Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग

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rangila
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Re: Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by rangila »

मैने ली की बातों को मानते हुए अपने आपको ढीला छोड़ दिया और कुछ ही देर में मुझे अपने कंधे पे किसी के हाथ महसूस हुए में समझ गया कि ये ली ही है पर फिर मुझे कुछ अजीब लगा जैसे कि कोई मेरे अंदर आने की कोशिश कर रहा है और कोई चीज़ उसे ऐसा करने से रोक रही है.

ली-शांत रहो अजय अगर तुम ऐसे ही डरते रहोगे तो हम दोनों के लिए ही ख़तरनाक है इस टाइम हम दो नही एक है अगर तुम मुझे ऐसे ही
रोकते रहोगे तो हम से किसी एक को हार माननी पड़ेगी और ये किसी के लिए भी अच्छा नही होगा सो प्ल्ज़ रेलेक्स..

फिर मेने एक लंबी सास ली और अपने आपको रेलेक्स फील करने लगा और कुछ देर के बाद मुझे महसूस हुआ कि अब जो चीज़ उसे अंदर आने से रोक रही थी वो अब शांत थी.

तभी मुझे मेरे अंदर से ली की आवाज़ सुनाए दी.बहुत बढ़िया अजय तुम ने तो अपने दिमाग़ पे बहुत जल्द ही अपनी पकड़ बना ले मुझे ये काम
करने में पूरे दो महीने लग गये थे तुम सच में स्पेशल हो बस मेरा काम भी हो गया.और ली ने अपने हाथ मेरे कंधे से हटा लिए.

ली-तो कैसा फील हो रहा है.

में-ये क्या मज़ाक है तुम ने क्या किया मेरे साथ .

ली-क्यूँ क्या हुआ मैने क्या किया.

में-तुम तो कुछ बोल भी नही रहे और मुझे तुम्हारी आवाज़ बिल्कुल ही सॉफ साफ सुनाई दे रही है ये कैसे हुआ.

ली-ओह ये मैने तुम्हारे अंदर अपने दिमाग़ का एक छोटा सा हिस्सा बिठा दिया है जहाँ तुम जा रहे हो वहाँ तुम को इसकी बहुत ज़रूरत पड़ेगी क्यूँ कि वो तुम्हारे लिए ही नयी दुनिया होगी और तुम वहाँ के बारे में कुछ नही जानते वो दुनिया यहाँ जैसी बिल्कुल नही है वो पूरी तरह
से छलावो से भरी पड़ी है अगर वहाँ तुम बिना किसी तैयारी के गये तो एक दिन भी जिंदा रह सकते समझे और फिर अगर मुझे यहाँ तुम्हारी कभी ज़रूरत पड़ी तो में तुम से कॉंटॅक्ट में रहुगा इससे .

में-थॅंक्स अब क्या तुम मेरी एक लास्ट मदद कर सकते हो.

ली-मुझे पता है आज कि रात तुम अपनी फॅमिली के साथ रह सकते हो जॅक सर को में समझा लूँगा .

में-थॅंक्स यार में तुम्हारा ये अहसान कभी नही भूलुगा.

और मैने उठ के ली को गले लगा लिया .ली कोई नही यार में समझ सकता हूँ और मुझे पूरी उम्मीद है कि जब तुम्हें सच का पता चलेगा तो तुम भी इस बात को समझ जाओगे कि ये सब कितना ज़रूरी है.

ली-चलो अब जाओ नीचे तुम्हारी गुड़िया तुम्हारा इंतज़ार कर रही है.

में-अगर लाइफ में कभी कुछ बनपाया या कभी तुम्हें कभी मेरी मदद की ज़रूरत पड़े तो में अपनी जान देने से भी पीछे नही हटूँगा.

ली- में जानता हू .वैसे मानना पड़ेगा तुम दोनों भाई बेहन के रिस्ते को किसी को मुझ पे शक नही था पर गुड़िया को कभी भी मुझ पे यकीन नही हुआ की में असली अजय हूँ सच में मुझे ऐसा प्यार देख के बहुत अच्छा लगा चलो में जाता हूँ कल मॉर्निंग में आ जाउन्गा ओके गुड नाइट
अगर नीद आए तो.

और ली वहाँ से चला गया गुड़िया के बारे में सुन के मुझे बहुत अच्छा लगा और दुख भी हुआ कि कही कल मेरे जाने के बाद उस का क्या होगा.फिर में वॉशरूम में चला गया और एक बार और फ्रेश हो के नीचे चला गया और फ्रेश हो के नीचे जाने लगा……
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rangila
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Re: Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by rangila »

में नीचे हॉल में आया तो यहाँ का महॉल काफ़ी ख़ुसनूमा था सभी खुस लग रहे थे सिर्फ़ एक को छोड़ कर और थी मेरी गुड़िया .गुड़िया वहाँ बैठी ज़रूर थी पर उस का सारा ध्यान तो मेरे कमरे पे था जैसे कि वो बस मेरा ही इंतज़ार कर रही हो और मुझे देखते ही उस का चेहरा एकदम ख़ुसी से खिल गया जैसे कि उस को दुनिया की सब से कीमती चीज़ मिल गयी हो.और भाग के मेरे गले लग लगी उस को ऐसा करते देख एक बार फिर मेरे दिल में उस से जुदा हो के जीने के अहसास ने हिला के रख दिया मुझे नही पता कि मैने अपने जिंदगी के 15साल
इसके बिना कैसे काटे पर अब मेरी सोच ये थी कि काश में अपनी प्रिन्सस(गुड़िया ) से ना मिला होता.समझदार और बहादुर लोग किसी के साथ बिताए हुए कुछ ख़ुसी के पॅलो में ही अपनी पूरी जिंदगी बिता देते है पर शायद में ना तो समझदार था और ना ही बहादुर नही तो में ऐसे
नही टूट रहा होता.पर किसी ने सही कहा है कि डर इनसेन को सब सहने की ताक़त और हिम्मत देता है और मेरे साथ भी ऐसा ही था.
हम लोग करीब 5मीं.तक ऐसे ही खड़े रहे ना मुझे में गुड़िया को अलग करने की हिम्मत थी और ना वो ही मुझसे अलग होना चाह रही थी हमारे लिए तो जैसे वक़्त थम ही गया था और अब वो वक़्त दूर नही था जब मेरे आँसू निकल जाए पर किसी ने सही कहा है की बुजदिल इंसान कभी कुछ नही कर सकता ये ही हाल इस वक़्त मेरा था में गुड़िया को खुद से अलग तो करना चाह रहा था पर ये दिल इसके लिए राज़ी बिल्कुल नही था और दिमाग़ बोल रहा था की अगर अभी तूने इसे अपने से अलग नही किया तो आगे होने वाली प्रॉब्लम के लिए तू खुद ही
ज़िम्मेदार होगा में एक ऐसी कशमश में फसा हुआ था कि में खुद ही नही जानता था कि क्या करूँ.

जिया दी-सब ठीक है ना अजय.

में-अपने ख़यालो से बाहर आते हुए.जी दी मुझे क्या होना है में तो बिल्कुल ठीक हूँ.

मॉम-तुम दोनों भाई बेहन अपना ये प्यार ख़तम करो आओ यहाँ बैठो मुझे तुम से कुछ बात करनी है.

गुड़िया -मॉम आप ने आज तो बोल दिया दोबारा कभी ऐसा बोला ना तो मुझसे बुरा कोई नही होगा.जिस दिन हमारा प्यार ख़तम हुआ ना वो मेरी जिंदगी की आख़िर दिन होगा आप देख लेना.

मॉम-चुप कर कोई ऐसा भी बोलता है क्या अगर दोबारा ऐसा बोला ना तो देख में क्या करती हूँ.

में-गुड़िया ये सब क्या है अभी के अभी मॉम से माफी माँगो और आज के बाद तुम ने अगर कभी ऐसा कुछ कहा या किया ना तो फिर तो फिर मुझे नही पता की में क्या करूगा.

गुड़िया -सॉरी मॉम पर आप ने भी तो****

में-गुड़िया ***

गुड़िया -ओके सॉरी मॉम आगे से ऐसा कभी नही होगा गॉड प्रोमिस अब आप प्ल्ज़ अपने मूड को ठीक कीजिए प्ल्ज़ नही तो भाई का भी मूड ठीक नही होगा प्लज़्ज़्ज़.

मॉम(हन्सते हुए)तो तुझे अब भी अपने भाई की पड़ी है और मेरी नही भाई की चमची रुक तुझे अभी बताती हूँ.
और मॉम ने उसके कान पकड़ लिए और गुड़िया ना ना में अपना सिर हिलाने लगी और मुझसे ये देखा नही गया और मैं अपने कान पकड़ते हुए मॉम के सामने आ गया.

में-मॉम इसमें इसकी कोई ग़लती नही है इसमें सारी ग़लती मेरी है मैने ही इसे सिर पे चढ़ा रखा है प्ल्ज़ इसे छोड़ दे प्ल्ज़ चाहे तो मुझे सज़ा दे दो.

मॉम(हँसते हुए मुझे गले लगाते हुए) सज़ा किस लिए में तो बस ये देखना चाह रही थी कि तू कैसे रेएक्ट करता है.तेरी गुड़िया सच में बहुत खुसकिस्मत है जो तू उसके साथ है.(और मेरे माथे पे किस करते हुए) चल आ जा बाकी के सब भी तेरा ही वेट कर रहे है किसीने भी अभी
टी तक नही पी सब तेरा ही वेट कर रहे है.

अमृता-किसी को अगर अपनी गुड़िया के अलावा कोई दिखे तभी तो.

पर तभी पता नही रवि को क्या हुआ वो भी आ के मेरे गले लग गया और रोने लगा मेरे तो समझ में नही आ रहा था कि ये हो क्या रहा है.
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rangila
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Re: Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by rangila »

में-क्या हुआ यार तुझे तू तो हम सब से बहादुर है फिर ये आँसू तुझे पे बिल्कुल भी अच्छे नही लगते चल चुप हो जा और बता कि बात क्या है.

रवि-कुछ नही बस किसी की याद आ गयी थी.

में-हे ये तो कोई बात नही है तूने जिया दी से प्रोमिस किया था कि तू उस हादसे को भूल जाएगा.दी आप ही इसे समझाओ ना प्ल्ज़.

जिया दी-रवि इधर आ.तूने ये क्यूँ कि सोच लिया कि तू अकेला है में हूँ ना तेरे साथ जो हुआ उसे अब भूल जा चल अपने आँसू सॉफ कर नही तो निशा क्या सोचेगी तेरे बारे में(हाँ दोस्तो बिल्कुल सही सोचा आप ने मैने जिया दी को ये बता दिया था कि रवि निशा पे ट्राइ कर रहा है में
अपनी नैना दी या जिया दी से कुछ नही छिपाता जब तक वो ज़रूरी ना हो)

गुड़िया -गुड़िया भी उन के हग में शामिल होते हुए.में भी तो आप की लिट्ल सिस्टर हूँ में भी आप से बहुत प्यार करती हूँ .हाँ अजय भाई से
थोड़ा सा कम .

और हमारे बार्बी डॉल के इस जबाब से सभी के चहरे पे मुस्कान आ गयी.

अमृता-हाँ क्यूँ नही 5.1इंच की लिट्ल लिट्ल सिस्टर मुबारक हो रवि अब तक ये अजय की जान खाती थी आज से तू भी तैयार हो जा.

निशा-ऐसा नही है ये तो बहुत ही प्यारी और समझदार है.

मॉम-तुम लोगो का मेल मिलाप ख़तम हो गया हो तो अब डिन्नर लगा दूं.

अमृता-अभी कहाँ आंटी अभी तो मेरा नो पेंडिंग में है ये गुड़िया की बच्ची छोड़े तब तो में भी मेल मिलाप करू.

गुड़िया -तो आपको रोका किस ने है पर में यहाँ से नही हटने वाली चाहे जो हो जाए.

अमृता-अच्छा निशा चल तू इसके पैर पकड़ में इसके हाथ और टाँग के इसको इसके कमरे में बंद कर देते है फिर देखते है क्या करती है.

गुड़िया चिल्लाते हुए नही और मेरे पीछे छिप गयी.

जिया दी-क्या हुआ शेरनी अब क्यूँ बिल्ली बनी फिर रही है चल सामने आ .

गुड़िया -क्या दी में तो मज़ाक कर रही थी आप भी ना .

अमृता-अच्छा तो में भी मज़ाक ही कर रही थी .

गुड़िया -मुझे पता था आप थोड़े ना ऐसा करती आप तो कितनी समझदार और खूबसूरत है.

जिया दी-मस्का लगाने की ज़रूरत नही है.

मॉम-चलो डिन्नर लग गया है सब चल के कर लो.
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naik
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Re: Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by naik »

bahot behtreen shaandaar update bhai
bahot khoob superb
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