बैंक की कार्यवाही compleet

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jay
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बैंक की कार्यवाही compleet

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बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--1



मैं जयपुर में एक सॉफ्रटवेयर कम वेब डवलपमेन्ट कम्पनी में काम करता हूं। यह कम्पनी जयपुर की सी-स्कीम में स्थित हैं। मैंने ये कम्पनी 2008 में ज्वाइन की थी, तब इस कम्पनी की शुरूआत ही हुई थी, और तब हम केवल 3 एम्पलोई ही इसमें काम करते थे, मैं (समीर - नेम चेंजेड) और एक लड़की अपूर्वा (नेम चेंजेड) और एक लड़का सुमित (नाम चेंजेड)।
बाद में किन्हीं पर्सनल कारणों से मैंने 2009 के आखिर में कम्पनी को छोड़ दिया और जब पर्सनल प्रोब्लम्स सॉल्व हो गई तो मैंने वापिस मई 2011 में वापिस इसी कम्पनी में ज्वॉइन कर लिया। इस वक्त भी कम्पनी ज्यादा बड़ी नहीं बनी थी, परन्तु हां अब इस कम्पनी में 5 एम्पलोई काम करते थे। चूंकि मैं कम्पनी के साथ शुरूआत से ही जुड़ा हुआ हूं तो यहां पर बॉस के बाद मैं ही सबसे सीनियर हूं।
बात 2011 की दिवाली के आसपास की है, एक दिन ऑफिस में बैंक के दो कर्मचारी आये और बॉस के बारे में पूछने लगे। बॉस उस दिन किसी काम से बाहर गये हुये थे। मैं कम्पनी में सबसे सीनियर हूं, तो पियोन ने उन्हें मेरे पास भेज दिया। उन्होंने मुझसे कम्पनी की हालात के बारे में पूछा और काम कैसा चल रहा है, उसके बारे में पूछताछ करने लगे। तो मैंने उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि 2010 में बॉस ने बैंक से 10 लाख रूपये का लोन लिया था, जिसकी 3 किस्तें जमा करवाने के बाद उन्होंने बाकी कि किस्तें जमा करवानी बंद कर दी। बैंक से कई बार नोटिस मिलने के बाद भी उन्होंने कोई पैसा जमा नहीं करवाया। मैंने उन्हें अगले दिन आने के लिए कह दिया।
शाम को बॉस को फोन करके मैंने यह बात बता दी। अगले दिन बॉस ने मुझसे कहा कि हो सकता है, कुछ दिन के लिए ऑफिस बंद करना पड़े क्योंकि बैंक वाले उसे सील कर सकते हैं, उस टाइम में कहीं और ऑफिस शिफ्रट कर लेंगे।
और पूरी बात कुछ इस तरह थी कि मेरे दोबारा ऑफिस ज्वाइन करने से पहले बॉस ने ऑफिस के नाम पर 10 लाख का लोन लिया था जो फिर वापिस नहीं किया। बैंक वालों को ऐसे ही टकराते रहते थे। तो अब बैंक पैसे वापिस न मिलने के कारण सम्पति को कुर्क करने की कार्यवाही के लैटर भेज रहा था।
कुछ दिन बाद बैंक से एक लैटर आया जिसमें 3 दिन बाद ऑफिस को सील करने की कार्यवाही करने के बारे में लिखा था।
उस लैटर को पढ़कर बॉस की हालत पतली हो गई, क्योंकि ऑफिस सील हो जाने से सारा काम ठप पड़ जाना था, जिससे वजह से जो प्रोजेक्ट चल रहे थे उन पर कोई प्रॉडक्शन नहीं हो पाती, इसलिए बॉस ने डिसीजन लिया कि आज रात को ही 3 सिस्टम (कम्प्यूटर) अपने घर पर शिफ्रट कर लेंगे, और मैं (समीर) और अपूर्वा उनके घर पर काम करेंगे, जब तक कि ये बैंक का पंगा खत्म नहीं हो जाता। क्योंकि घर पर बॉस की वाईफ व बच्चे भी होते हैं तो अपूर्वा ने कोई ना-नुकूर नहीं की, और भाइयों मैं तो हूं ही बंजारा, कहीं भी सैट कर लो वहीं सैट हो जाता हूं।
तो उसी शाम को तीन सिस्टम बॉस के घर जोकि बापू नगर जयपुर में है, पर शिफ्रट कर दिए गये।
अगले दिन कम्पनी में बाकी एम्पलोई को 20 दिन की छुट्टी दे दी गई। 2 एम्पलोई तो छुट्टी मिलने से काफी खुश थे, परन्तु 2 एम्पलोई परेशान थे कि कहीं नौकरी से तो नहीं निकाला जा रहा, इसलिए उन्होंने सैलरी देने की बात कही और कहा कि हमने कहीं और नौकरी देख ली है, इसलिए हम नौकरी छोड़ रहे हैं।
उसके बाद ऑफिस को लॉक करके मैं, बॉस और अपूर्वा बॉस के घर आ गये।
दोबारा कम्पनी ज्वॉइन करने के बाद मैं पहली बार बॉस के घर पर जा रहा था।
जब 2008 में मैंने कम्पनी ज्वॉइन की थी तो बॉस के घर जाना हो ही जाता था। बॉस के घर पर उनकी वाइफ नीलम शर्मा व उनके दो बच्चे हैं। उनकी वाइफ की उम्र 35 साल के आसपास है। बॉस की वाइफ कोई ज्यादा सैक्सी नहीं है, चेहरा तो उनका बहुत ज्यादा सुन्दर है, परन्तु वो काफी मोटी थी और कपड़े भी ढंग के नहीं पहनती थी, जिससे बिल्कुल भी आकर्षक नहीं लगती थी, इसलिए पहले मेरे मन में उसके प्रति कोई ऐसे वेसे विचार नहीं थे।
जब हम बॉस के घर पहुंचे तो वहां पर एक बहुत ही सैक्सी महिला को देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया। उसने मुझे और अपूर्वा को हाय कहा, तो मुझे आश्चर्य हुआ कि मैं तो इसे जानता भी नहीं हूं, फिर मुझे क्यों हाय-हैल्लो कर रही है, परन्तु मैंने भी उन्हें हाय कहा। और हम बाहर आंगन से घर में अन्दर आ गये जहां पर बॉस ने तीनों सिस्टम लगा रखे थे।
वहां आकर मैं और अपूर्वा अपना-अपना काम करने लगे और बॉस अपने रूम में चले गये।
कुछ देर बाद वहीं सैक्सी महिला चाय लेकर आई। उसने हम दोनों को चाय दी और वहीं पर बैठकर अपूर्वा से बातचीत करने लगी। थोड़ी देर बाद उसने कहा कि समीर तुम इतने चुपचाप क्यों बैठे हो, पहले तो ऐसे नहीं थे।
मैं एकदिन चौंक कर आश्चर्य में पड़ गया कि इसे मेरा नाम कैसे पता और मैं कब पहले इससे मिला हूं जो ये कह रही है कि पहले तो ऐसे नहीं थे।
मैंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है, पर मुझे याद नहीं आ रहा कि हम पहले कब मिलें हैं।
मेरा ऐसा कहते ही अपूर्वा का मुंह आश्चर्य से खुला और कहने लगी कि आपकी तबीयत तो ठीक है। बॉस की वाइफ है ये, पहले कितनी बार तो घर पर आये हो।
मैं आश्चर्य से मुंह खुलने की बारी मेरी थी। मेरा मुंह से सीधा निकला कि ‘‘इतनी सैक्सी’’। परन्तु मुझे तुरन्त ही अपनी गलती का एहसास हुआ और मैंने सॉरी कहा।
परन्तु मेरा मुंह वैसे ही आश्चर्य से खुला रहा और मैं उन्हें घूर कर ऊपर से नीचे तक देखने लगा। मेरे एक्सप्रेशन देखकर अपूर्वा समझ गई कि मैंने उन्हें क्यों नहीं पहचाना।
अपूर्वा ने कहा कि अरे, अब जिम में जाती हैं तो इसलिए इतनी फिट हो गई हैं।
दोस्तों मेरा जो हाल उस वक्त हुआ क्या बताउं। वो दोनों मुझ पर हंस रही थी।
मैं झेप कर वापिस अपने मॉनीटर पर नजर गढ़ाकर मंद-मंद मुस्कराने लगा।
मैंने फिर से एक बार बॉस की वाइफ (नाम नीलम शर्मा) की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ ही देख कर हंस रही थी। अपूर्वा अपने काम में व्यस्त हो गई थी। बॉस की वाइफ ने जब देखा कि मैं उनकी तरफ देख रहा हूं तो उन्होंने मुझे आंख मार दी। मैंने के मारे अपनी गर्दन नीची कर ली।
तभी बॉस वहां पर आ गए और कहने लगे कि मैं बैंक जा रहा हूं, तब तक तुम काम निपटाओं। मैंने और अपूर्वा ने एक साथ कहा - ‘ओके, बॉस’। और बॉस चले गए। उनके साथ ही बॉस की वाइफ भी चली गई।

उनके जाते ही मैंने अपूर्वा की तरफ देखा, वो अपने काम में मग्न थी। मैंने अपूर्वा से कहा कि यार बहुत सैक्सी हो गई है ये तो!
डसने चौंकते हुए मेरी तरफ देखा और पूछा - क्या?
मैंने फिर से का कि यार बॉस की वाइफ तो बहुत सैक्सी हो गई है, पहले तो बहुत मोटी थी।
हमारे बीच में (मेरे और अपूर्वा के) कभी भी इस तरह की कोई बात नहीं होती थी, तो अपूर्वा थोड़ी-सी हैरान लग रही थी कि मैं क्या कह रहा हूं।
फिर मैंने भी कोई ज्यादा बातचीत नहीं कि और काम में लग गया।
शाम को ऑफिस की छुट्टी होने से कुछ देर पहले फिर बॉस की वाइफ चाय लेकर आई और हम दोनों को दी। कुछ देर वो वही खड़ी रहके हमें काम करते हुए देखने के बाद चली गई।
बॉस अभी नहीं आए थे। 5 बजे हम दोनों ने सिस्टम बंद किए और अपने घर के लिए चल दिए। बॉस की वाइफ और उनके बच्चे बाहर मेन गेट के पास ही थे। बच्चे खेल रहे थे। मुझे देखकर बॉस की वाइफ मुस्कराने लगी तो मैं झेंप गया। बॉस की वाइफ ने मुझसे कहा - बडी जल्दी भूल गए, क्या बात है, पसंद नहीं हूं क्या? मैंने अपूर्वा की तरफ देखा तो वो बच्चों के साथ चहुल कर रही थी। मैंने कहा, नहीं ऐसी बात नहीं है, पर पहले आप काफी मोटी थी, तो मैंने आपकी तरफ क्या ज्यादा ध्यान से देखा नहीं था, और अब तो आप बिल्कुल मॉडल से भी ज्यादा सैक्सी लग रही हैं तो मैं पहचान नहीं पाया।
तो उन्होंने मुझसे पूछा, अच्छा इतनी ज्यादा खुबसूरत लग रही हूं, मैं।
मैंने कहा कि हां आप बहुत ज्यादा खुबसूतर और सैक्सी लग रही हैं। तभी अपूर्वा भी आ गई और मुझसे कहा कि चलें। तो हम दोनों बॉस की वाइफ को गुड इवनिंग कहकर घर से बाहर आ गये। अपूर्वा अपनी स्कूटी पर और मैं अपनी बाइक पर घर के लिए चल दिए। अपूर्वा राजापार्क में रहती है और मैं मालवीया नगर में।
घर आकर मैं बॉस की वाइफ के बारे में सोचने लगा कि वो कितनी बदल गई है। अब तो उन्हें देखकर बुड्ढ़ों में भी जवानी आ जाये।

शाम को सुमित का फोन आया मेरे सैल पर तो मैंने उठाया और हैलो कहा। उसने हाय-हैल्लो किया और फिर 20 दिन की छुट्टी के बारे में पूछने लगा। उसने कहा कि क्या कम्पनी बंद हो रही है या कुछ और बात है। तो मैंने उसे कहा कि यार तुम 20 दिन की छुट्टी के मजे लो, कुछ खास नहीं बस वो थोड़ा बैंक का लफड़ा है। बैंक से लोन लेकर बॉस ने वापिस नहीं किया तो बैंक ऑफिस को सील कर रहा है। पैसे देने के बाद सील तोड देगा। तो सुमित रिलेक्स हो गया और कहने लगा अब तो गोवा घूम कर आउंगा दीवाली के बाद। मैंने कहा मजे कर बच्चू, मुझे तो घर पर ही जाना पड़ता है, काम करने के लिए। पर तू ऐश कर और फिर मैने फोन काट दिया। फिर मैंने शाम के लिए खाने की तैयारी की और खाना बनाया और खाकर पार्क में टहलने चला गया। वैसे तो मेरा पार्क में टहलने का ज्यादा मन नहीं होता है, पर आजकल वहां पर एक बला की खूबसूरत हसीना को देखने के लिए मैं चला जाता हूं। वो हर रोज शाम को अपने डॉगी के साथ टहलने आती है। वैसे उसका डॉगी, डॉगी कम सर्कस का कॉटून ज्यादा लगता है। यॉर्कशायर टेरियर नस्ल का डॉगी, चेहरे और गर्दन पर रेड और गॉल्डन कलर के लम्बे बाल और बाकी के शरीर पर काले लम्बे बाल। एक दम कॉर्टून, पर पता नहीं मुझे देखकर भोंकने लग जाता है और उसे भौंकता देख वो हसीना मुस्कराने लग जाती है। उसकी वो कातिल मुस्कान मेरे दिल पर छुरी की तरह चलती है। एकदम मस्त फिगर और हसीन चेहरे की मालकिन वा लड़कि एकदम कातिल अदा के साथ अपनी मस्त गांड को मटकाती हुई मेरे सामने से गुजर जाती है और मैं उसकी गांड मटकाती हुई कातिल चाल को देखता रह जाता हूं। आज भी वैसा ही हुआ। लगभग आधे घण्टे बाद मैं वापिस घर आ गया और टीवी पर मूवी देखने लगा और पता नहीं कब नींद आ गई। सुबह उठा तो टीवी पर भजन आए हुए थे। मैंने टीवी बंद किया और घड़ी में टाइम देखा। 7 बजे हुए थे। मैं उठकर बाथरूम में गया और फ्रेस होकर नाश्ता बनाया और खा पीकर ऑफिस के लिए तैयार हो गया। पौने नौ बजे मैं ऑफिस के लिए निकल गया और 10 मिनट में ही ऑफिस पहुंच गया। बैल बजायी तो बॉस ने दरवाजा खोला। मैंने उन्हें गुड मॉरनिंग की और अंदर आ गया। अपूर्वा अभी नहीं आई थी। मैं आकर ऑफिस में बैठ गया (जो अब घर पर बन गया था) और कम्प्यूटर ऑन करके फेसबुक पर न्यूजफीड देखने लग गया। कुछ देर बाद अपूर्वा भी आ गई। बॉस ने हमें कुछ इम्पोटेंट प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए कहा और बैंक के लिए निकल गये। हम अभी आपस में बातचीत ही कर रहे थे कि तभी बॉस की वाइफ कुछ खाने का सामान लेकर आई और कहने लगी आज खीर और हलवा पूरी बनाई है। मैंने कहा कि मैं तो नाश्ता करके आया हूं। अपूर्वा ने भी यही कहा। हमारे मना करने के बावजूद बॉस की वाइफ ने थोड़ी थोड़ी खीर दोनों को खाने के लिए दे दी। मैंने ना-नूकुर करने के बाद खीर खाने के लिए ले ली और मेरे लेने के बाद अपूर्वा ने भी ले ली। बॉस की वाइफ वहीं बैठ गई और हमसे बातचीत करने लग गई।

एकबार तो मेरे मन में आया कि इनसे बेंक के लॉन के बारे में पूछू, फिर कहीं बुरा ना मान जाये ये सोचकर मैंने नहीं पूछा। परन्तु अपूर्वा ने बात ही बात में कहा कि बॉस के पास पैसे तो हें ना वापिस लोटाने के लिए। तो बॉस की वाइफ ने कहा अरे एक दो दिन में ही सुलझारा हो जायेगा, कोई ज्यादा टेंशन की बात नहीं है।

मैं अपूर्वा की तरफ देखकर मुस्करा दिया, वो भी मेरे मुस्कराने का मतलब समझ गई और मेरी तरफ क्यूट सी स्माइल पास कर दी। कुछ देर बाद बॉस की वाइफ मेरे पास आकर खड़ी हो गई और मेरी चेयर पे पीछे की तरफ हाथ रखकर चेयर से सटकर खड़ी हो गई। मैंने मेरी चेयर हिलने के कारण मैंने मुड़कर देखा तो मेरा चेहरा उनके पेट से टकरा गया उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी और उनका पेट एकदम नंगा था। मेरे शरीर में एक करंट सा लगा और साथ ही मैम के शरीर ने भी एक झटका खाया। मैंने एकदम से चेहरे को पीछे हटाते हुए सॉरी कहा, परन्तु वो वहीं खड़ी रही और मुस्कराने लगी। मेरे मन में अभी भी उनके प्रति कोई ज्यादा ऐसे वैसे विचार नहीं थे, बस इतना था कि अब वो काफी सैक्सी लगती थी, पहले की बजाय।

उनके इस तरह वहीं खड़े रहकर मुस्कराने से मुझे थोड़ा असहज फील हो रहा था। मैंने दोबारा से उनके चेहरे की तरफ देखा तो वो मुस्करा रही थी और उन्होंने मेरी आंखों में देखते हुए मेरे कंधे पर अपनी उंगलियां टच कर दी। मैं उनकी उंगलियों को अपने कंधे पर टच होने से थोड़ा साइड में हो गया और उनके चेहरे की तरफ देखने लग गया। उनका चेहरा एकदम लाल लग रहा था। और जब मैंने उनके चेहरे पर से नजर हटाकर वापिस अपने काम में धयान देने के लिए नजरे नीची की तो मेरी नजर उनकी तेजी से उपर नीचे होती छाती पर पडी, कुछ सैकंड के लिए मेरी नजर वहीं जम गई। उनके बूब्स उनकी तेज चलती सांस के साथ तेजी से उपर नीचे हो रहे थे। मैम मेरी तरफ ही देख रही थी तो मैंने अपनी नजर वहां से हटा ली।



तभी अपूर्वा की जोर की जोख निकली और मैंने तुरंत उसकी तरफ देखा और पूछा कि क्या हुआ, तभी मैम ने मेरे गालों पर चिकोटी काटी और जल्दी से अपूर्वा की तरफ जाकर उससे पूछने लगी कि क्या हुआ।। मैंने बॉस की वाइफ के चिकोटी काटने पर ज्यादा धयान नहीं दिया क्योंकि सारा धयान अपूर्वा के चीखने पर था।

अपूर्वा ने कहा कि मेरे पैरों पर किसी चीज ने काटा शायद सांप था। सांप का नाम सुनते ही बॉस की वाइफ की भी घीघी बंद गई। वो तुरंत चेयर पर उपर पैर करके बैठ गई। सांप का नाम सुनकर मेरे भी होश उड़ गई पर फिर भी मैंने सम्भलते हुए कहा कि यहां पर कहां से सांप आयेगा, और अपूर्वा की चेयर को अपनी तरफ किया और उसके पैर को पकड़कर उपर की तरफ करके देखा तो उसके पैर के अंगूठे में से हल्का खून निकला हुआ था। मैंने खून को साफ किया और कहा कि सांप ने नहीं किसी ओर चीज ने काटा है, शायद चूहे ने काटा है। तभी एक चूहा टेबल के नीचे से निकल कर दूसरी तरफ भागा। चूहे को देखकर सबकी जान में जान आयी। बॉस की वाइफ ने पूछा की तुम्हें कैसे पता चला कि सांप ने नहीं चूहे ने काटा है।

मैंः क्योंकि सांप के काटने पर दो दांतों के निशान होते हैं पर इसके पैर में अंगूठे की थोडी सी चमड़ी उखड़ी हुई थी। जिसका मतलब है कि सांप ने नहीं किसी और चीज ने काटा है।
अपूर्वा: थेंक गॉड! मेरी तो जान ही निकल गई थी ये सोचकर की सांप ने काट लिया है और अब मैं बचने वाली नहीं हूं।
बॉस की वाइफः कई बार इन चूहों की दवाई रख चुकी हूं पर साले मरते ही नहीं है।
बॉस की वाइफ के मुंह से ‘साले’ शब्द सुनते ही हम दोनों का मुंह आश्चर्य से खुल गया। बॉस की वाइफ समझ गई की उसने गलत कह दिया। पर फिर भी कोई धयान नहीं दिया।
बॉस की वाइफ: आने दो आज ही तुम्हारे सर को, कान खिचूंगी कि चूहे की बढ़िया दवाई लेकर आये।
उनकी ये बात सुनकर हम दोनों ही हंस दिये और बॉस की वाइफ बर्तन लेकर चली गई। उनके जाने के बाद अपूर्वा ने अपने सैंडल पहनते हुए कहा
अपूर्वा: आज के बाद कभी भी सैंडल उतार कर नहीं बैठूंगी, बहुत जलन हो रही है वहां पर।
क्रमशः.....................
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Re: बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई

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बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--2
गतांक से आगे ...........
मैंने कहा कि कोई बात नहीं है, अपने आप ठीक हो जायेगा। बेचारा तुम्हें प्यार करने आया था, पर तुमने तो उसे डरा ही दिया। ज्यादा नहीं काटा बस थोउ़ा सा ही काटा है।
अपूर्वाः बकवास मत करो।
मैंने टाइम देखा तो 12 बजने को हो गए थे, तभी बाहर से बॉस की आवाज सुनाई दी। बॉस अंदर ऑफिस में आ गये।
बॉस: ऑफिस पर आज सील लगा दी है बैंक वालों ने। लगता है अब पैसे देने ही पडेंगे।
मैंः बॉस दे दाकर खत्म करो पंगा, खामखां में काम का भी नुकसान हो रहा है।
बॉस: हां, ठीक ही है। पर अब एक दो दिन तो लगेंगे ही पैसों का इंतजाम करने में।
तभी बीच में अपूर्वा बोल पड़ी।
अपूर्वा: बॉस! जितनी जल्दी हो सके सुलझा लो, यहां पर ज्यादा दिन रहे तो रेबीज हो जायेगी।
उसकी ये बात सुनते ही मेरी हंसी दूट गई।
बॉस: क्यों ऐसो क्यों कह रही हो?
अपूर्वाः और क्या वो चूहे ने आज पैर में इतनी जोर से काटा कि अभी भी जलन हो रही है। एक बार तो मुझे लगा कि सांप है।
बॉस: अरे हां वो दवाई लानी थी चूहों की, वो याद ही नही रही।
बॉस की वाइफ चाय लेकर आई और तीनों को दी तथा खुद भी एक कप लेकर वहीं बैठकर पीने लगी।
हम तीनों भी चाय पीने लगे। बॉस ने चाय खत्म की और ये कहकर चले गये कि फ्रेश होकर थोडा आराम करता हूं।
हम तीनों ने भी चाय खत्म की और बॉस की वाइफ खाली कप टरे में रखकर किचन में चली गई।
मैंने अपूर्वा की तरफ देखकर स्माइल पास की और अचानक से कहा चूहा। अपूर्वा एकदम उछल कर अपनी चैर पर चढ़ गई।
मेरी हंसी छूट गई। मुझे हंसते हुए देखकर अपूर्वा समझ गई की मैंने मजाक किया है और वो झेंप गई।
थोड़ी देर बाद बॉस की वाइफ वापिस हमारे पास आई और चेयर को मेरी चेयर के पास करते हुए बोली, चलो आज देखती हूं कि तुम कुछ काम भी करते हो या वैसे ही बैठे रहते हो सारा दिन।
बॉस की वाइफ की ये बात सुनते ही अपूर्वा तुरन्त अपने सिस्टम में नजरे गडाकर काम में लग गई।
मैं भी अपना काम करने लग गया। और बॉस की वाइफ चेयर को मेरे बिल्कुल पास करके उसपर बैठ गई और अपना दायां हाथ मेरे कंधे पर रख दिया। मैंने एकबार उनकी तरफ देखा और फिर वापिस अपने काम में लग गया।

धीरे-धीरे उनका हाथ हरकत करने लग गया और मेरे कंधे से होता हुआ मेरे बालों में पहुंच गया। बॉस की वाइफ ने मेरे बालों को हल्के से सहलाना शुरू कर दिया। मैंने इनका नॉर्मल प्यार समझ कर कुछ जयादा धयान नहीं दिया और अपने काम में लगा रहा।

दोस्तों अब मैं बॉस की वाइफ के फिगर के बारे में आप लोगों को बताता हूं। पहले वो एकदम मोटी थी कोई 100 किलो से ज्यादा वजन तो होगा ही उनमें। परन्तु अब वो एकदम छरहरी हो गई थी बिल्कुल दीपीका पादुकोण के जैसी। मैंने अभी तक उनके फिगर की तरफ ज्यादा धयान तो दिया नहीं था पर फिर भी उनके बूब्स न तो ज्यादा बड़े थे और न ही ज्यादा छोटे एकदम सही आकार के होंगे। हां उनकी मस्त गांड को एकबार मैं थोड़ा धयान देकर देख चुका था इसलिए बताता चलूं कि वो एकदम शानदार गांड की मालिक थी। वो हुआ कुछ यूं था कि जब पहले दिन हम ऑफिस से घर (बॉस के घर) पर आये थे तो मैंने उन्हें पहचाना नहीं था, उस दिन वो हमारे आगे-आगे गई थी हमें नये ऑफिस वाले रूम में लेकर तो उस दिन मैंने पीछे आते हुए उनकी गांड पर थोड़ा धयान दिया था तो उस दिन मुझे उनकी गांड एकदम मस्त लगी थी।

मैम मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी और मैं अपने काम में मग्न था। तभी उन्होंने हाथ बालों में से ले जाते हुए मेरे गर्दन से होते हुए मेरे गालों पर ले आई और गालों को सहलाने लगी। मेरे शरीर में एकदम करंट सा लगा और मैं सिहर उठा। वो थोड़ा सा और मेरी तरफ सरक गई जिससे अब उनके दायां बूब मेरी बायीं बाजू से टच हो रहा था। उनकी इस हरकत से मैं गरम होने लगा था। पर मैं अभी भी यही सोच रहा था कि वो ये सब नॉर्मल प्यार से कर रही है। तभी अपूर्वा की चेयर के हिलने की आवाज हुई और बॉस की वाइफ ने अपना हाथ हटा दिया और थोड़ा दूर होते हुए अपूर्वा की तरफ देखा। अपूर्वा हमारी तरफ घूमी और बॉस की वाइफ को वहीं बैठा देखकर थोड़ी हिचकिचाई और फिर मुझसे एक प्रोग्रामिंग कोड के बारे में पूछने लगी। मैंने अपनी चेयर को उसकी तरफ ले गया और उसकी स्क्रीन पर देखते हुए उसके कोड को देखने लगा। कोड को देखने पर मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं दिखाई दी तो मैंने उसकी तरफ देखा। उसने मेरी तरफ आंख मारी, पर मैं कुछ न समझ सका तो उसने मेरी जांघों पर हाथ रखकर दबा दिया। मैं समझ गया कि ये मुझसे कुछ और पूछने वाली थी पर बॉस की वाइफ को वहीं बैठा देखकर प्रोग्राम के बारे में पूछने लगी।
मैंने उससे कहा कि यहां पर ऐसे कर लो और यहां पर ये लगा दो तो हो जायेगा। उसने कहा कि ठीक है और मैं वापिस अपने सिस्टम पर आ गया। अपूर्वा ने जब मेरी जांघों पर हाथ रखकर दबाया तो मैं एकदम गरम हो गया था, जिससे मेरा गला सूख गया और मैंने मैम से कहा कि क्या एक गिलास पानी मिलेगा मैम।
मैम: क्यों नहीं अभी लाती हूं।
और मेरी जांघों पर हाथ रखते हुए वो खड़ी हो गई और किचन से पानी लेने चली गई।
मैं पहले से ही गरम था अपूर्वा के कारण अब मैम की इस हरकत से मैं और भी ज्यादा गरम हो गया।

बॉस के घर में कुल चार कमरे नीचे हैं और दो कमरे उपर बने हुए हैं। बॉस और उनका परिवार नीचे ही रहता है। उनका घर कुछ इस तरह से बना हुआ है कि मेन गेट से आते ही दायीं साइड में छोटा सा लॉन है और बायीं साइड को घर के आखिर तक एक गैलरी जाती है। लॉन के बाद एक कमरा बना हुआ है और वहीं पर रसोई भी है उसी कमरे से अटैच, उसके बाद एक कमरा है जिसमें से एक दरवाजा पहले वाले कमरे से है और एक दरवाजा गैलरी में है उसके बाद एक छोटा कमरा और बाथरूम है और सबसे आखिर में एक कमरा है जिसका दरवाजा गैलरी में और पीछे की तरफ हे जहां पर एक और बाथरूम और टॉयलेट है। इसी सबसे बाद वाले कमरे में अब सिस्टम सैट कर रखे हैं। तो ऑफिस में आने के लिए गैलरी में से आना जाना पड़ता हैं।

कुछ ही देर में बॉस की वाइफ एक बोतल में पानी के साथ दो गिलास लेकर आ गई और मेरी टेबल पर रखकर एक गिलास में पानी डालकर मुझे दे दिया और यह कहकर वापिस चली गई कि बच्चे आ गये हैं स्कूल से, उनको खाना वगैरह देती हूं। मैंने पानी पिया और अपूर्वा से पानी के लिए पूछा तो उसने भी पानी पिया।

अपूर्वा: मैंने तो सोचा कि मैम चली गई होंगी, और तुमसे बात करने के लिए मुडी, पर वो तो यहीं पर बैठी थी। क्या कर रही थी। तुम्हें तो परेशानी हो गई होगी, बस काम में ही लगा रहना पड़ा होगा।
मैंः अरे नहीं यार, वो तो कह रही थी कि ज्यादा काम मत किया करो, कुछ आराम भी कर लिया करो।
अपूर्वा: हां, बड़ी आई आराम करवाने वाली। मैं ही मिली झूठ बोलने के लिए।
मैं मुस्कराने लग गया और मुझे देखकर अपूर्वा भी मुस्कराने लग गई।
अपूर्वा: अरे मैं ये कह रही थी कि वो अगर बॉस से पैसों का इंतजाम नहीं हुआ तो।
मैं: अरे तो क्या हुआ! अपनी नौकरी तो पक्की है ही, यहां घर पर काम करेंगे। अच्छा मैम के हाथ की चाय मिलेगी, बढ़िया वाली।
अपूर्वाः वो तो है, पर यहां पर काम करने में मजा नहीं आ रहा।
मैं: मुझे तो आ रहा है। तुम्हें क्यों नहीं आ रहा।
अपूर्वा: अरे यार! यहां पर थोड़ी पाबंदी सी हो जाती है, जैसे किसी के यहां पर चले जाते हैं दो तीन दिन के लिये वैसा फील हो रहा है। खुलकर काम करने का मजा नहीं आ रहा। और उपर से मैम यहां पर आकर बैठ जाती है।
मैं: अरे यार! अच्छी तो सुबह खीर खाने को मिली और तुम कह रही हो मजा नहीं आ रहा। मुझे तो खूब मजा आ रहा है भई यहां पर।
अपूर्वा बुरा सा मुंह बनाते हुए: हूं! मजा आ रहा है। क्या खाक मजा आ रहा है। अगर तीन चार दिन और बैंक का लफड़ा खत्म नहीं हुआ तो मैं तो कह दूंगी की मुझसे यहां पर काम नहीं होगा। जब ऑफिस खुल जायेगा तो मैं वहीं पर आ जाउंगी काम करने के लिए। तब तक के लिए छुट्टी।
मैं: ओहो! आई बड़ी दुटटी करने वाली। तेरी मम्मी तुझे उंडे मारकर भगा देगी, चल ऑफिस भाग जा।
मेरे इतना कहते ही अपूर्वा मुस्से से आंखे निकलती हुई मेरी तरफ देखकर बोली!
अपूर्वा: रहने दो! मेरी मम्मी तो कहती है कि तुझे काम करने की क्या पड़ी है, वो तो मैं ही हूं जो मानती नहीं हू। वरना मम्मी तो काम करने से मना करती है।
मैंः अच्छा जी! मुझे तो कोई मना नहीं करता, उलटे अगर दो तीन दिन से जयादा की छुट्टी कर लूं तो कहना शुरू कर देते हैं कि ऑफिस नहीं जाना क्या, यहां पड़ा है घर पे। ये भी नहीं देखते कि इतने दिनों में तो घर पर आया है बेटा।
अपूर्वा हंसते हुए: हम लड़कियों के तो यहीं मजे हैं जी। मन में आया तो काम करो नहीं तो घर पर रहो मजे से।

तभी मैम चाय लेकर आ गई, मैंने टाइम देखा तो 4ः15 हो चुके थे। मैंम चाय के साथ गाजर का हलवा भी लेकर आई थी। मैंने हलवे की तरफ इशारा करके अपूर्वा को आंख मार दी। वा मुस्कराने लगी। मैं ने दो प्लेटों में हलवा हमें दिया और फिर चाय डालकर दी और ये कहकर चली गई कि अगर गाजर का हलवा और चाहिए तो आकर ले लेना, शरमाना मत। और फिर मेरे पास आकर कहने लगी
मैम: ठीक है ना! शरमाने की जरूरत नहीं है तुझे, और मेरे गाल पर चिकोटी काट दी।
मेरे मुंह से आह निकल गई। मैंम बाहर चली गई और मैं और अपूर्वा चाय के साथ गाजर का हलवा खाने लगे।
पांच बजे हमने सिस्टम बंद किये और घर चलने की तैयारी करने लगे। मैंने पहले रूम में जाकर बॉस को बोल दिया कि हम जा रहे हैं।
बॉस: ठीक है! वो दो तीन दिन में बैंक का काम हो जायेगा, फिर वापिस से ऑफिस में शिफ़ट कर लेंगै।
मैंने कहा ओके बॉस! और बाहर आ गया और मैं और अपूर्वा अपने अपने घर के लिए निकल पडे।

अभी हम कोई 100-200 मीटर ही चले था कि मेरी बाईक में पंक्चर हो गया, अपूर्वा भी मेरे साथ ही चल रही थी, क्योंकि अभी हम मेन रोड पर नहीं पहुंचे थे। मैंने जब बाइक रोकी तो अपूर्वा ने पूछा क्या हुआ तो मैंने उसे बताया कि बाइक में पंक्चर हो गया। वो जोर जोर से हंसने लग गई।
मैंने कहा कि तुझे हंसी आ रही है, तो चल अब तू ही मुझे घर छोड़कर आयेगी।
अपूर्वा: क्यों पंक्चर नहीं लगवाना, अभी तो मैं छोड़ आउंगी, कल सुबह कैसे आओगे।
मैं: अरे सुबह की सुबह देखी जायेगी, मैं अभी वापिस बॉस के घर खड़ी करके आता हूं, अब पंक्चर की दुकान कहां पर है, ये भी नहीं पता, पता नहीं कितनी दूर होगी। कौन पंक्चर की दुकान तक इसको पैदल खीचेंगा।
यह कहकर मैं बाईक को वापिस बॉस के घर खड़ी करने के लिए चल दिया। आज मुझे पता चला कि 100-200 मीटर बाइक को पैदल चलाना कितना भारी-भरकम काम होता है।
घर पर जाकर मैंने बैल बजाई और मेन गेट खोलकर बाईक को अंदर लेजाकर खड़ा कर दिया। बैल बजाने से बॉस का छोटा लड़का बाहर आया और बॉस को आवाज लगाई कि पापा, समीर भैया हैं! बॉस बाहर आये।
बॉस: क्या हुआ?
मैं: कुछ नहीं वो बाइक में पंक्चर हो गया, पंक्चर वाले की दुकान भी पता नहीं है, कहां पर है?
बॉस: अरे इधर पास में ही पंक्चर वाले की दुकान!
मैं: सुस्ताते हुए ! अब तो कल ही लगवाउंगा, यहां पर वापिस लाने में ही थक गया।
बॉस: तो अब कैसे जाओगे। ऐसा करो, ये तुम्हारी मैम की स्कूटी ले जाओ।
मैं: अरे नहीं बॉस! मैं बस में चला जाउंगा।
बॉस: बस में कहां परेशान होता फिरेगा।
मैंः कोई बात नहीं, इस बहाने पता भी चल जायेगा, मेरे घर तक कौन-सी बस जाती है।
(वैसे तो मुझे पता था कि कौनसी बस जाती है क्योंकि बाइक लेने से पहले बस से ही तो आता जाता था)
बॉस: जैसी तेरी मर्जी। पर परेशान हो जायेगा बस में।
मैं: कोई बात नहीं है, आज थोउ़ा बस का मजा ले लेते हैं।
(अगर मैंने अपूर्वा को नहीं कहा होता तो मैं मैंम की स्कूटी ले जाता पर अपूर्वा के पीछे बैठके उसे छेड़ने का लालच था इसलिए मैंने मना कर दिया)
मैं बाय बोलकर बाहर आ गया, अपूर्वा मेरा वहीं पर खड़ी इंतजार कर रही थी। मेरे आते ही वो उतर गई।
मैं (अपूर्वा को उतरते देख कर)ः अरे तुम उतर क्यों गई, ड्राइव करो, मैं पीछे बैठता हूं।
अपूर्वा: ना जी! मैं तो पीछे बैठूंगी। मुझे इतनी ही चलानी आती है कि मैं अकेली चला सकूं। खामखां में किसी में ठोक दूंगी।
मैं मन ही मन सोचते हुए - अच्छा बहाना बनाया अपूर्वा की बच्ची ने। मेरे सारे अरमानों पर पानी फेर दिया। मजबूरन मुझे ड्राइव करनी पड़ी और अपूर्वा पीछे बैठ गई।
क्रमशः.....................

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई

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बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--3
गतांक से आगे ...........
अभी मैं थोड़ी दूर ही चला था कि एक गली में से फास्ट ड्राइव करते हुए दो लड़के बाईक पर हमारे सामने से निकले, मैंने टक्कर होने से बचाने के लिए तेज ब्रेक लगा दिये, जिससे अपूर्वा सीधी मेरे से आकर चिपक गई। उसके प्यारे-प्यारे बूब्स मेरी कमर में दब गये। उसके बूब्स का स्पर्श एकदम इतना नर्म था कि मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया। बूब्स के दबने से अपूर्वा के मुंह से आह निकल गई, अब पता नहीं वो आह मजे की थी या उसे बूब्स दबने से दर्द हुआ था। पर मुझे तो बहुत मजा आया।
अपूर्वा: देखकर नहीं चला सकते! ठतनी तेज ब्रेक लगाते हैं।
मैं: अरे यार तो मैं क्या करूूं वो एकदम से गली से निकल आये।
अपूर्वा वापिस पीछे हटकर आराम से बैठ गई और मैं ड्राइव करने लगा।
हम एक लो-फ्रलोर बस के पीछे-पीछे चल रहे थे, क्योंकि रोड़ पर बहुत रस था, सभी ऑफिस से घर जा रहे थे। अचानक बस ने ब्रेक लगाये। मेरा धयान बस की तरफ नहीं था, तो मुझे भी एकदम से ब्रेक लगाने पड़े। ब्रेक ज्यादा हैवी तो नहीं लगाए थे, पर अपूर्वा निश्चिंत होकर बैठी थी तो इतने से ब्रेक से ही वो वापिस मेरी पीठ से आकर चिपक गई और फिर से उसके बूब्स मेरी पीठ में दब गये। मुझे वापिस काफी मजा आया और फिर से अपूर्वा के मुंह से आंह निकली। पर वह बोली कुछ नहीं। और मेरे कंधे पर हाथ रखकर वैसे ही बैठी रही।
बस अपने स्टैंड पर खड़ी होकर स्वारियां उतार रही थी।
मैं: अरे यार वो धयान नहीं था और बस ने एकदम से ब्रेक लगा दिये तो इसलिए।
अपूर्वा: तो मैंने क्या कहा है? (अपूर्वा की आवाज मुझे थोड़ी भारी व थरथराती हुई लगी)
मैंने स्कूटी को बस के साइड से निकाल लिया और हम चल पड़े। अपूर्वा वैसे ही मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझसे सटकर बैठी थी। थोड़ी दूर चलने पर अपूर्वा वापिस कुछ पीछे हो गई, पर उसके हाथ अभी भी मेरे कंधे पर थे। मुझे उसकी गरम सांसे अपने गले में पीछे महसूस हो रही थी, जिसका मतलब वो मुझसे ज्यादा दूर नहीं बैठी थी। मुझे बैक मिरर में देखा तो अपूर्वा का चेहरा लाल लग रहा था और वो काफी खुश लग रही थी। मैंने वापिस ड्राइव पर धयान देते हुए आगे देखने लगा। थोड़ी दूर चलने पर अपूर्वा ने अपना सिर मेरी पीछ पर रख दिया।
मैं: क्या हुआ नींद आ रही है?
अपूर्वा: नहीं! बस थोड़ा रिलेक्स कर रही हूं, ऑफिस में इतना काम होता है तो थक गई हूं।
मैं: ओके! (और मैंने स्कूटी को धीरे कर लिया ताकि अपूर्वा चैन से रिलेक्स कर सके।
उसने अपने दोनों हाथों को मेरे पेट पर रखकर बांध लिया और मुझसे सटकर बैठ गई और सिर को मेरे कंधे पर रख लिया।
अपने पेट पर लड़की के नर्म हाथों को महसूस करके मेरे पप्पू ने अपनी गर्दन उठानी शुरू कर दी। मेरे शरीर में रह रह कर आनंद की तरंगे उठ रही थी। अपूर्वा के इस तरह चिपक कर बैठने से मुझे आश्चर्य भी हो रहा था और मजा भी आ रहा था। मैं इस पल का भरपूर मजा लेना चाहता था, इसलिए मैंने स्कूटी की स्पीड और कम कर दी और धीरे धीरे चलाने लगा। अपूर्वा के बूब्स मेरी कमर में दबे हुए थे और मुझे अपनी कमर में चुभते हुए महसूस हो रहे थे। मतलब कि वह गर्म हो चुकी थी। 15 मिनट में हम मेरे घर पहुंच गये। आंटी (मकान मालकिन) बाहर मेन गेट पर खड़ी पड़ोस वाली आंटी से बात कर रही थी। मुझे देखकर वो मुस्कराई और साइड में हो गई। मैंने स्कूटी गेट के अंदर लाकर रोकी। अपूर्वा अभी भी वैसे ही मुझे कसके पकड़कर चिपक कर बैठी हुई थी। शायद वो सो चुकी थी। मैंने उसे हल्की आवाज लगाई, पर उसने कोई हलचल नहीं कि तो मैंने धीरे से अपने हाथ को उसके सिर पर रखकर उसके थोड़ा सा हिलाया तो वो जाग गई।
अपने आप को इस तरह मुझसे चिपका हुआ देखकर उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया।
अपूर्वा: प---प----पहुं----पहुंच ----पहुंच गये। ये हम कहां हैं?
मैं: मेरे घर पर हैं, तुम सो रही थी। बड़ी जल्दी नींद आ गई।
अपूर्वा (नजरे चुराते हुए): हां! पता ही नहीं चला कब आंख लग गई। ओके मैं चलती हूं।
मैं: अरे! चाय पीके जाना, नींद खुल जायेगी।
अपूर्वा: नहीं! मेरी नींद खुल गई, लेट हो जाउंगी तो मम्मी डाटेगी।
मैं: चुपचाप उपर चल, चाय पीके जाना, नहीं तो फिर सोच लियो।
अपूर्वा: ओके! पर जल्दी से।

मैं और अपूर्वा उपर आ गये। (मेरा रूम दूसरी मंजिल पर है) ग्राउंड फलोर पर पार्किंग है, फर्स्ट फलोर पर मकान मालिक रहते हैं, और दूसरी मंजिल पर मैं रहता हूं।
उपर आकर मैंने लॉक खोला और अंदर आ गया। मैंने पीछे देखा तो अपूर्वा नहीं थी। मैं वापिस बाहर आया तो अपूर्वा मुंडेर के पास खड़ी होकर आसपास के घरों को देख रही थी। मौसम बहुत ही सुहावना हो रखा था। मंद मंद शीतल हवा चल रही थी।
मैं: अरे अंदर आओ ना, वहीं क्यों रूक गई।
अपूर्वाः हां, वो देख रही थी कि कैसी कॉलोनी में रहते हो। यहां तो चारों तरफ लड़किया ही दिखाई दे रही हैं छतों पर, लड़के तो कम ही हैं।
मैं: क्यों किसी के साथ सैटिंग करनी है क्या, साइड वाले घर में ही दो लड़के रहते हैं। शायद अभी गांव गये हुए होंगे।
अपूर्वा: बकवास ना करो। मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी।
मैं वापिस अंदर आ गया और चाय बनाने लगा। अपूर्वा भी मेरे पीछे-पीछे अंदर आ गई और रसोई में मेरे पास आकर खड़ी हो गई।
मैंने चाय में दूध डाला तो चाय फट गई। शायद दूध खराब हो गया था, सुबह गर्म करना भूल गया था।
अपूर्वा (मेरी तरफ देखते हुए): मुझे नींद आ रही है, चाय पिलाओ।
मैं: हूं, मजाक बना रही हो, अभी आंटी से दूध लेकर आता हूं। और मैं नीचे आंटी से दूध लेने चल दिया।
आंटी अभी भी नीचे खड़ी पड़ोस वाली आंटी से बात कर रही थी तो मैंने फर्स्ट फलोर से ही उनको आवाज लगाई और दूध के लिए कहा।
आंटी: अभी आती हूं बेटा। और पड़ोस वाली आंटी को 2 मिनट में आने के लिए कहकर उपर आ गई।
मैं आंटी से दूध लेकर वापस उपर आ गया।
(आंटी के घर में आंटी और उनकी दो बेटियां ही हैं अंकल 5 साल पहले एक्सिडेंट में गुजर गये थे। दोनों बेटियां बड़े वाली बेटी जिसका नाम रीत है अमेरिका में अपनी पढ़ाई कर रही है। मैंने वो कभी नहीं देखी है, बस फोटो ही देखी है, फोटो में तो बहुत खूबसूरत दिखती है और दूसरी बेटी सोनल आंटी के साथ ही रहती है, वो एमटेक कर रही है। सुबह 8 बजे निकलती है तो शाम को 7 बजे ही घर आती है। पता नहीं पूरे दिन बाहर क्या करती रहती है। वैसे वो भी बला की खूबसूरत है, पर मेरी और उसकी मुलाकात कभी-कभी ही होती है)
अपूर्वा: वाह जी! आपकी आंटी तो बहुत अच्छी है। तुरंत दूध दे दिया।
मैं: और क्या! मैं तो जब कभी खाना बनाने का मूड नहीं होता तो खाना भी आंटी के यहीं पर खा लेता हूं।
अपूर्वा: इम्प्रैस होते हुए, वाह जी। आजकल ऐसे मकान मालिक मुश्किल से ही मिलते हैं।
मैंने चाय बनाई और दो प्यालियों में डालकर एक अपूर्वा को दी और दूसरी खुद ले ली। एक कटोरी में मां के बनाये हुए लड्डू डाल कर अपूर्वा को खाने के लिए।
अपूर्वा: ये क्या है?
मैं: लड्डू।
अपूर्वा: मैं नहीं खाती, बहुत ज्यादा घी होता है इनमें।
मैं: अरे खा ले खा ले शरमा मत। मम्मी ने बनाये हुए हैं, बहुत स्वादिष्ट हैं।
और एक लड्डू मैंने उठा लिया और अपूर्वा ने भी एक लड्उू ले लिया।
चाय पीकर अपूर्वा कहने लगी, अब मैं चलती हूं नहीं तो देर हो जायेगी, और मम्मी की डांट खानी पड़ेगी।
मैं: ओके, चलो मैं तुम्हें छोड़ देता हूं।
अपूर्वा: हां! और फिर मैं तुम्हें छोड़ने आ जाउंगी, फिर तुम मुझे छोड़ने चलना। ऐसे ही सुबह हो जायेगी और फिर साथ में ही ऑफिस के लिए निकल पडेंगे।
उसकी बात सुनकर मैं मुस्कराने लगा।
अपूर्वा: ठीक है, अब चलती हूं। ओह माई गोड साढे छः हो गए। आज तो जरूरी मम्मी की डांट खानी पड़ेगी।
मैं अपूर्वा को नीचे तक छोड़ने के लिए आया। अपूर्वा ने अपनी स्कूटी निकाली और बायें बोलकर चली गई। आंटी अभी भी बाहर ही खड़ी हुई थी। पड़ोस वाली आंटी चली गई थी।
आंटी: कौन थी ये बेटा?
मैं: आंटी वो अपूर्वा है, मेरे साथ ही काम करती है, कम्पनी में, वो आज जब ऑफिस से निकले तो मेरी बाईक में पंक्चर हो गया, तो मुझे छोड़ने के लिए आई थी।
आंटीः बेटा! अच्छी लड़की है, नहीं तो आजकल कौन किसकी परवाह करता है, और वो भी लड़की। लगता है वो तुझे पसंद करती है।
मैं: अरे नहीं आंटी ऐसी कोई बात नहीं है, बस हम अच्छे दोस्त हैं तो, इसीलिए।
आंटी: अच्छे दोस्त। हां वो तो पता चल रहा था जिस तरह से वो बैठी थी तेरे पीछे।
आंटी की बात सुनकर मैं शरमा गया और अपना चेहरा नीचे कर लिया।
तभी सोनल अपनी स्कूटी को फरफराती हुई आ गई और गेट के पास आकर हॉर्न देने लगी।
आंटी: कितनी बार कहा है तुझसे, आराम से चला लिया कर। कभी कुछ हो गया ना।
सोनल: मॉम, दरवाजा तो खोलो। आते ही शुरू हो गये।
आंटी: हां खोलती हूं। कुछ कहो भी नहीं इनको तो। एक तो इतनी तेज स्कूटी चलाती है।
सोनल: हाय, समीर कैसे हो?
मैं: झक्कास, आज इतनी जल्दी कैसे आना हो गया?
सोनल: बस, ऐसे ही सोचा आज समीर जी से थोड़े गप्पे लड़ा लूंगी तो जल्दी आ गई।
मैं: अच्छा जी! ते चलो जल्दी से उपर आ जाओ।
आंटी: अब इस फटफटी को अंदर भी करेगी या बाहर ही फर फर करती रहेगी।
सोनल: करती हूं ना! बिगड़ती क्यो हों।
और सोनल ने अपनी स्कूटी अंदर खड़ी कर दी।
बाहर गली में सब्जी वाला आया था, तो मैं जाकर उससे सब्जी लेने लग गया।
सब्जी लेकर मैं उपर आ गया, सोनल पहले से ही उपर पहुंची हुई थी और मुंडेर के पास खड़ी होकर पड़ोस वाले घर में छत पर खड़ी अपनी सहेली से बात कर रही थी।
मैं भी सब्जी अंदर रसोई में रखकर बाहर आ गया।
मैं: क्या बात हो रही, लड़कियों में।
सोनल: आपके लिए नहीं है, हमारी आपस की बात है।
मैं: ओह! गर्ल्स टू गर्ल्स। लगता है बॉयफ्रेंड के बारे में बातें हो रही हैं।
सोनल: बकवास नहीं। मैं बॉयफ्रेंड वगैरह के चक्कर में नहीं पड़ती।

मैं: ओके बाबा! तभी मेरा फोन बज उठा, जो अंदर रूम में रखा था।
मैंने अंदर आकर फोन उठाकर देखा तो नया लेंडलाइन का नम्बर था।
मैंने उठाकर हैल्लो कहा तो दूसरी तरफ से किसी लड़की की आवाज आई - हैल्लो।
मैं: हैल्लो जी! कौन बोल रहे हैं आप।
फोन वाली लड़की: वाह जी! क्या बात है, आप तो लगता है भूल गये हमें।
मैं: जी नहीं ऐसी बात नहीं है, आवाज जानी पहचानी तो लग रही है, पर ये नम्बर सेव नहीं है तो इसलिए पता नहीं चल रहा कि कौन हो आप।
फोन वाली लड़की (मेरे मजे लेते हुए): लगता है कोई और मिल गई जो मुझे भूल गये।
मैं (भी मजे लेते हुए): अब वो तो जी ये पता चले कि कौन बोल रहे हैं आप तभी कुछ डिसीजन हो कि कोई और मिल गई या वो कोई और आप ही हो।
फोन वाली लड़की: मैं तो बता नहीं रही कि कौन हो, पहचान सकते हो तो पहचान लो।
मैं: जी वो मैं अनजान लड़कियों से ज्यादा बातचीत नहीं करता तो इसलिए फोन रख रहा हूं।
तभी मुझे फोन में से पीछे से किसी लेडीज की आवाज सुनाई दी - अपूर्वा बेटी, तेरे पापा बुला रहे हैं।
मैं: आप बड़ी जल्दी पहुंच गये घर पर।
अपूर्वा: हां, मम्मी बोल पड़ी नही ंतो खूब मजे लेती आपके।
मैं: मेरे मजे लेना इतना आसान नहीं है।
अपूर्वा: हां, वो तो पता चल जाता, अगर मम्मी ना बोलती तो।
मैं: अच्छा ये नम्बर किसका है।
अपूर्वा: घर का नम्बर है।
मैं ठीक ही सेव कर लेता हूं, नही ंतो अबकी बार तो कोई और मिल गई का ताना मारा है, अगली बार पता नही क्या ताना मारा जायेगा। वैसे आपको बता दूं कि मुझे अभी कोई और नहीं मिली है। आपका चांस है, मार लो बाजी।
अपूर्वा: बकवास मत करो। वो तो मैं मजे लेने के लिए कह रही थी।
क्रमशः.....................
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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Re: बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई

Post by jay »

बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--4
गतांक से आगे ...........
तभी बाहर से सोनल अंदर आते हुए, किससे बात हो रही है छुप छुपके।
अपूर्वा: ये कौन है? तुम्हारी गर्लफ्रेंड है क्या?
मैं: नहीं यार! अपनी ऐसी किस्तम कहां, वो तो मकान मालिक की बेटी है सोनल।
अपूर्वा: फिर तेरे रूम में कया कर रही है?
मैं: बस ऐसे ही आ गई, देखने के लिए कि मैं क्या कर रहा हूं, कोई उलटा सीधा काम तो नहीं कर रहा हूं।
सोनल: कौन है फोन पर जो इतनी पूछताछ हो रही है।
मैं: लो खुद ही बात कर लो। और ये कहकर मैंने फोन सोनल को दे दिया।
सोनल: हैल्लो!
अपूर्वा: हैल्लो! जी मैं अपूर्वा बोल रही हूं।
सोनल: मैं सोनल बोल रही हूं। तुम क्या समीर की गर्लफ्रेंड हो। (चटकारा लेते हुए)
अपूर्वा (शरमाते हुए): नहीं, नहीं, वो हम साथ में काम करते हैं।
सोनल: तो गर्लफ्रेंड साथ में काम नहीं कर सकती क्या?
अपूर्वा: आप भी ना। और सुनाओं आप क्या करती हो।
सोनल: मैं तो एमटेक कर रही हूं, आप क्या काम करती हों।
अपूर्वा: मैं सॉफटवेयर इंजीनियर हूं।
सोनल: वाह! तब तो एक सॉफटवेयर मेरे लिये भी बनाना।
तभी अपूर्वा की मॉम की दोबारा आवाज आई,
अपूर्वा की मॉम: बेटा, तेरे पापा बुला रहे हैं, जल्दी आजा। कितनी देर से इंतजार कर रहे हैं।
अपूर्वाः ओके! मैं बाद में बात करती हूं, पापा बुला रहे हैं।
सोनल: ओके! बाय।
अपूर्वा: बाये।
सोनल (मेरी तरफ देखते हुए): अरे आपके दर पर आई हूं, चाय वगैरह कुछ पूछेंगे या नहीं।
मैं: चाय! मैं तो सोच रहा था कि आप ही बना कर पिलाओगी, मेरे पास तो दूध है नहीं।
सोनल: तो मैंने कौनसा दूध की फेक्ट्री लगा रखी है।
मैं: लगा तो रखी है, अब प्रॉडक्शन नहीं होता तो वो अलग बात है।
सोनल: क्या मतलब है आपका! मैंने कहा फैक्टरी लगा रखी है?
मैं: लो जी, दो दो फैक्टरियां है, मेमसाब की और इन्हें पता ही नहीं।
सोनल (मेरी कमर में मुक्का मारते हुए): बकवास ना करो! नहीं तो मैं आगे से नहीं आउंगी। ऐसी गंदी गंदी बातें करोगे तो।
मैं: अरे यार, मैंने अब कौनसी गंदी बातें कर दी। अच्छा ठीक है तुम बैठो मैं दूध लेकर आ रहा हूं।
यह कहकर मैं डेयरी पर दूध लेने के लिए आ गया। डेयरी पर जाकर मैंने एक किलो दूध लिया और पैसे देकर आ गया। जब मैं रूम पर पहुंचा तो सोनल बैड पर बैठी थी और उसकी सांसे बहुत तेज चल रही थी और चेहरा एकदम लाल हो रखा था।
मैं: क्या हुआ, परेशान लग रही हो।
सोनल (गहरी सांस लेते हुए): क--- क--- कुछ नहीं, बस थोड़ी गर्मी लग रही है।
मैं: अरे याार मौसम इतना अच्छा हो रखा है, पंखा चल रहा है, तो भी गर्मी लग रही है। मुझे तो नहीं लग रही है।
सोनल (थोड़ा गुस्सा होते हुए)ः तो इसमें भी मेरी गलती है, अब मुझे लग रही है तो लग रही है।
मैं: अब गलती तो तुम्हारी ही है। (मेरी बात सुनकर वो कुछ चौंक सी गई)
सोनल: म---- मेरी क्-- क्या गलती है।
मैं: अब अंदर की गर्मी नहीं निकलेगी तो गर्मी तो लगेगी ही। (मैंने चाय बनने के लिए गैस पर रख दी।)
सोनल: क-- कैसी गर्मी? क्या कहना चाहते हो?
मैं: अरे अब कोई बॉयफ्रेंड वगैरह होता तो तुम्हारी गर्मी भी निकल जाती, और बेचारे उसकी भी।
सोनल (एकदम से चिल्लाते हुए): ज्यादा बकवास करने की जरूरत नहीं है। समझ गए ना। समझते क्या हो अपने आप को। तुम्हारे रूम में बैठी हूं तो इसका मतलब ये नहीं है कि कुछ भी बकते रहोगे। और उठकर जाने लगी। (उसके ऐसे चिल्लाने से मैं थोड़ा घबरा-सा गया कि कुछ ज्यादा ही कह दिया मैंने)
मैं: अरे सॉरी यार, तुम तो ऐसे गुस्सा हो रही हो, जैसे मैं तुम्हारा रेप करने की कोशिश कर रहा हों।
सोनल (वैसे ही चिल्लाते हुए): अपनी हद में रहो। नहीं तो अभी के अभी रूम खाली करवा दूंगी। ये इतनी गंदी गंदी फिल्में रखते हो लैप्पी में, इन्हें देखकर ही इतना दिमाग खराब हो रखा है तेरा।
उसकी ये बात सुनकर मैंने अपने लेपटॉप की तरफ देखा, वा बेड पर ही रखा था और लगता रहा था जैसे वैसे ही उसको फोल्ड किया हुआ था, शटडाउन नहीं था, क्योंकि लाइटें जल रही थी। (मैं समझ गया कि इसने मेरे लैप्पी में पोर्न देखी हैं, वैसे तो मैं ज्यादा पोर्न नहीं देखता, पर ये एक दोस्त ने ई-मेल की थी दिल्ली से, कि बिल्कुल नई आईटम है, कॉलेज की, देखके मजा आ जायेगा। तो वो मैंने डाउनलोड करके डेस्कटॉप पर ही डाल रखी थी, क्योंकि नॉर्मली मेरे लैप्पी को मैं ही यूज करता हूं और कोई नहीं। मेरे लैप्पी में बस वही एक ही पोर्न पड़ी थी, और लगता है, वहीं इसने देखी है)
मैं: ओह! तो इसलिए मैडम को इतनी गर्मी लग रही थी।
सोनल: मैं बता देती हूं, मुझसे पंगा नहीं लेना, नहीं तो अंजाम बहुत बुरा होगा।
मैं: ओके मैडम जी! सॉरी, कान पकड़ता हूं। गलती हो गई, आगे से कुछ नहीं कहूंगा (और अपने मुंह पर उंगली रख ली)।
उसकी इतनी तेज आवाज सुनकर आंटी भी उपर आ गई और पूछने लगी कि क्या हुआ। मैंने अपनी आंखों के इशारे से कहा कि इसी से पूछ लो। सोनल को चुपचाप खड़े देखकर मैंने कहा।
मैं (सोनल से): अब बताओ आंटी को चुप क्यों खड़ी हो। (मुझे बाकी किसी चीज की टेंशन नहीं थी) बस इसी बात का डर था कि कहीं ये पोर्न वाली बात ना बता दे, क्योंकि वो पोर्न एक कॉलेज की लड़की की थी, जो चुपके से लड़की की नॉलेज के बिना क्लास में बनाई गई थी। नॉर्मल पॉर्न होती तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं थी, क्योंकि आजकल तो पार्लियामेंट में भी पोर्न देखी जाती है, फिर मैं तो अपने घर पर ही देखता हूं।)
आंटी (सोनल से): क्या हुआ बेटा! ऐसे क्यों चिल्ला चिल्ला कर बातें कर रही थी।
सोनल: कुछ नहीं मॉम! वो बस मजाक कर रहे थे।
आंटी: अरे तो मजाक में ऐसे चिल्लाते हैं क्या।
सोनल: मॉम!
आंटीः मॉम की बच्ची! तू नहीं सुधरेगी, मैं तो पता नहीं कि क्या हो गया जो इतनी चिल्ला कर बातें कर रही हैं।
कहकर आंटी अंदर आई। चाय बन गई थी, बनाई तो दो कप ही थी, पर तीन कप में डालकर मैंने एक कप आंटी को दिया और दूसरा सोनल को और खुद लेकर पीने लगा।
आंटी अंदर आकर बैड पर बैठ गई। सोनल पास में रखी चेयर पर बैठ गई और आंटी के साथ बैड पर ही बैठ गया।
आंटी (चाय पीते हुए): बेटा तू ज्यादा परेशान न किया कर समीर को।
सोनल: मॉम! कभी कभी तो हम मिलते हैं।, तब भी परेशान ना करूं तो फिर मिलने का क्या फायदा।
आंटी: तो क्या परेशान करने के लिए ही मिला जाता है किसी से।
सोनल: कहीं नहीं इनको काट लिया मैंने कहीं से, बस मजाक ही तो कर रही थी।
आंटी (चाय खत्म करते हुए): ओके बेटा! मैं चलती हूं, सब्जी बननी रख रखी है, कहीं जल ना जाये। और ये कहकर आंटी चली गई।
मैंने भी चाय खत्म की और मेरे और आंटी के कप को रसोई में रख दिया। सोनल अभी भी चाय को हाथ में पकड़े बैठी थी और मेरी तरफ घूर रही थी।
मैं: अब क्या कच्चा खाने का मन है, कैसे घूर रही है। जंगली बिलाई।
सोनल: नहीं सोच रही हूं पका कर खा लूं। और हंसने लगी।
सोनल ने भी चाय खत्म की और कप को रसोई में रख कर मेरे पास खड़ी होकर मुझे घूरने लगी। मैं बैड पर बैठा था।
मैं: क्या हुआ! मैंने सॉरी बोला ना यार। अब बच्चे की जान लोगी क्या।
सोनल: चेहरे से तो बड़े सीधे-साधे, भोले-भाले दिखते हो, पर हो नहीं।
मैं: चेहरे से तो तू भी एकदम गुंडी टाइप की दिखती है। पर सच्चाई क्या है पता नहीं।
सोनल: अच्छा मैं तेरे को गुंडी दिखती हूं।
मैं: अरे मैंने कब कहा कि गुंडी दिखती हो, मैंने कहा कि चेहरे से दिखती हो।
सोनल: हां मतलब तो वही हुआ ना, अब मैं दिखाती हूं तेरे को मैं कितनी बड़ी गुंडी हूं।
मैं: जरूरत ही नहीं है। चेहरे से दिख रहा है।
सोनल (थोड़ी गुस्से वाली और रोनी सूरत बनाते हुए): मैं है ना आपकी बढ़िया वाली धुलाई कर दूंगी, नहीं तो बाज आ जाओ अपनी हरकतो से।
मैं: ओके सॉरी बाबा! अब कुछ नहीं।
सोनल: अच्छे बच्चे की तरह कान पकड़ो।
मैं: ओके लो पकड़ लिए। अब खुश।
सोनल: हां खुश।
मैं: चलो, मैंने तो सोचा था कि मैं तो गया आज। पता नहीं ऐसा क्या कह दिया मैंने जो इतनी भड़क गई।
सोनल: बकवास ना करो। वो तो बस मैं आपको अच्छा आदमी मानती हूं, इसलिए मॉम से कुछ नहीं कहा, नहीं तो और कोई होता तो अब तक तो सामान के साथ घर से फाहर फेंक देती।
मैं: हां जी, अब घर तुम्हारा है तो कुछ भी कर सकती हो।
सोनल: सॉरी!
मैं: किसलिए।
सोनल: सॉरी! आजतक किसी ने मुझसे ऐसी बाते नहीं की थी तो मैं एकदम गुस्सा हो गई और इतना भल्ला-बुरा कह दिया। वो आपके लैप्पी में वो विडियो देखकर पहले ही दिमाग खराब हो गया था और फिर आपने ऐसी बाते कहीं तो, एक दम बहुत गुस्सा आ गया।
मैं: ओके! सॉरी तो मैं बोलता हूं जो तुम्हें गुस्सा दिलाया।
सोनल: ओके! सेक हैंड।
मैं: ओके (और मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया सोनल ने भी अपना हाथ आगे बढ़ाया और हमने हाथ मिलाया)।
सोनल को हाथ को टच करते ही मेरे शरीर में गुदगुदी सी हुई। उसका हाथ एकदम फूल की तरह कोमल था। हाथ मिलाते हुए सोनल थोड़ा आगे आ गई और फिर वैसे ही हाथ मिलाते हुए मेरे गले लग गई। गले लगने से मेरा हाथ जो उससे मिलाया हुआ था, उसके नाथि के नीचे स्पर्श होने लगा। सोनल ने अपना दूसरा हाथ मेरी पीथ पर रख दिया और मुझे पूरी तरह से सटकर गले लग गई। उसके एकदम गले लगने से मैं हैरान रह गया। कहां तो अभी छोटी सी बात पर इतना गुस्सा हो रही थी, और कहां अब गले लग गई है। परन्तु उससे गले लगकर मुझे मजा बहुत आ रहा था। उसका बायां बूब मेरे दायें हाथ से दबा हुआ था। मैंने उसका हाथ छोड़ दिया और उसने भी मेरा हाथ छोड़कर दूसरे हाथ को भी मेरी गर्दन में लपेट दिया। मेरे शरीर में हलकी हलकी चिंटिंया रेंग रही थी। सच में बहुत मजा आ रहा था। मैंने अपना दायां हाथ जो अभी भी उसके मेरे बीच में था को धीरे-धीरे उपर किया और उसके बूब्स को टच करते हुए बाहर निकालकर उसके कंधे को पकड़ा। सोनल अभी भी ऐसे ही मुझसे लिपटी हुई थी। उसकी सांसे काफी तेजी से चल रही थी। मैंने अपने दोनों हाथों को उसके कंधे पर रख दिया। मैं उसे अपनी बांहों में लेने में थोड़ा घबरा रहा था कि कहीं फिर से गुस्सा ना हो जाए।
जब काफी देर तक भी सोनल मेरे गले लगी रही तो मैंने अपने हाथों को उसकी कमर में डाल दिया और उसे थोड़ा टाइट पकड़ कर अपने साथ चिपका कर उसकी बॉडी को फिल करने लगा। सोनल ने मेरे कंधे पर अपने चेहरे को थोड़ा रगड़ा और वापिस कंधे पर सिर रख दिया। मैंने अपने हाथों से धीरे धीरे सोनल की कमर को सहलाना चालू कर दिया। मैं अपने हाथ उसकी कमर में बहुत ही धीरे से चला रहा था, ताकि अगर उसके मन में ऐसा कुछ ना हो तो वो ये ना समझे कि मैं उसके साथ मजे कर रहा हूं।
धीरे धीरे सोनल का शरीर गरम होने लगा। मुझे मेरे कंधे पर उसका गरम चेहरा महसूस हो रहा था। सोनल को गरम होते देख मेरे पप्पू ने भी शॉर्ट के अंदर हलचल मचानी शुरू कर दी। और कुछ ही सेकंड में एकदम तन कर खड़ा हो गया। सोनल की जांघें और मेरी जांधे एकदम एक दूसरे से सटी हुई थी, तो शायद मेरे पप्पू के हलचल करने से उसे वो अपनी जांघों पर महसूस हो रहा होगा। सोनल ने अपने हाथों को थोड़ा ढीला किया और अपना चेहरा मेरे सामने करते हुए मेरी आंखों में देखने लगी। मैंने भी अपने हाथों को
वापिस उसके कंधे पर रख दिया।
क्रमशः.....................
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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jay
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Re: बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई

Post by jay »

बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--5
गतांक से आगे ...........
सोनल की आंखें एकदम लाल हो गई थी, वो पूरी तरह से हवस में डूब चुकी थी। उसके हाथ अब भी मेरी गर्दन पर हल्के हल्के सहला रहे थे। उसने अपने एक हाथ को मेरे बालों में लाते हुए मेरे बालों को सहलाने लगी और ऐसे ही मेरी आंखों में आंखें डालकर देखती रही। मैंने धीरे से अपना चेहरा उसके चेहरे के करीब किया और थोड़ा रूककर उसका एक्सप्रेशन देखने लगा। उसने अपनी आंखें नीचे कर ली और उसके गुलाबी होंठ फडकने लगे। उसकी सांसे बहुत ही तेज चल रही थी। मैंने अपनी नजरों को थोड़ा झुकाया, उसके बूब्त तेजी से उपर नीचे हो रहे थे और उसके पैर थोड़े थोड़े कांप रहे थे। मैंने वापिस उसके चेहरे की तरफ देखा तो वो अभी भी नीचे ही देख रही थी। सोनल का चेहरा एकदम गुलाबी हो गया था। मैंने अपने चेहरे को थोड़ा और आगे करके उसके गालों पर अपने होंठ रख दिए। सोनल के मुंह से एक सिसकारी निकली और वो वापिस मुझसे चिपक गई। उसके चिपकने से मेरा लंड फिर से उसकी जांघों पर टक्कर मारने लगा।
तभी सीढ़ियों में से किसी के आने की आवाज सुनाई दी। मैंने उसे जल्दी से खुद से अलग किया और बैड पर बैठा दिया। उसकी कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हुआ और वो हैरान होकर मेरी तरफ देखने लगी। मैंने एक गिलास में पानी लेकर उसे पीने को दिया और खुद किचन में आकर पानी पीने लगा। तभी बाहर से आंटी की आवाज आई। तब उसकी समझ में आया कि मैंने उससे अलग क्यों किया।
आंटी (अंदर आते हुए): सोनल बेटा! रीत का फोन आया हुआ है, तेरे से बात करने की कह रही है।
सोनल (पानी पीते हुए): ओके मोम, अभी आ रही हूं, आप चलो।
आंटी वापिस नीचे जाने लगी। सोनल जल्दी से मेरे पास आई और पहले मेरे गाल पर किस की और फिर मेरे माथे को चूमकर जल्दी से बाहर निकल गई।
मैं आकर बैड पर बैठ गया और हमारे बीच अभी अभी जो कुछ हुआ उसके बारे में सोचने लगा। आज से पहले हमारी कोई ज्यादा बातचीत भी नहीं होती थी, और कोई ज्यादा मिलना भी नहीं होता था, पर आज जो कुछ हुआ वो मुझे बहुत हैरान कर रहा था। यही सब सोचते सोचते मैं बैड पर लेट गया और मुझे कब नींद आई पता ही नहीं चला।
सुबह 5 बजे का अलार्म बजा तो मेरी आंख खुली। उठते ही मुझे बहुत जोरो की भूख लगी हुई थी। मैं रसोई में गया और चाय बनाई, और उसके साथ कुछ बिस्किट और नमकीन लेकर वापिस बैड पर आकर बैठ गया। मुझे सिर में हल्का हल्का दर्द महसूस हो रहा था। जब मुझे शाम की बातें फिर से याद आई तो मेरे होठों पर प्यारी सी मुस्कान आ गई। चाय पीकर मैं कमरे से बाहर आ गया। अभी एक दो बंदा ही बाहर गली में दिख रहा था। आज मैं जल्दी उठा गया था। बाकि के दिनों तो तैं अलार्म को सनूज ही करता रहता था और कोई 7 बजे जाकर उठता था। आज जल्दी उठने के कारण टाइम पास नहीं हो रहा था तो मैं पार्क में टहलने के लिए चल पडा।

पार्क में ज्यादा लोग नहीं थे, बस कुछेक अंकल और आंटी जॉगिंग कर रहे थे। मैं जाकर एक बेंच पर बैठ गया। एक अंकल काफी तेजी से दौड़ रहे थे। मैं बैठा-बैठा उन्हें दौड़ते हुए देखने लगा। शायद अंकल ने मुझे उन्हें देखते हुए देख लिया था, जब वो तीसरी बार मेरे पास से गुजरे तो हाथ से मेरी तरफ हाथ से साथ में दौड़ने का इशारा किया, तो मैं भी उनके साथ दौड़ने लग गया।
अंकल: क्या बेटा! पार्क में आकर बैठ गये ऐसे ही। अभी तो जवानी आई ही है, सुबह सुबह थोड़े जॉगिंग वगैरह करनी चाहिए, शरीर भी फिट रहेगा।
तभी पिछे से किसी औरत की आवाज आयी: हां, तुमने तो बड़ी जॉगिंग की है ना अपनी जवानी में।
मैंने पीछे मुड़कर देखा तो एक आंटी पीछे जॉगिंग करते हुए आ रही थी, वो थोड़ा धीरे दौड़ रही थी, इसलिए थोउ़ी पीछे ही थी, पर ज्यादा पीछे भी नहीं थी।
अंकल: मेरी वाइफ है!
मैंने दोबारा पीछे देखते हुए आंटी को हाय कहा तो आंटी ने भी हाय बेटा कहा।
अंकल: कहा रहते हो बेटा!
मैंने अंकल को अपने घर का पता समझाया।
अंकल: क्या करते हो।
मैं: जॉब करता हूं अंकल।
अंकल: कौनसी कम्पनी में बेटा।
मैंने अंकल को कम्पनी का नाम बताया।
अंकल: हम्मम! कम्पनी तो अच्छी है।
अंकल: शादी हो गई बेटा तुम्हारी।
मैं: नहीं अंकल, अभी कुंवारा ही हूं।
अंकल: हम, इधर उस सामने वाले मकान में ही रहते हैं।
अंकल: रोज आते हो बेटा पार्क में टहलने।
अंकल ने इशारे से बताते हुए कहा, और मैंने उनके बताये हुए मकान की तरफ देखा तो बहुत ही शानदार मकान था।
मैं: नहीं अंकल, वो सुबह जल्दी उठा नहीं जाता तो, इसलिए रोज तो नहीं आ पाता। आज जल्दी आंख खुल गई थी तो आ गया था।
हम दौड़ते हुए पार्क के दूसरी साइड में पहुंच गये थे तभी पार्क के बाहर से आवाज से किसी लड़की की गधुर आवाज थोड़ी तेजी से आती हुई सुनाई पड़ी।
लड़की: पापा! शर्मा अंकल आये हुए हैं, आपको बुला रहे हैं।
मैंने जब आवाज की तरफ देखा तो वोही लड़की थी जो अक्सर शाम के वक्त अपने कॉर्टून टाइप डॉगी के साथ घूमने आती है, वो पार्क की दीवार के साथ बाहर की तरफ खड़ी थी और हमारी ही तरफ देख रही थी। उसकी आवाज सुनकर मैंने थोड़ा इधर उधर देखा कि किसे बुला रही है, तभी अंकल बोले।
अंकल: आ रहा हूं बेटा।
ये जानकर कि तो ये इनकी लड़की है, मुझे थोड़ी खुशी हुई, क्योंकि अब तो अंकल के साथ थोड़ी जान-पहचान हो गई है।
अंकल ने मुझसे कहा, ओके बेटा, चलता हूं, आया करो पार्क में डेली, शरीर स्वस्थ रहेगा। और अंकल बाहर की तरफ चल दिये।
अपने पापा को मुझसे बातें करते हुए देखकर वो लड़की मुझे देखने लगी, मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मुझे ही देख रही थी।
तभी पीछे से आंटी की आवाज आई, ओके बेटा बाये,
मैंने आंटी की तरफ देखते हुए, बाये आंटी। और मैं फिर से उसी लड़की की तरफ देखने लगा, वो अब अपने पापा के पीछे पीछे जा रही थी, और पिछे मुड मुडकर मेरी तरफ देख रही थी।
उसने व्हाइट पजामी और ब्लू टी-शर्ट पहन रखी थी।
उस पजामी में उसके कुल्हे एकदम जबरदस्त लग रहे थे। ज्यादा मोटे भी नहीं थे और छोटे भी नहीं थे, एकदम परफेक्ट साइज के थे। पजामी में से उसके दोनों कुल्हों की शेप एकदम शानदार तरीके से दिखाई दे रही थी। मेरे पप्पू ने धीरे से अंगडाई ली तो मैंने उसे समझाया कि सो जा बेटा, अभी टाइम नहीं आया है।
मेरे देखते देखते अंकल और वो लड़की अपने घर में घुस गये और उनके पीछे पीछे आंटी भी घर के अंदर चली गई।
मैं एक राउंड और लगाता हुआ अपने घर की तरफ आ गया।
उपर आकर मैंने टाइम देखा तो साढे छह होने वाले थे। मैं आकर अपने बैड पर बैठ गया और अपने लैपटॉप को ऑन करके गाने लगा दिये और खुद बाहर छत पर आकर मुंडेर के पास खड़ा हो गया।
तभी किसी लड़की की आवाज मेरे कानों में पड़ी - हाय! मैंने पीछे देखा, तो कोई नहीं था, तभी फिर से आवाज आई इधर साथ वाली छत पे।
मैंने घुमकर देखा तो शाम को जो लड़की सोनल से बात कर रही थी साथ वाली छत पर वो खड़ी थी और मेरी तरफ देखकर मुस्करा रही थी। मैंने भी उसे हाय कहा।
उसने कहा मेरा नाम पूनम है।
मैं: नाइस नेम। मेरा नाम समीर है।
पूनम: समीर, ठंडी हवा का झोंका।
और हम दोनों हंस दिये। वो अपनी छत की मुंडेर के पास आकर खड़ी हो गई और मैं उसकी तरफ मुंह करके वहीं पर खड़ा खडा हुआ मुंडेर के साथ लग गया।
पूनम: मैं रोज सुबह छत पर टहलती हूं, पहले तो कभी आप बाहर नहीं दिखे।
मैं: हंसते हुए! मैं दिनचर हूं, रात को बाहर नहीं घूमता।
पूनम: अरे तो अब कोई रात थोड़े ही है।
मैं: हां, पर मुझे उठते उठते 7 तो बज ही जाते हे।
पूनम: ओह माई गोड! 7 बजे उठते हो। कितने लेजी हो।
मैं: अब कुछ भी कहो। जल्दी उठकर करना क्या है?
पूनम: हम जैसो से बातचीत कर लिया करो। मैं 6 बजे ही उपर आ जाती हूं टहलने के लिए।
मैं: ओके जी अब आपने कहा है, आगे से आपको इधर ही मिलेंगे।
पूनम: अपना दायां हाथ मेरी तरफ बढ़ाते हुए, फ्रेंड्स!
पूनम के ऐसा कहते ही मेरे मन में लड्डू फूटने लगे। और मैं अपनी जगह से चलते हुए उसके पास गया और अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके हाथ को थाम लिया कहा ‘फ्रेंड्स’।
पूनम: हाव स्वीट!
पूनम: अकेले ही रहते हो।
मैं: हां जी, अब किस्मत ही ऐसी है कि अकेले ही रहना पड़ता है।
पूनम: बड़ी अच्छी किस्मत है। मैं कितना अकेला रहना चाहती हूं, पर घरवाले रहने ही नहीं देते।
मैं: अरे कुछ नहीं है अकेले रहने में। बोर होते रहो हमेशा।
पूनम: क्यों, बोर क्यों होना है, फ्रेंड्स है ना, बोरियत दूर करने के लिए।
मैं: मेरे पास तो कोई नहीं आता मेरी बोरियत भगाने के लिए।
पूनम: अब तक मैं आपकी फ्रेंड नहीं थी ना, अब देखना कैसे आपकी बोरियत दूर हो जायेगी।
मैं: अच्छा जी, देखते हैं।
तभी सोनल उपर आते हुए, गुड मॉर्निग समीर जी।
मैं: गुड मॉर्निग सोनल जी, क्या बात है, आज सुबह सुबह हमारे दर पे।
पूनम को वहां खडे देखकर सोनल ने उसे भी गुड मॉर्निग कहा और हमारे पास आ गई। सोनल बिल्कुल मुझसे सटकर खडी हो गई और पूनम से हैंड सेक किया।

सोनल: क्या बातें चल रही थी सुबह सुबह पड़ोसियों में।
पूनम: बस यार ऐसे ही नॉर्मल।
सोनल: ओके यार नहीं बतानी तो कोई बात नहीं।
तभी नीचे से आंटी की आवाज आई, सोनल बेटा!
सोनल: आई मम्मी जी। और बायें कहते हुए नीचे चली गई।
मेरे मोबाईल में 7 बजे का अलार्म बज गया।
मैं: आके बाये पूनम जी! ऑफिस के लिए तैयार हो जाता हूं,
पूनम: ओके बाये समीर जी। फिर मिलते हैं।
मैं: स्योर।
मैं अंदर आकर खाने की तैयारी करने लगा और खाने बनाने के बाद नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया। नहा धोकर टाइम देखा तो सवा आठ हो गये थे। ज्यादा भूख तो नहीं थी, फिर भी खाना तो खाना ही था, तो थोड़ा बहुत खाना खाया और बाकी के खाने को फ्रिज में रख दिया।
बाइक की चाबी उठाकर मैं रूम को लॉक लगाकर नीचे आ गया। नीचे सोनल अपनी स्कूटी निकाल रही थी। अपनी बाईक को वहां खड़ी ना पाकर एकबार तो मुझे आश्चर्य हुआ और मेरे मुंह से निकला मेरी बाइक कहां गई।
सोनल: मैंने तो शाम को भी नहीं देखी इधर।
तभी मुझे याद आया कि अरे हां, बाइक तो बॉस के घर पर ही क्षड़ी है।
मैं: अरे, यार! बइक तो बॉस के घर पर है। बस में ही जाना पड़ेगा।
सोनल: क्यों, उधर क्यों हैं।
मैं: वो कल आते वक्त पंक्चर हो गई थी, तो मैं वहीं खड़ी करके आ गया था।
सोनल: तो कल भी बस में आये थे।
मैं: नहीं, वो अपूर्वा छोड़कर गई थी।
सोनल: वाह जी, बहुत अच्छी दोस्त है आपकी।
मैं: अब वो तो है ही जी।
सोनल: सिर्फ दोस्त ही है या उसके आगे कुछ।
मैं (मजे लेते हुए): अब दोस्त से तो ज्यादा ही है।
सोनल: तो गर्ल फ्रेंड है। कल तो बडे कह रहे थे कि बस दोस्त ही है।
मैं: मैंने कब कहा कि गर्लगफ़्रेंड है। दोस्त से ज्यादा बेस्ड फ्रेंड होता है न कि गर्ल फ्रेंड।
सोनल: ओह! आई सी, तो बेस्ट फ्रेंड है।
सोनल: चलो मैं आपको छोउ़ देती हूं, आपके ऑफिस। सी-स्कीम में ही है ना।
मैं: अरे नहीं वो बॉस के घर जाना है।
सोनल: कहां पर है बॉस का घर, और घर पे क्या करोगे।
मैं (मैंने सारी बात बतानी सही नहीं समझी): वो ऑफिस में थोड़ा काम चल रहा है तो इसलिए कुछ दिन के लिए घर पे शिफ्रट कर लिया है ऑफिस।
सोनल: तो ये बात है।
मैं: बापू नगर में है घर।
सोनल: वॉव! मैं यूनिवर्सिटी ही जा रही हूं।
मैं: यूनिवर्सिटी क्या करोगी, तुम तो महारानी कॉलेज में पढती हो ना।
सोनल: वो बुक वर्ल्ड से कुछ किताबे लेनी हैं, तो इसलिए पहले यूनिवर्सिटी से किताबें लूंगी। फिर वहां से कॉलेज जाउंगी।
(राजस्थान यूनिवर्सिटी बापू नगर के सामने ही है और यूनिवर्सिटी वाला रोड सीधा महारानी कॉलेज ही जाता है)
मैं: ओके! चलो।
सोनल ने अपनी स्कूटी को बाहर निकाला और स्टार्ट करके कहा आ जाओ।
मैं जाकर स्कूटी पर पीछे बैठ गया। सोनल ने स्कूटी दौड़ा दी। मैं थोड़ा पीछे होकर बैठा था, तभी सोनल ने जोर से ब्रेक लगा दिये। उसके ब्रेक लगाने से मैं एकदम से सोनल की पीठ से जा टकराया।
मैं: क्या हुआ?
सोनल: आप चलाओ ना, मैं पीछे बैठती हूं।
सोनल के ऐसा कहने पर मुझे अपूर्वा के साथ की गई कल की ड्राइव याद आ गई।
मैं: ओके! उतरो।
सोनल स्कूटी से उतर गई और मैं आगे होकर बैठ गया और सोनल स्कूटी पर पीछे बैठ गई।
क्रमशः.....................
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