बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )

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Jemsbond
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )

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"बलराज सोनी की एक यह बात भी मुझे बहुत खटकी थी कि मैं जहां भी जाता था, वह मुझे वहां पहले ही मौजूद मिलता था । हर कत्ल के वक्त के आसपास वह या तो घटनास्थल पर था या उसके आसपास था। ऐसा इत्तफाक हो सकता था लेकिन हर बार ऐसा इत्तफाक नहीं हो सकता था । आज जब मैं निजामुद्दीन थाने में कमला से मिलने गया था तो वह वहां भी उसके सिरहाने बैठा हुआ था। वहां उसके मुंह से एक ऐसी बात निकली थी जिसे सुनकर मुझे। गारण्टी हो गई थी कि वही हत्यारा था।"

"क्या ?"

"उसने मुझे कमला की निगाहों में एक हकीर इंसान साबित करने के लिए कहा था कि रहता तो मैं ऐसे कबूतर के दड़बे जैसे फ्लैट में था जिसकी बैठक की दीवार का उधड़ा हुआ पलस्तर तक मैं ठीक नहीं रख सकता था लेकिन सपने देखता था मैं चावला साहब जैसे लोगों की विशाल कोठियों के । अब तुम सोचो, यादव साहब, मेरी जानकारी में जिस शख्स ने कभी मेरे घर में कदम नहीं रखा था, उसे कैसे मालूम हो सकता था कि मेरे फ्लैट की किसी दीवार का पलस्तर उधड़ा हुआ था? ऐसा उसे एक ही तरीके से मालूम हो सकता था । और वह तरीका यही था कि अगर वो मेरी जानकारी में नहीं तो मेरी गैरहाजिरी में मेरे फ्लैट में घुसा था।"

"ओह !"

"उसकी वह बात सुनकर ही मैंने उसको फांसने के लिए आनन-फानन जाल फैलाया था। मैंने कमला को कहा कि मैं उस पर दिलोजान से फिदा था और फौरन उससे शादी करना चाहता था।"

"ऐसा क्यों कहा तुमने ?"

"बताता हूं । देखो। एक बार जब मैंने मान लिया कि कातिल बलराज सोनी था तो मेरे सामने कोई उद्देश्य भी होना चाहिए था उसकी इस हरकत का । मुझे एक ही उद्देश्य सूझा ।" ।

"क्या ?"

"चावला की दौलत । बलराज सोनी चावला का वकील था। उसने उसकी वसीयत तैयार की थी । वसीयत में जो कुछ लिखा था, वह तो उसने मुझे बताया था लेकिन मेरे अनुरोध पर भी वह मुझे वसीयत दिखाने को तैयार नहीं हुआ था।"

यो ?”

यो, जैसा कि अब मुझे मालूम हो भी चुका है, वसीयत में खुद बलराज सोनी का भी जिक्र था । चावला की कोई आस-औलाद नहीं थी और बीवी के अलावा उसका कोई नजदीकी रिश्तेदार भी नहीं था । रिश्तेदार के अलावा अगर यह किसी को अपना वारिस बनाने का ख्वाहिशमंद था तो वह जूही चावला थी । लेकिन जैसा कि आज मैंने कोर्ट में दाखिल चावला की वसीयत की कॉपी में देखा, उन दोनों के मर जाने की सूरत में, यानी कि चावला का कोई वारिस न बचने की सूरत में जायदाद का वारिस बलराज सोनी करार किया गया था।" |

"ऐसा चावला ने अपनी मर्जी से किया होगा ?"

" मर्जी से ही किया होगा । बलराज सोनी ने उसे यह पट्टी पढाई होगी कि यूं वसीयत में उसका नाम लिखने से उसको
ऊ मिल तो जाने वाला नहीं था, तो एक मजाक के तौर पर ही वसीयत में उसका जिक्र सही । वैसे यह भी हो । सकता है कि ऐसी किसी वसीयत पर उसने चावला के धोखे से साइन करवा लिए हों । बहरहाल यह हकीकत अपनी जगह अटल है कि जूही चावला की मौत के बाद अगर अब कमला चावला भी मर जाती तो चावला की सारी जायदाद का मालिक बलराज सोनी बन जाता । उसने कमला को ऐसी चालाकी से फंसाया था कि कम-से-कम उसको निगाह में तो उसका फांसी पर चढ़ जाना लाजमी था । यह थी आज शाम तक बलराज सोनी की पसन्दीदा।

जिसमे मैंने मक्खी डाल दी ।"

"थाने में उसके सामने यह घोषणा करके कि मैं कमला पर दिलोजान से फिदा था और उससे फौरन शादी करना , चाहता था। मैं शादी को कमला से हामी भी भरवा आया था और कल सुबह की तारीख भी पक्की कर आया था। वह बात सुनकर बलराज सोनी के छक्के छूट गए। अगर मैं कमला से शादी कर लेता और फिर कमला फांसी चढ़। जातो तो उसका पति होने के नाते उसे मिली चावला की सारी जायदाद का मालिक में होता । दौलत के लिए तीन कत कर चुकने के बाद अब बलराज सोनी को ऐसी कोई स्थिति भला कैसे गंवारा होती ? यादव साहब, अपनी इस घोषणा के बाद मैंने तो वहां थाने में ही उसकी आंखो में अपनी मौत की छाया तैरती देख ली थी। उसने तो उसी क्षण मेरा कल करने का फैसला कर लिया हुआ था। थाने से ही वह मेरे पीछे लग गया था। वैसे भी मैं उसे जानबूझकर सुना आया थाके मेरा अगला पड़ाव यह जगह थी ताकि अगर पीछा करते वक्त वह मुझे कहीं खो बैठता तो उसे मुझे दोबारा तलाश करने में कोई दिक्कत न होती ।" ।

"तुम्हें मालूम था कि वह यहां तुम्हारे कत्ल की कोशिश करेगा ?"
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )

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"मुझे यह मालूम था कि पहला सुरक्षित मौका हाथ में आते ही वह मुझ पर वार करेगा। वह मौका मैंने उसे यहां खुद तैयार करके दिया । फर्क सिर्फ इतना हुआ कि मैंने तुम्हें भी यहां बुला छोड़ा। वह मुझे स्टूडियो में अकेला समझ रहा। था। मेरे साथ भटनागर साहब थे लेकिन अगर उसे लगता कि वह इन पर एक्सपोज हो सकता था तो वह मेरे साथ-साथ इनका भी कत्ल कर देता । मैंने पहले से तुम्हे यहां न बुलाया हुआ होता तो फिर मेरी दुक्की पीट गई थी।" "तुमने बहुत रिस्क लिया अपनी जान का ।" "बलराज सोनी को एक्सपोज करने के लिए यह जरुरी था । यादव साहब, यह न भूलो कि यही एक अकाट्य सबूत है। तुम्हारे पास उसके खिलाफ कि तुमने उसे मेरे कत्ल की कोशिश में रंगे हाथों गिरफ्तार किया था । उसकी इस हरकत की गैरहाजिरी में उस पर शक ही किया जा सकता था, उसके खिलाफ कुछ साबित नहीं किया जा सकता था।"

"तुम ठीक कह रहे हो।" - यादव एक क्षण ठिठका और फिर बोला - "चावला का कत्ल तो बलराज सोनी ने उसकी दौलत की खातिर किया और चौधरी का कत्ल उसने इसलिए किया क्योंकि वह तुम्हारे फ्लैट की तलाशी ले रहा था। तो इत्तफाक से ऊपर से वह आ गया था लेकिन जूही चावला का कत्ल क्यों किया उसने ?" "दह तो उसने करना ही था । उसके मरे बिना दौलत बलराज सोनी के हाथ थोड़े ही आ सकती थी !" “ऐसे तो उसने अभी कमला के भी फांसी चढने का इन्तजार करना था। फिर भी जूही का कत्ल उसने यूं आनन-फानन क्यों किया?" | मैं कुछ क्षण सोचता रहा और फिर बोला - "इसकी एक ही वजह हो सकती है।"

"क्या ?"

"यह कि जूही को मालूम था कि उस रात अपने फार्म हाउस पर चावला बलराज सोनी से मिलने जा रहा था।

चावला जूही के बंगले से ही फार्म पर गया था। वहां जब बलराज सोनी उसके कत्ल को आमादा हो गया होगा तो। उसने उसे हतोत्साहित करने के लिए बताया होगा कि जूही को उस मुलाकात की खबर थी और चावला की मौत के बाद जूही का बयान उसे फंसा सकता था।"

"तुम्हारा अन्दाजा सही है।" - यादव के स्वर में एकाएक प्रशंसा का पुट आ गया - "यही बात थी । तुम्हारी जानकारी के लिए गिरफ्तारी के बाद बलराज सोनी अपना बयान दे चुका है और कबूल कर चुका है कि तीनों कत्ल उसने किए | थे । बकौल उसके चावला की हत्या वाली रात को ही वह जूही चावला से उसके बंगले पर मिला था । उसने उसे धमकाया था कि अगर उसने किसी को बताया कि चावला फार्म पर उससे मिलने गया था तो वह उसे जान से मार डालेगा। अगले रोज इसी वजह से जूही चावला ने तुम्हारी सेवाएं प्राप्त की थी । अपनी जान का खतरा उसे बलराज सोनी से था इसीलिए उसने अपने लिए बॉडीगार्ड का इन्तजाम किया था।"

"आई सी !"

"बलराज सोनी कहता है कि उसने बाद में महसूस किया था कि बावजूद उसकी धमकी के जूही चावला अपनी जुबान खोल सकती थी। देर-सबेर तो उसने उसका कत्ल करना ही था सो उसने वह काम तभी करने का फैसला कर लिया । वह जूही के बंगले पर उसका कत्ल करने की ही नीयत से पहुंचा था कि उसे वहां कमला मिल गयी थी । वह वहां से कमला की कार पर उसके साथ रवाना हुआ था। रास्ते में उसने जानबूझकर कमला के साथ ऐसी बेहूदगी की - थी कि उसने उसे कार में से उतार दिया था। वह वापिस लौटा था और बंगले के पिछवाड़े की गली में से बंगले में । दाखिल हुआ था । तुम्हारा आदमी सामने की तरफ था इसलिए उसे उसके दोबारा आने का पता नहीं लगा था। वह कहता है कि वह जूही को दबोचकर किचन में ले आया था और उसने गैस को खोलकर जबरन उसका सिर गैस के सामने कर दिया था। खुद वह अपने साथ बैग में एक गैसमास्क लेकर गया था इसलिए गैस का असर उस पर नहीं हुआ था। उसने पहले से ही उसका कत्ल यू करने का इरादा किया हुआ था इसलिए वह गैसमास्क और वहां की। किचन के ताले की प्रकार की कई चाबियां साथ लेकर गया था। उनमें से कोई तो चाबी किचन के ताले को लगनी ही थी । लगी भी। बाकी काम आसान था । वह मर गई तो उसने उसे गैस के सिलेण्डर के करीब डाल दिया और गैस खुली रहने दी । फिर उसने किचन की चाबी उसके एक दरवाजे के भीतर छोड़ी और अपनी किसी एक चाबी से दरवाजा बाहर से बन्द करके वहां से विदा हो गया।"
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )

Post by Jemsbond »

"ओह !"

"चौधरी का तुम्हारे फ्लैट में कत्ल कर चुकने के बाद उसने तुम्हारे ही फ्लैट से कमला को फोन किया था और कहा था कि क्योंकि कमला ने उसका प्रणय-निवेदन ठुकरा दिया था इसलिए वह आत्महत्या करने जा रहा था। इस प्रकार । उसने इतनी रात गए कमला को घर से निकाला और खुद फौरन अपने घर पहुंच गया। इस हरकत से उसे दो फायदे हुए । एक तो खुद कमला उसकी गवाह बन गई कि चौधरी की हत्या के समय के आसपास वह अपने घर पर था, दूसरे हम लोग कमला पर यह शक कर बैठे कि वह चौधरी की हत्या कर चुकने के बाद बलराज सोनी के पास पहुंची थी।"

"कत्ल की रात को चावला को वह छतरपुर बुलाने में कैसे कामयाब हुआ ?" "वह कहता है कि चावला वह फार्म बेचना चाहता था। उसने चावला को कहा था कि उसने फार्म का एक ग्राहक तलाश कर लिया था जिससे वह फार्म पर ही चावला की फाइनल बात करवा सकता था। चावला नारायणा से झंडेवालान तक टैक्सी पर आया था, वहां से आगे बलराज सोनी उसे अपनी कार में बिठाकर ले गया था।"

"चावला की रिवॉल्वर उसके हाथ कैसे लगी ?"

"वह कोई बड़ी बात नहीं थी । चावला के घर-बार में बलराज सोनी की हैसियत परिवार के ही एक सदस्य जैसी थी

चावला की कोठी में आने-जाने पर उसे कोई रोक-टोक नहीं थी । बहुत सगेवाला बनता था वह चावला का.."

ऐसा ,,, वाला कहीं किसी का सगेवाला बन सकता है ?"

"हकीकतन नहीं बन सकता । लेकिन भरम तो पैदा कर ही सकता है। बहरहाल उसे यह मालूम होना, कि चावला अपनी रिवॉल्वर कहां रखता था, कोई बड़ी बात नहीं थी और उसे वहां से चुपचाप निकाल लेना भी कोई बड़ी बात नहीं थी ।"

"आई सी !"

"तुम्हारी जानकारी के लिए कमला को चावला के जूही से ताल्लुकात की भनक भी बलराज सोनी से ही लगी थी।

और उसीने उसे यह कानूनी नुक्ता सुझाया था कि अगर वह अपने पति के किसी और स्त्री से नाजायज ताल्लुकात को साबित करके पति से तलाक हासिल करे तो प्रापर्टी सैटलमेण्ट के तौर पर उसे चावला की सम्पत्ति का एक मोटा भाग मिल सकता था। इस काम के लिए किसी प्राइवेट डिटेक्टिव की सेवाएं हासिल करने की राय भी कमला को उसी ने दी थी। उसी ने उसे यह भी समझाया था कि कि इस बात को गोपनीय रखने के लिए उसे किसी एकान्त जगह प्राइवेट डिटेक्टिव से मिलना चाहिए था। यानी कि कमला ने तुमसे छतरपुर के फार्म में आठ बजे मिलना उसी की शह पर तय किया था।"

"यानी कि चावला की हत्या का अपराध थोपने के लिए कैण्डीडेट के तौर पर कमला को उसने पहले से ही चुना हुआ था ?"

"जाहिर है।"

"बहरहाल अन्त बुरे का बुरा ।"

"दुरुस्त ।"

"अब अपनी प्रोमोशन तो तुम पक्की समझो ।"

"कैसे पक्की समझू ? वह तो तुम होने दोगे तो होगी ।"

"मतलब ।"

उसने एक सशंक निगाह शैली भटनागर पर डाली और फिर दबे स्वर में बोला - "जब तक मैं लैजर की उस दूसरी कॉपी की बाबत निश्चिन्त न हो जाऊं जो कि..."

"खातिर जमा रखो यादव साहब ।" - मैं बीच में बोल पड़ा - "ऐसी किसी कॉपी का अस्तित्व नहीं है।"

"सच कह रहे हो ?" - वह संदिग्ध भाव से बोला ।"

"हां ।"

तुमने दूसरी कॉपी नष्ट कर दी है ?"

"दूसरी कॉपी थी ही नहीं । कमला चावला से मुलाकात का मौका हासिल करने के लिए उस बाबत मैंने तुमसे झूठ बोला था।"

"ओह !" - उसने शान्ति की एक मील लम्बी सांस ली - "ओह !"

"अब तो बन गए इंस्पेक्टर ?"

"हां । शायद ।"

"अब इंस्पेक्टर बनने की खुशी में एक मेहरबानी मुझ पर भी करो ।”

"क्या ?"

"मेरा एलैग्जैण्डर से पीछा छुडाओ।"
,,,
"वह तो मैंने उसे कहा है कि..."
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )

Post by Jemsbond »

"तुमने उसे कहा है कि मौजूदा हालात में मुझे कुछ नहीं होना चाहिए । उसने मुझे बताया था ऐसा । लेकिन हो सकता है, वह सिर्फ मौजूदा हालात में खामोश रहे । यादव साहब, मैंने दो बार उस पर आक्रमण किया है और उसका पचास हजार रुपया भी मारा है, इसलिए हो सकता है कि वह बाद में मेरी खबर ले । अब यह केस खत्म हो ही गया है। आने वाले दिनों में उसकी फिर से मुझ पर नजरेइनायत हो सकती है।"


"ऐसा नहीं होगा। मैं उससे बात करूंगा।" 3 "तुम गारण्टी करते हो, ऐसा नही होगा ?"

"हां ।"

"तो मैं चैन की नींद सोउं ?"

"हां।"

"शुक्रिया । कमला अभी भी निजामुद्दीन थाने में है ?"

"नहीं । वो तो कब की रिहा की जा चुकी है । बलराज सोनी के गिरफ्तार होते ही मैंने उसको रिहा कर देने के लिए। थाने फोन कर दिया था ।"

"गुड ।" उसके बाद महफिल बर्खास्त हो गई।
***
|,
***
कमला चावला से शादी से पीछा छुड़ाने के लिए आपके खादिम को जो दांतों पसीने आये, उसको आपका खादिम । ही जानता है । वो तो पंजे झाड़कर मेरे पीछे पड़ गई । वो तो अपने दिवंगत पति की तेरहवीं तक इंतजार करने को भी तैयार नहीं थी । आखिर मैं भी तो उसके रिहा होने का इन्तजार नहीं करना चाहता था, मैं भी तो हवालात में ही उससे शादी कर लेना चाहता था। बड़ी मुश्किल से मैं उसे समझा पाया कि उस जैसी खूबसूरत औरत का दर्जा तो । ताजमहल जैसा होता था । ताजमहल भला किसी एक शख्स की मिल्कियत बन सकता था ! उसकी अजीमोश्शान हस्ती से मुसर्रत हासिल करने का हक तो हर किसी को होना चाहिए था। हकीकत में मैं उसे कैसे समझाता कि मुफ्त में हासिल चीज की कहीं कीमत अदा की जाती थी ! और वह भी शादी में जितनी बड़ी कीमत !

बलराज सोनी की गिरफ्तारी के अगले दिन ही कमला का पोस्टडेटिड चैक उसे वापिस कर के मैने उससे एक लाख अस्सी हजार रुपये का बेयरर चैक हासिल कर लिया जो कि फौरन कैश हो गया। आखिर अब वह पांच करोड़ की विपुल धनराशि की मालकिन का चैक था । एलैग्जैण्डर से मैं कई दिन सशंक रहा लेकिन मुझे उसकी या उसके किसी आदमी की कभी सूरत भी न देखनी पड़ी। यादव अपने वादे पर खरा उतरा था । उसने वाकई एलैग्जैण्डर से मेरा पीछा छुड़ा दिया था। जूही चावला के रिश्तेदार शिमले से आये और उसकी लाश क्लेम करके उसका दिल्ली में ही अन्तिम संस्कार करके वापिस चले गये । उसकी मौत का मुझे सख्त अफसोस था । वह बेचारी खामखाह मारी गई थी,

खामखाह गेहूं के साथ घुन की तरह पिस गई थी। उस केस से मैंने कुल जमा दो लाख तीस हजार रुपये कमाये ।

और मेरी वह कम्बख्त सैक्रेट्री समझती थी कि मैं उसकी तनखाह भी कमाने के काबिल नहीं था।

समाप्त
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )

Post by naik »

fantastic end brother
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