कांता की कामपिपासा

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jay
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कांता की कामपिपासा

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कांता की कामपिपासा


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फ्रेंड्स इस कहानी में एक ऐसी औरत का किरदार है जो पहले पहल बहुत ही शांत और संयत प्रवृत्ति की होती है और जब उसकी कामपिपासा जागृत होती है तो वो अपने साथ क्या क्या बहा ले जाती है


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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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कांता की कामपिपासा-1

Post by jay »

रामू कार को स्पीड से चलाने लगा, अब गाड़ी मेन सड़क पर आ गयी थी, गाड़ी की एसी की ठंडक की वजह से कांता को नींद आने लगी थी. और कुछ ही देर मे उसकी आँख लग गयी, पास ही बैठे विजय को भी नींद आने लगी थी. जानकी लाल खिड़की से बाहर की ओर देख रहे थे. यही कोई 25 मिनिट बाद गाड़ी हवेली के पोर्च मे रुकी. सभी लोग गाड़ी से नीचे उतरे. नीच उतरने पर कांता ने देखा कि उसकी सास दरवाजे पा हाथो मे आरती की थाली लेकर खड़ी थी. विजय और कांता की आरती उतारने के बाद वो उसे लेकर अंदर आई.

कांता लगभग दो साल बाद हवेली मे आई थी. इसलिए हवेली चारो तरफ सजी हुई थी. कांता की सास ने अपने बेटे और बहू से कहा “तुम लोग बहुत थक गये होगे, नहा कर थोड़ा आराम कर लो.और बहू और बेटे को उनका कमरा दिखाया. विजय अपने कमरे मे जाकर थके होने के कारण बेड पर लेट गया और कांता बाथरूम की ओर बढ़ गयी.
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बाथरूम काफ़ी सुसज्जित और बड़ा था. किसी आलीशान होटेल के बाथरूम की तरह, पानी का बड़ा टब. फव्वारा आदि सब कुछ था बाथरूम मे. कांता शीशे के सामने जाकर अपने आपको शीशे मे देखने लगी, अपने आपको निहारते हुए उसे बड़ी ख़ुसी हो रही थी अपनी खूबसूरती देखकर. फिर उसने ब्लाउस और साड़ी मे लगे हुए पिन को धीरे से निकाला और अपना आँचल लुढ़का दिया. जैस ही उसके नारंगी कलर का आँचल लुढ़का उसका बड़े बड़े स्तन नुमाया हो गये. उसके ब्लाउस का डीप काफ़ी गहरा होने के कारण उसके स्तन ब्लाउस से आधे से अधिक बाहर नुमाया हो रहे थे
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. उसके स्तनों का आकार दो बड़े नारियल के आकार जितना था. फिर कांता ने अपनी साड़ी को अपनी कमर मे से खोलकर अलग कर दिया. अब वो ब्लाउज पेटिकोट मे अपनी शरीर को शीशे मे निहारने लगी. स्तनों के नीचे का हिस्सा काफ़ी सपाट था उसमे उसकी गहरी सी नाभि गजब ढा रही थी नाभि के नीचे हल्के लाल रंग का पेटिकोट था जिसका कपड़ा पतला होने की वजह से उसके अंदर की सुडोल टाँगों को दिखाई देने से नही रोक पा रहा था. उसने धीरे से अपने बालो को समेटे हुए अपने शरीर को फिल्मी अंदाज़ मे पोज़ देकर सीशे मे देखकर मुस्कराने लगी, फिर उसके हाथ अपने ब्लाउस पर आ गये और अपनी बड़ी बड़ी चूचियो को सहलाने लगी. फिर बड़ी ही नज़ाकत से उसने अपने ब्लाउस का एक हुक खोला. उसकी चुचियाँ आधी से अधिक बाहर की ओर झलकने लगी. ऐसा लग रहा था कि छोटे से पिंजरे मे दो बड़े कबूतरों को क़ैद कर दिया गया है. और अब आज़ादी की उम्मीद देखकर उनकी फड़फड़ाहट बढ़ गयी थी. फिर उसने धीरे से दूसरा हुक भी खोल दिया. अब नीचे लाल रंग की ब्रा का हिस्सा नज़र आने लगा था जो उसकी दूधिया गोलाईयों से ऐसे लिपटे हुए थे जैसा चंदन के पेड़ पर साप लिपटा रहता है. उसकी चूचिया बिल्कुल सफेद रंग की थी. फिर उसने अपने ब्लाउस का तीसरा हुक भी खोल दिया.
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कांता की कामपिपासा-2

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उफफफ्फ़ क्या नज़ारा था. ऐसा लग रहा था कि जैसे जन्नत का दरवाजा खुल रहा हो. फिर उसने चौथा और फिर पाँचवा और आखरी हुक भी खोल दिया और अपने तन से ब्लाउस को अलग कर दिया. अब वो ब्रा मे थी, उसके स्तन उसकी ब्रा को फाड़कर बाहर निकलने के लिए बेताब हो रहे थे. लाल रंग के ब्रा मे उसका गोरा बदन ऐसा लग रहा जैसे लाल रंग मे कोई क़यामत लिपटी हुई हो. कांता ने फिर अपने आपको कुछ देर शीशे मे निहारा और एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ मुस्करा दिया. अब उसका हाथ उसके कमर पेट था जिसमे लाल रंग का पेटिकोट उसके अंदर के सामान को छुपाने का असफल प्रयास कर रहा था. फिर उसने धीरे से अपने पेटिकॉट का नाडा भी खोल दिया. और पेटिकोट बाथरूम के फर्श पर गिर गया. जैसे ही पेटिकॉट उसके तन से अलग हुआ दो सुडोल टांगे नुमाया हो गयी. उसके जांघे काफ़ी मांसल थी. ऐसा लग रहा था जैसे दो मोटे मोटे केले के पेड़ के तने हों. इतनी चिकनी टांगे थी कांता की. और उसके पाट की चौड़ाई देख कर देखने वाली की आँखो की चौड़ाई भी बढ़ जाए. काफ़ी हस्ट पुष्ट थे उसके मांसल पाट. और फिर पाट के साइड मे उसके दो कूल्हे.
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उफफफफफफफफफ्फ़ क्या कूल्हे थे उसके, ऐसा लगता था कि जैसे किसी किसान ने अपने आस पास के खेतो मे से सबसे बड़े दो तरबूजो को एक साथ रख दिया हो. और उसपर लाल रंग चढ्ढि ऐसे लग रही थी जैसे कि किसी ख़तरनाक चीज़ को इंडिकेट करने के लिए लोग लाल रंग का कपड़ा लगा देते हों.
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वाकई मे उसकी गान्ड थी ही ख़तरनाक अगर कोई उसको एक बार देख ले तो वो उसकी गहराई मे उतरने के लिए कुछ भी कर गुज़रता. ऐसी गान्ड थी कांता की. फिर उसने अपने दोनो कुल्हो पर ऐसे हाथ फिराया जैसे कोई शिकारी अपने सबसे तेज कुत्ते पर प्यार से हाथ फेरता हो. कुछ देर अपने दोनो कुल्हो पर हाथ फिराने के बाद अब वो अपना हाथ पीछे की तरफ अपनी ब्रा के हुक की ओर लेजाकर उन्हे टटोलने लगी. और कुछ देर बाद एक झटके से उसने बार की हुक को खोल दिया. ब्रा का हुक खुलते ही उसमे क़ैद दो बड़े कबूतर जैसे आज़ादी पाकर झूम उठे और ब्रा से उछलकर दोनो खुली हवा मे लंबी लंबी साँस लेने लगे.
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उसकी चूचियो का रंग सफेद था और उसपे खड़े उसके 1 इंच लंबे निपल जिनका रंग भूरे रंग का था ऐसा लग रहे थे जैसे किसी बड़े बॉम्ब मे लगे हुए पिन हो जिन्हे निकालते ही तबाही मच जाएगी. और ये बात सच भी उसके दोनो स्तन थे ही ऐसे जो एक बार देख ले बस उसे चूसने का सपना देखता रहे जिंदगी भर. ब्रा निकालने के बाद कांता ने बाथरूम का फव्वारा चालू किया और अपने शरीर पर पानी की ठंडी बूँदो को महसूस करने लगी. कुछ देर बाद फुहारे मे नहाने के बाद उसके हाथ मे साबुन आ गया और अपने चिकने बदन पर वो चिकना साबुन मलने लगी. उसके अपने हरेक अंग पर साबुन मलने के बाद उसका हाथ अपने पुष्ट कुल्हो पर गया और वहाँ भी उसने खुसबुदार साबुन लगाया. साबुन के झाग मे उसका बदन और आकर्षक लग रहा था. Imageफिर उसकी अंगलियाँ अपनी चडढी के किनारे पर रेंगने लगीं. उसके कूल्हे काफ़ी बड़े होने के कारण उसकी चढ़ढी नाम मात्र की थी वो भी उसकी मांसल कमर मे धँसी हुई थी. उसने कमर की तरफ से उंगलियों को ज़ोर देकर उन्हे अपनी चढ़ढी मे घुसाया और फिर चढ़ढी के अंदर ही हाथ डाले डाले अपने हाथ को अपने विशाल पिछवाड़े की ओर लेकर गयी. और फिर बड़ी ही नज़ाकत से अपने शरीर का एक मात्र वस्त्र भी अपने तन से अलग कर दिया. अब सामने थी एक नंग अवस्था मे पानी से भिगती हुई एक शोला बदन, जिसका नाम था कांता – सेक्स की देवी. लगभग शरीर का हर अंग नॉर्मल से बड़ा था उसका. बड़ी हाइट 5’8” बड़े काले बाल, बड़ी बड़ी काली आँखे, बड़े बड़े दूध से भरे हुए स्तन, बड़े कूल्हे और दोनो मांसल जाँघो के बीच की एक दरार जिसकी गहराई दिखाई भले ही ना दे रही हो लेकिन महसूस हो रही थी और उस दरार के अंदर थी एक हल्की सी लालिमा जिस से ये पता चल रहा था कि उस दरार के भीतर कितनी आग है. और इस आग को बुझाने के लिए पानी चाहिए बड़ी मात्रा मे पानी और अलग अलग नल का पानी,
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Re: कांता की कामपिपासा

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फ्रेंड्स आजकल एक्टिव यूज़र बहुत कम कमेंट पास कर रहे हैं पता नही यूज़र्स को राइटर्स का साथ देने में क्या परेशानी होती है
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कांता की कामपिपासा-3

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नहाने के बाद कांता बाथरूम से निकली तो उसके बदन पर एक तौलिया था जिसने बड़ी ही मुश्क़िल से उसके गदराए हुए यौवन के कुछ हिस्से को ढक रखा था

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कांता के दिमाग़ मे जैसे कोई बहुत बड़ा प्लान चल रहा था. वो मन ही मन अपनी किसी योजना मे खो गयी. इसी धुन मे उसे पता ही नही चला कि कब दोपहर के 1 बज गये. तभी नीचे से फुलवा की आवाज़ आई, छोटी मालकिन नीचे आ जाएँ तैयार हो के स्वामी जी आ गये है.

कांता की सास आगे आगे और कांता उसके पीछे-2 चलते हुए स्वामी जी की तरफ बढ़ते है, स्वामी जी लॉन मे लगे हुए एक बड़े से तखत पर (लाइक लकड़ी का दीवान) पैर के आगे लटकाए हुए मसंद का सहारा लेटे हुए आराम से बैठे थे.
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उनकी उमर को 50-55 साल के करीब थी. बाल लगभगे सफेद हो चुके थे जिन्हे उन्होने काफ़ी छोटे-2 कटवा रखे थे. उनकी दाढ़ी के बाल भी सफेद हो चुके थे और उनका साइज़ भी बालो की तरह ही छोटा-2 था. उनका रंग सॉफ था, चेहरे पर लालिमा फैली हुई थी. उनका शरीर काफ़ी हस्ट पुष्ट था. उनकी हाइट लगभग 6'1" की थी. उनका शरीर बिल्कुल विशाल काय था. चेहरे मे एक मुस्कान फैली हुई थी. जब कांता और उसकी सास स्वामी जी के करीब आने वाले थे तो कांता की सास ने कहा सासू माँ: बेटी स्वामी जी के पैर को ज़रूर छूना, अगर वो खुशी से तुम्हे आशीर्वाद दे दिए तो तुम्हारा कल्याण हो जाएगा:

कांता: जी माँ जी

स्वामी जी के पास पहूचकर सबसे पहले सासू जी ने उनके पैर छुए, फिर कांता ने स्वामी जी की ओर झुकते हुए उन्हे प्रणाम किया झुकते वक़्त उसका दुपट्टा नीचे झूल गया जिससे उसकी कमीज़ ने उसके शरीर का साथ छोड़ दिया जिसके कारण उसके दोनो बड़े अनार स्वामी जी को दिखाई दे गये, स्वामी जी के चेहरे पे भाव तो सहज थे पर उनका मन अचानक उन विशाल अनारो को देख कर थोड़ा विचलित सा हो गया. पर स्वामी जी वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए इस बात का असर अपने चेहरे पर नही होने दिया. तभी जानकीलाल ने कहा.
जानकी लाल: स्वामी जी ये मेरी बहू कांता है, विजय की धरमपत्नी, बहुत शुशील और काफ़ी पढ़ी लिखी है. मैं चाहता हूँ कि मेरे बिज़्नेस मे मेरा साथ दे ताकि मैं बिज़्नेस को ठीक से संभाल सकूँ, आप तो जानते है कि कितना बड़ा बिज़्नेस है हमारा, अकेले संभालने मे काफ़ी दिक्कत होती है. बहू साथ होगी तो काफ़ी सहयोग मिलेगा.
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स्वामी: हाँ हाँ क्यो नही, ये तो बड़ा ही उत्तम विचार है. आख़िर बहू पढ़ी लिखी है और काफ़ी समझदार भी है. ये तो आराम से सभी काम को संभाल सकती है....... क्यो बेटी (स्वामी जी कांता की तरफ देखते हुए मुस्करा कर बोले) कांता ने हल्के से मुस्करा कर अपनी रज़ामंदी दे दी.
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