Faridi aur Leonard ibne safi

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Masoom
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Faridi aur Leonard ibne safi

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फ़रीदी और लियोनार्ड

एक दिलचस्प ख़बर

डिपार्टमेंट ऑफ़ इनवेस्टिगेशन की इमारत सुबह की धुन्ध में डूबी कुछ अजीब-सी लग रही थी। हिन्दुस्तान के उत्तरी इलाक़े में यूँ ही कड़ाके की ठण्ड पड़ती है। लेकिन बर्फ़बारी हो जाने की वजह से भी आज कई दिनों से ठण्ड बहुत ही ज़्यादा हो गयी है। डिपार्टमेंट ऑफ़ इनवेस्टिगेशन की इमारत बड़े-बड़े चौकोर पत्थरों को जोड़ कर बनायी गयी है। ऐसा मालूम हो रहा है जैसे वह ग़ुरूर में कोहरे की गहरी चादर पर हँसी-हँसती हुई कह रही हो कि हमें क्या परवाह, चाहे जितनी ठण्ड पड़े, हमारे ऊपर उसका कोई असर नहीं होने वाला। हमारे अन्दर ऐसे-ऐसे राज़ दफ़्न हैं, जिनकी हवा भी दुनिया को नहीं लगी। दुनिया के सैकड़ों राज़ हमारे सीने में दफ़्न होने के लिए आते हैं और हमारे ही हो कर रह जाते हैं।

इसी इमारत के कम्पाउण्ड में कई शानदार बँगले बने हुए हैं। इन्हीं बँगलों में से एक के बरामदे में एक ख़ूबसूरत अंग्रेज़ औरत शायद किसी का इन्तज़ार कर रही थी। उसने सोने वाले कपड़ों के ऊपर ऊनी कपड़ा पहन रखा था। उसकी निगाहें बार-बार बरामदे में लगे हुए गुलाब के पेड़ की तरफ़ उठ जाती थीं।

थोड़ी देर के बाद एक कार कम्पाउण्ड में दाख़िल हुई। अंग्रेज़ औरत बेताबी के साथ बरामदे से उतर कर आगे बढ़ी।

एक अधेड़ उम्र का तन्दुरुस्त अंग्रेज़ कार से उतरा। उसने आगे बढ़ कर औरत की कमर में हाथ डाल दिया।
‘‘ओह जैक्सन डार्लिंग,’’ वह औरत अंग्रेज़ी में बोली। ‘‘ख़ुदा का शुक्र है कि मैं तुम्हें फिर तन्दुरुस्त देख रही हूँ।’’
अंग्रेज़ ने झुक कर औरत का माथा चूम लिया। फिर दोनों बँगले में दाख़िल हो गये। यह पी०एल० जैक्सन ख़ुफ़िया पुलिस का सुप्रिन्टेंडेण्ट था। लगभग दो महीने से बहुत बीमार था। उसकी ज़बान के नीचे एक फोड़ा निकल आया था, जिसकी वजह से वह लगभग गूँगा हो कर रह गया था। खाने-पीने में भी परेशानी होती थी, जब तक उसके दिल में विल पावर रही, वह बीमारी की तरफ़ से लापरवाही करता रहा, लेकिन जब तकलीफ़ ज़्यादा हो गयी तो उसे हस्पताल में दाख़िल होना पड़ा, जहाँ उसके फोड़े का ऑपरेशन कर दिया गया।

आज दो महीने के बाद वह पूरी तरह सेहतमन्द हो कर घर वापस आ गया। जो औरत उसका इन्तज़ार कर रही थी वह उसकी बीवी थी।

उसी दिन दोपहर की बात है दफ़्तर में हमीद फ़रीदी के कमरे में हँसता हुआ दाख़िल हुआ।

फ़रीदी अख़बार देखने में मशग़ूल था। उसने चौंक कर हमीद की तरफ़ सवालिया अन्दाज़ से देखा।

‘‘शायद ऑपरेशन के सिलसिले में मिस्टर जैक्सन के दिमाग़ की भी कोई रग कट गयी है।’’ हमीद ने कहा।

‘‘क्या मतलब......’’

‘‘चपरासियों से ले कर डिप्टी सुप्रिन्टेंडेण्ट तक को एक-एक करके अपने कमरे में बुला चुके हैं। स्टाफ़ की हाज़िरी का रजिस्टर सामने खोल रखा है।’’

‘‘क्यों....?’’

‘‘पता नहीं।’’ हमीद ने मुस्कुरा कर कहा। ‘‘आप को सलाम कहा है।’’

‘‘हूँ....!’’ फ़रीदी ने उठ कर सिगार का जला हुआ टुकड़ा ऐश ट्रे में डालते हुए कहा। अख़बार मोड़ कर उसने जेब में रखा और पंजों के बल चलता हुआ कमरे से निकल गया। यह उसकी अजीबो-ग़रीब आदत थी कि वह दफ़्तर में आम तौर पर पंजों के बल चला करता था। शायद उसका मक़सद यह था कि जूतों की आवाज़ से किसी के काम में ख़लल न पड़े। वह पर्दा उठा कर मिस्टर जैक्सन के कमरे में दाख़िल हो गया।

‘‘हेलो मिस्टर फ़रीदी.... आप अच्छे तो हैं!’’ सुप्रिन्टेंडेण्ट ने पूछा।

‘‘मेहरबानी।’’ फ़रीदी ने मुस्कुरा कर कहा। ‘‘मैं आपको आपकी सेहतयाबी की मुबारकबाद देता हूँ।’’

‘‘शुक्रिया....।’’ जैक्सन ने कहा ‘‘बैठिए।’’

फ़रीदी बैठ गया।

‘‘मैं क्या बताऊँ कि मुझे अपने स्टाफ़ से कितनी मुहब्बत है।’’ जैक्सन मुस्कुरा कर बोला। ‘‘मैंने दफ़्तर आ कर सबसे पहला काम यही किया है कि एक-एक करके सबको बुला कर मुलाक़ात की।’’

‘‘हम सब आपकी मुहब्बत की क़द्र करते हैं।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘इस दौरान मैंने कितनी तकलीफ़ उठायी है।’’ जैक्सन बोला।

‘‘तकलीफ़ की चीज़ ही थी।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘आपकी आवाज़ बदली-बदली-सी महसूस कर रहा हूँ।’’

‘‘हाँ भाई.... यह ऑपरेशन है ही ऐसी चीज़। गले और ज़बान का ऑपरेशन हुआ था। ऐसी सूरत में आवाज़ क़ायम रह गयी है, इसी को ग़नीमत समझता हूँ।’’
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‘‘वाक़ई ख़ुदा ने बड़ा रहम किया।’’ फ़रीदी ने यह जुमला यूँ ही रस्मी तौर पर कहा। उसे रस्मी बातचीत से बहुत नफ़रत थी। वह एक मुँहफट और बेधड़क हक़ीक़त का इज़हार कर देने वाला आदमी था।

‘‘इस वक़्त मैंने ख़ास तौर पर एक ज़रूरी मामले में राय करने के लिए बुलाया है।’’

‘‘कहिए।’’

‘‘कल रात हस्पताल में मुझे इन्स्पेक्टर जनरल की तरफ़ से एक ख़बर मिली है, जो हम सब के लिए बहुत ही दिलचस्प है। तुमने यूरोप के मशहूर ब्लैक-मेलर लियोनार्ड का नाम ज़रूर सुना होगा। वह अपने कुछ साथियों के साथ हिन्दुस्तान आया है और उसने अपना हेडक्वार्टर हमारे ही शहर में बनाया है।’’

‘‘ख़बर तो बहुत दिलचस्प है।’’ फ़रीदी ने दिलचस्पी ज़ाहिर करते हुए कहा।

‘‘मुझे तुमसे यही उम्मीद थी कि तुम इस में ज़रूर दिलचस्पी लोगे।’’ जैक्सन ने हँस कर कहा। ‘‘तुम तो ऐसे मौक़ों की तलाश ही में रहा करते हो। अब मुझे हण्ड्रेड परसेंट यक़ीन हो गया है कि तुम सचमुच एक माहिर अफ़सर हो।’’

‘‘हाँ.... वह लियोनार्ड....!’’ फ़रीदी ने जैक्सन की बात काटते हुए कहा।

‘‘हाँ, तो लियोनार्ड ख़तरनाक आदमी है। जिसने सारे यूरोप को हिला रखा है। हद तो यह है कि स्कॉटलैण्ड के मशहूर जासूस भी उसे नहीं पकड़ सके।’’

‘‘जी हाँ.... मैं जानता हूँ कि वह एक इण्टरनैशनल ब्लैकमेलर है। यूरोप के बड़े-बड़े घराने उसके नाम से काँपते हैं। उसने एक बार स्कॉटलैण्ड यार्ड के मशहूर जासूस पीटरसन की अच्छी-ख़ासी दुर्गत बनायी थी।’’

‘‘तुम ठीक समझे। मैं उसी लियोनार्ड की बात कर रहा हूँ।’’ जैक्सन ने कहा। ‘‘मगर एक बात समझ में नहीं आयी कि आख़िर वह हिन्दुस्तान क्यों आया है?’’

‘‘यहाँ के राजाओं और नवाबों को ब्लैकमेल करने के लिए।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘तुम्हें यह कैसे मालूम हुआ....क्या तुम उसकी मौजूदगी के बारे में पहले ही से जानते हो?’’

‘‘जी हाँ।’’

‘‘वह किस तरह....?’’ जैक्सन ने पूछा।

फ़रीदी ने जेब से अख़बार निकाल कर सुप्रिन्टेंडेण्ट के सामने मेज़ पर फैला दिया और एक विज्ञापन की तरफ़ इशारा किया।

सुप्रिन्टेंडेण्ट पढ़ने लगा।
‘‘यहाँ का वह नवाब एलर्ट हो, जो आज से तीन साल पहले सिर्फ़ अय्याशी की वजह से एक मामूली पर्यटक के भेस में इंग्लैंड गया था। वहाँ उसने एक किसान की ख़ूबसूरत लड़की पर डोरे डाले थे, लेकिन कामयाब न होने पर उसने शादी कर ली थी। फिर कुछ दिन उसके साथ रह कर वह चुपके से हिन्दुस्तान वापस चला आया था। उस नवाब को मालूम होना चाहिए कि अब उसकी रियासत का एक जायज़ वारिस और पैदा हो गया है। मेरे पास शादी के सर्टिफ़िकेट के साथ सारे सुबूत मौजूद हैं, जिनकी क़ीमत पचहत्तर करोड़ रुपये है। अगर नवाब उन सारी चीज़ों को हासिल करना चाहे तो इस अख़बार के ज़रिये अपनी ऱजामन्दी ज़ाहिर कर सकता है, वरना ये सारे सुबूत उसके नये वारिस के हक़ में इस्तमाल किये जायेंगे।’’

‘‘देखा आपने ....!’’ फ़रीदी ने कहा।

जैक्सन ने कुछ सोचते हुए सिर हिलाया।

‘‘मगर यह कैसे कहा जा सकता है कि यह लियोनार्ड की हरकत है।’’

‘‘मैं क़रीब एक माह से इस तरह के विज्ञापनों की कटिंग इकटठा कर रहा हूँ।’’ फ़रीदी ने कहा ‘‘और ये सब यूरोप ही के हालात से मिलते हैं और इनमें से मुझे कोई भी विज्ञापन ऐसा ऩजर नहीं आया, जो किसी मोटे आसामी से न जुड़ा हो।’’

‘‘मिस्टर फ़रीदी।’’ जैक्सन बोला। ‘‘मैं इसीलिए तुम्हारी क़द्र करता हूँ कि तुम्हारी ऩजरें बहुत तेज़ हैं। मैंने अभी लगभग सारे अफ़सरों से इस मामले के बारे में बातचीत की है, लेकिन किसी ने भी इन इश्तहारों का हवाला नहीं दिया।’’

‘‘अरे, इसमें कौन-सी ख़ास बात है।’’ फ़रीदी बोला। ‘‘यह तो ऐसी चीज़ है, जिसने मामूली-से-मामूली दिमाग़ वाले आदमी को अपनी तरफ़ आकर्षित कर लिया होगा।’’

‘‘तुमने अभी इस क़िस्म के और विज्ञापनों का ज़िक्र किया था।’’ जैक्सन ने कहा। ‘‘क्या उनके कटिंग तुम्हारे पास हैं?’’

‘‘जी हाँ.... दो-तीन यहीं दफ़्तर में मौजूद हैं।’’ फ़रीदी ने उठते हुए कहा। ‘‘ठहरिए! मैं अभी आपको दिखाता हूँ।’’

फ़रीदी अंग्रेज़ी अख़बार की कुछ कतरनें उठा लाया और बारी-बारी उन्हें पढ़ने लगा।

‘‘वो महारानी साहिबा ध्यान दें, जो अय्याशी के लिए हर साल पेरिस जाती हैं। उनके वो ख़त मेरे पास मौजूद हैं जो उन्होंने अपने आशिक़ को लिखे थे। उन ख़तों की क़ीमत सोलह करोड़ रुपये है। अदायगी न होने की सूरत में ये ख़त छपवा दिये जायेंगे। सौदा इसी अख़बार के ज़रिये तय किया जा सकता है।

‘‘दूसरा इश्तहार यह है।

‘‘वो हसीन-ओ-जमील नवाबज़ादी ध्यान दें, जो पिछले साल अपने एक आशिक़ को साथ ले कर स्विट्ज़रलैंड गयी थीं। वह देखने में उनका प्राइवेट सेक्रेटरी था। मेरे पास उन दोनों की कुछ तस्वीरें हैं, जिन्हें छपवा देना बहुत ही दिलचस्प साबित हो सकता है। उन तस्वीरों की क़ीमत बीस करोड़ रुपये है। इस सिलसिले में उसी क़ीमत के ज़ेवरात क़बूल किये जा सकते हैं। अदायगी न होने की सूरत में ये तस्वीरें छपवा कर बाँट दी जायेंगी। इस अख़बार द्वारा ऱजामन्दी ज़ाहिर की जा सकती है।

‘‘इसी तरह के और भी इश्तहार हैं, लीजिए ख़ुद आप ही पढ़ लीजिए।’’ फ़रीदी ने सारी कतरनें जैक्सन की तरफ़ बढ़ा दीं।
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‘‘हैरत है कि पुलिस ने अभी तक इस तरफ़ ध्यान नहीं दिया।’’ जैक्सन ने कहा। ‘‘यह तो खुला जुर्म है। लगता है यह अख़बार ब्लैक-मेलिंग का हौसला बढ़ा रहा है, उसे तो फ़ौरन ज़ब्त करके उस पर मुक़दमा चलाना चाहिए।’’

फ़रीदी हँसने लगा।

‘‘लियोनॉर्ड या उसके साथ रहने वाले मामूली आदमी नहीं हैं। वे इतनी आसानी से पकड़ में नहीं आ सकते।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘मैं तुम्हारा मतलब नहीं समझा।’’

‘‘ज़रा आज के अख़बार के एडिटोरियल का यह हिस्सा देखिए।’’ फ़रीदी ने अख़बार जैक्सन की तरफ़ बढ़ाते हुए कहा।

जैक्सन पढ़ने लगा।

‘‘हमने अपने पाठकों की दिलचस्पी के लिए ऐसे विज्ञापनों के नमूने छापने का सिलसिला शुरू किया है, जो यूरोप में ब्लैक-मेलिंग के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं। आज के अख़बार में भी आपको ऐसा ही विज्ञापन मिलेगा। हम आगे भी आपकी दिलचस्पी के लिए उनका सिलसिला जारी रखेंगे।’’

जैक्सन पढ़ चुकने के बाद फ़रीदी की तरफ़ हैरत से देखने लगा।

‘‘मगर यह तो बताओ कि तुमने आज तक किसी का जवाब भी अख़बार में देखा या नहीं।’’ जैक्सन ने कहा।

‘‘ऐसी सूरत में जबकि ख़ुद अख़बार वाले मिले हुए हों, जवाब छापने की ज़रूरत ही क्या रह जाती है।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘लेकिन यह कैसे कहा जा सकता है कि अख़बार वाले मिले हुए हैं।

‘‘उन ख़तों के बारे में एडिटोरियल नोट पढ़ कर कहा जा सकता है।’’

‘‘बात दरअसल यह है कि मिस्टर फ़रीदी कि तुम बातों को बहुत ही घुमा-फिरा कर सोचने के आदी हो।’’

जैक्सन ने कहा। ‘‘हो सकता है कि इस क़िस्म के ख़त दिलचस्पी ही के लिए छापे जाते हों।’’

‘‘लेकिन मुझे तो इसमें कोई भी दिलचस्पी की बात ऩजर नहीं आती।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘और अगर दिलचस्पी ही के लिए इनका सिलसिला शुरू किया गया होता तो दो-एक इश्तहार काफ़ी थे या फिर हर इश्तहार में कोई नयी बात होनी चाहिए थी। अब तक लगभग पन्द्रह इश्तहार छप चुके हैं, लेकिन सब एक जैसे, हर एक में एक नये ढंग से रुपयों की माँग की गयी है।’’

‘‘ख़ैर! भई, यही होगा।’’ जैक्सन ने उकता कर कहा। ‘‘मुझे दरअसल तुम्हें यह इन्फ़ॉर्मेशन देनी थी कि लियोनार्ड का पता लगाने के लिए छै जासूसों की एक कमेटी बनायी गयी है, जिसमें तुम्हारा भी नाम है।’’

‘‘तो क्या सबको काम के एक ही तरीक़े पर अमल करना पड़ेगा।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘बिलकुल....!’’ जैक्सन ने मेज़ पर झुकते हुए कहा। ‘‘यह ज़रूरी है।’’

‘‘लेकिन मैं इसका आदी नहीं।’’

‘‘मजबूरी है। यह तो करना ही पड़ेगा। तुम्हें रोज़ाना रिपोर्ट देनी पड़ेगी।’’

‘‘आप जानते हैं कि मैं इस पर अमल नहीं कर सकता।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘इस बार तो तुम्हें इस पर अमल करना पड़ेगा, क्योंकि सारे ऑर्डर ऊपर से आये हैं।’’ जैक्सन बोला।

‘‘और अगर मैं इनकार कर दूँ।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘क्यों बच्चों जैसी बातें कर रहे हो?’’ जैक्सन ने ज़ोर देते हुए कहा। ‘‘यहाँ रह कर तुम्हें ऑर्डर का पाबन्द होना पड़ेगा।’’

‘‘और अगर मैं इस्तीफ़़ा दे दूँ तो।’’

‘‘मैं तुम्हें इसकी राय न दूँगा।’’ जैक्सन बोला।

‘‘लेकिन मैं अपने उसूल के ख़िलाफ़ एक क़दम भी आगे नहीं बढ़ सकता।’’

‘‘आख़िर इसमें तुम्हारा नुक़सान ही क्या है।’’ जैक्सन झुँझला कर बोला। तुम्हारे जैसा आदमी तो मेरी ऩजरों से गुज़रा ही नहीं। मुझे डर है कि तुम कहीं अपनी जान जोखिम में न डाल लो। हमें तुम्हारी स्कीमों की ख़बर न होगी तो हम तुम्हारी हिफ़ाज़त कैसे करेंगे।’’
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Re: Faridi aur Leonard ibne safi

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‘‘आपका फ़रमान सही है।’’ फ़रीदी ने धीरे से कहा। ‘‘और आप यह भी जानते हैं कि मैं इस डिपार्टमेंट में रोटियों के लिए नहीं आया। मेरी तबियत ने इस मनपसन्द पेशे में आने पर मजबूर किया है। मेरा उस काम में दिल ही नहीं लगता, जिसमें क़दम-क़दम पर मौत का ख़तरा न मँडरा रहा हो।’’

‘‘निजी तौर पर यह चीज़ तुम्हारे लिए ठीक हो सकती है लेकिन डिपार्टमेंट के हक़ में ठीक नहीं है।’’

‘‘लेकिन इससे पहले तो मुझे इस बात पर कभी मजबूर नहीं किया गया।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘भई, पहले की बात और है। पहले तुम्हारा ताल्लुक़ सिर्फ़ मुझसे था, लेकिन इस बार सीधे इन्स्पेक्टर जनरल का मामला है।’’

‘‘ख़ैर, देखा जायेगा।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘मैं कोशिश करूँगा कि उनकी हिदायतों पर अमल करूँ।’’

‘‘आज शाम तक बाक़ी पाँच जासूस भी यहाँ पहुँच जायेंगे। मैं कल उनसे तुम्हारा इण्ट्रोडक्शन करा दूँगा। ये सब अलग-अलग स्टेट के बेहतरीन दिमाग़ हैं।’’

थोड़ी देर बाद फ़रीदी वहाँ से उठ कर अपने कमरे में चला आया।
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Re: Faridi aur Leonard ibne safi

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रहस्यमय आदमी

मशहूर अख़बार ‘न्यू स्टार’ के दफ़्तर की इमारत रोशनी से जगमगा रही थी। रात के लगभग दस बजे होंगे। ज़्यादा सर्दी होने की वजह से सड़कों पर कम ही लोग ऩजर आ रहे थे। रात के सन्नाटे में अख़बार छापने वाली मशीनों की घड़घड़ाहट दूर तक सुनायी दे रही थी। उसके साथ ही कभी-कभी कुत्तों के भौंकने की आवाज़ें भी फ़िज़ा में गूँज उठती थीं।

‘न्यू स्टार’ के दफ़्तर और छापेख़ाने में लोग तेज़ी से काम अंजाम दे रहे थे। तभी एडिटर के कमरे में शोर होने लगा। क़रीब के लोग अपना काम-काज छोड़ कर कमरे के दरवाज़े पर इकट्ठा हो गये।

एडिटर अपने कमरे के दरवाज़े पर खड़े लोगों से कह रहा था, ‘‘जाओ.... तुम लोग यहाँ क्यों इकट्ठा हो गये? जाओ.... अपना काम करो।’’

लोग धीरे-धीरे अपने कामों में लग गये। एडिटर कमरे में लौट आया। यहाँ एक आदमी आराम-कुर्सी पर बेहोश पड़ा था। सब-एडिटर उसके कपड़ों के बटन खोल रहा था।

‘‘दौड़ो.... जल्दी करो.... डॉक्टर को बुलाओ....!’’ एडिटर ने सब-एडिटर से कहा।

सब-एडिटर बेहोश आदमी को उसी हालत में छोड़ कर बाहर चला गया।

एडिटर ने बैठ कर एक सिगरेट सुलगाया और मुस्कुराते हुए बेहोश आदमी की तरफ़ देखने लगा। बेहोश आदमी ने आराम-कुर्सी पर बदस्तूर लेटे-ही-लेटे अधखुली आँखों से कमरे का जायज़ा लिया और एक हाथ अलस्टर की अन्दर जेब में डाल कर नोटों का एक बण्डल निकाला और फ़र्श पर गिरा दिया। एडिटर ने झुक कर बण्डल उठाया और अपनी जेब में रख लिया। उसके बाद बेहोश आदमी की कुर्सी से एक तह किया हुआ काग़ज़ गिरा। एडिटर ने उसे भी उठा कर मेज़ के दराज़ में रख लिया। फिर वह उठ कर कमरे के दरवाज़े पर आया और चिक उठा कर इधर-उधर देखने लगा। आस-पास कोई मौजूद नहीं था। वह बाहर निकल कर बरामदे में खड़ा हो गया।

थोड़ी देर बाद सब-एडिटर डॉक्टर को ले कर आ गया। उन दोनों के पीछे एक आदमी और था। उसने उनके क़रीब पहुँच कर अपना हैट उतारा और अपना विज़िटिंग कार्ड घबराये हुए एडिटर की तरफ़ बढ़ा दिया। एडिटर डॉक्टर से कह रहा था। ‘‘डॉक्टर साहब....! ज़रा देख लीजिए। मैं तो सख़्त परेशान हूँ। मालूम नहीं बेचारा किस काम के लिए आया था। कमरे में दाख़िल होते ही बेहोश हो कर गिर पड़ा।’’

‘‘अच्छा, मैं देखता हूँ।’’ यह कह कर डॉक्टर सब-एडिटर के साथ कमरे में चला आया। डॉक्टर वहीं खड़ा आने वाले के विज़िटिंग कार्ड को ग़ौर से देख रहा था।

‘‘फ़रीदी साहब।’’ एडिटर ने आने वाले को घूरते हुए कहा। ‘‘फ़रमाइए, कैसे आना हुआ।’’

‘‘कोई ख़ास बात नहीं।’’ फ़रीदी ने कहा। ‘‘पहले आप अपने मरीज़ को देखिए, फिर बाद में बातें होती रहेंगी।’’
एडिटर कमरे की तरफ़ बढ़ा....उसके पीछे फ़रीदी भी।

‘‘कहिए डॉक्टर साहब, क्या बात है।’’ एडिटर ने कहा।

‘‘कोई ख़ास बात नहीं.... मुझे यह बेहोशी बहुत ज़्यादा थकान का नतीजा मालूम होती है।’’ डॉक्टर ने कहा। ‘‘ये जल्द ही होश में आ जायेंगे।’’

फ़रीदी ने बेहोश आदमी की तरफ़ देखा और चौंक पड़ा।

‘‘तशरीफ़ रखिए।’’ एडिटर ने फ़रीदी से कहा। उसकी आवाज़
में कँपकँपी थी जिसे डर का नतीजा कहा जा सकता है।

फ़रीदी ख़ामोशी से एक कुर्सी पर बैठ गया।

‘‘कमज़ोर दिल वाले लोगों पर अक्सर सर्दियों में इस तरह
के दौरे पड़ जाते हैं।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘आपका ख़याल दुरुस्त है।’’ डॉक्टर बोला।

‘‘ये हैं कौन साहब?’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘मालूम नहीं।’’ एडिटर ने कहा। ‘‘इन्होंने चपरासी से अपना विज़िटिंग कार्ड भिजवाया था.... उसके बाद ख़ुद अन्दर आये और बेहोश हो कर गिर पड़े। मैं और मेरा असिस्टेंट, दोनों यहाँ मौजूद थे.... हमने इन्हें उठा कर कुर्सी पर डाल दिया और असिस्टेंट डॉक्टर को लेने चला गया।’’

फ़रीदी ने मेज़ पर से अजनबी का विज़िटिंग कार्ड उठा कर देखा जिस पर लिखा हुआ था।
‘‘प्रिंस ऑफ़ इराक़ अदनान....!’’

फ़रीदी ने सिर हिलाते हुए कहा, ‘‘मैं सूरत देख कर ही समझ गया था कि कोई बड़ा आदमी है।’’

‘‘जी हाँ.... मेरी परेशानी की वजह दरअसल यही चीज़ थी।’’ एडिटर सिगरेट सुलगाता हुआ बोला। ‘‘लीजिए, शौक़ फ़रमाइए।’’ उसने सिगरेट केस फ़रीदी की तरफ़ बढ़ाया।

‘‘जी शुक्रिया.... मैं सिर्फ़ सिगार पीता हूँ।’’ फ़रीदी ने कहा।

‘‘अजीब मुसीबत है।’’ एडिटर ने बेहोश आदमी की तरफ़ देखते हुए कहा। ‘‘अगर इस तरह का ख़तरनाक म़र्ज है तो ऐसे लोग वक़्त-बेवक़्त घर ही से क्यों निकलते हैं।’’

थोड़ी देर बाद अजनबी को होश आ गया। वह सीधा हो कर बैठ गया। उसने चुँधियायी हुई आँखों से चारों तरफ़ देखा और मुस्कुराहट के साथ अंग्रेज़ी में बोला। ‘‘मुझे अफ़सोस है कि मेरी वजह से आप लोगों को परेशानी उठानी पड़ी।’’

‘‘कोई बात नहीं....’’ एडिटर ने मुस्कुरा कर कहा। ‘‘फ़रमाइए, कैसे तशरीफ़ लाये थे।’’

‘‘मुझे पाँच मिनट की मोहलत दीजिए।’’ अजनबी बोला। ‘‘मुझे सोचना पड़ेगा कि मैं क्यों आया था। इस तरह के दौरों के बाद अक्सर मैं थोड़ी देर के लिए अपनी याददाश्त खो बैठता हूँ।’’

‘‘बड़ी अजीब बात है।’’ फ़रीदी मुस्कुराते हुए बोला।

‘‘जी हाँ.... यूरोप के लगभग हर मुल्क में मैंने अपने इस म़र्ज का इलाज कराना चाहा, लेकिन बेकार....!’’
अजनबी ने कहा और कुछ सोचने लगा।
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