Adultery * * * * *पाप (30 कहानियां) * * * * *
- naik
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Re: * * * * * टैबू (वर्जना) * * * * *
बहुत ही खूबसूरत रचना है आपकी दोस्त ऐसे ही लिखते रहिये अगले अपडेट का इंतिजार रहे गा।
- rajaarkey
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Re: * * * * * टैबू (वर्जना) * * * * *
साथ बने रहने के लिए शुक्रिया दोस्तो
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- rajaarkey
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Re: * * * * * टैबू (वर्जना) * * * * *
मोंम मैं पागल हो जाऊगा। अजीब अजीब ख्याल आते हैं मुझे। हर वक्त आपके बारे में ही सोचता रहता हूँ... आई कॅट ईवन लुक अट यू नाउ मोम। जब भी आपको देखता हूँ, आपको नंगी ही इमेजिन करता हूँ.. आई कीप । गेटिंग आ हाई ओन जस्ट बाइ थिंकिंग ओन आफ यू... मोम प्लीज...
अच्छा बस एक बार और करने दो... मेरा दिमाग खराब हो रहा है। दिल करता है की मर जाऊं...”
अगर मैं आपको हासिल नहीं कर सका तो जिंदा नहीं रह पाऊँगा। आई कांट लिव विदाउट यू आस माइ लवर नाउ... मैं हमेशा आपके बारे में सोचता था और उस रात आपने भी साबित कर दिया था की यू लोव में मोरे दैन आ सन..."
ऐसी कई बातें उनके बीच अक्सर होती रहती। दोनों जब भी बात करते, सिर्फ इस बारे में ही करते। जब और किसी बात ने काम नहीं किया तो आशा ने एक बार फिर बेशर्म बनकर सिद्धार्थ को यहाँ तक कह दिया था की वो खुद उसके लिए एक लड़की ढूँढ़ देगी या अपनी किसी दोस्त से चक्कर चलवा देगी जो सिर्फ नये नये लड़कों के साथ सोना चाहती हैं। वो उनमें से जिसे भी चाहे, आशा उसकी बात उस औरत से खुद करा देगी।
पर सिद्धार्थ नहीं माना।
इफ इट हैस टू बी समवन, इट हैस तो बे यू मोम। आई लव यू। आई कॅट इमेजिन माइसेल्फ फक्किंग समवन एल्स..”
और एक दिन आशा ने परेशान होकर सिद्धार्थ को थप्पड़ तक मार दिया और घर से निकल गई। वो इन बातों से परेशान आ चुकी थी इसलिए कुछ दिन के लिए इन सबसे दूर होने का सोचकर इस होटल में आ रुकी थी। कहकर आई थी की आफिस के काम से शहर के बाहर जा रही है पर वो उसी शहर में इस होटल में कमरा लेकर कुछ दिन के लिए आ ठहरी थी। और फिर उसने शाम को सिद्धार्थ को फोन किया समझाने के लिए तो उसने फिर वही बात उठा दी। आशा ने सोचा था की कुछ दिन वो दूर रहेगी तो शायद सिद्धार्थ को अकेले सोचने का वक़्त मिले और वो अपना ख्याल बदल दे पर हुआ इसका बिल्कुल उल्टा। उसका पागलपन और बढ़ गया था, इस हद तक की वो आत्महत्या करने पर उतर आया था।
रात में गाड़ी तेजी से भागती वो अपने घर तक पहुँची। लाइट्स आफ थी और घर अंधेरे में डूबा हुआ था। उसने दिल ही दिल में भगवान का नाम लेते हुए गाड़ी पार्क की, बाहर निकली और लगभग दौड़ती हुई दरवाजा खोलकर घर में दाखिल हुई।
सिद्धार्थ...” उसने आवाज लगाई और उसके कमरे की तरफ बढ़ी।
जवाब में कुछ नहीं हुआ। ना ही सिद्धार्थ आया, ना उसके पति और ना ही कोई आहट हुई। दिल ही दिल में । अपने आपको कोसती के ये उसी की करनी का नतीजा है, वो सिद्धार्थ के कमरे तक पहुँची। तभी उसके पीछे से दरवाजा खुलने की आवाज आई।
आशा ने पलटकर देखा। उसके अपने कमरे का दरवाजा खुला और अंधेरे में कोई बाहर निकला। उसके बेडरूम में भी अंधेरा था इसलिए बाहर आने वाले की शकल दिखाई नहीं दे रही थी।
किशोर, इस दैट यू...” उसने अपने पति का नाम लेकर पुकारा।
पर वो गलत थी। वो साया दो कदम और आगे बढ़ा और उसका चेहरा थोड़ा सा दिखाई दिया। कमरे से बाहर आने वाला खुद सिद्धार्थ था। आशा की जान में जान आई।
ओह बेटा... बैंक गाइ यू आर ओके..” कहती हुई वो उसकी तरफ बढ़ी पर फिर एकदम रुक गई। हु
उसके हाथ में एक बड़ा सा चाकू था और वो पूरा का पूरा खून में सना हुआ था- “आई टुक केयर आफ इट मोम...” वो मुश्कुराते हुए बोला- “मेरे और आपके बीच जो प्राब्लम थी वो मैंने हटा दी। अब कोई नहीं आ सकता हमारे बीच। अब आपको किसी चीज की फिकर करने की जरूरत नहीं..”
और तब पहली बार आशा को सूझा की सिद्धार्थ क्या कहना चाह रहा था जब उसने ये कहा था की वो कुछ कर बैठेगा।
धड़कते दिल के साथ वो अपने कमरे में दाखिल हुई और लाइट ओन की। बेड पर उसके पति किशोर की लाश पड़ी थी, खून में सनी हुई।
अब कोई नहीं है हमारे बीच माँ..." पीछे से सिद्धार्थ की आवाज आई- “आई टुक केयर आफ इट। इट्स जस्ट यू aaanddd मां ना..."
***** समाप्त *****
अच्छा बस एक बार और करने दो... मेरा दिमाग खराब हो रहा है। दिल करता है की मर जाऊं...”
अगर मैं आपको हासिल नहीं कर सका तो जिंदा नहीं रह पाऊँगा। आई कांट लिव विदाउट यू आस माइ लवर नाउ... मैं हमेशा आपके बारे में सोचता था और उस रात आपने भी साबित कर दिया था की यू लोव में मोरे दैन आ सन..."
ऐसी कई बातें उनके बीच अक्सर होती रहती। दोनों जब भी बात करते, सिर्फ इस बारे में ही करते। जब और किसी बात ने काम नहीं किया तो आशा ने एक बार फिर बेशर्म बनकर सिद्धार्थ को यहाँ तक कह दिया था की वो खुद उसके लिए एक लड़की ढूँढ़ देगी या अपनी किसी दोस्त से चक्कर चलवा देगी जो सिर्फ नये नये लड़कों के साथ सोना चाहती हैं। वो उनमें से जिसे भी चाहे, आशा उसकी बात उस औरत से खुद करा देगी।
पर सिद्धार्थ नहीं माना।
इफ इट हैस टू बी समवन, इट हैस तो बे यू मोम। आई लव यू। आई कॅट इमेजिन माइसेल्फ फक्किंग समवन एल्स..”
और एक दिन आशा ने परेशान होकर सिद्धार्थ को थप्पड़ तक मार दिया और घर से निकल गई। वो इन बातों से परेशान आ चुकी थी इसलिए कुछ दिन के लिए इन सबसे दूर होने का सोचकर इस होटल में आ रुकी थी। कहकर आई थी की आफिस के काम से शहर के बाहर जा रही है पर वो उसी शहर में इस होटल में कमरा लेकर कुछ दिन के लिए आ ठहरी थी। और फिर उसने शाम को सिद्धार्थ को फोन किया समझाने के लिए तो उसने फिर वही बात उठा दी। आशा ने सोचा था की कुछ दिन वो दूर रहेगी तो शायद सिद्धार्थ को अकेले सोचने का वक़्त मिले और वो अपना ख्याल बदल दे पर हुआ इसका बिल्कुल उल्टा। उसका पागलपन और बढ़ गया था, इस हद तक की वो आत्महत्या करने पर उतर आया था।
रात में गाड़ी तेजी से भागती वो अपने घर तक पहुँची। लाइट्स आफ थी और घर अंधेरे में डूबा हुआ था। उसने दिल ही दिल में भगवान का नाम लेते हुए गाड़ी पार्क की, बाहर निकली और लगभग दौड़ती हुई दरवाजा खोलकर घर में दाखिल हुई।
सिद्धार्थ...” उसने आवाज लगाई और उसके कमरे की तरफ बढ़ी।
जवाब में कुछ नहीं हुआ। ना ही सिद्धार्थ आया, ना उसके पति और ना ही कोई आहट हुई। दिल ही दिल में । अपने आपको कोसती के ये उसी की करनी का नतीजा है, वो सिद्धार्थ के कमरे तक पहुँची। तभी उसके पीछे से दरवाजा खुलने की आवाज आई।
आशा ने पलटकर देखा। उसके अपने कमरे का दरवाजा खुला और अंधेरे में कोई बाहर निकला। उसके बेडरूम में भी अंधेरा था इसलिए बाहर आने वाले की शकल दिखाई नहीं दे रही थी।
किशोर, इस दैट यू...” उसने अपने पति का नाम लेकर पुकारा।
पर वो गलत थी। वो साया दो कदम और आगे बढ़ा और उसका चेहरा थोड़ा सा दिखाई दिया। कमरे से बाहर आने वाला खुद सिद्धार्थ था। आशा की जान में जान आई।
ओह बेटा... बैंक गाइ यू आर ओके..” कहती हुई वो उसकी तरफ बढ़ी पर फिर एकदम रुक गई। हु
उसके हाथ में एक बड़ा सा चाकू था और वो पूरा का पूरा खून में सना हुआ था- “आई टुक केयर आफ इट मोम...” वो मुश्कुराते हुए बोला- “मेरे और आपके बीच जो प्राब्लम थी वो मैंने हटा दी। अब कोई नहीं आ सकता हमारे बीच। अब आपको किसी चीज की फिकर करने की जरूरत नहीं..”
और तब पहली बार आशा को सूझा की सिद्धार्थ क्या कहना चाह रहा था जब उसने ये कहा था की वो कुछ कर बैठेगा।
धड़कते दिल के साथ वो अपने कमरे में दाखिल हुई और लाइट ओन की। बेड पर उसके पति किशोर की लाश पड़ी थी, खून में सनी हुई।
अब कोई नहीं है हमारे बीच माँ..." पीछे से सिद्धार्थ की आवाज आई- “आई टुक केयर आफ इट। इट्स जस्ट यू aaanddd मां ना..."
***** समाप्त *****
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- rajaarkey
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Re: * * * * * टैबू (वर्जना) * * * * *
very nice end superb