रंगीन रातों की कहानियाँ

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rajan
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Re: रंगीन रातों की कहानियाँ

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भाई से चुद गई

मैं अपने घर में एकलौती लड़की हूँ। लाड़ प्यार ने मुझे जिद्दी बना दिया था। बोलने में भी मैं लाड़ के कारण तुतलाती थी। मैं सेक्स के बारे में कम ही जानती थी। पर हां कॉलेज तक आते आते मुझे चूत और लण्ड के बारे में थोड़ा बहुत मालूम हो गया था। मेरी माहवारी के कारण मुझे थोड़ा बहुत चूत के बारे में पता था पर कभी सेक्स की भावना मन में आई ही नहीं। लड़को से भी मैं बातें बेहिचक किया करती थी। पर एक दिन तो मुझे सब मालूम पड़ना ही था।

आज रात को जैसे ही मैंने अपना टीवी बन्द किया, मुझे मम्मी पापा के कमरे से एक अनोखी सी आवाज आई। मैंने बाहर निकल कर अपने से लगे कमरे की तरफ़ देखा तो लाईट जल रही थी पर कमर सब तरफ़ से बन्द था। मैं अपने कमरे में वापस आ गई। मुझे फिर वही आवाज आई। मेरी नजर मेरे कमरे से लगे हुये दरवाजे पर टिक गई। मैंने परदा हटाया तो बन्द दरवाजे में एक छेद नजर आया, जो नीचे था। मैंने झुक के कमरे में देखने की कोशिश की। एक ही नजर में मुझे मम्मी पापा दिख गये। वे नंगे थे और कुछ कर रहे थे।

मैंने तुरन्त कमरे की लाईट बन्द की और फिर उसमें से झांकने लगी। पापा के चमकदार गोल गोल चूतड़ साफ़ नजर आ रहे थे। सामने बड़ी सी उनकी सू सू तनी हुई दिख रही थी। पापा के चूतड़ कितने सुन्दर थे, उनका नंगा शरीर बिल्कुल किसी हीरो ... नहीं ही-मैन ... नहीं सुपरमैन... की तरह था। मैं तो पहली नजर में ही पापा पर मुग्ध हो गई। पापा की सू सू मम्मी के चूतड़ो में घुसी हुई सी नजर आ रही थी। पापा बार बार मम्मी के बोबे दबा रहे थे, मसल रहे थे। मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया। झुक कर बस देखती रही... हां, मम्मी को इसमें आनन्द आ रहा था और पापा को भी बहुत मजा आ रहा था। कुछ देर तक तो मैं देखती रही फिर मैं बिस्तर पर आ कर लेट गई। सुना तो था कि सू सू तो लड़कियों की सू सू में जाती है... ये तो चूतड़ों के बीच में थी। असमन्जस की स्थिति में मैं सो गई।

दूसरे दिन मेरा चचेरा भाई चीकू आ गया। मेरी ही उम्र का था। उसका पलंग मेरे ही कमरे में दूसरी तरफ़ लगा दिया था। सेक्स के मामले में मैं नासमझ थी। पर चीकू सब समझता था। रात को हम दोनों मोबाईल से खेल रहे थे... कि फिर से वही आवाज मुझे सुनाई दी। चीकू किसी काम से बाहर चला गया था। मैंने भाग कर परदा हटा कर छेद में आंख लगा दी। पापा मम्मी के ऊपर चढ़े हुए थे और अपने चूतड़ को आगे पीछे कर के रगड़ रहे थे। इतने में चीकू आ गया...

"क्या कर रही है गौरी... ?" चीकू ने धीरे से पूछा।

"श श ... चुप... आजा ये देख... अन्दर मम्मी पापा क्या कर रहे हैं?" मैंने मासूमियत से कहा।

"हट तो जरा ... देखूँ तो !" और चीकू ने छेद पर अपनी आंख लगा दी। उसे बहुत ही मजा आने लगा था।

"गौरी, ये तो मजे कर रहे हैं ... !" चीकू उत्सुकता से बोला।

पजामे में भी चीकू के चूतड़ भी पापा जैसे ही दिख रहे थे। अनजाने में ही मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर पहुंच गये और सहलाने लगे।

"अरे हट, ये क्या कर रही है... ?" उसने बिना मुड़े छेद में देखते हुये मेरे हाथ को हटाते हुये कहा।

"ये बिल्कुल पापा की तरह गोल गोल मस्त हैं ना... !" मैंने फिर से उसके चूतड़ों पर हाथ फ़ेरा। मैंने अब हाथ नीचे ले जाते हुये पजामें में से उसका लण्ड पकड़ लिया... वो तो बहुत कड़ा था और तना हुआ था... !

"चीकू ये तो पापा की सू सू की तरह सीधा है... !"

वो एक दम उछल सा पड़ा...

"तू ये क्या करने लगी है ... चल हट यहां से... !" उसने मुझे झिड़कते हुये कहा।

पर उसका लण्ड तम्बू की तरह उठा हुआ था। मैंने फिर से भोलेपन में उसका लण्ड पकड़ लिया...

"पापा का भी ऐसा ही है ना मस्त... ?" मैंने जाने किस धुन में कहा। इस बार वो मुस्करा उठा।

"तुझे ये अच्छा लगता है...? " चीकू का मन भी डोलने लगा था।

"आप तो पापा की तरह सुपरमैन हैं ना... ! देखा नहीं पापा क्या कर रहे थे... मम्मी को कितना मजा आ रहा था... ऐसे करने से मजा आता है क्या... " मेरा भोलापन देख कर उसका लण्ड और कड़क गया।

"आजा , वहाँ बिस्तर पर चल... एक एक करके सब बताता हूँ !" चीकू ने लुफ़्त उठाने की गरज से कहा। हम दोनों बिस्तर पर बैठ गये... उसका लण्ड तना हुआ था।

"इसे पकड़ कर सहला... !" उसने लण्ड की तरफ़ इशारा किया। मैंने बड़ी आसक्ति से उसे देखा और उसका लण्ड एक बार और पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी। उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी।

"मजा आ रहा है भैया... ?"

उसने सिसकारी भरते हुये हां में सर हिलाया,"आ अब मैं तेरे ये सहलाता हूँ... देख तुझे भी मजा आयेगा... !" उसने मेरी चूंचियों की तरफ़ इशारा किया।

मैंने अपना सीना बाहर उभार दिया। मेरी छोटी छोटी दोनों चूंचियां और निपल बाहर से ही दिखने लगे।

उसने धीरे से अपना हाथ मेरी चूंचियों पर रखा और दबा दिया। मेरे शरीर में एक लहर सी उठी। अब उसके हाथ मेरी पूरी चूंचियों को दबा रहे थे, मसल रहे थे। मेरे शरीर में वासना भरी गुदगुदी भरने लगी। लग रहा था कि बस दबाते ही रहे। ज्योंही उसने मेरे निपल हल्के से घुमाये, मेरे मुँह से आनन्द भरी सीत्कार निकल गई।
"भैया, इसमें तो बड़ा मजा आता है... !"

"तो मम्मी पापा यूँ ही थोड़े ही कर रहे हैं... ? मजा आयेगा तभी तो करेंगे ना... ?"

"पर पापा मम्मी के साथ पीछे से सू सू घुसा कर कुछ कर रहे थे ना... उसमें भी क्या... ?"

"अरे बहुत मजा आता है ... रुक जा... अभी अपन भी करेंगे... देख कैसा मजा आता है !"

"देखो तो पापा ने अपनी सू सू मेरे में नहीं घुसाई... बड़े खराब हैं ... !"

"ओह हो... चुप हो जा... पापा तेरे साथ ये सब नहीं कर सकते हैं ... हां मैं हूँ ना !"

"क्या... तुझे आता है ये सब... ? फिर ठीक है... !"

"अब मेरे लण्ड को पजामे के अन्दर से पकड़ और फिर जोर से हिला... "

"क्या लण्ड ... ये तो सू सू है ना... लण्ड तो गाली होती है ना ?"

"नहीं गाली नहीं ... सू सू का नाम लण्ड है... और तेरी सू सू को चूत कहते हैं !"

मैं हंस पड़ी ऐसे अजीब नामों को सुनकर। मैंने उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया और पजामा नीचे करके उसका तन्नाया हुआ लण्ड पकड़ लिया और कस कर दबा लिया।

"ऊपर नीचे कर ... आह हां ... ऐसे ही... जरा जोर से कर... !"

मैं लण्ड उसके कहे अनुसार मसलती रही... और मुठ मारती रही।

"गौरी, मुझे अपने होंठो पर चूमने दे... !"

उसने अपना चेहरा मेरे होंठो से सटा दिया और बेतहाशा चूमने लगा। उसने मेरा पजामा भी नाड़ा खोल कर ढीला कर दिया... और हाथ अन्दर घुसा दिया। उसका हाथ मेरी चूत पर आ गया। मेरा सारा जिस्म पत्ते की तरह कांपने लगा था। सारा शरीर एक अद्भुत मिठास से भर गया था। ऐसा महसूस हो रहा था कि अब मेरे साथ कुछ करे। मेरे में समां जाये... ... शायद पापा की तरह लण्ड घुसा दे... ।

उसने जोश में मुझे बिस्तर पर धक्का दे कर लेटा दिया और मेरे शरीर को बुरी तरह से दबाने लगा था। पर मैंने अभी तक उसका लण्ड नहीं छोड़ा था। अब मेरा पजामा भी उतर चुका था। मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी। पर मस्ती में मुझे यह नहीं मालूम था कि चूत चुदने के लिये तैयार हो चुकी थी। मेरा शरीर लण्ड लेने के लिये मचल रहा था।

अचानक चीकू ने मेरे दोनों हाथ दोनों तरफ़ फ़ैला कर पकड़ लिये और बोला,"गौरी, मस्ती लेनी हो तो अपनी टांगें फ़ैला दे... !"

मुझे तो स्वर्ग जैसा मजा आ रहा था। मैंने अपनी दोनों टांगें खोल दी... उससे चूत खुल गई। चीकू मेरे ऊपर झुक गया और मेरे अधरों को अपने अधर से दबा लिया... उसका लण्ड चूत के द्वार पर ठोकरें मार रहा था। उसके चूतड़ों ने जोर लगाया और लण्ड मेरी चूत के द्वार पर ही अटक कर फ़ंस गया। मेरे मुख से चीख सी निकली पर दब गई। उसने और जोर लगाया और लण्ड करीब चार इंच अन्दर घुस गया। मेरा मुख उसके होंठो से दबा हुआ था। उसने मुझे और जोर से दबा लिया और लण्ड का एक बार फिर से जोर लगा कर धक्का मारा ... लण्ड सब कुछ चीरता हुआ, झिल्ली को फ़ाड़ता हुआ... अन्दर बैठ गया।

मैं तड़प उठी। आंखों से आंसू निकल पड़े। उसने बिना देरी किये अपना लण्ड चलाना आरम्भ कर दिया। मैं नीचे दबी कसमसाती रही और चुदती रही। कुछ ही देर में चुदते चुदते दर्द कम होने लगा और मीठी मीठी सी कसक शरीर में भरने लगी। चीकू को चोदते चोदते पसीना आ गया था। पर जोश जबरदस्त था। दोनों जवानी के दहलीज़ पर आये ही थे। अब उसके धक्के चलने से मुझे आनन्द आने लगा था। चूत गजब की चिकनी हो उठी थी। अब उसने मेरे हाथ छोड़ दिये थे ... और सिसकारियाँ भर रहा था।

मेरा शरीर भी वासना से भर कर चुदासा हो उठा था। एक एक अंग मसले जाने को बेताब होने लगा था। मुझे मालूम हो गया था कि मम्मी पापा यही आनन्द उठाते हैं। पर पापा यह आनन्द मुझे क्यों नहीं देते। मुझे भी इस तरह से लण्ड को घुसा घुसा कर मस्त कर दें ... । कुछ देर में चीकू मुझसे चिपक गया और उसका वीर्य छूट गया। उसने तेजी से लण्ड बाहर निकाला और चूत के पास दबा दिया। उसका लण्ड अजीब तरीके से सफ़ेद सफ़ेद कुछ निकाल रहा था। मेरा यह पहला अनुभव था। पर मैं उस समय तक नहीं झड़ी थी। मेरी उत्तेजना बरकरार थी।

"कैसा लगा गौरी...? मजा आता है ना चुदने में...? "

"भैया लगती बहुत है... ! आआआआ... ये क्या...?" बिस्तर पर खून पड़ा था।

"ये तो पहली चुदाई का खून है... अब खून नहीं निकलेगा... बस मजा आयेगा... !"

मैं भाग कर गई और अपनी चूत पानी से धो ली... चादर को पानी में भिगो दी। वो अपने बिस्तर में जाकर सो गया पर मेरे मन में आग लगी रही। वासना की गर्मी मुझसे बर्दाश्त नहीं हुई। रात को मैं उसके बिस्तर पर जाकर उस पर चढ़ गई। उसकी नींद खुल गई...

"भैया मुझे अभी और चोदो... पापा जैसे जोर से चोदो... !"

"मतलब गाण्ड मरवाना है... !"

"छीः भैया, गन्दी बात मत बोलो ... चलो... मैंने अपना पजामा फिर से उतार दिया और मम्मी जैसे गाण्ड चौड़ी करके खड़े हो गई। चीकू उठा और तुरंत क्रीम ले कर आया और मेरी गाण्ड में लगा दी।

"गौरी, गाण्ड को खोलने की कोशिश करना ... नहीं तो लग जायेगी... " मैंने हाँ कर दी।

उसने लण्ड को मेरी गाण्ड के छेद पर लगाया और कहा,"गाण्ड भींचना मत ... ढीली छोड़ देना... " और जोर लगाया।

एक बार तो मेरी गाण्ड कस गई, फिर ढीली हो गई। लण्ड जोर लगाने से अन्दर घुस पड़ा। मुझे हल्का सा दर्द हुआ... उसने फिर जोर लगा कर लण्ड को और अन्दर घुसेड़ा। चिकनाई से मुझे आराम था। लण्ड अन्दर बैठता गया।

"हाय... पूरा घुस गया ना, पापा की तरह... ?" मुझे अब अच्छा लगने लगा था।

"हां गौरी ... पूरा घुस गया... अब धक्के मारता हूँ... मजा आयेगा अब... !"

उसने धक्के मारने शुरू कर दिये, मुझे दर्द सा हुआ पर चुदने लायक थी। कुछ देर तक तो वो गाण्ड में लण्ड चलाता रहा। मुझे कुछ खास नहीं लगा, पर ये सब कुछ मुझे रोमांचित कर रहा था। पर वासना के मारे मेरी चूत चू रही थी।

"चीकू, मुझे जाने कैसा कैसा लग रहा है... मेरी चूत चोद दे यार... !"

चीकू को मेरी टाईट गाण्ड में मजा आ रहा था। पर मेरी बात मान कर उसने लण्ड मेरी चूत में टिका दिया और इस बार मेरी चूत ने लण्ड का प्यार से स्वागत किया। चिकनी चूत में लण्ड उतरता गया। इस बार कोई दर्द नहीं हुआ पर मजा खूब आया। तेज मीठा मीठा सा कसक भारा अनुभव। अब लगा कि वो मुझे जम कर चोदे।

मम्मी इतना मजा लेती हैं और मुझे बताती भी नहीं हैं ... सब स्वार्थी होते हैं ... सब चुपके चुपके मजे लेते रहते हैं ... । मैंने बिस्तर अपने हाथ रख दिये और चूत और उभार दी। अब मैं पीछे से मस्ती से चुद रही थी। मेरी चूत पानी से लबरेज थी। मेरे चूतड़ अपने आप ही उछल उछल कर चुदवाने लगे थे। उसका लण्ड सटासट चल रहा था... और ... और... मेरी मां... ये क्या हुआ... चूत में मस्ती भरी उत्तेजना सी आग भरने लगी और फिर मैं उसे सहन नहीं कर पाई... मेरी चूत मचक उठी... और पानी छोड़ने लगी... झड़ना भी बहुत आनन्द दायक था।

तभी चीकू के लण्ड ने भी फ़ुहार छोड़ दी... और उसका वीर्य उछल पड़ा। लण्ड बाहर निकाल कर वो मेरे साथ साथ ही झड़ता रहा। मुझे एक अजीब सा सुकून मिला। हम दोनों शान्त हो चुके थे।

"चीकू... मजा आ गया यार... अब तो रोज ही ऐसा ही करेंगे ... !" मैंने अपने दिल की बात कह दी।

"गौरी, मेरी मासूम सी गौरी ... कितना मजा आयेगा ना... अपन भी अब ऐसे ही मजे करेंगे... पर किसी को बताना नहीं... वर्ना ये सब बंद तो हो ही जायेगा... पिटाई अलग होगी...!"

"चीकू ... तुम भी मत बताना ... मजा कितना आता है ना, अपन रोज ही मस्ती मारेंगे... " हम दोनों ही अब आगे का कार्यक्रम बनाने लगे।
rajan
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रीना दीदी की घर मे चूत मारी

मेरा नाम विजय है। मैं द्वितीय वर्ष का छात्र हूँ। मैं आपको जो कहानी बताने जा रहा हूँ वह गत वर्ष ग्रीष्मकाल की है।

मैं गर्मी की छुट्टियों में मुम्बई गया था। मुम्बई में मेरी चाची रहती हैं। वह वहाँ पर चेम्बुर में रहती हैं। मैं जब मुम्बई गया था तब चाची के पास मेरी चचेरी बहन भी आई हुई थी। उसका नाम रीना है। उसकी शादी हो चुकी है। उसकी उम्र चौबीस वर्ष की है। वो दिखने में बहुत ही सेक्सी है। उसके कपड़े पहनने के ढंग और रहन-सहन भी बहुत सेक्सी हैं। उसे कोई भी देखे तो उसका लण्ड खड़ा होना ही होना है।

एक दिन चाची को गाँव जाना पड़ा। वह गाँव चली गई। घर पर मैं और रीना दीदी दोनों ही थे। उस दिन शाम को मैं बोर हो गया था, इसलिए मैंने दीदी से कहा,"क्यों ना फिल्म देखने चलते हैं।" वह भी राजी हो गई, और हम फिल्म देखने चले गए। उस दिन हमने मर्डर फिल्म देखी। फिल्म में काफी गरम दृश्य थे। फिल्म देखने के बाद हम घर आए। हमने रात का खाना खाया। रात काफ़ी हो चुकी थी।

आपको तो पता ही होगा, मुम्बई में घर बहुत छोटे होते हैं। उस पर मेरी चाची एक कमरे के घर में रहती हैं। वहाँ सिर्फ एक ही बिस्तर के बाद, थोड़ी और जगह बचती थी। अब हमें सोना था। सो मैंने अपनी लुँगी ली और दीदी के सामने ही अपने कपड़े बदलने लगा। मैंने मेरी शर्ट खोली, बाद में पैन्ट भी। मेरे सामने अब भी मर्डर फिल्म के दृश्य घूम रहे थे, इसलिए मेरे लंड खड़ा था। वो अण्डरवियर में तम्बू बना रहा था। मेरे पैन्ट निकालने के बाद मेरे लण्ड की तरफ़ दीदी की नज़र गई, वह यह देखकर मुस्कुराई। मैंने नीचे देखा तो मेरे अण्डरवियर में बहुत बड़ा टेन्ट बना हुआ था। मैं शरमाया और मैंने मेरा मुँह दूसरी ओर घुमा लिया, फिर लुँगी बाँध ली।

पर लुँगी के बावज़ूद मेरे लंड का आकार नज़र आ रहा था। उस हालत में मैं कुछ भी नहीं कर सकता था। फिर मैंने यह भी सोचा कि दीदी यह सब देखकर मुस्कुरा रही है, उसे शर्म नहीं आ रही है, तो फिर मैं क्यों शरमाऊँ?
मैं बिस्तर पर जाकर सो गया। फिर दीदी ने आलमारी से अपनी नाईटी निकाली और कमरे का दरवाज़ा बन्द कर लिया, उसने साड़ी उतारी। वाऊ... क्या बद़न था। वह देखकर तो मैं पागल ही हो गया और मेरा लंड उछाल मारने लगा। उसने अपनी ब्लाऊज़ निकाली और बाद में अपनी पेटीकोट भी निकाल दी।

वह मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी। उसे उस हालत में देखकर तो मैं पागल ही हो रहा था। लेकिन वह मेरी दीदी थी, इसलिए नियंत्रण कर रहा था। मुझे डर भी लग रहा था कि मैं कुछ कर ना बैठूँ और दीदी को गुस्सा आ गया तो मेरी तो शामत आ जाएगी। उसने नाईटी पहन ली। उसकी नाईटी पारदर्शी थी, जिसमें से उसका सारा जिस्म नज़र आ रहा था।

वह मेरे पास आकर सो गई। हम दोनों एक ही बिस्तर पर सोए थे। लेकिन उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरे सामने उसका नंगा जिस्म घूम रहा था। और उसके मेरे पास सोने के कारण मेरा तनाव और बढ़ा हुआ था। लेकिन कुछ करने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी।

आधे घंटे तक तो मैं वैसे ही तड़पता रहा। लेकिन बाद में मैंने सोचा कि ऐसा मौक़ा बार-बार नहीं आने वाला। अगर तूने कुछ नहीं किया तो हाथ से निकल जाएगा। मैंने सोच लिया थोड़ा रिस्क लेने में क्या हर्ज़ है। और मैं थोड़ा सा दीदी की ओर सरक गया। दीदी मेरी विपरीत दिशा में मुँह करके सोई थी। मैंने मेरा हाथ उनके बदन पर डाला। मेरा हाथ दीदी के पेट पर था। मैंने धीरे-धीरे मेरा हाथ उनके पेट पर घुमाना चालू किया।

थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उनकी चूचियों पर रखा। उसकी चूचियाँ काफ़ी बड़ी और नरम थीं। मैंने उसकी चूचियाँ धीरे-धीरे दबानी चालू कीं। उसने कुछ भी नहीं कहा, ना ही कोई हरक़त की। मेरी हिम्मत काफ़ी बढ़ गई। मैंने अपने लंड को उसके चूतड़ पर दबाया और उसे अपनी ओर खींचा और फिर धीरे-धीरे मैं अपना लंड उसके दोनों चूतड़ों के बीच की दरार में दबाने लगा। वह मेरी ओर घूम गई। मेरी तो डर के मारे गाँड ही फट गई।

लेकिन वह भी मेरी ओर सरकी, तो मेरा लंड उसकी चूत पर दब रहा था और उसकी चूचियाँ मेरी छाती पर। मैं समझ गया कि वह सो नहीं रही थी, बस सोने का नाटक कर रही थी और वह भी चुदवाना चाहती है। अब तो मेरे जोश की कोई सीमा ही नहीं थी। मैंने उसे मेरी ओर फिर से खींचा, तो वह मुझसे थोड़ा दूर सरक गई। मैं डर गया, और चुपचाप वैसे ही पड़ा रहा।

थोड़ी ही देर बाद उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और मसलने लगी। मैं बहुत खुश हुआ। उसने अपने हाथों से मेरी लुंगी निकाल दी और अण्डरवियर भी, और मेरे लंड को मसलने लगी। फिर उसने मेरे कान में कहा,"वीजू, तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है। तुम्हारे जीजू का तो बहुत छोटा है।"

मैंने भी दीदी की नाईटी निकाल दी और उनको पूरा नंगा कर दिया। फिर मैं उनके ऊपर लेट कर उन्हें चूमने लगा। मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था। वह सिसकियाँ भर रही थी। मैं उसे चूमते-चूमते उसकी चूत तक चला गया और उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए। उसके मुँह से सीत्कार निकल गई। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डालनी शुरु की, वह अपने चूतड़ उठाकर मुझे प्रतिक्रिया दे रही थी।

मेरा लंड अब लोहे जैसा गरम हो गया था। मैं उठा और उसकी छाती पर बैठ गया और मैंने लंड उसके मुँह में डाल दिया। वह भी मेरा लंड बड़े मज़े से चूसने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

मैंने बाद में अपना लण्ड उसकी दोनों चूचियों के बीच में डाला और उसे आगे-पीछे करने लगा। वाऊ... क्या चूचियाँ थीं उसकी, मैं तो पागल हुआ जा रहा था। थोड़ी देर बाद उसने कहा,"वीजू, प्लीज़, अब रहा नहीं जाता, लंड मेरी चूत में डाल दो और मुझे चोदो।" मैं उसके ऊपर फिर से लेट गया और मैंने मेरा लंड हाथ में पकड़ कर उसकी चूत के ऊपर रखा और एक ज़ोर का झटका दिया तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया।

मैंने दीदी से पूछा,"दीदी, तुम तो कह रही थी कि जीजू का लण्ड मेरे लण्ड से काफी छोटा है, तो तुम्हारी चूत इतनी ढीली? एक ही झटके में आधा लण्ड अन्दर चला गया।"

इस पर वह मुस्कुराई और बोली,"अरे वीजू, तुम्हारे जीजू का लण्ड छोटा तो है, पर मेरी चूत ने अब तक बहुत से लण्ड का पानी चखा है।"

फिर मैंने दूसरा झटका दिया और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया। फिर मैंने उसकी चुदाई शुरु कर दी। वह भी अपनी कमर उठाकर मेरा साथ दे रही थी. उसके मुँह से आवाज़ें निकल रही थीं। वह कह रही थी,"वीजू... चोदोओओओ... और ज़ोर से चोदोओओओओ... अपनी दीदी की चूत आज फाआआआड़ डालो... ओह.. वीजू... डालो और ज़ोर से और अन्दर डालो..... बहुत मज़ा आ रहा है।"

उसकी ये बातें सुनकर मेरा जोश और भी बढ़ जाता और मेरी रफ़्तार भी बढ़ती जा रही थी। फिर मैं झड़ गया और वैसे ही उसके बदन पर सो गया और उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा। उस रात मैंने दीदी की ख़ूब चुदाई की।
rajan
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भाभी के पैरों का दर्द

दोस्तो ! चुदाई ऐसा मज़ा है कि बार बार लेने का मन करता है। जब तक मोना मेरे साथ रही हमने सेक्स का बहुत मज़ा लिया पर उसके जाने के बाद मुझको नए साथी की तलाश थी, रोज रोज मुठ मार कर कब तक काम चलता !

पापा का ट्रान्सफर होने पर हम लोग नई जगह रहने आ गये। यहाँ पास ही में हमारे दूर के रिश्ते के भईया रहते थे। उनके घर में उनकी पत्नी यानि मेरी भाभी और उनकी दो लड़कियाँ रहती थी। पास रहने से हमारा उनके यहाँ आना जाना हो गया था। भाभी थोड़ी अच्छी सेहत की थी पर दिखने में बहुत सेक्सी थी। भाभी को देख कर मेरा मन उनको चोदने का होता था। भाभी से मेरी खुल कर बात होती थी और कई बार मैं उनको अश्लील चुटकले भी सुनाया करता था पर वो कुछ कहती नहीं थी। मुझको लगता था कि वो कुछ चाहती हैं पर रिश्ते के कारण कहने की हिम्मत नहीं होती थी।

भाभी के पैरों में बहुत दर्द रहता था तो कई बार मुझसे अपने पैर दबवा लेती थी। उनके पैर दबाते वक़्त मैं धीरे धीरे उनकी साड़ी घुटनों तक ऊपर कर देता था। उनके पैर बहुत गोरे थे तो उनकी तारीफ भी कर देता था। उन्होंने कभी मुझको कुछ नहीं कहा, मेरी हिम्मत बढती गई और एक दिन मैंने सोच लिया कि आज तो उनको अपने मन की बात कहनी ही है।

मैं दिन के वक़्त उनके घर गया, तब भैया ऑफिस गए हुए थे। उन्होंने मुझको अंदर बुलाया और हमने थोड़ी देर बाते की, फिर उन्होंने मुझसे अपने पैर दबाने को कहा। मैं तो इसी मौके की तलाश में था। वो पेट के बल लेट गई और मैं उनके पैर दबाने लगा और धीरे से उनकी साड़ी घुटनों तक ऊपर कर दी और पैर दबाने की जगह उनको सहलाने लगा। वो कुछ नहीं बोली

तो मैंने पूछा- भाभी, और ऊपर तक दबा दूँ?

उन्होंने कहा- हाँ !

तो मैंने धीरे धीरे उनकी साड़ी और ऊपर कर दी। अब उनकी गोरी-गोरी जांघें मेरे हाथों में थी और मैं उनको सहला रहा था। भाभी वैसे ही लेटी थी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई। तब मैंने एक झटके में उनकी साड़ी पूरी ऊपर कर दी। उन्होंने काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी और गोरी टांगों पर वो बहुत ही मस्त लग रही थी।

अब भाभी ने थोड़ा सो मुँह घुमा कर मुझको देखा तो मैं डर गया पर वो मुझको देख मुस्कुराई और फिर वैसे ही लेट गई। मैं समझ गया कि लोहा गर्म है। अब मैं धीरे धीरे उनके नितम्ब सहलाने लगा। सच में दोस्तो, उनके नितम्ब कितने चिकने और मुलायम थे आपको क्या बताऊँ !

थोड़ी देर मैं उनके नितम्ब सहलाता रहा और दोनों नितम्बों के बीच की दरार में ऊँगली करता रहा तो वो मुझको बोली- यही करते रहोगे या कुछ और भी करोगे?

अब मुझको कुछ करना था ताकि यह औरत मुझसे चुदने को तैयार हो जाये। सो मैंने उनकी पैंटी उतार दी और अपना मुँह उनकी दरार के बीच ले जाकर जीभ से उनकी गांड चाटने लगा और वो अपने मुँह से अजीब सी आवाजें निकालने लगी जो मुझको बहुत अच्छी लगी। अब मैं भी गर्म हो गया था और मेरा लण्ड पैंट में नहीं समा रहा था सो मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए और वहीं खड़ा हो कर मुठ मारने लगा।

तब भाभी ने मुझको और मेरे लौड़े को देखा और कहने लगी- यह मेरा काम है ! तुम अपना काम करो !

इतना कह कर उन्होंने मेरा लौड़ा अपने मुलायम हाथों में ले लिया और बड़े प्यार से उसको सहलाने लगी।

उनके सहलाने का अंदाज इतना अच्छा था कि मुझको लगा कि मैं तुरन्त झड़ जाऊँगा।

अब भाभी करवट लेकर पीठ के बल लेट गई। उनकी गुलाबी, बिना बालों की चूत मेरे सामने थी और उनका आंचल भी हट चुका था जिसने आज तक उनके मोटे मोटे स्तनों को मेरी नजरों से छुपाये रखा था। आज मेरी एक और इच्छा पूरी होने वाली थी सो मैंने बिना देर किये अपना मुँह उनकी चूत पर रख दिया और उसको चाटने लगा। मेरे दोनों हाथ उनके वक्ष को दबा रहे थे और वो अपने हाथों से मेरे सर को सहला रही थी।

थोड़ी देर बाद मैं थक कर लेट गया तो वो मेरे ऊपर आई और मेरे पूरे शरीर को चूमने लगी और धीरे धीर उनका मुँह मेरे लंड पर चला गया। उन्होंने मेरे लण्ड को बड़े प्यार से चूमा और मेरा लंड लॉलीपोप की तरह उनके मुँह में उतर गया। वो बहुत देर तक मेरे लंड को चूसती रही। इस वक़्त मुझको उनके स्तनों के जो दर्शन हो रहे थे, क्या बताऊ आपको ! उनके दोनों चूचे बहुत जोर से हिल रहे थे।

थोड़ी देर बाद मैंने उनको बाहों में ले लिया और उनके होठों को चूमने लगा और एक हाथ से उनकी साड़ी उतारने लगा। जल्दी ही भाभी सिर्फ ब्रा और पैंटी में रह गई। क्या बला की सुंदर लग रही थी वो औरत उस वक़्त !

मैंने उनके स्तन हाथ में ले कर खूब दबाये और जल्द ही उनकी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। अब वो पूरी नंगी मेरे सामने लेटी थी और अब मेरा अपने ऊपर कोई वश नहीं था। शायद वो समझ गई थी, सो उन्होंने अपनी टाँगे चौड़ी कर मुझको अपना लंड डालने का निमंत्रण दे दिया। मैंने अपने लंड का टोपा उनकी चूत पर रखा और अपना वजन उन पर डाल दिया। मेरा लंड उनकी चूत में उतर गया। फिर मैंने धीरे धीरे धक्का मारना शुरु किया। वो भी अपने नितम्ब उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। भाभी के साथ सेक्स करके मुझको ऐसा लग रहा था कि मानो मैं स्वर्ग में हूँ। थोड़ी देर बाद हम दोनों झड़ गए तो उन्होंने मेरा लंड चाट कर साफ़ कर दिया।

अब बारी उनकी गांड मारने की थी, सो मैंने उनको घोड़ी बनाया और जल्दी से क्रीम लगा कर अपना लंड उनके छेद में डाल दिया। यह काम शायद वो पहली बार करवा रही थी इसलिए हम दोनों को बहुत दर्द हुआ। पर कहते हैं ना कि कुछ पाने के लिए कुछ सहन भी करना पड़ता है।

थोड़ी देर के दर्द के बाद हम लोगों को मज़ा आने लगा। अब मेरा लंड उनकी गांड में और हाथ उनके स्तनों पर थे। थोड़ी देर के बाद मैं झड़ गया और मैंने अपना लावा उनकी गांड में निकाल दिया। फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट गए। उस दिन हमने दो बार और सेक्स किया और हर बार अलग अलग अवस्था में !

फिर तो यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा। आज हम वहाँ नहीं रहते पर जब भी मौका मिलता है, मैं उनके घर जाता हूँ और हम एक दूसरे की दुनिया रंगीन बनाते हैं। अब उनकी बेटियाँ भी जवान हो गई हैं।

आगे क्या होता है ! मैं दुआ करुँगा कि आपको भी ऐसी ही कोई पड़ोसी, भाभी मिले या हो सकता है आपके पड़ोस में ऐसी भाभी हो जिस पर आपकी नज़र नहीं गई हो !
rajan
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Re: रंगीन रातों की कहानियाँ

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भैया लंड दिखाओ ना प्लीज़


हेल्लो दोस्तो एक और झन्नाटेदार कहानी पेश कर रहा हू जिसे पढ़ कर आप अपना लंड हिलाने पर मजबूर हो जाएँगे .. मेरा नाम अंशुमन है और में इस साईट का बहुत चाहने वाला हूँ.. क्योंकि मुझे ब्लू फिल्म देखने से ज़्यादा मज़ा इस साईट की स्टोरी पढ़ने में आता है और शायद आप सभी को भी आता होगा में अधिकतर लेस्बियन कहानियाँ ही पढ़ता हूँ और कभी कभी देसी भी. मेरी उम्र अभी 20 साल है और मेरे साथ 11 अगस्त को बहुत मस्त घटना हुई जो में आज आप सभी से शेयर करना चाहूँगा और वो मेरे दिमाग़ से हट ही नहीं रही.. बाकी सब स्टोरी का पता नहीं.. लेकिन यह स्टोरी बिल्कुल एकदम असली है और अब में उस दिन को पुरानी यादोँ की तरह आप सभी के सामने रखता हूँ. मेरी छोटी बहन 19 साल की है और उसका नाम प्रेरणा है और पता नहीं मुझे एकदम से क्या हो गया है कि में आजकल उसी को देखकर तड़पता रहता हूँ बेहन को छोड़ा और उसको पता भी नहीं चलने देता कि में उसके साथ सेक्स करना चाहता हूँ.. लेकिन क्या बताऊँ कि अगर वो मुझे मिल जाए तो फिर और कोई नहीं चाहिए. यह अहसास आप सभी समझते होंगे और मेरे ख्याल से सारे भाई अपनी बहन के साथ सेक्स करने की इच्छा अपने मन में दबाए रखते है. फिर मैंने इस दिशा में कभी कोई कदम नहीं उठाया और मेरी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं बनी और कभी किसी को मैंने ट्राइ ही नहीं किया और सच बोलूं तो में लड़कियों के मामले में थोड़ा शर्मीला स्वभाव का हूँ.

इसलिए तो मैंने एक दिन डिसाईड किया कि धीरे धीरे कुछ ट्राई किया जाए और कुछ ऐसा किया जिससे प्रेरणा खुद ही मुझसे सेक्स करना चाहे और में जब भी कोई मौका हाथ लगता उसको देखना नहीं छोड़ता था.. उसकी नाभि, उसके बूब्स, उसकी छाती, उसके पैर, उसकी गांड, और कभी उसकी कमर.. सब की एक तस्वीर बनाकर रोज़ उसके नाम की मुठ मार ही लेता था. फिर वो भी इस उम्र में हर रोज़ धीरे धीरे सेक्सी होती जा रही थी और धीरे धीरे में उससे सभी बातें शेयर ज्यादा करने लगा.. उसका भी कोई बॉयफ्रेंड नहीं था और फिर में उसको सेक्सी कहानियाँ मेल करने लगा एक फेक आई.डी से जिसमे लेस्बियन या देसी सेक्स वाली अच्छी स्टोरी होती थी.. लेकिन मुझे पता नहीं था कि वो पढ़ती थी या नहीं और सिर्फ़ मुझे एक बार पता लग जाए कि वो उन स्टोरी को पढ़ती है.. तो मुझे पता चल जाए कि वो क्या और कैसा सोचती है एक भाई से सेक्स करने के बारे में?

फिर सभी स्टोरी की तरह में उसको नहाते हुए नहीं देख पाता था और ना ही बाकी स्टोरी की तरह में रात को उसके साथ सोता था जिससे उसको छू सकूँ.. में ज़मीन पर गद्दा बिछाकर सोता था और वो ऊपर बेड पर सोती थी. में ट्राई करता था कि उसको देखता रहूँ क्योंकि उसकी उम्र हो गयी थी चूत में ऊँगली करने की.. कभी वो सोचे कि में सो रहा हूँ और वो चूत में ऊँगली करे तो में उसको ऐसा करते हुए देखना चाहता था. में उसकी पेंटी, ब्रा तो सूंघने लगा था और मुठ मारने लगा था. फिर कभी वो बाथरूम में पेंटी, ब्रा को छोड़कर आती थी तो में उनको सूंघकर ही में बहुत खुश हो जाता था और में आजकल उससे बहुत खुलकर बातें करता था जिससे उसकी पसंद ना पसंद का पता लग जाए और जब भी मौका मिलता था उसको हग करता था. उसके बूब्स को महसूस करने के लिए में उसको अपने साथ बाईक पर घुमाने लगा.. क्योंकि वो पीछे से थोड़े बूब्स मेरी कमर पर छू देती थी.

एक दिन में जब बाईक पर उसके साथ था तो उसने मुझे किसी जनरल स्टोर के बाहर रोका और कहा कि 15 मिनट रुको में अभी आती हूँ. तो मैंने ज्यादा नहीं सोचा.. लेकिन में उसके पीछे नहीं गया और थोड़ी देर बाद मैंने सोचा.. कि में अंदर जाता हूँ और मुझे पता लगा कि उसको ब्रा, पेंटी लेने थे. फिर 2-3 दिन के बाद बाथरूम में उसकी नयी वाली पेंटी, ब्रा पड़ी हुई थी में बहुत गरम हो गया और मैने फिर से मुठ मार ली और मैंने ध्यान दिया कि वो भी आजकल मेरी तरफ आकर्षित होने लगी थी और एक दिन उसका मेरी फेक आई.डी पर जवाब आया कि वो भी ऐसी कहानियों को बहुत पसंद करती है और मुझे बहुत अच्छा लगा.. क्योंकि मुझे अब भरोसा था कि उसको फंसाने में बहुत मज़ा है.. लेकिन अब उसको अपनी तरफ आकर्षित कैसे करूं यही सोचना था. दोस्तों आपको बता दूँ कि मेरी फेक आई.डी से उसको लगता था कि कोई लड़की उसको स्टोरी भेजती है.

फिर एक दिन वो स्कूल में थी और जब मैंने देखा कि वो ऑनलाईन है.. तो मैंने फेक आई.डी से उससे चेट करना शुरू किया.. फिर उसने मुझे बताया कि वो भी भाई के साथ सेक्स करना चाहती है. तो मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया.. लेकिन दोस्तों में उसको कैसे पूछूँ और कैसे किस तरह उसको चोद सकूँ समझ में नहीं आ रहा था और वो पता नहीं कैसा व्यहवार करेगी और में बहुत डरता भी था और शरम भी बहुत थी. फिर मैंने एक प्लान बनाया और थोड़ा दिमाग़ लगाया.. उस समय मेरे एग्जाम थे.. मैंने उसको बोला कि मुझे सुबह जल्दी 6 बजे उठा देना. क्योंकि वो रोज़ जल्दी उठकर मम्मी की किचन के कामों में मदद करवाती थी और एक्ससाईज़ भी करती थी. फिर मैंने भी थोड़ा पहले का अलार्म लगा लिया और सुबह सुबह उठकर उसके बारे में सोचने लगा.. तो मेरा लंड खड़ा हो गया और इंतजार करने लगा. कि वो मुझे उठाए और उसको पता लग जाए कि मेरा लंड खड़ा हुआ है.

फिर थोड़ी देर बाद वो मुझे उठाने आई.. और थोड़ी देर मैंने नींद में होने का नाटक किया.. में नीचे जमीन पर बिस्तर डालकर सोता हूँ इसलिए वो मुझे झुककर उठा रही थी और उसकी सुंदर छाती को देखकर मेरा लंड ज्यादा खड़ा हो गया और उसको भी पता लग गया कि मेरा खड़ा है. मैंने ग़लती से उसके बूब्स के ऊपर से हाथ लगा दिया और नींद में होने की बात सोचकर उसने कोई विरोध नहीं किया और उसका हाथ भी स्टाईल से मैंने अपने लंड पर छू दिया.. लेकिन उसने कोई भी विरोध नहीं किया और धीरे धीरे मुझे महसूस होने लगा कि एक दिन तो में उसके साथ सेक्स कर ही लूँगा और काश में उससे सीधा पूछ पाता.. लेकिन में बहुत शर्मिला स्वभाव का था और एग्जाम टाईम था इसलिए रोज़ यह सब होने लगा. वो कुछ हलचल नहीं करती थी और रोज़ में ग़लती से उसके बूब्स छू लेता था. उसको भी पता था कि में बहुत शर्मीले स्वभाव का हूँ और उसका भी सेक्स करने का मन होने लगा. फिर मेरे एग्जाम खत्म हो गये और एक दिन उसने मुझे बोला कि आज कल आप लेट उठने लगे हो भैया.. रोज़ सुबह जल्दी उठना चाहिए. तो में समझ गया कि उसको भी लंड चाहिए? तो मैंने पूछा कि क्यों अब क्या करूं जल्दी उठकर?

प्रेरणा : जल्दी उठकर एक्ससाईज़ किया करो.. में भी करती हूँ.. या मॉर्निंग वॉक पर जाया करो.

में : नहीं में फिट हूँ मुझे नहीं करनी एक्ससाईज़.

प्रेरणा : यार आप आज कल मोटे हो रहे हो.

में : ठीक है कल से करेंगे.. लेकिन तेरे साथ ही करूँगा.

प्रेरणा : ठीक है भाई और क्या करेगा मेरे साथ?

में : क्या मतलब?

प्रेरणा : कुछ नहीं मेरा मतलब है कि मॉर्निंग वॉक पर भी चलेंगे ना.

में : हाँ क्यों नहीं?

अब में हर रोज़ एक्ससाईज़ के वक्त में उसको बहुत छूने लगा था.. रोज़ वो मुझे जल्दी उठाती थी और हर रोज़ वही होने लगा. मुझे आखिरकार एक दिन उसको चोदना था और एक दिन मम्मी को मौसी के यहाँ पर जाना पड़ा. पापा ऑफिस में थे और वो दूसरा शनिवार था.. हमारी छुट्टी थी तो मैंने कुछ नहीं बोला और फिर ..

प्रेरणा : उठो भैया.

में : नहीं.. आज आलस आ रहे है और तुम भी सो जाओ.

प्रेरणा : क्या में यहीं सो जाऊँ आपके पास?

में : हाँ क्यों नहीं.

प्रेरणा : ठीक है भैया आज घर में कोई नहीं है मम्मी मौसी के घर गयी है.

में : तो अब खाना कौन बनाएगा.. तू?

प्रेरणा : क्या यार.. आपको भी उठने से पहले भूख लग जाती है.

बेहन को छोड़ा
में : ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा.

प्रेरणा : और बताओ भाई क्या चल रहा है?

में : कुछ नहीं यार.

प्रेरणा : भाई में जब भी आपको उठाने आती हूँ तब आप सोए हुए रहते है.. लेकिन आपका सुबह सुबह ऐसे क्यों खड़ा हुआ रहता है?

में बहुत चकित और खुश और नर्वस और गरम.. सारा मिक्स सा अहसास आ रहा था और उसे क्या जवाब दूँ? समझ में नहीं आ रहा था और फिर मैंने कहा.. कि मुझे पेशाब आ रहा है और में उठकर बाथरूम में चला गया.

प्रेरणा : क्या हुआ? वापस आओ ना मेरे साथ थोड़ी देर लेटो.. कुछ बात करनी है.

में : हाँ आ रहा हूँ.

प्रेरणा : आपको में कैसी लगती हूँ?

में : तू बहुत अच्छी है.. लेकिन तू ऐसा क्यों पूछ रही है?

प्रेरणा : यार आप बहुत शर्मीले हो और आपकी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं है और मेरा भी कोई बॉयफ्रेंड नहीं है.

में : हाँ मेरी तो अभी तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.. लेकिन तेरा कोई बॉयफ्रेंड क्यों नहीं है? और तू तो दिखने में भी बहुत अच्छी लगती है.

प्रेरणा : क्या भैया आजकल अच्छे लड़के है ही नहीं.. सब गंदे है और मुझे वो पसंद नहीं.. कोई वैसे भी आप की तरह अच्छा दिखने वाला हो और आप क्यों नहीं पटाते कोई? आप बहुत शर्मीले हो.

में : हाँ यार और अब मेरा लंड फिर से बहुत टाईट हो रहा था.

उसको फिर मेरा खड़ा हुआ लंड महसूस हुआ. इस बार मैंने उसके गाल पर छोटा सा किस कर दिया और उसने भी मेरे सर पर किस कर दिया.

प्रेरणा : में आपसे बहुत प्यार करती हूँ भैया और आप बहुत अच्छे हो मेरा बहुत ध्यान रखते हो.

फिर वो मेरे ऊपर लेट गयी और में पीछे से उसकी ब्रा महससू कर रहा था और उसकी गांड भी. तभी वो बोली कि भैया अब शरमाओ मत और एक किस करने में आपका खड़ा हुआ है प्लीज़ मुझे फिर से किस करो ना. फिर मैंने कुछ नहीं सोचा और उसके गुलाब जैसे होंठो को ऐसा किस किया कि क्या बताऊँ? बहुत चूसा उसके होंठो को और उसने भी और एक दूसरे को गीले वाले किस किए और हम बहुत देर तक किस करते रहे.. करीब 12 मिनट तक वो मेरे ऊपर लेटी हुई किस करती रही और में किस करते हुए उसकी गांड को मसल रहा था. तभी अचानक से वो उठकर चली गयी और रोने लगी.

में : क्या हुआ.. रो क्यों रही है.

प्रेरणा : भाई यह क्या हुआ? और यह क्या कर दिया हमने? क्यों यह बहुत ग़लत है ना? सब मेरी ग़लती है मैंने ही आपको उकसाया.. आप तो कुछ नहीं करने वाले थे.

में : रो मत और अब चुप हो जा कुछ नहीं करना तो कोई बात नहीं और मुझे माफ़ कर दे में ही तुझे वो सेक्सी कहानियाँ भेजता था.

प्रेरणा : क्या? तुम पागल हो.

में : मुझे माफ़ करो वैसे किस कैसा था?

तो वो कूदकर मेरी गोद में आ गयी और फिर से किस करना स्टार्ट कर दिया और इस बार भी अच्छा किस था और उसने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और मैंने भी उसका टॉप उतार दिया.. वो ब्रा में बहुत अच्छी लग रही थी. क्या बताऊँ एकदम ग़ज़ब? और फिर से किस करना स्टार्ट कर दिया. तो वो बोली कि क्यों भैया आपको सब आता है ना?

में : हाँ मैंने बहुत ब्लू फिल्म देखी है.

प्रेरणा : कंडोम है?

में : छोड़ उसको उसका अभी क्या काम?

फिर मैंने उसकी ब्रा उतार दी और किस करते हुए उसकी कमर को मसलने लगा.. वो बहुत अच्छे से किस कर रही थी. मैंने उसको रोककर उसके बूब्स दबाए और उसके बूब्स चूसने लगा.. लेकिन उसके बूब्स बड़े बड़े एकदम गोरे बहुत अच्छे आकार में थे और बहुत अच्छे निप्पल भी थे. में बहुत देर तक दोनों बूब्स को एक एक करके चूसता रहा और हम फिर से किस करने लगे.

प्रेरणा : भैया आपका लंड दिखाओ ना प्लीज़.

में : पहले तू तेरी चूत दिखा ना.

प्रेरणा : आप भी पूरी लाईफ शर्मीले ही रहोगे.. आप खुद ही देख लो.

फिर मैंने उसकी पेंट को उतार दिया और उसके पैर को चूमने चाटने लगा और फिर उसकी जांघ को चाटा और उसकी गुलाबी पेंटी के पास उसकी चूत को किस करने लगा. फिर उसकी चूत के पास चाटने लगा.. वो तो इतने में ही एक बार झड़ गयी और उसकी पेंटी गीली हो गई. तो उसने कहा कि भैया प्लीज़ पेंटी खोलो मेरा रस तो बाहर आ गया. तो मैंने उसकी पेंटी को जोश ही जोश में फाड़ दिया.. उसकी क्या चूत थी? बस थोड़े थोड़े बाल थे और बिल्कुल गुलाबी सी चूत थी और उसे देखकर मेरे मुहं में पानी आ गया और फिर मैंने कहा कि अब तो चूत को चूसकर बहुत मस्त मज़ा आएगा. तो वो बोली कि कोई बात नहीं.. लेकिन आपको बुरा ना लगे तो क्या अब आप मेरी चूत को चाटोगे?

फिर मैंने कहा कि हाँ तुम देखती रहो और में चूत को बहुत तेज़ी से चूसने लगा और थोड़ी देर चूसने के बाद वो मेरे बाल पकड़ कर खींचने लगी और मुझे पता था कि उसका दूसरी बार झड़ने का नंबर आने वाला है. उसकी चूत के रस का बहुत अच्छा स्वाद था और उसने मेरे सर को अपनी जांघ में दबा लिया था. फिर वो बोली कि वाह भैया आप मेरी चूत का सारा पी गये.. चलो अब आपका लोवर उतारो.. तो मैंने कहा कि तुम खुद ही उतार लो. फिर उसने हंसकर मेरा लोवर और अंडरवियर एक साथ उतार लिया मेरा लंड भी थोड़ा सा गीला था और अब वीर्य निकल रहा था. तो उसने पहले हाथ से सहलाया, मसला तो मेरा लंड झड़ गया और पूरा वीर्य उसके बूब्स पर गिर गया और थोड़ा सा उसने चाट लिया और वो बोली कि कोई बात नहीं भैया यह दोबारा खड़ा कब होगा? तो मैंने कहा कि इसको अपने मुहं में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसो.. अभी खड़ा हो जाएगा.

तो उसने लंड को ऐसा चूसा कि लंड एकदम से दो मिनट में ही खड़ा हो गया उसने बहुत मस्त चूसा था. उसकी इस मस्त स्टाईल से मुझे पहली बार बहुत मज़ा आया और अब दोबारा से मेरा खड़ा हुआ था और उसने बहुत देर तक चूसा.. लेकिन इस बार झड़ा नहीं. तो मैंने उससे कहा कि तेरे बूब्स के बीच में दबाकर प्लीज़ मेरे लंड की मालिश कर दे. तो उसने वैसा ही किया और मैंने बहुत धक्के मारे और उसको भी बहुत मज़ा आ रहा था.. वो बोली कि भैया अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा.. प्लीज़ इसको मेरी प्यासी चूत में डालो ना. तो मैंने कहा कि मुझसे भी कंट्रोल कहाँ हो रहा है? फिर मैंने बोला कि क्या तू वर्जिन है? और खून तो नहीं निकलेगा ना? तो वो बोली कि भैया मेरी सील तो पहले ही टूट गयी थी.. मेरा एक बार साईकल पर एक्सिडेंट हो गया था और बहुत खून निकल गया.. लेकिन आज नहीं निकलेगा. मैंने फिर से उसकी गीली चूत को चूसा और उसको बोला कि तू ऊपर आकर इसको अपनी चूत में डाल ले. वो मान गयी और जल्दी से मेरे ऊपर आ गयी.. लेकिन पहली बार उसकी टाईट चूत में लंड को डालने में मुझे थोड़ी प्रोब्लम हुई और उसको दर्द भी हुआ.

फिर मैंने नीचे से एक ज़ोर का धक्का लगाकर लंड को डाल दिया और उसके मुहं में उंगली डाल दी ताकि वो चीखे चिल्लाए नहीं.. उसकी चूत अंदर से बहुत गरम थी. एक बार लंड के पूरा अंदर घुसने के बाद वो मेरी छाती पर लेट गयी और मेरी छाती के बालों पर किस करने लगी और धीरे धीरे हम धक्के मारने लगे और वो भी बहुत तेज़ तेज़ धक्के देने लगी और अब उसको दर्द नहीं हो रहा था.. लेकिन बहुत मज़ा आ रहा था और में उसके बूब्स दबा रहा था.. कभी धक्के रोककर उसके बूब्स चूस भी रहा था, कभी उसकी पीठ पर हाथ से मालिश कर रहा था. उस पल को में बहुत अच्छे से पूरा इन्जॉय कर रहा था और वो भी कर रही थी. फिर उसने बोला कि भैया अब पोज़िशन चेंज करते है आप ऊपर से आओ.. तो मैंने उसकी बात मान ली और उसके ऊपर आकर धक्के मारने लगा और हम दोनों बहुत मज़े कर रहे थे.. लेकिन पसीने से गीले हो गए थे और उसके पसीने की स्मेल भी अच्छी लग रही थी.

तभी थोड़ी देर में मेरी चुदाई की स्पीड बढ़ गयी और हम दोनों एक साथ में झड़ गए.. उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून से निशान बना दिए.. मुझे दर्द तो हुआ.. लेकिन बहुत अच्छा भी लगा और फिर मैंने भी बहुत ज़ोर से उसके बूब्स पर काट लिया. उसकी चीख निकल गयी.. लेकिन उसको भी मज़ा आया. मैंने फिर से लंड को चुसवाकर खड़ा किया और उसको डॉगी स्टाईल में चोदा और फिर 69 पोज़िशन में बहुत देर तक उसने मेरा लंड और मैंने उसकी चूत चाटी.. बहुत मज़ा आया. अब तक हम दोनों बहुत थक गये थे.. लेकिन सेक्स की इच्छा हो रही थी और फिर भी सेक्स किए जा रहे थे और झड़े जा रहे थे.. क्योंकि आज के बाद पता नहीं कब ऐसा मौका मिले और आज ही सारी पोज़िशन ट्राई करनी थी.. उसकी गांड भी बहुत अच्छी थी.

फिर मैंने कहा कि क्यों अब गांड में डाले? तो वो मान गयी और बहुत ट्राई किया.. लेकिन में लंड को उसकी गांड में नहीं डाल सका.. वो बहुत टाईट थी. फिर मैंने तेल से बहुत मालिश की उंगलियां डालकर उसका छेद को ढीला किया और फिर उसने मेरे लंड पर तेल से मालिश की और फिर ट्राई किया तो में उसकी गांड में लंड को घुसा पाया और गांड में लंड को घुसाने का अलग ही मज़ा है. हमे सेक्स करते हुए लगातार 4 घंटे हो गये थे.. लेकिन मेरा लंड अभी भी फिर से खड़ा था और उसके जिस्म की आग भी कम नहीं हुई थी.

फिर हम साथ में नहाने गये और नहाते हुए भी मस्त सेक्स किया. उसकी गांड में साबुन लगाकर भी गांड मारी.. उसने मेरा लंड मस्ती से बहुत चूसा, कुर्सी पर, बेड पर, सोफे पर, बाथरूम में, जमीन पर, किचन में हर जगह सेक्स किया.. 11 अगस्त तो सेक्स दिन घोषित कर देना चाहिए और पता नहीं अगला मौका कब मिलता? और हमने घर पर कोई नहीं होने का बहुत फायदा उठाया. में कभी कभी तो लंड उसकी चूत में घुसाकर ही सो जाता हूँ और एकदम नंगे सोते है और रात को ही हमे मौका मिलता है और बहुत जोरदार सेक्स करते है
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रंगीन रातों की कहानियाँ-जालिम लंड पापा का

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जालिम लंड पापा का

दोस्तो एक मस्त चकाचक कहानी पेशेखिदमत है आपके



‘हां विनोद, मैंने निशा से बात कर ली है, और वो तैयार है. तुम पहाड़ी के पीछे जंगल पहुँचो और मैं निशा को लेकर आता हूँ…….अरे रितु की चिंता मत करो, वो सो रही है.’ मेरे पापा विनोद अंकल से बात कर रहे थे. मैने गलती से उनकी बाते सुन ली थी, पर मुझे ये समज नहीं आ रहा था की पापा निशा को लेकर जंगल में क्यूँ जा रहे हे. मैंने उनके पीछे जाने का तय किया.

दोस्तों मैंने अपने बारे में बताया नहीं, मेरा नाम रितु है, मैं २२ साल की लड़की हूँ और अभी अभी ही दो महीने पहले मेरी शादी हुई है. दो महीनो के बाद मैं अपने गाँव अपने पापा से मिलने आई थी. निशा मेरे घर में काम करनेवाली 19 साल की लड़की थी, दिखने में ठीक थी. मेरे पापा घर में अकेले रहते है. मेरी मम्मी का स्वर्गवास 4 साल पहले हो चूका था. मेरा छोटा भाई है पर वो पढने के लिए दिल्ली गया है.

मेरे पापा अपने गाँव में सब से अमीर है और उनकी बात कोई टालता नहीं है. उनका नाम राजेश्वर सिंह चौधरी है, और वो सच में अपने गाँव के चौधरी ही है. मैंने बचपन से ही पापा को कड़क और मजबूत शख्स की तरह देखा है. उनकी चाल, बोलने का तरीका सब मर्दाना लगता है. हां तो कहानी पर वापस आते है. निशा को लेकर मैंने पापा को बुलेट पर जाते हुए देखा.

मुझे कुछ गलत लगा, वैसे मैंने कभी अपने पापा के बारे में गलत नहीं सोचा की वो गलत काम कर सकते है, हाँ मैं जैसे जैसे जवान होती गयी वैसे वैसे मुझे अपने पापा के कडकपन, उनके गुस्से, उनकी मर्दाना बातो पर और मर्दाना ताकत की ओर खिंचाव होने लगा. पर कभी जिक्र नहीं किया, पापा से नजदीक होने की हिम्मत भी नहीं हुई. पापा जैसा ही मैं अपना पति चाहती थी, पर वो मिला तो भी सॉफ्टवेर इंजिनियर, काफी मासूम और सीधासाधा. मेरा पति भी अच्छा है पर सख्त नहीं है.

हाँ तो पापा ने निशा को बुलेट के पीछे बिठाया और जंगल के रस्ते की ओर चले गए, मैं भी उनके पीछे पीछे चल पडी. वो बुलेट पर थे तो आसानी से पहुँच गए पर मैं चलते जा रही थी, मैं पीछा तो नहीं कर सकती थी पर मुझे रास्ता पता था. करीब आधे घंटे बाद मैं वहां पर पहुँची, मैंने उन्हें ढूंढना शुरू किया, पर वो मिले नहीं.



फिर थोड़ी देर बाद मुझे पहाड़ी से अजीब आवाज़ सुनाई दी, मैं जंगल के रास्ते से ऊपर की ओर चढ़ने लगी वैसे वैसे आवाज़ तेज़ होती गयी. मुझे आसानी से पता चल गया की ये आवाज़ चुदवाने की है और धीरे धीरे मैंने निशा की आवाज़ को पहचान लिया. एक मिनट के लिए मैं रूक गयी, की कहीं मैं गलत तो नहीं कर रही. अगर पापा को पता चल गया तो क्या होगा.

पर फिर सोचा की शायद विनोद अंकल निशा को चोद रहे हो और पापा सिर्फ उसे छोड़ने आये हो तो..ये सोचकर मैं फिर से आगे चली. आगे चलते ही मैंने पापा की बुलेट को देखा, और पीछे हट गयी फिर मैंने इधर उधर देखा कि कैसे देखूं कि पापा को पता ना चले.

फिर मैंने एक पत्थर देखा और पत्थर के ऊपर चढ़ कर देखने लगी, अब मैं उनसे थोडा सा ऊपर थी, तो उन्हें पता चलने की गुंजाइश कम थी. फिर मैंने ऊपर हो कर देखा तो निशा कुत्ते की स्टाइल में थी और पापा निशा को जमकर चोद रहे थे..पापा और निशा पूरे नंगे थे. मैंने कभी पापा को ऐसे नहीं देखा था.

पापा को और पापा के लंड को देखकर मैं हैरान हो गयी..पापा जबरदस्त दम लगाकर निशा को चोद रहे थे, निशा की जांघे लाल लाल हो गयी थी मतलब पापा उसे आधे घंटे से चोद रहे थे. पापा ने उसके बालों को पकड़ के रक्खा था उसका सर भी पीछे खींचकर रक्खा था और वो कुतिया की तरह चुदवा रही थी. मैं एक दम सुन्न हो गयी थी.

‘विनोद..तुम भाई अगली बार से मत आना, तुम कुछ करते नहीं हो और बस बैठ के देखते रहते हो..क्यूँ निशा.’ पापा ने निशा को धक्के मारते हुए कहा.

‘ह ह…ह ह्ह्ह्ह…हां बापजी.’ मेरे पापा को गाँव में सब बापजी कह कर बुलाते थे.निशा की जबान लडखडा रही थी, वो काफी थक गयी थी. पापा रूकने का नाम नहीं ले रहे थे. पापा के पाँव के थपेड़ो की आवाज़, ऊपर से निशा की जबरदस्त चुदाई की आवाज़ सुनकर मेरी चूत भी गीली हो गयी. पता ही नहीं चला कब मेरा हाथ मेरी चूत पर चला गया.



मैं उन दोनों को देखकर साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लगी. निशा कुतिया की तरह झुकी हुई थी और उसने अपने दोनों हाथ बुलेट पर लगा कर रक्खे थे. पापा के लंड के धक्के इतने जोरदार थे कि उसकी छाती बुलेट की सीट से टकरा रही थी. मैंने देखा की निशा बुलेट की सीट को मुट्ठी में लेने की कोशिश कर रही थी, मेरा अंदाज़ा सही था वो अब झाड़ने वाली थी.

और मेरे मन में आया ही था की एकदम से वो ढीली हो गयी और उसकी चूत का पानी निकल गया और वो नीचे गिर गयी. पापा का लंड बहार आ गया. मैंने देखा सच में पापा का लंड किसी जानवर से कम नहीं था. मैं तो उसे देखते ही पागल हो गयी. और उसे ही देखती रही. फिर पापा ने निशा को उठाया और आराम से बिठाया.

निशा भी समझ गयी और अपने घुटनों पर बैठ कर पापा के लंड को हिलाने लगी. पापा ने झट से लंड उसके मूंह में डाल दिया और उसके मूंह को चोदने लगे..बेचारी निशा..मैं उसकी हालत समझ रही थी वो काफी थक गयी थी. उधर विनोद अंकल बस देखे जा रहे थे. फिर पापा ने अपने लंड को बहार निकला और अपने हाथो से लंड को हिलाने लगे और हट गए..अब मैं उनके लंड को देख नहीं पा रही थी.

‘ओह्ह्ह..आआअह्ह्ह….बस इतनी सी आवाज़ निकली और पापा के लंड से वीर्य छुट गया..’ मैं पापा के लंड को देखने के चक्कर में भूल गयी की मैं पत्थर पर खडी थी और मेरे हिलते ही पत्थर हिल गया और मैं नीचे गिर गयी. मैं सीधा उन तीनो के सामने आ गयी. तीनो मुझे देखकर चौंक गए और पापा ने एकदम से अपनी धोती उठा ली. मैं भी शरमा गयी, मुझे और कुछ नहीं सुझा तो मैं वहां से चल दी. अब मैं पापा का सामना नहीं कर सकती थी. पापा क्या कहेंगे..एक टाइम पर तो मुझे अपने पति के घर चले जाने का भी ख्याल आया.



मैं पापा के डर से जल्दी से चले जा रही थी और इतने में मैंने बुलेट के आने की आवाज़ सूनी और मुड़कर देखा. पापा ही आ रहे थे, उन्होंने मेरी ओर देखा और मैंने शर्म से आँखे नीचे कर ली, मुझे शर्म और डर दोनों लग रहा था. मैं डर के मारे अपनी साड़ी के पल्लू को उंगलियों से खेलने लगी.

‘बैठो..घर अभी दूर है..’ पापा मेरे पास आकर रुके और कहा. मैं तो एक ही सेकंड में बैठ गयी. पापा चलने लगे. रस्ते में मुझे समझ आया कि मैंने कौनसा गुनाह किया है तो मैं डर रही हूँ, पापा को देखो गलत काम उन्होंने किया फिर भी बिना किसी शर्म और डर के कैसे चौधरी की तरह कहा कि बैठो… मैं फिर से पापा के मर्दाना होने पर फ़िदा हो गयी.

अब मैं डर नहीं रही थी, मुझे पता नहीं पापा पर प्यार आ रहा था, उन्होंने जो किया वो गलत था, हमारी इज्जत के लिए गाँव की इज्जत के लिए. पर पता नहीं मैं पापा की ओर खिंच रही थी. मैंने बिना डर के पापा के कंधे पर अपना हाथ रख दिया. जैसे बीवी अपने पति के कंधे पर हाथ रखती है ऐसे. बस अब मेरे मन में चल रहा था कि किसी तरह पापा के लंड को छूना है. क्या जालीम लंड है पापा का.

मैं सोच ही सोच में घर भी पहुँच गयी, हम घर पहुंचे तो वहां पर कुछ लोग पापा से मिलने आये थे. वो लोग कुछ नेता जैसे भी मालूम पड़ रहे थे. मैं पापा के सामने नहीं आना चाहती थी तो मैं बाइक से उतर कर सीधी घर में चली गयी और पापा सब से गाँव के बारे में बात करने लगे. उनको बातों में शाम हो गयी और मैंने खाना फटाफट बना दिया और पापा को कैसे पटाऊ वो सोचने लगी.

मेहमान शायद कुछ ख़ास थे तो वो सब भी पापा के साथ खाना खा कर ही गए और अब रात भी हो गयी थी. सब चले गए और मैं खाना खा रही थी की इतने में लाइट चली गयी. मैं एकदम से डर गयी और मैंने पापा को आवाज़ दी
‘पापा..’



‘हाँ..क्या हुआ, लाइट ही गयी है. कुछ नहीं हुआ. अभी लालटेन लेकर आता हूँ.’ और पापा मेरे पास लालटेन लेकर आये और मेरे पास रखकर चले गए. मैंने खाना निपटाकर और बरतन धोकर वापस आई तो पापा अपने रूम में बिछाना बिछा रहे थे. मैं समझ गयी की पापा जल्दी सो कर मुझसे दूर रहना चाहते हे. पर अब मैंने शर्म तोड़कर कहा
‘पापा..इतनी जल्दी सो ना है..’

‘हाँ..बेटा, लाइट है नहीं तो क्या करेंगे..तू भी सो जा.’ और वो अपना कुर्ता उतारने लगे, मैं पापा की चौड़ी छाती को देख रही थी. पापा ने अन्दर बनियान नहीं पहनी थी. मुझे ऐसे उनके बदन को देखते हुए पापा ने देख लिया.
‘क्या देख रही है रितु..जा सो जा’ पापा ने मुझे होश में लाने के लिए कहा

‘पापा..वो क्या है कि लाइट के बगैर डर सा लगता है..’

‘इसमें कैसा डर, तू बचपन से इसी गाँव में बड़ी हुई है, यहाँ अक्सर लाइट जाती है..’ पापा ने मुझे समझाते हुए कहा और जमीन पर अपने बिछाने पर बैठ गए. मैं भी पापा के जवाब के लिए तैयार थी.

‘हाँ पापा पर आज डर लग रहा है..’ और इससे पहले कि पापा मुझे मना करे मैं पापा के पास उनके बिछाने पर जा कर बैठ गयी और बड़े सेक्सी आवाज़ में कहा.
‘पापा प्लीज..जब तक लाइट आ ना जाये तब तक सोने दो, फिर मैं चली जाउंगी.’

पापा ने एक नजर मेरी ओर देखा, अब उनके पास कोई चारा नहीं था. कितना भी कठोर बाप हो पर बेटी ऐसे कहे तो मान ही जाता है. और पापा भी मान गए. उन्होंने कहा ठीक है सो जाओ. और वो भी लेट गए. उन्होंने एक हाथ अपने सर के नीचे रक्खा और दूसरा अपनी छाती पर और आँखे बंद कर के लेट गए.



मैंने भी फिर हिम्मत करते हुए पापा के छाती पर रक्खे हुए हाथ को पकड़ा और उसे साइड में रख कर उस पर अपना सर रख कर लेट गयी, मतलब मैं पापा के हाथ को तकिया बना कर सो गयी. पापा ने एकदम से फिर से मेरी ओर देखा और इस बार मैंने उन्हें एक कातिल मुस्कराहट दी. और पापा से चिपक कर सो गयी. मैंने अपना हाथ पापा की छाती पर रख दिया और पापा की छाती को सहलाने लगी.

पापा सिर्फ धोती में थे और अब पता नहीं उनके मन में क्या चल रहा था. मैंने तभी आईडिया निकाला
‘पापा..आपकी छाती पर कितने सारे बाल है..’

‘क्यूँ तुम्हे कोई तकलीफ है..’

‘नहीं पापा..मुझे क्यों तकलीफ होगी..आप भी ना. हमेशा गुस्से से बात करते हो, मैं तो ये कह रही थी कि कितने अच्छे लगते है आपके सीने पर ये बाल. इन्हें सहलाने में भी मजा आता है.’ और मैंने पापा से भोले अंदाज़ में कहा और उनहे हाथ से हटकर मैं पापा के सीने पर आ गयी. अब मैं पापा से एकदम चिपक गयी थी. मैंने हिम्मत कर के अपने पाँव भी पापा के पाँव पर रख दिए थे और धीरे धीरे उनके पाँव को भी सहला रही थी.

बेचारे पापा मेरे मासूम डायलाग से चुप हो गए और कुछ नहीं बोल पाए. मैंने अब उनके बालों को चूमना शुरू कर दिया..बाल तो बहाना थे मैं तो अपने पापा को चूम रही थी. पर अब तक पापा की ओर से कोई हरकत नहीं हो रही थी. मैं चूमते चूमते पापा की छाती पर निप्पल को पकड़ लिया और अपने होठो में दबा लिया..और उसे चूसने लगी..जैसे मैंने ऐसा किया पापा के बदन में एक अंगड़ाई सी आ गयी और छटपटा उठे.

‘रितु ये तुम क्या कर रही हो..’ पापा ने अब बिलकुल नोर्मल तरीके से बात की, अब उनकी आवाज़ में कठोरता नहीं थी. अब वो पिघल रहे थे.

‘कुछ नहीं पापा..मुझे आपके बाल पसंद आ गए है..कितने घने है..और मुलायम भी. आप सो जाइये.’ और इतना कहकर मैंने उनके होठो पर अपनी ऊंगली रख दी उन्हें चुप करने के लिए.



फिर मैं उन्हें चूमते चूमते उनकी गरदन चूमने लगी..पर अब पापा की हिम्मत नहीं हो रही थी मुझे डांटने की. पर वो समझ रहे थे कि मैं उन्हें किस करने का सोच रही हूँ तो वो अपने गरदन मैं जिस और चूमती उस और से दूसरी और हटा रहे थे.
‘पापा..आपकी मूछ को एक बार चूम लू.’ मैं पापा के होठो के ठीक ऊपर थी.

‘नहीं बेटा…उधर नहीं.’ पापा के मूंह से अब बेटा भी निकलने लगा था.

‘पापा प्लीज..मुझे आपकी मूछे पसंद है..’ और मैंने इतना कहते ही पापा के होठो पर अपने होठ रख दिया और उन्हें चूमने लगी. जाहिर सी बात है पापा अब भी कोई हरकत नहीं कर रहे थे. पर मैं फिर अब ठीक उनके ऊपर ही आ कर लेट गयी और पापा को बेशर्मी से चूम रही थी.

फिर मैंने अपने हाथ को पापा के हाथ पर रक्खा और जोर से पापा की उँगलियों में अपनी उंगलिया मिला ली. जिससे उन्हें सिग्नल मिले और वो भी कुछ करे. और वो भी अब कमजोर पड़ने लगे और उन्होंने भी मेरे होठो को चूमना शुरू किया. मैं अपनी प्लानिंग में कामयाब होती दिख रही थी मैं और भी जोश में आ गयी और पापा को जंगली की तरह से चूमने लगी.

अब पापा भी सबर खो रहे थे वो भी मुझे किस कर रहे थे और अब उनके हाथ मेरे बदन पर घूम रहे थे. मैंने फिर पापा के मूंह में अपनी जीभ दे दी और पापा ने मेरी और देखा और बिना कुछ बोले फिर से मेरी जीभ को चूसने लगे. अब सही मौका था मैं पापा के लंड के ठीक ऊपर आ गयी और अपनी गांड को पापा के लंड पर घिसने लगी.

पापा के लंड को छूते ही मुझे एहसास हो गया था कि वो कड़क हो चूका है..अब मैंने अपने हाथ को नीचे किया और पापा की धोती में उसे डाल ही रही थी कि पापा ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और अपने मूंह से मेरी जीभ को भी निकाल दिया और बोले



‘हे भगवान..रितु तुम ये क्या कर रही हो..मैंने भी ये क्या कर दिया..’ पापा ने अपने मूंह पर हाथ रखते हुए कहा. पापा अब उठकर बैठ गए थे और मेरी ओर देख रहे थे. मैं भी पापा के साथ ही बैठ गयी और पापा के सामने सर झुका कर बैठी रही और सर नीचे करके ही मैंने हलकी सी आवाज़ में कहा

‘पापा आई एम् सॉरी..पर आपको शाम को देखने के बाद मुझे निशा से जलन होने लगी है. रोनक (मेरे पति ) से तो 5 मिनट भी कर पाना मुश्किल है और आप को देखकर मुझे पता नहीं क्या हो रहा है.’ मैं इतना कहकर पापा बैठ गए थे तो उनकी गोद में सर रख दिया और बेटी की तरह लेट गयी. पापा ने अपनी गोद में सोने से मना नहीं किया.

‘नहीं बेटा..तुम्हारी मुश्किल ठीक है, पर तुम जो कर रही हो वो गलत है.’ पहली बार मेरे पापा ने मेरे सर पर प्यार से हाथ घुमाकर बात की थी. मैं पापा की बात सुन रही थी पर मुझे तो सेक्स का भूत सवार था. पापा बात कर रहे थे तभी मैंने पापा की धोती पर से ही पापा के लंड को पकड़ लिया..और उसे अपनी मुट्ठी में मसलने लगी.

‘नहीं रितु ऐसा मत करो..तुम समझदार लड़की हो.’ पापा अभी भी मना कर रहे थे. पर मैं रूक नहीं रही थी. मैंने पापा की धोती की गाँठ खोल दी और पापा के लंड को हाथ में पकड़ लिया. पापा भी मेरा हाथ छूते ही जैसे करंट लगा हो ऐसे हिल गए.

‘देखो रितु, मुझे गुस्सा मत दिलाओ. मुझे मजबूर मत करो..’ पापा अब मुझे डराना चाहते थे. मैंने अब तक पापा के लंड को आज़ाद कर दिया था और वो बाहर आ गया था. मैंने पहलीबार इतना बड़ा लंड देखा था. पापा के लंड को देखते ही मैं गॉद में से उठकर बैठ गयी और पापा के लंड को देखने लगी. पापा ने पास में पड़ी चादर से उसे ढक लिया.

तो मैंने पापा की ओर देखा और पापा को झट से धक्का दे कर लिटा दिया, इससे पहले की पापा कुछ समझे मैं पापा पर चढ़ गयी और 69 की पोजीशन में आ गयी और चादर हटाकर पापा के लंड को अपने मूंह में ले लिया.



लंड इतना मोटा था की मेरे मूंह में भी नहीं समां रहा था. मेरी गांड पापा की ओर थी, पापा ने अपनी ताकत से मुझे एक ओर हटा दिया पर मैंने पापा के लंड को नहीं छोड़ा. मैं चुस्ती गयी अब पापा को पता नहीं गुस्सा आ गया और उन्होंने मुझे जोर से पकड़ कर धक्का दे दिया.

पापा की ताकत इतनी थी कि मैं सामने की दीवार से टकरा गयी. मैं अब हार चुकी थी, मुझे लगा था कि जबतक मैं पापा के पास रहूंगी तब तक उन्हें मना सकती हूँ पर अब वो गुस्सा हो गए थे और उन्होंने मुझे अलग कर दिया था, अब वो नहीं मानेंगे. मैं उनकी और पीठ कर के दीवार से चिपक कर खडी थी, और दीवार को मारने लगी.

पर इतने में पता नहीं पापा को क्या हुआ कि वो मेरे पास आये और जोर से मुझसे टकरा गए, मुझे और भी दिवार से चिपका दिया. उन्होंने मुझे कस कर दीवार से सटा दिया था. फिर उन्होंने मेरे दोनों हाथो को पकड़ा और मेरे दोनों हाथो को अपने हाथो से दोनों और फैला दिए और मेरे कान में बोले..

‘किसी को पता तो नहीं चलेगा..’ मैं मन ही मन खुश हो गयी पर मैंने पापा की बात का जवाब नहीं दिया. उन्होंने मुझे पकड़ कर पलटा दिया और अपनी ओर घुमा लिया. मैं नीचे देख रही थी तो उन्होंने मेरे चेहरे को ऊपर किया..और मेरे होठ पर होठ रख कर मुझे किस करने लगे. मैंने उन्हें अपने से हटा दिया और कहा

‘ऐसे ही प्यार करना था तो वो तो रोनक भी करता है..मुझे निशा की तरह जंगली प्यार चाहिए.’ मैंने बेशरम बनते हुए पापा से कहा. पापा भी मेरी बात सुनते ही मुझसे चिपके हुए थे तो थोड़े से दूर हुए और मेरी ओर देखा मैं भी बड़ी अदब से उनकी ओर देख रही थी की वो अब क्या करते हे. इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती वो मेरे पास आये अपने दोनों हाथ मेरे ब्लाउज पर रक्खे और एक ही झटके में मेरे ब्लाउज को फाड़ दिया.



मैं तो पापा को देखती ही रह गयी, इससे पहले कि मैं और कुछ समझू उन्होंने मेरे बूब्स को अपने दोनों हाथो में दबोच लिया, उनके हाथो में कितना जोर होगा आप समझ ही सकते हो, उनके हाथो ने जैसे मेरे बूब्स को दबाया कि मैं सहन नहीं कर सकी और 3 इंच ऊपर हो गयी. फिर पापा ने मुझे फिर से पकड़ा और बिछाने की ओर धक्का दिया.

मैं बिछाने पर गिरी और मैंने उनकी ओर देखा, अब उनमे चौधरी वाला मर्द जाग गया था, वो सच में मेरी ओर ऐसे बढ़ रहे थे की मानो मेरा रेप करनेवाले हो. मैं अब सच में खुश हो गयी और मैंने अपने आप ही अपनी साड़ी को जिस्म से निकाल दिया. अब मैं सिर्फ पेन्टी में थी. मुझे ऐसे देखकर वो मेरे ऊपर झपटे और मुझे बालों से पकड़ा और मुझे घुटनों के बल पर बैठा दिया और अपना लंड मेरे मूंह में डाल दिया.

उनका लंड मेरे मूंह में आधे से ज्यादा नहीं जा रहा था पर उन्होंने मेरे सर को पीछे से पकड़ा और मेरे सर को हिला हिला कर अपने लंड को मेरे मूंह में घुसाने लगे. जब पूरा लंड मेरे मूंह में चला गया तो उन्होंने कुछ भी नहीं किया बस मेरे सर को पकड़ के रक्खा, अब मेरे से सांस भी नहीं ली जा रही थी, मैं अपने हाथ को उनके घुटनों पर मारने लगी.

फिर भी उन्होंने नहीं छोड़ा, थोड़ी देर मुझे तड़पाया और फिर मुझे छोड़ा. और अपने लंड को बाहर निकाला, और मैं अपनी छाती पर हाथ रख कर सांस ले रही थी, पर उन्होंने फिर से मेरे मूंह को पकड़ और लंड को अन्दर डाल दिया और इस बार लंड को अन्दर बाहर करने लगे. इतनी जोर से कर रहे थे कि फिर से मुझे सांस लेने नहीं दे रहे थे.

फिर उन्हें लगा कि अब मेरे से सहा नहीं जा रहा है तो उन्होंने मुझे छोड़ दिया और नीचे गिरा दिया. अब मैं कुछ भी करने के हालत में नहीं थी, मैंने ही पापा के अन्दर शैतान को मजबूर किया था. मैं बस अपने दोनों हाथो को ऊपर कर के लेटी रही और पापा को देखने लगी.



वो अपने लंड को आगे पीछे कर रहे थे, फिर उन्होंने मेरे दोनों पाँव को पकड़ा और पाँव पकड़ कर मुझे अपनी ओर खिंचा, मैं ऊपर हो गयी और अब मैं सिर्फ सर के बल थी, मेरे दोनों पाव पापा के कंधे को छू रहे थे. उन्होंने फिर मेरी पेन्टी को पकड़ा और निकाल दिया.

फिर उन्होंने मेरी चूत को देखा, मेरी चूत पर हलके हलके से बाल थे, उन्होंने बाल को अलग किया और अपनी ऊंगली से मेरी चूत को मसलने लगे, मैं तो तड़प उठी. पापा के मसलने भी ताकत थी. उन्होंने मेरी चूत को दो उंगलियों से अलग किया और अपना अंगूठा उसके अन्दर डाल दिया. और शैतानी हरकत करने लगे कि अपने अंगूठे के नाखून से मुझे चूत के अन्दर दर्द पहुचाने लगे. और मुझे सही में दर्द होने लगा था. मैं छटपटा रही थी.

फिर उन्होंने मुझे पलटा दिया और ऊपर उनके मूंह के पास कर दिया. मुझे ऊपर कर के मेरी चूत को चाटने लगे. पापा का लंड मेरे सामने था. मैं भी उनके लंड को चूसने लगी. वो खड़े खड़े ही मुझे 69 पोजीशन में लेकर मजे उठा रहे थे.

फिर उन्होंने मुझे नीचे छोड़ दिया और मैं पेट के बल नीचे गिर गयी, वो भी नीचे घुटनों के बल बैठ गए और मुझे निशा की तरह कुतिया स्टाइल में बैठा दिया और मेरी चूत में अपना लंड घूसा दिया. आम इंसान की तरह नहीं शैतान की तरह पूरा लंड अन्दर डालने जा रहे थे पर गया नहीं,

आधा ही गया और इतने में भी मुझे लगा कि चूत की चमड़ी छिल गयी, मेरे से रहा नहीं गया उअर मैं कुतिया स्टाइल से नीचे गिर गयी, उन्होने बड़ी बेरहमी से मुझे उठाया और फिर से लंड अंदर डाल दिया, इस बार उन्होंने अपने दोनों हाथो से बने उतने जोर से मेरी चूत को फैला दिया और लंड पूरा का पूरा अन्दर डाल दिया और चोदने लगे.



पापा की चुदाई देखने में जितना मजा आ रहा था उससे कई अच्छा मुझे अब लग रहा था, दर्द तो बेहिसाब हो रहा था पर मेरी मन की इच्छा पूरी हो रही थी. पापा एकदम तेज़ी से मेरी कमर को पकड़ कर चोद रहे थे और ऊह्ह..ओह्ह..ऊह्ह्ह्ह…की आवाज़ लगा रहे थे, उनका हर धक्का मुझे लग रहा था.

अब उन्हें लगने लगा का था की मैं एंजाय करने लगी हूँ तो उन्होंने स्पीड और बढ़ा दी और मुझे चोदने लगे. फिर उन्होंने मुझे अलग कर दिया और मुझे पकड़ के अपनी गॉद में बिठा लिया और मुझे चोदने लगे. मैं पापा की गोद में बैठकर उन्हें किस करने लगी और उनके बालों को सहलाने लगी. वो बिना रुके मुझे चोदे जा रहे थे.

करीब करीब 15-20 मिनट से मुझे चोद रहे थे. मुझे अपने पति से कभी इतना मज़ा नहीं आया था. दो महीनो से मेरा पति मुझे इतनी बार चोद चुके थे पर कभी मैं झड़ी नहीं थी. अब इतनी चुदाई के बाद मुझे लग रहा था की मैं अब झाड़ने वाली हूँ. पापा मुझे बिना थके चोद रहे थे, मैं पापा को और जोर से और जोर से कह रही थी.

फिर पापा ने मुझे अपने दोनों कंधो से पकड़ा और नीचे कर दिया, मतलब अब मैं जमीन से ऊपर थी पर उनके दोनों हाथो के सहारे थी, और वो मुझे चोद रहे थे. मुझे पापा की ताकत का तब एहसास हुआ की वो ऐसे मुझे हवा में पकड़ कर चोद रहे थे. पर उनकी इस हरकत से मेरी चूत के अन्दर और दबाव बढ़ने लगा और मैं मचलने लगी. मुझे अब लगा की मैं झाड़ने वाली हूँ.

पापा को भी शायद पता चल गया था, पर वो जोर जोर से मुझे लंड से धक्के लगा रहे थे, मैं कन्ट्रोल कर रही थी की मेरा चूत का पानी ना निकले पर मैं हार गयी और मेरे बदन में एक झटका सा लगा और मैंने एक जोर से करवट ली और पापा समझ गए और उन्होंने मुझे छोड़ दिया और मैं नीचे गिर गयी और उन्होंने लंड बहार निकाल दिया और एक ही सेकंड में मैं झाड गयी.



मुझे इतनी हसीन चुदाई कभी नसीब नहीं हुई थी, मैं खुश हो रही थी. पापा ने मेरी चूत की ओर देखा और मेरी चूत के बहते पानी को देखा..मैं अब चैन की सांस ली, और पलट कर सीधी हो गयी और पापा को मेरी चूत की ओर देखते देखा और उनके लिए मैंने अपने दोनों पाँव फैला लिये और उन्हें जी भर कर अपनी चूत दिखाने लगी.

मेरी चूत से पहलीबार पानी निकला था और मैंने अब जाना की असली चुदाई का सुख क्या होता है. पर अभी पापा का पानी निकलना बाकी था और उन्होंने पास में पडी अपनी धोती को उठाया और मेरी चूत के पानी को पोछा और मेर जी-स्पॉट को मसलने लगे

और जो पानी रूक गया था वो फिर से झटके ले कर बाहर आने लगा..मैं भी फिर से एक दो बार करवट ले उठी. पर पापा ने मुझे पकड़ा और मेर दोनों पाँव को पकड़ कर फैला लिया और मेरे दोनों हाथो की और ले लिया,इतना मेरे पाव को फैला दिया. फिर मेरे हाथो से ही मेरे पांवो को पकड़ा दिया और मेरी चूत चाटने लगे.

अब मेरी चूत सूख चुकी थी पर वो चाटने लगे थे, उन्होंने अपनी जीभ से मेरी चूत को बहोत देर तक चाटा और फिर मेरे दोनों बूब्स के निप्पल को पकड़ा और उसे जोर से दबा दिया और फिर से मेर चूत गीली सी होने लगी. उन्होंने फिर मेरी चूत में अपनी दो उंगलिया डाल दी और उसे अन्दर बाहर करने लगे. मैं फिर से बेकरार होने लगी थी.

पापा ने फिर मेरी चूत से उंगलिया बाहर निकाली और मेर चूत पर मूंह रक्खा और अपने दोनों हाथो से मेरे गांड के छेद को चौड़ा कर दिया. मैं समझ गयी की अब क्या होने वाला है, उन्होंने धीरे से अपनी एक उंगली मेरे गांड में डाल दी.

‘पापा मैंने कभी इस तरफ नहीं किया है..प्लीज’ मेरा प्लीज कहने का ये मतलब नहीं था कि पापा मुझे मत चोदो पर मैं ये कहना चाहती थी की गांड जरा आराम से मारना. पापा भी समझ गए



‘मुझे देखते ही पता चल गया था, वरना अब तक तो अन्दर डाल कर खून निकाल दिया होता.’ और उन्होंने जोर लगा कर दूसरी उंगली भी डाल दी. मैं दर्द से कराह उठी…..मेरी गांड में जबरदस्त दर्द हो रहा था. अब तक तो उन्होंने उंगलियों से चोदना भी नहीं शुरू किया था,वो थोड़ी देर रुके और फिर उंगलिया अन्दर बाहर करने लगे. मैं फिर दर्द से कराहने लगी.

फिर उन्होंने ना आव देखा ना ताव और मेरे गांड पर अपना लंड रक्खा और उसे पास में पड़े तेल में नहलाया और थोडा तेल मेरी गांड में भी डाला और लंड धीरे धीरे कर के मेरी गांड में डाल दिया. इतना तेल डालने के बाद भी मेरे से दर्द नहीं सहा जा रहा था.
‘पापा मत करो..प्लीज..मुझसे से नहीं सहा जा रहा.’

‘मैंने कहा था मुझे मजबूर मत करो..’ और मुझे इतना कहकर वो मुस्कुराये और मैं भी उनकी बात पर हंस पडी और उन्होंने मुझे मुस्कुराते देखा और मेरी ओर झुके और मेरे होठो को चूसने लगे, उनका लंड मेरी गांड में था. और वो बिना कुछ किये ही मेरी गांड को जला रहा था. पर पापा ने मेरे होठो को चूसते चूसते लंड को बाहर निकाला और फिर जोर से अन्दर डाल दिया..मैं पापा के होठो में होठ डालने के बावजूद भी दर्द के मारे ऊपर हो उठी, पर पापा नहीं हटे..अब मेरी समझ में आया की मेरे मूंह से जोर से चीख ना निकले इसीलिए वो मुझे किस कर रहे थे.

फिर वो धीरे धीरे कर के बड़ी बेरहमी से चोदने लगे और जब तक मैं शांत नहीं हुई तब तक वो मुझे किस भी करते रहे. मुझे लगने लगा था कि मेरी गांड सच में फट गयी है पर मैं कुछ नहीं कर सकती थी, पापा मुझे फिर से उसी तेज़ी से चोद रहे थे, गांड थोड़ी छोटी होने से उनके मूंह से भी दर्द की आवाज़ आ रही थी. पर वो बिना रुके चोद ही रहे थे.



बिना झाडे वो तक़रीबन अब एक घंटा होने आया था और वो मुझे चोद रहे थे.
फिर उन्होंने मुझे फिर से कुतिया स्टाइल में बिठा दिया और मेरी गांड मारने लगे. मैं अब जोर जोर से दर्द के मारे चिल्ला रही थी. कुतिया स्टाइल में पता नहीं पापा का लंड तो कुछ और ही पावर में आ जाता था और चूत में तो सह भी लेती पर गांड में नहीं सहा जा रहा था,

मैं तकिये पर अपनी मुट्ठिया मारने लगी..फिर से उन्होंने मुझे 10 मिनट तक चोदा और मैं फिर से अपने आप को रोक नहीं पाई और मैं फिर से झाड गयी.

इस बार मेरी हालत ऐसी नहीं थी की मैं बैठ सकू पर मैं फिर भी बैठी और एकदम से मैंने पापा के लंड को पकड़ा और जोर जोर से अपने मुट्ठी में हिलाने लगी ता की उनका वीर्य निकल जाये और वो शांत हो जाये..

फिर मैंने तुरंत उसे अपने मूंह में ले लिया और जम कर चूसने लगी और आखिर कर उनके लंड से जोरदार पिचकारी मेरे मूंह में निकली और मैं फिर भी लंड को हिलाती रही जब तक एक एक बूँद खाली ना हो जाये. फिर मैंने पापा को देखा उनकी आँखों में अब थकावट भी थी और चमक भी.

फिर वो अपने घुटनों के बल पर बैठे और सीधे नीचे गिर और लेट गए. मैं भी इतना थक गयी की लेट गयी, तब मुझे ना गांड फटने का दर्द था, ना ही चूत का. हम दोनों बस सोना चाहते थे, दुसरे दिन सब दर्द हुआ तो पता चला की कैसे गांड फटती है..

समाप्त
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