दो आर्मी नर्सों की चुदाई

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Rohit Kapoor
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दो आर्मी नर्सों की चुदाई

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दो आर्मी नर्सों की चुदाई

(एक पाकिस्तानी कहानी)
लेखक: अंजान
Hindi font by sinsex
मेरा नाम कैप्टेन नोमान है लेकिन मुझे प्यार से नोमी कहते हैं। मैं असल में रावलपिंडी से हूँ मगर पाकिस्तान आर्मी जॉयन करने के बाद मुखतलिफ जगहों पर पोस्टिंग रही है।



ये उन दिनों की बात है जब मैं जून-२००२ में अपनी छुट्टियों पर था। उन दिनों में पाकिस्तान और इंडिया के बोर्डर पर काफी टेंशन थी और मुझे काफी कम छुट्टी मिली थी। छुट्टियों के दौरान ही अचानक मुझे टेलीग्राम मिला कि मैं जल्द वापिस अपनी यूनिट में रिपोर्ट करूँ। सो जैसा कि मैं उन दिनों में कराची में पोस्टेड था, इसलिये मैंने अपनी बुकिंग खायबर-मेल एक्सप्रेस पर करवायी।



मैं अपनी मुकरर तारीख पर रात एक बजे रावलपिंडी स्टेशन आया और ट्रेन का वेट कर रहा था। तकरीबन आधे घंटे के बाद ट्रेन आयी और मैं अपने थोड़े से सामान के साथ ए-सी स्लीपर क्लास के डिब्बे में जाकर अपना केबिन ढूँढने लगा। मेरी बुकिंग जिस केबिन में हुई थी, उस में चार बर्थ थीं। मुझे नहीं मालूम था कि और तीन लोग मेरे साथ कौन हैं, मगर मैं उन लोगों का इंतज़ार करने लगा।



तकरीबन पंद्रह मिनट के बाद एक फैशनेबल लेडी एक बूढ़े आदमी के साथ अंदर आयी और वो अपनी बर्थ तलाश करने लगे। उसके बाद उस लड़की के फादर ने बताया कि यही है उसकी बर्थ। मैंने उनको सलाम किया और बताया कि मैं कैप्टेन नौमान हूँ और कराची जा रहा हूँ। इस पर उस लड़की के फादर ने मुझे थैंक्स किया और बताया कि ये मेरी बेटी है और ये आर्मी में लेफ्टीनेंट नर्स है और इसने भी कराची जाना है, सो प्लीज़ इसका ख्याल रखना।



मैंने उनसे से कुछ देर बातें की और बताया कि मैं भी रावलपिंडी का हूँ। दरसल उस लड़की का नाम शाज़िया नाज़ था और उनका ताल्लुक अबोटाबाद के गाँव दुमतोर से था। मेरी बातों में उस लड़की ने कोई हिस्सा नहीं लिया मगर उसके फादर बहुत मुतमाईन हो कर नीचे उतर गये। उस के साथ ही गाड़ी रवाना हुई और मैं अपनी बर्थ पर बैठा हुआ था और शाज़िया मेरे सामने वाली बर्थ पर बैठी थी। इतने में गार्ड आया और हमारी टिकटें चेक करके उसने बताया कि इन दूसरे दो बर्थ पर एक फैमली लाहौर से बैठेगी, सो सुबह तक वो दोनों बर्थ खाली जानी थी और सुबह आठ बजे लाहौर से उस पर पैसेंजर्स ने आना था।



अब मैं आप लोगों को उस लड़की की तसील बताता हूँ। वो अबोटाबाद की थी और वहाँ के लोग बहुत खूबसूरत होते हैं। उसकी उम्र तकरीबन चौबीस या पच्चीस साल होगी लेकिन गज़ब की चीज़ थी। बिल्कुल सफेद रंग और चार इंच ऊँची ऐड़ी की सैंडल में उसकी हाईट ५’४” होगी। एक तो उसने टाइट फिटिंग वाले फैशनेबल कपड़े पहने थे और फिर हल्का सा मेक-अप किया हुआ था जिस में वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। उसकी शक्ल टीवी एक्ट्रेस जवेरिया जलिल से काफी मिलती थी। उसकी फिगर ३६-२७-३६ थी मगर टाइट फिटिंग के कपड़ों में उसके बूब्स बहुत ही सैक्सी तरीके बाहर उभरे हुए थे, बल्कि उसके निप्पल तक वाज़िया थे। उसने चिकन की ऑरेंज रंग की कमीज़ पहनी थी और वो इतनी फिटिंग वाली थी कि कमर का बल साफ़ नज़र आ रहा था।



मैं तो बस उस लड़की पर फ़िदा हो गया था और उसकी नाज़ुक सी चूत और जिस्म के बारे में सोचता रहा।



खैर हमारा सफ़र शुरू हुआ और उसने फॉर्मल बातें शुरू कीं जिस में उसने मुझसे मेरे रैंक, पोस्टिंग, सर्विस, फैमली एंड फ्रैंड्स की काफी बातें की। इस बीच मैंने अपने बैग में से रम की बोतल निकाली और उससे इजाज़त माँगी तो वो बोली कि आप चिंता ना करें.... मुझे कोई एतराज़ नहीं है, बल्कि आप बुरा ना मानें तो मैं भी आपके साथ थोड़ी सी शेयर करना चाहुँगी। मुझे उसके खुलेपन पर हैरत हुई पर मैंने उसे भी एक ग्लास में थोड़ी सी रम डाल कर दे दी और हम दोनों बातें करते हुए पीने लगे।



तकरीबन एक घंटे बाद उसने कहा कि उसको नींद आ रही है और अभी वो सोना चाहती है। मैंने उसको कहा कि मुझे तो अभी नींद नहीं आ रही और मैं बैग से एक सैक्सी नावल निकाल कर पढ़ने लगा। उसने मुझे रम के लिये थैंक्स कहा और बाथरूम की तरफ बढ़ गयी। हाई हील सैंडलों में उसकी चाल और हिलती हुई गाँड देख कर मेरी आह निकल गयी। उसने दो पैग रम पिये थे पर उसको देख कर बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगता था। शायद उसे ड्रिंक्स लेने की आदत थी। खैर, वो बाथरूम में घुस कर स्लीपिंग ड्रेस चेंज करने लगी।
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बाथरूम से निकल कर आयी तो उसने थोड़े ढीले से कपड़े पहने हुए थे और मेरे सामने वाली बर्थ पर लेट गयी। उसके बाद मैं जब बाथरूम में गया और खुद भी ईज़ी ड्रेस चेंज किया तो मैंने बाथरूम में देखा कि उसके कपड़े लटक रहे हैं और उन में उसकी ब्रा और पैंटी भी मौजूद थी। मैं तो उधर ही उसकी ब्रा और पैंटी को चूमता रहा और उन अंडर-गार्मेंट्स की किस्मत पर रश्क करने लगा। मुझे तो नींद का नाम-ओ-निशान भी नहीं था। मैं तो सिर्फ़ शाज़िया की चूत का सोच-सोच कर बेहाल हो रहा था। वैसे भी आर्मी ऑफिसर्स काफी ख्वार होते हैं और अभी तो एक केबिन में एक सैक्सी अकेली लड़की। वैसे वो भी एक आर्मी ऑफिसर थी.... आर्मी की नर्स और काफी कान्फिडन्ट लड़की थी, इसलिये कोई गलत कदम लेने से पहले सोचना था।



खैर कुछ देर बाद वो आँखें बंद करके मेरी तरफ़ करवट ले कर लेटी रही। मैं पहले ही एक सैक्सी सा नावल पढ़ रहा था और ऊपर से उसकी उठी हुई गाँड और हल्के से गिरेबान से बूब्स बाहर को निकल रहे थे, इसलिये दिमाग और ज़्यादा खराब होने लगा। बड़ी मुश्किल से अपने लंड को काबू किया हुआ था वर्ना दिल तो कर रहा था कि इधर ही इस लड़की का रेप करूँ। लेखक: अंजान



सोचते-सोचते मैंने अपने पैर सामने वाली सीट पर रख दिये, हालांकि पहले भी काफी दफा मैं सामने वाली सीट पर पैर रख चुका था। आहिस्ता-आहिस्ता मैं अपने पैर का अंगूठा उसकी चूत के करीब लेकर गया। मुझे यकीन था कि वो सो चुकी है और वैसे भी ट्रेन में चलते हुए झटके लग रहे थे, सो उसको अभी तक महसूस नहीं हुआ था। मैंने हिम्मत कर के अपना अंगूठा मज़ीद आगे किया और उसकी चूत से आहिस्ता-आहिस्ता मलने लगा।



शाज़िया ने ऐसा ही शो किया कि वो पक्की नींद में है और उसको पता नहीं चल रहा। तकरीबन दस मिनट तक मैं अपना अंगूठा उसकी चूत पर ऊपर से फेरता रहा और जब देखा कि वो अभी तक सोयी हुई है तो मैं हिम्मत करके उठा और उसकी बर्थ के साथ नीचे बैठ कर अपनी हाथ की अंगुली से उसकी चूत को आहिस्ता-आहिस्ता ढूँढने लगा।



मेरा लंड तना हुआ था मगर मैं बहुत ही एहतियात से काम कर रहा था ताकि वो उठ ना जाये मगर मुझे नहीं मालूम था कि वो सोयी ही नहीं है और मेरी अंगुली से उसको मज़ा आ रहा है।



थोड़ी देर बाद मैंने ज़ोर-ज़ोर से अपनी अंगुली उसकी चूत में मलनी शुरू की, और महसूस किया कि उसकी चूत गीली हो रही है और चूत से पानी निकल आया है। तब अचानक उसने करवट बदली। मैंने फ़ौरन हाथ पीछे किया और अपनी सीट पर वापिस बैठ गया, मगर उसने करवट बदली और सीधी लेट गयी। अब उसकी टाँगें कुछ खुली हुई थी और कमीज़ चूत पर से हटी हुई थी जिससे उसकी गीली जगह साफ़ नज़र आ रही थी। मैं तो समझा कि वो उठ गयी है और इसलिये दोबारा सीट पर बैठ कर नावल पढ़ने में मसरूफ हो गया। मगर उसने कोई हर्कत नहीं की और दोबारा ऐसा शो किया कि वो गहरी नींद में है। मैं फिर हिम्मत कर के उसकी बर्थ के साथ नीचे बैठ कर उसकी चूत में दोबारा अंगुली करने लगा। अभी चूँकि वो सीधी लेटी थी और टाँगें भी खुली थीं, इसलिये अंगुली काफी अंदर तक जा रही थी और शाज़िया ने कोई हर्कत नहीं की। मेरा लंड बहुत झटके मार रहा था। मैंने एक हाथ से लंड को काबू किया था जबकि दूसरे हाथ की अंगुली से उसकी चूत में मसाज कर रहा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और ये सोच रहा था कि उसकी चूत कितनी नरम है।



कुछ देर अंगुली करते-करते मैंने अंगुली काफी अंदर डाली तो उसने आँखें खोल दीं। मैं डर गया और फौरन पीछे हट कर सीट पर बैठ गया, मगर उस वक्त तो मेरे वारे न्यारे हो गये जब उसने सोते हुए कहा कि रुक क्यों गये हो?



मैंने डरते-डरते उसकी तरफ़ देखा तो वो मुस्कुराने लगी। बस मैं तो फिर शेर बन गया फौरन उठा और डोर को लॉक किया और शाज़िया को उठा कर अपने सीने से लगाया। उसकी काफी तारीफ की, उसके सैक्सी जिस्म की काफी तारीफ की और उसने भी मुझे ज़ोर से पकड़ लिया था।



फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे। वाकय उसके होंठ बहुत ही नरम और गुलाब की तरह थे। मैंने उसके होंठ चूसना शुरू किया। उसके होंठों पर लगी लिपस्टिक पहले खायी और उसके बाद उसके होंठों को एक प्यासे बच्चे की तरह चूसने लगा।
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शाज़िया भी किसिंग में बहुत एक्सपर्ट लगती थी। उसने इस तरीके से मेरे होंठ चूसना शुरू किया कि मैं बहुत इंजॉय कर रहा था। उसके बाद हमारी ज़ुबानें एक दूसरे के मुँह में थीं। मैं उसके मुँह का ज़ायका चख रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। साथ-साथ मेरा हाथ उसके बूब्स पर गया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी और उसके निप्पल खड़े थे। मैंने उनको दबाना शुरू किया और इसके बाद उसकी कमीज़ ऊपर की तो मैं खुशी से फूल गया क्योंकि उसके बूब्स छत्तीस साइज़ के गोल-गोल सफेद दूध थे। उसके निप्पल कुछ बड़े मगर इंतहा ही सैक्सी थे। उनका रंग लाईट पिंक था।



मैंने उसके मम्मे दबाना शुरू किया और शाज़िया को भी मज़ा आने लगा। उसके बाद मैंने उसके एक मम्मे को मुँह में लिया और उसको चूसने लगा। मेरी हालत एक भूखे बच्चे की तरह थी। मैंने एक मम्मे को मुँह में लिया था और दूसरे को हाथ से मल रहा था। वो बहुत ही गरम हो रही थी और मैं लगातार उसके मम्मे एक के बाद दूसरे को चूस रहा था। उसने मेरे सिर को अपनी चूचियों के साथ लगा कर रखा था और आँखें बंद की थीं। उसने मेरे जिस्म पर हाथ फेरना शुरू किया और जब उस का हाथ मेरे लंड पर पहुँचा तो फ़ौरन हटा लिया। मैंने उससे पूछा, क्या हुआ?



उसने कहा कि ये बहुत बड़ा है मगर मैंने अपना पायजामा उठा कर उसको अपना लंड दिया। उसने मेरा पौने सात इंच लंबा लंड अपने मुलायम और नाज़ुक हाथों में काबू किया और मैं अभी तक कभी उसके मम्मे चूस रहा था और कभी उसके लिप्स को चूसता।



उसके साथ ही मैं अपना हाथ उसकी चूत पर ले कर गया और वो मुकम्मल गीली हो गयी थी। मैंने उसकी सलवार जिस में इलास्टिक था, उसको उतारा और कमीज़ को मुकम्मल तरीके से ऊपर किया और उसके जिस्म को किस करना शुरू किया।



मैंने उसके एक एक हिस्से को किसिंग करना और चाटना शुरू किया। उसकी गर्दन से होता हुआ उसके प्यारे से पेट पर गया, फिर उसकी चूत की ऊपरी जगह को किस करने और चाटने लगा। बेशक वो बहुत साफ़ सुथरी लड़की थी। उसने ताज़ा-ताज़ा चूत की शेव की थी और उसकी चूत पिंकिश थी। मैंने आज तक काफी ब्लू फिल्में देखी थी मगर कभी किसी लड़की की चूत नहीं चाटी थी सो मैं बहुत बेकरार था कि इसका क्या मज़ा होता है। फिर मैंने उसकी चूत पर किस की और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी चूत पर ज़ुबान फेरने लगा। शाज़िया को भी काफी मज़ा आ रहा था और मैंने अखिरकार ज़िंदगी में पहली बार किसी की चूत चाटी।



मुझे बहुत ही मज़ा आया क्योंकि उसकी चूत बहुत साफ़-सुथरी और सुंदर थी सो मैंने काफी देर उसकी चूत चाटने में लगायी। वो बहुत गरम हो गयी थी और टाँगें मार रही थी मगर मैं उसको मुकम्मल मज़ा देना चाहता था। हालांकि मैंने अपने लंड को काबू में किया हुआ था और पहले उसको चोटी पर पहुँचाना चाहता था, चूत चाटते-चाटते वो डिसचार्ज हो गयी और मैंने पहली दफा किसी लड़की का लावा चखा। वो बहुत अच्छा था, पहले ज़रा नमकीन लगा, मगर जब उसकी चूत की हालत देखी तो उस वक्त वो गुलाबी हो रही थी, इसलिये मैंने मुकम्मल तरीके से उसकी चूत को चाटा और उसको फारिग किया।



इस दौरान वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी सो मैंने उसको चूसने के लिये कहा। उसने पहले इनकार किया मगर मैंने उसको काफी किस करके प्यार किया और बताया कि इस तरह उसको और मुझे मज़ा आयेगा, सो उसने मेरे लंड को डरते-डरते मुँह में लिया। फिर मैंने उसको बताया कि काटना नहीं बल्कि ज़ुबान से इस लंड को चूसना है। शुरू में तो उसको नहीं आया मगर कुछ देर बाद वो एक एक्सपर्ट लंड-चूसबाज़ की तरह मेरे लंड को चूसने लगी। मेरा लंड मुकम्मल तन चुका था और चूँकि वो पहली बार लंड चूस रही थी इसलिये मैंने उसके मुँह मैं अभी छूटना नहीं चाहा। सो मैंने लंड उसके मुँह से निकाला और उसकी टाँगों के बीच में रखा। उसने कहा कि नोमी! ये मुझे ज़ख्मी कर देगा। मैंने उसको कहा कि मैं कोई जानवर तो नहीं हूँ और तुम को प्यार से चोदूँगा। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और आहिस्ता-आहिस्ता अंदर डालने लगा। उसकी चूत काफी टाइट थी, मगर वो वर्जिन नहीं थी क्योंकि उसने मुझे बाद में बताया कि उसने अपने एक कज़िन से कईं दफा चुदाई की हुई थी मगर उसने लंड-चुसाई और चूत आज पहली बार चटवायी थी।



खैर मैंने आहिस्ता-आहिस्ता पूरा पौने सात इंच का लंड उसकी चूत में डाल दिया और आहिस्ता-आहिस्ता आगे पीछे करने लगा। उस वक्त वो बर्थ पर लेटी थे और मैंने स्टेंडर्ड तरीके से उसकी टाँगें उठायी हुई थीं और अपना लंड उसकी चूत में डाला हुआ था। शाज़िया की आँखें बंद थीं और वो भरपूर मज़ा ले रही थी। कुछ देर बाद मैं डिसचार्ज होने लगा और मुझे ये डर था कि अगर मैं अंदर डिसचार्ज हो जाऊँगा तो ये प्रेगनेंट हो जायेगी। सो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी पेट पर डिसचार्ज हो गया। मुझे बाहर डिसचार्ज होते हुए काफी तकलीफ हुई मगर मैं उसकी तबाही नहीं करना चाहता था।



जब उसने मुझे बाहर डिसचार्ज होते देखा तो मुझसे पूछा कि लंड बाहर क्यों निकाला है? मैंने यही जवाब दिया कि मैं उसको प्रेगनेंट नहीं करना चाहता और मैं उसकी तबाही भी नहीं करना चाहता। इस पर उसने मुझे सीने से लगा कर बहुत किस किया और मेरी इस बात पर खुश हुई और कहा कि अभी बाहर नहीं डिसचार्ज होना, मैं एक नर्स हूँ, ऑय नो हाऊ टू डील विद इट।



फिर कुछ देर हम इसी तरह सैक्सी बातें करते रहे और मैं उसके साथ ही बर्थ पर लेटा रहा। उसने मेरे लंड को हाथ में लिया हुआ था और मैं उसके बूब्स के साथ खेल रहा था। जब मेरा लंड दोबारा तैयार होने लगा तो मैंने उसको दोबारा चूसने के लिये कहा और खुद उसकी चूत चाटने लगा। मैंने महसूस किया कि शाज़िया को चूत चटवाने में बहुत मज़ा आ रहा है तो हमने सिक्स्टी नाइन की पोज़िशन बनायी और एक दूसरे को चाटते रहे। यहाँ तक कि वो डिसचार्ज हो गयी और मैंने उसकी सारी मनि पी ली। उसके बाद अभी तक वो मेरा लंड चूस रही थी और मुझे बहुत मज़ा आने लगा। जब मैं डिसचार्ज होने के करीब हुआ तो मैंने शाज़िया से कहा कि मैं डिसचार्ज होने वाला हूँ। उसने फौरन मेरा लंड अपने मुँह से निकाल लिया मगर मैंने उसको कहा कि जान ये नुक्सानदेह नहीं है। फिर वो मान गयी और मैं पहली दफा उसके मुँह में डिसचार्ज हुआ। उसने मेरी मनि को मुँह में लिया और फिर कुछ कोशिश करके पी गयी। उसके बाद उसने बताया कि मेरी मनि बहुत मज़ेदार थी और उसने पहली दफा ज़िंदगी में मनि का ज़ायका लिया है।
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मैं दो दफा डिसचार्ज हो गया था। फिर हमने कुछ आराम किया और उसके कहने पर एक-एक पैग रम का और पिया। मगर मेरे लंड को आराम नहीं था और कुछ ही देर बाद दोबारा तैयार हो गया। मैंने शाज़िया की चूत को चाटना शुरू किया। वो रम के हल्के से नशे में सो रही थी पर फिर उठ गयी। मैंने कहा कि, जान मेरा फिर दिल कर रहा है! इस दफा मैंने उसको डॉगी स्टाईल में बनाया और उसकी गाँड को किस करता रहा। उसकी गाँड बहुत सैक्सी और गोल थी। मैंने उसके चूतड़ खोल कर उसकी गाँड के सुराख को चेक किया। वो डार्क पिंकिश कलर का था और मैंने उसकी गाँड पर ज़ुबान फेर कर उसके साथ इंजॉय किया।



उसके बाद उसकी चूत में पीछे की तरफ़ से अपना लंड डाला। ये मेरा मनपसंद स्टाईल है और मैंने इस दफा बहुत इंजॉय किया। मैंने बहुत समय लगाया और शाज़िया को पूरा मज़ा दिया। मैंने इस दफा अपना लंड भी बाहर नहीं निकाला और उसकी चूत को अपनी मनि से भर दिया। उसके बाद उसको उलता लिटाया और उसके ऊपर लेटा रहा जब तक मेरा लंड सिकुड़ कर खुद बाहर नहीं आ गया। लेखक: अंजान



उसके बाद वो उठी और अपने सैंडल पहन कर बाथरूम में गयी और साफ़ हुई। वापस आकर उसने अपने पर्स से लोशन निकाला और अपनी चूत और गाँड पर लगाया। उसके बाद उसने पर्फ्यूम निकाल कर अपनी सैक्सी जाँघों पर स्प्रे किया। मैं ये देख कर हैरान हो गया कि वो अपनी चूत और गाँड का बहुत ख्याल करती है। मुझे काफी अच्छा लगा।



फिर मैं भी उठा और बाथरूम में जाकर अपने लंड को धोने लगा और खुद को जन्नत में महसूस कर रहा था। मैं सोच भी नहीं सकता था कि इतनी सैक्सी और खूबसूरत हमसफ़र मिलेगी। उसके बाद, चूँकि अब सुबह हो चुकी थी, इसलिये शाज़िया ने दोबारा अपने कपड़े चेंज किये और लाहौर तकरीबन आने ही वाला था। मुझे ये छः घंटे सफ़र के पता भी नहीं चले और इतना जल्दी लाहौर आ गया। लाहौर स्टेशन पहुँच कर मैंने प्लैटफोर्म का चक्कर लगाया और कुछ फल खरीदे। उसके साथ ही किचन वाले वेटर को नाश्ते का ऑर्डर दिया। वापिस केबिन में आकर मैं शाज़िया के साथ ही सीट पर बैठ गया। मैं उससे तमाम एक्सपीरियंस के बारे में मालूम कर रहा था। मुझे ये सुन कर बहुत खुशी हुई कि मैं बहुत गरम और सैक्सी हूँ और उसने मुकम्मल इंजॉय किया।



उसके बाद अभी हम लोग नाश्ते कर रहे थे कि एक औरत और एक बच्चा हमारे केबिन में आ गये। उस औरत की उम्र पैंतालीस साल होगी और उसके साथ आठ या नौ साल का बच्चा था। मुझे तो सख्त गुस्सा आया कि हमारे मज़े में कोई शामिल हो गया है और अभी मैं इंजॉय नहीं कर सकुँगा मगर जब वो लोग बैठ गये तो बात मैंने ही शुरू कि और शाज़िया को अपनी वाईफ के तौर पर तार्रुफ करवाया और उस औरत को बताया कि हमारी नयी शादी हुई है और अभी हम कराची जा रहे हैं। मुझे ज़्यादा खुशी ये सुन कर हुई कि उस आँटी ने रोहरी स्टेशन जाना था यानी उसके बाद भी मेरे पास कराची तक एक पूरी रात का वक्त था।



खैर ट्रेन दोबारा स्टार्ट हुई और हम लोग नाश्ता खतम कर चुके थे। उसके बाद शाज़िया उस आँटी से फॉर्मल बातें करती रही और हम दोनो एक दूसरे की तरफ़ पैर करके एक ही सीट पर बैठे रहे। कुछ देर बाद मैंने सीट पर टाँगें लंबी कीं और लेट गया जबकि शाज़िया मेरे साथ एक तरफ़ बैठी थी। आँटी का बच्चा ऊपर वाली बर्थ पर चढ़ कर लेट गया और मैं शाज़िया के साथ लेटा रहा। हमने एक चादर अपने ऊपर डाली हुई थी जिससे मेरा जिस्म और शाज़िया का आधा जिस्म छिपा हुआ था। मैंने आँखें बंद कीं और मैं सो गया। उसके बाद पता नहीं कब तक ये दोनों औरतें बातें करती रहीं और उसके बाद शाज़िया भी मेरे साथ लेट गयी।



जैसा कि मैंने पहले ही अकलमंदी कर के आँटी को बताया था कि हम मियाँ बीवी हैं तो उस वक्त ये सब कुछ बुरा नहीं लग रहा था। शाज़िया सोयी नहीं बल्कि मेरा सैक्सी नावल पढ़ने लगी। उसके बाद चद्दर के अंदर से ही मेरे लंड को हाथ में लेकर मसाज करने लगी। अचानक मेरी आँख खुली और मैंने देखा कि आँटी और उसका बच्चा सो रहे हैं। शाज़िया मेरे ही साथ लेट कर नावल पढ़ रही है और साथ-साथ मेरे लंड पर हाथ फेर रही है। जब मैं काफी गरम हुआ तो मैंने पायजामे से लंड बाहर निकाल कर शाज़िया के हाथ में दिया और मैं आराम-आराम से उसकी चूत में अँगुली करने लगा। मगर उसने मज़ीद आगे नहीं जाने दिया क्योंकि अभी एक फैमली हमारे साथ थी। इसलिये उसने हाथों से ही मेरी मुठ मारी और मुझे रिलैक्स किया। उसके बाद मैंने अपनी मनि साफ़ की और खामोशी से उठ कर शाज़िया को लंबी सी किस की और दोबारा सो गया।
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बरहाल सफ़र गुज़रता रहा और आखिरकार रोहरी स्टेशन आ गया जहाँ पर उस आँटी ने उतरना था। उसने उतरते हुए अपने घर का पता दिया और कहा कि बहुत लविंग कपल है, कभी हमारी तरफ़ चक्कर लगाना। और उसके बाद वो दोनों माँ-बेटा उतर गये। उनके चले जाने के बाद मैंने केबिन को लॉक किया और शाज़िया को गले लगा कर बहुत किस किया। वो मेरी हाज़िर-जवाबी और अक्लमंदी की तारीफ करने लगी। मैंने भी उसको कहा कि आखिर एक आर्मी ऑफिसर हूँ, कोई मज़ाक नहीं है।



उसके बाद सुबह कराची केंट पहुँचने तक कोई नहीं आया और मैंने शाज़िया को आठ बार अलग-अलग स्टाईल से चोदा। मुझे उसके साथ हर बार एक नया ही मज़ा आया। एक बार उसकी गाँड भी मारी। उसने थोड़ा मना किया पर रम के नशे में वो गाँड मरवाने को तैयार हो ही गयी। ये मेरी ज़िंदगी का यादगार सफ़र था और कितनी जल्दी वो रात गुज़री मुझे मालूम ना हो सका मगर आखिरकार हम लोग खैरियत से कराची कैंट कुछ लेट तकरीबन आठ बजे पहुँचे।



उस दिन संडे था इसलिये स्टेशन पहुँच कर मैं शाज़िया के साथ उतरा और अभी तक हम इतने करीब आ गये थे कि वो वाकय मुझे अपना हसबैंड जैसा समझ रही थी। वो मेरे साथ ही स्टेशन से बाहर आयी। उसने रात में मेरे साथ काफी रम पी ली थी और उसका सिर थोड़ा सा चकरा रहा था। मैंने उसको कहा कि आज चूँकि संडे का दिन है और मुझे कल ड्यूटी पर हाज़िर होना है, तुम्हारा क्या रूटीन है? उसने भी यही कहा कि उसकी भी हाज़िरी अगले दिन से है तो मैंने उसको कहा कि अगर तुम बुरा ना मानो तो मेरे साथ चलोगी?



अभी तक शाज़िया को मुझ पर काफी भरोसा हो गया था, इसलिये वो तैयार हो गयी मगर पूछा कि किधर जाना है? मैं चूँकि मेस में रहता था और वहाँ एक औरत को नहीं ले जा सकता था। इसके अलावा कराची में एक ही काबिल-ए-एतमाद दोस्त था। वो काफी अमीर था और उन दिनों मुल्क से बाहर गया हुआ था।



मैंने थोड़ा सोचा और उसको होटल में रुकने का सुझाव दिया। पहले तो वो घबरायी क्योंकि हम फौज के लोगों के पीछे आई-एस-आई काफी होती है। इसलिये उसने मुझे डराया, मगर मैंने उसको तसल्ली दी कि तुम कहीं भी ये ना शो करना कि तुम आर्मी में हो। खैर आल्लाह का नाम लेकर हम लोग मेट्रोपोल पर मौजूद सर्विसेज मेस में आ गये। मैंने वहाँ जाने से पहले शाज़िया को कहा कि चादर पहन ले और एक पर्दे वाली बीवी का रोल करे। पर्दे में होने से उसकी साँसों में मौजूद रम की महक भी किसी को नहीं आयेगी। मैंने रिसेपशन पर जाकर अपना कार्ड दिखाया और कहा कि ये मेरी वाईफ है, कराची एक काम से आयी है, इसलिये अभी मुझे फैमली वाला रूम चाहिये।



फ्रैंड्स, हो सकता है कि आप लोगों को आर्मी के एक कैप्टेन की अहमियत मालूम हो, इसलिये उस हवलदार ने कोई दूसरी बात नहीं की बल्कि एक फ़ॉर्म लाया। मैंने सिर्फ फोरमैलटी के तौर पर उल्टा सीधा नाम और मालूमात डाल कर फ़ॉर्म पर जाली दस्तखत किये। कुछ देर बाद एक सुबेदार आया और मैंने कार्ड दिखाया तो उसने सेल्यूट मार कर जवाब दिया और फिर मुझे एक फैमली रूम की चाबियाँ दीं। मैं शाज़िया को लेकर रूम में आया, और रूम का डोर बंद करके शाज़िया को सीने से लगाया कि सबसे बड़ा मसला हल हो गया। शाज़िया का ज़िक्र कहीं नहीं आया और वो बहुत खुश थी। उसने मुझे ज़ोर से किस किया। अभी हमने सिर्फ़ सामान कमरे में रखा था और एक दूसरे के साथ चिपक कर प्यार करने लगे।



अचानक डोर पर नॉक हुई और मैंने फौरन अपनी हालत ठीक करके डोर खोला। एक बेरा नाश्ते का ऑर्डर लेने आया था। मैंने कहा कि अभी तो हम थके हैं। इसलिये लंच और डिनर का ऑर्डर दे दिया। उस बेरे के चले जाने के बाद मैंने अच्छी तरह से पूरे रूम को चेक किया कि कहीं कोई खतरे की बात तो नहीं। उसके बाद जब मुतमाईन हो गया तो मैंने वापस अकर शाज़िया को गोद में लिया और चूमना शुरू किया। उसके बाद मैंने उसको नंगा करके गौर से देखा। इसमें कोई शक नहीं कि वो बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत थी। मैं काफी देर उसको देखता रहा और भरपूर तरीके से उसको चूमा और फिर वही तमाम हालात हुए।



लंच से पहले मैं चार बार उसको चोद चुका था। मैं काफी थका हुआ था इसलिए पास मौजूद थोड़ा सा नाश्ता खाया और हम आराम करने लगे। ठीक दो बजे बेरे ने डोर खटखटाया और लंच ले कर आया। मैंने उससे लंच लेकर टेबल पर रखा और उसको कहा कि मैं खुद ही बर्तनों के लिये फोन कर दूँगा।
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