मेरी कमसिन भांजी और बेटी 1

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Rakeshsingh1999
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मेरी कमसिन भांजी और बेटी 1

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दोस्तो इस कहानी का दूसरा भाग ज़रूर पढ़ें मेरी कमसिन भांजी और बेटी 2



बात दो साल पहले की है, मैं अपनी बड़ी बहन रेनू के घर गया था. दिसम्बर का महीना था.. ठण्ड काफ़ी थी. वहाँ दीदी के देवर की शादी होने वाली थी. शादी 22 तारीख को थी. मैं 4 तारीख को ही वहां का इन्तजाम देखने और शादी की तैयारी करने गया था. बारह तारीख तक मैंने वहां का सारा इन्तजाम कर दिया. सारी शॉपिंग हो चुकी थी. चौदह तारीख को मैंने मेरे वापस घर जाने का एक फर्स्ट क्लास एसी का टिकट ले लिया और फिर मुझे 19 को अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर शादी में शरीक होना था.

उस दिन दोपहर को दो बजे की ट्रेन थी. तभी मेरी 18 साल की भांजी पिंकी ने जिद करना शुरू कर दिया कि वो भी मेरे साथ मामी को लेने जाएगी. सब लोगों ने उसे समझाया, पर वो नहीं मानी. तब मेरे जीजा ने उसे जाने की इजाजत दे दी. हमने किसी तरह टीटी को पैसे देकर अपने कम्पार्टमेंट में बर्थ का इन्तजाम किया.

ट्रेन एक घन्टे लेट आई, हम दोनों ट्रेन में बैठ गए. मेरे ही कूपे में एक नया जोड़ा भी था. जब ट्रेन चली तो पता चला कि दोनों की एक हफ्ते पहले ही शादी हुई है.

वो जोड़ा नीचे की एक बर्थ पर इकट्ठे बैठे थे और हंसी मजाक कर रहे थे. कभी कभी एक दूसरे को चूम भी ले रहे थे.

मुझे ये सब नोनवेज कारनामे देख कर मजा आ रहा था, लेकिन पिंकी की वजह से मैं उसे ठीक से नहीं देख पा रहा था. मैं पिंकी से नजरे बचा कर उन दोनों की रासलीला का मजा ले रहा था. मैंने गौर किया कि पिंकी भी छुपी नजरों से ये सब खेल देख रही थी.

करीब साढ़े सात बजे खाना आ गया. सबने खाना खाया. मैं वहीं लेट गया और पिंकी मेरे पेट के पास बैठ कर एक मैगज़ीन पढ़ने लगी. तभी उस लड़के ने अपनी पत्नी को गोद में बैठा लिया और उसके होंठ चूसने लगा. मुझे ये सब देख कर मस्ती आने लगी. पिंकी भी बुक पढ़ते हुए मुझ से नजरें बचा कर उन दोनों को देख रही थी. तभी उस लड़के ने लड़की की चूचियों को मसलना चालू कर दिया.. लड़की कसमसाने लगी.

मैंने पिंकी की तरफ देखा, वो बिना पलकें झुकाए दोनों का खेल देख रही थी. उसकी साँसें तेज चल रही थीं. मैं समझ गया कि पिंकी को जवानी के इस खेल में मजा आ रहा था और वो इस खेल को समझ रही थी. पिंकी के उभार दिखने लगे थे. उसकी छातियां तेज साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रही थीं. मेरा भी लंड खड़ा हो चुका था. मैं पिंकी की छोटी-छोटी चूचियों को उसकी साँसों के साथ ऊपर नीचे होते देखकर भूल गया कि वो मेरी भांजी है और अभी छोटी है. भानजी की गदराई जवानी देख मेरी लार टपक गई.

जब मैंने देखा कि उस लड़के ने अपना हाथ लड़की के कुरते में डाल दिया और चूची जोर जोर से मसलने लग़ा, तब पिंकी का चेहरा तमतमा गया. मैं गौर से पिंकी के चेहरे को देखने लगा. तभी पिंकी की नजर मुझ पर पड़ी.. मैं मुस्कुरा दिया, वो झेंप गई और किताब पढ़ने लगी.

मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघों पर रख दिया. उसने कोई रियेक्ट नहीं किया. मैंने हाथ का दबाब बढ़ाया, वो बिना मेरी तरफ देख मुस्कुरा दी. मैं समझ गया कि आज मेरी किस्मत खुलने वाली है. मैंने उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया. अब उसकी साँसों की आवाज़ आने लगी.. वो लगभग हांफ़ने लगी. इधर उस लड़के ने चादर निकाल ली और ओढ़ लिया. अब वो दोनों चादर के अन्दर थे.

इसके बाद उस लड़के ने लड़की की चूची को निकाल कर चूसना शुरू कर दिया, जो कि चादर के ऊपर से ही समझ आ रहा था. मेरी नजर फिर पिंकी की नजर से मिली. इस बार पिंकी मुस्कुरा दी. तभी उस लड़के ने उठ कर लाइट को ऑफ कर दिया, कूपे में अँधेरा हो गया. फिर कपड़ों के सरकने की आवाज होने लगी.

तभी मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैंने पिंकी को अपनी ओर खींच लिया और उसे चूमने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी. मैं पागलों की तरह उसके होंठ चूस रहा था. वो अपना बदन मेरे बदन से रगड़ रही थी. मैं एक हाथ से उसकी नन्हीं चूचियों को मसलने लगा. फिर मैंने उसके कुर्ते को निकाल दिया और उसकी चूची के निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा. वो हांफ रही थी.. वो मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई. मैंने उसे बांहों में भींच लिया और उसकी सलवार को उतार दिया साथ ही पैंटी भी निकाल दी.

अन्धेरे में मुझे उसका बदन दिख नहीं रहा था, पर ये एहसास हो रहा था कि मेरी बांहों में एक नाजुक कोमल फूल है, जिसका मैं रस पीने वाला हूँ.
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मैं अपना हाथ उसके चूतड़ों पर रख कर सहलाने लगा. उसकी गांड बिल्कुल कोमल थी. पिंकी की गांड को सहलाते सहलाते मैंने उसकी कुँवारी चुत को छुआ, उफ्फ्फ चुत पर बाल शायद थे ही नहीं.. एकदम शनील सी मखमली और कोमल चूत थी.

मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मैंने अपना लंड निकाल कर उसके हाथ में पकड़ा दिया.. और फुसफुसा कर कहा कि इसे मुँह में ले लो और इसका रस पियो. फिर मैं उसका सर पकड़ कर लंड के पास लाया और लंड उसके मुँह में दे दिया. लंड का सुपारा ही उसके मुँह में जा सका. मैं पहले ही इतना उत्तेजित हो चुका था कि उसके मुँह में दो तीन बार आगे-पीछे करते ही मेरे लंड ने अपना सारा रस उगल दिया.. जिसे वो पी गई.

फिर मैंने उसे अपने बगल में लिटाया और उंगली उसकी चुत में अन्दर-बाहर करने लगा. मैं कभी उसके होंठ चूसता, कभी चूचियां चूसता. लगभग 15 मिनट तक लगातार मैंने उसे उंगली से चोदा, तब जाकर वो अकड़ने लगी और उसने मुझे जकड़ लिया, उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया.
मैंने फुसफुसा कर पूछा- कैसा लगा?
वो बोली- अच्छा लगा मामा!

मैं उस टाइम में उसे नहीं चोद सकता था क्योंकि उसकी चुत बहुत टाइट थी, मेरे लंड को बर्दाश्त नहीं कर पाती इसलिए मैंने सोचा उसे घर पर तसल्ली से चोदूंगा. इसके बाद मैंने उसे कपड़े पहनाए और ऊपर की बर्थ पर भेज दिया. लेकिन अब मेरी आँखों में नींद कहाँ थी. मैं अब उस नये जोड़े की चुदाई की आवाज़ सुनकर मस्त हो रहा था.

एक घन्टे के बाद उन दोनों की चुदाई भी ख़त्म हो गई. दोनों बाथरूम गए, फिर लड़का ऊपर की बर्थ पर चला गया. पर मेरा लंड अभी शांत नहीं हुआ था. मैंने अपनी पेंट उतार दी और सिर्फ अंडरवियर में सोने की कोशिश करने लगा.

एक घन्टे परेशान होने के बाद मेरे को एक आईडिया आया जो खतरनाक था. कूपे में अँधेरा था… कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था. मैं उठा और उस लड़की जो मेरी बराबर वाली बर्थ पर थी, के पास गया. मैंने उसके बदन को सहलाना शुरू कर दिया. मैंने उसके होंठ चूमे और चूचियां मसलना चालू कर दीं.
तो वो थोड़ा कसमसाई.

मैंने अन्धेरे में ही टटोल कर उसकी सलवार का नाड़ा खोला और धीरे से सलवार को उतार दिया. वो गहरी नींद में थी. मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी. मैंने भी अपना अंडरवियर निकाल दिया. फिर मैं उसके ऊपर लेट गया.
वो कसमसाई और फुसफुसा कर बोली- अब नहीं… मुझे दर्द हो रहा है.

मैंने कुछ नहीं कहा, बस उसकी टांगों को कमर के गिर्द लपेटा और लड़की की चूत में सुपारे को लगा कर गच्च से लंड पेल दिया. वो चिहुंकी और उसने अपनी बाँहें मेरे गले में डाल दीं. मैंने उसे चोदना चालू कर दिया.. साली की बड़ी टाइट चूत थी.. एक दम कसा हुआ बदन था. मैं अब तक तो कितने साल से एक ही औरत को चोद रहा था. इतने साल तक चुदी चुत को चोदने के बाद एक नई चूत का मजा ही और था. मैं अपने अनुभवी लंड से धक्के लगा रहा था.

इस बीच एक बार उसने मुझसे ये पूछा कि आपका लंड इतना मोटा कैसे हो गया. मैं सिर्फ हम्म… कह कर चुप हो गया. दस मिनट उसे चोदने के बाद वो अकड़ने लगी. मैंने रफ्तार बहुत तेज़ कर दी. अगले दो मिनट में हम दोनों झड़ गए और शांत हो गए.

जब साँसें थमी तो उसने कहा- इस बार बहुत मजेदार था, ऐसे ही किया करो. मैंने कोई जबाब नहीं दिया.
उसने कहा- तुम बोलते क्यों नहीं?
मैं समझ गया कि अब पकड़ा जाऊंगा.
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मैंने हाथ से उसका मुँह बंद किया और कान में कहा- शोर मत करो, जो होना था हो गया. शोर मचाने पर तुम्हारा पति जान जाएगा और तुमसे नफरत करने लगेगा.. इसलिए इस बात को यहीं भूल जाओ, अगर बहुत मजा आया तो मैं फिर से चोद दूँगा.
उसने घबराई हुई आवाज में पूछा- तुम कौन हो?
मैंने कहा- तुम्हारे साथ ही सफ़र कर रहा हूँ.

वो मेरे सीने से चिपकी रही शायद उसे अच्छा लगा था इसलिए वो कुछ नहीं बोली.

अब मैं उठा और अपना लंड उसके मुँह में दे दिया. जल्दी ही मेरा लंड फ़िर खड़ा हो गया. मैंने फिर उसे चोदा. इस बार उसने खुल कर चुदाई का मजा लिया. इसके बाद हम सो गए.

सुबह सबसे पहले मैं जगा.. बाथरूम वगैरह होकर मैंने पिंकी को जगाया. वो भी बाथरूम वगैरह निपटा कर मेरे पास बैठ गई. मैंने नाश्ता निकाला और दोनों ने किया. करीब 8 बजे वो लड़का नीचे उतरा और बाथरूम गया. वहाँ से आकर उसने लड़की को जगाया. जागते ही लड़की की नजर मेरे ऊपर पड़ी, उसने मुँह फेर लिया.

मैं मुस्कराया. फिर वो बाथरूम गई साथ में वो लड़का भी गया. दोनों के जाते मैंने पिंकी को लंड पर बैठा लिया, उसके होंठ चूसने लगा और चूची मसलने लगा.
फिर मैंने पिंकी को कहा कि मैंने उस लड़की को चोदा है, तो वो हैरान रह गई.

मैंने उसे सारी कहानी बताई.. जब दोनों बाथरूम से आए तब हम लोगों ने बात करनी शुरू कर दी. वो लड़की बात करते हुए मुझसे शर्मा रही थी, पर उसके चेहरे से जाहिर था कि उसने मेरे लंड का खूब आनन्द उठाया है.

अगले स्टेशन पर गाड़ी स्टेशन पर रुकी तो उसने लड़के को कुछ स्नैक्स और बिस्किट्स लाने को कहा, साथ में पिंकी के लिए चॉकलेट भी. वो लड़का जैसे ही गया मैंने डोर लॉक किया और लड़की को खींच कर अपनी गोद में ले लिया और उसकी चुची मसलते हुए उसके होंठ चूसने लगा.
वो घबराई और बोली- पिंकी देख रही है, उसके सामने भी ये सब करते हो.
मैंने कहा- इसे भी चुदाई सिखानी है, आधी चुदाई तो रात को सिखा दी है और आधी घर पर सिखाऊँगा.
वो बोली- अभी ये छोटी है.
मैंने कहा- तुमने देखा नहीं तुम्हारा पति इसकी चूची और जांघों को ऐसे देख रहा था, जैसे चोद ही देगा तो ये छोटी कैसे हुई? वैसे भी 18 पार कर चुकी है.
उसने कहा- नहीं, मेरा पति ऐसे नहीं देख रहा था.
मैंने कहा- ठीक है मैं इसकी चूची की झलक तुम्हारे पति को दिखाऊँगा तो देखना, उसका लंड कैसे खड़ा हो जाएगा. फिर मैं इसकी स्कर्ट हटा कर पैंटी दिखाउंगा.
वो बोली- ठीक है.

मैंने पिंकी को कहा- तुम जल्दी से कोई बड़े गला वाली टॉप और स्कर्ट पहन लो.
पिंकी वहीं पर ड्रेस चेंज करने लगी. ये देख कर लड़की बोली- बहुत कुछ सिखा दिया आपने इस लड़की को.
मैंने कहा- हाँ सिखाया तो है, लेकिन अभी तक चोदा नहीं. एक बार चुद गई तो सब कुछ सीख जाएगी. लंड का स्वाद मिलते ही लड़कियाँ खिल उठती हैं. जैसे आप कई बार चुद चुकी हैं, फिर जब मेरा लंड लिया तो चुदाई का असली आनन्द मिला.
वो बोली- हाँ, हर लड़की को एक अनुभवी मर्द से एक दो बार जरूर चुदवाना चाहिए.

मैंने पिंकी को कहा कि जब वो आएगा तो मैं सोने का नाटक करूँगा, तुम झुक कर अपने बड़े गले वाले टॉप से अपनी चूची उसे दिखाना. जब ये भाभी उन्हें बोलेगी कि क्या देखते हो, तब तुम उठना और पैर फैला कर बैठ जाना ताकि वो तुम्हारी चड्डी देख सके. इसके बाद भाभी उसे तुम्हारे साथ अकेला छोड़ेगी, तुम उसे सब कुछ करने देना, लेकिन चोदने मत देना, तब तक मैं इसे चोदूँगा.

वो तैयार हो गई.

जैसे ही वो आया हम लोग इधर उधर की बातें करने लगे. फिर मैंने कहा- मैं सो रहा हूँ, मुझे नींद आ रही है.
यह कह कर मैंने वहीं आँखें बंद कर लीं. वो लोग बिस्कुट और स्नैक्स खाने लगे. इसी बीच स्नैक्स का पैकेट पिंकी के हाथ से गिरा और पिंकी उसे उठाने के लिए झुकी तो उसके खुले गले से उसकी दोनों चूचियाँ साफ़ दिख रही थीं. वो लड़का आँखें फाड़ कर उसकी नन्हीं सी चूचियों को ललचाई नजरों से देखने लगा.
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तभी लड़की ने उससे फुसफुसा कर कहा- क्या देखते हो? कभी देखा नहीं क्या?
लड़का घबरा गया और झेंप गया.
पिंकी भी सकुचाती हुए उठी और पैर उठा कर बैठ गई. वो फिर छुपी नजरों से उसकी चड्डी देखने लगा.
लड़की ने फिर उसे टोका- टेस्ट बदलने का इरादा है क्या?
वो बोला- क्या मतलब?
लड़की बोली- अगर तुम चाहो तो मैं मौका दिलवा सकती हूँ. लेकिन वादा करो, उसे चोदोगे नहीं.
लड़का बोला- नहीं मैंने ऐसा कहा क्या?
लड़की बोली- घबराओ नहीं, मुझे बुरा नहीं लगेगा, अगर दिल में इच्छा है तो देख आओ.. कोई कूपा खाली है, अगर मिल जाए तो तकिया लेने के बहाने आकर बता देना. मैं इसे लेकर आ जाऊँगी और एक घंटे के लिए तुम्हारे साथ भेज दूंगी.
वो बोला- कैसे मनाओगी इसे?
लड़की ने कहा- ये मुझ पर छोड़ो, लड़की लड़की को पढ़ सकती है कि वो क्या चाहती है.
लड़का बोला- इसके साथ वाले जागे तो?
वो बोली- मैं कह दूंगी टॉयलेट गई है.

उस लड़के ने ऐसा ही किया.. और लड़की पिंकी को लेकर बगल वाले खाली कूपे में गई और उसे वहीं छोड़ आई. जैसे ही वो लड़की आई, मैंने उसको पूरा नंगा किया और जम कर काफी देर तक चोदा. आधे घन्टे में ही मैंने उसे 3 बार झड़ा दिया. जब वो पूरी तरह से ठंडी पड़ गई, तब मैंने उसकी गांड मारी.

बहुत बड़ी गांड थी उसकी, वैसे भी 19 साल की लड़की की गांड तो बड़ी ही होती है. मैंने उसे इतना जोरदार चोदा कि वह बुरी तरह से थक गई. जब वो पिंकी को लाने गई तो ठीक से चल नहीं पा रही थी.

इधर मैंने गहरी नींद में होने का नाटक कर लिया. पिंकी को लेकर लड़की ने अपने बगल में बैठाया और पूछा- क्या क्या किया इन्होंने तुम्हारे साथ?
पिंकी बोली- कुछ नहीं.. बस प्यार किया.
वो बोली- कैसे? चूची मसली और चूत को क्या किया?
पिंकी बोली कि पहले पूरे कपड़े उतरवाये और दूध पिया.. उसने अपनी और चूत की तरफ उंगली करके बताया कि इसमें उंगली की.
उसने पूछा- और क्या करवाया उसने?
पिंकी बोली- अपना लंड चुसवाया और उसमें से जो रस निकला उसे मेरे छाती पर मल दिया.

इसके बाद लड़की ने कहा- जाओ अपने मामा को जगाओ, अब तुम्हारा स्टेशन आने वाला है.
पिंकी ने मुझे जगाया. मैंने बाथरूम में जाकर मुँह हाथ धोया और सामान समेटा. फिर स्टेशन पर गाड़ी रुकी तो हम लोग उतर गए. लगभग 3 बजे हम लोग घर पहुँच गए.
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मेरी भानजी पिंकी को देख कर मेरे दोनों बच्चे बहुत खुश हुए. पिंकी मेरे बच्चों और मेरी बीबी के साथ बातें करने व्यस्त हो गई.
दूसरे दिन मैं ऑफिस चला गया. ऑफिस में मेरा बिल्कुल मन नहीं लगा, रह रह कर मुझे पिंकी की कमसिन बुर और टाइट चूची का ख्याल आता रहा. जहाँ भी मैं उस उम्र की लड़की को देखता मुझे चोदने का मन करने लगता. आखिरकार लंच में मैं छुट्टी लेकर घर आ गया.

घर आते ही मैंने अपनी बेटी रेखा से कहा- बेटी, पिंकी को कहीं घुमाने ले जाओ.
उसे मैं घुमाने ही लाया था.

रेखा ने कहा- पापा, इसे मैं अकेले कैसे ले जाऊं. आप कार लेकर चलो न.
मैंने कहा- अमित के साथ जाओ.
रेखा बोली- अमित का अगले वीक एग्जाम है वो घर से नहीं निकलने वाला है.
तब मेरी पत्नी ने कहा- आप ही ले जाइए दोनों को.
मैंने कहा- ठीक है, तैयार हो जाओ दोनों.

दोनों तैयार होने चली गईं, तभी मैंने पिंकी को बुलाया और कहा कि तुम टॉप और छोटी स्कर्ट पहन कर चलना.

हम लोग घर से निकले. पिंकी ने मेरे कहे अनुसार कपड़े पहने तो रेखा ने भी टाइट जीन्स और टी शर्ट पहनी हुई थी.
आज पहली बार ध्यान आया कि रेखा भी बड़ी हो रही है.

रात 8 बजे तक हम लोग घूमते रहे. लौटने के वक्त पिंकी ने कहा कि किसी पार्क में चल कर बैठेंगे और वहीं कुछ खा पी लेंगे.
मैंने कहा- रात हो चुकी है, कल दिन में आ जाना.
तो रेखा ने कहा- पापा कल मेरा स्कूल है.
मैंने कहा- ठीक है, मैं पिंकी को अकेला ही लेकर चला आऊंगा, तुम शाम को क्लब चलना.

दूसरे दिन मैं पिंकी को लेकर पार्क में गया और एक सुनसान जगह पर बैठ गया. वहाँ मैंने पिंकी से कहा- डियर अब कैसे चुदाई होगी. अमित तो घर पर ही रहेगा. रेखा तुम्हें अकेला नहीं छोड़ेगी. रेखा तुम्हें छोड़ दे तो रात को मैं तुम्हें चोद सकता हूं लेकिन उसे अलग कैसे करोगी?
वो बोली- कोई रास्ता निकालना होगा. ऐसा करते हैं, कल रात को दूध में नींद की गोली डाल देते हैं.. जब सब सो जाएंगे तब..
मैंने कहा- ठीक है.

वैसा ही किया गया. रात को डेढ़ बजे मैं पिंकी को लेकर छत पर चला गया, साथ में वैसलीन भी ले गया. अब पिंकी की बुर का उद्घाटन होना था. मैं अपनी सगी
भानजी की चुत चुदाई का आनन्द लेने वाला था.

छत पर मैंने पिंकी को पूरी नंगी किया और उसकी निम्बू जैसी चूची को खूब चूसा, उसकी बुर चाट चाट कर दो बार उसे झाड़ा. उसके बाद मैंने उसे लिटाया और उस पर चढ़ गया, उसकी दोनों टांगें अपनी कमर के ऊपर लपेटीं, फिर उसकी बुर की फाँकें फैला कर उसमें खूब वैसलीन लगा दी. फिर मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी बुर की फाँकों में लगा कर फंसाया और जोर से दबाया.
वो बोली- उई.. दर्द होता है. इतना मोटा लंड नहीं जाएगा.
मैंने कहा- थोड़ा बर्दाश्त करो, सब ठीक हो जाएगा.

जब मैंने महसूस किया कि लंड बुर के छेद में सही जगह पर लग गया है, तब मैंने पिंकी का मुँह बंद किया और गच्च से लंड को धक्का लगाया. वह दर्द से छटपटा गई, मैंने दोबारा धक्का मारा.. गच्च से मेरा आधा लंड उसकी कुँवारी टाइट बुर में चला गया.
पिंकी रोने लगी और हाथ पैर मारने लगी. मैं उसे जबरदस्ती पकड़े रहा. जब उसका छटपटाना बंद हुआ तो मैंने कहा कि पहली बार तो दर्द होता ही है, इसे बर्दाश्त करो.. दर्द जल्दी ही ख़त्म हो जाएगा.
वो बोली- नहीं.. मेरी बुर फट गई है, मुझे नहीं चुदवाना है.. मुझे जाने दीजिए.
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