जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत complete

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bharat shah
Posts: 7
Joined: 31 Mar 2017 08:32

Re: जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत

Post by bharat shah »

mast ........ maja aa gaya bhai
josef
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Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत

Post by josef »

बलवीर थोड़ा चिंतित तो था लेकिन मोंगरा के सामने वो क्या कह सकता था ...
जोरो की बारिश सुबह से ही हो रही थी और अजय चम्पा से मिलने को बेताब था,वो अपनी बाइक उठाकर सुबह ही चम्पा से मिलने चला गया ,वँहा जाकर देखा तो उसके दिल में खुसी की लहर दौड़ गई और साथ ही एक टीस भी उठी ,खुसी इसलिए क्योकि चम्पा एक पेड़ के नीचे दुबकी हुई खड़ी थी ,बारिश बहुत ही तेज थी ,जंगल की बारिश ऐसे भी बहुत ही डरावनी होती है वो भी तब जब अभी सूरज पूरी तरह से नही निकला हो ,और टिस उसके दिल में इसलिए उठी क्योकि उसे देख कर ही लग रहा था की वो सिर्फ इसलिए आयी थी क्योकि वो जानती थी की अजय भी यंहा आएगा ,उसके चहरे में हल्का गुस्सा था और वो झूठी नाराजगी का भाव जिसमें बहुत सा प्यार मिला हो ,नाराजगी इसलिए क्योकि अजय को आने में देर हो गई थी …
अजय मुस्कुराते हुए उसके पास पहुचा ,वो ठंड से कांप रही थी ,अजय ने तुरंत ही अपने बेग जो वो अपने साथ लाया था उसे खोलकर एक रेनकोट निकाला और उसे पहना दिया ,
“कितनी देर लगा दी ??”
चम्पा ने तुरंत ही कहा
“तुम्हे क्या जरूरत थी इतनी बारिश में इतनी सुबह यंहा आने की “
दोनो ने एक दूसरे को देखा
चम्पा के चहरे में हल्की सी मुस्कान आ गई
“क्योकि मुझे पता था की तुम यंहा जरूर आओगे ..”
चम्पा के आंखों से एक आंसू भी निकला था जो बारिश में धूल गया ,अब उसके होठो में बस एक मुस्कान थी ,अजय का मन किया की वो वही उसके होठो से अपने होठो को मिला दे लेकिन उसने अपने को काबू कर लिया था..
“तो अब तो पूरी ही भीग गई हो ,और ठंड से कांप भी रही हो चलो तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ दु “
चम्पा जोरो से हँस पड़ी
“मेरे घर तक ये मोटर नही जाएगी साहेब …”
“तो मेरे घर चल ऐसे भी तेरे लिए बहुत से कपड़े लाया हु “
अजय की बात से चम्पा अपनी बड़ी बड़ी आंखों से अजय को देखने लगी ,
उसका रूप देखकर अजय हमेशा की तरह ही मोहित था ,बारिश की झमाझम के शोर में उस जंगल में दोनो ही एकांत में थे कोई और होता हो जरूर ही कोई फायदा उठाने की कोशिस करता,ऐसे अजय के लिंग ने भी विद्रोह कर दिया था वो भी अपने पूरी ताकत से खड़ा हुआ था ,और वही चम्पा की योनि ने भी पानी छोड़ा था ,जो की बारिश के पानी से भीगी उसकी साड़ी में कही गुम होकर रह गई थी ..
लेकिन दोनो ने ही अपने को काबू में रखा था ,पता नही कब और कौन सी एक चिंगारी उस ज्वालामुखी को फोड़ देती,
“तुम्हारे घर जाना क्या सही रहेगा .लोग क्या बोलेंगे “
चम्पा थोड़ी शर्मायी
“हम लोगो की फिक्र करेंगे तो लोग हमे जीने ही नही देगें ,जो बोलना है बोले ,मेरे सामने तो नही कह सकते ना,जब मैं सही हु तो मैं क्यो डरु”
अजय की बात सुनकर चम्पा का चहरा खिल गया ..
“और अगर तुम अपने घर लेजाकर मेरे साथ कुछ ...यानी वो सब ..यानी कुछ करने की कोशिस करोगे तो “
चम्पा बुरी तरह से शर्मा रही थी और अजय बस उसकी अदाओं में खो गया था,दोनो ही बस चाह रहे थे की कोई तो शुरवात करे कोई भी पीछे नही हटता लेकिन शुरुवात करना ही तो सबसे बड़ी मुश्किल होती थी …
“अगर करना होता तो यही नही कर लेता …”
अजय ने हल्के से कहा और चम्पा और भी शर्मा गई ..
चम्पा की मौन स्वीकृति मिल चुकी थी ,अजय भीगता हुआ गया और अपनी बाइक स्टार्ट कर दी..
चम्पा भी उसके पीछे आकर बैठ गई…
ये पहला मौका था जब अजय को चम्पा पर शक हुआ ..
क्योकि चम्पा ऐसे बाइक में बैठी जैसे उसे बाइक में बैठना आता हो …
अजय भले ही चम्पा के नशे में था लेकिन फिर भी उसका खोजी दिमाग जो की एक इंस्पेक्टर का होना चाहिए और जिसके लिए उसे ट्रेनिगं मिली थी वो बार बार कह रहा था की कुछ तो झोल है,क्या उसे चम्पा से पूछना चाहिए की जंगल में रहते हुए ऐसा कोन है जिसके साथ वो बाइक में बैठी है ???
लेकिन उसे इतनी हिम्मत नही हो पा रही थी ..
दोनो ही आगे निकल गए और चम्पा ने अपना हाथ अजय के कमर में कस दिया ,उन जंगली उबड़ खाबड़ रास्तों में चलते हुए अजय की उत्तेजना का भाव कही गायब हो गया था वो चम्पा की हर एक मूवमेंट को बड़े ही ध्यान से नोटिस कर रहा था ,वही शायद चम्पा को भी उसके दिल की बात समझ में आ गई थी ..
“सालो के बाद किसी के साथ बैठी हु ..पहले पिता जी ले जाय करते थे,जबसे पिता जी का देहांत हुआ और मोंगरा डाकू बन गई बाहर की दुनिया देखने को भी नसीब नही हुआ “
अजय के मन में उठ रहे विचार अचानक ही शांत हो गए ..
लगा जैसे सभी सवालों का जवाब मिल गया हो …
दोनो ही अजय के सरकारी क्वाटर तक पहुचने तक शांत ही रहे ..
अजय ने जल्दी से घर को खोला
लगभग 5.30 हो चुका था लेकिन बारिश रुकने का नाम ही नही ले रही थी दोनो ही पूरी तरह से भीग चुके थे साथ ही ठंड के मारे कांप रहे थे ..
अंदर आते ही अजय ने वो कपड़े चम्पा के सामने रख दिए जिसे उसने उसके लिए लाये थे ,उसे देखकर चम्पा के चहरे में मुस्कान आ गई लेकिन वो कुछ भी नही बोली
“तुम्हे जो पसंद है वो पहन लो ,और मैं चाय बनाता हु बहुत ठंड लगी है “
चम्पा हँस पड़ी
“क्या हुआ ???”
अजय ने बड़े ही सवालिया नजरो से उसे देखा
“सामने शराब की बोतल रखी है और तुम चाय के पीछे पड़े हो “
वो और भी जोरो से हँसी, अजय के कमरे के टेबल में एक आधी विस्की की बोतल रखी थी ,
“तुम पीती हो ??”
अजय ने सवालिया अंदाज में चम्पा से कहा
“बड़े अजीब मर्द हो तुम भी जवान लड़की सामने है और गर्मी लाने की लिए तुम चाय और विस्की की सोच रहे हो”
अजय दंग सा वही खड़ा रहा लेकिन चम्पा मुस्कुराते हुए चुपचाप एक साड़ी उठाकर एक कमरे के अंदर चली गई ……
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