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दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राजशर्मा एक और मस्त और कामुक कहानी आपकी खिदमत में पेश कर रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ ये आपको ज़रूर पसंद आएगी . दोस्तो वैसे तो ये एक छोटी सी कहानी है पर कामुकता पर आधारित होने के कारण बहुत मज़ा आएगा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
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`·.¸.·´ -- raj sharma
मैने अपने दोस्त के कहने पर ट्यूशन प्रारम्भ किया । ट्यूशन के पीछे रुपया कमाना नहीं बल्कि कलियों के दीदार का भरपुर लाभ उठाना था वैसे ट्यूशन के सहारे मेरा दोस्त अब तक छः सात कलियों को मसल-मसल कर समय से पहले फूल बना दिया था...मैं भी उसी के रास्ते पर चलते हुए
जवानी की बहार का आनंद लेना चाहता था ।
मैंने दोस्त के कहने पर, ट्यूशन का कार्य प्रारम्भ किया ।
वैसे तीन दिन बीत चुके थे...पर मैं हिम्मत जुटाने के वाबजुद भी उसके शवावों पर हाथ नहीं फेर पाया था जबकि मेरा दोस्त रमेश जिस लड़की को
पढ़ाता था उसको रोज भलाई चखाता था ।
,मलाई खिलाने का मतलब कि चोदता था ।। | मिलने पर जब वह शमा के साथ ही गई हरकतों को बताता - तो में उमंग से भर जाता...और स्वयं
ट्यूशन के लाभ को उठाने को तड़पता पर पहुँचने पर पर हाथ लगाने की हिम्मत नहीं होती ।।
| अब आँखों के सामने मीना का रूप रंग हुष्ण हमेशा ..नाचता रहता और रह-रहकर मेरा कुआरा सिंगनल अप हो-हो कर मुझे व्याह से पहले व्याह का आनंद लेने की विवश करता ।।
मैं भी दोस्त की तरह अपनी मीना को क्रीम लगाकर समय से पहले कली से फूल बनाने को बेताब था । | इस चक्कर में जेल का एक छोटा, टियूब हमेशा जेब में डालकर मीना के बंगले पर जाता । | दोस्त ने बताया था कि मीना की उम्र की कच्ची कलियाँ जरा सा मजा पाते ही-आसानी से पूरे काम के लिये तैयार हो जाती है । । एकबार काम बनने पर वार-वार मजा देने को खुद बेकरार रहती है।
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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`·.¸.·´ -- raj sharma
हम दोनों बीए फाइनल के पढ़ रहे थे और एक ही कमरे में पार्टनर भी थे ।।
उसी ने मुझे ट्यूशन के लिये ललकाया था । यद्यपि मेरी और उसकी दोनों की आर्थिक स्थिति ठीक थी । बस लौंडियांबाजी करने का साफ सुथरा तरीका था ट्यूशन का।
अच्छे घर की साफ सुथरी सुन्दर चीज का मजा... बिना किसी भय के आसानी के साथ मिलने लगा था । यहाँ टियूशन भी आसानी से मिल जाता था । :
उसने सांतवी की मीना को पढ़ाने का जुगाड़ भी लगाया था। | वह उसी कालोनी के अमीर घराने की दो जुड़वा बहनों को पढ़ाता था ।
बताता था कि आजकल दोनों की फिट नेस चेक करता है ।
मजा लेने के लिए दोनों जुड़वा बहने- ढीले ढाले फ्राक को पहन कर पढ़ती हैं | मैं उसके मुंह से उन छोकरियों के साथ की जाने वाली हरकतों को सुन-सुन जवानी के जोश में भरता जा रहा था। । मीना-गठीले शरीर की गोरी गोरी कमसिन कली थी | वह दो देशी कच्चे अनारों की मालकिन थी ।
उसको पढ़ाते समयं मेरा सिगनल अपने आप अप रहता ।।
तीन चार दिन में मैं केवल एक बार हिम्मत करके उसके गालों पर हाथ फेरा था...बस ।।
गाल मीसते मैं जवानी के उमगं से भर गया पर हिम्मत जुटा कर भी हाथ को उसकी चुचियों पर नहीं लगा सका था ।
पुनः मै छोकरी को फंसाने वाली हरकत को बिना अपनाए कुआरे लंड को हाथ से दबा-कर वापस आ गया था ।
पार्टनर अशोक ट्यूशन का असली आनंद ले रहा था । वह तो एक साथ दोनों जुड़वा बहनों को कच्ची से पक्की बना रहा था ।
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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वापस आने पर मैंने पार्टनर अशोक से मीना के गाल पर हाथ लगाने की बात बताया तो वह चहक के साथ बोला| " चूची दबाई
"तुम उसे अकेले कमरे में पढ़ाते हो ना--
''हां पता नहीं क्यों हिम्मत टूट जाती है
“तुम उसे अकेले कमरे में पढ़ाते हो ना
' हां....पता नहीं क्यों हिम्मत टूट जाती है
अशोक- बुरा तो नहीं मानोगे'
'नहीं......क्या है- मैंने अशोक से पूछा ।।
वह एक पल कुछ सोचा......फिर माथे पर बल देते दबे स्वर में पूछा-सच बताओ कभी किसी को चोदे हो या नहीं।
तभी घबराते हो कच्ची उम्र की लड़कियां मजा पाने पर चहक जाती है...... ।।
जब तक मीना की चुची नहीं दबाओगे- तब तक बात आगे बढ़ने वाली नहीं....गाल पर हाथ फेरने पर मुस्काई थी ।।
चुची दबाना था.....उसको मजा आ रहा है तुम घबड़ाते क्यो हो
उसकी बातो से मेरे लंड तनाव आने लगा था । मेरा दोस्त अशोक इस हसीन कार्य के लिये मेरा गुरू था । हमदोनों की जवानी अभी चटख रही थी । वह ट्यूशन का भरपूर लाभ उठा रहा था ।।
पुनः अशोक एक पल के लिए गंभीर हुआ फिर सोचते हुए कहा
'' बेफिकर होकर मीना की चुची पकड़ा करो--
“ठीक है..." |
" अच्छा अब सोया जाय- और पार्टनर अशोक जो अपने माल को चोद कर मजा लेकर आया था-आराम से नींद लेने लगा ।।
मैं मीना के हुश्न और मस्ती की रंगीन कल्पना में खोया अपने प्यासे कुंवारे लण्ड को पलट कर तकिये में रगड़ता करवटे आधीरात तक बदलता रहा ।
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
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बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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