जादू की लकड़ी

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josef
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जादू की लकड़ी

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जादू की लकड़ी

इंट्रोडक्शन

एक छोटे से लकड़ी का टुकड़ा आपकी जिंदगी सवार देगा ये सोचना थोडा मुश्किल सा काम है लेकिन अगर वो लड़की का टुकड़ा जादुई हो तो ..??
मे बी पॉसिबल राइट …

ये स्टोरी भी ऐसे ही लकड़ी के एक टुकड़े के बारे में जो मुझे किसी इत्तफाक से मिल गया,और मेरी जिंदगी को पूरी तरह से बदल कर रख दिया

मेरा नाम है राज,राज चंदानी ,जितना कमान मेरा नाम है उससे भी कामन मेरी जिंदगी थी ,कामन कहना थोड़ा गलत होगा क्योकि मेरी जिंदगी तो झंड थी …

मेरे पिता रतन चंदानी शहर के सबसे बड़े कपड़ा व्यपारी है ,समझो नाम चलता है,रुपये पैसे की कोई कमी नही थी,वो एक बेहद ही आकर्षक और रौबदार व्यक्तित्व के मालिक थे ,खुद के साड़ी के मिल और कई कपड़ो की दुकाने थी ,तो आप सोचोगे की ऐसे अमीरजादे की जिंदगी झंड कैसे हो गई …….

कारण भी मेरे पिता ही थे ,वो जितने रौबदार ,चार्मिंग,रसूखदार थे उतना ही मैं फट्टू,डरपोक,और मरियल था,इसका कारण भी मेरे पिता ही थे क्योकि उन्होंने बचपन से ही मुझे मर्द बनाने के चक्कर में इतना टार्चर किया की मैं डरपोक हो गया,वो मुझे सबके सामने जलील कर दिया करते थे,मेरी तुलना अपने से करते और फिर मुझे लूजर साबित कर देते,बचपन में ही उन्होंने मुझे इतना डराया धमकाया था की मेरे अंदर वो हीन भावना बहुत गहरे में घर कर गई थी ,मुझे लगता था की मैं कुछ भी नही हु ,

ऐसे ये बात नही थी की वो सबके लिए ऐसे ही थे,मेरी बहनों को वो राजकुमारियों जैसे रखते थे,वो तीनो निकिता,नेहा ,निशा उनकी लाडली थी,हमेशा उन्हें अपने सर में चढ़ाए रखते तो मुझे अपने जूते की धूल भी नही समझते थे,उनका एक ही मानना था की घर में एक ही मर्द है और वो है वो ,जैसे मेरा कोई वजूद ही नही था ….

निकिता और नेहा मुझसे बड़ी थी वही निशा मुझसे 1 साल की छोटी..

वो कितने बड़े चुददक्कड़ थे ये तो इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की 4 बच्चे उन्होंने 4 साल में ही पैदा कर दिए ,बेचारी मेरी माँ ..

मेरी माँ अनुराधा,भोली भाली सी ,वो इस घर में एक मात्रा इंसान थी जिसे मेरी थोड़ी फिक्र थी ,लेकिन वो संस्कारी ,भोली भाली बेचारी ही थी मेरे बाप के सामने बिल्कुल भीगी बिल्ली सी बन जाती,और मेरा बाप फिर मेरे गांड में सरिया घुसा घुसा कर मेरी मारता था……

लुसर...ये मेरे बाप का सबसे प्रिय शब्द था जब बात मुझपर आती ,यंहा तक की हमारे नॉकर के बेटे चंदू को भी मुझसे ज्यादा इज्जत दी जाती थी,क्योकि वो क्रिकेट और फुटबॉल का कैप्टन था,हम हमउम्र ही थे,उसकी बात बाद में करेंगे …


josef
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Re: जादू की लकड़ी

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तो मेरा बाप जितना आकर्षक और रौबदार था उतना ही ज्यादा औरतो के मामले में कमीना भी था,कहते है की ऐसी कोई लड़की या औरत नही जिसे उन्होंने चाहा हो और ना पटा लिया हो ,वो लड़की पटाने के लिये साम दाम दंड भेद सब कुछ इस्तेमाल कर दिया करते थे,मेरी माँ को पता था की नही मुझे नही पता लेकिन अगर वो इस बारे में जानती तो भी मुझे यकीन था की वो कुछ ना कहती ,वो थी ही इतनी सीधी …

मेरे बाप के कारनामो का पता मुझे हमारे नॉकरो से चलता था ,

कभी कभी देशी चढ़ाने के बाद अकेले में अब्दुल काका जो हमारे पुराने नॉकरो में थे और पापा के उम्र के थे मुझे कहा करते थे

“साहब ने इतनी लडकिया चोदी है की मैं गईं नही सकता,और इस घर में काम करने वाले सभी लोगो की पत्नियों को भी चोद चुके है ,और सभी औरतो को भी ,रामु की बीवी कांता को तो मेरे सामने ही मुझे दिखा दिखा कर चोदा था ...हा हा हा..कभी कभी तो लगता है चंदू उनका ही बेटा है ..हा हा हा …”

वही जब रामु काका मेरे साथ अकेले शराब पी रहे होते तो कहते

“साहब ने इतनी लडकिया चोदी है की मैं गईं नही सकता,और इस घर में काम करने वाले सभी लोगो की पत्नियों को भी चोद चुके है ,और सभी औरतो को भी ,अब्दुल की बीवी शबीना को तो मेरे सामने ही मुझे दिखा दिखा कर चोदा था ...हा हा हा..कभी कभी तो लगता है सना उनकी ही बेटी है ..हा हा हा …”

कैसे गांडू लोग थे ,लेकिन क्या करोगे मेरा बाप था ही इतना खतरनाक ,दुनिया के लिए उसके मुह से शहद ही टपकता था,हर कोई उनका दीवाना था बस जब मेरी बड़ी आती तो उसे क्या हो जाता…


कभी कभी अकेले में जब मैं रोता था तो मेरी माँ मुझसे कहती थी की तेरा बाप तुझसे जलता है,क्योकि जब तेरा जन्म हुआ तो तू तेरी दो बहनों के बाद पहला लड़का था,मैं तुझे बहुत प्यार करती थी,पता नही लेकिन तेरे बाप को लगता था की तू उसकी जगह ना ले ले,वो बहुत ही महत्वाकांक्षी है और अपने चीज पर किसी दूसरे का अधिकार बर्दास्त नही कर सकते ,शायद इसीलिए वो तुम्हे नीचा दिखाने की कोशिस करते है ……

उनकी बात मुझे तब तक समझ नही आई जब तक मैंने फ्रायड की साइकोसेक्सुअल थ्योरी नही पढ़ ली ,लेकिन जो भी हो वो मेरे लिए मेरा सबसे बड़ा दुश्मन था……

उसकी वजह से मेरी बहनों ने कभी मुझे भाई वाला प्यार नही दिया,भाई तो छोड़ो वो तो शायद मुझे इंसान भी नही समझती थी,मेरा मुह देखती तो ऐसा मुह बनाती जैसे किसी मनहूस को देख लिया हो ,मेरी छोटी बहन निशा तो मुझे देखते ही कहती थी

“लुसर साला “

सच बाताऊ की दिल पर क्या बीतती थी लेकिन पता नही क्यो सब कुछ की आदत सी बन गई थी ,मेरा सर मेरे ही घर में झुका होता था,मैं नही चाहता था की मेरे घर में मेरा सामना किसी से हो,मेरा उठाना बैठना इस घर में नॉकरो के साथ ही था ,शायद यही मेरी औकात थी ,वो भी इसलिए मझसे अच्छे से बात कर लेते थे क्योकि मैं उनके मालिक का बेटा था और कभी कभी उन्हें दारू पिला दिया करता था…..

इस घर में मेरे दो ही चाहने वाले थे एक थी मेरी माँ जो पापा और बहनों के सामने शांत हो जाती थी,बस अकेले में थोड़ा दिलासा दिला देती थी,और दूसरा था टॉमी ,वो एक लेब्राडोर कुत्ता था उस बेचारे को इस बात से कोई फर्क नही पड़ता की कोई मुझे क्या कहता है,वही था जिसके साथ मैं समय बिताया करता था,बाते किया करता था और जिसके लिए मैं लुसर नही था..

कभी कभी उसे मेरे साथ देखकर मेरी बहने कह देती

‘पता नही पापा ने दो दो कुत्ते क्यो पाल के रखे है’

दिल में दर्द उठा ना ..???मेरे लिए रोज का था…….

अब जिस आदमी का घर में ये हाल था सोचिए उसका सामाजिक ओहदा क्या रहा होगा,स्कूल में भी मेरा सर नीचे ही रहता था,मैं नही चाहता था की कोई आकर मुझसे बत्तमीजी करे क्योकि ये आम सी बात थी,लड़के चिढ़ाया करते थे कुछ को पता नही क्यो बेवजह सी दुश्मनी थी मुझसे ,ऐसे पता था वो कारण था की एक तो मैं अमीर था और दूसरी थी रश्मि….अब ये रश्मि के बारे में बाद में बताता हु …

josef
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Re: जादू की लकड़ी

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खैर मेरी हालत ये थी की स्कूल जाना किसी जहन्नुम जाने से कम नही था,लेकिन जाना तो होता था,एक प्रॉब्लम ये भी थी की मेरी छोटी बहन निशा मेरे ही क्लास में थी और वो एक बम्ब थी ,लड़के उसके पीछे लार टपकाते और वो उन्हें अपने इशारों पर चलाती,पूरे पापा पर गई थी ,वही उसका एक ऑब्सेशन था मुझे सबके सामने बेइज्जत करने का ,वो कोई मौका नही छोड़ती थी ..

तो कहने की जरूरत नही की स्कूल में मेरा कोई दोस्त भी नही था,बस दो लोग थे,एक था चंदू,रामु काका का बेटा वो भी मेरे ही क्लास में था और मुझसे इसलिए बात कर लिया करता था क्योकि वो मेरे बाप के पैसे में इस अच्छे स्कूल में पढ़ रहा था और दूसरा उसे जब पैसे की जरूरत होती तो मुझसे ही लिया करता था..

चंदू था तो महा कमीना,उसका काला चहरा और काला बदन ,जो की कसरती था और ऊंचा डीलडौल के कारण वो भयानक सा लगता था,असल में उससे बाकी लड़को की फटती भी थी ,जिसके कारण मुझे चिढ़ाने वाले या सताने वाले थोड़ा डरते थे,यंहा तक की निशा के आशिक जो उसे खुश करने के लिए मेरी मारने पर तुले रहते थे उनसे चंदू ही मुझे बचाता था लेकिन हमेशा नही ,लेकिन फिर भी चंदू मेरा दोस्त कम दुश्मन ही था,क्योकि वो जितना मुझे देता उससे ज्यादा मुझसे लेने की फिराक में रहता था,और सभी से तो मुझे बचा लेता लेकिन उससे मुझे कौन बचाता,मेरे सामने ही वो निशा को खा जाने वाली नजर से देखता था,निशा के सामने हमेशा मेरा मजाक उड़ाता ताकि वो दोनों मुझपर हँस सके ,और निशा कमीनी भी उसके सामने मुझे अक्सर कहती थी..

“मर्द तो तू ही चंदू,वरना यंहा तो चूतिये लूजर को भी भाई बोलना पड़ता है,”

बदले में चंदू हँसते हुए उसके जिस्म को घूरता और निशा उसे भी मुस्कुराकर उसे देखती ,कभी कभी तो लगता था की चंदू निशा की लेता होगा लेकिन अभी तक मुझे कोई प्रूफ नही मिला था …

साला चंदू मेरी भोली भाली मा को देखकर मेरे सामने ही अपना लौड़ा मसल देता था,जबकि मेरी माँ उसे अपने बेटे जैसे प्यार देती थी,ये देखकर मेरा सर बस नीचे हो जाता,क्योकि लड़ना मुझे आता नही था,मैं सीधा नही था चोदू था,डरपोक था ,फट्टू था जो मुझे मेरे बाप ने बनाया था…….

ऐसे स्कूल में एक और थी जिसे मैं सच्चे अर्थों में दोस्त कह सकता था वो थी रश्मि...रश्मि हाय मेरे स्कूल की सबसे फटाका माल कही जाती थी ,सारे स्कूल के लड़के उससे बात करने को तराशते ,यंहा तक की निशा भी उसके सामने कुछ नही थी ,लेकिन वो लड़को में सिर्फ मुझसे ही बात किया करती थी ,वो ही एक थी जो मेरे लिये किसी से भी लड़ जाती भीड़ जाती,यंहा तक की निशा और चंदू से भी ,किसी टीचर से भी ,वो शेरनी थी जो मेरी रक्षा करती थी लेकिन इस बात का मुझे दुख ही था,वो मेरे साथ ही इसलिए रहती थी की लोग मुझे परेशान किया करते थे और कोई मुझसे सीधे मुह बात नही किया करता था,रश्मि बेहद ही संदुर लड़की थी तन से भी और मन से भी ,उसने मुझे बहुत स्नेह दिया था,कहने की जरूरत नही की एक लूजर की तरह मैं उसे प्यार करता था लेकिन वो मुझे प्यार नही करती थी बल्कि मुझपर तरस खाती थी,और ये बात मुझे अच्छे से पता थी ,और उसी तरस वो कारण था जिसके कारण लड़के मेरे जान के दुश्मन बने हुए थे और निशा मुझसे इतना चिढ़ती थी ,रश्मि ही वो लड़की थी जिसके सामने निशा की भी नही चलती थी ,वही चंदू भी सालों से उसे पटाने की कोशिस कर रहा था लेकिन रश्मि अगर किसी से सीधे मुह बात करती थी वो था मैं उसके दया का पात्र...जो भी था मुझे उसका साथ अच्छा लगता था कम से कम वो ही एक कारण थी जिससे मुझे स्कूल जाने की हिम्मत मिल जाती ..

और चंदू मुझसे कहा करता

“इस रंडी को तो मैं एक दिन पटक कर चोदूंगा ,साली बहुत नखरे मरती है “

उसकी बात सुनकर मेरा……...मेरा सर फिर से नीचे हो जाता ….


तो दोस्तो ये थी मेरी झंड जिंदगी ,ये ऐसी ही रहती अगर मेरा बाप पूरे परिवार के साथ केदारनाथ जाने का प्लान नही बनाता,उन्हें एक बिजनेस डील करनी थी और अपनी प्रिंसेस(मेरी बहने) की रिक्वेस्ट पर वो पूरे परिवार को साथ ले जाने के लिए राजी हो गए ,और साथ थे सना (अब्दुल की बेटी), चंदू और टॉमी ……
josef
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अध्याय 1

केदारनाथ की यात्रा पर ऐसा लग रहा था जैसे पूरा परिवार एक साथ गया हो और मैं और टॉमी उनसे अलग,किसी को हम दोनों में कोई इंटरेस्ट ही नही था,बीच बीच में माँ मुझे खाने के लिए पूछ लिया करती ,तो खान खाना और किसी कोने में पड़े रहना यही हमारी नियति थी,पूरे मजे वो लोग कर रहे थे,सना और चंदू परिवार का हिस्सा ना होते हुए भी साथ थे,लेकिन मैं …..

खैर मैं तो आना भी नही चाहता था लेकिन पापा का ऑर्डर था तो आना पड़ा…

मंदिर के दर्शन के बाद माँ मेरे पास आयी और मेरे हाथो में बड़े प्यार से एक धागा बांध दिया,

“मैंने भगवान से दुवा की है की वो तेरी सारी तकलीफों को दूर करे,मेरा बेटा ,भगवान तेरी सुनेगा बेटा उसके घर देर है अंधेर नही “

उन्होंने बड़े ही प्यार से मेरे माथे को चूम लिया ,उनकी बात सुनकर मेरे आंखों में आंसू आ गए ,काश माँ की बात सच हो भगवान मेरी सुन ले …

लेकिन मुझे लगा की ये धागा किसी काम का नही क्योकि हम वंहा से गंगोत्री के लिए निकलने वाले थे 2 गाड़िया थी,एक गाड़ी जो की SUV थी उसमें 6 लोग और ड्राइवर आ चुके थे,मेरी बहन निशा ने अपना दिमाग लगाया और पापा के पास पहुची..

“पापा मैं चंदू और घर के दोनों कुत्तों के साथ कार में आती हु “

मैं वंहा पास ही खड़ा था और पापा के चहरे में आयी हुई मुस्कान को भी देख सकता था,पापा ने बस हा में सर हिला दिया…

सच में भगवान ने मेरी नही सुनी क्योकि उनके साथ आने का मतलब था की रास्ते भर वो मेरी खिंचाई करेंगे,और एक अजनबी ड्राइवर के सामने भी मुझे जलील करने को कोई कसर नही छोड़ेंगे..

निशा और चंदू पीछे की सीट में बैठ गए वही मैं और टॉमी ड्राइवर के साथ …

शाम का समय था,गाड़ी चल पड़ी SUV तेज चल रही थी और काफी आगे निकल गई थी,हमारी गाड़ी को चंदू ने आराम से ही चलने का आदेश दिया था,

और शुरू हो गया उनका फेवरेट काम ,मुझे जलील करना …

वो कमीना ड्राइवर भी इसके मजे ले रहा था और मुझे देख कर हँस रहा था,सच कहु तो मुझे रोना आने लगा था,मेरा गाला भरने लगा था …

“चंदू अगर कोई किसी की बहन के जिस्म से खेले तो वो भाई क्या करेगा “

जरूर निशा के होठो में कमीनी मुस्कान रही होगी जो मैं देख नही पाया

“क्या करेगा मुह तोड़ देगा ,अगर किसी ने उसके सामने उसकी बहन को कोई गैर मर्द छू भी ले तो “

“हा लेकिन लुजर्स को कोई फर्क नही पड़ता,तो मर्द ही कहा होते है “

दोनों जोरो से हंसे वही ड्राइवर इस बार तिरछी निगाहों से मिरर से पीछे देखने लगा जैसे उसे आभास था की कुछ होने वाला है

“यकीन नही आता तो ट्राय करके देख लो “

निशा की बात से जैसे चंदू को एक सुनहरा अवसर मिल गया हो

“राज सुन तो इधर देख “चंदू ने आवाज दी

मैं नही चाहता था की मैं मुड़कर उन्हें देखु लेकिन मेरे अंदर एक अनजान सा डर दौड़ गया था ..

मैं मुड़ा ,चंदू निशा के स्कर्ट के नीचे से हाथ घुसाकर उसके जांघो को मसल रहा था

“आह चंदू ,क्या करते हो,”

“थोड़ा और अंदर ले जाऊं क्या तेरा भाई कही मार ना दे मुझे “

दोनों जोरो से हंसे ,वही ड्राइवर के होठो में एक कमीनी मुस्कान आ गई क्योकि वो भी बेक मिरर से पीछे की ओर देख रहा था,

इतना जलील होना मुझे गवारा नही था,मेरे सब्र की इंतेहा हो गई थी और मैंने क्या किया,??

मैं सर मोड़कर रोने लगा,मेरी सुबकियां शायद सबको सुनाई दे रही थी

“देखो ऐसे होते है लुजर्स कुछ तो कर नही पाते बस औरतो जैसे रोते है या किसी औरत के पल्लू में जा छीपेंगे,कभी माँ के तो कभी उस बीच रश्मि के ..”

निशा की बातों में जैसे जहर था ,

मैं और नही सह पाया

“गाड़ी रोको …”

मैंने पहली बार कुछ बोला था लेकिन ड्राइवर ने मुझे बस देखा

“मुझे पेशाब जाना है “

मैंने फिर से ड्राइवर को देखा लेकिन वो जैसे किसी और की इजाजत का इंतजार कर रहा था ..

“ओह देखो लूजर को आंसू के साथ अब पेशाब भी निकल गया इसका “

निशा की बात सुनकर चंदू और निशा जोरो से हंसे लेकिन इस बार ड्राइवर नही हंसा शायद उसे मुझपर थोड़ी दया आ गई होगी ,उसने गाड़ी साइड में लगा दी और मैं टॉमी को लेकर वंहा उतर गया…

मैं गाड़ी से थोड़ी दूर जा खड़ा हुआ ,मैं दहाड़ मार कर रोना चाहता था लेकिन मैंने खुद को काबू में किया ..

“ओ लूजर जल्दी आ “

निशा ने आवाज लगाई ,मैं अपने आंसू पोछता हुआ फिर से गाड़ी की ओर चल दिया ,मैंने दरवाजा खोला ही था की ..

भरररर

गाड़ी थोड़ी दूर तक चलकर फिर से रुक गई ,इस बार निशा और चंदू के साथ ड्राइवर भी हंसा था ,मैं समझ गया की ये मेरे साथ क्या कर रहे है ..

मैं फिर के गाड़ी के पास पहुचा और फिर के उन्होंने दरवाजा खोलते ही गाड़ी चला दी ,मैं और टॉमी दोनों ही नही बैठ पाए ..

“अरे आओ आओ दोनों कुत्तों को गाड़ी में बैठने से पपरेशानी हो रही है क्या ..”

निशा ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा ,मैं खुद को सम्हालते हुए फिर से गाड़ी के पास पहुचा और फिर से भर्रर्रर गाली आगे चल दी ,रात हो चुकी थी दूर दूर तक कोई भी नही था बस हमारी ही गाड़ी की लाइट दिख रही थी ,हम घने जंगल के बीच में थे,जंगल और पहाड़ और रात का अंधियारा सब मिलाकर बेहद ही डरावने लग रहे थे,मैं फिर से गाड़ी की ओर बढ़ता की जोरदार बिजली चमकी और बदल गरजे,बहुत ही तेज बारिश शुरू हो गई थी ,मैंने टॉमी को उठा लिया तेजी से कर की तरफ बढ़ा,हम दोनों ही भीगने लगे थे कार का दरवाजा फिर से बंद कर दिया गया था,मैने तुरंत ही दरवाजा खोला और जैसे ही टॉमी को सीट में रखने की कोशिस की फिर से भरररर…

मैं बुरी तरह से झल्ला गया था,वो लोग जोरो से हँस रहे थे और कांच से बाहर झांक कर कमेंट दे रहे थे,कार फिर से थोड़ी दूर जाकर खड़ी हो गई थी ,फिर से तेज गर्जना हुई लेकिन इस बार ना जाने टॉमी को क्या हुआ ,वो मेरे गोद से उतर कर सड़क से बाहर की ओर दौड़ाने लगा उस ओर जंहा जंगल था,मैं उसे पकड़ने के लिए दौड़ पड़ा लेकिन वो तेज था,हम सड़क से उतर कर झाड़ियों में जा चुके थे,और जंगल के अंदर की ओर जा रहे थे..

“टॉमी बेटा रुक जा “मैं चिल्ला रहा था,बारिश बहुत ही तेज हो चली थी थोड़ी ही देर में जैसे कोई तूफान सा आ गया हो,मैं इन पहाड़ो की बारिश के बारे में सुन रखा था लेकिन टॉमी को मैं अकेले नही छोड़ सकता था,लेकिन टॉमी अंधेरे में कही खो गया था,इधर बारिश इतनी तेज थी की उसकी आवाज सभी आवाजों पर छा गई थी,मुझे हॉर्न बजने की आवाज सुनाई दी जो की बेहद ही जोरो से बजाई जा रही थी ,मैं उस ओर मुड़ा ..

“ओ लूजर जल्दी से यंहा आ जा वरना सोच ले तेरा क्या होगा “

ये आवाज चंदू की थी,मैं घबराकर उस ओर मुड़ा ही था की मुझे झड़ियो में एक हलचल सी महसूस हुई ,मैंने देखा की टॉमी झड़ियो से निकल कर आगे की ओर भाग रहा है ..

“टॉमी रुक जा यार तू मरवाएगा मुझे “मैं फिर से उसके पीछे भागा..थोड़ी ही देर हुए थे की मुझे लगा की मैं बहुत आगे आ गया हु ,अब पीछे से कोई आवाज नही आ रही थी,ऐसा जरूर लग रहा था जैसे दूर से कोई चिल्ला रहा हो ,शायद चंदू या वो ड्राइवर..

इधर टॉमी रुकने का नाम ही नही ले रहा था ना ही वो पकड़ में आ रहा था ,मैं बारिश में बुरी तरह से भीग चुका था ,ठंड से कांपने भी लगा था ..

मेरा दिमाग अब टॉमी के लिए खराब हो चुका था मैं पूरी ताकत लगा के उसके पीछे भागा,वो एक झड़ियो के झुंड में जा कूदा और मैं भी उसे पकड़ने के लिए छलांग लगा दी लेकिन …..

लेकिन ये क्या झड़ियो के पास चिकना पत्थर था जिसमे मैं और टॉमी दोनों फिसल गए थे,पास ही बहते झरने की आवाज से स्पष्ट था की हम उस झरने की ओर फिसल रहे है,पल भर के लिए ही मानो मेरे दिल की धड़कन ही रुक सी गई,सामने मौत साक्षात तांडव कर रहा था..

टॉमी फिसलता हुआ झरने में गिर गया..

“नही …”

मैं जोरो से चीखा लेकिन सब बेकार था मैंने हाथ पैर मारे लेकिन गीली काई की वजह से मैं रुक ही नही पाया और ..

“नही ….”झरने के गर्त में गिरता चला गया,डर के मारे ना जाने कब मैंने अपने होश खो दिए थे …………..



josef
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Re: जादू की लकड़ी

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अध्याय 2

ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपने बिस्तर में सोया हुआ हु और टॉमी हमेशा की तरह मेरे गालों को चाट रहा है..

“अरे टॉमी सोने दे ना ‘

मैंने करवट ली लेकिन ..

छपाक

मैं पानी में गिर गया था,मैं अचानक होश में आया मेरे सामने कल के हादसे का पूरा चित्र ही घूम गया ,

“है भगवान हम लोग कहा है “

टॉमी को तो कोई भी फर्क नही पड़ रहा था,और हम नदी में बहते हुए ना जाने कहा आ पहुचे थे,अजीब बात थी की इतने उचाई से गिरने के बाद भी मुझे बस मामूली खरोंचे ही आयी थी वही टॉमी तो बिल्कुल ही स्वस्थ लग रहा था,हम नदी के किनारे में पड़े थे,मैं उठकर इधर उधर देखने लगा..

मेरे जैसा डरपोक इंसान आज एक पालतू कुत्ते के साथ घने जंगल में अकेला था ,दूर दूर तक कोई नही दिख रहा था,आज तक कभी मैं अपने शहर से बाहर अकेले नही गया था,ऐसे मेरी फट के चार हो जानी थी लेकिन पता नही वंहा की हवा में क्या था की मैंने उसे और भी गहरे अपने फेफड़ों में भर लिया ,मुझे बिल्कुल ही ताजा सा अहसास हुआ ..

मैंने अपने हाथो में बंधी मा के द्वारा दिए हुए उस धागे को देखा ,मैंने प्यार से उसे चूम लिया ,मुझे लगा की आज अगर मैं जिंदा बचा हु तो माँ के आशीर्वाद से और भगवान की कृपा से ही बच पाया हु ,वरना इतने उचाई से गिर कर कोई कैसे बच सकता था ..

मुझे आज भगवान और चमत्कार में यकीन हो गया था ..

और साथ ही मुझे एक अजीब से भाव का अहसास हुआ जैसे मैं आजाद हु ,बिल्कुल खुली हवा ,ना बाप का डर न बहनों के ताने सब से मुक्त…….

मैं ऐसे ही खुश ही रहता अगर मुझे भूख नही लगती ,लेकिन जोरो की भूख गई थी,टॉमी तो पता नही क्या सुन्ध रहा था ..

“दोस्त जोरो की भूख लगी आई क्या है आज ब्रेकफास्ट में “

टॉमी मुझे देख कर जैसे मुस्कुराया..

अब ये मुस्कुराए या रोये साला एक ही सा दिखता है ..

टॉमी कुछ सूंघता हुआ एक ओर बढ़ गया था ,मैं भी उसके पीछे पीछे चल दिया थोड़ी दूर जाने पर ही मुझे समझ आ गया की आज तो टॉमी की दावत थी यानी कोई जानवर मर गया था और उसके शरीर के सड़ने की बदबू फैल रही थी ,मै नाक बंद करके टॉमी के पीछे चल दिया ,टॉमी तो जैसे उस पर झपट पड़ा लेकिन जब मैंने उसे देखा तो ..

तो मेरी फट के चार हो गई ,क्योकि वो एक भालू का शरीर था,वो भी जंगली विशालकाय भालू..

अब मुझे फिर से याद आया की मैं कहा हु,मैं यंहा पिकनिक मनाने नही आया हु बल्कि खो गया हु ,मैंने अपने जेब तलाशे

“ओ सीट...साला मोबाइल तो गाड़ी में ही रह गई “

दूसरी जेब में पर्स था जिसमे कुछ पैसे भी थे लेकिन यंहा उन पैसों का मैं क्या करूंगा ..

मैंने मेन वर्सेस वाइल्ड देख रखी थी लेकिन यंहा मुझे कुछ झँटा समझ नही आ रहा था …….

मैं थोड़ी देर इधर उधर घुमता रहा फिर एक लकड़ी को तोड़कर उससे भाला जैसा कुछ बनाने की कोशिस में लग गया,घंटे भर की मेहनत के बाद मेरे पास एक हथियार था जिसकी नोक मैंने भालू के हड्डियों से बनाई थी ,ये शिकार के लिए वक्त पड़े तो बचाव के लिए था……

जब भूख तेज हुई तो मैंने पेड़ो की पत्तियों खाना स्टार्ट किया कुछ ठीक ठाक थी तो कुछ बहुत ही कड़वी ..

क्यो फल मिलने की कोई उम्मीद तो नही दिख रही थी लेकिन फिर भी मैं जंगल के अंदर जाने लगा,जो खाने के लायक दिखता उसे खा खा कर देखता जाता था ,मैंने सुना था की जंगल में भटक जाने पर नदी के सहारे चलते जाना चाहिए तो मैं नदी के किनारे किनारे चल रहा था ..

दिन तो जैसे तैसे कट ही गया लेकिन अब फिर से रात आने वाली थी ,टॉमी तो जैसे यंहा बेहद खुश था लेकिन मेरी तो फटने वाली थी,फिर से बदल गरजने लगे और हर गर्जना ऐसा लगती थी जैसे मेरा काल हो …..

मुझे एक ठिकाना चाहिए था ,ऐसा कुछ जिसमे मैं अपने को बारिश से बचा सकू …

मैंने एक समतल जगह ढूंढ ली और वंहा पेड़ो की टहनियां इकट्ठा करके पेड़ के सहारे एक छत बनाने की कोशिस करता रहा ,मैं इस हालात में था लेकिन फिर भी मेरे दिल में वो डर धीरे धीरे गायब हो रहा था,मैंने जीवन में पहली बार अपनी स्तिथियों को स्वीकार कर उनका सामना करने की ठानी थी और मेरे साथ था मेरे मा का दिया वो धागा जिसमे प्यार था आशीर्वाद था …

शायद मुझे अपने पर और उस धागे पर यकीन हो रहा था की मैं इस मुश्किल से निकल सकता हु ,

और रात भारी बारिश हुई ,टॉमी और मैं एक दूसरे से लिपटे हुए ठिठुरते हुए एक पेड़ के नीचे झड़ियो से बनाये गए आशियाने के नीचे बैठे रहे ,यंहा अंधेरा था घना अंधेरा,ये ऐसी रात थी जिसकी कल्पना भी किसी को डराने को काफी हो ……

ना जाने कौन सा जंगली जानवर कब हमारे ऊपर हमला कर दे,सांप,बिछु,जहरीले कीड़े मकोड़े हम किसी का भी शिकार हो सकते थे,आंखों से नींद तो गायब हो गई थी लेकिन आंखे बंद कर खुद को सम्हालने के अलावा मेरे पास कोई चारा भी तो नही था…

मैं टॉमी को ऐसे सहला रहा था जैसे कह रहा था की सब ठीक हो जाएगा,मैं जीवन में पहली बार किसी को हिम्मत दिला रहा था,सच में मुसीबत और तकलीफें इंसान को और भी मजबूत बना देती है ,मेरी आराम तलबी की जिंदगी और घरवालों के तानों ने मुझे बचपन से जितना कमजोर बनाया था आज इस मुसीबत ने मुझे एक ही दिन में इतना मजबूत बना दिया था,इस समय तक मुझे हार मान जाना था लेकिन मेरे हाथ में बंधा ये धागा ना मुझे हार मानने दे रहा था ना ही उम्मीद छोड़ने …………







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