डाल लिया. बस्ता कंधे पर लटकाए तेज बारिश में भीगते हुए वो निकल पड़ी. उसके वाइट कलर का टी-शर्ट भीगने की वजह से बदन पे चिपक गया था और उसके उभारों को दिखाने लगा.

वाइट फ्रॉक भी कमर और जांघों पे चिपक गयी थी. रंगा-जग्गा स्कूल के आगे के टर्न पे अपनी बुलेट पे भीगते बैठे थे. 2 हफ्ते से उनके लंड ने पानी नहीं छ्चोड़ा था इसलिए आज उनका पार्टी का दिन था. जब रानी उनके बाजू से गुजर रही थी तो रंगा ने लपक कर उशे पीछे से दबोच लिया और स्टार्ट बुलेट पर जग्गा के पीछे बैठ गया. उसकी हथेली रानी के मूह पर थी और उसका बदन उन दोनो के बीच में. रानी के जूते इस अचानक हुए हमले में वही गिर गया और इतनी जल्दी में उसे कुछ समझ तक ना आया.

जब दिमाग़ सोचने की हालत में हुआ तो पाया की वो करीब 4-5 किलोमीटर आगे गाओं के बाहर निकल गये थे.

रंगा ने उसका बस्ता निकाल के सड़क के किनारे नाल्ले मैं फेक दिया और रानी के मूह पर से हाथ हटा दिया. तेज बारिश की वजह से सड़क सुनसान था और वैसे भी वो अब हाइवे पे शहर के बाहर आ गये थे. डेढ़ घंटे का सफ़र था उनके घर तक का.

रानी मूह पर से हाथ हट ते ही रोते हुए मचलने लगी की उसे छ्चोड़ दो, कहाँ ले जा रहे हैं हमको, हमारे घर जाना है इत्यादि. रंगा ने अपनी लूंबू रामपुरी निकाल के उसके गर्दन पे रखा और कहा – तू कहीं नही जा रही गुड़िया, हमारे साथ स्वर्ग में चलो. कामदेव का प्यार देंगे और तुमको परी बना देंगे.

रानी कुछ समझ ना पाई और सुबुक्ते हुए कहने लगी – मा मारेगी अगर लेट हुए तो, बाबूजी तो बेल्ट से मारेंगे. आज खाना भी नही मिलेगा अगर घर पहूचके काम नही किए तो.

रंगा प्यार भरे स्वर में बोला – का गुड़िया, मा और बाबूजी प्यार नही करते का तुमको.

रानी बोली – नहीं, बहुत मारते हैं कहे है कि हम लड़का नही हैं इसलिए. बाबूजी मा के मारते हैं और मा हमारे उपर गुस्सा निकालती है.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Post by rajsharma »

रंगा – कौनो बात नही गुड़िया रानी, अब तुमको घर जावे की कौनो ज़रूरत नही. हमारे साथ चल खूब सुख से रहेगी. खूब खाए पिए के मिली और रानी बना के रखेंगे, का नाम बा तोहार. ( क्या नाम है तुम्हारा )

रानी – रानी!

रंगा – अरे वा तोहार तो नाम भी रानी है. चल हमारी रानी बन के रहेगी तोका कुच्छ भी करे के ज़रूरत ना पड़ी.

रानी ये बातें सुनके थोड़ी शांत हुई पर उसे ये समझ नही आ रहा था कि कोई क्यूँ उसे महारानी बना के रखेगा.

असमंजस में वो बोली – पर हमको कहाँ ले जैबे ( हमको कहाँ ले जा रहे हो ) और काहे कुच्छ भी ना करे के पड़ी. हम तो ग़रीब घर के नसीब फूटल लड़की बनी?

अब रंगा ने मुस्कुराते हुए उसके गाल पर एक पप्पी ली और कहा – गुड़िया रानी, समझो हमको भगवान ने आपन सबसे सुंदर गुड़िया का खूब अच्छा से ख़याल रखे खातिर भेजा है. हम दोनो अप्सरा जैसन सुंदर अपनी रानी का खूब देखभाल करब और बदला में तुम हमार.

रानी – धत! हम कहाँ सुंदर बनी.सब हमको काली कहके चिड़ाते है.

रंगा – दुर ( हट) पागल! काली होने से कोई असुंदर थोड़े हो जाता है. तुम तो काजोल के जैसी सुंदर और प्यारी हो.

रानी लजा गयी और सर झुका के मुस्कराने लगी.

रंगा जो अब तक उसके कमर पे अपने दोनो हाथ रखे हुए था अब उसके चूचियों पर दोनो हथेलियों को रखके बोला – गुड़िया रानी, तुम हम दोनों की लुगाई बनोगी ना?

रानी थोड़ा सपकपाई और पूछी – दोनो की लुगाई???

रंगा – हां रानी, और इसमे बुराई का है. पांडवों की भी तो एक ही लुगाई थी द्रौपदी. फिर हम तो दो ही हैं . और फिर हम दोनो जब तुम्हारा खूब ख़याल रखेंगे तो तुमको भी तो दोनो के तरफ आपन लुगाई वाला काम करे के पड़ी ना. रोज तोहरा के खिलौना, जेवर, कपड़ा, पकवान तो हम दोनो लाईब ना? अब देखो हमको भगवान ने कहा की तुमको पूरा सुख दे जो तुहरा के अभी तक ना मिला. उ बोले की दिन-रात तुमको प्यार देवे और कभी अपने से अलग ना करे. और बोले की ई एक ही तरह से हो सकत है अगर हम दोनो तुमसे बियाह कर के आपन दुल्हन बना ले.

रानी “ धत” कहते हुए पीछे रंगा के छाती में मूह छिपा लिया.

इन अनपढ़ काले ग़रीब घर की लड़कियों को चाहे कोई ज्ञान ना हो पर इतना ज़रूर एहसास होता है की 15-18 साल के उमर तक पहुचते ही शादी करके अपने मरद का घर सजाना होता है और लड़के जानके घर चलाने में मदद करना.

हालाकी रानी को ये एहसास ना था की मर्द की किन ज़रूरतों का ख़याल रखना होता है और बच्चे कैसे जनते है. फिर भी वो ये सोचके खुश थी की उसे अपनी मा के जैसा पति नही मिला.

इन्ही ख़यालो में वो खोई थी जब रंगा ने उसका टी-शर्ट धीरे से खींच कर स्कर्ट से निकाल दिया और उसके अंदर हाथ डालके रानी के कमर को थाम लिया.

रानी उस गर्मी का एहसास कर चिहुक पड़ी.

रंगा ने उसे अपने करीब खीचके अपने जांघों पे बिठा दिया.

रानी चिहुकते हुए बोली – उईईईई माआआ! कुछ गड़ रहा है.

रंगा हस्ते हुए बोला – अरे गुड़िया इहे तो हमार प्यार करे के समान बा इहे तो तोहरा के सुंदर बच्चा देबे.

रानी कुछ समझ ना पाई और उत्सुकता से पूछी – उ कैसे?

रंगा- घबराव मत घर पहूचके बता देंगे.

फिर रंगा ने अपनी हथेली रानी की लेफ्ट चुचि पे रख दी.

ये क्या कर रहे है आप?? – रानी ने कसमसाते हुए रंगा से पूछा.

रंगा प्यार से उसके गर्दन पर एक चुम्मा लेते हुए बोला – कुछ नही दुलारी ये तो बस इतना देखने के लिए था की अभी और कितना बड़ा और सुंदर बनेगा तुमरा चूची.

ऐसी गंदी बातें रानी जैसी अनछुई लड़की के लिए बिल्कुल नया था सो ये सुन वो फिर से लजा गयी और ‘धत’ कहते हुए रंगा की छाती में मूह छुपा दिया.

उसी अवस्था में वो सकुचाते हुए पूछी – लेकिन हमको तो प्यार-व्यार के बारे में कुछ नही मालूम है. हम कैसे आप दोनो को सुखी रखेंगे?? और हमसे कुकछ कमी हो गया तो भगवान कभी हमको माफ़ नहीं करेंगे.

ये सुनकर रंगा हस्ने लगा और रानी की राइट चूची मसलते हुए उसके कानों के पास फुसफुसाते हुए बोला – गुड़िया रानी! जब बियाह हो जाएगा और सुहाग रात में हम लोग बिस्तर पे नंगे होंगे तो तुमको पता चल जाएगा की मरद को प्यार कैसे किया जाता है.

ये कहते हुए उसने रानी के हल्के-फुल्के बदन को घुमा कर अपने मूह के तरफ कर लिया. अब रानी उसके तरफ मूह करके नज़रें शरम से नीचे गढ़ाए बुलेट पर बैठी थी.

रंगा की गंदी बातें सुनके और चूचियों की तिलमिलाहट से उसका जिस्म गरम हो गया था और चूत पनियाने लगी थी. ये एहसास उसके लिए बिल्कुल नया था और उसकी कुकछ समझ नहीं आ रहा था की भला चूचियों का और गंदी बातों का और चूत का आपस में क्या संबंध है?

फिर भी उसे अच्छा लग रहा था और घर की याद तो उस दुखियारी ग़रीब को सता ही नही रही थी. शायद उसके लिए अच्छा ही हुआ जो उसे उस नरक से छुटकारा मिल गया. ओर इस तरह ????

उसी अवस्था में 10 मिनिट रंगा की छाती से चिपके रहने के बाद रानी हौले बकरी जैसी मिमियाते हुए बोली – सुनिए! हमको पेसाब लगा है.

ये सुनते ही जग्गा के पैर ब्रेक पर जम गये. वो समझ गया ही बारिश की ठंडक और रंगा के हाथों की गर्मी ने ये किया है. सड़क के साइड में बाइक लगाकर रंगा ने रानी को इशारा करते हुए करीब में एक झाड़ी के उधर मूतने के लिए बोला.

रानी झाड़ के तरफ बढ़ने लगी तो पाया की रंगा-जग्गा भी साथ आ रहे थे. झाड़ तक पहुँच के वो असमंजस में खड़ी रंगा-जग्गा को देखने लगी. दोनो उसकी बेचैनी को भाप गये और रंगा बोला – गुड़िया, अपने होने वाले पति-परमेश्वर से कुच्छ भी छुपाना नहीं चाहिए. फ्रॉक उठाओ और हमको भी तो छटपटा कचौरी का दर्शन दो. और फिर हमको भी तो पेसाब लगा है. तुम्हरे साथ ही कर लेंगे. ऐसे तुमको भी हमारे प्यार का औज़ार दिख जाएगा!

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Re: कलयुग की द्रौपदी

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पता नहीं क्यूँ रानी को उनकी गंदी बातें अच्छी लग रही थी. शायद इसलिए की ये सब उसके लिए बिल्कुल नया था और दर्धालि के दिनों से मुक्त एक आज़ादी.

रंगा की ये बात सुनके रानी ने शरारत से अपने होंठ दातों तले दबाते हुए उंगली नचाकर बनावटी अंदाज़ में कहने लगी – आप लोग बहुत गंदे हैं! शादी के पहले ही दुल्हन को सता रहे हैं.

जग्गा ने हँसते हुए रानी से बोला – चलो-चलो अब ज़्यादा शरमाओ मत और हल्का हो लो.

ऐसा कहते हुए वो लपक कर रानी के करीब आया और उसके फ्रॉक के अंदर हाथ डालके चड्डी उतारने लगा.

ये देख रानी उसी शरारती अंदाज़ में उछलके जग्गा के गिरफ़्त से आज़ाद हुई और जीभ निकालके ठेंगा दिखाते हुए चिढ़ा कर बोली – ए..ए..ए..ए..छूट गयी, छूट गयी!

पर इतने में रंगा उसके पीछे से आया और बिजली की गति से रानी के फ्रॉक में हाथ डालके उसकी चड्डी नीचे खीच दी. रानी ने सकपकाकर पीछे देखा और बनावटी मायूसी से बोली – उउउउउउउ....आप बड़े बदमास हैं. जीत गये आप.

रंगा जो अपने घुटनो के बल था इनाम के स्वरूप रानी की चड्डी उसके पैरों से निकाल कर सूंघने लगा. जग्गा के आँखों में लालच थी जिसे देख रंगा ने चड्डी उसकी तरफ उछाल दी. जग्गा भी पागलों के समान उस पीली चड्डी को सूंघने लगा. उसकी आँखें मदहोशी में डूबने लगी.

उनकी इस हरकत को देख रानी को बड़ा अचरज हुआ और उसने पूछा – छी-छी, ई क्या कर रहे हैं आपलोग. गंदा चीज़ को सूंघ के इतना मज़ा ले रहे हैं???

रंगा हसा और बोला – अरे हमारी रानी, तुम्हार खुश्बू में इतना नशा है जितना हमार गांजा के चिलम में भी नही है. चलो अब साथ में मूतेन्गे.

पर रानी को अब भी थोड़ा लाज आ रहा था. दस साल के उमर के बाद तो उसके बापू ने भी उसे कभी नंगा नही देखा तो फिर अब तो वह जवान थी और ये बिल्कुल अजनबी.

वो इस सोच में डूबी थी की देखा रंगा-जग्गा ने अपनी ज़िप खोलके अपने लंड निकाले और शुरू हो गये.

लंड का मूतने के सिवा क्या काम होता है ये मालूम ना होने के बावजूद भी रानी उनके लंड का साइज़ देख कर सिहर उठी और बदन में एक ठंडी लहर दौड़ी जिसके वजह से उसके रोंगटे खड़े हो गये.

उसकी हैरानी तब टूटी जब रंगा अपने लंड को झटकते हुए ज़िप में डाला और बोला – का सोच रही है बचिया! मूतना नही है का?

रानी के मूह से सिर्फ़ इतना ही निकला – ह....हां.

तो फिर मूत – रंगा बोला.

रानी तो वैसे भी समझ गयी थी की मूतना उसे इनके सामने ही पड़ेगा सो उसने आख़िर ट्राइ किया – आप लोग मूह तो फेर लीजिए ना!

ठीक है, ठीक है. ये कहकर दोनो ने मूह फेर लिया.

रानी ने धीरे से अपना गीला फ्रॉक कमर से सरकाते हुए घुटनों तक लाई और नीचे बैठ कर मूतने लगी.

मूत की धार की आवाज़ सुन दोनो झट से पलट गये और रानी की आगे पीछे आकर झुक गये और उसकी चूत और गांद देखने लगे. रानी बिलकुर शर्मा के झेप गयी. पर पेसाब इतने ज़ोर से लगी थी की बीच में कंट्रोल भी नही कर पा रही थी.

उसने मिमियाते हुए गिडगीडा कर बोली – आपलोग चीटिंग किए. ई अच्छी बात नही है.

रंगा जो की आगे की तरफ था रानी के मूत की धार को सूंघ रहा था और उसकी अनछुई फूले कचौरी जैसी चूत को देखकर पागल हो गया और छप से अपना मूह रानी के चूत के करीब लाया और पेसाब की धार को पीने लगा.

पीछे जग्गा अपना नाक रानी के गांद के छेद में सटा कर सूंघ रहा था और मस्त हुआ जा रहा था.

कुकछ सेकेंड्स में रानी खाली होकर उठी और घिन से मूह बनाते हुए बोली – आप लोग बहुत गंदे हैं. कही कोई पेसाब थोड़े पीता है किसी का?

रंगा जो अभी भी उस जायके का चटखारा ले रहा था, होठों पे जीभ फेरते हुए बोला – गुड़िया रानी, तुम तो हमार जिंदगी का हिस्सा बनने वाली हो तो फिर तुमसे कैसा शरम. हमारा सब अच्छा बुरा तुम्हारा और तुम्हारा सब हमारा. मा बच्चे को दूध पिलाती है तो का गंदा बात है? दो प्रेमी चुम्मा लेते है तो एक दूसरे क़ा थुक पीते है, का वो गंदी बात है? जब ई गंदा नही है तो हमारी रानी का पेसाब हम पिए तो कौन सा घिन है??

रंगा का ये तर्क बनावटी थे रानी को सुनके ऐसा लगा जैसे वो दोनो उसे बहुत चाहते है और वो सचमुच उसके लिए भगवान द्वारा भेजे हुए फरिश्ते है.

रानी ने नेज़रें नीचे झुकाए बोली – हमका माफ़ कर दो. हम बहुत छ्होटे हैं ई सब बात समझने के लिए. आप दोनो सचमुच फरिश्ता है जो हमको नरक से निकालके स्वर्ग ले जा रहे हैं.

फारिग होने के बाद रानी ने उनसे अपनी चड्डी माँगी तो रंगा ने उसे दूर झाड़ियों में उच्छाल दिया और बोला – अब इसका कौनो ज़रूरत नाही है. और वैसे भी गीली चड्डी पहेनोगी तो ठंड लग जाएगी.

रानी को भी उसकी बात सही जान पड़ी.

जग्गा ने बाइक स्टार्ट की और रानी पहले की तरह रंगा के तरफ मूह करके थकान की वजह से उसके छाति में सर च्छूपा के सो गयी.

बाकी पूरे 1 घंटे के सफ़र में रंगा के हाथ रानी के नंगे चूतडो पर सरसराते रहे और कभी उसके गांद तो कभी चूत पर क्रीड़ा करते रहे. कभी बीच बीच में रानी चिहुक कर उठ जाती अगर रंगा उसके चूत के दानो पर हरकत करता. पर रंगा ने अपनी हद लिमिटेड रखी और रानी को ज़्यादा परेशान नही किया.

उन दोनों को मालूम था की ये सिर्फ़ शुरूवात है और आज रात शादी और सुहाग रात के बाद अभी उन्हे रानी के साथ और भी खेल खेलने है!!!!!!!!

रानी की नींद खुली जब एक झटके से बाइक रुकी और उसका सर रंगा के ठुड्डी से टकराया. उसने अचकचाते हुए आँखें खोली तो देखा की वो जंगल के मॅढिया में कही थे और वहाँ एक दो मंज़िल का पक्का मकान था. रंगा ने उसे गोद में उठाया और जग्गा के साथ अंदर आ गया. यह ड्रॉयिंग रूम था. कुछ सोफा-कुर्सियों के अलावा यहाँ एक छ्होटा टेबल बार भी था जिसमे देसी-विदेशी सब तरह के विस्की-रूम और बियर रखे थे. अगला बेडरूम था. उफ्फ…. ऐसा इंटीरियर जिसे देखकर किसी इंपोटेंट इंसान का भी लंड खड़ा होकर झाड़ जाए. ये एक गोलाकार कमरा था जिसमे चारो तरफ दीवारों पर अश्लील फोटो चिपके हुए थे. कामसुत्रा के सारे आसान भी डेपिक्टेड थे. कमरे के बीचो-बीच 8’*8’ का बड़ा गद्देदार पलंग था जिसपर मखमल का चादर और कंबल था. बिस्तर के दोनो तरफ शोकेस थे जिसमे प्राचीन पत्थरों की मूर्तियाँ थी जो स्त्री-पुरुष के संभोग की व्याख्या कर रहे थे.

ये सब देखकर रानी शरम से लाल हुए जा रही थी. उसका दिल जोरो से धड़क रहा था और ना जाने क्यूँ उन तस्वीरों को देख उसे एक मीठा एहसास हो रहा था जो उसके जांघों के बीच बार-बार एक सिरहन पैदा कर रही थी.

इन्ही एहसासों में खोई थी जब रंगा ने उसे गोद से नीचे उतरा और एसी ऑन कर दिया.

हालाँकि गर्मी का मौसम ना था पर इन सांड़ों को तो हमेशा ही गर्मी होती रहती थी.
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रूम की शांति भंग करते हुए जग्गा ने पूछा – का रे गुड़िया, कैसन लगा हमारा शयन-कक्ष?

रानी शरमाते हुए बोली – खूब सुंदर है पर ई सब गंदा फोटो काहे लगा रखे हैं.

जग्गा बोला – अरे मेरी चिड़िया! अब तो तू हमारी लुगाई बन रही है तो तुमको मालूम तो होना चाहिए ना की बियाह के बाद का करते हैं. और फिर ई सब से सीख कर ही तो तुम हमको खुश कर पाओगि ना. और मरद-लुगाई के बीच में कुछ भी गंदा नहीं होता है. ई तो तुमको समझ में आ ही गया होगा जब हम तुम्हरा पेसाब पीए थे.

रानी को जैसे एहसास हुआ की उसने कुछ ग़लत कह दिया और वो अफ़सोस भरे लहजे में बोली – हमको माफ़ कर दीजिए. हमको लुगाई का कौनो कर्तव्य का ज्ञान नही है इसी से पूछ लिए.

रंगा हँसते हुए बोला – कोई बात नही गुड़िया, अब तो अपना जनम-जनमान्तर का साथ होगा. धीरे-धीरे सब सीखा देंगे.

रानी ने फिर जिग्यासा से पूछा – ई रूम में खाली एक ही पलंग क्यूँ है?

इस बार जग्गा के हँसने की बारी थी – अरे लाडो रानी, जब हम तुम्हारे मरद बन जाएँगे तो क्या हमसे अलग सोओगी? और अलग सोओगी तो हमारे बीच प्यार कैसे होगा और फिर नन्ही रानी कैसे आएगी. बोलो?

रानी की शरम से नज़रें ज़मीन में गढ़ गई.

इतने में रंगा बाजू के कपाट में से एक लाल घुटनों तक का घांघरा, लाल डोरियों वाली चोली और एक लाल दुपट्टा ले कर आया और रानी को देते हुए बोला – ले लाडो पहीन ले. नहा धो के रसोई में जाकर ज़रा सबके लिए चाइ और नाश्ता बना दे.

रानी ने कपड़े हाथ में लेकर उलट-पुलट कर देखने लगी तो रंगा पूछा – क्या हुआ गुड़िया?

रानी उत्सुकता से पूछी – सब ठीक है पर इसमे कछी क्यूँ नही है.

इसपर जग्गा हँसते हुए बोला – अरे पगली! यहाँ हमारे घर में चड्डी तो छ्चोड़ो कोई कपड़ा ही नही पहीनता है. धीरे-धीरे तुमको सब समझ जाएगा. पर इतना याद रखना की अगर कभी चड्डी पहना तो हम लोग नाराज़ हो जाएँगे.

रानी को कुछ अजीब लगा पर वो उन्हे नाराज़ नही करना चाहती थी इसलिए हौले से सिर हां में हिला दिया और कपड़े लेकर अटॅच्ड बाथरूम में घुस गयी.

बारिश से भीगा बदन जब झरने के गुनगुने पानी से नहाया तो सारी थकान और नींद उड़ गयी.

करीब आधे घंटे बाद रानी फारिग होकर बाहर निकली. वो अपने गीले कपड़े लिए दूसरे कमरे में पहुँची तो हकबका गयी. रंगा-बिल्ला बिल्कुल जनमजात अवस्था में सोफे पे बैठ टीवी देख रहे थे. पूरे बदन पर कपड़े का एक भी रेशा नही था. उनके शरीर पे सिर-से-पाव तक भालू जैसे बॉल थे. चेहरे पर घनी दाढ़ी, सर पे लंबे बाल, छाती और पीठ बालों से भरे, और झाँटे तो इतनी घनी की लंड उस वक़्त 5” होने पर भी दिखाई नही दे रहा था. पूरे पैरों में भी घाने बाल थे. पूरे-के-पूरे शेलेट-फिरते आदि मानव.

रानी को देख दोनो आसचर्यचकित थी. रानी बिल्कुल लाल परी लग रही थी. उन्हे अपने शिकार पर गर्व हो रहा था और आगे की कल्पना कर उनके लंड फुल टाइट हो गये.दोस्तो टाइट आपका भी हो रहा होगा शांति रखो यार अभी तो सुहाग रात मनानी बाकी है

अब फिर से चौकने की बारी रानी की थी जो उन घने झाटों में लंड को ताड़ नही पायी थी. अब उन लपलपाते घोड़े जैसे लौड़ों को देख उसका सारा जिस्म सर-से-पाव तक काप गया.

कुछ पल की चुप्पी को रंगा ने तोड़ा और छेड़ते हुए बोला – अरे वाह गुड़िया, खूब जच रही है ई कपड़ों में. एक दम घरवाली जैसन लग रही है! अच्छा जाओ और कुकछ सामान है रसोई में, चाइ और नाश्ता बना लो. फिर थोड़ी दे में पुजारीन आती होगी!!

रानी ताज्जुब से पूछी – पुजारीन! वो क्यूँ? घर में कोई पूजा करवाना है क्या.

रंगा बोला – पूजा ही तो है रानी जान. हमारा बियाह होगा तो पूजा तो होगा ही ना?

धात कहते हुए रानी रसोई की तरफ लपक ली.

रंगा जिसकी बात कर रहा था वो कोई और नही बल्कि पास के गाओं की एक वैश्या थी जो जवानी में उनका शिकार बनी थी. उसे ही पुजारीन बनाकर वो रानी को ये एहसास दिलाना चाहते थे की उनकी शादी हो रही है ताकि वो पूरी जान लगाकर बिना शिकायत किए अपने पतियों की सेवा करे.

रानी रसोई में उपमा और चाइ बनाकर कमरे में ले आई. उनको सर्व करने के बाद वो बाजू के चेर पे बैठ गयी. अभी भी वो उनके इस अवतार को देख कर कंफर्टबल नही हुई थी. रंगा ये ताड़ गया और तारीफ़ करते हुए बोला – वा! चाइ और उपमा तो बहुत बढ़िया है!! गुड़िया, तू तो बहुत अच्छी रसोइया लगती है. लगता है अब हम दोनो को खूब स्वाद खाना मिलेगा.

उनकी तारीफ सुन रानी नज़रें नीची कर मुस्कुराने लगी. इतने में रंगा बड़े लाड से बोला – यहाँ आओ मेरी चिड़िया! आओ हमारी गोद में अपने हाथ से तुमको खिलता हूँ.

रानी को कुत्ते की तरह पुचकारते हुए वो उठा और रानी की एक बाह पकड़कर उसे अपनी तरफ हौले से खीच लिया. हालाकी रानी उनकी नग्नता से अभी भी सकुचा रही थी पर उनके प्यार से वो छुप रही. आज तक किसीने ने उसके साथ इतने प्यार से व्यवहार नही किया था. और अच्छा खाना, रहने को इतना बड़ा घर, अच्छे कपड़े, प्यार; इन सबके एहसानों तले वो दबी जा रही थी.

इन्ही सोचों में उलझी वो रंगा के गोद में जा बैठी.

रंगा ने उसे एक जाँघ पे बैठाया और दोनो अपने बाजू रानी को दोनो तरफ लपेट दिए. राइट हाथ में उपमा का प्लेट लिए लेफ्ट हाथ में चम्मच से उठा कर खिलाने लगा.

रानी को रंगा का लाड बहुत अच्छा लगा.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Post by rajsharma »

इतने में दरवाजे पर दस्तक हुई तो जग्गा ने लपक कर अपना धोती उठाई और कमर पर लपेट उठ गया. उसके दरवाजा खोलते तक रंगा भी अपना धोती लपेट चुका था.

जग्गा ने डोर खोला तो सामने माला को पाया.

ये वोही औरत थी जिसकी बात वो रानी से कर रहे थे.

30-35 साल की उम्र होगी उसकी. रानी ने देखा वो सर से पाव तक भग्वे चोगे में थी.

लंबे बॉल, माथे पे टीका, गाले में रुद्राक्ष की माला, सचमुच किसी मंदिर की पुजारीन लग रही थी वो वैश्या.

माला अंदर आकर रानी को उपर-से-नीचे तक देखा और उसके गाल पर चिकोटी काट बोली – तो ये है नन्ही दुल्हिन? अरे रंगा आप तो बोले थे की 18 की है पर ये तो और मासूम दिख रही है? खूब मस्त दुल्हिन लाए है अपने लिए, हां??

रानी के गाल शरम से लाल हो गये और नज़रें नीचे गड़ गयी.

माला मज़ाक करते फिर बोली – अरे वाह ई तो लजाती भी है? क्या रे गुड़िया बियाह करेगी इन बैलों से???

रानी के तो होंठ ही सील गये थे जैसे.

माला उसकी अवस्था समझते हुए बोली – आ तुझे तैयार कर दू.

ये कहते हुए दोनो बेडरूम में चले गये.

रंगा-जग्गा नेतब तक उस रूम के एक कॉर्नर में टेबल पे भगवान के नाम पर रति-कामदेव (सेक्स गोद-गॉडेस) की मूर्ति लगाए और दीप-धूप-लोबान-फूल और दूसरे पूजा के समान लगा दिया.

उधर माला नेकमरे मैं पहुँचके रानी को एक बार फिर उपर-से-नीचे तक देखा और अपनी जवानी उन दोनो के हाथ लुटने की याद कर अंदर से सिहर उठी. आज फिर एक मासूम और नादान उनके चंगुल में फँस के लुटने वाली थी. शायद 2-3 साल बाद रानी भी उसी के कोठे की शोभा बढ़ाएगी.

वो रंगा-जग्गा के ख़ौफ्फ से अंजान भी ना थी इसलिए उन ख़यालों को भूल वो अपने बेग से दुल्हन के साज़-शृंगार का सब समान निकालने लगी.

माला ने पूछा – का रे गुड़िया, सुहाग रात में का का होता है कुकछ मालूम है की नही??

रानी ने मासूमियत से इनकार में गर्देन झुका दी.

माला ने मुस्कुराते हुए बोला – अरे तो कैसे खुश करेगी अपने मरदो को??

रानी भोलेपन से बोली – खूब अच्छा खाना खिलाएँगे, घर संभालेंगे, कपड़े धोएंगे, बदन दबाएँगे; कोई दुख नही होने देंगे.

माला ज़ोर से हँसते हुए बोली- अरे ई सब तो कोई नौकरानी भी कर देगी फिर लुगाई का का फ़ायदा? और बच्चा कैसे पैदा करेगी अपने मर्दों के लिए??

ये तो रानी ने सोचा ही ना था. अचरज में डूबी उसने पूछा – ई तो हमको मालूम ही नही है.

माला उसके बालों में हाथ फेरती बोली – बैठ यहाँ तुझे सब समझाती हूँ.

फिर दोनो पलंग पर बैठ गये और माला बोली – देख गुड़िया, मरद को खुश करने का मतलब है भगवान को खुश करना. और उनको खुश करने के लिए उनके लिंग को खूब खुश रखो. जबही भी वो खड़ा हो तो उसे शांत करने के लिए उसका अमृत पीयो.

रानी आँकें फाड़ कर उसे देख रही थी.

माला समझाते हुए बोली – लिंग यानी उनका लंड.

फिर उसने रानी की चूत पर हाथ रखते हुए बोली – यहाँ तुम्हारा गड्ढा है और उनका डंडा. जब लिंग लुगाई के हर गड्ढे में घुसकर अपना प्रसाद यानी अमृत देगा तभी औरत को सुंदर और गोल-मटोल बच्चा होगा.

पुरुष का अमृत कभी बर्बाद नही हों चाहिए नही तो भगवान नाराज़ हो जाते है.

औरत का तो सब छेद खाली पुरुष का लिंग को घुस्वाने के लिए बना है. और एक बात, तुम्हारे मर्दों का जितना अमृत निकलॉगी उतना वो तुमसे खुश रहेंगे. समझी!!

समझना क्या था, रानी तो हक्की-बक्की आखें फाड़ माला को देखे जा रही थी. इन बातों के बारे में ना तो उसे कुकछ मालूम था ना कुकछ कल्पना. अभी उसे समझ आ रहा था की उसका बाप रात में उसकी मा के जांघों के बीच क्या ढूनडता था.

जब बोलने लायक हुई तो डरते हुए बोली – माताजी, अगर ऐसा है तो हम अपने भगवान को कभी दुखी नही होने देंगे. पर हम उनका लिंग देखे हैं, वो तो हमारे छेदों में कैसे जाएगा.

सब जाएगा बेटी, तुमको मालूम नही है पर एक औरत 13” लंबा लिंग अपने योनि में ले सकती है. पहला बार बहुत तकलीफ़ होगा. समझ लेना भगवान तुम्हारा इम्तिहान ले रहे है. बाद में फिर तुमको स्वर्ग का एहसास होगा. अब तुम्हारे नरक के दिन ख़तम हो गये है गुड़िया रानी. अब तुमको भगवान मिल गये है और वो भी दो-दो.

माला की इन बातों से रानी के चेहरे की मुस्कान फिर लौट आई और वो साज़ समान उलट-पुलट देखने लगी.

करीब1 घंटे बाद जब दोनो बाहर निकले तो रंगा-जग्गा ठिठक कर देखते रह गये.

आगे की कहानी जानने के लिए अगला भाग पढ़ें
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