जुनून (प्यार या हवस) complete

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naik
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Re: जुनून (प्यार या हवस)

Post by naik »

wow zaberdast apdte mitr
josef
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Re: जुनून (प्यार या हवस)

Post by josef »

शहर के कमरे के का र्रूम अजय आज अपनी सोच में डूबा था और खाना खा कर सीधे रूम में आ गया ,निधि और रानी अपने कमरे में ख़रीदे हुए कपड़ो में बीजी थे वही सोनल विजय के साथ हाल के एक कोने में रखे सोफे पर लेती थी ,वो विजय के गोद में अपना सर रख कर लेटी हुई थी और विजय उसके बालो को सहला रहा था ,यार आज डॉ चुतिया के पास गए थे ने क्या हुआ वहा,
क्लिनिक की बारे में सोचकर उसे मेरी की याद आ जाती है,और उसके चहरे पर एक मुस्कान खिल जाती है,जिसे सोनल भाप जाती है,क्या हुआ मेरे हीरो क्यों मुस्कुरा रहा है ,
"अरे यार क्या बताऊ,उसकी सेकेटरी मेरी वाह "सोनल ने उसे आश्चर्य से देखा
"क्या वाह कर रहा है,तेरे जैसे कमीने सिर्फ एक चीज के लिए लडकियों को देखते है,"विजय सोनल को घुर के देखता है जो हलके हलके मुस्कुरा रही थी,
"बहुत बात करने लगी है तू,(थोड़ी देर रूककर )ऐसे सच भी है,लेकीन आज तो मजा ही आ गया ,"विजय एक अगड़ाई लेते हुए कहा ,सोनल को समझ तो आ गया था की उसका कमीना भाई क्यों कुछ तो कर के आया होगा ,उसने आँखों से इशारा किया क्या हुआ
विजय हसता हुआ उसे सारी बाते बताता गया और सोनल मुह खोल के उसकी करतूत सुनती रही ,जब उसे पता चला की विजय के साथ KLPD हो गया तो वो जोर जोर से हसने लगी की उसका पेट दुखने लगा,वो सोफे एस गिरते गिरते बची वही विजय बुरा सा मुह बनाया हुआ था ,जब सोनल का हसना थोडा कम हुआ तो उसने विजय के मुह को अपने हाथो से दबाया ,
"कोई बात नहीं भाई उसकी भी ले लेना ,ऐसे उसने तुझसे वादा किया है तो निभाएगी ही ना,ऐसे उसका नाम सुनकर तेरा शेरखान बिलकुल तन गया है ,"सोनल फिर से हसने लगी ,विजय का डंडा खड़ा होकर सोनल के सर को चुभ रहा था,विजय थोडा असहज हो गया पर सोनल के हसने पर उसे थोड़ी रहत मिली ,उसने सोनल के गालो पर एक चपत मारी
"अपने भाई से ऐसा मजाक करती है,"सोनल उसे घूरती है
"भाई ,वाह रे मेरे भाई,तुझे बताने में और करने में तो शर्म नहीं आई अब तू भाई बन रहा है साले"विजय और सोनल दोनों मुस्कुरा पड़े ,विजय सोनल को धयन से देखता है,माथे पर लगा छोटा सा टिका जो उसके गोरे मुखड़े को प्यारा बना रहा था,वो एक ढ़ीले से टी शर्ट और बोक्सर में थी जो उसके घुटनों के ऊपर था ,कपड़ो के ढीले पण के बावजूद उसके कटाव साफ़ दिख रहे थे,उसके छातिके उन्नत पहाड़ विजय की कोहनी से हलके रगड़ खा रहे थे ,जिसका आभास दोनों को ही नहीं था ,वासना का कोई नामो निशान उनके बीच नहीं था ,पर विजय उसकी सुन्दरता में खो गया था और सोनल भी अपने भाई की मर्दाना छाती में उगे बालो को अपने हाथो से सहला रही थी ,उसे तो सिर्फ उसके भाई ही मर्द लगते थे बाकी लडको में वो ,वो वाली बात ही नहीं पाती थी ,
"क्या देख रहा है भाई,"सोनल धीरे से कह पायी
"बस देख रहा हु मेरी बहन कितनी सुन्दर है,"
"झुटा कही का ,तेरी itams से जादा सुंदर थोड़ी होंगी तेरी बहने "विजय उसे अपने बाजुओ में भरकर अपने सर को निचे उसके चहरे के पास लाता है ,
"दुनिया में कोई ऐसी लड़की नहीं है जो मेरी बहनों से सुंदर हो ," विजय सोनल के गालो पर अपने होठो को रख देता है ,लेकिन हटाता नहीं और अपनी थूक से उसे गिला कर देता है,सोनल के चहरे पर एक मुस्कान खिल जाती है और वो अपनी बाजुओ को विजय के गले में डाल लेती है और अपनी ओर खिचती है ,विजय उठाकर उसे देखता है ,सोनल की प्यारी मुस्कराहट में वो खो जाता है ,
"भाई आई रेली लव यु ,तू हमेशा मुझे ऐसे ही प्यार करेगा ना ,"विजय सोनल के नाक से अपनी नाक रगड़ता है ,
"कोई शक"सोनल हस पड़ती है और उसे अपनी बांहों में भर लेती है ,थोड़ी देर में दोनों उठकर अपने रूम में जाते है वह निधि और रानी अब भी कपड़ो को लेकर ही बाते कर रही होती है निधि अभी भी वही सुबह वाला स्कर्ट पहने बैठी थी ,विजय पीछे से जाकर उसे कस कर पकड़ लेता है,
"क्या मेरी खरगोश तुझे सोना नहीं है क्या,"सब उसे प्यार से खरगोश बुलाया करते थे ,निधि उसकी बांहों में मचल कर अपना सर उठा कर उसके गले को किस कर लेती है,ये देख कर रानी की आँखों में आंसू आ जाता है ,
"क्या हुआ दीदी "
"मुझे किशन की बहुत याद आ रही है ,हम सब यहाँ साथ है और वो वहा अकेला ,"
"कोई बात नहीं दीदी कल तो जा ही रहे है ना ,"
"हा और तू फिकर मत कर वहा उसका ख्याल रखने के लिए लाली है ना,"सोनल की बात से रानी रोना बंद कर उसे मार देती है वही सोनल और विजय हसने लगते है ,लाली किशन की पर्मनेट वाली जुगाड़ थी ,(जुगाड़ ही कहूँगा क्योकि गर्ल फ्रेंड कहना गलत होगा ),निधि सब को हस्ते हुए देखकर सबका मुह देखने लगी उसे ये बात समझ नहीं आया की लाली दीदी किशन भईया का धयान कैसे रखेंगी ,आखिर उसने विजय से पूछ ही लिया ,,विजय मुस्कुरा कर उसके गालो में किस कर लिया
"कुछ नहीं मेरी खरगोश चल रात हो चुकी है तू सो जा ,कहा सोएगी "
"अरे ये तो भईया की चमची है वही सोयेगी उनके साथ "
"मुझे भईया बिना नींद नहीं आती समझी "निधि ने अपना बुरा सा चाहरा बनाते हुए कहा ,जिसपर सभी हस पड़े
"तो शादी के बाद क्या करेगी जब अपने पति के साथ सोना पड़ेगा "
"भाग जाओ मुझे नहीं करना शादी वादी आप कर लेना ,मैं नहीं छोड़ने वाली अपने भाइयो को"निधि की प्यारी बातो ने सभी के चहरे पर फिर से एक मुस्कान खिला दिया और वो सभी के गालो में किस करके वह से अजय के रूम चली गयी .....

अजय अपने ही सोच में गुम बिस्तर में शून्य को निहारते बैठा था,वो अपने माँ बाप के कातिलो के बारे में सोच रहा था ,की अगर तिवारी नहीं तो और कौन और कैसे पता लगाया जाय ,और क्या करने वाले है .....या क्या कर सकते है ,
अपनी सोच में घूम अजय को पता ही नहीं लगा की निधि कब उसके कमरे में आई ,अजय का बस एक छोटी निकर में लेटा था निधि ने कमरा बंद किया और अजय के पास जाकर खड़ी हो गयी ,तभी अजय के दिमाग ने उससे कहा की अपनी बहनों का सोच की इस लड़ाई में तू उनकी रक्षा कैसे करेगा उसे सबसे पहला ख्याल निधि का ही आया ,निशि उसकी जान ,निधि,
निधि का चहरा उसके सामने आ गया वो अपनी प्यारी बहन के लिए तड़फ गया ,क्या उस मुसीबत का साया निधि पर भी पड़ सकता है,नहीं मैं उसे कुछ नहीं होने दूंगा,वो मेरी जान है अपनी जान देकर भी उसे आच नहीं आने दूंगा ,अजय की आँखों में अनायास ही आसू की बुँदे छलक पड़ी जो निधि ने देख लिया ,वो अजय के इस हाल से व्यथित हो गयी ,वो अजय के सामने जाकर बैठ गयी अजय की नजर जैसे ही उसपर पड़ी उसने उसके गालो को अपने हाथो से छुआ उसे अब भी ये एक सपना ही लग रहा था,निधि हलके से मुस्कुराई,उसने उसके गले में अपने हाथ डाल कर अपनी ओर खीच लिया ,निधि किसी गुडिया सी जाकर अजय के बांहों में समां गयी ,
"मेरी जान जब तक मैं हु तुझे कुछ नहीं होने दूंगा ,मैं अपनी जान भी तुझपर कुर्बान कर दूंगा मेरी बहन,मेरी जान "अजय रोने लगा निधि को कुछ समझ नहीं आ रहा था की भईया ये क्या बोल रहे है,वो अजय को जकड कर उसके सीने में छुप गयी अजय ने भी उसे कसकर जकड़ा,और उसे सहलाने लगा ,अजय को ये अजीब लग रहा था की वो सपने में भी उसे इतना कैसे फील कर पा रहा है ,उसने अपने को झटका और निधि को अपने से अलग किया,निधि के चहरे पर उदासी थी और आँखों में पानी ,
"क्या हुआ मेरी जान "उसने निधि के गालो को सहलाते हुए कहा ,
"आप रो क्यों रहे हो ,"निधि के प्यारे से बोल ने अजय के चहरे पर मुस्कान ला दि ,
"कुछ नहीं तू नहीं थी ना मेरे पास इसलिए ,"
"अब तो हु ना ,"निधि उसके आंसुओ को अपने होठो से पि गयी और फिर उसकी बांहों में समां गयी ,अजय ने उसे फील किया आज वो स्कर्ट पहने थी ,
"निधि ये सपना है या सच ,"निधि हलके से हस पड़ी
"ही ही ही क्यों क्या हुआ ,"
"रोज तो तू,nighty या टी शर्ट पहनती है और आज ये स्कर्ट और रोज तो तू अंदर कुछ नहीं पहनती और आज तो तूने पहना है "अजय का हाथ उसके कुलहो पर था ,वो उसकी पेंटी को छूते हुए बोला ,जिससे निधि खिलखिला कर हस पड़ी ,
अजय स्तब्ध सा उसे देख रहा था ,
"क्या भईया अभी तो दीदी के रूम से आ रही हु,आप भी ना पता नहीं कहा गम हो ,चलो चेंज करके आती हु आज नयी nighty लायी हु देख के बताना कैसी है ,"निधि वह से उठ गयी ,उस भोली बच्ची को तो अजय की बात से कोई फर्क नहीं पड़ा पर अजय जरुर असहज हो गया,ये क्या बोल गया मैं,यानि वो सच में मेरे सामने थी ,उसने उठकर एक गिलास पानी पिया सामने देखा तो निधि उसके सामने ही कपडे बदल रही थी वो एक आइने के सामने सिर्फ अपने अंतःवस्त्रो में थी और फिर वो उसे भी उतारकर अपनी नयी nighty पहनने लगती है ,
ऐसे तो अजय निधि को बचपन से ही बिना कपड़ो के देख रहा था,पर आज कुछ हुआ ,कुछ ऐसा जिसे अजय भी नहीं समझ पा रहा था,वो अपनी बहन के बदन से नजरे नहीं हटा पा रहा था,क्या शारीर दिया था बनाने वाले ने निधि को बिलकुल साचे में ढला हुआ,गोरा बदन की छू दो तो गन्दा हो जाय,तरसा हुआ संगमरमरी उसके नव यौवन से उन्नत वक्ष ,जो अपनी पूरी गोलियों में थे ,और दर्पण से भी साफ़ झलक रहे थे ,निचे उसका सपाट पेट और गहरी नाभि ,फिर एक पर्वत सा गोलाई लिए कमर का निचला हिस्सा ,दर्पण से उसके जन्घो के बीच का जंगल दिख रहा था ,और केले के ताने से उसके सुडोल जंघा,वाह कुदरत ने भी बड़े प्यार से बनाया था,
अजय बिलकुल ही निर्दोष और मासूम निगाहों से निधि को घुर रहा था पर जब निधि अपनी झीनी सी काले रंग की nighty जो उसके एडी से कही ऊपर थी और निताम्भो को बस ढक पाने में समर्थ थी ,उसके उजोर दो पतले से धागे सम्हाले हुए थे ,लेकिन पर्दारसी होने के कारन पूरा शारीर हो दिख रहा था,निधि अजय को घूरता देख शर्मा गयी और अपनी निगाहे निचे कर ली ,अजय ने अपने हाथो से उसे अपने पास आने का इशारा किया पर वो हया की मूर्ति सी बस लाज की घूँघट ओढे सर झुकाय कड़ी थी ,अजय मुस्कुराता हुआ उसे देखने लगा ,शर्माती हुई उसकी बहन और भी प्यारी लग रही थी वो उठा और उसके पास आकर उसे पीछे से जकड लिया ,
"मेरी बहन शरमाने लगी है "दोनों के जिस्म की गर्मी ने उन्हें एक मादक अहसास दिया जिससे निधि के मुह से अनायास ही आह निकल पड़ा ,
"आप ऐसे घुरोगे तो शर्माऊगी ही ना ,क्यों घुर रहे थे ऐसे ,"निधि अपना सर उठा कर अजय को देखती है ,और अजय अपने होठो को उसकी आँखों में रख देता है,
"क्योकि मेरी प्यारी बहना रानी आज बहुत ही प्यारी लग रही है ,"निधि ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपने भाई के प्यार में खो गयी,अजय के होठो को अपने आखो में महसूस करके वो शांत हो गयी और अपने होठो को ऊपर उठाया और एडी को ऊपर उठाकर उसने अजय के होठो पर के चुम्मन रसीद कर दि ,अजय ने भी अपने बहन को मुस्कुराते हुए पलटा और उसे अपने मजबूत हाथो से उठा कर अपनी बांहों में ले लिया ,वो चलता हुआ बिस्तर पर जाकर बड़े ही प्यार से उसे वह लिटाया और उसके बाजु में आकर लेट गया,निधि उसकी ओर पलट कर उसके छाती के बालो से खेलने लगी ,अजय उसके सर में अपना हाथ फिरता हुआ अपनी बहन के प्यार को महसूस करने लगा ,
"भईया वो सुमन है ना ,माल वाली लड़की .उसे मैं अपने साथ रखूंगी ,उसे मैंने गाव बुला लिया है और वो कल हमारे साथ ही जाएगी ,भईया क्या आप उसकी माँ और भाई का खर्च उठाओगे "अजय निधि के दिल को जानता था ,वो बड़ी ही मासूम और नर्म दिल की थी बस कभी कभी उसका बचपना भारी हो जाता था और अजय के लाड प्यार की वजह से जिद्दी हो गयी थी ,
josef
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Re: जुनून (प्यार या हवस)

Post by josef »

"हा बिलकुल ऐसे भी वहा तू अकेली हो जाती है ,कुसुम पढ़ी लिखी भी लगती है उसे हम तुम्हारे साथ कॉलेज में दाखिला भी दिला देंगे और उसका और उसके परिवार का पूरा खर्च उठायेगे "निधि उछल पड़ी और अजय के चहरे को किस करने लगी वो उसके पुरे चहरे को भिगो दि,अजय हसता रहा ,
"चलो बहुत हुआ प्यार अब सो जाओ कल सुबह जल्दी उठकर तैयार होना है ,और जल्दी से गाव जाना है,"निधि ने लास्ट किस उसके होठो पर दि और उसके सीने से लगकर सोने लगी ...

सुबह ही सब तैयार होकर चलने को हुए ,सुबह से सुमन भी अपना समान पकड़कर आ चुकी थी,आ उसने एक हलके रंग का सलवार कमीज पहने था,उसके कपड़ो से ही उसके असली आर्थिक हालत का पता चल रहा था,लेकिन निधि को वो बिलकुल भी पसंद नहीं आया उसने तुरंत उसे अपने कमरे में ले जाकर अपने कपडे पहनने को दे दिया ,एक जीन्स और कमीज में अब उसका रूप कुछ खिलने लगा था,सब गाव के लिए निकल पड़े,गाव में उनका स्वागत करने को पूरा घर मौजूद था ,सिवाय उनके चंपा चाची के,निधि में सबको सुमन से मिलवाया ,रानी दौड़कर किशन के गले लग गयी वही सोनल सीधे बाली चाचा के तरफ भागी,अपनी बच्चियों को देखकर बाली भी बहुत खुस था,किशन को रानी छोड़ ही नहीं रही थी,सोनल उसके पास पहुच कर उसके गले से लग गयी,रानी ने भी अपने आशु पोछे और और किशन ने भी ,सोनल ने धीरे से पूछा ,
"और मेरे भाई ,लाली भाभी कैसी है,"किशन का चहरा लाल हो गया,
"क्या दीदी आप भी ना सबके सामने ,वो तो खड़ी है देख लो ना,"रानी और सोनल खिलखिला पड़े और सीता मौसी की तरफ बढे,मौसी ने बड़े ही प्यार से दोनों को दुलारा,और अजय को देखते हुई बोली
"रेणुका की तो शादी कर दिया तूने अब तेरी दोनों जवान बहनों का भी कुछ सोच ,इनके भी हाथ पीले कर दे अगले साल "रानी और सोनल ने बुरा सा मुह बनाया वही मौसी और अजय हस पड़े...
"मौसी इन्हें पड़ने दो जितना पड़ना चाहे फिर तो शादी करना ही है ,हम तो नहीं पढ़ पाए पर अपनी बहनों को तो खूब पढ़ाउंगा ,"दोनों लडकिय अजय से आकर चिपक गयी ,
"देख कही जादा पड़कर वही शादी ना कर ले "मौसी ने दोनों को चिढाते हुए कहा
"इनका भाई अभी मारा नहीं है ,जो इन्हें भाग के शादी करना पड़े ,मेरी बहने जिसे पसंद करेगी इनकी शादी उनसे ही करूँगा,अपने आप को बेच दूंगा पर अपनी बहनों के लिए हर खुसी ला के दूंगा,"अजय जैसे खुद से बात कर रहा था,दोनों उसके चहरे को देखने लगे वही मौसी के चहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान घिर गयी ,और रानी और सोनल की आँखों में अपने भाई का प्यार देखकर पानी आ गया ,उन्होंने अपनी एडी उची की और एक प्यार भरी पप्पी अजय के गालो में दि ...
"चढ़ा ले इन्हें भी ,एक तेरी छोटी है ,इतना चढ़ा के रखा है,"मौसी ने प्यार से अजय को देखते हुए कहा ,अजय ने निधि की और देखा वो सुमन को घर दिखा रही थी और नौकरों को उसके रूम तैयार करने को कह रही थी ,सुमन बेचारी को अपने भाग्य पर जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था,जो लड़की उसे गलिया देकर मार रही थी उसके कारन उसकी जिन्दगी सवर गयी ,वो निधि को बड़े ही प्यार और सम्मान से देख रही थी,जिसे वो उसके लिए भगवन हो,वही किशन की नजरो को विजय ने पढ़ लिया जो सुमन को देखे जा रहा था,विजय उसके पास जाकर बोला,
"सोचना भी मत साले ,निधि और भईया का हाथ है उसपर,"किशन के चहरे पर एक कातिल मुस्कान खिल गयी ,
"अच्छा इसलिए आप अभी तक पीछे हो "विजय भी हस पड़ा
"अरे यार इतनी तो लडकिय छानी है हमने एक नहीं सही ,"
"ह्म्म्म बात तो सही है भईया पर इस लड़की में कुछ तो बात है ,"विजय उसे घूरता है
"क्या बात है बे हवसी ,लाली से जादा खुबसूरत है क्या,बेचारी सवाली सी दुबली पतली है "
"भईया ये थोड़ी तैयार हो जाए और आँखों में काजल लगा ले ना तो देखना आप भी दीवाने हो जाओगे"विजय हँसाने लगा
"तुझे ही मुबारक हो ऐसी कलि मैं तो खिले हुए फूलो को भी रुला देता हु ये तो मर जायेगी ,"किशन विजय की ओर देखता है ,
"ह्म्म्म तो मैं इसे खाऊंगा ,लेकिन थोडा आराम से रिस्क जादा है निधि को पता चला तो मार डालेगी .."दोनों हसने लगे..
रानी किशन के पास पहुचती है ,
"भाई माँ कहा है ,"
"होगी अपने कोपभवन में ,इस घर में कुछ ख़ुशी हो तो उन्हें ही सबसे जादा तकलीफ होती है ना "किशन छिड़ते हुए कहता है,रानी के आँखों में आंसू आ जाता है ,
"भाई ऐसा मत बोल ,आपके और मेरे सिवा उनका है ही कोण इस दुनिया में ,"सोनल भी पास आ जाती है ,वो समझ चुकी थी की रानी क्यों दुखी है ...
"चल रानी चाची से मिलकर आते है ,"सोनल ने उसके कंधे पर हाथ रखा ,रानी उसके सीने से लग के रोने लगी विजय भी ये सब देख कर उनके पास पहुचता है ,वो रानी के कंधे पर हाथ रखता है ,
"देखो भले ही चची हमारे बारे में जो भी सोचे पर हमारे लिए तो वो माँ जैसी है है ना ,"विजय बोलता चला गया
"पहले इस घर में जो हुआ वो हुआ पर अब हम सबको मिलकर उन्हें फिर से हसना होगा ,हम सब यहाँ खुसिया मनाये और हमारी माँ वह अकेली बैठी रहे ये कैसे हो सकता है,"
"पर भईया आप तो जानते हो माँ की आदत वो इस घर की खुशियों में कभी सरिक नहीं होती ,पापा तो उनसे बात भी नहीं करते वो अकेले ,"किशन बोलते हुए थोडा उदास सा हो गया,
"अब नहीं मेरे भाई हम सब की मिलकर उन्हें मनाना चाहिए ,चाचा उन्हें नहीं माफ कर पाए पर अजय भईया ने उन्हें हमेशा ही अपनी माँ माना है ,और अब चाची को हम फिर से अपने परिवार का हिस्सा बनायेंगे,"सोनल ने चहकते हुए कहा की सभी को उम्मीद की एक किरण दिखने लगी सभी चंपा के कमरे की तरफ जाने लगे ,
रानी और किशन कमरे में जाते है वही सोनल और विजय बाहर ही रुक जाते है ,दोनों को देखकर चंपा उछल पड़ी और दौड़कर रानी को अपने सीने से लगाकर रोने लगी ,
"मेरी बच्ची तू आ गयी "
"हा माँ और आप निचे क्यों नहीं आई सब लोग थे बस आप नहीं थी "चंपा के आँखों में पानी आ गया और उसका गला भर सा गया था,वो थोड़ी देर तक बस चुप ही रही ,फिर बड़ी मेहनत करके कुछ बोल पायी ,
"बेटी मैं वहा आकर सबकी ख़ुशी ख़राब नहीं करना चाहती थी ,"सोनल और किशन कमरे में आते है ,जिसे देख कर चंपा थोड़ी असहज सी हो जाती है ,
"आपको किसने कहा की आपके आने से किसी को तकलीफ होगी ,बल्कि आपके आने से तो हमें ख़ुशी होती ,आप भी तो हमारी माँ है ना "अब तक सोनल के आँखों में भी पानी आ चूका था,चंपा अपना सर निचे किये थी और कोई भी जवाब नहीं दे रही थी,विजय ने आगे बड़ते हुए चंपा के हाथो को थाम लिया ,
"चाची हम बचपन से ही माँ के प्यार के लिए तरसे है ,बाप का प्यार तो हमें बाली चाचा और अजय भईया ने दिया है ,पर क्या हम आपके बच्चे नहीं है ,सालो पहले जो हुआ वो बस हादसा था,उसकी अपने आपको और हमें इतनी बड़ी सजा मत दीजिये ,आप हमारी माँ है चाची ,"चंपा नज़ारे निचे किये हुए रो रही थी ,जिस परिवार को उसने आजतक इतनी नफरत दि थी वही उसे इतना प्यार करता है चंपा ने कभी सोचा ही नहीं था,जब से अजय ने उसकी जान बचायी थी वो अंदर से पश्चाताप में जल रही थी ,लेकिन वो कभी भी ये किसी से नहीं कह पायी थी ,,बाली आज भी उससे उतनी ही नफरत करता था जीतनी वो पहले किया करता था,इधर सोनल और विजय भी रोने लगे थे किसे पता था की इस विशाल देह में भी एक मासूम सा धडकता दिल है ,चंपा से अब रहा नहीं गया वो मुड़ी और जाने को हुई लेकिन उसी समय किसी ने उसके पैरो को जकड लिया एक सुबकी सी उसके कानो को सुनाई दि ....उसने बिना निचे देखे ही खुद को आगे धकेला पर वो मजबूत हाथ थे जिसके कारन वो हिल भी नहीं पा रही थी ,उसने मजबूर होकर निचे देखा तो उसका मुह खुला का खुला रह गया ...अजय उसके पैरो को पकड़ा र्रो रहा था ,चंपा ने कभी इसकी कल्पना भी नहीं की थी ,हुआ ये की अजय ने जब सबको जाते देखा तो वो भी धीरे से उनके पीछे चल दिया उनकी बाते सुनकर उससे रहा नहीं गया और वो अंदर आकर चंपा के पैरो को पकड़ लिया,
"चाची क्या हमसे कोई गलती हुई है जिसके वजह से आप हमसे दूर रहती है ,क्या हमें आपके प्यार पाने का कोई हक़ नहीं है ,"ये चंपा के लिए बहुत ही जादा था उसके सब्र का बांध अब टूट ही गया वो फफक कर रो पड़ी और अजय को उठा कर उसे अपने सीने से लगा लिया ,
"नहीं अजय मैं तुम्हारी गुनाहगार हु,मेरी वजह से ही भईया भाभी की मौत हुई है ,मैंने ही तुम्हारे चाचा को उनके भाई से अलग किया ,पूरी गलती मेरी है मेरे बेटे ,मैं माफ़ी के काबिल नहीं हु,वीर भईया तो भगवान थे जिन्होंने मुझ जैसी लड़की को इस घर की बहु बनाया पर मैंने क्या किया इस घर को तोड़ने की कोशिश की ,अगर मैं ना होती तो शायद भईया भाभी जिन्दा होते और इसपर भी तुमने मेरी जान बचाई ,तुम भी वीर भईया जैसे हो मेरे बेटे और मैं अब तुम्हारी खुशियों में नहीं आना चाहती ,"चंपा अजय को ऐसे गले लगायी थी जैसे जन्म की प्यासी को ,जैसे कई जन्मो से इसी पल का इन्तजार था ,आज वो अपने गुनाहों की माफ़ी मांग रही थी जो वो हमेशा मांगना चाहती थी ,अजय उससे अलग हुआ और उसके चहरे को अपने हाथो में थाम लिया उसने बड़े प्यार से उसे देखा,
"चाची जो भी हुआ वो तो हो चूका है ,अब हम नयी सुरुवात करते है ,आप हमारी माँ है और हमारे खुशियों और दुःख में सरिक कोने का आपको पूरा हक़ है ,हम सब यही चाहते है की आपके चहरे में फिर से एक मुस्कान आ जाय,"चंपा के चहरे में एक मुस्कान फैली वो कोई सामान्य मुस्कान नहीं थी ,बहुत ही दर्द के बाद जेहन से आई थी ,उसमे ममता भी था और पश्चाताप भी ,उसमे दर्द भी थी और खुसी भी ,चंपा ने अजय के माथे को चूम लिया ,उसके नयना अब भी धार बहा रहे थे..बाकि सभी बच्चे भी आकर उनसे लिपट गए ,थोड़े इमोशनल ड्रामे के बाद सब अलग हुए और अपने कमरों में गए ,...

सभी लोग बस शादी की तैयारियों में व्यस्त थे ,लडकिया सजने सवारने की तैयारिया कर रही थी ,ऐसा लग ही नहीं रहा था की किसी नौकरानी के बेटी की शादी है ,सभी उसे घर का सदस्य ही मान कर जुटे हुए थे ,घर को सिंपल सा सजाया गया था,और पूरा परिवार बहुत खुस नजर आ रहा था,सुमन भी अब घर में घुल मिल गयी थी वो हर वक्त ही निधि के साथ रहती और जो निधि कहती बस वही करती ,निधि को तो जैसे एक प्यारी सहेली मिल गयी थी,सुमन भी कुछ ही दिनों में खिलने लगी थी ,निधि उसे किसी गुडिया जैसे सजाती थी ,उसने उसे नए नए कपडे दे रखे थे ,लगता ही नहीं था की वो कोई आश्रित है ऐसा ही लगता था की वो परिवार की कोई सदस्य है,सभी भाई बहन मिलने की खुसिया मना रहे थे और अब चंपा भी पूरी तरह साथ थी ,अजय बाली को मना चूका था बाली चंपा से बात तो नहीं करता पर उसके वहा होने से कोई समस्या भी नहीं थी,इधर बारात के एक दिन पहले निधि की जिद थी की हल्दी के कार्यक्रम के साथ महंदी और डांस का भी कार्यक्रम करे,ऐसे अजय को ये सब आफत सा लग रहा था ,पर बहनों की खुशियों को नजरंदाज भी नहीं कर पा रहा था,उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था ,सभी घर के लोग हल्दी खेलने में बिजी थे सब एक दुसरे को दौड़ दौड़ कर हल्दी लगा रहे थे ,बस सबकी हसी ठहाको से पूरा घर गूंज रहा था,काम करने वाले नौकरों और मजदूरों को भी नहीं छोड़ा जा रहा था,वो बेचारे थोड़े नर्वस भी थे ,इतने बड़े घर की लडकिय उन्हें हल्दी लगा रही थी ,कुछ की आँखों में पानी था तो कोई उन्हें दुवाए दे रहा था,ठाकुरों की यही बात उन्हें सबसे अलग और लोकप्रिय बनाती थी की वो इंसानों का सम्मान करते थे और उनसे इंसानों जैसे ही बर्ताव करते थे,,,
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