हीरोइन बनने की कीमत complete

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rajababu
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हीरोइन बनने की कीमत complete

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हीरोइन बनने की कीमत

मेरा नाम निलिमा है, मेरी उम्र २१ साल है।आज मैं एक बहुत कामयाब हीरोईन हूँ, मेरेलाखों फेन्स हैं । पर मैं हीरोईन कैसे बनी ये एक लम्बी कहानी है, जो मैं आज आपको सुनाने जा रही हूँ ।
मैं एक ग़रीब घर मैं पाली और बड़ी हुई ,मैं पढ़ने मैं बहुत तेज़ थी , मेरे पिता और माता की बहुत लाड़ली थी । पिता एक छोटी सी नौकरी करते थे, हमेशा पैसे की तंगी रहती थी । जीवन कट रहा था यूँ ही , और मैं बड़ी हो रही थी ।जब मैं ९ क्लास में थी , तभी एक हादसे मैं मेरे पिता और माता के मृत्यु हो गयी। मैं शॉक में थी , और मुझे जीवन से नफ़रत हो गयी। मेरे मौसाजी और मौसीजी मुझे अपने साथ उनके गाँव ले गए, और वहाँ मुझे स्कूल में दाख़िल कर दिया । उस घर में उनका एक बेटा भी रहता था जो मुझसे ३ साल बड़ा था ,उसका नाम राज था । वो बहुत सुन्दर था और मुझे अच्छा लगता था । मौसाजी ४२ साल के थे और मौसीजी ४० की थीं।
जीवन कट रहा था और अब मैं पढ़ाई पर और ध्यान देने लगी,राज मेरे साथ स्कूल जाता था और ढेर सारी बातें करता था । एक बार हम एसे ही स्कूल जा रहे थे और मैं स्कूल यूनफ़ॉर्म में स्कर्ट ब्लाउस में थी। यहाँ मैं ये बता दूँ की मेरी फिगर काफ़ी सेक्सी थी , मेरे सीने के उभार काफ़ी बड़े थे और मेरा रंग भी बिल्कूल गोरा है और चेहरा भी बहुत सुन्दर है । अचानक हमारे सामने दो मोटर्सायकल में चार लड़के आ गए और हमारा रास्ता रोक लिया, और मेरा स्कूल बैग छीन लिया ,और हँसने लगे। मैंने कहा , मेरा बैग वापस दो, वो बोला की पहले पप्पी दो , मैं घबरा गयी, और डर भी गयी। राज को ग़ुस्सा आया और वो बोला की तुम इसका बैग वापस दे दो नहीं तो अच्छा नहीं होगा ,वो हँसने लगे और बोले अबे क्या कर लेगा? इतने में दो लड़कों ने राज को पकड़ लिया और वो लड़का फिर पास आया और बोला ,बेबी पप्पी दे दो । मैं डर से काँप उठी।

मैंने उनके आगे हाथ जोड़े और कहा कि मुझे जाने दो ,एसे कहते हुए मैंने इधर उधर मदद के लिए देखा पर वो एक पगडंडी थी जहाँ आसपास कोई नहीं था, अब मुझे लगा कि ये मुझे छोड़ने वाले नहीं। तभी वो लड़का मेरे पास आया और उसने मेरे गालों की चुम्मी ले ली, मैं पीछे जाने की कोशिश की पर वहाँ एक लड़का पहले से ही खड़ा था ,मेरे नितम्ब उसके पैंट के उभार से टकरा गए , मैं चौंक गयी क्यूँकि मुझे वहाँ एक कड़ी चीज़ चुभी , जो मई समझ गयी की वो उसका लिंग ही होगा ।तभी उस लड़के ने मेरे लिप्स पर किस किया और साथ ही मेरी दूधों पर भी हाथ रख दिया, मेरा पूरा शरीर काम्पने लगा ।राज पूरीकोशिश कर रहा था अपने को छुड़ाने की , पर वो सफल नहीं हो सका । इधर वो लड़का मेरे दूधों को अब दबाने लगा और मैं रोने लगी। तभी पीछे से एक लड़के ने मेरी चूतड़ों पर अपना लिंग रगड़ना शुरू किया। इतने में एक लड़के ने मेरे ब्लाउस के बटन खोल दिए और मेरे ब्रा को खींच कर निकल दिया , अब मेरे नग्न दूध सबके सामने थे, मैं ज़ोर ज़ोर से रोने लगी, पर वो सब मुस्कर। रहे थे , अचानक मेरी आँखें राज की तरफ़ गयी तो देखा कि वो भी बड़े ग़ौर से मेरे दूधों को देख रहा था और उसके पैंट के आगे एक टेंट यानी तंबू तन गया था। मैं हैरान रह गयी की इन हालात में भी वो इक्साइट हो गया था । तभी अचानक एक ट्रैक्टर की आवाज़ आयी और सब चौंक गए , अचानक वो सब अपनी मोटर्सायकल ले कर भाग गए। राज जल्दी से मेरे पास आया और उसने मुझे ब्लाउस का बटन लगाने को बोला । मैंने अपने ब्लाउस को बटन लगाकर बन्द किया , जब मैं ऐसा कर रही थी तब वो मेरे दूधों को एकटक देख रहा था , मुझे बड़ी शर्म आ रही थी। हमने स्कूल ना जाने का फ़ैसला किया और वापस घर की तरफ़ चल पड़े , मैंने धीरे से नज़रें झुका कर राज के पैंट की तरफ़ देखा और वहाँ अभी भी तंबू तना हुआ था ।
जब हम वापस जा रहे थे तब मुझे याद आ रहा था की मैंने पहला लिंग कब देखा था? दरअसल पुराने स्कूल में एक़बार जब मैं एक सहेली के साथ तालाब की तरफ़ घूमने जा रहे थे तभी हमने १ लड़के को पेशाब करते देखा , उसका लिंग काफ़ी बड़ा था और उसमें से पेशाब की लम्बी धार निकल रही थी, हम दोनों उसकी तरफ़ बड़े ध्यान से देख रहे थे , अचानक वहाँ एक ४० साल की औरत आतीदिखी तो हम छुप गए, वो औरत वहाँ आकर मुस्कर। कर उसका लिंग देखने लगी , उस लड़के ने कहा की मौसी, कितनी देर से मैं आपका इंतज़ार कर रहा था , उस औरत ने उसका लिंग पकड़ लिया और हिलाने लगी, उसका लिंग अब खड़ा हो गया और बहुत बड़ा हो गया। हमने अपने जीवन में ये सब नहीं देखा था ,मुझे अपने चड्डी की अंदर कुछ कुछ होने लगा । बाद मैं हम वहाँ से भाग निकले। आज राज का फूला हुआ पैंट मुझे उस लड़के की याद दिला दिया ।राज ने कहा कि घर मई ये सब बताओगी क्या? मैंने कहा कि नहीं , उससे क्या फ़ायदा होगा , पर आगे से हम इस रास्ते से नहीं आएँगे । घर पहुँच कर हम अपने कमरे में चले गए , और मैंने बाथरूम जाकर अपने आप को साफ़ किया ,मौसी को कह दिया की आज स्कूल में छुट्टी हो गयी । बाद में जब मैं आँगन में बैठकर किताब पढ़ रही थी , मैंने देखा कि मौसी मंदिर चली गए और तब राज बाहर आकर मेरे पास आकर बैठ गया, वो बोला तुम जानती हो तुम बहुत सुंदर हो , किसी फ़िल्मी हीरोइन की तरह?? मैने हंस,आर कहा क्या हो गया है तुम्हें , वो बोला, आज जो झलक देखी तुम्हारी, तो समझ आया की तुम कितनी सुंदर हो? वो बोला , अगर तुम मेरी मौसेरी बहन नहीं होती तो ।।। तो मैंने पूछा की क्या होता ? वो बोला , छोड़ो क्यूँ फ़ालतू बातें करें? मैं हँसकर बोली बताओ ना क्या करते ? वो बोला , तुमसे शादी कर लेता। मेरा मुँह खुला का खुला रह गया । वो फिर बोला, तुम सच में हीरोइनलगती हो !


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rajababu
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ये दूसरी बार हुआ था कि किसिने मुझे हीरोइन जेसी ब्यूटिफ़ुल कहा हो । पहली बार मेरे पिछले स्कूल के मेरे एक टीचर ने कहा था । वो जब भी क्लास मई आते पूरे टाइम मुझे ही देखते रहते थे , मुझे एसा लगता था की उनका ध्यान मेरे ब्लाउस में फँसे मेरे उभारों पर रहता था , वो मेरे पास आते और पीठ पर हाथ रखकर मुझे अछ्चि तरह से सवाल समझाते थे । मैंने कई बार महसूस किया की वो मेरे ब्रा की स्ट्रैप्स को भी टच करते थे । एक बार उन्होंने मुझे स्टाफ़ रूम में आने को कहा , जब मैं वहाँ पहुँची तो वो अकेले बैठे पेपर पढ़ रहे थे, उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और बोले , बेटी , तुम मुझे बहुत प्यारी लगती हो । कहते हुए वो मेरे बालों पर हाथ फेरने लगे ,मैं उनके पास ही खड़ी थी, उन्होंने हाथ नीचे लाया और पीठ सहलाने लगे, मैंने पूछा, सर क्या काम है , वो बोले मई चाहता हूँ कि तुम्हारे अछे नम्बर आएँ, एसा कहते हुए उनका हाथ मेरे मोटे नितम्बों तक पहुँच गया , और मैंचौंक गयी, मैंने पीछे होने की। कोशिश की , पर वो बोले डरो मत बेटी , मैं तुम्हें कुछ कष्ट नहीं दूँगा, तुम्हें सिर्फ़ मज़ा आएगा, आख़िर मेरे उम्र अब ५५ साल की है , तुम्हें मुझसे डरने की ज़रूरत नहीं है। एसा कहते हुए उन्होंने मुझे अपने पास खिंच लिया और और मेरे छातियों पर हाथ फेर दिया, मैं सिहर उठी, सर बोले , बेटी एक बात बोलूँ, तुम इतनी सुन्दर हो की तुम्हें फ़िल्मों में हीरोइन बनना चाहिए। मैंने जल्दी से अपने आप को छुड़ाया और बाहर भाग गयी। और आज फिर राज ने वही मुझसे कहा कि तुम्हें हीरोइन बनना चाहिए। मैं सोच रही थी क्या एसा हो सकता है?

मैंने राज की तरफ़ देखा और बोली , एसा क्या है मुझमें की तुम्हें लगता है कि मैं हीरोइन बन सकती हूँ? राज बोला, तुम्हारा रंग बहुत गोरा है, तुम्हारा चेहरा बहुत सुंदर है , और मेरे उभारों को देखकर बोला की तुम्हारी फिगर भी बहुत मस्त है , फिर मेरे जाँघों की तरफ़ देखा और बोला देखो स्कर्ट से बाहर निकलीं हुई ये तुम्हारे जाँघे किसी हीरोइन के मस्त जाँघों से कम है क्या ? ऐसे बोलते हुए उसने मेरी जाँघों पर हाथ फेर दिया और हल्के से दबा दिया, मैंने कहा कि राज सभी लड़कियों के ऐसी ही जाँघे होतीं हैं, और हंस दी, मैंने धीरे से उसके पैंट की तरफ़ देखा, जहाँ एक उभार बन चुका था। मुझे भी चड्डी मैं गीला सा लगा ।इतने में मौसी आ गयी और हम थोड़ा सा दूर होकर बैठ गए । मैं उठकर अंदर चली गयी।
रात मैं खाना खाने के बाद मैंने पढ़ने की कोशिश के पर बार बार राज के पैंट का उभार मुझे डिस्टर्ब कर रहा था , मैंने सोने की कोशिश के पर नींद भी नहीं आ रहे थी , आख़िर तंग आकर मैं किचन की तरफ़ गयी पानी पीने के लिए । पानी पीकर जब मैं वापस आ रही थी अपने कमरे की तरफ़ , तभी मुझे कुछ अजीब सी आवाज़ आयी , मैंने देखा कि आवाज़ मौसाजी के बेड रूम से आ रही थी, मैं समझ गयी की सेक्स चल रहा है , मैं मन ही मन में मुस्करायी और सीधे अपने कमरे की तरफ़ जाने लगी, फिर पता नहीं मेरे मन में क्या आया कि मैं राज के कमरे की तरफ़ चल पड़ी। वहीं मैंने खिड़की से अंदर झाँक , मैंहैरान रह गयी, बिस्तर पर राज था ही नहीं? वो कहाँ गया ? ------

मैंने धीरे से आँगन का दरवाज़ा चेक किया , वह खुला हुआ था , मैंने धीरे से बाहर झाँका , वहाँ राज एक स्टूल पर खड़ा था और वो खिड़की से ऐंडर झाँक रहा था , अपने पिता और माता के कमरे में, जहाँ से सेक्स की आवाज़ें मैंने अभी अभी सुनी थी। मई शाक में आ गयी, ये क्या कर रहा है? मैंने अंधेरे मैंने देखने की कोशिश की , मैं चौंक गयी क्यूँकि उसका लोअर नीचे था और वो नीचे से नंगा था , और वो अपने लिंग को अपने हाथ से आगे पीछे कर रहा था। मैं चुपके से पीछे हो गयी और अपने कमरे मई चली गयी । मुझे राज से ये उम्मीद नहीं थी कि वो अपने ही माता पिता को सेक्स करते हुए देखना चाहेगा ? और उसका खड़ा लिंग जो वो हिला रहा था , बार बार मेरे आँखों के सामने झूल रहा था , और मैं बेचैन हो रही थी, आख़िर मैंने अपनी चड्डी नीचे की और अपने योनि में ऊँगली डाल कर धीरे से सहलाना शुरू किया, साथ ही मैंने अपने छातियों को भी दबाना शुरू कर दिया ,मैंने अपने निपल्ज़ को भी मसलना शुरू किया, अबमैं उत्तेजित हो गए थी , मेरे मुँह सिसकियाँ निकालने लगी । और ५ मिनट में ही मैं अपनी क्लिट को सहलाती हुई क्लाइमैक्स को प्राप्त किया । अब मैं शांत हो गयी थी , और धीरे से नींद की आग़ोश में सो गयी ।
दूसरे दिन जब हम दोनों स्कूल जा रहे थे , तभी मैंने राज से कहा कि रात को में तुम्हारे कमरे में दवाई माँगने आयी थी , पर तुम कही दिखाई नहीं दिए , आख़िर कहाँ थे तुम? वो थोड़ा घबरा गया और बोला , मैं शायद बाथरूम गया हूँगा , मैंने कहा , पर बाथरूम का दरवाज़ा खुल हुआ था और वहाँ कोई नहीं था । वो फिर हड़बड़ा गया और इधर उधर देखने लगा, मैं मन ही मन मुस्करायी, क्यूँकि मैं सच जानती थी । मैंने कहा की मुझे सब पता है, छि छी तुम ऐसा कैसे कर सके? अपने ही माता पिता के कमरे में झाँक रहे थे ? उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया , और उसने मेरे आगे हाथ जोड़कर बोला , प्लीज़ किसको नहीं बताना , नहीं तो मुझे बहुत मार पड़ेगी । मैंने कहा की मैं किसिको नहीं बताऊँगी । थोड़ी देर हम यूँ ही चलते रहे , फिर राज बोला , इसका मतलब तुमने मुझे नंगा देख लिया होगा? मैं मुस्करायी और दूसरी ओर देखने लगी , राज समझ गया कि मैंने सब देख लिया है , अब वो थोड़ा खुलकर बोला, जो देखा , अच्छा लगा ना ? मैं शर्मा गयी औ कुछ नहीं बोली , तभीस्कूल आ गया और हम अपनी अपनी क्लासिज में चले गए ।
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स्कूल में बार बार उसका लिंग हिलाना मुझे याद आ रहा था , मैं बेचैन हो रेही थी । ख़ैर जैसे ही स्कूल छूटा मैं बाहर आयी और राज मेरा इंतज़ार कर रहा था । हम घर की तरफ़ चल दिए , राज की आँखें बार बार मेरे उभारों पर पड़ रही थी और फिर जल्दी ही उसके पैंट के सामने वाला हिस्सा फिर फूल गया , मैंने बड़े मुश्किल से अपनी निगाहें वहाँ से हटायी। राज थोड़े देर यहाँ वहाँ की बातें की फिर धीरे से बोला , निलू तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो ,मैंने हँस कर कहा , सच? फिर मैंनेधीरे से पूछा कि तुमने मौसाजी के कमरे मैं क्या देखा? वो मुस्कुराया और बोला की वही जो सब आदमी औरत करते हैं, और आँख मार दी, मैं शर्मायी और बोली। तो तुमने उन्हें नंगा देखा? वो हँस दिया और बोला , बिलकुल नंगा अम्माँ और बाबूजी डोनो को । मैं बोली, तुम्हें शर्म नहीं आइ अपने माँ और बाप को ये सब करते देख कर, वो बोला, काया करते देखकर ? मैंने कहा , छी तुमने नहीं पता ? वो हँस कर बोला, तुम बताओ ना क्या करते देखा मैंने? मैं बोली , मुझे पता नहीं । वो बोला , मैं बताऊँ ? मैंने उसकीतरफ़ देखा , तो वो बोला , मैंने उन्हे चुदायी करते देखा । मैं सन्न रह गयी, मुझे राज से इस शब्द की उम्मीद नहीं थी ,मैने हैरान हो कर उसके तरफ़ देखा , वो बोला ,इसे चुदायी ही कहते हैं । तुम जानती हो ये कैसे की जाती है, मैंने नहीं, वो बोला तो आज मेरे साथ भी देख लेना, आज भी वो करेंगे क्यूँकि बाबूजी कल से ३ दिन के लिए बाहर जा रहें हैं, इसलिए आज ज़रूर माँ को चोदेन्गे। ओह मैं बोली , मुझे डर लगता है कहीं कोई देख ना ले । वो बोला मैं हूँ ना, बहुत मज़ा आएगा , मैंने भी हाँ में सिर हिला दिया । फिर हम घर पहुँच गए ।

रात को खाने के बाद मैं अपने कमरे में लेटीहुई सोच रही थी की कितनीगंदी बात है अपने मौसा मौसी को सेक्स करते हुए देखना वो भी अपने मौसेरे भाई के साथ ? पर दूसरी तरफ़ इक्सायटेड भी हो रही थी। पता नहीं कब आँख लग गयी, कि अचानक धीरे से राज ने पुकारा , निलू बाहर आओ , मैं बाहर आ गयी । राज ने मुँह पर ऊँगली रखकर चुप रहने का इशारा करता हैं, मैं उसके पीछे चल पड़ती हूँ , हम आँगन में आ जाते हैं , वहाँ पहले से एक मेज़ रखी थी , जो राज ने मौसाजी के बेडरूम के ठीक खिड़की के नीचे रख छोड़ी थी । फिर राज मेज़ पर चढ़ गया और धीरे से खिड़की स झाँका ।वो मुस्कुराया और मुझे ऊपर एंड के लिए इशारा किया और एक हाथ आगे बढ़ाया मैंने उसे पकड़ लिया और टेबल पर चढ़ गयी। अब मैंने भी अंदर झाँका और शर्म से लाल हो गयी। अंदर मौसाजी पूरे नंगे थे और उनका बहुत बड़ा लिंग ऊपर नीचे हो रहा था। और वो मौसीजी के कपड़े। उतर रहे थे, वो सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट थीं। उन्होंने मौसीजी का ब्लाउस उतार दिया और और उनके दूध दबाने लगे ।फिर उन्होंने उनकी ब्रा भी निकाल दी और उनके दूध मच में लेकर चूसने लगे । मेरी चड्डी गिली हो रही थी । मौसाजी का लिंग अब और भी कड़ा दिख रहा था । फिर मौसाजी ने पेटिकोटनिकल दिया और मौसीजी चड्डी भी खोल दी। उनकी मोटी जाँघें और उसके बीच की फूली हुई योनि देखकर मैं इक्सायटेड हो गयी । तभी मुझे लगा की राज के हाथ मेरे पीठ पर आ गए , वो मेरे पीछे खड़ा था। मैंने देखा कि मौसाजी ने मौसीजी के सिर को अपने लिंग तरफ़ खींचा, और मौसीजी ने उनका लिंग अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी ।मौसाजी आह्ह्ह्ह्ह करने लगे। तभी लगा की राज का कड़ा लिंग मेरे नितम्बों पर ठोकर मार रहा था , मैं सिहर उठी। उधर मौसाजी ने मौसीजी को लिटा दिया और उनके योनि पर अपना मुँह रख दिया और उसे चाटने लगे , अब मौसी चिल्लायीं , आआआआहह। मार्र्र्र्र गएएएएएएए । थोड़े देर बाद उन्होने अपने लिंग को मौसी के योनि मैं डाल दिया । तभी राज ने अपने हाथ मेरे उभारों पर रख दिया और उन्हें हल्के से दबाने लगा , मैं काँपने लगी । राज मेरे कान में कहा ,देखो बाबूजी कैसे माँ को छोड़ रहे हैं। मैने देखा मौसीजी बड़े मज़े से कमर उछाल कर छुड़वा रही थीं । और मौसाजी ज़ोर ज़ोर से अपने कमर को ऊपेर नीचे कर रहे थे । तभी राज ने मेरे स्कर्ट को ऊपर किया और मेरी चड्डी मई अपना लिंग दबाया ।, मैंने महसूस किया कि उसने अपने लिंग को पैंट से बाहर निकाल लिया था ।तभी वो अपने नंगे लिंग को मेरे हाथ में पकड़ा दिया , और मेरे हाथ में उसका गरम खड़ा लिंग था । उधर अन्दर चुदाई अपनी चरम सीमा पर थी ।पूरा कमरा आह ऊओह की आवाज़ से गूँज रहा था । राज ने मेरे चड्डी को नीचे किया और अपने लिंग को मेरी योनि मई रगड़ने लगा, मेरे मुँह आह निकल गयी, उफ़्फ़ क्या मज़ा आ रहा था , राज ने कहा , निलू, मेरा लंड कैसा लगा ? मैंने लंड शब्द पहली बार राज के मुँह से सुना । मुझे अच्छा लगा , और इसके पहले कि मैं कुछ कहती, राज ने मुझे बाहों में लेकर मेरे होंठ चूसने लगा । अब मैं भी गरम हो गयी थी , और राज का साथ देने लगी , उसने मुझे कमरे में चलने को कहा और मैं समझ गयी की आज मेरी सील टूटेगी वो भी अपने मौसेरे भाई के लंड से । अब उसकी दो उँगलियाँ मेरी योनि में धमाल मचा रही थीं। उसने कहा, निलू तुम्हारी चूत मस्त है बेबी , और मेरे शरीर में मस्ती दौड़ गयी । राज टेबल से उतरा और मुझे गोद मई पकड़कर उतार लिया , फिर गोद मई उठाकर मुझे अपने कमरे में ले चला, और उसके होंठ मेरे होंठों को चूस रहे थे।

कमरे में पहुँच कर मुझे राज ने बिस्तर पर लिटा दिया और दरवाज़ा बैंड कर दिया , फिर वो मेरे ऊपर आ कर लेट गया और मेरे होंठचूसने लगा , मैं भी गरम हो गयी थी और उसका साथ देने लगी । उसने मेरा टॉप उतर दिया और बिलकुल मौसाजी जैसे ही मेरे उभारों को चूमने लगा। फिर ब्रा खोलकर वो उनपर टूट पड़ा , मैं आह आह कर रही थी। मज़े से, वो पगलोंकी तरह मेरे उभारों को चूस रहा था और निपल्ज़ को दबा रहा था । फिर उसने मेरे स्कर्ट उतार दी और चड्डी भी नीचे खींच ली। अब मैं पूरी नंगी बिस्तर पर पड़ी थी और वो दिवानो की तरह मेरा बदन चूम रहा था, उसने मेरी जाँघों पर चूमा और मेरीजाँघों को फैलाकर मेरी चूत को ग़ौर से देखने लगा, उसका लंड जो लोअर से बाहर था पूरा खंडा था फिर वो पूरा नंगा होकर मेरे जाँघों के बीच आ गया और उसने मेरी चूत वैसे ही चाटी जैसे मौसाजी ने मौसीजी की चाटी थी,मैं तो जैसे पागल ही मोह गयी थी, इतना आनंद आ रहा था की मैं सी सी कर उठी। फिर वो मेरी चूत में अपना लंड धीरे से डालने लगा , मैंने दर्द से कराहना शुरू कर दिया । उसने मेरे होंठों पर अपना होंठ रख दिया और चूसने लगा । फिर जब मुझे दर्द कम हुआ तो मैंने मौसी की तरह नीचे से कमर उछाली , वो ऊपर से ज़ोर से धक्का मारा और पूरा लंड अंदर समा गया , मई फिर से दर्द से चीख़ उठी, और अब जल्दी जल्दी धक्के लगाने शुरू किया । मुझे अब मज़ा आने लगा था और मैं भी आह आह चिल्लाकर उसका साथ देने लगी। वो भी मज़े से पागल हो रहा था । थोड़ी देर में मैं झरने लगी और वो भी क्लाइमैक्स के पास आकर आह आह कर झड़ने लगा। फिर वो मेरे ऊपर गिर गया और बाद में करवट बदल कर मेरे बग़ल में लेट गया ।अब उसके हाथ मेरे शरीर पर सहलाने लगे , फिर उसने मुझे अपना लंड दिखाया जिसमें लाल ख़ून लगा था, मैने उठकर अपनी चूत को देखा तो वहाँ भी लाल ख़ून लगा था , मैं समझ गयी की मेरी चूत की सील टूट गयी हैं,और अब मैं चुद चुकी हूँ । उसने मुझे बाथरूम तक ले जाने में सहायता की , और बाथरूम में वो खड़े हो कर पिशाब करने लगा, उसके लंड से पेशाब की धार निकल रही थी और मैं उसे बड़े ध्यान से देख रही थी । उसने मेरा हाथ पकड़ अपने लंड पर रख दिया , और बाद मेरे हाथ को पकड़ कर अपना लंड हिलाने लगा, जिससे उसके पिशाब की आख़िरी बूँदें भी गिरने लगी। फिर उसने मेरा हाथ पकड़कर मुझे बिठाया और मैं भी पेशाब करने लगी, वो उसे ध्यान से देख रहा था , मुझे शर्म आ रही थी , उसका लंड फिर से खड़ा था मेरे पिशाब की सु सु की आवाज़ आ रही थी ,और वो उत्तेजित हो रहा था। उसने मुझे उठाया और मेरी चूत धोने लगा , फिर अपना लंड धोकर हम वापस बिस्तर पर आ गए, और एक दूसरे को चूमने लगे और थोड़े देर में हम फिर गरम हो गए और फिर वो मुझ पर चढ़ गया, और फिर से मुझे चोदने लगा, और २० मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों शांत हो गए ।
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राज के जाने के बाद मैं थक कर सो गयी, सुबह स्कूल जाने के समय मुझे राज से आँखें मिलाने में शर्म आ रही थी । राज सारे रास्ते मुझे छेड़ता रहा, रात की चुदाई की बातें करता रहा । उसने कहा ,रात को मज़ा आया ना? फिर मेरे चूत की टाइट और सील टूटने की बात भी की, मेरी छातियों की और निपल्ज़ की तारीफ़ करने लगा। उसने पूछा, मेरा लंड पसंद आया? मैं शर्मा कर बोली , हाँ , और भाग कर क्लास में घुस गयी।

अब ज़िंदगी में एक नया मोड़ आ गया और हम हर रात चुदाई करते , और सुबह एकदम नोर्मल भाई बहन बन जाते। फिर १ महीने के बाद राज के चाचा आए और उसे अपने साथ कॉलेज में पढ़ाने के लिए शहर ले गए, मैं बहुत दुखी हो गयी।पर धीरे धीरे मैं उसे भूलने लगी और जब इक्सायटेड होती तो ऊँगली से अपने को संतुष्ट कर लेती । एक बात ज़रूर थी कि आजकल मौसाजी की नज़रें मेरे शरीर को घूरते रहती थी , पर मैने सोचा की ये मेरा भ्रम होगा , और ध्यान नहीं दिया । इसी तरह समय बीत रहा था ,एक दिन स्कूल से वापस आही तो तेज़ बारिश हो रही थी , मेरी स्कर्ट ब्लाउस पूरा भीग गया था और मैं भागते हुए घर पहुँची , जैसे ही घर में हाँफते हुई अंदर घुसी ,मेरा सीना ऊपर नीचे हो रहा था , वहाँ सामने मौसाजी खड़े थे और मेरे छातियों को घूर रहे थे। मैंने पूछा मौसीजी कहाँ हैं, तो वो बोले , वो तो पड़ोस के घर में एक पूजा कीर्तन में गयी है। वो बोले, जाओ जल्दी कपड़े बदल लो, मैं अपने कमरे में जाने लगी तभी मैंने देखा मेरी छातियों को बड़े ध्यान से देख रहे थे और फिर मैंने देखा की उनकी लूँगी में उनका लंड पूरी तरह उभरा दिख रहा था, मैं राज के जाने के बाद से लंड के लिए तरस रही थी और मौसाजी का तय्यार हथियार देखकर इतनी सर्दी में भी गरम हो गयी। फिर मैं अपने कमरे में पहुँच गयी।
मैंने अपने कमरे में आकर अपनी स्कर्ट और ब्लाउस उतारा और तौलिए से अपने बदन को पोछने लगी, शीशे में मैंने देखा की मैं चड्डी में मेरी चूत अलग से दिख रही थी , दोनों फाँकें साफ़ दिख रही थी ।ब्रा में भीगी हुई छातियाँ अलग ही नज़ारा दिखा रही थी ।तभी दरवाज़ा खुला और मौसाजी अंदर आए , और मेरे को आगे से शीशे में और पीछे से भी देख रहे थे। उनके लूँगी में उभार साफ़ दिख रहा था, वो आए और बोले , लाओ बेटी मैं पोंछ दूँ और तौलिए को मेरे हाथ से ले लिया । फिर वो मेरी पीठ पोच्चने लगे , फिर उन्होंने नीचे झुक कर मेरी नितम्बों पर तौलिया फिराया, और फिर जाँघ और पैर भी पोंछने लगे । मैं अब गरम होने लगी , फिर उन्होंने मेरी चड्डी को छूकर कहा, बेटी ये भी गोली हो गयी है , और उतर दिया, फिर मेरी चूत पोंछने लगे , फिर हाथ से चूत पर हाथ फिराया और बोले, देखो अब सूख गयी। फिर उन्होंने मेरी गिली ब्रा भी उतर दी और मेरी छातियों को पोंछने के बहाने उन्हें अछे से दबाने लगे , बाद मई उन्होंने अपने लंड को मेरे नितम्बों से सटा दिया और दबाने लगे। मेरी चूत गिली हो गयी थी । अब वो मेरी छातियों को दबा कर मुझे मस्त करहे थे । मैंने कहा , मौसीजी आ जाएँगी , वो बोले, अभी १ घंटा वो नन्ही आएँगीं। फिर उन्होंने मुझे घूमकर अपनी बाघों में भींच लिया , फिर मेरे होंठ चूसने लगे , और बोले, मेरा बहुत दिनों से तुम्हें चोदने का मन था , आज मेरी इच्छा पूरी कर दो बेटी। मैंने कहा , आप मुझे बेटी बोलते हो और ये बुरा काम चाहते हो ? वो बोले, मुझे बेटीचोद कहलाना पसंद है , पर तुम्हें चोदे बिना अब नहीं रह सकता, एसे बोलते हुए वो मेरी चूचियाँ चूसने लगे , और मेरा हाथ अपने लम्बे और मोटे लंड पर रख दिया, अब मैं पूरी तरह उनके वश मई थी ।उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी छूट चाटने लथोड़ी देर में वो मेरे साथ ६९ पज़िशन में आ गए और मेरे सामने उनका मस्त लंड था, मैंने उनके लंड सुपरा खोला और उनका लंड चूसने लगी, सुपर लाल था उसे चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था । वो भी पूरी जीभ अंदर डाल कर मेरी चूत में आग लगा रहे थे

थोड़ी देर ६९ में चाटने और चूसने के बाद वो मेरे ऊपर आ गए और अपने लंड को मेरी चूत में धीरे से डालने लगे , उनका मोटा लंड मेरी चूत में जैसे फँस गया , फिर उन्होंने धक्का लगाया और मेरे मुँह से चीख़ निकल गयी , और उन्होंने मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिए , फिर मेरी चूचियों को चूसते हुए उन्होंने अपने कमर को दबाया और पूरा लंड मेरी चूत मई पील दिया । मई आह कर के रह गयी, फिर उन्होंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और पूरे ज़ोर शोर से मेरी चुदाई करने लगे, मैं भी अब नीचे से कमर उठाकर उनका साथ देने लगी। कमरा फ़च फ़चनिक आवाज़ से गूँज रहा था,और हम दोनों मस्ती से सरोबार हो रहे थे ,आख़िर मैं झड़ने लगी और फिर मौसाजी भी आह आह करके झर गए । फिर उन्होंने मुझे बड़ी देर तक चूमा चाटा। फिर वो बोले , ये मेरी ज़िन्दगी की सबसे मस्त चुदाई थी । फिर वो बोले , जानती हो जब मैं अंदर आया था , तुम ब्रा पैंटी में गिली खड़ी थी , एकदम फ़िल्म हेरोयन लग रही थी। मैं फिर हैरान रह गयी , ये क्या हो रहा है, क्यूँ सब मुझे हीरोइन दिखती हो, एसा क्यूँ बोलते हैं? मौसाजी बोले , देखना तुम एकदिन हीरोइन बनोगी, कहते हुए उन्होंने मेरे नितम्बों पर हाथ फेरा और चले गए। मैंने जल्दी से बाथरूम में अपनी सफ़ाई की और कपड़ पहन कर मौसीजी का इंतज़ार करने लगी ।

जीवन एसे ही चल रहा था , मुझे मौसाजी ८/१० दिन में जब मौक़ा मिलता मुझे छोड़ देते थे। एक दिन इतनी जल्दी सब कुछ हुआ की मेरी ज़िंदगी ही बदल गयी । एक अंकल आंटी हमारे घर आए और उनका बहुत स्वागत हुआ , मौसीजी ने उनका बहुत स्वागत किया , फिर मुझे सजाकर मौसीजी उनसे मिलवाई और तब मुझे पता चला की वो मुझे अपने बेटे के लिए पसंद करने आए थे, मैं हैरान हुई, मैंने कहा मैं अभी और पढ़ना चाहती हूँ , उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी और वो मुझे पसंद कर चले गए और रिश्ता पक्का कर गए । मैंने बाद में मौसाजी और मौसीजी से ख़ूब लड़ाई की पर उन्होंने समझाकरमुझे शांत कर दिया, लड़का शहर में नौकरी करता था और उनका देखा भला था । १ महीने के बाद मेरी शादी हो गई, शादी में राज भी आया था, हमें दो बार मौक़ा मिला और हमने जम कर चुदाई की। मौसाजी भी एक दो बार इमोशनल हो गए और बहुत प्यार किया उन्होंने भी।

ख़ैर शादी के बाद हम शहर पहुँचे, वहीं मेरी सुहागरत की तय्यारी की गयी , और रात में जब मेरे पति रमेश मेरे पास आए और मेरा घूँघट उठाया ,तब मैंने पहली बार उन्हें देखा, सीधे साधे से थोड़े कमज़ोर से लगे । फिर थोड़ी देर बात करने के बाद बोले, मेरी तो क़िस्मत खुल गयी , तुम तो एकदम हीरोइन दिखती हो। मुझे अच्छा लगा कि मेर पति ने एसा ही कहा , जैसे सब बोलते हैं। फिर उन्होंने मुझे चूमा और मेरे कपड़े खोल दिए, जब वो अपने कपड़े उतारे तो मैं थोड़ा निराश हुई , क्यूँकि उनका खड़ा लंड मौसाजी और राज के लंड से बहुत छोटा और पतला था, ख़ैर रमेश ने मेरी चूचियों को दबाकर मुझे मस्त कर दिया, और बाद में अपने लंड को मेरे चूत मई डाल दिया , ८/१० धक्कों के बाद वो झाड़ गया । मैं तो प्यासी ही रह गयी, और रमेश करवट बदल कर सो गए । मैंने ऊँगली से ख़ुद को शांत किया । बाद में ये ही सिलसिला चल पड़ा , रमेश अपनी मस्ती झाड़ कर सो जाता और मुझे प्यासी छोड़ देता। एक दिन मैंने उससे खुलकर बात की , तो वो शर्मिंदा होकर बोला कि पता नहीं मैं क्यूँ इतनी जल्दी झड़ जाता हूँ , मुझे माफ़ कर दो । मैं क्या कहती? मैं बहुत दुखी रहने लगी । तभी मेरी ज़िंदगी में रहमान अंकल आए, और मेरा जीवन ही बदल गया ।

मेरा १९ वाँ जन्म दिन था , मेरे पति रमेश ने बड़े धूम धाम से मनाया , शाम को पार्टी थी ,जिसमें उनके ऑफ़िस की लोग भी आए, और एक क़रीब ४० साल के रहमान अंकल भी आए जो फ़ोटो ग्राफ़्ट थे, जिनको रमेश ने फ़ोटो लेने के लिए तय किया था । रमेश ने मुझे रहमान अंकल से मिलाया और बताया ये इस शहर के अछे फ़ोटो ग्राफेर माने जाते हैं ।ख़ैर पार्टी अच्छी रही और रमेश के ३ दोस्त डिनर के लिए रुक गए, उन्मे रहमान अंकल भी थे। डिनर के बाद जब उनके डोनो दोस्त अपनी पत्नियों के साथ चले गए , तो मैंने रहमान अंकल से कहा की आप मुझे आज की फ़ोटो दिखायीये ना , वो बोले चलो कैमरा कोटीवी में कनेक्ट कर के दिखाता हूँ। रमेश बाहर थे अपने दोस्तों को विदा कर रहे थे, अंकल ने फ़ोटो त व पर दिखानी शुरू किया, फिर एक फ़ोटो जिसमें केक काटने के कारण मैं झुकी हुई थी , इस से मेरी सारी का पल्लू गिर गया था और मेरे उभार जैसे ब्लाउस के बाहर आने के लिए फटे जा रहे थे ,को उन्होंने फ़्रीज़ कर दिया, और मुस्कुराते हुए बोले, देखो इसमें तुम किसी हीरोइन से कम लग रही हो क्या ? मैं शर्मा गयी, फिर उन्होंने एक फ़ोटो और दिखायी जिसमें मई एक महिला को चाय का कप दे रही हूँ, ये फ़ोटो मेरे पीछे से ली गयी थी , इसमें मेरी सारी में कसे गोल पुष्ट नितम्ब चड्डी फँसे साफ़ दिख रहे थे, इस फ़ोटो को भी उन्होंने फ़्रीज़ कर दिया , और शरारत से मुस्कुराते हुए बोले, देखो तुम्हारा फ़िग्यर ,किसी हेरोइन को भी मात देगा । मैंनेशर्माकर उनको देखा, तो वो मेरी फ़ोटो घूरते हुए अपना लंड पैंट में अड्जस्ट कर रहे थे । पैंट की साइड में उनका लंड जाँघ के साइड में उभरा हुआ अलग दिख रहा था। इतने दीनो की प्यासी मेरी चूत ये देख कर गिली हो गयी। तभी रमेश के वापस आने की आवाज़ से हम चौंके और अंकल ने फ़ोटो आगे बढ़ा दी , और अपने लंड को अड्जस्ट किया , मैंने भी एसा दिखाया की जैसे सब नोर्मल है। फिर अंकल कल फ़ोटो लाने का कहकर चले गए। उस रात रमेश से चुदवाते वक़्त मैं रहमान अंकल के लंड के उभार का ही सोच रही थी।
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rajababu
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Re: हीरोइन बनने की कीमत complete

Post by rajababu »

अगले दिन रमेश के ऑफ़िस जाने के बाद दोपहर को अंकल का फ़ोन आया, की फ़ोटो रेडी है ,क्या अभी ले आऊँ ? मैने कहा जी ले आइए। फिर मैंने अपने को शीशे मई देखा और मुझे लगा की मुझे अच्छी तरह से तय्यार होना चाहिए, फिर मैंने अपनी सेक्सी स्लीव्लेस ब्लाउस जिसमें मेरे आधे दूध बाहर दिख रहे थे, और सारी भी कमर के नीचे बांधी, जिसमें मेरी नाभि और पेट दिख रहा था । मैं अंकल के लिए पूरी तरह तय्यार थी, तभी घंटी बाजी , मैंने दरवाज़ा खोला , सामने अंकल जींस और टी शर्ट में बहुत हेंड्सॅम लग रहे थे । उनके बाँहों की मसल्ज़ अलग से उभरी हुई दिख रही थीं। मैंने उन्हें अंदर आने को कहा और दरवाज़ा बंद कर दिया, उनको सोफ़े पर बैठाकर मैं उनके लिए पानी का ग्लास लायी। जब मैं फ़्रिज से बोतल निकाल रही थी , तब मैंने काँखियों से देखा की वो मेरे नितम्बों को घूर रहे थे, मैं मन ही मन मुसकायी, मेरा तीर निशाने पर लगा था।फिर गिलास देने के लिए जब मैं झुकी, मैंने पल्ला एसे अड्जस्ट किया कि मेरी एक चुचि पूरी तरह पल्लू से बाहर था । पानी गिलास लेते हुए उनकी आँखें मेरी चूचि पर ही थी। फिर मैंने उन्हें फ़ोटो दिखाने कहा और उनके बग़ल में बैठ गयी । वो अपने बैग से एक लिफ़ाफ़ा निकाले और एक एक कर फ़ोटो दिखाने लगे , वो हर फ़ोटो में मेरी सुंदरता की तारीफ़ करते थे,और जब भी कोई एसी फ़ोटो आती जिसमें मेरे नितम्ब या चूचि अच्छे से दिखते , उसे देर तक दिखाते और बोलते देखो कितनी स्वीट और सेक्सी लग रही हो, और फिर बोलते तुम्हें तो फ़िल्मों में होना चाहिये। इस बीच में उन्होंने कम से कम। दो बार अपना लंड अजस्ट किया, दूसरी बार तो बहुत आराम से मुझे दिखाकर ही किया । वो देख रहे थे मेरी सांसें भी तेज़ हो रही थी, और मेरी छातियाँ भी ऊपर नीचे हो रही थीं । फिर उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया और बोले, जानती हो तुम बहुत सुंदर हो, किसी हीरोइन की तरह , कभी फ़िल्मों में जाने का सोचा है! मैंने शर्मा कर कहा नहीं। वो बोले, रमेश कितना लकी है जिसे तुम्हारे जैसी सुंदर पत्नी मिली है, काश मुझे भी तुम्हारी जैसी एक लड़की मिल जाती तो मैं भी अबतक शादी कर लेता। एसा कहकरउन्होंने मेरा हाथ चूम लिया, मेरी चड्डी गिली होने लगी, उनका लंड और अलग से जींस में जाँघ के साथ साफ़ साफ़ दिख रहा था। मैं शर्मा कर बोली , अंकल ये क्या कर रहें हैं, कोई जाएगा, वो बोले , मेरी प्यारी निलू , यहाँ अभी कौन आएगा, और उन्होंने मेरे होंठोंपर अपने होंठ रख दिए और मैं मस्त हो गयी, उन्होंने खींचकरमुझे अपनी गोद में बिठा लिया, मेरे नितम्ब अब उनके खड़े लंड पर थे और उनके लंड की चुबहन मुझे मस्त रही थी ।फिर मेरे होंठ चूसते हुए उन्होंने मेरी सारी का पल्लू गिरा दिया और मेरी चुचिन्यों को प्यार से सहलाने लगे ब्लाउस के ऊपर से । फिर उन्होंने धीरे से ब्लाउस के बटन खोले और अब ब्रा के अंदर हाथ डाल दिया और मेरी दोनों चुँचियों और उनके निपल्ज़ को मसलने लगे, मैं आहा कर उठी, वो और तेज़ीसे मुझे अपने लंड पर दबाकर अपने कमर को हिलाने लगे , मेरे नितम्बों तो जैसे आग लग गयी, मैं अब बहुत गरम हो गयी थी। अब उन्होंने मेरी ब्रा भी खोल दी, और मेरी नंगी चूचियों पर टूट पड़े। उनका मुँह लेकर चूसना इतना मज़ेदार था की। मैं एकदम मस्ती से भर गयी। फिर वो मुझे बिस्तर पर ले जाने के लिए गोद में उठा लिए और बेडरूम की तरफ़ ले चले।

बेडरूम में मुझे पलंग पर लिटा दिया और मेरी सारी एक झटके में उतर दी, फिर उन्होंने मेरे पेटिकोट और चड्डी एक साथ उतार दिया। अब वो मुझे एकटक निहार रहे थे और बोले, बेबी मैं चाहता हूँ की तुम हीरोइन बनो, क्या साँचे में ढला बदन है तुम्हारा, ये कहते हुए उन्होंने अपने पूरे कपड़े उतर दिया, उनका कसरती बदन देखकर और उनका बहुत बड़ा मोटा खुले सुआपरे का लंड देख कर मैं थोड़ा डर गयी ,मैंने कहा की अंकल आपका बहुत बड़ा है, मेरे को दुखेगा , वो बड़े प्यार से बोले, बेबी सिर्फ़ मज़ा आएगा , एसा कहते हुए वो मेरे ऊपर छा गए और मेरे होंठों को चूसने लगे। फिर मेरी चूचियों का भरपूर मर्दन किया , और बहुत देर तक चूसा मेरे निपल्स को। फिर नीचे आए और मेरी छूट में अपने जीभ डाल दी और अचानक एक ऊँगली मेरे पीछे के छेद में भी ऊँगली फिराने लगे , मेरी आह निकल गयी ।ये पहली बार था । वो बोले , बेबी तुम्हारी गंद भी मुलायम है तुम्हारे चूत की तरह । अब वो और मेरी टाँगें पूरी उठाकर नीचे से मेरी गंद चाटने लगे, मेरे बदन मई सरसरी उठने लगी । फिर उन्होंने मेरे से पूछा की तेल कहाँ है,सच तुम्हारे चूत का बहुत टाइट है , क्या तुम्हारा पति तुम्हें चोदता नहीं? मैं बोली, उनका बहुत पतला और छोटा है, वो बोले, तभी तो मैं सोनचू की शादीशुदा लड़की की चूत इतनी टाइट कैसे हो सकती है? फिर वो ड्रेसिंग टेबल से तेल लेकर अपने लंड में लगाए और फिर मेरी छूट मई भी तेल लगाया दो उँगलियूँ से, और अंदर बाहर करने लगे, फिर उन्होने धीरे से अपना मस्त मोटा लण्ड मेरी चूत की फाँकों में फँसा दिया, और धीरे से धक्का मार के लंड अंदर करना किया । अब मैं भी मस्त गयीं । फिर उन्होंने कमर से धक्का देकर मेरी चूत में पूरा लण्ड जड़कर ठूँस दिया । मैं चीख़ उठी। पर जल्दी ही उन्होंने मेरी च्छातियों को चूस कर मुझे मस्त कर दिया, और मैं भी मस्ती से छुड़वाने लगी। क़रीब आधे घंटे की ज़बरदस्त चुदाई के बाद हम दोनों नीधल हो गये। बाद में बाथरूम आकर वो मुझे गोद मई लेकर बिस्तर के पास रखे सोफ़े पर बैठ गए, हम डोनो पूरे नंगे थे, वो मुझे बहुत देर तक चूमते रहे और बोले, बोलो बेबी हीरोइन बनोगी? मैं बोली, क्यूँ अंकल मज़ाक़ उड़ा रहे हो, वो मेरी निपल्ज़। को चूसते हुए बोले, मई एकदम सीरीयस हूँ बेबी। इस बीच उनका लंड फिर खड़ा हो गया था, वो मुझे नीचे ज़मीं पर बैठा दिए, अपनी जांघों के बीच, उनका मस्त लंड मेरे मुँह के सामने था, वो बोले, बेबी इसे चूसो , प्लीज़ । मैं ख़ुद होकर उनका लंड पहले ऊपर नीचे चाटीं फिर माने उनका सुपरा चाटा, उनके अह्ह्ह्ह्ह निकल गयी, इतने में बेल बजी ।

हम चौंक गए, अंकल बोले जाओ दरवाज़ा खोलो कपड़े पहन कर, मैंने जल्दी से कपड़े पहने और दरवाज़ा खोला तो वहाँ एक करियर बॉय खड़ा था, उसने मुझे चिट्ठी दी। और चला गया , मेरा मूड ख़राब हो गया था । तभी अंकल बाहर आए, उन्होंने भी कपड़े पहन लिए थे । वो मुझे बाहों में लेकर प्यार करने लगे ,फिर बोले अब चलता हूँ, मैं बोली, फिर कब मिलेंगे? वो हँसते हुए मेरी छूट पर कपड़े के ऊपर से सहलाते हुए बोले, ये जब बुलाएगी । मैं हंस दी मैंने कहा की वो तो रोज़ याद करेगी इसको, एसा कहते हुए मैंने उनके लंड पर हाथ रख दिया ।वो मुझे बहुत प्यार से भींच लिए और बोले चलो अब चलता हूँ । उनके जाने के बाद मुझे थोड़ा सा ख़राब लगा की मैंने अपने पति को धोखा दिया है ,पर फिर मैं रहमान अंकल से मिले सुख को याद करके फिर उन्ही के ख़यालों मैं खो गयी। मेरी अंकल से मुलाक़ात एक हफ़्ते के बाद ही हो सकी, क्यूँकि कुछ मेहमान घर पर आए थे ,उनके जाने के बाद ही अंकल आ पाए। क्यूँकि हम एक हफ़्ते बाद मिल रहे थे, इसलिए वो भी इक्सायटेड थे और मैं भी , बातें कम हुई और बहुत जल्दी ही हम बेड पर नंगे थे और अंकल ने मुझे ज़बरदस्त छोड़ा , क़रीब आधे घंटे के बाद जब हमारी सांसें नोर्मल हुई , तो उन्होंने बहिन लेकर फिर कहा, तो सोचा तुमने हीरोइन बनने का? मैं धीरे से उनके सॉफ़्ट लंड से खेलते हुए बोली, अंकल ये कैसे सम्भव होगा ? वो बोले, ये तुम्हें मेरे ऊपर छोड़ दो , मैं मुंबई मैं कुछ लोगों को जानता हूँ ,जो तुम्हें मदद कर सकते हैं, पर तुम्हें बहुत मेहनत करना पड़ेगा और तुम्हें कई बार समझोता करना पढ़ेगा ,कई बार तुम्हें लगेगा की तुम्हारी बेज़्ज़ती हो रही है, पर अगर तुम इस सब के लिए तय्यार हो ,तो मैं तुम्हारी मदद कर सका हूँ । मैं हैरान होकर अंकल की तरफ़ देखी , आप इतना शुवर कैसे हैं, मैं बोली , क्या ये सच में हो सकता है? वो बोले , हाँ पर इसकेलिए तुम्हें मुंबई जाना पड़ेगा और मैं तुम्हें ट्रेनिंग दूँगा, बाक़ी की ट्रेनिंग वहाँ होगी । मैंने अंकल के बॉल्स सहलाते हुए पूछा की रमेश का क्या होगा ? वो बोले , ये तुम्हें फ़ैसला करना है की तुम इस छोटे लंड वाले पति के लिए अपना जीवन बर्बाद करना चाहती हो या अपना कैरीअर बनाना चाहती हो ? उन्होंने मेरे नितम्बों पर हाथ फेरा और बोले , चलो तुम इन बातों पर सोचो और मुझे अपना फ़ैसल। बताना। उनके जाने के बाद मैं सोचती रही की क्या करना है? और मेरी नींद लग गयी ।
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