Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग

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naik
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Re: जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by naik »

(^^^-1$i7) (#%j&((7) (^@@^-1rs7)
fantastic update brother keep posting
waiting for the next update 😪
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rangila
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Re: जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by rangila »

मैं-हाँ तो क्या हुआ मुझे जूते का शौक है.अच्छा याद दिलाया आप ने जॅक बता रहा था कि कुछ नये डिजाइन लिमिटेड शूस मार्केट मे आए है मैं देख के आता हूँ कि वो यहाँ है कि नही तब तक आप प्लीज़ मोम,डॅड आंड बाकी परिवार वालो के लिए गिफ्ट ले लें .और मैं दूसरी तरफ चला गया काफ़ी ढूँढ ने पे भी मुझे वो शूस नही मिले तो मुझे काफ़ी निराशा हुई और मैं वापिस आने लगा.वापिस आते हुए रास्ते मे मुझे एक लॅडीस बूटिक मे एक लड़की दिखी जो एक ड्रेस को बड़े प्यार से घूर रही थी (जैसे छोटे बच्चे चाँद को घूरते हो ) मुझे उस को ऐसे देख के उस पे बड़ा प्यार आया मैं बूटिक के अंदर चला गया मैं ने फ़ैसला कर लिया था कि मैं इस को ये ड्रेस दिलवाउंगा चाहे मुझे कुछ भी क्यूँ ना करना पड़े.मैने ड्रेस दिखी देखने मे काफ़ी मॉर्डन लग रही थी देखा तो वो एक सिंगल पीस की नेवी ब्लू रंग की बहुत की खूबसूरत ड्रेस थी मैने उस गर्ल से पूछा कि इस ड्रेस मे और कलर है तो उस ने बताया कि नही सर अभी तो सिर्फ़ इस कलर का ही स्टॉक है ये ड्रेस काफ़ी डिमॅंड मे है. ये हम सिर्फ़ ऑर्डर पे ही तैयार करते है .

मैं-और अगर किसी को आरजेंट चाहिए हो तो.

गर्ल-वो तो पासिबल नही है सर .

मैं-आप को किसी ने कभी कहा है कि आप बहुत ही खूबसूरत है.

गर्ल-हाँ लगभग सभी ही कहते है तारीफ करने का कोई फ़ायदा नही सर ये ड्रेस काफ़ी डिमॅंड मे है और महँगी भी.

मैं-(मैं मन मे सोचने लगा कि साले आज अगर तुझे फ्लर्ट करना आता तो तुझे इतनी प्राब्लम नही होती अपनी गुड बॉय की इमेज के लिए तूने ना तो कभी फ्लर्ट किया और ना ही कभी करने दिया अपने दोस्तो को.) वैसे ये ड्रेस तुम पे काफ़ी अच्छी लगेगी तुम पर ट्राइ क्यूँ नही करती .


गर्ल-मैं ट्राइ नही कर सकती क्यूँ कि ये काफ़ी महँगी (कॉस्ट्ली) है.

मैं-तो चलो एक डील करते है तुम मुझे इस की दो ड्रेस लेने मे हेल्प करो और एक ड्रेस तुम्हारे लिए गिफ्ट मेरी तरफ से.क्यूँ कि ये ड्रेस सच मे तुम पे काफ़ी अच्छी लगेगी क्या बोलती हो.

गर्ल-आप मज़ाक कर रहे है ना .

मैं-ये लो मेरा कार्ड पहले तीन ड्रेस की पेमेंट कर लो फिर ड्रेस निकालना ओके

गर्ल-आप कोई बिज़्नेसमॅन मालूम पड़ते है .

मैं-नही ऐसे कोई बात नही है मुझे किसी को बहुत ही खास इंसान को इसे गिफ्ट करना है उस के लिए तो ये कुछ भी नही.

गर्ल-आप की गर्लफ्रेंड काफ़ी लकी है जो उसे आप जैसा प्यार करने वाला मिला है.

मैं-मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है हाँ अभी तलाश जारी है .वैसे तुम भी काफ़ी खूबसूरत हो तुम्हारे तो 10 ,12 बाय्फ्रेंड ज़रूर होगे.

गर्ल-नही ऐसा नही है .आप बाते काफ़ी अच्छी करते है.

मैं-नही ऐसा कुछ नही है मैं बस जो दिल मे आए वो बोल देता हूँ अगर सामने वाले का दिल सॉफ हो तो बातें अपने आप ही अच्छी लगती है.

गर्ल-वैसे आप ने बताया नही कि किस के लिए ले रहे है ये ड्रेस .

मैं-माइ स्वीट –स्वीट सिस्टर’स के लिए तुम को कोई प्राब्लम है.
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rangila
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Re: जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by rangila »

गर्ल-नही आज पहली बार देखा कि कोई अपनी सिस्टर को गर्लफ्रेंड से ज़्यादा वॅल्यू देता है नही तो यहाँ तो सब अपने लिए ही जीते है.

मैं-बिल्कुल देखा होगा क्यूँ कि ये इंडिया नही है कभी इंडिया आ के देखो ये तो सिर्फ़ ड्रेस है वहाँ भाई अपनी बहनो की खुशी के लिए कुछ भी कर सकता है.और बहेन भी अपने भाई के लिए कुछ भी कर सकती है. कभी इंडिया जा के देखो तब तुम्हे मेरी कही हुई बातो का मतलब पता चलेगा.

गर्ल-सुना तो मैने भी बहुत है.अब आप से सुनने के बाद मैं इंडिया कम से कम एक बार ज़रूर आउन्गी.

मैं-गुड ये मेरा कॉंटॅक्ट नंबर ले लो कभी इंडिया आओ तो तुम्हे इंडिया की सेर कराने की ज़िमेदारी मेरी हुई.

गर्ल-थॅंक्स मैं आप की ड्रेस पॅक करवा देती हूँ.और अब मुझे आप से ड्रेस नही चाहिए.

मैं-क्यूँ मैं तुम्हे ये ड्रेस इसलिए नही दे रहा कि तुम मुझे ये ड्रेस लेने मिस्टर हेल्प करो.बल्कि मैं ये ड्रेस तुम को इसलिए दे रहा हूँ कि सच मे ये ड्रेस तुम पे काफ़ी अच्छी लगे गी .

गर्ल-फिर भी सर मैं ये ड्रेस नही ले सकती मैं आप की ड्रेस पॅक करवाती हूँ.

मैं-अच्छा हम दोस्त बन सकते है .

गर्ल-हाँ क्यूँ नही मुझे बेहद ख़ुसी होगी आप जैसा दोस्त पा के.

मैं-तो फिर तुम ये ड्रेस रख रही हो मेरी तरफ से तुम को हमारी फ्रेंडशिप के याद गार के रूप मे और अब मैं कुछ नही सुनने वाला जाओ तीनो के बिल ले के आओ.

आख़िर कार उस ने हार मान ली और वो तीन ड्रेस पॅक करवा के ले आई दो मैं ने ले ली और एक उस को दे दी.

मैं-- चलो कम से कम अपना नाम तो बता ही दो अब

गर्ल-.अभी जल्दी क्या है जब नेक्स्ट टाइम मिलेगे तब के लिए भी तो कुछ होना चाहिए

.मैं- हाँ ये भी सही है .चलो मैं चलता हूँ मुझे लेट हो रहा है.और मैं दी के पास चला गया दी की भी लगभग शॉपिंग पूरी हो गयी थी मैं ने बिल पे कर दिए और हम तीनो घर के लिए निकल गये .मैं ने शैली दी को उन की ड्रेस दे दी उन को वो बहुत पसंद आई वो पूरे रास्ते मेरी तारीफ ही करती रही कि क्या चाय्स है क्या कलर है क्या डिजाइन है एक्सट्रा –एक्सट्रा .मैं ने दी को अभी उन की ड्रेस नही दी थी. दी मुझे ऐसे घूर्ने लगी कि कच्चा ही चबा जाएगी (उस टाइम दी का फेस उस टाइम बिल्कुल वैसा हो गया था जैसे कि किसी 05 साल के बच्ची को चोकलेट के घर मे रख के उस को चोकलेट खाने से मना कर दिया गया हो और बाकी सब को खाने की पर्मिशन हो) फिर हम घर पहुँच गये हम ने शैली दी को उन के घर छोड़ दिया और हम अपने घर आ गये…

घर आ के हम लोग अपने अपने रूम मे चले गये फ्रेश होने के लिए फ्रेश हो के मैं नीचे हॉल मे आया तो वहाँ दी पहले से ही थी और मोम को गिफ्ट दिखा रही थी मैं ने बोला मोम मुझे क्या एक कप कोफ़ी मिलेगी .
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rajsharma
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Re: जिंदगी के रंग अपनों के संग

Post by rajsharma »

बहुत ही शानदार अपडेट है दोस्त

😠 😱 😘
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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