Adultery बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी

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josef
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विक्की

थक कर चूर होकर मानो आंखें बंद की ही थी कि फोन की घंटी ने उठाया। मैंने एक आंख खोल कर देखा तो दीवार पर घड़ी सुबह के 8 बता रही थी। सन्नी भी मेरी तरह बिल्कुल नंगा बेड पर लेट कर देख रहा था। बेड के बीच में बने दाग के सिवा लक्ष्मी आंटी की कोई निशानी नहीं थी।

लक्ष्मी आंटी की आवाज के पीछे गया तो लक्ष्मी आंटी को मेरे फोन पर बात करते हुए पाया।

लक्ष्मी आंटी बोल रही थी, "… और वहां कोई दिक्कत तो नहीं? सुना है पाकिस्तानी लोग भी आप के साथ काम करेंगे। जरा संभलकर रहिए। खाना अच्छा है ना?…
आह हा हा… मुझे तो कभी नहीं बताया कि मेरी रोटियां ऐसी होती हैं।…
एम्म… हम्म…
नहीं!! मुझे शर्म आती है!!…
नहीं!!!!…
छाहह…
हां किया…
नहीं ना!!…
ठीक है, बाबा! बताती हूं। आप ने जैसे बताया था उस से भी बेहतर हुआ। सुबह दोनों बाबू हवाई जहाज से आए तो उन्हें कॉलेज में तुरन्त जाना पड़ा और हमारी तयारी कि भनक तक नहीं लगी। शाम को दोनों थक कर लौटे…
नहीं! इतने भी थके नहीं थे!!…
हां। तो जैसे आप ने बताया था वैसे तयारी कर के मैं छुप गई और दोनों को नहाने भेजा। उन्हें पता था कि आगे क्या होगा पर ये नहीं कि कैसे। हां दोनों ने मुझे आधा आधा दूध पिलाया।… आप तो शराब में नहाकर आए थे!! डर के मारे मैंने खाना नहीं खाया था और दूध रात में मैंने पी लिया था।… हां… गोलियां देख कर दोनों की आंखे चमक उठी।…
बड़ी मुश्किल से उठी हूं। दोनों बाबू मुझे झड़ा कर अदला बदली कर लेते। इस से मुझ बेचारी को न जाने कब तक…
हां…
चलने में तकलीफ हो रही है। अंदर से जैसे कोई नदी बह रही थी!!…
हां!! बहुत ज्यादा मजा आया!!… उफ्फ…
आप सच में खुश हो?…
मेरे इकलौते दोस्त हो आप!! मैं आप को नहीं खो सकती!…
ठीक है। अब दोनों के लिए नाश्ता बनाकर उन्हें उठाऊंगी।…
नहीं। कल बाबुओं को कॉलेज जाना है। हम कल शाम को बात करें?… ठीक है। मैं उन्हें बता दूंगी। अपना खयाल रखना… "

लक्ष्मी आंटी ने फोन रखा और किचन से चाय का ट्रे लेकर आई। हम दोनों को हॉल में बैठा देख शर्माकर मुस्कुराते हुए बोली,
"प्रतीक जी आप दोनों को बधाई दे रहे थे और उन्होंने कहा कि आप दोनों पर उन्हें भरोसा है। चलो अब मुंह धो कर जल्दी आ जाओ। नाश्ता अभी लग जायेगा।"

लक्ष्मी आंटी को पता भी नहीं था कि उसके रूप का हम पर क्या असर हो रहा था। हम दोनों ने अपने पैरों को खींच कर बाथरूम में गए। मुंह धोकर बाहर आते हुए मेरी नजर किचन में गई तो वहां एक बिस्तर लगा हुआ था।

"लक्ष्मी आंटी, ये बिस्तर किस के लिए बिछाया है?"

लक्ष्मी आंटी ने हमें नाश्ता परोसते हुए कहा, "वो मेरा बिस्तर है। प्रतीक जी ने जाने से पहले कुछ बातें बताई थी और उसमें से एक बात यह है। भले हम अपने आप को कितना ही छुपा लें पर घर में कोई न कोई आयेगा ही। अगर मेरा बिस्तर अलग लगा दिखे तो शक हो सकता है पर सबूत नहीं मिलता। समझते हो ना बात को।"

मैंने और सन्नी ने सर हिलाकर हां कहा और मन ही मन प्रतीक को हम सब के बारे में इतना सोचने के लिए धन्यवाद करने लगे। लक्ष्मी आंटी को हम ने अपने साथ नाश्ता करने पर मजबूर किया और उसे अपने हाथों से खिलाया। हम दोनों ने लक्ष्मी आंटी को पकड़कर चोदने की कोशिश की पर लक्ष्मी आंटी ने हमें रोक दिया।

लक्ष्मी आंटी ने कहा, "बाबू आप दोनों को आज कि छुट्टी अपनी माशूका के बाहों में सोने के लिए नहीं मिली। चलो नहा धो कर खरीददारी करने निकलो। किताबें ख़तम हो गई तो लक्ष्मी आंटी से सजा मिलेगी!! समझे?"

सन्नी ने लक्ष्मी आंटी को चिढ़ाते हुए पूछा, "लक्ष्मी आंटी तुम हमें पिटोगी? हमारे खुले पिछवाड़े पर पट्टी से मारोगी? या 2 दिन सुखी रोटी और पानी पर रखोगी?"

लक्ष्मी आंटी ने शर्माते हुए अपनी दो उंगलियों को फैलाया और कहा, "जब तक आप दोनों की सारी किताबें न मिलें…" लक्ष्मी आंटी ने अपनी दोनों उंगलियों को एक दूसरे पर चढ़ा दिया।

"हाय रे जालिम!! ये कैसी सजा हैं!! पहले अफीम चखा दी और अब ऐसी कीमत मांगते हो!!"

लक्ष्मी आंटी ने हंसते हुए अपनी उंगली मेरे नाक पर लगाकर कहा, "विक्की बाबू नौटंकी कोई आप से सीखे!! चलो निकलो!! और हां घर में कुछ चीजें चाहिए उन्हें भी लाइए, नहीं तो हफ़्ते भर सिर्फ दाल चावल पर गुजारा करना पड़ेगा।"

पापा की शादी, औरत और आटे दाल की बात अचानक मेरे दिमाग में घूम गई और मैं नहाने चला गया। सन्नी अब भी लक्ष्मी आंटी को छेड़ते हुए उसे हंसा रहा था।

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josef
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36
सन्नी

हम दोनों ने नहा कर कपड़े पहन लिए तो लक्ष्मी आंटी भी नहाने चली गई। विक्की ने लक्ष्मी आंटी से कहा कि हम दोनों कुछ देर नीचे हो आते हैं। हम दोनों कॉलेज के पास बने बुक स्टोर पहुंचे और वहां से हमारी सारी किताबें खरीद ली।

विक्की ने पवन पापा को फोन करके कॉलेज के बारे में बताया और खरीददारी कैसे करते हैं उसके बारे में पूछा। अकेले रहने का हमें कोई तजुर्बा नहीं था। पवन पापा ने लक्ष्मी आंटी की मदद लेने की सलाह दी तो मैं ने कहा तीन लोग शहर में पैदल ज्यादा नहीं घूम सकते। बस तो काफी थीं पर कुछ समझ नहीं आ रहा था। पापा ने हंसते हुए कहा कि बड़ा होने का मतलब है हालात के साथ बदलना। वैसे मम्मियों ने कुछ करने का प्लान बनाया है पर इसके बारे में वह कुछ बता नहीं सकते।

किताबें ले कर हम घर पहुंचे तो वहां लक्ष्मी आंटी ने साफ सफाई कर ली थी और हमारा बेड ठीक कर रही थी। लक्ष्मी आंटी ने हमें देख कर कहा,
"बाबू इतनी जल्दी किताबें खरीद ली? अगर पता होता तो मैं घर के सामान की पर्ची देती। दुबारा जाना नहीं पड़ता "

विक्की ने कहा, "लक्ष्मी आंटी, हमने किताबों की दुकान कल कॉलेज से आते हुए देख ली थी पर बाकी खरीददारी के लिए मदद की जरूरत पड़ेगी। हम बाकी खरीददारी के लिए मॉल जा रहे हैं। आओगी हमारे साथ?"

लक्ष्मी आंटी की आंखे चमक उठी। उसने कहा,
"मॉल में मैं कभी गई नहीं। सुना है वहां सब महंगा होता है और कई चीजें एक साथ मिलती हैं। क्या मुझे आने देंगे? मैं कोई मेमसहाब नहीं।"

मैंने हंसकर कहा कि हम दोनों के होते हुए उसे कोई नहीं रोक सकता। लक्ष्मी आंटी ने दौड़ते हुए अपने बाल बनाए और अपने अच्छे कपडे पहन कर बाहर आ गई। हम ने बाहर से रिक्शा कर ली और मॉल पहुंचे। मॉल कि चमक देख लक्ष्मी आंटी का चेहरा खिल उठा। मॉल के अंदर जाने पर वहां के स्टॉल और दुकानों में मेकअप से बनठन कर खूबसूरत लड़कियां समान बेचती लक्ष्मी आंटी को दिखी।

लक्ष्मी आंटी की खूबसूरती किसी पाउडर या लिपस्टिक की मोहताज नहीं थी पर उसके कपड़े काफी पुराने और सस्ते थे। बस्ती में लोगों की नजरों से छुपने के लिए बने कपड़े यहां उसे बुरा महसूस करा रहे थे। हम सब एक बड़े स्टोर में गए जहां काफी समान किफायती दाम पर रखा था। लक्ष्मी आंटी बाकी सब को देखते हुए हमारे पीछे पीछे चल रही थी। मैं जानबूझकर लक्ष्मी आंटी को स्टोर के हर कोने में घूमाने लगा। लक्ष्मी आंटी ने अब यहां से भागने का मन बना लिया था और उसन जल्दी से हमारा पर्ची में रखा सामान भर लिया। अपने कपड़ों से संकोच में लक्ष्मी आंटी को विक्की का खयाल नहीं रहा और उसने मेरे साथ सामान भर लिया। जब हम पैसे देने की कतार में खड़े हो गए तो लक्ष्मी आंटी सामान के ढेर को देख कर चौंक गई।

लक्ष्मी आंटी ने कहा, "हे भगवान, मैंने इतना सामान भर लिया? बाबू इस में से कम कर देंगे तो चलेगा।"

मैंने लक्ष्मी आंटी को कतार से बाहर निकाल कर कहा कि विक्की बिल चुका देगा तब तक हम कुछ और करते हैं। विक्की ने आंख मारी और हां कहा।

लक्ष्मी आंटी ने बाहर आ कर भी सामान कम करने की बात की तो मैंने कहा कि अब हम अपना घर बना रहे हैं तो पहली खरीददारी बड़ी होनी है। अगली बार कम सामान लगेगा। लक्ष्मी आंटी ने माना कि यह बात सही थी और उसने अपनी नजर घुमाई। वहां तकरीबन खाली पड़े दुकान को लक्ष्मी आंटी किसी खजाने की तरह देख रही थी। मैं लक्ष्मी आंटी को अंदर ले गया तो उसने शर्माकर बाहर भागने की कोशिश की।

पूरे दुकान में किताबों के ढेर लगे थे। कहीं बच्चों की किताबें थीं, तो कहीं आत्मकथा और कहीं और स्कूल की किताबें। कॉपियां और पेन के अलग अलग ढेर और गुच्छे थे। लक्ष्मी आंटी ने किसी जेवर की तरह उन पर अपनी उंगली घुमाई। मैंने पीछे से लक्ष्मी आंटी के कान में कहा,
"लक्ष्मी आंटी, अब तुम्हारी की तनख़ा बढ़ गई है और तुम जो चाहो खरीद सकती हो। मैं जानता हूं कि तुम अपनी पढ़ाई अपने दम पर करना चाहती हो। तुम जो खरीद लोगी उसके पैसे तुम्हारी तनख़ा से काट लेंगे।

लक्ष्मी आंटी ने खुश होकर दौड़ना शुरू किया। उसने अलग अलग तरह की कॉपियां और पेन लिए। लक्ष्मी आंटी ने कुछ 10 वी कक्षा की किताबें खरीद ली और साथ में इंग्लिश सीखने की किताब भी ली। मैंने लक्ष्मी आंटी के हाथ में भारी वजन को देखा पर लक्ष्मी आंटी को उस का कोई ग़म नहीं था।

विक्की दुकान के बाहर से ही लक्ष्मी आंटी को देख रहा था और हमारे बाहर आते ही लक्ष्मी आंटी को चिढ़ाने लगा।

लक्ष्मी आंटी अपने कपड़ों के बारे में पूरा भूल गई। उस वक़्त अगर कोई हमें देखता तो उसे बस कॉलेज के 3 दोस्त दिखते। हम दोनों लक्ष्मी आंटी को होटल में ले गए और लक्ष्मी आंटी को मुंबई कि पाव भाजी खिलाई। लक्ष्मी आंटी तो सातवे आसमान में उड़ रही थी कि उसका दिन ऐसे बिता। पेट भरने के बाद जब हम ने बिल चुकाया तो कीमत देख लक्ष्मी आंटी चौंक गई।

लक्ष्मी आंटी बोल पड़ी, "बाबू, इतने में तो मैं आप दोनों को 3दिन ये सब्जी बना कर खिलाऊं!!"

विक्की ने लक्ष्मी आंटी को हंसकर कंधे से धक्का देते हुए कहा, "लेकिन थकने के बाद अच्छा खाना तुरन्त मिलने की भी कीमत होती है ना?"

लक्ष्मी आंटी ने सोच कर हां कहा और हम सब ने रिक्शा कर घर लौट आए। लक्ष्मी आंटी ने हमारी भरी हुई थैलियां घर में जा कर खोली। पहले उसने बड़े प्यार से अपनी किताबें हमारे पढ़ाई के समान के साथ में रख दी। बाकी सामान ले कर लक्ष्मी आंटी किचन में गई। हम दोनों हॉल में बैठ कर घड़ी देखने लगे।

लक्ष्मी आंटी ने किचन में से कहा, "बाबू, अब जब सारा सामान आ गया है तो मै आप दोनों को परेशान नहीं करूंगी। ताजी सब्जियां मै यहीं से खरीद लूंगी पर कोई सब्ज़ी पसंद ना हो तो मुझे अभी… आ!!!"

लक्ष्मी आंटी ने थैला बाहर लाते हुए कहा, "बाबू उन्होंने आप के थैले में किसी और का सामान भर दिया है। हमें इसे लौटकर पैसे वापस लेने होंगे!"

"तो तुम्हें ये कपड़े पसंद नहीं आए? कुछ ज्यादा ही बड़े हैं पर सोचा शहरी लड़कियों के छोटे कपडे तुम्हे पसंद नहीं आयेंगे।"

लक्ष्मी आंटी वहीं जमीन पर थैला ले कर बैठ गई। उसने एक एक कपड़ा बाहर निकलते हुए उसे छुआ।

लाल और सफेद टॉप के साथ पहनने के लिए हरी लेगिंग्स थी। अनेक रंगों के डिजाइन से बनी नीली सलवार कमीज़ कि जोड़ी थी। इन कपड़ों के नीचे एक गुलाबी शर्ट और सफेद लेडीज पतलून थी। पतलून के साथ satin में बना पट्टा निकल आया। यह गुलाबी satin में बना camisole और boy-shorts थे।

लक्ष्मी आंटी ने हमारी ओर देखा तो मैंने कहा, "घर में पहनने के लिए दूसरी जोड़ी भी होनी चाहिए। नीचे देखो, कुछ और भी होगा।"

लक्ष्मी आंटी के हाथ एक पैकेट लगा जिस में कॉम्पैक्ट पाउडर, कुछ लिपस्टिक और सिंदूर कि एक डिब्बी थी। लक्ष्मी आंटी ने हम दोनों को गले लगाया और कहा कि वह हमारा शुक्रिया कैसे अदा करे।

"लक्ष्मी आंटी क्यों न तुम ये कपड़े पहन कर देखो? इन कपड़ों के नाप बड़ी मुश्किल से लिए थे।"

लक्ष्मी आंटी थैला बेडरूम में ले गई और एक एक ड्रेस कि नुमाईश हमारे लिए करने लगी। गुलाबी शर्ट और सफेद लेडीज पैंट पहन कर लक्ष्मी आंटी किसी बड़ी कंपनी की अफसर लग रही थी पर उसे इन कपड़ों की आदत नहीं थी और उसने सुडौल पैरों को हाथों से छिपा रही थी।

शिकायत के स्वर में लक्ष्मी आंटी बोली, "बाबू ये किस काम आयेगा?"

विक्की ने गूढ़ अर्थ से कहा, "हर चीज का वक़्त होता है।"

लक्ष्मी आंटी समझ गई कि उसे जवाब आसानी से नहीं मिलेगा और आखरी जोड़ी पहनने के लिए अंदर चली गई।
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josef
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37
विक्की

लक्ष्मी आंटी को बाहर आने में कुछ ज्यादा समय लगा पर इंतजार करना बिल्कुल ठीक था। लक्ष्मी आंटी ने दरवाजा खोल कर अपना पैर हॉल में रखा और मेरी नजर उसकी खुली टांग पर से उठती हुई satin में रंगी हुई उसकी जांघ पर अटकी। दो पैरों के बीच में शॉर्ट्स जहां जुड़कर जवानी का खजाना छुपाते हैं वहां camisole का किनारा हमें ललचा रहा था। Camisole का कपड़ा लक्ष्मी आंटी के पेट की झलक हर सांस के साथ दिखाते हुए लक्ष्मी आंटी के भरे स्तन को उजागर कर रहा था। Camisole का गला और पीठ गहरी थी और लक्ष्मी आंटी के गोलों की उपरी गोलाई पतली पट्टी से छुप नहीं रही थी।

अपने शरीर से हमारी हालत बिगड़ती देख लक्ष्मी आंटी ने कहा, "बाबू मेरा एक छोटा सा काम करोगे?"

ना तो हम बोल नहीं सकते थे तो हमने सर हिलाकर हां कर दी। लक्ष्मी आंटी ने हमारे सामने घुटनों पर बैठ कर कहा,
"बाबू प्रतीक जी के नाम से मेरी मांग भर दीजिए।"

मेरे लौड़े में मानो कोई बम फट गया। मेरी पैंट तन कर मुझे दर्द होने लगा। मैंने बड़ी मुश्किल से लक्ष्मी आंटी की मांग में प्रतीक का नाम लेते हुए सिंदूर भरा। लक्ष्मी आंटी ने अपना मोर्चा सन्नी कि ओर मोड़ते हुए उस से पूछा,
"सन्नी बाबू, इन कपड़ों में मेरा मंगलसूत्र ठीक लग रहा है ना?"

Camisole की पट्टियां लक्ष्मी आंटी के कंधों पर थीं और लक्ष्मी आंटी के गले में बंधे मंगलसूत्र को किसी फ्रेम कि तरह उजागर कर रही थी। लक्ष्मी आंटी का मंगलसूत्र उसके दूधिया गोलों के बीच झूलता हुआ उन्हें छेड कर हमें तड़पा रहा था। मुझसे और रहा नहीं गया। मैंने लक्ष्मी आंटी को अपने कंधे पर रखा और उसे उठाकर बेडरूम में ले गया।

"विक्की बाबू!!", लक्ष्मी आंटी हंसते हुए उत्तेजना से चीख पड़ी।

लक्ष्मी आंटी को बेड पर मैंने फेंका तो लक्ष्मी आंटी ने भागने की कोशिश की। सन्नी लक्ष्मी आंटी पर झपटा और लक्ष्मी आंटी के कंधों पर से camisole के पट्टे नीचे उतारे। लक्ष्मी आंटी की लाल बेरियां खुल गईं और सन्नी उन्हें दबाकर चूसने लगा। मैंने लक्ष्मी आंटी के boy-shorts उतारे तो देखा कि लक्ष्मी आंटी के कामरस से उसकी पैंटी भीग गई है।

"ये तो ना इंसाफी हुई लक्ष्मी आंटी। उपर से सीधा रस्ता था और नीचे दरवाजा अब भी बाकी है।"

लक्ष्मी आंटी ने मुझे पैर मार कर हटाने की झूठी कोशिश करते हुए कहा, "अगर उपर ब्रा पहनती तो उसके पट्टे नजर आते इसलिए नहीं पहनी थी।"

मैं लक्ष्मी आंटी के पैरों को फैला कर उठते हुए अपना मुंह लक्ष्मी आंटी के खजाने तक ले गया। लक्ष्मी आंटी मेरा इरादा भांप कर चीखने लगी तो सन्नी ने उसका मुंह दबा दिया। मैंने लक्ष्मी आंटी की पैंटी को दातों में पकड़ा और उसे उठाकर उतारने लगा। पैंटी के घुटनों में पहुंचने पर मेरा मकसद पूरा हो गया। मैंने लक्ष्मी आंटी की पैंटी के अन्दर सर डालकर उसकी काम अग्नि की ज्वाला को अपनी जीभ से भड़काया। लक्ष्मी आंटी ने अपना सर हिलाकर अपनी उत्तेजना पर से काबू छोड़ दिया। लक्ष्मी आंटी के पैरों में मेरा सर पकड़ कर लक्ष्मी आंटी ने अपने घुटने मोड़ दिए। मेरा शरीर बेड पर दब गया और लक्ष्मी आंटी ने मेरी पीठ पर जोर देते हुए अपनी बहती योनी को मेरे मुंह पर लगा दिया। लक्ष्मी आंटी ने अपना बदन कांपते हुए मेरी जीभ पर रसों की बाढ बहा दी और बेड पर लेट गई।

मैं इतना तप चुका था कि सन्नी को इंतजार करना पड़ा। मैंने लक्ष्मी आंटी की पैंटी उतार फैंकी और लक्ष्मी आंटी पर लेट गया। लक्ष्मी आंटी को सन्नी चूम रहा था तो मैंने लक्ष्मी आंटी के गरदन को जोर से चूमते हुए उसकी भट्टी में अपना लोहा डाल दिया।

मुझ में मानो कोई जानवर जग गया था जिसके इशारों पर मैं लक्ष्मी आंटी को नहीं बल्कि अपनी मादा को चोद रहा था। मैंने लक्ष्मी आंटी के कंधे पकड़ लिए और अपने लौड़े को खुली छूट दी। मेरे तेज धक्के लक्ष्मी आंटी को पूरा हिला रहे थे। मैं जल्द ही लक्ष्मी आंटी की चूत में अपना पानी छोड़ कर गिर गया।

"Sorry लक्ष्मी आंटी। मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाया।"

लक्ष्मी आंटी ने मेरे बालों में हाथ फेरा और कहा, "मुझे बहुत मजा आया और मुझे नहीं लगता कि इतने पर आप मुझे सोने दोगे।"

मैं लक्ष्मी आंटी के होंठ चूमकर बगल में लेट गया और सन्नी ने मेरी जगह ले ली। सन्नी तयार था पर मेरी गलती से सीख कर उसने लक्ष्मी आंटी को धीरे धीरे चोदना शुरू किया। लक्ष्मी आंटी जल्द ही जल बिन मछली की तरह तड़पते हुए सन्नी को अपने गले लगाकर रोते हुए झड़ने लगी।

लक्ष्मी आंटी ने सन्नी को अपनी बाहों और टांगों से अपने अंदर खींचते हुए कहा, "सन्नी बाबू! अपनी लक्ष्मी आंटी पर रहम करो! फट रही हूं मैं! अपना पानी छोड़ो! भर दो मुझे अपने प्यार से। मेरी कोख भर दो सन्नी बाबू!!"

इतने प्यार से कि गई मिन्नत को सन्नी मना कैसे करता? सन्नी ने लक्ष्मी आंटी के गले के दूसरी तरफ जोर से चूमते हुए अपने रस की धारा लक्ष्मी आंटी की नदी में बहा दी। सन्नी लक्ष्मी आंटी पर लेटा रहा और लक्ष्मी आंटी छत को देखती गहरी सांसे लेती रही।

लक्ष्मी आंटी ने कहा, "पता नहीं कि पिछले जनम में मैंने ऐसा क्या किया था कि मैं आप दोनों की प्रेमिका बनी। पाप तो नहीं होगा पर उफ्फ…"

हम सब एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे और फिर लक्ष्मी आंटी उठ गई। हमारी कुश्ती में उड़ी हुई लक्ष्मी आंटी की पैंटी उसे नहीं मिल रही थी। मैंने लक्ष्मी आंटी से कहा कि वह satin के नीचे पैंटी ना पहने और वह पैंटी वैसे भी गीली हो गई थी तो सुबह उसे ढूंढ लेना। लक्ष्मी आंटी को दूसरा रास्ता नहीं मिला और वह मान गई।

रात को हम ने दुबारा जिद करके पिज़्ज़ा मंगवाया। यह नहीं चीज लक्ष्मी आंटी ने बड़े चाव से खाते हुए हम दोनों से पढ़ाई के लिए मदद मांगी। हम दोनों मान गए और लक्ष्मी आंटी को 10वी कक्षा का अभ्यास कराते हुए काफी बातें की। रात के 9 बजे लक्ष्मी आंटी ने हमें बेडरूम में भेजा क्योंकि कल कॉलेज में सुबह 8 बजे हाजिर होना था।

लक्ष्मी आंटी ने किचन में अपना बिस्तर लगाया और बेडरूम में आ गई। पेट की भूख मिट चुकी थी और वासना की आग पहले भड़क कर अब अंगारों की तरह हलके से हमें सेंक रही थी। लक्ष्मी आंटी को हम दोनों ने अपनी बाहों में भर लिया और उसके दोनों छेद हमारे लौड़ों से भर दिए। धीरे धीरे चोदना औरत को कैसे पागल कर देता है यह बात हम दोनों ने सीखी। लक्ष्मी आंटी के पागल पन के मज़े ले लेकर हम दोनों झड़ कर सो गए।

सुबह 6 बजे लक्ष्मी आंटी उठ गई तो हम दोनों भी कॉलेज के लिए तयार होने उठ गए। हमें जल्दी होगी जान कर लक्ष्मी आंटी ने हमें नहाने और तयार होने हो कहा। जब तक हम दोनों तयार हो गए लक्ष्मी आंटी ने हमारे लिए नाश्ता बनाया और दोपहर के खाने में क्या चाहिए पूछा। हम ने लक्ष्मी आंटी को छेड़ने की कोशिश की तो उसने नाश्ता पहले खत्म करने को कहा। नाश्ता 4 मिनट में हम ने खा लिया और अब लक्ष्मी आंटी पर लपके।

हॉल में लक्ष्मी आंटी को मेज पर लिटाकर सन्नी ने उसकी boy-shorts को उतारा। लक्ष्मी आंटी ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला तो मैंने उसे अपना लौड़ा खिला दिया। सन्नी ने लक्ष्मी आंटी के पैर उठाकर लक्ष्मी आंटी की गांड़ में अपना भाला पूरा भर दिया। सन्नी के हर धक्के से लक्ष्मी आंटी मेरा लौड़ा निगल लेती और सांस लेने जब नीचे सरकती तब अपनी गांड़ को सन्नी के लौड़े पर दबाती। सन्नी ने लक्ष्मी आंटी के पैरों को अपने कंधे पर रखा और आगे बढ़कर लक्ष्मी आंटी की कमर पकड़ कर पेलने लगा। लक्ष्मी आंटी को चूधाई का नशा चढ़ गया और उसने मेरे लौड़े को जोर से चूसते हुए अपने मम्में दबाने लगी। सन्नी ने अच्छे से पेल कर लक्ष्मी आंटी की गांड़ में अपना रस छोड़ दिया। मैंने लक्ष्मी आंटी को पलटा और उसकी कमर उठाई। लक्ष्मी आंटी की थूक से गीला लौड़ा लक्ष्मी आंटी की गांड़ को फैलाते हुए उसके अंदर सन्नी का वीर्य फेंटने लगा। मैंने लक्ष्मी आंटी की चूचियां दबाते हुए उसे तेज धक्के से चोद दिया। सन्नी के साथ हुई चुसाई के कारण मैं लक्ष्मी आंटी को ज्यादा चोदे बिना झड गया और उसके बदन पर लेट गया।

लक्ष्मी आंटी ने कहा, "अगर रोज सुबह ऐसे ही जाना तय कर लिया है तो रोज जल्दी सोना पड़ेगा।"

हम दोनों ने हंसकर अपने कपड़े ठीक किए और लक्ष्मी आंटी को आखरी बार चूम कर कॉलेज के लिए निकले। रास्ते में मैंने सन्नी से कहा कि हमें लक्ष्मी आंटी को प्यार से चोदना चाहिए। हम दोनों ने कल जो किया उस से आज सुबह लक्ष्मी आंटी के गले पर लाल नीले निशान बन गए थे। सन्नी ने सोचते हुए कहा कि शायद हमें दाग के बारे में लक्ष्मी आंटी को बताना चाहिए पर देर हो रही थी और हम ने शाम को लक्ष्मी आंटी को बताने का तय किया।

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लक्ष्मी आंटी ने अपनी boy-shorts पहनकर लड़खड़ाते कदमों से हॉल को फिर से साफ करते हुए खुद से कहा, "कल सुबह उठते ही मैं दोनों से अपनी गांड़ मरवा लूंगी। कम से कम दो बार सफाई नहीं करनी पड़ेगी।"

अचानक अपनी बातों का मतलब समझ कर लक्ष्मी आंटी हंसने लगी कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। कचरा बाहर रखा था पर शायद कोई बाबू को शैतानी सूझी हो। ये सोच कर लक्ष्मी आंटी ने हंसते हुए एक हाथ से अपने बाल पीछे करते हुए दरवाजा खोला।

"Surprise!!!"

लक्ष्मी आंटी का चेहरा डर से बर्फ हो गया और उसने दरवाजे को पकड़ कर अपने आप को संभाला। दोनों मम्मियां लक्ष्मी आंटी को आंखें फ़ाड़ कर देख रही थी। लक्ष्मी आंटी ने हिम्मत जुटाकर दरवाजा खोला और उन्हें हाथ से अंदर बुलाया। श्वेता और समीरा सिर्फ सहेलियां नहीं बिजनेस पार्टनर्स भी थीं और बिना बोले सब समझने और समझाने की ताकत रखती थी।

श्वेता ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा, "लगता है कि हमें आने में देर हो गई है।"

समीरा की आंखों में कुछ ऐसे भाव थे मानो किसी शेरनी ने दूसरी शेरनी के मुंह में अपना बच्चा देख लिया हो। सर्द स्वर में समीरा बोली, "हां बहुत ज्यादा देर हो गई है। बच्चे कॉलेज गए हैं?"

समीरा ने जहरीला सवाल पूछते हुए अपनी गरदन पर हाथ फेरा। लक्ष्मी आंटी ने झट से कहा,
"हां, दोनों बाबुओं को परसों ही कॉलेज बुला लिया गया था और आज 8 बजे क्लास शुरू होना था। दोनों बाबू आप के आने से 10 मिनट पहले ही चले गए। आप बैठिए, मैं आप के लिए कुछ लाती हूं।"

लक्ष्मी किचन में जाने के लिए मुड़ी और श्वेता ने चौंक कर समीरा की ओर देखा। समीरा लक्ष्मी आंटी के पीछे से इशारा कर हाथ पैर धोने गई। श्वेता भी हाथ पैर धोकर घर देखने लगी। लक्ष्मी आंटी डर कर किचन में नाश्ता बनाने के बहाने से छुप गई। समीरा ने किचन में चक्कर लगाते हुए सब देख लिया और हॉल के श्वेता के बगल में बैठ गई।श्वेता ने अपना सर सोफे पर रख कर छत को अनदेखी आंखों से ताक रही थी।

समीरा गुस्से से लाल हो कर फुसफुसाई, "4 दिन हो गए उसे यहां आए अब तक किचन ठीक से लगा नहीं है। नाश्ता इतना ही बनाया था कि ख़तम हो गया और धोने के लिए 2 प्लेट्स ही है। चाय भी अब बना रही है। बच्चों के साथ अगर ऐसा होता है तो हमें कुछ करना पड़ेगा!"

श्वेता ने सर को ठंडा रखते हुए कहा, "समीरा जरा अपनी बात सुन। ऐसे लगता है कि कोई सास अपनी बहू का घर देख रही है। यहां आने से पहले अश्वेत ने कहा था कि चाहे जो हो जाए मैं हर बात समझने की कोशिश करूं। उसे कुछ तो खबर थी।"

समीरा ने शांत होते हुए कहा, "कम से कम लक्ष्मी का बिस्तर किचन में है। शायद अब भी देर नहीं हुई। जब समीर ने मुझे ठंडा दिमाग रखने को कहा मैं नहीं जानती थी कि ऐसा कुछ होगा। लक्ष्मी हमारे बच्चों को ऐसे कपड़े पहन कर ललचा रही है। उसे जल्दी नहीं रोका तो हमारे बच्चे…"

श्वेता ने समीरा की बात काटते हुए कहा, "बच्चे नहीं रहे!! बेडरूम में ड्रेसर के नीचे मुझे इस्तमाल कि हुई पैंटी मिली। इस घर में पैंटी सिर्फ 1 व्यक्ति इस्तमाल करती है। जरा गहरी सांस लेकर देख। हम अगर आधे घंटे पहले आते तो कुछ और देख रहे होते।"

समीरा ने अपना सर हाथ में रख कर कहा, "नहीं! ऐसा नहीं हो सकता! वो बच्चें है! नहीं! मैं ऐसा होने नहीं दूंगी। हम लक्ष्मी को निकाल देंगे! नहीं तो उसे वापस अपने यहां बुला लेंगे। उसे ज्यादा तनख़ा देकर किसी और के घर भेज देंगे।"

श्वेता ने सिर्फ समीरा की ओर देखा और चुप रही। समीरा ने अपनी सहेली की आंखों में देखा और समझ गई। समीर और अश्वेत इस बात के बारे में जानते थे और उन्होंने ऐसा इंतजाम किया था कि बच्चों को महफूज रखते हुए उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हो।

लक्ष्मी आंटी नाश्ता ले कर आ गई तो दोनों मम्मियों की आंखों में आंसू भर आए थे। श्वेता ने चुपके से पूछा, "क्यों?"

लक्ष्मी आंटी किसी मां को यह नहीं बता सकती थी कि उसके बेटे ने लक्ष्मी की इज्जत लूटी थी पर राज़ खुल गया है इस बात में कोई शक नहीं था। लक्ष्मी आंटी ने हिचकिचाते हुए अपने बचपन और शादी की कहानी बताई। चोरी पकड़ी जाने पर उसने फार्महाउस में काम कर के पैसे लौटाने का ठान लिया। फार्महाउस में बात से बात बढ़ी और सब अपना आपा खो बैठे। वापस लौटने पर प्रतीक को नौकरी लग गई और उसने अपनी सच्चाई बताते हुए विक्की और सन्नी को लक्ष्मी का ख्याल रखने को कहा।

समीरा समझ गई कि न केवल पूरी सच्चाई उसे समीर से निकालनी होगी बल्कि लक्ष्मी दोनों बच्चों को बचाते हुए उसे बता रही थी कि वह पप्पू के लौटने तक ही बच्चों के साथ रहेगी। समीरा और श्वेता ने नाश्ता किया और लक्ष्मी से कहा कि वह दोपहर के खाने के वक़्त बच्चों से मिलने आयेंगी। दोनों मम्मियां घर से निकल कर अपने होटल गई जहां से उन्होंने समीर और अश्वेत को फोन किया। सच्चाई जान लेने के बाद दोनों ने बैठ कर काफी देर तक बातें की और बच्चों से मिलने गई।

सन्नी और विक्की खुशी में मदहोश दोपहर को घर खाना खाने गए। दोनों ने तय किया था कि लक्ष्मी आंटी की अगाडी और पिछाडी कौन बजाएगा। बिल्डिंग के नीचे सन्नी कुछ देख कर रुक गया। विक्की ने सन्नी को देखा और उसकी नजर का पीछा किया। वहां सन्नी कि गाड़ी खड़ी थी।

दोनों ने धीरे से दरवाजे पर दस्तक दी तो समीरा ने अंदर बुलाया। मम्मियों के इस सरप्राईज से खुश पर राज खुलने के डर से सेहमे लड़कों ने मम्मियों के गले लगते हुए नजरों से लक्ष्मी आंटी को ढूंढा। लक्ष्मी आंटी ने नया नीला सलवार सूट पहना था और काफी खुश लग रही थी। लक्ष्मी आंटी बाद में खाना खाने वाली थी पर श्वेता मम्मी ने जिद की और सब ने मिलकर खाना खाया। कॉलेज की बातें हुई तो पता चला कि आज कई लोग अपने घरवालों के साथ आए थे।

खाने का समय ख़तम हो रहा था तो मम्मियों ने दोनों के साथ कॉलेज देखने की जिद की। घर से बाहर जाने के बाद मम्मियों ने अपने बेटों को पकड़ा और धीमी आवाज में खूब खरी खोटी सुनाई। अच्छी तरह डांटने और धमकाने के बाद उन्होंने दोनों को लक्ष्मी आंटी का खयाल रखने की सलाह दी और दो बिजनेस कार्ड दिए।

दोनों लड़कों की क्लास शुरू हो गई और मम्मियां अपने पतियों को सच छुपाने की सजा देने के लिए चली गई।

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