Adultery बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी

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josef
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Re: Adultery बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी

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विक्की

"सन्नी, रीटा से बच के रहना। जब वो तुझसे चिपक रही थी तब अमित ने मुझे बताया कि उसके क्लासेस के एक लडके की वह गर्ल फ्रेंड हुआ करती थी। उसे इस्तमाल करके फेंक दिया और यहां वह किसी और को ढूंढ रही है।"

सन्नी ने दरवाजा खोलते हुए कहा, "हां, मैं उसे पहले ही दिन पहचान गया था। वह आदमखोर बाघिन है। पहले बुलाकर खेलेगी और फिर खा कर हड्डियां छोड़ जायेगी।"

अंदर देखा तो लक्ष्मी आंटी की किताबें खुली पड़ी थी और लक्ष्मी आंटी किचन में खाना बनाने में व्यस्त थी। लक्ष्मी आंटी ने न केवल हमारा खयाल रखा था पर हमें रीटा जैसी आदमखोर से भी बचाया था। मन में लगा कि शायद हम सब अब भी उसके सपनों को नजर अंदाज कर रहे हैं। मेरी नजरें देख सन्नी भी मेरा इशारा समझ गया।

लक्ष्मी आंटी ने किचन से बाहर झांक कर देखा और कहा,
"अरे बाबू आप दोनों आ गए! चलो खाना खा लो, अभी गरमा गरम परोस देती हूं।"

हम दोनों ने अपने हाथ मुंह धोकर मेज पर बैठे और लक्ष्मी आंटी को भी अपने साथ खाना खाने के लिए कहा। लक्ष्मी आंटी से बातें करते हुए हमारा मन हलका हो गया। लक्ष्मी आंटी ने सन्नी और मुझे रीटा से दूरी बनाने के लिए कहा। हम दोनों ने लक्ष्मी आंटी को कहा कि हम दोनों ने वादा किया था और हम दोनों अपना वादा पूरा करेंगे। खाना खाते हुए मैंने लक्ष्मी आंटी से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा तो उसने कहा कि जैसा वक्त मिले वह अपनी पढ़ाई कर रही है। मैंने और सन्नी ने लक्ष्मी आंटी को इस बारे में ज्यादा नहीं बोला। लक्ष्मी आंटी के कारण हमारा खाना 15 मिनट में हो गया। हम दोनों ने हाथ धोते हुए कुछ बातें तय की और हॉल में आ गए। लक्ष्मी आंटी शरमाते हुए हॉल में हमारे हमले के इंतजार में थी।

दिल पर पत्थर रख कर हम दोनों ने लक्ष्मी आंटी से कहा कि हमें कॉलेज के लिए तुरंत जाना होगा। लक्ष्मी आंटी ने सर झुकाकर हां कहा और हम दोनों अपनी बैग उठाकर चल पड़े। बिल्डिंग के नीचे से सन्नी ने मम्मियों ने दिए हुए कार्ड पर छपे नंबर पर फोन किया और उसे मिलने गए।

शाम को कॉलेज से आते हुए हम दोनों को थोड़ी देर लग गई तो लक्ष्मी आंटी बेचैन हो गई। हमारे आते लक्ष्मी आंटी ने देरी की वजह पूछी। जवाब में सन्नी ने लक्ष्मी आंटी को एक थैली दी। थैली में लक्ष्मी आंटी को दो हलके नीले रंग के टॉप और 2 भुरी पैंट मिली।

"बाबू एक ही रंग के दो जोड़ी क्यों लाए? वैसे भी आप के साथ मैंने काफी अच्छे कपडे लाए हैं। इसकी कोई जरूरत नहीं थी।", लक्ष्मी आंटी ने उन बेजान रंगो को देखते हुए कहा।

"इनकी जरूरत पड़ेगी और उसकी वजह अब भी थैली में है।"

लक्ष्मी आंटी ने थैली को ठीक से देखा तो अंदर से प्लास्टिक का एक कार्ड निकला। लक्ष्मी आंटी कार्ड पर छपे अक्षर पढ़ते हुए जमीन पर बैठ गई। जब लक्ष्मी आंटी ने सर उठाकर हमारी ओर देखा तो उसकी आंखों में आंसू भर आए थे। लक्ष्मी आंटी ने उस कार्ड को अपने सीने से लगा कर हमें खुशी के आसुओं से देखा।

सन्नी बोल पड़ा, "नहीं, हमें कुछ मत कहना। प्रतीक ने तुम्हारे कागजात मम्मियों के पास दिए थे और यहां से जाते हुए सारे इंतजाम मम्मियां कर के गई थी। हम ने बस फॉर्म भरने और कपड़े लाने का काम किया है।"

लक्ष्मी आंटी के गले से अचरज की आवाज निकली, "मैं कॉलेज जाऊंगी। मैं भी पढ़ाई करूंगी। अब ऐसे खड़े मत रहो!!"

लक्ष्मी आंटी ने दौड़ते हुए हमें गले लगाया और हम दोनों को चूमने लगी।

मैंने लक्ष्मी आंटी को दूर करते हुए कहा, "लक्ष्मी आंटी, जल्दी से मुंह धो लो। प्रतीक थोड़ी ही देर में कंप्यूटर पर कॉल करेगा। उसे नहीं बताओगी?"

लक्ष्मी आंटी ने जल्दी से अपना चेहरा धोया, हमें चाय बिस्किट देते हुए पढ़ाई करने को कहा और थैली ले कर बेडरूम में भागी। लक्ष्मी आंटी ने कॉलेज के नीले टॉप और भुरी पैंट के uniform में प्रतीक से काफी देर तक बातें की और फिर बड़ी खुशी से रात का खाना बनाने में जुट गई।

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josef
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विक्की

शाम को लक्ष्मी आंटी बहुत खुश थी और उसने हमें खाना परोसा तो हम दोनों ने लक्ष्मी आंटी से बात करने के लिए उसे हमारे साथ बिठाया।

सन्नी, "लक्ष्मी आंटी, हम सब ने, मतलब हम दोनों, मम्मियां और प्रतीक ने तुम्हारे कॉलेज के दाखिले का काम किया है पर आगे सब तुम्हें करना होगा। 6 महीने में 12 वी कक्षा की परीक्षा होगी। उसकी पढ़ाई के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। क्या तुम तैयार हो?"

लक्ष्मी आंटी ने निश्चय से कहा, "हां बाबू। मैं अच्छे नंबर ला कर सब को दिखाऊंगी की मैं आप सब के विश्वास के काबिल हूं।"

"लक्ष्मी आंटी, ये आसान नहीं होगा। तुम्हारा कॉलेज हमारे साथ शुरू होता है और हम दोपहर को खाना खाने आएंगे तब तक चलेगा। साथ ही पूरे साल की पढ़ाई 6 महीने में करनी पड़ेगी। घर के काम करके इतना सब कुछ नहीं हो पाएगा।"

अपना सपना हाथों से फिसलता देख लक्ष्मी आंटी उदास हो गई। उसने कहा,
"बाबू आप चिंता मत करो। मैं सब संभाल लूंगी। मुझे जल्दी उठने की आदत है। मैं सब तयारी करके जाऊंगी। दोपहर के खाने के लिए कोई तकलीफ़ नहीं होगी और शाम का खाना पकाते हुए अपनी पढ़ाई कर लूंगी। मैं कर सकती हूं बाबू। मुझे एक मौका दो।"

लक्ष्मी आंटी ने गिड़गिड़ाते हुए कहा तो मैंने उसे अपनी बाहों में लिया और उसके बाल चूमते हुए कहा,
"अरे बुद्दु, हमारा मतलब ये नहीं है। हम दोनों ने तय किया है कि अब से घर में तुम्हारा काम कम किया जाएगा। सुबह और शाम खाना बनाने की जगह सिर्फ एक बार खाना पकाने का काम किया जाएगा, कपड़े दो दिन में एक बार धोए जाएंगे और बरतन मांजे और बाकी कामों में हम दोनों तुम्हारा हाथ बटाएंगे। कॉलेज की टीचर इसी building में रहती हैं और उनके पास रोज दोपहर को जाकर 2 घंटे पढ़ाई करने से सीखना आसान होगा। प्रतीक ने तुम्हारी पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी ली है। हम दोनों बस मदद कर रहे हैं।"

लक्ष्मी आंटी ने अपनी समझदारी दिखाते हुए हमारी मदद कुबूल की और हमें अपने गले लगाकर शुक्रिया कहा। हम सब बिना कुछ कहे बेडरूम में गए और एक दूसरे को नंगा करते हुए हमने अपने प्यार का इजहार किया। हम दोनों के प्यार से खुश होकर लक्ष्मी आंटी हम दोनों के बीच में खुशी खुशी सो गई।

सुबह 5 बजे लक्ष्मी आंटी ने उठकर पूरे दिन की तैयारी शुरू कर दी। सुबह 6 बजे तक लक्ष्मी आंटी ने रोटी, सब्जी और नाश्ता बना दिया था और वह अपनी कॉलेज के पहले दिन की तैयारी में जुट गई। हम दोनों फ्रेश होकर हॉल में आए तो लक्ष्मी आंटी ने हमें नाश्ता परोसा। हमारे कहने पर लक्ष्मी आंटी ने भी नाश्ता किया। मैंने लक्ष्मी आंटी से कहा कि उसने हमें अभी तक अपना कॉलेज uniform पहनकर नहीं दिखाया तो लक्ष्मी आंटी किसी चुलबुली लड़की की तरह नया यूनिफॉर्म पहनने के लिए भागी।

लक्ष्मी आंटी हलका नीला टॉप और भुरी पैंट पहन कर बाहर आई तो मेरा गला सूख गया। यह यूनिफॉर्म 16-17 साल की नवयुवतियों के लिए बना था, पकी हुई कहर ढाती औरतों के लिए नहीं। लक्ष्मी आंटी को इन कपड़ों में अपने रूप के असर का कोई अंदाज नहीं था। एक हाथ में किताबों की बैग और दूसरा कमर पर रख कर लक्ष्मी आंटी ने पूछा,
"कैसी लग रही हूं? बिल्कुल किसी कॉलेज गर्ल जैसी?"

सन्नी ने बड़ी मुश्किल से पूछा, "कॉलेज गर्ल ऐसे दिखती है ये पता कैसे चला?"

लक्ष्मी आंटी ने भोले मन से कहा, "हमारे गांव में एक आदमी जीप में थिएटर लाता था। वह फिल्म देखने गांव के सारे मर्द जाते थे। उसके पोस्टर पर ऐसी ही लड़की थी जिसे कॉलेज गर्ल कहते थे।"

"लक्ष्मी आंटी, मुझे लगता है कि कॉलेज के कुछ नियम हमें समझाने पड़ेंगे।यहां आओ और हमारे सामने खड़ी हो जाओ।"

लक्ष्मी आंटी ने अपनी बैग मेज पर रखी और हमारे सामने खड़ी हो गई।

सन्नी ने कहा, "लक्ष्मी आंटी, फिल्मों में जो होता है वह असलियत में नहीं होता ना? फिल्म के पोस्टर कि तरह तुमने कपड़े पहने हैं पर फिल्म में क्या है यह पता है?"

लक्ष्मी आंटी ने सर हिलाकर ना कहा, "हमारे गांव में औरतें फिल्म नहीं देखती थी। फिल्म में क्या है?"

"शुरुवात कुछ ऐसी है कि लड़की बिल्कुल ऐसे ही कॉलेज जाती है। टॉप के ऊपर से 2 बटन खुले और बाकी टॉप को पैंट में इन कर के। कॉलेज के गेट पर ही लडके उसपर मरने लगते हैं तो लड़कियां जलने लगती हैं। क्लास में मास्टर ने लड़की को एक नजर देख कर ही head master को मिलने भेज देता है। फिर हेड मास्टर (लक्ष्मी आंटी के सोफे पर बैठा कर खुद खड़े होते हुए) लड़की को सोफे पर बैठा कर समझता है कि लड़कियां यूनिफॉर्म ऐसे पहनेंगी तो कॉलेज के नियम का उललघंन होगा।"

सन्नी ने कहा, "क्लास मास्टर भी आ गया और उसने कहा कि यूनिफॉर्म को ठीक से कैसे पहनना चाहिए यह अब हमें बताना होगा। क्लास मास्टर ने…”

सन्नी ने पीछे से लक्ष्मी आंटी का मुंह दबाया और हाथ पकड़े। मैंने लक्ष्मी आंटी की टॉप के सारे बटन खोल कर उसकी ब्रा में कैद चूचियों को दबाने लगा। लक्ष्मी आंटी ने पैर पठखते हुए अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की पर दो मर्दों की हवस उस पर भारी पड़ी। मैंने लक्ष्मी आंटी कि पैंट की बटन खोल कर उसकी पैंटी के साथ ही सब कुछ खींच कर उतारा। सन्नी ने मेरी तरफ देखा तो मैंने सर हिलाकर हां कहा। सन्नी लक्ष्मी आंटी के नंगे बदन पर लेट गया और मैंने उसकी भी पैंट और अंडरवियर उतार दी।

लक्ष्मी आंटी ने सर हिलाकर अपने हाथों को छुड़ाने की कोशिश की पर सन्नी ने तब तक निशाना साधते हुए अपने लौड़े को कॉलेज गर्ल लक्ष्मी की चूत में पेल दिया। लक्ष्मी की चीख को सन्नी के हथेली ने रोक दिया। लक्ष्मी के पैर सन्नी के दोनों ओर बेबस झटक कर उसे दूर करने की विफल कोशिश कर रहे थे।

मैंने उपर होते हुए लक्ष्मी के हाथ पकड़ लिए तो सन्नी ने लक्ष्मी को चूमते हुए अपने हाथ को नीचे किया। सन्नी ने लक्ष्मी की चीखों को निगलते हुए उसकी ब्रा खोली और लक्ष्मी के मंम्मों को कस कर पकड़ते हुए उसकी चूत में अपना लौड़ा पेलने लगा। लक्ष्मी ने अपने हाथ छुड़ाने की कई कोशिशें की पर मैंने लक्ष्मी को नहीं छोड़ा।

"बस, बस लक्ष्मी। अब तुम सीख गई ना ऐसे यूनिफॉर्म पहनने से क्या होता है? हम दोनों तो तुम्हारी भलाई के लिए ये सब कर रहे हैं।", कहते हुए मैंने लक्ष्मी आंटी के मुंह पर हाथ रख दिया। सन्नी ने लक्ष्मी के कंधे दबाते हुए उठकर उसे चोदने लगा। लक्ष्मी की छटपटाहट अब भी जारी थी जब सन्नी के लौड़े ने तेज धक्के देने शुरू किए। आगे क्या होगा यह पहचानकर लक्ष्मी ने पूरे जोर से बचने की कोशिश की और सन्नी ने लक्ष्मी की कोख में अपना रस उड़ेल दिया।

सन्नी लक्ष्मी पर से उठ गया तो लक्ष्मी का बदन कांप रहा था। लक्ष्मी ने अपने पैरों को साथ लाते हुए अपनी चूचियों को हाथों से ढक दिया। मैंने लक्ष्मी के सर पर चूमते हुए उसके कान में कहा,
"टॉप के बटन बंद रखने से पैंट के बटन की हिफाजत होती है।"

लक्ष्मी ने सर झकाकर हां कहा और अपने कपड़े ढूंढने लगी। लक्ष्मी नीचे पड़ी पैंट को उठाने के लिए झुकी और उसकी गदराई मस्त गांड़ पर मेरी नजर जड़ गई। मैंने झट से अपने लौड़े को अपने हाथों में लिया और लक्ष्मी आंटी की चिकनी चूत में पेल दिया।

"आह… नहीं… रुक जाओ… बस करो…", लक्ष्मी हर ठाप के साथ कह रही थी पर उसे पता चलने से पहले मेरा चिकनाहट में लिपटा लौड़ा उसकी चूत में से बाहर निकल कर अपने सही निशाने पर जा लगा।

"मां!!! आह… अन्ह… हा… नहीं… रुको ना… आह… आः…", लक्ष्मी की आहो ने पूरा कमरा भर दिया। सन्नी ने लक्ष्मी के साथ बैठते हुए उसके होंठों को चूम कर उसकी आहें दबा दी और एक हाथ उसकी चूत पर रख कर उसे छेड़ने लगा। लक्ष्मी जल्द ही गरम हो कर झडने लगी। मैंने लक्ष्मी की गांड़ मारते हुए उसे कंधे पकड़ कर सीधा कर दिया और सन्नी को लक्ष्मी की चूत में उंगलियां दौड़ाने की सलाह दी। सन्नी ने अपनी उंगलियों को मोड़ कर अंदर डाल दिया और हिलाने लगा। लक्ष्मी की योनी में छुपा G-spot हरकत में आते ही लक्ष्मी तड़पने लगी। लक्ष्मी के रसों की बौछार में सन्नी का हाथ भीग गया और लक्ष्मी के नाखून सन्नी के कंधों में धस गए। लक्ष्मी इस तरह झडने लगी कि मेरा लौड़ा निचोड़ लिया गया। मेरे गरम वीर्य से लक्ष्मी की आतें रंग दी गई और मैं लक्ष्मी को अपने लौड़े पर बिठाकर हांफने लगा।

हालांकि सन्नी रुक गया था पर लक्ष्मी का झडना अब भी रुक रुक कर चल रहा था। आखिर में लक्ष्मी रुक गई और उसने अपने आप को मेरे लौड़े से उठाया।

सन्नी ने पूछा, "लक्ष्मी आंटी, जब मैंने अपना लौड़ा अन्दर डाला तो दर्द हुआ था?"

लक्ष्मी आंटी ने सन्नी के होंठों को चूमते हुए कहा, "नहीं तो।"

"फिर इतना चीखी क्यों?"

लक्ष्मी आंटी ने आंख मारी और कहा, "एक कुंवारी कॉलेज गर्ल को दो मर्द लूटेंगे तो वो चीखेगी ना?"

सन्नी ने हंसकर कहा, "बिल्कुल सही।"

लक्ष्मी आंटी ने अपने कपड़े उठाए और टॉयलेट की ओर निकली। मैंने लक्ष्मी आंटी को पकड़ लिया और कहा कि वह ऐसे ही कपड़े पहन कर कॉलेज जाए।

लक्ष्मी आंटी ने विरोध में कहा, "पर मेरी पैंटी में आप दोनों का रस उतर आयेगा और पूरा दिन मुझे ऐसे ही रहना होगा।"

जब लक्ष्मी आंटी ने समझ की मैं भी यही चाहता था तो उसने,
"धत् बाबू!" कहकर मेरी बात मान ली और अपने कपड़े ठीक से पहन कर तैयार हो गई।

हम सब सुबह 8 बजे से थोड़ी देर पहले घर से निकले तो सन्नी ने लक्ष्मी आंटी से पूछा,
"लक्ष्मी आंटी, आज सुबह के सरप्राईज की तरकीब कब सोची?"

लक्ष्मी आंटी ने शरमाते हुए कहा, "ये तरकीब प्रतीक जी ने कल शाम को मेरा यूनिफॉर्म देख कर बताई थी।"

हम सब हंस पड़े और मैंने देखा की लक्ष्मी आंटी की खूबसूरती यूनिफॉर्म में छुप नहीं रही थी पर अब लक्ष्मी आंटी सच में कॉलेज गर्ल लग रहा थी न कि कोई पॉर्नस्टार।

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josef
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सन्नी

शाम को हम दोनों घर लौटे तो लक्ष्मी आंटी को चिंता में बैठा पाया। खोद कर पूछा तो पता चला कि टीचर को उसके हमारे साथ रहने से शक है। हमने लक्ष्मी आंटी को विश्वास दिलाया कि जब तक हम खुद किसी को कुछ बताते नहीं तब तक शक करने से ज्यादा लोग कुछ नहीं कर सकते। वैसे भी मुंबई एक खुले विचारों का शहर है और हमें कोई परेशान नहीं करेगा।

लक्ष्मी आंटी ने हमारे बात पर सोचा और मान गई। रोज की तरह हम दोनों ने फ्रेश होकर नाश्ता किया। लक्ष्मी आंटी भी हमारे साथ पढ़ने लगी और 2 घंटे मन लगाकर पढ़ने के बाद हम सब ने खाना खाया, बरतन मांजे और सोने चले गए।

हमारी एक तय दिनचर्या बनने लगी थी और आम शादीशुदा लोगों की तरह हम भी रहने लगे। अगर आम में दो पति अपनी एक पत्नी को रोज जोड़ी में तीन बार चोदते हो। हमारे दिन बीतते गए और जल्द ही लक्ष्मी आंटी की 12वी की परीक्षा आ गई। लक्ष्मी आंटी काफी चिड़चिड़ी हो गई पर हम दोनों ने उसे संभाला।

दोनों पापा और मम्मी अक्सर मिलने आते और लक्ष्मी आंटी को कोई गलत बरताव या बोल नहीं लगाते। लक्ष्मी आंटी ने 12वी कक्षा की परीक्षा के बाद रुकना ठीक नहीं समझा और सीधे आगे की पढ़ाई में जुट गई। हम दोनों भी engineering exams में गले तक डूबे हुए थे। अक्सर तो हम सब सेक्स को दवाई या नशे की तरह अपने मन को हलका करने के लिए इसतेमाल करने लगे।

Engineering exams पूरे होने के दिन हमें पवन अंकल का कॉल आया। उन्होंने सलाह दी कि गाड़ी एक ही रास्ते पर ज्यादा देर दौड़े तो टूट सकती है इस लिए कभी कभी रास्ता बदलना जरूरी हो जाता है। मैं समझ गया और विक्की से बात कर शाम को लक्ष्मी आंटी को तयार रहने को कहा।

"हम घूमने जा रहे हैं!!"

लक्ष्मी आंटी का चेहरा खिल उठा और वह खुशी खुशी गुनगुनाते हुए घर में गई। हम दोनों भी कॉलेज में अपना इम्तिहान पूरा करने गए तो हमें अभी से खुश लग रहा था।

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