कामिनी की कामुक गाथा

Post Reply
User avatar
Viraj raj
Pro Member
Posts: 2639
Joined: 28 Jun 2017 08:56

Re: कामिनी की कामुक गाथा

Post by Viraj raj »

😘 😌 😡 😱

Shandar update....... Mitra 👌👌👌👌😍😍😍😍😍👍👍👍👍👍💝💞💖
😇 😜😜 😇
मैं वो बुरी चीज हूं जो अक्सर अच्छे लोगों के साथ होती है।
😇 😜😜 😇

** Viraj Raj **

🗡🗡🗡🗡🗡
User avatar
SATISH
Super member
Posts: 9811
Joined: 17 Jun 2018 16:09

Re: कामिनी की कामुक गाथा

Post by SATISH »

पहले धीरे धीरे फिर रफ्तार बढ़ाने लगा, “ओह ओह आह आह” तूफानी गती से चुदती जा रही थी मैं। बेरहम कुटाई। हाय मैं कहां आ फंसी थी। लेकिन धीरे-धीरे मैं अभ्यस्त होती गई और चुदाई के अद्भुत आनंद में डूबती चली गई। “आह ओह आह आह” मेरे मुंह से बाहर निकल रही थी। सिसकारियां ले रही थी। अब मैं मस्ती में बड़बड़ करने लगी,”आह चोद चाचा चोद, आह मजा आ रहा है राजा, आह मेरे राजा, अपनी रानी को चोद ले, आह ओह चोदू चाचा, मुझे अपनी रानी बना ले मेरी चूत के रसिया, मेरे दढ़ियल बलमा,” और न जाने क्या क्या। उनका चोदने का अंदाज भी निराला था। एक खास ताल पर चोद रहे थे। चार छोटे ठापों के बाद एक करारा ठाप। फच फच फच फच फच्चाक। 10 मिनट बाद मैं झड़ गई, “आ्आ्आह” फिर ढीली पड़ गई मगर वह तो पूरे जोश और जुनून से चोदे जा रहा था। बीच बीच में मेरी गांड़ में उंगली भी करता जा रहा था जिससे मैं चिहुंक उठती, मैं फिर उत्तेजित होने लगी और हर ठाप का जवाब चूतड़ उछाल उछाल कर देने लगी। अब वह भी बड़बड़ करने लगा,”आह मेरी रानी, ओह मेरी बुर चोदी, लंड रानी, चूतमरानी, ले मेरा लंड ले, लौड़ा खा रंडी कुतिया” और भी गंदी गंदी बात बोल रहा था। फिर 10 मिनटों बाद झड़ने लगी, “आ्आ्आह ईईई” फिर ढीली पड़ गई मगर वह तो मशीनी अंदाज में अंतहीन चुदाई में मशगूल था। कुछ मिनटों में फिर उत्तेजित हो गई। फिर उस तूफानी चुदाई में डूब कर हर पल का लुत्फ उठाने लगी। हम दोनों पसीने से तर-बतर एक दूसरे में समा जाने की होड़ में गुत्थमगुत्था हो कर वासना के सैलाब में बहे जा रहे थे। अब करीब 45 मिनट के बाद जैसे अचानक वह पागल हो गया और भयानक रफ्तार में चोदने लगा और एक मिनट बाद कस के मुझसे चिपक गया और उसके लंड का सुपाड़ा मेरी कोख में समा कर वर्षों से जमे वीर्य के फौवारे से कोख को सींचने लगा और ओह मैं भी उसी समय तीसरी बार छरछरा कर झड़ने लगी। “अह ओह हां हां हम्फ”। चरमोत्कर्ष का अंतहीन स्खलन, अखंड आनंद ओह। स्खलित हो कर हम उसी गंदे बिस्तर पर पूर्ण सँतुष्टी की मुस्कान के साथ निढाल लुढ़क गये। करीब 10 मिनट तक उसी तरह फैली पड़ी रही, मैं जब थोड़ी संभली तो उस दढ़ियल के नंगे जिस्म से लिपट गई और उसके दाढ़ी भरे चेहरे पर चुम्बनों की बौछार कर पड़ी। उसके लंड की दीवानी हो गई थी। लंड को प्यार से चूम उठी। उस समय रात का 8 बज रहा था। न चाहते हुए भी मुझे घर जाना था। मैं अलसाई सी उठी और अपने कपड़े पहन जाने को तैयार हो गई। वह बूढ़ा भी भारी मन से तैयार हो कर मुझे छोड़ने चल पड़ा। घर पहुंचते ही टैक्सी से उतरने से पहले उसकी गोद में बैठ कर उसे एक प्रगाढ़ आत्मीय चुम्बन दिया और कहा, “आज से मैं आपकी रानी हो गई राजा, आपकी लंड रानी। जब जी चाहे बुला के चोद लीजिएगा।” फिर बाय करते हुए घर की ओर कदम बढ़ाया।अब तक आप लोगों ने पढ़ा कि किस तरह चार बुजुर्गों के साथ मेरा अंतरंग सम्बन्ध स्थापित हुआ और चार अलग-अलग तरह के बूढ़ों के साथ कामक्रीड़ा में शामिल हो कर अलग-अलग ढंग से उनकी कामपिपाशा शांत की और खुद भी नये अनुभवों से गुजरती हुई मैं संभोग सुख से परिचित हुई। हर बूढ़ा अलग था, मेरे यौवन का रसपान करने का उनका ढंग अलग था, निराला था, हर चुदाई का रोमांच अलग था। नया लंड, नया तरीका, नया रोमांच, दर्द भी और आनन्द भी।
रहीम चाचा ने तो अपने गदा सरीखे लंड की अंतहीन चुदाई से अचंभित कर दिया था। आरंभ में दहशतनाक दिखने वाला लंड चुदाई के अंतिम क्षणों में आश्चर्यजनक ढंग से करीब 9″ लंबा और 3″ मोटा हो कर और विकराल हो गया था। सामने का सुपाड़ा तो टेनिस बॉल की तरह था ही कुछ और बड़ा हो गया था। उनके गदारुपी लंड ने चुदाई करते हुए मेरी चूत की संकरी गुफा को मेरे गर्भाशय तक अपने अनुकूल फैला दिया था और सुगमतापूर्वक आवागमन करता रहा, नतीजतन आरंभिक पीड़ा के पश्चात मैं पूरी मस्ती के आलम में डूब कर उस विलक्षण चुदाई का अभूतपूर्व आनंद ले सकी और उस दढ़ियल के नये ताल में ठुकाई व दीर्घ स्तंभन क्षमता की मैं कायल हो गई। इतने विशाल लंड को अपने अंदर समाहित कर चुदाई के संपूर्ण आनंद का उपभोग कर सकने की अपनी क्षमता पर मुझे खुद पर नाज होने लगा।
चुदाई का नशा उतरने के बाद मैंने अनायास अपनी चूत को हाथ लगाया था, तो पाया था कि यह सूज कर पावरोटी बन गई थी। मेरी चाल ही परिवर्तित हो गई धी।
खैर जो भी हो, मैं तो इन बूढ़ों के हवस की भूख मिटाते मिटाते खुद भी शनै: शनै: इनके वासनामय गंदे खेल से उपजी अपने अंदर के अदम्य कमापिपाशा और काम सुख की आदी होती जा रही थी।
मैंने घर के अंदर प्रवेश किया, तो देखा सब लोग ड्राइंग हाल में बैठे गप्पें हांक रहे थे। सबकी प्रश्नवाचक निगाहें मुझ पर टिक गईं। “इतनी देर तक क्या कर रही थी?” मम्मी ने पूछा। ” कुछ नहीं मां, रीना को बता रही थी कि आज हम कहां कहां घूमे।” मैं बोली।
“ये आजकल की लड़कियां भी ना? पता नहीं है, आजकल इतनी रात तक लड़कियों का अकेले बाहर रहना कितना ख़तरनाक है?” मम्मी बोली।
“अरे मैं अकेली कहां थी। रीना और उसका भाई मुझे छोड़ने आए थे।” बोलती हुई अपने कमरे में चली गई। 10 मिनट बाद फ्रेश होकर फिर मैं भी बैठक में आई।
Post Reply