कामिनी की कामुक गाथा

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SATISH
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Re: कामिनी की कामुक गाथा

Post by SATISH »

हमारे इतने रोमांचक कामुकता भरे खेल में खलल पड़ने से मैं बुरी तरह झल्ला गई थी। उसी तरह नंगधड़ंग अवस्था में उठ खड़ी हुई और उन गुंडों पर बरस पड़ी।
“मादरचोदो इन बूढ़ों पर मर्दानगी दिखा रहे हो? दम है तो मुझसे लड़ो।” मैं गुस्से में बोली।
“इस लौंडिया को तो मैं देखता हूं” बोलता हुआ सबसे कम उम्र का लड़का मेरी ओर झपटा। जैसे ही मेरे करीब आया, मेरे पैर का एक करारा किक उसके पेट पर पड़ा, वह दर्द से पेट पकड़कर सामने झुका तो मेरे घुटने का प्रहार उसके थोबड़े पर पड़ा और वह अचेत हो कर पर जमीन पर लंबा हो गया। अब मैं बिल्कुल जंगली बिल्ली बन चुकी थी। उनका हट्टा कट्टा लीडर यह देखकर गाली देता हुआ मेरी ओर बढ़ा, “साली रंडी अभी तुझे बताता हूं। तेरी तो,….” उसकी बाकी बातें मुंह में ही रह गई। मैं ने दहिने हाथ की दो उंगलियां V के आकार में कर के सीधे उसकी दोनों आंखों में भोंक दिया, उतने ही जोर से जितने में उसकी आंखें भी न फूटें और कुछ देर के लिए अंधा भी हो जाए। वह दर्द से कराह उठा, “आ्आ्आह”, इससे पहले कि वह सम्भल पाता मेरे मुक्कों और लातों से पल भर में किसी भैंस की तरह डकारता हुआ धराशाई हो कर धूल चाटने लगा। बाकी दोनों लफंगों नें ज्यों ही इधर का नजारा देखा, बूढ़ों को छोड़कर मेरी ओर झपटे। उनकी आंखों में खून उतर आया था। एक के हाथ में बड़ा सा खंजर चमक रहा था। अबतक मैं मासूम कोमलांगिनी से पूरी खूंखार जंगली बिल्ली बन चुकी थी। मेरे बूढ़े आशिक मेरे इस बदले स्वरूप को अचंभित आंखें फाड़कर देख रहे थे।
“साली हरामजादी कुतिया, अभी के अभी यहीं तुझे चीर डालूंगा” कहता हुआ चाकू वाला, चाकू का वार मेरे सीने पर किया मगर मैं नें चपलतापूर्वक एक ओर होकर अपने को बचाया और दाहिने हाथ से उसके चाकू वाले हाथ की कलाई पकड़ कर घुमा दिया। अपनी फौलादी पकड़ के साथ उसके हाथ को इतनी जोर से मरोड़ा कि हाथ मुड़कर पीठ की ओर घूम गया और दर्द के मारे चाकू नीचे गिर पड़ा। दूसरा गुंडा जैसे ही मेरे पास आया, मेरा एक जोरदार किक उसकी छाती पर पड़ा और उसका शरीर भरभरा कर दस फीट दूर जा गिरा। मेरी गिरफ्त में जो गुंडा था उसे मैं ने सामने ठेलाऔर एक लात उसके जांघों के बीच मारा। “आ्आ्आह” करता हुआ दर्द से दोहरा हो गया। फिर तो मैं ने उन्हें सम्भलने का अवसर ही नहीं दिया और अपनी लातों और घूंसों से बेदम कर दिया।
“साले हरामजादे, हराम का माल समझ रखा था, बड़े आए थे चोदने वाले। जा के अपनी मां बहन को चोद मादरचोदो।” गुस्से से मैं पागल हो रही थी। सारा मूड चौपट कर दिया। “मैं नीचे गिरे चाकू को उठा कर चाकूवाले के पास आई और चाकू लहराते हुए बोली, “साले मुझे चीरने चला था। आज मैं तेरा लंड ही काट देती हूं।”
“नहीं मेरी मां, माफ कर दो” गिड़गिड़ा उठा कमीना।
“अच्छा चल नहीं काटती, मगर सजा तो मिलनी ही है। मुझे चोदने चले थे ना, ले मेरी चूत का पानी पी,” कहते हुए मैंने एकदम एक बेशरम छिनाल की तरह उस असहाय गुंडे के मुंह के पास अपनी चूत लाई और बेहद बेशर्मी से मूतने लगी। मुझ से पिट कर घायल गुंडे उसी तरह पड़े कराह रहे थे। अब जाकर मेरी खीझ और कामक्रीड़ा में विघ्न से उपजी झुंझलाहट भरा गुस्सा थोड़ा शांत हुआ। मेंरे बूढ़े आशिक उसी नंग धड़ंग अवस्था में भौंचक बुत बने मेरे नग्न शरीर में चंडी का रूप देख रहे थे। वे सोच रहे थे कि क्या यही वह नादान कमसिन नाजुक बाला है जिसे उन्होंने अपने काम वासना के जाल में फंसाकर मनमाने ढंग से अपनी काम क्षुधा तृप्त की और वासना का नंगा तांडव किया?
अब मेरा ध्यान उन नंग भुजंग बूढ़ों की ओर गया जो मुझे अवाक देखे जा रहे थे और मेरी अपनी नग्न स्थिति पर भी। गुंडों पर अपनी खीझ उतार कर मेरा सारा गुस्सा कफूर हो चुका था और मैं उनकी ओर मुखातिब हो कर बोल पड़ी, “अब क्या? चलो फटाफट कपड़े पहनो और यहां से खिसको, शाम हो गई है, पार्क बन्द होने वाला है” कहते हुए मैं झटपट अपने कपड़े पहनी और गुन्डों को वहीं कराहते छोड़ मेरे बूढ़े चोदुओं के साथ पार्क से बाहर निकली। वे बूढ़े समझ चुके थे कि हमारे बीच जो रासलीला शुरू से अबतक हुई उसमें उनकी कामलोलुपता के साथ साथ परिस्थिति, अवसर और मेरी रजामंदी, सब की भागीदारी बराबर है। अगर मैं रजामंद न होती तो मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं कर सकता। वह पल जब मैं कमजोर पड़ी, एक ऐसा पल था जब मैं वासना की आग में तप रही थी, जिस उपयुक्त मौके की ताक में बड़े दादाजी थे, उस पल वहां कोई भी ऐरा गैरा बड़ी आसानी से मेरा कौमार्य तार तार कर सकता था, जैसा कि सौभाग्य से बड़े दादाजी ने किया। यह वही एक कमजोर पल था जब मेरे कामातुर शरीर की मांग के आगे मेरा दिमाग कमजोर पड़ा। मगर उस पल को धन्यवाद जिसने मुझे नारीत्व का सुखद अहसास कराया और संभोग के चरम सुख से परीचित कराया जिसके लिए मैं बड़े दादाजी का आजीवन आभारी रहूंगी।
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007
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Re: कामिनी की कामुक गाथा

Post by 007 »

(^^^-1$i7) update
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

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naik
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Re: कामिनी की कामुक गाथा

Post by naik »

very nice update mitr
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Rohit Kapoor
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Re: कामिनी की कामुक गाथा

Post by Rohit Kapoor »

Keep writing dear , Excited for NEXT Update . . . .
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