अनोखा इंतकाम रुबीना का

Post Reply
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

अनोखा इंतकाम रुबीना का

Post by mastram »

अनोखा इंतकाम रुबीना का

- - - पात्र (किरदार) परिचय

01. मकसूद- उम 32 साल, रुबीना का शौहर, बहुत बड़ा जमीदार,

02. रुबीना उम 28 साल, मकसूद की बीवी, पेशे से डाक्टर, ओकरा सिटी से,

03. नरेन- उम 29 साल, रुबीना की बड़ी बहन,

04. रमीज- उम 27 साल, रुबीना का छोटा भाई,

दोस्तों ये कहानी एक ऐसी औरत की कहानी है जिसने अपने पति के अलावा किसी गैर को देखा तक न था लेकिन जब उसके पति ने किसी और के साथ यौन संबंध बनाए तो?

ये कहानी रुबीना मकसूद नाम की एक शादीशुदा लड़की की है जो पेशे से एक लेडी डाक्टर है और आज तक अपनी जिंदगी के 28 साल गुजार चुकी है। रूबीना पैदा तो ओकरा सिटी के पास एक गाँव में हुई, मगर पली बढ़ी वो ओकेरा सिटी में थी।

रुबीना के उसके अलावा एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई हैं। रुबीना की बहन नरेन उससे एक साल बड़ी है जबकी उसका भाई रमीज अहमद रुबीना से एक साल छोटा है।
-
-
स्बीना ने फातिमा जिन्जाह मेडिकल कालेज लाहोर से एम.बी.बी.एस. करने के बाद ओकरा के सरकारी हास्पिटल मैं हाउस जाब स्टार्ट कर दी। पढ़ाई के दौरान ही रुबीना के वालिदान ने दोनों बहनों की शादी के लिए रिश्ता पक्का कर दिया था और फिर एम.बी.बी.एस. करने के तकरीबन एक साल बाद रुबीना और उसकी बहन की एक ही दिन शादी हो गई

रुबीना की बहन नरेन तो शादी के फौरन बाद अपने पति के साथ मलेसिया चली गई। जबकी कबीना ब्याह कर भावलपुर के करीब एक गाँव में चली आई। रूबीना के पति मकसूद अपने इलाके के एक बहुत बड़े जमींदार थे।

बीना ने मेडिकल कालेज के हास्टल में रहने के दौरान अपनी कुछ क्लासफेलो लड़कियों के मुकाबले शादी से पहले अपने आपको सेक्स से दूर रखा था। इसलिए रुबीना अपनी शादी की रात तक बिल्कुल कुंवारी थी
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: अनोखा इंतकाम रुबीना का

Post by mastram »

शादी के बाद रुबीना सुहागरात को अपने रूम में सजी संवरी बैठी थी। मकसूद कमरे में आए और रुबीना के पास आकर बेड पर बैठ गये। रुबीना जो कि अपना पूँघट निकालकर मसेहरी पर बैठी हुई थी, वो अपने शौहर मकसूद को अपने साथ बेड पर बैठा हुआ महसूस करके शर्म के मारे अपने आप में और भी सिकड़ सी गई।

मकसूद ने जब रुबीना को यूँ शर्माते देखा तो कहने लगा- "रुबीना मेरी जान आज मुझसे शर्माओ मत.. अब मैं कोई गैर थोड़े ही हूँ तुम्हारे लिए। अब तो हम दोनों मियां बीवी हैं.. फिर थोड़ी देर मकसूद ने रुबीना से इधर उधर की बात की जिसकी वजह से रुबीना की मकसूद से झिझक थोड़ी कम होने लगी।

थोड़ी देर बातें करने के बाद मकसूद ने जब देखा कि अब रुबीना थोड़ी कम शर्मा रही है तो उसने आगे बढ़कर रूबीना के गदाज बदन को अपनी बाहों में भर लिया। जिसकी वजह से रुबीना तो शर्म से और सिमटकर रह गई।

एक मर्द का हाथ अपने जिश्म से पहली बार टच होता महसूस करके रुबीना के जिश्म में एक मस्ती सी छाने लगी। मकसूद ने रुबीना को कपर किया और पहले रुबीना के बालों के जूड़े को खोला और फिर रुबीना की ज्वेलरी उतारनी शुरू कर दी। ज्वेलरी उतारने के बाद मकसूद ने रुबीना के होंठों को किस किया।

ज्यों ही मकसूद के होंठ रुबीना के होंठों से मिले तो रुबीना के जिश्म में गर्मी की एक ऐसी लहर उठी, जो एक पल में सीधे उसके कोमल मम्मों के निपलों को खड़ा करती हुई उसकी सील-बंद चूत तक पहुंच गई, और उसकी चूत को पानी-पानी कर गई।


रुबीना भी आखीरकार, एक जवानी से भरपूर लड़की थी। जिसने अपनी शादी शुदा सहेलियों से सुहागरात के बारे में काफी कुछ सुन रखा था। उसके दिल में भी शादी की पहली रात के कुछ अरमान थे। इसलिये वो भी अपनी शर्मो हया को भुलाकर कुछ ही देर बाद मकसूद का साथ देने लगी।

मकसूद के होंठों और उसकी गरमजोश हरकतों ने रुबीना को मदहोश कर दिया, और इस मदहोशी के आलम में उसे पता ही नहीं चला की कब और कैसे मकसूद ने उसे और अपने आपको कपड़ों की कैद से आजाद कर दिया था।

रुबीना ने जब पहली बार अपने शौहर को इस तरह अपने सामने पूरा नंगा देखा तो उसने शर्म के मारे अपनी नजरें झुका ली। पलंग पर रुबीना मकसूद के सामने पूरी नंगी बैठी हुई थी। रुबीना के खूबसूरत कोरे बदन को देखकर मकसूद की आँखों में चमक आ गई। मकसूद ने एक पल अपनी बीवी के जिश्म का गौर से भरपूर जायजा लिया, और फिर रूबीना के जवान ब्राउन निपल को मुंह में भरकर चूसने लगा।

अपने निपलों पर मकसूद का मुंह करते ही रुबीना सिसक गई। और फिर कमरे में वो खेल शुरू हवा जो हर नये मियां-बीवी अपनी शादी की पहली रात को एक दूसरे के साथ करते हैं।

मकसूद ने रुबीना के गालों, होंठों और मम्मों को चूस-चूसकर और अपनी उंगलियों के साथ उसकी कुंवारी चूत से खेलकर रुबीना को मजे से बेहाल कर दिया। काफी देर अपनी बीवी के जिश्म को प्यार करने के बाद मकसूद ने रुबीना की टांगों को फैलाया और फिर अपना लण्ड रुबीना की कवारी फुदी पर रखा और धीरे-धीरे अंदर डालने की कोशिश करने लगा।

रुबीना की कुंवारी चूत अपने शौहर का बड़ा लण्ड ले ही नहीं पा रही थी, और वो चिल्ला उठी- "हाईई नहीं मकसूद आह्ह.. प्लीज... निकाल दो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है.." और अपने शौहर को रुकने का कह रही थी।

मगर मकसूद उसकी बात सुनने को तैयार नहीं था। मकसूद ने एक झटका दिया और पूरा लण्ड अपनी बीवी की चूत में डाल दिया। दर्द की शिद्दत से रुबीना के तो ऑसू ही निकल गये। पर वो चीख भी नहीं सकी| क्योंकी मकसूद ने रुबीना के मुँह में मुँह डालकर उसके मुंह को बंद कर दिया था।
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: अनोखा इंतकाम रुबीना का

Post by mastram »

जब दर्द की शिद्दत थोड़ा कम हुई तो मकसूद ने अपना मुँह रुबीना के मुँह से हटाते हुये कहा- "ऐसा करना पड़ता है, वर्ना तुम दर्द नहीं सह पाती। अब आगे दर्द नहीं होगा। क्योंकी अब तुम्हारी सील फट गई है, और उसमें से खून भी निकल रहा है.." फिर मकसूद ने अपने झटकों की स्पीड बढ़ा दी।

अब रुबीना को भी दर्द कम होने के साथ-साथ मजा आने लगा और वो सिसक्ते ये कहती रही- "जानू धीरे डालो मजा आने लगा है."

मकसूद अपनी बीवी की बात सुनकर जोश में आ गया और तेज-तेज झटके देने लगा और साथ ही रुबीना के मम्मों और निपलों को भी काट रहा था। उसने तो रुबीना के मम्मों आर निप्पलों को काट-काट कर सुजा दिया था।

आखीरकार, कुछ टाइम की चुदाई के बाद मकसूद रुबीना की चूत में ही डिस्चार्ज हुआ और रुबीना के ऊपर से लेट गया। इसके बाद मकसूद पूरी रात ना खुद सोया और ना ही रुबीना को सोने दिया और उसे हर ऐंगल से चोदा, कभी घोड़ी बनाकर तो कभी खड़ी करके, कभी सीधा और कभी साइड से।

सुहाग रात को मकसूद ने रुबीना को सेक्स का एक ऐसा नया और मजेदार चस्का लगाया कि वो अपने शौहर और सेक्स की दिवानी हो गई।

रुबीना की शादीशुदा जिंदगी का आगाज बहुत अच्छा हुआ था और वो अपने ससुराल में बहुत खुश थी। हालांकी रुबीना के ससुराल में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी, मगर फिर भी रुबीना का दिल अपनी नौकरी छोड़ने को नहीं कर रहा था।

रुबीना ने जब अपने पति मकसूद और सुसुराल वालों से इस बारे में बात की, तो उसके पति या ससुराल वालों को उसकी नौकरी जारी रखने पर कोई ऐतराज नहीं था। इसलिए शादी के बाद रुबीना ने अपना ट्रान्स्फर विक्टोरिया हास्पिटल बहावलपुर में करवाकर अपना जाब जारी रखी।

अपनी शादी के 6 महीने बाद ही रूबीना को इस बात का एहसास हो गया, कि अक्सर बड़े जमींदारों की तरह उसके पति मकसूद भी उनके खेतों में काम करने वाले अपने मजदूरों की बीवियों से लकर गाँव की कई और औरतों से नाजायज तालुकात रखते हैं।

रुबीना को इस बात के बारे में पता चलने के बाद दुख तो बहुत हुआ, लेकिन रुबीना ना तो अपने पति को इन कामों से रोक सकती थी, और ना ही उसमें इतनी हिम्मत थी कि वो अपने पति से इस बारे में कोई बात भी करती।

खुद एक जमींदार घराने से तालक होने की वजह से रुबीना ये बात खूब जानती थी, कि उन जैसे जमींदार घरों में ये सब कुछ चलता है। इसलिए रुबीना ने शुरू-शुरू में ना चाहते हुए भी अपने पति के इन नाजायज कामों को नजर अंदाज करना शुरू कर दिया।

रुबीना की शादी को अभी 8 महीने ही गुजरे थे कि एक दिन वो हास्पिटल से जल्दी घर आ गई। रुबीना जब अपनी गाड़ी से उतरकर हवेली में आई तो हवेली में काफी शांति थी। उसने घर में काम करने वाली एक नौकरानी से पूछा कि सब लोग किधर हैं?

तो नौकरानी ने बताया के उसके सास ससुर उसकी दोनों ननदों के साथ शहर शापिंग के लिए गये हैं। रुबीना काफी थकी हुई थी इसलिए वो घर के ऊपर वाली मंजिल पर अपने रूम की तरफ चल पड़ी।

ज्यों ही रुबीना अपने रूम के पास पहुँची तो उसे अपने रूम से अजीब सी आवाजें सुनाई दी, जिसको सुनकर रुबीना थोड़ी हैरान हुई। रूबीना ने कमरे के बंद दरवाजे को धीरे से हाथ लगाया तो पता चला कि दरवाजा तो अंदर से बंद है।

रूबीना को कुछ शक हुआ कि जरूर कोई गड़बड़ है। उसने की-होल से कमरे के अंदर देखने की कोशिश की, पर उसे कुछ नजर नहीं आया। इतनी देर में रुबीना को ख्याल आया कि कमरे के दूसरी तरफ एक खिड़की बनी हुई है, जिस पर एक परदा तो लगा हुआ है मगर वो कभी-कभी हवा की वजह से थोड़ा हट जाता है, और अगर वो कोशिश करे तो उस जगह से वो कमरे के अंदर देख सकती है।
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: अनोखा इंतकाम रुबीना का

Post by mastram »

रुबीना ने इधर-उधर नजर दौड़ाई तो उसे एक कोने में एक पुरानी कुर्सी पड़ी हुई नजर आई। रुबीना फौरन गई और उस कुर्सी को कमरे की खिड़की के नीचे रखा और फिर खुद कुर्सी पर चढ़ गई। ये रुबीना की कुशकिस्मती थी या फिर बदकिस्मती कि खिड़की का पर्दा वाकई थोड़ा सा हता हआ था, जिस वजह से रुबीना को कमरे के अंदर झांकने का मौका मिल गया।

कमरे में नजर डालते ही अंदर का मंजर देखकर बीना की तो जैसे सांसें ही रुक गई। रुबीना ने देखा कि कमरे में उसके सुहाग वाले बेड पर उसका पति मकसूद घर की एक नौकरानी को घोड़ी बनाकर पीछे से चोद रहा था। हालांकी रुबीना ने अपने पति की इन हरकतों के बारे में बहुत पहले सुन तो बहुत कुछ रखा था, मगर आज तक वो इन बातों को सुनकर दिल ही दिल में कुढ़ती रही थी।

ये हकीकत है कि किसी बात या काम के बारे में सुनने और उस काम को अपनी आँखों के सामने होता हुआ देखने में बहुत फर्क होता है। इसलिए आज अपनी आँखों के सामने और अपने ही बेड पर एक नौकरानी को अपने पति से चुदवाता हुआ देखकर रुबीना के सबर का बाँध टूट गया और वो गुस्से से पागल हो गई।

"मकसूद ये आप क्या कर रहे हो?” रुबीना ने गुस्से में पुकारते हुए अपने पति को खिड़की से ही देखते हुए कहा।

अपनी चोरी पकड़े जाने पर मकसूद और नौकरानी की तो सिट्टी-पिट्टी ही गुम हो गई, और उन दोनों के जिस्मों में से तो जैसे जान ही निकल गई, और उन दोनों ने अपनी चुदाई फौरन रोक दी। मकसूद को तो समझ ही नहीं आ रहा था के वो क्या कहे और क्या करे?

"आप दरवाजा खोलो, मैं अंदर आकर आपसे बात करती हूँ.” रुबीना ये कहती हुई कुर्सी से नीचे उतरकर कमरे की तरफ चल पड़ी।

जितनी देर में रुबीना चक्कर काटकर कमरे के दरवाजे पर पहुंची, मकसूद नौकरानी को उसके कपड़े देकर कमरे से रफूचक्कर करवा चुका था।

मकसूद ने रुबीना के कमरे में आने के बाद उससे अपने किए की माफी मांगनी चाही। मगर रुबीना आज ये सब कुछ अपनी नजरों के सामने होता देखकर अपने पति को किसी तरह माफ करने पर तैयार नहीं थी। उस दिन बीना और मकसूद की पहली बार लड़ाई हुई और फिर बीना ने गुस्से में अपना समान पैक किया और अपना घर छोड़कर ओकेरा अपने वालिदान (पिता) के पास चली आई।

रुबीना और मकसूद की नाराजगी को एक महीने से ज्यादा गुजर गया और इस दौरान रुबीना अपने अम्मी-अब्बू के घर में ही रही।

.
इस दौरान परिवार के बड़े बुजुर्गों ने रुबीना और मकसूद को समझा बुझाकर उन दोनों की आपस में सुलह करवा दी और यूँ रुबीना को चाहे-अनचाहे वापिस मकसूद के पास आना ही पड़ा।

अब रूबीना को दोबारा अपने पति के पास वापिस आए हए चार महीने गुजर चुके थे। वैसे तो रुबीना ने घर के बुजुर्गों के कहने पर अपने पति से सुलह तो कर ली थी, मगर रुबीना को अब अपने पति से वो पहले वाला लगाव और प्यार नहीं रहा था।

मकसूद अब भी उसे हफ्ते में एक दो बार चोदता था, मगर रुबीना चाहकर भी अभी तक नौकरानी वाली घटना को भुला नहीं पा रही थी, इसलिए उसे अब मकसूद के साथ चुदाई का वो पहले जैसा मजा नहीं आता था। लेकिन अब कुछ भी हो उसे एक फरमावरदार पत्नी बनकर अपनी जिंदगी तो गुजारनी थी। इसलिए वो इस हादसे को भूलने के लिए चुपचाप अपनी जिंदगी में बिजी हो गई।

हास्पिटल में काम के दौरान रुबीना ये बात अच्छी तरह जानती थी, कि उसके कुछ पुरुष साथी डाक्टर हास्पिटल की नसों को ड्यूटी के दौरान चोदते हैं।

ओकेरा में अपनी हाउस जाब और फिर बहावलपुर में शादी के बाद भी उसके कुछ साथी डाक्टर्स ने रुबीना के साथ जिन्सी ताल्लुकात कायम करने की कोशिश की थी, मगर हर दफा रुबीना ने उनका ये आफर ठुकरा दिया था। अब जब से रूबीना ने अपने पति को रंगे हाथों अपनी नौकरानी को चोदते हुए पकड़ा था, तब से रुबीना के अंदर दिल ही दिल में एक बगावात जन्म लेने लगी थी।
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: अनोखा इंतकाम रुबीना का

Post by mastram »

अब न जाने क्यों उसका दिल चाह रहा था कि जिस तरह उसके पति ने शादी के बाद भी दूसरी औरतों से नाजायज ताल्लुकात रखकर रुबीना के प्यार की तौहीन की है। उसी तरह क्यों ना रुबीना भी किसी और मर्द से चुदवाकर अपने पति से एक किश्म का बदला ले।

रूबीना के दिल में इस तरह के अजीब-अजीब खयालात जन्म तो लेने लगे थे, लेकिन सौ बार सोचने के बावजूद रुबीना जैसी शरीफ लकड़ी में इस किश्म के खयालात को अपनाने की कभी हिम्मत ना पड़ी थी। फिर रुबीना की जिंदगी में अंजाने तौर पर एक ऐसा वाकया हुआ जिसने रुबीना की जिंदगी में सब कुछ बदल कर रख दिया।

रुबीना का ससुराली गाँव बहावलपुर से तकरीबन एक घंटे की दूरी पर है। रुबीना के पति और सुसराल वाले गाँव में रहने के बावजूद खुले जेहन के लोग हैं, और वो आम लोगों की तरह अपने घर की औरतों पर किसी किश्म की सख्ती नहीं करते। इसलिए रुबीना खुद ही अपनी कार चलाकर रोजाना अपने गाँव से शहर अपनी जाब पर आती जाती थी। जिस पर उसके पति और ससुराल वालों को किसी किस्म का कोई ऐतराज नहीं था।

रुबीना की ड्यूटी ज्यादातर सुबह के समये ही होती, और वो अक्सर शाम को अंधेरा होने से पहले-पहले अपने गाँव वापिस चली आती थी।

ये सिलसला कुछ दिन तो ठीक चलता रहा। मगर फिर कुछ टाइम बाद रुबीना के हास्पिटल के दो डाक्टर्स का एक ही साथ दूसरे शहरों में तबादला हो गया। जिसकी वजह से हास्पिटल में काम का बोझ बढ़ गया और अब रुबीना को काम से फ्री होते-होते रात को काफी देर होने लगी।

चूंकी रुबीना के गाँव का रास्ता रात के वक्त महफूज नहीं था, जिसकी वजह से रुबीना के पति मकसूद को स्बीना का रात के वक्त अकेले घर वापिस आना पसन्द नहीं था। इसलिए जब कभी भी रुबीना लेट होती तो वो अपने पति को फोन करके बना देती। तो फिर या तो रुबीना का पति खुद रुबीना को लेने हास्पिटल पहुँच जाता, या फिर गाँव से अपने ड्राइवर को रूबीना को लेने के लिए भेज दाता।

इसी दौरान रुबीना के छोटे भाई रमीज ने भी अपनी एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई खतम कर ली तो उसकी हाउस जाब भी बहावलपुर में रुबीना के ही हास्पिटल में शुरू हो गई। रुबीना ने अपने भाई रमीज को अपने घर में आकर रहने की दावत दी, मगर रमीज नहीं माना और उसने हास्पिटल के पास ही एक छोटा सा फ्लैट पैंट पेले लिया। उस फ्लैट में एक बेडरूम वित बाथरूम था, जिसके साथ एक छोटा सा किचेन और लिविंग रूम था, जो की रमीज की जरूरत के हिसाब से काफी था।

अब रमीज के अपनी बहन रुबीना के हास्पिटल में जाब करने की वजह से रुबीना को एक सहलियत ये हो गई, कि जब कभी एमर्जेन्सी की वजह से रुबीना को रात के वक्त देर हो जाती, या रुबीना का पति या ड्राइवर रात को किसी वजह से उसे लेने ना आ पाते तो रुबीना गाँव अकेले जाने की बजाए, रात को अपने छोटे भाई रमीज के पास उसके फ्लैट में ही रुक जाती।
Post Reply