सातवें आसमान पर complete

josef
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Re: सातवें आसमान पर

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डॉली चाहती थी कि राज योनि से हाथ न हटाये पर कसमसा कर रह गई। राज भी उसे जानबूझ कर छेड़ रहा था। वह उसे अच्छी तरह उत्तेजित करना चाहता था। थोड़ी देर बाद डॉली के पांव अपने गोदी में रख कर सहलाने लगा तो डॉली एकदम उठ गई और अपने पांव सिकोड़ लिए। वह नहीं चाहती थी कि राज उसके पांव दबाये। पर राज ने उसे फिर से लिटा दिया और दोनों पांव के तलवों की अच्छी तरह से मालिश कर दी। डॉली को बहुत आराम मिल रहा था और न जाने कितने वर्षों की थकावट दूर हो रही थी। अब डॉली कृतज्ञता महसूस कर रही थी।

राज ने डॉली को सीधा होने को कहा और वह एक आज्ञाकारी दासी की तरह उलट कर सीधी हो गई। राज ने पहली बार ध्यान से डॉली के नंगे शरीर को सामने से देखा। जो उसने देखा उसे बहुत अच्छा लगा। उसके स्तन छोटे पर बहुत गठीले और गोलनुमा थे जिस से वह एक १६ साल की कमसिन लगती थी। चूचियां हलके कत्थई रंग की थी और स्तन पर तन कर मानो राज कर रही थी। राज का मन हुआ वह उनको एकदम अपने मुँह में ले ले और चूसता रहे पर उसने धीरज से काम लिया।

हाथों में तेल लगा कर उसने डॉली की भुजाओं की मालिश की और फिर उसके स्तनों पर मसाज करने लगा। यह अंदाज़ लगाना मुश्किल था कि किसको मज़ा ज्यादा आ रहा था। थोड़ी देर मज़े लेने के बाद राज ने डॉली के पेट पर हाथ फेरना शुरू किया। उसके पतले पेट पर तेल का हाथ आसानी से फिसल रहा था। उसने नाभि में ऊँगली घुमा कर मसाज किया और फिर हौले हौले राज के हाथ उसके मुख्य आकर्षण की तरफ बढ़ने लगे। डॉली ने पूर्वानुमान से अपनी टांगें और चौड़ी कर लीं। राज ने हाथों में और तेल लगाकर डॉली की योनि के इर्द गिर्द सहलाना शुरू किया। कुछ देर तक उसने जानबूझ कर योनि को नहीं छुआ। अब डॉली को तड़पन होने लगी और वह कसमसाने लगी। राज के हाथ नाभि से लेकर जांघों तक तो जाते पर योनि और उसके भग को नहीं छूते। थोड़ी देर तड़पाने के बाद जब राज की उँगलियाँ पहली बार योनि की पलकों को लगीं तो डॉली उन्माद से कूक गई और उसका पूरा शरीर एक बार लहर गया। मसाज से ही शायद उसका स्खलन हो गया था, क्योंकि उसकी योनि से एक दूधिया धार बह निकली थी।

राज ने ज्यादा तडपाना ठीक ना समझते हुए उसकी योनि में ऊँगली से मसाज शुरू किया और दूसरे हाथ से उसकी भगनासा को सहलाने लगा। डॉली की योनि मानो सम्भोग की भीख मांग रही थी और डॉली की आँखें भी राज से यही प्रार्थना कर रही थीं। उधर राज का लिंग भी अंगडाई ले चुका था और धीरे धीरे अपने पूरे यौवन में आ रहा था।
राज ने डॉली को बताया कि वह सम्भोग नहीं कर सकता क्योंकि उसको पास कंडोम नहीं है और वह बिना कंडोम के डॉली को जोखिम में नहीं डालना चाहता, इसलिए वह डॉली को उँगलियों से ही संतुष्ट कर देगा। पर डॉली ने राज को बिना कंडोम के ही सम्भोग करने को कहा। उसने कहा- अगर कंडोम होता भी तो भी वह उसे इस्तेमाल नहीं करने देती। जबसे उसके बेटे की मौत हुई है उसे बच्चे की लालसा है और अगर बच्चा हो भी जाता है तो उसके घर में खुशियाँ आ जाएँगी। उसने भरोसा दिलाया कि वह कभी भी राज को इस के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराएगी और ना ही कभी इसका हर्जाना मांगेगी।
josef
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उसने राज को कहा कि अगर उसे डॉली पर भरोसा है तो हमेशा बिना कंडोम के ही सम्भोग करेंगे। उसने यह भी कहा कि जितना सुख उसे आज मिला है उसे १४ साल की शादी में नहीं मिला और वह चाहती है कि यह सुख वह भविष्य में भी लेती रहे। उसने कहा कि शायद वह एक निम्न चरित्र की औरत जैसी लग रही होगी पर ऐसी है नहीं और उसके लिए किसी गैर-मर्द से साथ ऐसा करना पहली बार हुआ है।

राज ने उसे समझाया कि कई बार जल्दबाजी में लिए हुए निर्णय बाद में पछतावे का कारण बन जाते हैं इस लिए अच्छे से सोच लो।

डॉली ने कहा कि कोई भी औरत ऐसे निर्णय बिना सोचे समझे नहीं लेती। वह पूरे होशो-हवास में है और अपने निर्णय पर अडिग है और शर्मिंदा नहीं है।

राज को डॉली के इस निश्चय और आत्मविश्वास पर गर्व हुआ और उसने तेल से सनी हुई डॉली को उठा कर सीने से लगा लिया। इस दौरान राज का लिंग मुरझा गया था। डॉली ने लिंग की तरफ देखते हुए राज को आँखों ही आँखों में आश्वासन दिलाया कि वह उस लिंग में जान डाल देगी। उसने राज को लिटा दिया और उसके ऊपर हाथों और घुटनों के बल आ गई। पहले उसने अपने बालों की लटों से उसके मुरझाये लिंग पर लहरा कर गुदगुदी की और फिर अपने स्तनों से लंड को मसलने लगी। अपनी उभरी हुई चूचियों से उसने लंड को ऊपर से नीचे तक गुलगुली की। राज का बेचारा लिंग इस तरह के लुभाने का आदि नहीं था और जल्दी ही मरे से अधमरा हो गया।

डॉली ने राज के लंड की नींव के चारों तरफ जीभ फिराना शुरू किया और उसकी छड़ चाटने लगी। एक एक करके उसने दोनों अण्डों को मुँह में लेकर चूस लिया। अपनी गीली जीभ को लंड के सुपारे पर घुमाने लगी और फिर उसके अधमरे लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसने लगी। इस बार चूसते वक़्त वह लंड को निगलने की कोशिश कर रही थी और हाथों से उसके अण्डों को गुदगुदा रही थी। राज को इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था। उसका लंड एक बार फिर अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हो गया।

उसके पूरे तरह से तने हुए लंड को डॉली ने एक बार और पुच्ची दी और राज को बिना बताये उसके लंड पर अपनी योनि रखकर बैठ गई। राज का मुश्तंड लंड उसकी गीली चूत में आसानी से घुस गया। डॉली ने अपने कूल्हों को गोल गोल घुमा कर राज के लंड की चक्की चलाई और फिर ऊपर नीचे हो कर मैथुन के मज़े लूटने लगी। राज भी अपनी गांड ऊपर उछाल उछाल कर डॉली के धक्कों का जवाब देने लगा। डॉली के स्तन मस्ती में उछल रहे थे और उसके चेहरे पर एक मादक मुस्कान थी। थोड़ी देर इस तरह करने के बाद राज ने डॉली को अपनी तरफ खींच कर आलिंगनबद्ध कर लिया और उसे पकड़े हुए और बिना लंड बाहर निकाले हुए पलट गया। अब राज ऊपर था डॉली नीचे और चुदाई लगातार चल रही थी। डॉली उसके प्रहारों का जमकर जवाब दे रही थी और अपनी तरफ से राज के लंड को पूरी तरह अन्दर लेने में सहायता कर रही थी। दोनों बहुत मस्त थे। यकायक डॉली के मुँह से आवाजें आने लगीं- .. " ऊऊह आः हाँ हाँ .. और ज़ोर से ... हाँ हाँ .. चलते रहो ... और .. और .... मुझे मार डालो ... मेरे मम्मे नोंचो .... ऊऔउई ..."

राज यह सुन कर और उत्तेजित हो कर ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। चार पांच छोटे धक्कों के बाद लंड पूरा बाहर निकाल कर पेलने लगा। जब वह ऐसा करता तो डॉली ख़ुशी से चिल्लाती " हाँ ऐसे ... और करो ....और करो .. "

राज का स्खलन आम तौर पर 4-5 मिनटों में हो जाया करता था पर आज चूंकि यह उसका तीसरा वार था और उसे डॉली जैसी लड़की का सुख प्राप्त हो रहा था, उसका लंड मानो चरमोत्कर्ष तक पहुंचना ही नहीं चाहता था। यह जान कर राज को अपने मर्दानगी पर नया गर्व हो रहा था और वह दुगने जोश से चोद रहा था।

उसने डॉली को अपने हाथों और घुटनों पर हो जाने को कहा और फिर पीछे से उसकी चूत में प्रवेश करके चोदने लगा। उसके हाथ डॉली के मम्मों को गूंथ रहे थे। अब हर बार उसका लंड पूरा बाहर आता और फिर एक ही झटके में पूरा अन्दर चला जाता। राज ने एक ऊँगली डॉली की योनि-मटर के आस पास घुमानी शुरू की तो डॉली एक गेंद की तरह ऊपर नीचे फुदकने लगी। उस से इतना सारा मज़ा नहीं सहा जा रहा था।
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Re: सातवें आसमान पर

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उसकी उन्माद में ऊपर नीचे होने की गति बढ़ने लगी तो अचानक लंड फिसल कर बाहर आ गया। इस से पहले कि राज लंड को फिर से अन्दर डालता डॉली ने करवट लेकर उसको अपने मुँह में ले लिया और अपने थूक से अच्छे से गीला कर दिया। और फिर अपनी चूत लंड की सीध में करके चुदने के लिए तैयार हो गई। राज ने डॉली को फिर से पीठ के बल लेटने को कहा और आसानी से गीले लंड को फिच से अन्दर डाल दिया।

डॉली आराम से लेट गई और राज भी उसके ऊपर पूरा लेट गया। लंड पूरा अन्दर था और राज का वज़न थोड़ा डॉली के बदन पर और थोड़ा अपनी कोहनियों पर था। राज के सीने के नीचे डॉली के सख्त बोबे पिचक रहे थे और तनी हुई चूचियां राज को छेड़ रहीं थीं। रह रह कर राज अपने कूल्हे ऊपर उठा कर अपने लंड को अन्दर बाहर करता रहता पर ज्यादातर बस डॉली पर लेटा रहता। वह बस इतनी ही हरकत कर रहा था जिस से उसका लंड शिथिल ना हो। उसने डॉली से पूछा कि वह ठीक है या उसे तकलीफ हो रही है ? जवाब मैं डॉली ने ऊपर हो कर उसके होटों पर पुच्ची दे दी।

राज अब बहुत आराम से सम्भोग का मज़ा ले रहा था। उसने डॉली की भुजाओं को पूरा फैला दिया था और उसकी टांगों को जोड़ दिया था जिस से उसके लंड को योनि ने और कस लिया। जब राज मैथुन का धक्का मरता तो उसे तंग और कसी हुई योनि मिलती। राज को ऐसा लग रहा था मानो वह किसी कुंवारी बाला का पहला प्यार हो। उधर डॉली को टांगें बंद करने से राज का लंड और भी मोटा लगने लगा था। दोनों के मज़े बढ़ गए थे। कुछ देर इसी तरह मगरमच्छ की तरह मैथुन करने के बाद राज ने डॉली कि टांगें एक बार फिर खोल दीं और नीचे खिसक कर उसकी योनि मटर पर जीभ फेरने लगा।

डॉली को मानो करंट लग गया.वह उछल गई। राज ने उसके मटर को खूब चखा। डॉली की चूत में पानी आने लगा और वह आपे से बाहर होने लगी। यह देखकर राज फिर पूरे जोश के साथ चोदने लगा। पांच-छः छोटे धक्के और दो लम्बे धक्कों का सिलसिला शुरू किया। एक ऊँगली उसने डॉली की गांड में घुसा दी एक अंगूठा मटर पर जमा दिया। राज को यह अच्छा लग रहा था कि उसे स्खलन का संकेत अभी भी नहीं मिला था। उसे एक नई जवानी का आभास होने लगा। इस अनुभूति के लिए वह डॉली का आभार मान रहा था। उसी ने उसमें यह जादू भर दिया था। वह बेधड़क उसकी चुदाई कर रहा था।

डॉली अब चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ रही थी। उसका बदन अपने आप डोले ले रहा था उसकी आँखें लाल डोरे दिखा रही थी, साँसें तेज़ हो रहीं थीं। स्तन उफ़न रहे थे और चूचियां नई ऊँचाइयाँ छू रहीं थीं। उसकी किलकारियां और सिसकियाँ एक साथ निकल रहीं थीं। डॉली ने राज को कस के पकड़ लिया और उसके नाखून राज कि पीठ में घुस रहे थे। वह ज़ोर से चिल्लाई और एक ऊंचा धक्का दे कर राज से लिपट गई और उसके लंड को चोदने से रोक दिया। उसका शरीर मरोड़ ले रहा था और उसकी आँखों में ख़ुशी के आँसू थे। थोड़ी देर में वह निढाल हो गई और बिस्तर पर गिर गई।

राज ने अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश की तो डॉली ने उसे रोक दिया, बोली कि थोड़ी देर रुक जाओ। मैं तो स्वर्ग पा चुकी हूँ पर तुम्हें पूरा आनंद लिए बिना नहीं जाने दूँगी। तुमने मेरे लिए इतना किया तो मैं भी तुम्हें क्लाइमेक्स तक देखना चाहती हूँ। राज ने थोड़ी देर इंतज़ार किया। जब डॉली की योनि थोड़ी शांत हो गई तो उसने फिर से चोदना शुरू किया। उसका लंड थोड़ा आराम करने से शिथिल हो गया था तो राज ने ऊपर सरक कर अपना लंड डॉली के मम्मों के बीच में रख कर रगड़ना शुरू किया। कुछ देर बाद डॉली ने राज को अपने तरफ खींच कर उसका लंड लेटे लेटे अपने मुँह में ले लिया और जीभ से उसे सहलाने लगी।

बस फिर क्या था। वह फिर से जोश में आने लगा और देखते ही देखते अपना विकराल रूप धारण कर लिया। राज ने मुँह से निकाल कर नीचे खिसकते हुए अपना लंड एक बार फिर डॉली की चूत में डाल दिया और धीरे धीरे चोदने लगा। उसकी गति धीरे धीरे तेज़ होने लगी और वार भी पूरा लम्बा होने लगा। डॉली भी साथ दे रही थी और बीच बीच में अपनी टांगें जोड़ कर चूत तंग कर लेती थी। राज ने अपने शरीर को डॉली के सिर की तरफ थोड़ा बढ़ा लिया जिससे उसका लंड घर्षण के दौरान डॉली के मटर के साथ रगड़ रहा था। यह डॉली के लिए एक नया और मजेदार अनुभव था। उसने अपना सहयोग और बढ़ाया और गांड को ज़ोर से ऊपर नीचे करने लगी। अब राज को उन्माद आने लगा और वह नियंत्रण खोने लगा। उसके मुँह से अचानक गालियाँ निकलनी लगीं," साली अब बोल कैसा लग रहा है? ... आआअह्ह्ह्हाअ अब कभी किसी और से मराएगी तो तेरी गांड मार दूंगा .... आह्हा कैसी अच्छी चूत है !! ..... मज़ा आ गया .... साली गांड भी मराती है क्या? ..... मुझसे मरवाएगी तो तुझे पता चलेगा ..... ऊओह ." कहते हैं जब इंसान चरमोत्कर्ष को पाता है तो जानवर हो जाता है। कुछ ऐसा ही हाल राज का हो रहा था। वह एक भद्र अफसर से अनपढ़ जानवर हो गया था। थोड़ी ही देर में उसके वीर्य का गुब्बारा फट गया और वह ज़ोर से गुर्रा के डॉली के बदन पर गिर गया और हांफने लगा। उसका वीर्य डॉली की योनि में पिचकारी मार रहा था। राज क्लाइमेक्स के सुख में कंपकंपा रहा था और उसका फव्वारा अभी भी योनि को सींच रहा था। कुछ देर में वह शांत हो गया और शव की भांति डॉली के ऊपर पड़ गया।
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राज ने ऐसा मैथुनी भूकंप पहले नहीं देखा था। वह पूरी तरह निढाल और निहाल हो चुका था। उधर डॉली भी पूरी तरह तृप्त थी। उसने भी इस तरह का भूचाल पहली बार अनुभव किया था। दोनों एक दूसरे को कृतज्ञ निगाहों से देख रहे थे। राज ने डॉली को प्यार भरा लम्बा चुम्बन दिया। अब तक उसका लिंग शिथिल हो चुका था अतः उसने बाहर निकाला और उठ कर बैठ गया। डॉली भी पास में बैठ गई और उसने राज के लिंग को झुक कर प्रणाम किया और उसके हर हिस्से को प्यार से चूमा।

राज ने कहा- और मत चूमो नहीं तो तुम्हें ही मुश्किल होगी।

डॉली बोली कि ऐसी मुश्किलें तो वह रोज झेलना चाहती है। यह कह कर उसने लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसा मानो उसकी आखिरी बूँद निकाल रही हो। उसने लंड को चाट कर साफ़ कर दिया और फिर खड़ी हो गई।

घड़ी में शाम के छः बज रहे थे। उन्होंने करीब छः घंटे रति-रस का भोग किया था। दोनों थके भी थे और चुस्त भी थे। डॉली राज को बाथरूम में ले गई और उसको प्यार से नहलाया, पौंछा और तैयार किया। फिर खुद नहाई और तैयार हुई। राज के लिंग को पुच्ची करते हुए उसने राज को कहा कि अब यह मेरा है। इसका ध्यान रखना। इसे कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। मैं चाहती हूँ कि यह सालों तक मेरी इसी तरह आग बुझाये।

राज ने उसी अंदाज़ में डॉली की चूत और गांड पर हाथ रख कर कहा कि यह अब मेरी धरोहर हैं। इन्हें कोई और हाथ ना लगाये। डॉली ने विश्वास दिलाया कि ऐसा ही होगा पर पूछा की गांड से क्या लेना देना? राज ने पूछा कि क्या अब तक उसके पति ने उसकी गांड नहीं ली?

डॉली ने कहा- नहीं ! उनको तो यह भी नहीं पता कि यह कैसे करते हैं।

राज ने कहा कि अगर तुम्हे आपत्ति न हो तो मैं तुम्हें सिखाऊंगा। डॉली राजी राजी मान गई। राज ने अगले शुक्रवार के लिए तैयार हो कर आने को कहा और फिर दोनों अपने अपने घर चले गए।

राज अब अगले शुक्रवार की तैयारी में जुट गया। वह चाहता था कि अगली बार जब वह डॉली के साथ हो तो वह अपनी सबसे पुरानी और तीव्र इच्छा को पूरा कर पाए।

उसकी इच्छा थी गांड मारने की। वह बहुत सालों से इसकी कोशिश कर रहा था पर किसी कारण बात नहीं बन रही थी।

उसे ऐसा लगा कि शायद डॉली उसे खुश करने के लिए इस बात के लिए राज़ी हो जायेगी। उसे यह भी पता था कि उसकी यह मुराद इतने सालों से पूरी इसलिए नहीं हो पाई थी क्योंकि इस क्रिया मैं लड़की को बहुत दर्द हो सकता है इसीलिए ज्यादातर लड़कियाँ इसके खिलाफ होती हैं। उनके इस दर्द का कारण भी खुद आदमी ही होते हैं, जो अपने मज़े में अंधे हो जाते हैं और लड़की के बारे में नहीं सोचते। राज को वह दिन याद है जब वह सातवीं कक्षा में था और एक हॉस्टल में रहता था। तभी एक ग्यारहवीं कक्षा के बड़े लड़के, हर्ष ने उसके साथ एक बार बाथरूम में ज़बरदस्ती करने की कोशिश की थी तो राज को कितना दर्द हुआ था वह उसे आज तक याद है।

राज चाहता था कि जब वह अपनी मन की इतनी पुरानी मुराद पूरी कर रहा हो तब डॉली को भी मज़ा आना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो न केवल उसका मज़ा दुगना हो जायेगा, हो सकता है डॉली को भी इसमें इतना मज़ा आये की वह भविष्य में भी उससे गांड मरवाने की इच्छा जताए।

राज को पता था कि गांड में दर्द दो कारणों से होता है। एक तो चूत के मुकाबले उसका छेद बहुत छोटा होता है जिससे लंड को प्रवेश करने के लिए उसके घेरे को काफी खोलना पड़ता है जिसमें दर्द होता है। दूसरा, चूत के मुकाबले गांड में कोई प्राकृतिक रिसाव नहीं होता जिस से लंड के प्रवेश में आसानी हो सके। इस सूखेपन के कारण भी लंड के प्रवेश से दर्द होता है। यह दर्द आदमी को भी हो सकता है पर लड़की (या जो गांड मरवा रहा हो) को तो होता ही है।

भगवान ने यह छेद शायद मरवाने के लिए नहीं बनाया था !!!
राज यही सोच रहा था कि इस क्रिया को किस तरह डॉली के लिए बिना दर्द या कम से कम दर्द वाला बनाया जाए।

उसे एक विचार आया। उसने एक बड़े आकार की मोमबत्ती खरीदी और चाकू से शिल्पकारी करके उसे एक मर्द के लिंग का आकार दे दिया। उसने यह देख लिया कि इस मोम के लिंग में कहीं कोई खुरदुरापन या चुभने वाला हिस्सा नहीं हो।

उसने जानबूझ कर इस लिंग की लम्बाई ९-१० इंच रखी जो कि आम लंड की लम्बाई से ३-४ इंच ज्यादा है और उसका घेरा आम लंड के बराबर रखा। उसने मोम के लिंग का नाम भी सोच लिया। वह उसे "लिंगराज" बुलाएगा !
उसने बाज़ार से एक के-वाई जेली का ट्यूब खरीद लिया। वैसे तो डॉली के बारे में सोच कर राज को जवानी का अहसास होने लगा था फिर भी एहतियात के तौर पर उसने एक पत्ती तडालफ़िल की गोलियों की खरीद ली जिस से अगर ज़रुरत हो तो ले सकता है। वह नहीं चाहता था कि जिस मनोकामना की पूर्ति के लिए वह इतना उत्सुक है उसी की प्राप्ति के दौरान उसका लंड उसे धोखा दे जाये। एक गोली के सेवन से वह पूरे २४ घंटे तक "लिंगराज" की बराबरी कर पायेगा।

अब उसने अपने हाथ की सभी उँगलियों के नाखून काट लिए और उन्हें अच्छे से फाइल कर लिया। एक बैग में उसने "लिंगराज", के-वाई जेली का ट्यूब, एक छोटा तौलिया और एक नारियल तेल की शीशी रख ली। अब वह डॉली से मिलने और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए तैयार था। बेसब्री से वह अगले शुक्रवार का इंतज़ार करने लगा।
josef
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Re: सातवें आसमान पर

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उधर डॉली भी राज के ख्यालों में गुम थी। उसे रह रह कर राज के साथ बिताये हुए पल याद आ रहे थे। वह जल्द से जल्द फिर से उसकी बाहों में झूलना चाहती थी। राज से मिले दस दिन हो गए थे। उस सुनहरे दिन के बाद से वे मिले नहीं थे। राज को किसी काम से कानपुर जाना पड़ गया था। पर वह कल दफ्तर आने वाला था।
डॉली सोच नहीं पा रही थी कि अब दफ्तर में वह राज से किस तरह बात करेगी या फिर राज उस से किस तरह पेश आएगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि आम आदमियों की तरह वह उसकी अवहेलना करने लगेगा। कई मर्द जब किसी लड़की की अस्मत पा लेते हैं तो उसमें से उनकी रुचि हट जाती है और कुछ तो उसे नीचा समझने लगते हैं ....। डॉली कुछ असमंजस में थी ....।


लालसा, वासना, डर, आशंका, ख़ुशी और उत्सुकता का एक अजीब मिश्रण उसके मन में हिंडोले ले रहा था।
डॉली ने सुबह जल्दी उठ कर विशेष रूप से उबटन लगा कर देर तक स्नान किया। भूरे रंग की सेक्सी पैंटी और ब्रा पहनी जिसे पहन कर ऐसा लगता था मानो वह नंगी है। उसके ऊपर हलके बैंगनी रंग की चोली के साथ पीले रंग की शिफोन की साड़ी पहन कर वह बहुत सुन्दर लग रही थी। बालों में चमेली का गजरा तथा आँखों में हल्का सा सुरमा। चूड़ियाँ, गले का हार, कानों में बालियाँ और अंगूठियाँ पहन कर ऐसा नहीं लग रहा था कि वह दफ्तर जाने के लिए तैयार हो रही हो। डॉली मानो दफ्तर भूल कर अपनी सुहाग रात की तैयारी कर रही थी। सज धज कर जब उसने अपने आप को शीशे में देखा तो खुद ही शरमा गई। उसके पति ने जब उसे देखा तो पूछ उठा- कहाँ कि तैयारी है ...?

डॉली ने बताया कि आज दफ्तर में ग्रुप फोटो का कार्यक्रम है इसलिए सब को तैयार हो कर आना है !! रोज़ की तरह उसका पति उसे मोटर साइकिल पर दफ्तर तक छोड़ कर अपने काम पर चला गया। डॉली ने चलते वक़्त उसे कह दिया हो सकता है आज उसे दफ्टर में देर हो जाये क्योंकि ग्रुप फोटो के बाद चाय-पानी का कार्यक्रम भी है।

दफ्तर १० बजे शुरू होता था पर डॉली ९.३० बजे पहुँच जाती थी क्योंकि उसे छोड़ने के बाद उसके पति को अपने दफ्तर भी जाना होता था। डॉली ने ख़ास तौर से राज का कमरा ठीक किया और पिछले १० दिनों की तमाम रिपोर्ट्स और फाइल करीने से लगा कर राज की मेज़ पर रख दी।

कुछ देर में दफ्तर के बाकी लोग आने शुरू हो गए। सबने डॉली की ड्रेस की तारीफ़ की और पूछने लगे कि आज कोई ख़ास बात है क्या?

डॉली ने कहा कि अभी उसे नहीं मालूम पर हो सकता है आज का दिन उसके लिए नए द्वार खोल सकता है !!!
लोगों को इस व्यंग्य का मतलब समझ नहीं आ सकता था !!

वह मन ही मन मुस्कराई ....

ठीक दस बजे राज दफ्तर में दाखिल हुआ। सबने उसका अभिनन्दन किया और राज ने सबके साथ हाथ मिलाया। जब डॉली राज के ऑफिस में उस से अकेले में मिली राज ने ऐसे बर्ताव किया जैसे उनके बीच कुछ हुआ ही न हो। वह नहीं चाहता था कि दफ्तर के किसी भी कर्मचारी को उन पर कोई शक हो। डॉली को उसने दफ्तर के बाद रुकने के लिए कह दिया जिस से उसके दिल की धड़कन बढ़ गई।

किसी तरह शाम के ५ बजे और सभी लोग राज के जाने का इंतजार करने लगे। राज बिना वक़्त गँवाए दफ्तर से घर की ओर निकल पड़ा। शीघ्र ही बाकी लोग भी निकल गए। डॉली यह कह कर रुक गई कि उसे एक ज़रूरी फैक्स का इंतजार है। उसके बाद वह दफ्तर को ताला भी लगा देगी और चली जायेगी।

उसने चौकीदार को भी छुट्टी दे दी। जब मैदान साफ़ हो गया तो डॉली ने राज को मोबाइल पर खबर दे दी।
करीब आधे घंटे बाद राज दोबारा ऑफिस आ गया और अन्दर से दरवाज़ा बंद करके दफ्टर की सभी लाइट, पंखे व एसी बंद कर दिए। सिर्फ अन्दर के गेस्ट रूम की एक लाइट तथा एसी चालू रखा।

अब उसने डॉली को अपनी ओर खींच कर जोर से अपने आलिंगन में ले लिया और वे बहुत देर तक एक दूसरे के साथ जकड़े रहे। सिर्फ उनके होंठ आपस में हरकत कर रहे थे और उनकी जीभ एक दूसरे के मुँह की गहराई नाप रही थी। थोड़ी देर में राज ने पकड़ ढीली की तो दोनों अलग हुए।

घड़ी में ५.३० बज रहे थे। समय कम बचा था इसलिए राज ने अपने कपड़े उतारने शुरू किये पर डॉली ने उसे रोक कर खुद उसके कपड़े उतारने लगी। राज को निर्वस्त्र कर उसने उसके लिंग को झुक कर पुच्ची की और खड़ी हो गई।
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