मार्गरेट ने बिजली का स्विच ऑन कर दिया ।
राज ने लाइटर बुझाकर जेब में रख लिया । उसने देखा वे एक विशाल हॉल में खड़े थे।
उसी क्षण बगल के कमरे के द्वार से उसकी सी धम्म की आवाज आई।
बिजली की फुर्ती से रोशनी ने अपने कोट की जेब से मोजर रिवाल्वर निकाल ली।
"कौन है ?" - वह आतंकित स्वर से बोली ।
"कोई नहीं है, रोशनी ।" - राज तनिक उपहासपूर्ण स्वर से बोला - "केवल एक चूहा है
बगल के द्वार के समीप एक चूहा बैठा था और गोल-गोल आंखों से उनकी ओर देख रहा था । राज ने अपना एक पांव जोर से फर्श पर मारा | चूहा पलक झपकते ही दृष्टि से ओझल हो गया
रोशनी ने रिवाल्वर वापिस जेब में रख ली । "तुम दोनों यहीं ठहरो ।" - राज बोला - "मैं इमारत में देखकर आता हूं।"
"कोई फायदा नहीं ।" - मार्गरेट बोली- "इमारत में कोई नहीं है । इमारत में कोई नहीं हो सकता
"फिर भी देखने में क्या हर्ज है ?" अगले दस मिनटों में राज ने इमारत का चप्पा चप्पा छान मारा।
कहीं कोई नहीं था।
"वह कहीं टापू पर छुपा हो सकता है ।" - रोशनी बोली। "नानसैंस ।" - मार्गरेट मुंह बिचकाकर बोली ।
"तुम अपना थोबड़ा बंद रखो ।" - रोशनी गर्ज कर बोली। मार्गरेट दूसरी ओर देखने लगी।
"लेकिन इतनी रात गये हम टापू पर उसे तलाश नहीं कर सकते ।" - राज अपनी कलाई पर बन्धी घड़ी पर दृष्टिपात करता हुआ बोला -
"ग्यारह बजने वाले हैं । टापू बहुत बड़ा है और इस पर जगह-जगह पलक झपकते ही इन्सान को निगल जाने वाली दलदल हैं और धुंध की वजह से अंधेरे में कुछ देख पाना भी संभव नहीं है । ऐसे वातावरण में किसी को तलाश करने के चकर में हमें अपनी जान खो बैठेंगे।" रोशनी चुप रही । उसके चेहरे पर उलझन के भाव थे।
"मेरी राय में रात हम इस इमारत में गुजारते हैं" - राज बोला - "कल सुबह हम टापू पर जार्ज टेलर को तलाश करेंगे।" |
रोशनी ने बड़ी अनिच्छा से सहमतिसूचक ढंग से सिर हिला दिया।
"यहां सोने का क्या इन्तजाम है सकता है ?" - राज ने मार्गरेट से पूछा । "यहां चार बैडरूम हैं ।" - मार्गरेट ने बताया -
आखिरी शिकार
"दो पहली मंजिल पर और दो नीचे ।"
"मुझे नीचे का बैडरूम दिखाओ।" - रोशनी जल्दी से बोली।
मार्गरेट ने राज की ओर देखा । राज ने सहमतिसूचक ढंग से सिर हिला दिया । हाल के सामने एक दरवाजा था जिसके आगे एक लम्बा गलियारा था | मार्गरेट रोशनी का लेकर उस गलियारे में चली गई।
राज मुख्य द्वार के पास पहुंचा । उसने मुख्य द्वार को मजबूती से भीतर से बंद कर लिया और वापिस हाल में आ खड़ा हुआ । उसने एक सिगरेट सुलगा लिया और मार्गरेट के लौटने की प्रतीक्षा करने लगा।
कुछ देर बाद मारिट वापिस लौटी ।
"वह तो जाते ही बिस्तर में घुस गई।" - मारिट बोली - "मैंने उससे भोजन के लिये बहुत आग्रह किया लेकिन उसने साफ मना कर दिया ।"
"तुम्हारा मतलब है यहां भोजन का इंतजाम है ?" - राज बोला। "क्यों नहीं है ? इस इमारत में दस आदमियों के लिये एक महीने के लिये पर्याप्त रसद मौजूद है
"वैरी गुड ! तुम रोशनी को छोड़ो । वह लन्दन से डेनवर तक बहुत यातनापूर्ण सफर तय करके आई है । उसे सोने दो ।"
"ठीक है फिर । तुम ऊपर चले जाओ ऊपर दो बैडरूम हैं । उसमें से एक तुम्हारे लिये है । मैं भोजन का प्रबन्ध करती हूं।" "मैं कोई मदद कर सकता हूं?"
"जरूरत नहीं।"
"ओके देन ।"
राज सीढियां चढकर पहली मंजिल पर पहुंच गया । वहां निचले गलियारे के ऊपर वैसा ही एक गलियारा था । राज ने टटोल कर गलियारे की बत्ती जलाई । उसने दाई ओर का पहला दरवाजा खोला । वह बैडरूम था । उसने उस कमरे की भी बत्ती जला दी । बैडरूम के मध्य में एक विशाल सुसज्जित पलंग था । राज ने जूते उतार दिये और बाकी कपड़ों सहित पलंग पर लेट गया । उसने अपने ऊपर कम्बल खींच लिया
उसने एक नया सिगरेट सुलगा लिया।
बाहर टापू पर सांय-सांय करती हवा चल रही थी और धुंध गहरी होती जा रही थी ।
राज जार्ज टेलर के बारे में सोच रहा था ।
क्या जार्ज टेलर जिन्दा था ? और अगर वह जिन्दा था तो क्या वह टापू पर मौजूद था ?
फिर उसके कोनों में जार्ज टेलर का भर्राया हुआ स्वर गूंजने लगा - वह विशिष्ट स्वर जो उसने मिलर के मकान पर सुना था ।
उसी क्षण कमरे की बत्ती बुझ गई ।
राज तत्काल उठकर बैठ गया ।
कमरे में घुप्प अंधेरा छा गया था ।
आखिरी शिकार complete
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Re: आखिरी शिकार
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Re: आखिरी शिकार
राज पलंग से उतरा और बिना जूते पहने द्वार की ओर बढा । उसने द्वार खोलकर बाहर झांका गलियारे में भी घुप्प अंधेरा छाया हुआ था । इमारत एकदम अंधकार के गर्त में डूब गयी थी। राज ने अपनी जेब से लाइटर निकाला । अभी
उसने लाइटर जलाने का उपक्रम ही किया था कि...
"रोशनी ! इज दैट यू, रोशनी ?" राज के कानों में भर्राया हुआ, धीमा किन्तु स्पष्ट, विदेशी स्वर पड़ा।
राज के रोंगटे खड़े होने लगे । वह जार्ज टेलर की आवाज थी। आवाज सीढियों की ओर से आ रही थी।
राज ने आगे कदम बढाया ।
उसी क्षण अन्धकार में एक शोला-सा लपका |
किसी अज्ञात भावना से प्रेरित होकर उसी क्षण राज ने स्वयं को फर्श पर गिरा दिया ।
रिवाल्वर की गोली सनसनाती हुई आई और राज के ऊपर से गुजर गई। फिर उसके कानों में रोशनी की चीख की आवाज पड़ी।
साथ ही अन्धकार में भागते कदमों की आवाज सुनाई दी।
फिर एकाएक शान्ति छा गई।
राज सावधानी से अपने स्थान से उठा ।
"रोशनी !" - उसने आवाज दी ।
जवाब नदारद ।
वह टटोलता हुआ आगे बढा । सीढियों के समीप पहुंचकर उसने झिझकते हुये लाइटर जलाया ।
सीढियों के निचले सिरे के समीप भय और आतंक की प्रतिमूर्ति बनी मार्गरेट खड़ी थी।
“मिस्टर राज !" - वह आतंकित स्वर से बोली
“यस !" - राज धीरे से बोला।
"क्या हुआ ?"
"कुछ नहीं । तुम्हें मालूम है मेन स्विच कहां है ?"
"हां । हाल में है।"
"जरा देखो, मेन स्विच ऑफ तो नहीं है ?"
"देखती हूं।"
राज अपने स्थान से नहीं हिला |
लगभग एक मिनट बाद इमारत की सारी बत्तियां जल उठीं।
"मेन स्विच ऑफ था ।" - हॉल की एक दीवार के समीप खडी मार्गरेट बोली ।
"मार्गरेट, ऊपर आओ।" - राज लाइटर बुझाकर जेब में डालता हुआ बोला |
मार्गरेट तेजी से सीढियां तय करके राज के पास पहुंच गई। “मैंने गोली चलने की आवाज और चीख सुनी थी ।" - वह बोली।
"हमने वही गोली तलाश करनी है ।" - राज बोला - "गलियारे की दीवारों को तुम भी देखो, मैं भी देखता हूं।"
दोनों सावधानी से गलियारे की दीवारों का निरीक्षण करने लगे।
गोली पर निगाह मार्गरेट की पड़ी । गोली राज वाले बैडरूम के दरवाजे के चौखट में धंसी हुई थी।
राज के कहने पर मारिट किचन में से एक चाकू ले आई । चाकू की सहायता से राज ने चौखट की लकड़ी गोदकर गोली निकाल ली।
"यह मोजर रिवाल्वर से निकली गोली है ।" - राज गोली को अपनी हथेली पर उलटता पलटता बोला।
"फिर?"
"फिर यह कि अब सारा किस्सा मेरी समझ में आ गया है।"
"कौन-सा किस्सा?"
"नीचे चलो । अभी सब मालूम हुआ जाता है ।"
दोनों नीचे आ गये।
उसने लाइटर जलाने का उपक्रम ही किया था कि...
"रोशनी ! इज दैट यू, रोशनी ?" राज के कानों में भर्राया हुआ, धीमा किन्तु स्पष्ट, विदेशी स्वर पड़ा।
राज के रोंगटे खड़े होने लगे । वह जार्ज टेलर की आवाज थी। आवाज सीढियों की ओर से आ रही थी।
राज ने आगे कदम बढाया ।
उसी क्षण अन्धकार में एक शोला-सा लपका |
किसी अज्ञात भावना से प्रेरित होकर उसी क्षण राज ने स्वयं को फर्श पर गिरा दिया ।
रिवाल्वर की गोली सनसनाती हुई आई और राज के ऊपर से गुजर गई। फिर उसके कानों में रोशनी की चीख की आवाज पड़ी।
साथ ही अन्धकार में भागते कदमों की आवाज सुनाई दी।
फिर एकाएक शान्ति छा गई।
राज सावधानी से अपने स्थान से उठा ।
"रोशनी !" - उसने आवाज दी ।
जवाब नदारद ।
वह टटोलता हुआ आगे बढा । सीढियों के समीप पहुंचकर उसने झिझकते हुये लाइटर जलाया ।
सीढियों के निचले सिरे के समीप भय और आतंक की प्रतिमूर्ति बनी मार्गरेट खड़ी थी।
“मिस्टर राज !" - वह आतंकित स्वर से बोली
“यस !" - राज धीरे से बोला।
"क्या हुआ ?"
"कुछ नहीं । तुम्हें मालूम है मेन स्विच कहां है ?"
"हां । हाल में है।"
"जरा देखो, मेन स्विच ऑफ तो नहीं है ?"
"देखती हूं।"
राज अपने स्थान से नहीं हिला |
लगभग एक मिनट बाद इमारत की सारी बत्तियां जल उठीं।
"मेन स्विच ऑफ था ।" - हॉल की एक दीवार के समीप खडी मार्गरेट बोली ।
"मार्गरेट, ऊपर आओ।" - राज लाइटर बुझाकर जेब में डालता हुआ बोला |
मार्गरेट तेजी से सीढियां तय करके राज के पास पहुंच गई। “मैंने गोली चलने की आवाज और चीख सुनी थी ।" - वह बोली।
"हमने वही गोली तलाश करनी है ।" - राज बोला - "गलियारे की दीवारों को तुम भी देखो, मैं भी देखता हूं।"
दोनों सावधानी से गलियारे की दीवारों का निरीक्षण करने लगे।
गोली पर निगाह मार्गरेट की पड़ी । गोली राज वाले बैडरूम के दरवाजे के चौखट में धंसी हुई थी।
राज के कहने पर मारिट किचन में से एक चाकू ले आई । चाकू की सहायता से राज ने चौखट की लकड़ी गोदकर गोली निकाल ली।
"यह मोजर रिवाल्वर से निकली गोली है ।" - राज गोली को अपनी हथेली पर उलटता पलटता बोला।
"फिर?"
"फिर यह कि अब सारा किस्सा मेरी समझ में आ गया है।"
"कौन-सा किस्सा?"
"नीचे चलो । अभी सब मालूम हुआ जाता है ।"
दोनों नीचे आ गये।
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Re: आखिरी शिकार
बहुत ही उम्दा. .. बहुत ही शानदार कहानी है.
फूफी और उसकी बेटी से शादी.......Thriller वासना का भंवर .......Thriller हिसक.......मुझे लगी लगन लंड की.......बीबी की चाहत.......ऋतू दीदी.......साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!
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Re: आखिरी शिकार
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अधूरी हसरतों की बेलगाम ख्वाहिशें running....विदाउट रूल्स फैमिली लव अनलिमिटेड running....Thriller मिशन running....बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी running....मर्द का बच्चा running....स्पेशल करवाचौथ Complete....चूत लंड की राजनीति ....काला साया – रात का सूपर हीरो running....लंड के कारनामे - फॅमिली सागा Complete ....माँ का आशिक Complete....जादू की लकड़ी....एक नया संसार (complete)....रंडी की मुहब्बत (complete)....बीवी के गुलाम आशिक (complete )....दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार complete ....जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत .....जुनून (प्यार या हवस) complete ....सातवें आसमान पर complete ...रंडी खाना complete .... प्यार था या धोखा
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Re: आखिरी शिकार
राज ने देखा इमारत का मुख्य द्वार खुला था । दोनों रोशनी के बैडरूम में पहुंचे । रोशनी गायब थी।
मार्गरेट के चेहरे पर गहरी उलझन के भाव उभर आये।
राज बेहद शांत था ।
दोनों हाल में वापिस लौट आये ।
"मेरा बैग !" - एकाएक मार्गरेट बोली ।
"क्या हुआ तुम्हारे बैग को ?" - राज ने तीव्र स्वर से पूछा।
"मैंने उस मेज पर" - मारिट हाल में द्वार के समीप रखी एक गोल मेज की ओर संकेत करती हुई बोली - "अपना बैग रखा था । बैग गायब है
"बैग में क्या मोटरबोट के इग्नीशन की चाबी भी थी?"
"नहीं । बैग में बाकी चाबियां थी लेकिन मोटरबोट की चाबी नहीं थी । वह चाबी मैं बैग में
डालना भूल गयी थी । वह चाबी मैंने अनजाने में अपनी पतलून की जेब में डाल ली थी।"
“वैरी गुड ।" - राज सन्तुष्ट स्वर में बोला । राज मुख्य द्वार की ओर बढा ।
अभी उसने दरवाजा बन्द करने के लिये हाथ बढाया ही था कि उसे बाहर अंधकार में एक साया दिखाई दिया । राज ने जल्दी से द्वार बन्द करने की कोशिश की लेकिन साया उससे ज्यादा फुर्तीला था । साया एक छलांग मारकर दरवाजे
के दोनों पल्लों के बीच पहुंच गया ।
राज दो कदम पीछे हट गया ।
वह साया इन्स्पेक्टर मार्श का था । उसके पीछे दो ब्रेनगनों से लैस पुलिसमैन थे । इन्स्पेक्टर के अपने हाथ में रिवाल्वर थी।
"सो वी मीट अगेन ।" - इन्स्पेक्टर मार्श अन्दर हाल में कदम रखता हुआ बोला ।
"आप यहां कैसे टपक पड़े, इन्स्पेक्टर साहब ?" - राज निराशापूर्ण स्वर से बोला ।
इन्स्पेक्टर ने उसके प्रश्न का उत्तर नहीं दिया ।
"एण्ड हाउ आर यू, मैडम ?" - इन्स्पेक्टर मार्गरेट को सम्बोधित करता हुआ बोला "आपने ट्रेन रोक कर एक अपराधी को भगाने में मदद की थी लेकिन फिर भी मैं आपकी हिम्मत की दाद देता हूं।"
मार्गरेट चुप रही।
"इन्स्पेक्टर साहब" - राज फिर बोला - "लेकिन आप यहां पहुंचे कैसे? बाई गॉड, मैं हैरानी से मरा जा रहा हूं | मेरी निगाह में तो आपके पास यह जानने का कोई साधन ही नहीं था कि हम यहां आये हैं ?"
"लेकिन तुम्हारे अनिल साहनी नाम के लम्बे-चौड़े साथी को मालूम था कि तुम लोग यहां आने वाले थे।"
“अनिल साहनी ! लेकिन वो तो मर चुका है ।" “कब मर चुका है ।" - इन्स्पेक्टर कब शब्द पर विशेष जोर देता हुआ बोला ।
"क्या मतलब ?" - राज ने पूछा |
"तुम्हें कैसे मालूम कि वह मर चुका है?"
"है मालूम मुझे । वह ट्रेन के नीचे आकर मरा है
"तुम्हें यह बात जरूर रोशनी नाम की लड़की ने बताई है।"
राज ने तनिक हिचकिचाते हुये सहमतिसूचक ढंग से हिला दिया ।
"रोशनी कहां है?"
"पहले आप मेरी बात का तो जवाब दीजिये ?"
इन्स्पेक्टर कुछ क्षण चुप रहा और फिर बोला "अनिल साहनी चलती ट्रेन की चपेट में जरूर आ गया था लेकिन फौरन मरा नहीं था । मरने से पहले उसने हमे बताया था कि उसे उसकी सहयोगिनी रोशनी ने मालगाड़ी के डिब्बे में से दूसरी पटरी पर विपरीत दिशा से आती चलती गाड़ी के सामने धक्का दे दिया था ।"
मार्गरेट बुरी तरह चौंकी लेकिन राज के चेहरे पर हल्के से आश्चर्य के भाव भी नहीं उभरे ।
"अनिल साहनी ने ही मरने से पहले हमें यह बताया था कि रोशनी और तुम लोग इस टापू पर जरूर जाओगे ।" - इन्स्पेक्टर फिर बोला ।
"अनिल साहनी ने यह नहीं बताया कि रोशनी ने उसे धक्का क्यों दिया ?" - राज ने पूछा ।
"नहीं ।"
"और क्या कहा था उसने ?"
"कुछ नहीं । और कुछ कह पाने से पहले ही उसके प्राण निकल गये थे । ...
वह लड़की कहां आखिरी शिकार है?"
"कौन-सी लड़की ?"
"रोशनी । मैं उसे अनिल साहनी की हत्या के इल्जाम में गिरफ्तार करना चाहता हूं।"
मार्गरेट के चेहरे पर गहरी उलझन के भाव उभर आये।
राज बेहद शांत था ।
दोनों हाल में वापिस लौट आये ।
"मेरा बैग !" - एकाएक मार्गरेट बोली ।
"क्या हुआ तुम्हारे बैग को ?" - राज ने तीव्र स्वर से पूछा।
"मैंने उस मेज पर" - मारिट हाल में द्वार के समीप रखी एक गोल मेज की ओर संकेत करती हुई बोली - "अपना बैग रखा था । बैग गायब है
"बैग में क्या मोटरबोट के इग्नीशन की चाबी भी थी?"
"नहीं । बैग में बाकी चाबियां थी लेकिन मोटरबोट की चाबी नहीं थी । वह चाबी मैं बैग में
डालना भूल गयी थी । वह चाबी मैंने अनजाने में अपनी पतलून की जेब में डाल ली थी।"
“वैरी गुड ।" - राज सन्तुष्ट स्वर में बोला । राज मुख्य द्वार की ओर बढा ।
अभी उसने दरवाजा बन्द करने के लिये हाथ बढाया ही था कि उसे बाहर अंधकार में एक साया दिखाई दिया । राज ने जल्दी से द्वार बन्द करने की कोशिश की लेकिन साया उससे ज्यादा फुर्तीला था । साया एक छलांग मारकर दरवाजे
के दोनों पल्लों के बीच पहुंच गया ।
राज दो कदम पीछे हट गया ।
वह साया इन्स्पेक्टर मार्श का था । उसके पीछे दो ब्रेनगनों से लैस पुलिसमैन थे । इन्स्पेक्टर के अपने हाथ में रिवाल्वर थी।
"सो वी मीट अगेन ।" - इन्स्पेक्टर मार्श अन्दर हाल में कदम रखता हुआ बोला ।
"आप यहां कैसे टपक पड़े, इन्स्पेक्टर साहब ?" - राज निराशापूर्ण स्वर से बोला ।
इन्स्पेक्टर ने उसके प्रश्न का उत्तर नहीं दिया ।
"एण्ड हाउ आर यू, मैडम ?" - इन्स्पेक्टर मार्गरेट को सम्बोधित करता हुआ बोला "आपने ट्रेन रोक कर एक अपराधी को भगाने में मदद की थी लेकिन फिर भी मैं आपकी हिम्मत की दाद देता हूं।"
मार्गरेट चुप रही।
"इन्स्पेक्टर साहब" - राज फिर बोला - "लेकिन आप यहां पहुंचे कैसे? बाई गॉड, मैं हैरानी से मरा जा रहा हूं | मेरी निगाह में तो आपके पास यह जानने का कोई साधन ही नहीं था कि हम यहां आये हैं ?"
"लेकिन तुम्हारे अनिल साहनी नाम के लम्बे-चौड़े साथी को मालूम था कि तुम लोग यहां आने वाले थे।"
“अनिल साहनी ! लेकिन वो तो मर चुका है ।" “कब मर चुका है ।" - इन्स्पेक्टर कब शब्द पर विशेष जोर देता हुआ बोला ।
"क्या मतलब ?" - राज ने पूछा |
"तुम्हें कैसे मालूम कि वह मर चुका है?"
"है मालूम मुझे । वह ट्रेन के नीचे आकर मरा है
"तुम्हें यह बात जरूर रोशनी नाम की लड़की ने बताई है।"
राज ने तनिक हिचकिचाते हुये सहमतिसूचक ढंग से हिला दिया ।
"रोशनी कहां है?"
"पहले आप मेरी बात का तो जवाब दीजिये ?"
इन्स्पेक्टर कुछ क्षण चुप रहा और फिर बोला "अनिल साहनी चलती ट्रेन की चपेट में जरूर आ गया था लेकिन फौरन मरा नहीं था । मरने से पहले उसने हमे बताया था कि उसे उसकी सहयोगिनी रोशनी ने मालगाड़ी के डिब्बे में से दूसरी पटरी पर विपरीत दिशा से आती चलती गाड़ी के सामने धक्का दे दिया था ।"
मार्गरेट बुरी तरह चौंकी लेकिन राज के चेहरे पर हल्के से आश्चर्य के भाव भी नहीं उभरे ।
"अनिल साहनी ने ही मरने से पहले हमें यह बताया था कि रोशनी और तुम लोग इस टापू पर जरूर जाओगे ।" - इन्स्पेक्टर फिर बोला ।
"अनिल साहनी ने यह नहीं बताया कि रोशनी ने उसे धक्का क्यों दिया ?" - राज ने पूछा ।
"नहीं ।"
"और क्या कहा था उसने ?"
"कुछ नहीं । और कुछ कह पाने से पहले ही उसके प्राण निकल गये थे । ...
वह लड़की कहां आखिरी शिकार है?"
"कौन-सी लड़की ?"
"रोशनी । मैं उसे अनिल साहनी की हत्या के इल्जाम में गिरफ्तार करना चाहता हूं।"
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