जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
पुलिस थाने में सुबह से हलचल थी ,बड़े बड़े पुलिस के अधिकारी सुबह से वहां जमावड़ा लगाए बैठे थे ,साथ ही थे बहुत से प्रेस वाले ,
अभी भी इंस्पेक्टर प्रभात ठाकुर का सर पुलिस स्टेशन के गेट पर लटक रहा था ,वँहा का स्टाफ ख़ौफ़ज़दा दिखाई पड़ रहा था ,जिला S.P. बाकी के अधिकारियों के साथ विचार विमर्श में लगे हुए थे …
तभी गाड़ियों का काफिला वँहा आकर रुक गया
कई गनमैन निकले और सभी अधकारी उठकर खड़े हो गए ,सामने से आ रहे थे केशरगड के जमीदार और विधायक साहब ठाकुर प्राण सिंह …
चहरे के रौब से अच्छे अच्छे थर्रा जाए लेकिन आज उनके ही आदमी को इस बेरहमी से मार दिया गया था ,
“आइए ठाकुर साहब “
जिला S.P. खड़ा हो गया था
“हम यंहा बैठने नही आये है एस .पी. कब पकड़ोगे तुम मोंगरा देवी को “
मॉंगरा का नाम सुनकर ही सभी की बोलती बंद हो गई ..
“हम पूरी कोशिस कर रहे है ठाकुर साहब “
“अरे मा चुदाएं तुम्हारी कोशिशें तुम लोगो से कुछ भी नही होगा”
ठाकुर के मुह से गली सुनकर एस.पी. भी भड़क गया
“हमे गली देने से क्या होगा आपके पास भी तो बाहु बल है बहुत बाहुबली बने फिरते हो आप ही क्यो नही पकड़ लेते उसे ,प्रभात आपका ही तो आदमी था “
ठाकुर को मानो झटका लगा ,जैसे उसे किसी ने दर्पण दिखा दिया था ,वो सकपकाया और चिढ़ते हुए वँहा से चला गया …
इस सब घटनाक्रम को वँहा पदस्थ नया इंस्पेक्टर अजय देख रहा था ,उसे आज ही बुलाया गया था ताकि तुरंत ही जॉइन कर ले ,बेचारा अभी अभी तो सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग से इंपेक्टर बना था नई नई उम्र थी और ऐसी जगह ट्रांसफर कर दिया गया जंहा कोई भी नही आना चाहता था …
अजय ने डरते हुए वँहा के हेड कांस्टेबल राधे तिवारी से कहा
“पंडित जी ये मोंगरा कौन है “
“मत पूछिये इंस्पेक्टर साहब नाक में दम कर के रखा है इस लड़की ने ,कभी इसी गांव की एक नाजुक सी भोली भली परी हुआ करती थी,लेकिन हालात ने ऐसी पलटी खाई की आज लोग उसे खूबसूरत डकैत के नाम से जानते है ..”
अजय के मुह से आश्चर्य से निकाला
“खूबसूरत डकैत ???”
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रात के अंधियारे में झींगुरों की आवाजे फैल रही थी
छोटी छोटी पहाड़ियों के बीच कुछ लोग हथियारों के साथ खड़े या बैठे हुए थे एक छोटी सी गुफा नुमा जगह में एक बहुत ही हसीन लेकिन भरे हुए बदन की औरत लेटी हुई थी ,उसके पैरो के पास ही एक लंबा चौड़ा मर्द बैठा हुआ था जो उस लड़की के पैरो को दबा रहा था,कमरे में मशालों से थोड़ा उजाला था ,
उस आदमी की छाती चौड़ी और बालो से भारी हुई थी उसका बदन नंगा था और मशाल की रौशनी में चमक रहा था,वो कोई काम का देवता ही प्रतीत हो रहा था वही वो महिला भी किसी काम की प्रतिमा सी दिखाई दे रही थी ,बिल्कुल मांसल दार अंग जो की अपने गोर रंग और तेल के कारण चमक रहा था,हर अंगों में संतुलित भराव था,लेकिन कही भी मांस या चर्बी की अधिकता नही थी ,वो मर्द भी उसे ललचाई निगाहों से देख रहा था लेकिन किसी सेवक की तरह ही पेश आ रहा था,लड़की की आंखे बंद थी और उसका लहंगा उसके घुटने तक उठा हुआ था वही उसके ब्लाउज मे कोई भी चुन्नी नही थी जिससे उसके उन्नत उजोरो के बीच की खाई आसानी से दिख पा रही थी ,
वो मर्द उसके घुटनो तक ही तेल के साथ मालिस कर रहा था लेकिन लड़की के चहरे पर कोई भाव नही था जैसे वो कही खोई हुई हो ,आंखे तो बंद थी लेकिन चहरे पर एक चिंता की लकीर भी थी …
“सरदार आज कुछ चिंता में लग रही हो ,लगता है मेरे हाथो ने भी तुमपर कोई असर नही किया “
मॉंगरा के चहरे में मुस्कान आ जाती है ..
“हा रे बलवीर आज प्रभात सिंह को मारने के बाद भी मुझे चैन नही मिला ,पता नही ये चैन कब पड़ेगा …”
बलवीर जैसे धधक उठा था
“जब आप उस जमीदार के खून से नहाओगी “
मोंगरा उठ कर उसके सर को बड़े ही प्यार से सहलाने लगी
“सच कहा तूने “
वो उस लंबे चौड़े दानव की देह वाले मर्द को किसी बच्चे की तरह पुचकार रही थी ,और वो मर्द भी जैसे अपने मां के सामने बैठा हो ,वो किसी देवी की तरह उसे देख रहा था ,उसके आंखों में प्रतिशोध की ज्वाला थी लेकिन मोंगरा की आंखों में उसके लिए ममतामई प्रेम ही दिख रहा था ,चाहे वो कितनी भी क्रूर हो ,चाहे सरकार भी उससे ख़ौफ़ खाती हो लेकिन अपने गिरोह के लिए वो 22-23 साल की लड़की किसी देवी से कम नही थी और वो भी अपने गांव और गिरोह के सदस्यों को अपने बच्चों की तरह प्यार करती थी ,यंहा तक की 35 साल का भरा पूरा मर्द बलवीर भी उसके आगे उसका बच्चा लग रहा था …
वो उसे अपने सीने से लगा लेती है ,जैसे बलवीर उसकी बड़ी बड़ी छातियों में धंस जाता है ,वो अपने ब्लाउज के आगे के बटन खोलने लगती है और मानो दो फुटबाल उछाल कर बाहर आ गए हो ,जैसे उन्हें जबरदस्ती ही कस कर बांध दिया गया था ,