जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत complete

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josef
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Re: जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत complete

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ठाकुर के घर पूजा में सभी जाने पहचाने चहरे आये हुए थे,शहर से डॉ चूतिया और उनकी सेकेट्री मेरी भी पधारी थी,तिवारी जी भी आये हुए थे,प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री भी आये हुए थे,पुलिस विभाग के कई अधिकारी मुझे वंहा मिल गए ,ठाकुर जैसे अपने गुनाहों को साफ कर सभी से अच्छे रिश्ते बनाना चाहता था वो सभी से अच्छे से मिल रहा था मैंने अपने जीवन में उसे इतना नम्र कभी नही देखा था,साथ ही उसकी बीवी पूनम भी थी …...जब हम अंदर आये तो पूनम हमारे पास आ गई और चम्पा को देखते ही उसकी आंखों में आंसू आ गए ..

वो बार बार चम्पा के गालों को सहला रही थी ,तो कभी वो भावना पर भी अपना प्यार बरसाती ,भावना और चम्पा की भी आंखे गीली थी …..

मैंने इस हवेली के बारे में बहुत कुछ सुना था ,ऑफकोर्स कहानियों में लेकिन आज उसके अंदर आकर देख भी रहा था ,मैंने गौर किया जितना मैंने सोचा था ये उससे कही बड़ी थी ,मुझे याद आया की कैसे इसी हवेली में मोंगरा बड़ी हुई थी ,उससे पहले पूनम को कालिया ने इसी हवेली में प्रैग्नेंट किया था ,इसी हवेली के किसी कमरे में रोशनी और कनक को बंदी बनाया गया रहा होगा...मैं पूरी हवेली को ध्यान से देख रहा था तभी मेरे पास विक्रांत और डॉ आकर खड़े हो गए ..

“क्या देख रहे हो अजय ,”विक्रांत ने कहा

“कुछ नही फूफा जी बस ..”

“ह्म्म्म इसी हवेली में मेरा बचपन बिता और मैं यही जवान हुआ...इसी हवेली में मुझे मेरी कनक मिली “

विक्रांत ने एक गहरी सांस छोड़ी जैसे पुरानी यादों को वो बहुत मिस कर रहा हो

तभी मुझे हवेली के छत पर कोई इंसान की परछाई दिखाई दी …

“वंहा इस वक्त कौन होगा “अंधेरे के कारण मुझे साफ साफ कुछ नही दिख रहा था लेकिन मुझे इतना तो यकीन था की कोई व्यक्ति छत पर घूम रहा होगा ..

दोनों भी उस ओर देखने लगे

“होगा कोई हवेली का ही नॉकर ,यंहा बहुत से लोग काम करते है “

विक्रांत बोल उठा ………..

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पूजा खत्म हो चुकी थी कई मेहमान भी जा चुके थे ,पूनम और ठाकुर के विशेष अनुरोध पर कुछ लोग ही रुके हुए थे,सभी बड़े से हाल में बैठे बाते कर रहे थे ,मर्दों के लिए ड्रिंक्स की व्यवस्था की गई थी वही औरते आपस में ना जाने क्या बात करने में बहुत ही व्यस्त दिख रही थी …

डॉ,मेरी ,मैं ,चम्पा,विक्रांत ,भावना ,तिवारी के अलावा ठाकुर का एक अजीज दोस्त गृहमंत्री सेठ रुके हुए थे ..

“विक्रांत मैं चाहता हु की तुम बिटिया के साथ फिर से हवेली में आ जाओ “

पेग लगते हुए ठाकुर प्राण बोल उठा ,लेकिन विक्रांत बस अवाक उसके चहरे को देखने लगा जैसे उसे यकीन ही नही हो रहा था की उसे कोई ऐसा कुछ कहेगा …

“तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं हमेशा से ही तुमसे बेहद ही प्यार करता हु …”

विक्रांत कुछ भी नही बोल पाया बस उसके आंखों में आंसू ही थे …

थोड़ी देर बाद सभी ने मिलकर डिनर किया रात बहुत हो चुकी थी हम जाने वाले थे लेकिन ठाकुर ने हमे फिर से रोक लिया ,उसके हाथ में एक लड्डू का पैकेट था ,

“बातों बातों में हम प्रसाद लेना तो भूल ही गए “प्राण के होठो में एक मुस्कान थी सभी का उसपर ध्यान गया

“लाओ मैं बांट देता हु “

मंत्री सेठ ने उसके हाथो से वो पैकेट ले लिया और सभी को बांटने लगा ,सभी ने बारी बारी से वो लड्डू खा लिया था अंत में वो ठाकुर के पास पहुचा ,सभी की आंखे उस समय ठाकुर के ऊपर जम गई जब सेठ ने प्राण को लड्डू नही दिया बल्कि हम सभी को देखते हुए हँसने लगा …

सभी की आंखे फट रही थी ,जैसे कुछ समझ नही आ रहा हो की आखिर हुआ क्या …

“तुम सभी के कारण आज मेरी ये हालत हुई है आज मैं सबसे अपना बदला लूंगा “

अचानक ही प्राण के चहरे का भाव बदला और वो अट्हास करने लगा,मेरे तो जैसे पैरों से जमीन ही खिसक गई थी ,मुझे समझ आ चुका था की आखिर हमारे साथ क्या हुआ है ,मैंने खड़े होने की कोशिस की लेकिन ..

धड़ाम ..

मैं जमीन में गिर गया था यही हालात चम्पा और डॉ की भी थी जिन्होंने खड़े होने की कोशिस की थी ,मैं कुछ बोलने वाला था लेकिन लगा जैसे मुह खोलने तक की ताकत नही बची है ,पूरा शरीर शून्य पड़ने लगा था ,जैसे पूरा शरीर पड़ा तो है लेकिन उसपर अब मेरा कोई भी काबू नही रह गया ,मुझे सब दिखाई और सुनाई दे रहा था,मैंने अपना सर घुमा कर चम्पा की ओर देखना चाहा जो की मेरे पीछे ही जमीन में गिरी हुई थी लेकिन सर भी घुमा नही पाया,ठाकुर के इरादों की समझ मुझे आ चुकी थी ,और अपना अंत नजदीक ही दिख रहा था ,कुछ ही देर हुए थे की कानो में आने वाली आवाजे भारी होती गई ऐसा लगा जैसे वो दूर जा रही है आंखे भी ना चाहते हुए बंद हो रही थी ,उसे खोले रखने तक की ताकत मुझमें नही थी ,आखिर सब कुछ धुंधला हो चुका था और बस एक सेकेंड की बात और सारी आवाजे और दृश्य गायब हो गये ……….

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ना जाने कितनी देर हो चुकी थी ,मुझे लगा था जैसे मैं कभी आंखे नही खोलूंगा लेकिन मुझे होश फिर से आने लगा था ,मुझे कुछ कुछ आसपास का आभास होने लगा था ,आसपास कई लोगो की आवाजे आ रही थी जैसे बहुत भीड़ लगी हो ,मैंने धीरे से आंखे खोलने की कोशिस की मैं सफल भी हुआ ,सामने ऊपर छत दिखाई दे रही थी ,मैंने अपना गला मोड़ने की कोशिस की तभी किसी ने मेरे सर को अपने हाथो से उठाया ..

“रिलेक्स आराम से अभी कोई ताकत मत लगाइए आप ठीक है ..”

वो एक लड़की की आवाज थी मैंने देखा वो चहरा मैंने पहले कभी नही देखा था लेकिन उस सौम्य से चहरे में मुझे देखकर हल्की सी मुस्कान जरूर आ गई ,..

कुछ ही देर में मैं सामान्य हो चुका था और उस लड़की ने मुझे उठाकर बिठा दिया था …

“ये सब क्या हो रहा है “

मैंने उस लड़की से कहा जिसने एक डॉ वाला एप्रॉन पहने हुए था ,

“आप ठीक है आपको नशे की कोई दवाई खिलाई गई थी जिसके कारण आप बेहोश थे लेकिन अब आप होश में है ..”

मैंने नजर चारो ओर घुमाई सामने चम्पा मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी वही डॉ और विक्रांत भी होश में आ चुके थे और उन्हें भी डॉ उठाकर बिठा रहे थे ,बाकी के लोग अभी होश में नही आये थे जबकि तिवारी जी होश में आकर कुर्सी में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे…वो डॉ मुझे छोड़कर दुसरो के पास चली गई

“ये सब क्या है तिवारी और ठाकुर और सेठ कहा है “

तिवारी मेरी बात सुनकर मुस्कुराया जिससे मैं और भी अचंबित हो गया ,हम जैसे नया जन्म लेकर आये थे पता नही हम जिंदा क्यो थे ?क्योकि ठाकुर तो हमे मारने का प्लान बना ही चुका था…

तिवारी एक चाय का कप लेकर मेरे पास आ गया और मुझे दिया

“थोड़ा रिलेक्स हो जाओ सर ,जवाब बाहर है,पहले चाय पी लो थोड़ा रिलेक्स हो जाओ फिर बाहर चलते है “

मैं बिना कुछ बोले चाय पीने लगा ,वंहा कोई भी कुछ नही बोल रहा था,डॉक्टरो की टीम सभी के पास जाकर उनके नब्ज़ देख रही थी और उन्हें इंगजेक्सन लगा रही थी जिससे लोग फिर से होश में आ रहे थे ,वही कमरे के बाहर मुझे और भी हलचल दिखाई दे रही थी कुछ पुलिस वाले भी दिखे जिससे मेरी उत्सुकता और भी बढ़ रही थी ,चम्पा बिल्कुल ही रिलेक्स दिख रही थी वो आंखे बंद कर सोफे से टिकी हुई लेटी हुई थी हमारे बीच कोई भी बात नही हुई …

चाय खत्म कर मैं खड़ा होने की कोशिस करने लगा,तिवारी ने मुझे थोड़ा सहारा दिया मैं अब अपने पैरों पर आराम से खड़ा था ..

हम बाहर आये और बाहर बरामदे पर पहुचते ही मैं फिर विस्मय से भर गया,चारो ओर बस पुलिस ही पुलिस दिख रही थी ,यंहा तक की कमिश्नर भी आये हुए थे…..

पास ही खड़ा एक सिपाही पंचनामा बना रहा था,

“इधर दिखाओ “

मैंने उसके हाथो से वो पंचनामा पकड़ा ,मैं उसे पढ़ने लगा

“ये सब क्या ..ठाकुर और सेठ “

मैंने सिपाही को देखा

“जी सर दोनों कल रात आप लोगो को नशे की दवाई देने के बाद भारी शराब के नशे में छत से गिर कर मर गए …सीसीटीवी फुटेज से पता चला की इन दोनों ने मिलकर ही लड्डू में नशे की दवाई डालकर आप लोगो को खिलाया था ”

मैं अभी उसे देख रहा था तो कभी तिवारी को और कभी बरामदे में पड़े हुए उन दो लाशों को ……………...
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josef
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Re: जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत complete

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बात साफ थी पंचनामा बन चुका था सभी इस बात को मान भी चुके थे लेकिन मेरा दिमाग अब भी इस बात को सही मानने को तैयार नही था…

प्राण ठाकुर इतना भी चूतिया नही था की खुद ही अपने घर में सीसीटीवी कैमरा लगा कर अपने गुनाहों को रिकार्ड होने दे ,वही वो इतना बड़ा चूतिया भी नही था की अपने हाथ में आया हुआ इतना बड़ा मौका यू ही छोड़ दे ,उसके सारे दुश्मन उसके सामने ही थे,सभी लाचार थे वो हमारे साथ कुछ भी कर सकता था ,लेकिन किसी को कोई भी नुकसान नही हुआ था ,मैं ये बात कैसे मान सकता था की प्राण हमे बेहोश करने के बाद दो मंजिल चढ़कर छत में जाकर इतनी शराब पीता है की वंहा से गिर जाता है यही नही उसका दोस्त जो की एक मंत्री है वो भी ऐसी बेवकूफी कर डालता है……

मुझे इसके पीछे कोई बड़ी साजिश का आभास हो रहा था लेकिन मैं कुछ भी नही कर सकता था ,क्योकि मुख्यमंत्री ने भी केस वही क्लोज करने की बात कह दी ,इसके ऊपर अब कोई और इंवेस्टिगेसन नही होनी थी ,ऐसे भी चीजे बिल्कुल साफ थी,ठाकुर के पास हमे बेहोश करने की मजबूत वजह भी थी ,और मंत्री को ऐसे भी ठाकुर के गुनाहों में बराबर का हिस्सेदार रहा था जिसका पता सभी को था,लेकिन ठाकुर के कारण कोई उसे कुछ बोलता नही था……..

मैं अपने घर के सोफे में बैठा हुआ यही सब कुछ सोच रहा था तभी …

“क्यो जीजू क्या सोच रहे हो ,मेरे ख्याल से शादी की तैयारी के बारे में ही सोच रहे होंगे ..”

भावना की खनखनाती हुई आवाज मेरे कानो में पड़ी..

मैंने आंखे खोली तो सामने भावना और चम्पा थी ,शादी की बात सुनकर चम्पा थोड़ी शर्मा गई थी…

ठाकुर को मरे 5 दिन हो चुके थे,मैं और चम्पा दोनों ही बेहद बिजी थी कारण था की ठाकुर की अन्टोष्ठी का कार्यक्रम,विक्रांत और भावना हवेली में रहने चले गए थे,वही चम्पा भी उनके और पूनम के साथ वही रह रही थी ,डॉ और मेरी भी वही रह रहे थे वो शहर वापस नही गए थे,आज चम्पा और भावना चम्पा के कपड़े लेने यंहा आये थे …

“कुछ नही बस आओ बैठो ना “

“मैं अपने कपड़े समेटती हु तू अपने और अपने जीजू के लिए चाय बना ले “

चम्पा बेडरूम की ओर बड़ी

“अरे पूरे कपड़े ले जाने की क्या जरूरत है “

मैंने बैठे बैठे ही कहा

“जीजू अब तो ठाकुर नही रहे ,मोंगरा दीदी को दिए वचन का भार भी आपके ऊपर नही है ...तो ...तो अब चम्पा दीदी आपके साथ इस घर में तभी रहेंगी जब आप बारात लेकर हवेली आओगे और शादी करके इन्हें यंहा लाओगे ,समझे तब तक के लिए मैं अपनी दीदी को ले जा रही हु “

भावना मुस्कुराते हुए किचन की ओर चली गई

“ओह तो ये बात है …”

मैं भी मुस्कुराता हुआ अपने बेडरूम में गया जंहा चम्पा अपने कपड़े एक बेग में डाल रही थी मैंने उसे पीछे से जकड़ लिया

“अरे छोड़िए ना भावना आ जाएगी “

वो मेरी बांहों में ही मचली

“तुमने उस दिन कहा था की हवेली से वापस आते ही तुम्हारा श्रृंगार बिगाड़ दु लेकिन आज वापस आयी हो “

मैं उसके गले को चूमने लगा वो हल्के से हंसी और मेरी बांहों में कसमसाई

“क्या करू भावना और पूनम मा ने आने ही नही दिया ,और सुना ना भावना ने क्या कहा ,अब तो सुहागरात में ही मेरे दुल्हन वाला श्रृंगार बिगड़ना बच्चू “

वो कसमसाते हुए मेरे पकड़ से अलग हो गई और मुझे चिढ़ाते हुए जीभ दिखाने लगी

“अच्छा जी...ऐसे एक चीज बताओ की हमारी शादी मे मोंगरा और बलवीर आएंगे की नही “

मेरी बात सुनकर चम्पा के चहरे की हंसी गायब हो गई

“ये क्या बोल रहे हो “

“चम्पा मैं इतना भी बेवकूफ नही हु ,प्राण और सेठ ऐसे ही नही गिर सकते उन्हें किसी ने वंहा से प्लान करके गिराया है “

मेरी बात सुनकर वो थोड़ी मुस्कुराई

“आप और आपकी ड्यूटी बस हर समय यही चलते रहता है क्या ,अगर आपको लगता की उन्हें मोंगरा और बलवीर ने गिराया है तो ढूंढ लो उन्हें बात खत्म ...और अब कोई बहाने नही चलेंगे ठाकुर जा चुका है तो अब तुम्हे हमारी शादी के बारे में सोचना होगा ,वरना रहना यू ही अकेले इस घर में…….और शादी से पहले मुझे छूने की सोचना भी मत ..”

वो इठलाते और मुस्कुराते हुए वंहा से निकल कर किचन में जा घुसी ..

मुझे उसकी अदा पर बेहद ही प्यार आया मेरे होठो में मुस्कान भी आ गई लेकिन दिल के किसी कोने में एक टीस भी उठी की हो ना हो मोंगरा और बलवीर अब भी जिंदा है और उन्होंने ही ठाकुर को मारा है और मुझे लगता था की चम्पा ही नही भावना ,विक्रांत,तिवारी ,डॉ यंहा तक की पूनम भी इन सबमे शामिल थे ..

लेकिन मैं चाहते हुए भी कुछ नही कर पा रहा था ,किसी नतीजे पर बिना सबूत के पहुच जाना मेरी फितरत भी नही थी ,और ठाकुर कोई दूध का धुला भी नही था की मैं उसको इंसाफ ना दिला पाने की वजह से दुखी फील करू ,लेकिन मुझे सच जानना था क्योकि यही तो मेरा काम था ….

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ठाकुर को मरे हुए 30 दिन ही हुए थे की हवेली को दुल्हन की तरह सजाया गया ,वजह थी मेरी और चम्पा की शादी …

चम्पा का कन्यादान पूनम कर रही थी और शादी के जश्न में कोई कमी नही आ जाए इसलिए 10 दिन पहले से ही विक्रांत और डॉ दिन रात लगे हुए थे ,मेरे माता पिता भी वहां आ चुके थे,उनके अलावा मेरी तरफ से और कोई नही आया था कोई था भी तो नही ,मेरी बारात मेरे सरकारी क्वाटर से हवेली तक गई…

मेरे माता पिता कुछ ज्यादा ही खुश लग रहे थे,जबकि मुझे लगा था की मेरी शादी की बात सुनकर उन्हें शॉक लगेगा लेकिन ऐसा नही हुआ बल्कि अब मुझे पता चला की मेरे माता पिता पहले से सभी को जानते थे और इस रिश्ते से बेहद ही खुश थे ,वो लोगो से ऐसे मिल रहे थे जैसे उनका इनसे बहुत पुराना राब्ता रहा हो ..

तिवारी ने मुझे बताया की पहले मेरे माता पिता पिता जी के कारोबार के चाहते यंहा हवेली आया करते थे ,इसलिए जब मेरी मा पूनम से मिली तो गले मिलकर और गाला फाड़कर रोने लगी ,वही मेरे पिता जी जब विक्रांत ,डॉ और तिवारी से मिले तो बेहद ही आत्मीयता के साथ मिले..

इतने दिन हो गए थे मुझे यंहा काम करते लेकिन पिता जी ने कभी नही बताया था की उनका हवेली से और यंहा के लोगो से इतनी घनिष्ट जान पहचान थी ,मेरे पिता जी ने बस ये कहा की ठाकुर प्राण सही आदमी नही था और इसलिए तुझे कुछ नही बताया …

आखिर सब कुछ ठीक हो चुका था ….

मैं पूरी शादी यही इंतजार करता रहा की कही मोंगरा और बलवीर मुझे दिख जाए लेकिन ऐसा नही हुआ उनकी कोई सुगंध भी मुझतक नही आई …….

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josef
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हवेली का वो कमरा पता जो की बेहद ही बड़ा था ,बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया गया था ,कमरे के बीचों बीच एक गोलाकार बिस्तर था जिसपर मेरी दुल्हन सजी हुई और शरमाये हुए बैठी थी ,उसके पास ही कुछ लडकिया भी बैठी थी जिनमे एक भावना थी बाकी सब उसकी सहेलियां …

जाते ही वो मेरा टांग खिंचने लगी और मेरा पर्स खाली करवाकर ही दम लिया ,वो लोग हसंते हुए बाहर भाग गई …

चम्पा के साथ कई महीनों से मेरा जिस्मानी रिश्ता रहा था,हम साथ ही रहा करते थे लेकिन पता नही आज फिर भी मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था,मैं उसके पास ही बैठा हुआ था वो घूंघट में थी ,जब मैंने वो घूंघट उठाया तो मैंने उसकी आंखों में आंसू देखे …

“तुम रो रही हो ..”

उसने नजरे उठाई ,उसकी बड़ी बड़ी आंखे काजल के कारण और भी बड़ी लग रही थी,आंखों में अब भी पानी भरा हुआ था जो उसके साफ आंखों को और भी उजला बना रहा था,

“आज मुझे वो मिल गया जिसका मैंने इतने दिनों से सपना देखा था ,ये खुसी के आँसू है दुख के नही “

वो हल्के से मुस्कुराते हुए बोली और उसके इस भोलेपन में मैं अपना दिल हार बैठा,मेरे होठ उसके होठो के पास जाने लगे थे ,उसकी आंखे बंद हो चुकी थी जब हमारे होठ एक दूसरे से मिले..

और कुछ ही देर में ही कमरे में बस चूड़ियों और सिसकियों की आवाजे ही फैल रही थी …………..

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एक महीना बीत चुका था मेरे ट्रांसफर का आदेश आ चुका था और मेरे दिमाग से ठाकुर मोंगरा और बलवीर की बकरचोदी भी अब निकल गई थी ,

तिवारी जी ने भी अपना रिटायर ले लिया था,और भी अब नए जगह जाने से पहले कुछ दिन के लिए कही घुमकर आने की फिराक में था ,तो मैंने भी छुट्टी का आवेदन डाल दिया जो की सक्सेस भी हो गया …….

मैंने चम्पा को बता दिया था की मैं एक महीने की छुट्टी ले रहा हु ,जब मैं घर आया तो माहौल ही अलग था ,मेरे आते ही चम्पा मुझसे लिपट गई …..

“अरे क्या हुआ “

“जीजू आप लोगो की लाटरी लगी है “भावना खुसी से झूम रही थी

“क्या ???”

मैं चौका

“हा आपको याद है हमने कुछ दिन पहले ही एक ट्रेवल एजेंसी की लाटरी ली थी माल से “

चम्पा ने मुझे याद दिलाया ,एक शाम हम माल घूमने गए थे और वंहा एक काउंटर में नए खुले एक ट्रेवल एजेंसी वाले लॉटरी बेच रहे थे,लक्की विनर को कनाडा का ट्रिप फ्री था ..

“हा याद आया तुमने वो खरीदी थी राइट,क्या नाम था एजेंसी का ??”

मैं याद करने की कोशिस करने लगा

“मिस एंड मिस्टर भल्ला ट्रेवल एजेंसी ..हम वो जीत गए “

चम्पा के चहरे में आपर खुशी थी साथ ही मैं भी खुश हो गया

“वाओ क्या बात है आज ही मेरी छुट्टी भी मंजुर हो गई ऐसे कब निकलना है ..और कितने दिन का ट्रिप है “

“वही 10 दिन 10 रात का ,और हमे आज ही रात को निकलना होगा “

अब ये प्रॉब्लम आ गई

“लेकिन वीसा वगेरह “

मैंने अपनी दुविधा बताई

“ओहो जीजू डोंट वारी पासपोर्ट रेडी था तो वीसा का जुगाड़ डैडी ने कर दिया है ,आज रात मुम्बई के लिए निकलो वंहा से कल सुबह की फ्लाइट है “भावना की बात से मैं ताज्जुब में पड़ गया लेकिन फिर मुझे याद आया की ठाकुर विक्रांत के भी बहुत कनेक्शन्स है …

*************

जब हम वंहा पहुचे तो एक बड़ी सी गाड़ी हमारे स्वागत के लिए लग गई थी ,वंहा से हमे एक होटल ले जाया गया ,जंहा हमे बताया गया की ट्रेवल कंपनी के मालिक मिस्टर और मिसेज भल्ला पर्सनली हमसे मिलने आने वाले है ,

मुझे ये सब थोड़ा अजीब जरूर लग रहा था लेकिन मैंने सोचा की हो सकता है की क्लाइंट रिलेशन शिप मेंटेन करने के लिए ये सब किया जा रहा होगा…

हम सफर से बहुत ही थक चुके थे तो हमने भी आराम करने की सोची ..

शाम होने पर हम होटल के एक हिस्से में गए जंहा हमसे मिसेज और मिस्टर भल्ला मिलने वाले थे,मैं नार्मल टीशर्ट जीन्स में था वही चम्पा ने फूलों वाली एक स्कर्ट डाल रखी थी ,हमारे टेबल से नजारा बेहद ही शानदार दिख रहा था ,सामने समुंदर था और ठंडी हवाओ का सुकून भी …

मैं चम्पा का हाथ पकड़े हुए कुछ बैठा हुआ समुंदर को ही देख रहा था ,

“यार ये लोग कितने समय आएंगे ,मैं वाशरूम से आती हु “

चम्पा मुस्कुराते हुए वंहा से चली गई..

मैं अब भी समुद्र को देख रहा था,साथ ही मैंने दो विस्की के ऑर्डर भी दे दिए ,ऐसे सुनहरे मौसम में और सुकून भरे जगह में बैठकर विस्की पीने का आनंद ही कुछ और था ..

मैं आराम से चुस्कियां ले रहा था ,5 मिनट ही हुए थे की चम्पा वापस आकर मेरे पास बैठ गई …




josef
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Re: जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत complete

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उसने मेरे हाथो में अपना हाथ रखा ..

“वो लोग अभी तक नही आये ना “

उसकी आवाज सुनकर मैंने उसकी ओर देखा ,वो मुझे मुस्कुराते हुए देख रही थी ,उसकी प्यारी सी मुस्कुराहट को देखकर मैं भी मुस्कुरा उठा ……

मैं उसे बहुत ही बारीक नजरो से देख रहा था हमारी आंखे मिल गई और मेरी मुस्कुराहट और भी गहरी हो गई

“क्या हुआ “

उसने मुझे यू देखता पा कर कहा

“मुझे पता था और अब यकीन हो गया है “

उसने मुझे थोड़े आश्चर्य से देखा

“किस बात पर ..”

मेरे होठो की मुस्कान और भी गहरी हो गई

“की तुम दोनों जिंदा हो “

उसने मुझे अजीब निगाहों से देखा

“तुम ठीक तो हो,क्या हो गया है तुम्हे “

उसकी बात सुनकर मैं जोरो से हँस पड़ा

“अब बहुत हो गया मोंगरा ,अब मैं अपनी जान को आंखे बंद करके भी पहचान सकता हु “

मेरी बात सुनकर उसके होठो में भी मुस्कान खिल गई जो और भी चौड़ी हो गई ..

“बलवीर कहा है ??”

उसने मेरे सवाल का कोई जवाब नही दिया बल्कि हाथ से एक ओर इशारा किया ,उधर से चम्पा और बलवीर चलते हुए आ रहे थे दोनों के होठो में मुस्कान थी ,चम्पा और मोंगरा ने एक ही ड्रेस एक ही तरीके से पहन रखी थी ,

बलवीर पूरे सूट बूट में था,उसका धाकड़ शरीर पर वो कपड़े कसे हुए थे वो कोई बड़ा बिजनेसमैन ही लग रहा था …

“तुम जीत है इसने तो मुझे देखते ही पहचान लिया “

मोंगरा की बात सुनकर चम्पा खुशी से उछल पड़ी

“देखा मैंने कहा था की मेरा अजय अब धोखा नही खायेगा “

वो आकर मुझसे लिपट गई ,वही थोड़ी देर बाद ही बलवीर ने मेरे तरफ हाथ बढ़ाया और मेरा हाथ खिंचते हुए अपने सीने से लगा लिया ,

“कितने दिन से मैं तुम्हे अपने सीने से लगाना चाहता था भाई “

उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा चौका जरूर लेकिन ज्यादा ध्यान नही दिया

अब हम चारो आराम से वंहा बैठे अपना ड्रिंक इंजॉय कर रहे थे ..

“मुझे तुम लोगो से बहुत कुछ पूछना है”

आखिर मैं अपने को कब तक रोक पाता ..

“अरे पूछ लेना यार ,मेरी बहन इतने दिनों बाद मुझे मिली है थोड़ी बात तो करने दो “

मोंगरा ने मुझे झड़पा और चम्पा हँस पड़ी

“ऐसे तुम्हारे लिए कई सरप्राइज है हमारे पास “

चम्पा ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा

“तू तो बेटा मुझे रात में मिल “

मैंने उसे तिरछी निगाहों से देखा और वो थोड़ी शर्मा गई लेकिन तुरंत ही मुझे अपना जीभ दिखा गई ..

थोड़ी देर तक चम्पा और मोंगरा दुनिया जहान की बाते करते रहे वही बलवीर के मुझे एक अजीब बदलाव दिख रहा था वो मुझे बड़े ही प्यार से देख रहा था …

कुछ देर के बाद मैं फिर से फुट पड़ा

“अब तुम दोनों का हो गया हो तो ये तो बता दो की ठाकुर को तुमने कैसे मारा ?? मेरा तो सोच सोच कर ही सर दर्द हो गया है ,और इतनी ऊँचाई से गिरने के बाद तूम दोनों बच कैसे गए ,जबकी मेरी गोली भी तो तुम्हे लगी थी …???”

मेरी बात सुनकर मोंगरा थोड़ा मुस्करा दी …

तभी एक वेटर वंहा ड्रिंक लेकर आया

“इसे पहचानते हो “मोंगरा ने वेटर के तरफ इशारा किया

“सलाम साब ..”

ऐसे तो वेटर पूरे कोर्ट टाई पहने हुए था लेकिन जब वो हंसा तो तम्बाकू से लाल हुए दांत दिख ही गए

“ह्म्म्म तुम्हारे ही गैंग का मेंबर है ,यानी सब को यंहा बुला लिया है ,इतना कुछ कर लिया तो इसके दांत भी साफ करवा देती “

मेरी बात सुनकर सभी हँस पड़े

“दो दिन बाद ही अपॉइमेन्ट है साहब डेंटिस्ट के पास,जेल से छूटकर सीधे यंहा ही आ गया “

वो फिर से दांत दिखता हुआ वंहा से चला गया

“तुमने मेरे सवाल का जवाब नही दिया मोंगरा “

मोंगरा ने अंगड़ाई ली

“तुम्हे समझ जाना चाहिए की हम सबने मिलकर ये किया है “

“हा इतना तो समझ आ ही गया लेकिन कैसे ??”

वो फिर से मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगी ..

“जब तुमने वंहा मुझे घेरने का प्लान बनाया और ठाकुर के लोगो को भी बुलाया तो,हमे ये पहले से पता था की तुम छूटते ही ऐसा कुछ करोगे,और जिंदा रहते हुए मैं ठाकुर तक नही पहुच पा रही थी तो मरना ही मैंने भी मरना ही ठीक समझा ,चम्पा ने मेरे भेस में जाकर तुम्हे छुड़ा लिया ,तुमने सोचा था की पुलिस काफी नही होगी तो ठाकुर के लोग नीचे हो घेर कर रखेंगे ,और तुमने उन्हें भी बुला लिया,तुम्हारे प्लान बनाते समय मैं वही मौजूद थी तुमसे थोड़ी ही दूर में ,तिवारी जी और डॉ के पास रखे माइक से तुम्हारी हर बाते सुन रही थी ,मुझे पता था की रणधीर कभी भी नीचे बैठ कर मुझे गिरफ्तार होने नही देगा वो ऊपर आकर मुझे मरना चाहेगा हमने इसी बात का फायदा उठाया ,प्लान तो मेरे और बलवीर के मारने का और ऊपर से गिरने का पहले ही बन चुका था,तो नीचे सारे इंतजाम कर दिए गए थे,खाई के नीचे हमने जाल और पेड पहले भी बिछा दिए गए थे,क्योकि पैराशूट वंहा काम नही कर पाता,हमने इसकी एक दो बार प्रेक्टिस भी कर ली थी ताकि समय आने पर हम परफेक्ट लैंडिंग कर सके …

अब जब रणधीर ऊपर जा रहा था तो तुम्हारे जाने के बाद मैं फिर से डॉ ,तिवारी जी और चम्पा से मिली ,तिवारी जी ने मुझे बताया की तुम उनकी ही गन अपने साथ ले गए हो जिसमे नकली गोलियां उन्होंने पहले से ही भर कर रखी थी,बस बात रणधीर की थी की उसका क्या करना है ,वो अपनी असली गोली ही चलाएगा इसलिए हमने फैसला किया की उसके आने तक और अटैक करने तक मैं अजय से बच कर रहूंगी जबकि बलवीर ऐसी जगह खड़ा होगा जंहा से उसको गोली मारने से रोका जा सके ,और फिर मैं अपनी गोलियां उसके ऊपर उतार दूंगी ,बदले में तुम्हारे पास कोई चारा नही बचेगा मुझे गोली मारने का,मुझे गोली लगेगी जो की नकली गोलियां होंगी और मैं नीचे गिरूँगी और साथ ही बलवीर भी मेरे पीछे कूद जाएगा ,बस वही हुआ बात खत्म ……..”

ऐसे तो मेरे होठो पर मुस्कान थी लेकिन मैं अपने काम का पक्का इंसान था अगर ये इंडिया होता तो मैं अब तक इन्हें गिरफ्तार कर चुका होता ,मैंने एक गहरी सांस ली ,साले सब ने मिलकर मुझे अच्छा चूतिया बनाया था ……..

“और ठाकुर ..??”

“हम्म ठाकुर ..हमने बहुत सोचा की आखिर उसे कैसे मारा जाए,तब तक बलवीर छिपकर वही था और ठाकुर के ऊपर नजर रखे था लेकिन वो हवेली में घुसकर उसे नही मार सकता था ..”

“बलवीर वही था मतलब ??तुम कहा थी ..??”

मैं थोड़ा चौका

“अरे मैं कनाडा में जो थी ,यार तुम्हारी बीवी को मल्टीनेशनल कंपनी ने जॉब आफर किया था भूल गए क्या ??”

मैं कभी मोंगरा को तो कभी चम्पा को अवाक सा देख रहा था ..

“मतलब तुम ,चम्पा की जगह उस जॉब को जॉइन कर के यंहा आ गई “

“हम्म इंटरव्यू देना और जॉब लगाना कठिन होता है जॉब करना नही “मोंगरा जोरो से हँस पड़ी

“ऐसे भी कोई खास काम तो था नही इसका अगर प्रॉब्लम होती है तो चम्पा से पूछ लेती हु,यंहा आकर सब कुछ सेटल भी तो करना था,ये होटल फूफा जी के दोस्त का है उनकी मदद से बाकी लोगो को भी यंहा सेट करते गई और अब बलवीर यंहा का मैनेजर है …”

“बस ये साल इंग्लिश बोलना बड़ा कठिन काम लगता है,ऐसे यंहा आधे ही पंजाबी है “अचानक ही बलवीर बोल पड़ा और सब हँस पड़े

“अरे वो सब छोड़ो ठाकुर ..वंहा फोकस करो “मैं फिर से बोला

“हम्म तो बलवीर वंहा था और तब हमे पता चला की ठाकुर घर में पूजा कर रहा है और सभी को बुलाया है,अब ठाकुर इतना शरीफ हो जाए और सभी से दोस्ती करने की सोचे ये तो अजीब बात थी वो भी अपने बेटे के मरने के बाद ...नही ऐसा तो नही हो सकता था हा ये जरूर हो सकता था की वो सबसे बदला लेना चाहता हो और कोई षडयंत्र कर रहा हो ,तो बलवीर को हवेली में घुसना ही पड़ा,वंहा कुछ लोग हमारे वफादार थे जो की पूनम मौसी के लोग थे और कुछ बलवीर और मेरे बचपन के दोस्त थे,वो हमारा बहुत साथ तो नही दे सकते थे लेकिन उनकी मदद से हवेली में घुसा तो जा सकता था,बलवीर और पूनम मौसी ने मिलकर पता लगाया की आखिर ठाकुर करने क्या वाला है,कुछ पता नही चला सिवाय इसके की गृहमंत्री सेठ ठाकुर से एक दिन पहले मिलने आया था ,प्राण ने अपनी सुरक्षा बड़ा रखी थी और पूनम को भी अपने पास नही फटकने दे रहा था ,तो हमारा टारगेट था सेठ …

सेठ रसिक आदमी था और ये हमारे लिए एक अच्छी बात थी ,उसकी एक पुरानी रखैल थी जिसका उसके घर रोज का ही आना जाना था हमने उसे पकड़ा ,अच्छे पैसे दिए ताकि वो सेठ को अच्छे से दारू पिलाये और डॉ चूतिया और उसकी असिस्टेंट को वंहा आने दे बस…

डॉ चूतिया ने जाकर उस इंगजेक्सन का प्रयोग किया जो पुलिस वाले कैदियों से सच बुलवाने के लिए प्रयोग में लाते है और साले ने सब कुछ उगल दिया,उसे सुबह याद भी नही था की उसने क्या किया था,सुबह सब कुछ ठाकुर के प्लान के मुताबिक ही होने दिया गया ,सभी को उसने दवाई खिलाई और बेफिक्र हो गया ,दोनों ही आराम से बैठे अपने जीत का जश्न मना रहे थे लेकिन उन्हें पता नही था की बलवीर काल बनकर छत में उनका इंतजार कर रहा था ,प्राण और सेठ चम्पा और भावना से अपनी हवस मिटाने के फिराक में थे तभी बलवीर वंहा आ धमका ,उसे देखकर ऐसे भी दोनों का पेंट ही गीला हो गया था क्योकि उन्होंने सोचा था की जब सब ही बेहोश है तो उन्हें किसी बॉडीगार्ड की जरूरत नही है उन्होंने सभी को बाहर भेज दिया था ,और बलवीर ने वही किया जो उसे करना था पहले उन्हें बांध कर छत में ले गया वंहा बिठाकर अच्छे से दारू पिलाई और फिर छत से फेक दिया ,और रात में ही वंहा से निकल कर यंहा आ गया ………..”

मोंगरा की बात से वंहा शांति सी छा गई थी,मोंगरा ने थोड़े देर रुककर फिर से बोलना शुरू किया

“मैं उसे अपने हाथो से मरना चाहती थी लेकिन क्या करे सभी चीजे अपने हाथो में तो नही होती ,ऐसे मुझे खुशी है की मेरे बलवीर ने ये काम पूरा किया “

उसने मुस्कुराते हुए बलवीर की ओर देखा ,बलवीर भी मुस्कुराते हुए उसे ही देख रहा था

“तुम दोनों खूनी हो ,मैं तुम्हे इसकी सजा दिलाकर रहूंगा “

मेरा पुलिसिया जामिर ना जाने कैसे फिर से जाग गया था

लेकिन वो दोनों ही हंसे

“मरे हुए लोगो को कैद नही किया जाता इंस्पेक्टर बाबू ..”

मोंगरा जोरो से हंसी और साथ ही चम्पा भी मुझे अब चम्पा पर गुस्सा आ रहा था क्योकि वो भी मोंगरा के साथ हँस रही थी ,ऐसे वो भी तो इस खेल में शामिल थी ….

“तुम बहुत ही ईमानदार हो अजय ,ऐसे ईमानदारी हमारे खून में है हमारे पिता ठाकुर के ईमानदार थे ,मैं मोंगरा का और तुम पुलिस के “

बलवीर ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा लेकिन उसकी बात सुनकर मैं बहुत ही बुरी तरह से चौका था..

“क्या ..ये क्या बक रहे हो ??”

मैंने अपना सर झटका

लेकिन वो ही नही बल्कि चम्पा और मोंगरा भी मुस्कुरा रहे थे ..

“ये सच है अजय ,परमिंदर भल्ला ही प्रवीण शर्मा है..”

चम्पा की बात सुनकर मैं कुछ देर के लिए उस समय में खो गया जब मेरे पिता और माँ शादी के समय हवेली गए थे,वो सभी से इतनी आत्मीयता से मिल रहे थे

मैं बलवीर को देख रहा था उसकी आंखों में आंसू था..

“ये बात मुझे भी नही पता थी भाई लेकिन पिता जी से मर संपर्क तब से था जब उन्होंने ठाकुर का काम छोड़ शहर जाने का फैसला किया,तब तुम छोटे थे और हमारी नानी के पास रहते थे,तुम्हे कभी भी हेवली नही लाया गया था क्योकि मा नही चाहती थी की तुमपर इन सबका साया पड़े ,और तुम्हारे ही भविष्य के कारण मा के पिता जी को ठाकुर का काम छोड़ने को मनाया था…...शहर जाने के बाद पिता जी ने अपना नाम बदल दिया और एक आम इंसान की जिंदगी जीने लगे,वही तुम्हारी परवरिश हुई,लेकिन पिता जी मेरे संपर्क में थे,उन्होने बताया की मेरा भाई यानी तुम पुलिस में चले गए हो और तुम भी हमारी ही तरफ अपने काम के प्रति बेहद ही वफादार हो ,लेकिन वक्त को ना जाने क्या मंजूर था कि तुम्हारी पोस्टिंग हमारे थाने में हो गई ,बहुत दिनों तक तो मुझे भी नही पता था की मेरा भाई ही थाने का वो पुलिस वाला है जिसपर मोंगरा फिदा हो गई है ,लेकिन फिर जब मेरी पिता जी से बात हुई तो मुझे पता चला की तुम ही मेरे भाई हो ये बात मैंने मोंगरा को बताई और तब उसे अपने और तुम्हारे जिस्मानी रिश्ते पर बड़ा ही दुख हुआ लेकिन फिर उसने चम्पा को यंहा लाने का फैसला किया ,बाकी का तो तुम जानते ही हो ….”

मैं बलवीर की बात सुनकर किसी और ही दुनिया में पहुच गया था

“लेकिन मुझे इन सबका पता कैसे नही चला “

मैं जैसे अपने ही आप से पूछ रहा था

“पता कैसे चलता सर जी हमने पता चलाने ही कहा दिया “

ये आवाज मेरे पीछे से आ रही थी ,जिसे मैं इतने अच्छे से जानता था की आंखे बंद कर भी पहचान सकता था ,मैं पीछे मुड़ा

“तो आप भी यही है तिवारी जी “

तिवारी हंसते हुए आया पास आया ,मैं बलवीर को और बलवीर मुझे देख रहा था,अचानक ही हम दोनों जोर से गले मिल गए और वही तिवारी ने एक सीट पकड़ कर बैठ गए थे ..

“ओहोहो कितना मधुर मिलन है ,इसी बात में थोड़ी दारू हो जाए मोंगरा बेटी “

तिवारी की बात सुनकर मोंगरा ने मुस्कुराकर पास खड़े एक वेटर को इशारा किया

“अच्छा चूतिया बनाया आप लोगो ने ,पापा तो पापा मा ने भी भनक नही लगने दी “

मैं जैसे खुद से ही बोल रहा था लेकिन मेरे दिल और चहरे में बस खुशी ही खुशी थी

“अरे सर अगर आप को बता देते तो क्या आप ये सब होने देते,परमिंदर भी जानता था और हम भी की उसका खून कभी अपने काम से गद्दारी नही करेगा ,सब सच जानते हुए भी आप अपने काम की ईमानदारी के कारण मोंगरा और बलवीर को सलाखों के पीछे पहुचाने में लगे रहते और इसका फायदा वो ठाकुर उठा ले जाता ...तो कहते है ना की अंत भला तो सब भला और जय हो परमिंदर भल्ला और जय हो बलवीर भल्ला “

तिवारी ने सामने रखा एक पैक एक ही झटके में अपने गले से उतार लिया …



*********समाप्त***********

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SATISH
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Re: जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत complete

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(^^^-1$i7) 😒 (^@@^-1rs((7)
आपका बहुत बहुत धन्यवाद जोसेफ़ भाई जो आपने यह कहानी पूरी की बहुत मस्त समापन किया आपने 😋
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