किशोर--मैने आप सभी को इस लिए यहाँ बुलाया है कि आप मेरी इस काम में मदद करे...हम दोनो का जीवन अब आप लोगो के हाथ में है...
आहूजा--किशोर भाई कैसी बाते करते हो...भला हम आपके रास्ते में रोड़े क्यो अटकाएंगे...
कंबले--हमे तो खुशी होगी जब आप अपना बिज़्नेस अच्छे से एस्टॅब्लिश कर लेंगे...
किशोर--में भी यही चाहता हूँ...आप लोग मेरा साथ दे और मार्केट में मेरा माल जाने दे.
प्रधान--किशोर भाई साहब आप हमे दो दिन का टाइम दीजिए ताकि हम कुछ सोच विचार करके...प्यार मोहब्बत से इस मामले को निपटा सके...आख़िर हम भी चाहेंगे कि मार्केट में अच्छी क्वालिटी का माल आए...
संध्या--भाई साहब आप सभी लोगो का शुक्रिया....हम लोगो को बर्बाद होने से बस आप ही लोग बचा सकते है....
और उसके बाद हम सभी उठ जाते है ....
किशोर को कुछ बात करने के बहाने से आहूजा अपने साथ ले जाता है और कंबले प्रधान और संध्या एक दूसरी टेबल पर जाकर बैठ जाते है...
प्रधान--भाभी जी सिर्फ़ आपकी वजह से हम उसे ये काम करने दे सकते है...
संध्या--मेरी वजह से कैसे भाई साहब??
कंबले--अगर आप हम लोगो को खुश कर दें तो ये मान लीजिए आपके पति को दुनिया की कोई ताक़त मुंम्बई पर राज करने से नही रोक सकती....और हमारा क्या है भगवान की दया से हमारा बिज़्नेस लगभग सभी देसो में है...हम आपके लिए मुंम्बई जैसा छोटा सा नुकसान सह ही सकते है...
संध्या--ये आप लोग कैसी बाते कर रहे है...में वेसी औरत नही हूँ जो अपने आप को बेच दूं काम के बदले में...
प्रधान--भाभी जी ये मेरा कार्ड आप रख लीजिए जब कभी भी आपको लगे ...आप मुझे फोन कर देना...
संध्या वो कार्ड अपने पर्स में डाल कर बोलती है...
संध्या--ऐसा दिन कभी नही आएगा प्रधान साहब...लेकिन फिर भी में आपका कार्ड रख लेती हूँ...और फोन में उस दिन आपको करूँगी जब मेरे पति मुंबई पर राज कर रहे होंगे.
कांबले--हमारी बेस्ट विशस आप लोगो के साथ है भाभी जी....
उसके बाद संध्या वहाँ से उठ कर चली जाती है...
जब वो लोग घर पहुँच जाते है तो संध्या उसे वहाँ हुई सारी बाते बता देती है...किशोर ये बाते सुनकर माथा पीट लेता है अपना....
संध्या--हम लोग किसी दूसरे शहर में चलकर ये बिज़्नेस फिर से शुरू कर सकते है...
किशोर--ये उतना आसान नही है संध्या...किसी दूसरी जगह पर जाने का मतलब है फिर से शुरूवात करनी पड़ेगी...और क्या पता वहाँ भी प्रधान जैसे लोग अपना कब्जा जमाए बैठे हो...
करते करते वो दोनो सो गये थे...अगले दिन सवेरे सवेरे घर का लॅंडलाइन बजने लगता है...ये कॉल किशोर के असिस्टेंट का था... जिन्हे किशोर काका कह के बुलाता था...
काका--सर ग़ज़ब हो गया...हम लोगो ने जिन भी छोटे छोटे व्यापारियो को अपना माल दिया था उन सभी ने एक एक करके वो माल वापस भिजवा दिया है...
किशोर--काका ये सब कैसे हो गया...हमारा माल नही बिकेगा तो हम सड़क पर आजाएँगे.
काका--सर पता नही क्या होगा ये माल अब हम उस पार्टी को भी नही दे सकते जिस से हमने ये माल लिया था बड़े व्यापारी तो पहले ही हम से माल नहीं ले रहे थे और अब ये छोटे व्यापारियो ने भी माल वापस भिजवा दिया है.
ये सुनकर किशोर फोन रख कर सारी बाते संध्या को बता देता है..
संध्या--अब क्या होगा...ये लोग तो हमे बर्बाद करके ही दम लेंगे...
किशोर--में देखता हूँ...कुछ करने की कोशिश करता हूँ...
और उसके बाद किशोर नहा धो कर बाहर निकल जाता है...
संध्या भी सोच सोच कर एक फ़ैसला ले ही लेती है...वो अपने पर्स में से प्रधान का कार्ड निकालती है और उसे फोन कर देती है...
प्रधान--हेलो कौन??
संध्या--प्रधान साहब आप जीत गये...बोलिए मुझे कहाँ आना है...
और प्रधान उसे एक फार्म हाउस पर बुला लेता है...
फार्म हाउस पर प्रधान कांबले और आहूजा के अलावा उनका एक पार्ट्नर और होता है जिसका नाम दामोदर होता है...वो चारो मिलकर संध्या को हर जगह से नोचते खसोटते है...एक तरह से उसका रेप ही कर देते है...
जब वो संध्या को जाने के लिए बोलते है तो कल दुबारा आने के लिए बोल देते है...
Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
- mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
संध्या अपने घर पहुँच कर अपने सारे कपड़े उतार कर शवर के नीचे खड़ी हो जाती है...और ज़ोर ज़ोर से रोते हुए अपने बदन से उन भेड़ियो के निशान मिटाने लग जाती है...
जब शाम को किशोर घर आता है तो वो काफ़ी खुश होता है...उन सभी छोटे व्यापारियो ने माल वापस मंगवा लिया होता है...और किशोर इसे चमत्कार मान कर मिठाई का डिब्बा अपने साथ लेकर आता है...
लेकिन जब वो घर के अंदर घुसता है तो संध्या बिल्कुल नंगी बेड पर रोती हुई मिलती है...
संध्या--सब ख़तम हो गया मेरा...कुछ नही बचा उन लोगो ने कल फिर मुझे बुलाया है.....
किशोर को समझते देर नही लगी संध्या की हालत देख कर....
किशोर--संध्या मुझे माफ़ कर देना....लेकिन तुम्हे उन लोगो को कल यहाँ बुलाना होगा .....ये आख़िरी बार है इसके बाद तुम्हे कभी भी मेरी वजह से किसी के आगे झुकना नही पड़ेगा...
संध्या--में अब मरना चाहती हूँ में अब तुमहरे लायक नही रही....
किशोर--तुम नही मरोगी संध्या मरेंगे वो लोग जिन्होने हमारे जीवन में आग लगा दी है...बस कल कल का दिन और निकाल लो...
किशोर ने पूरे घर में सीसीटीवी कॅमरास लगवा दिए थे....रात भर में ही...
किशोर--संध्या मुझे तेरी कसम है में उन सब को सड़क पर ले आउन्गा....वो तेरे सामने खुद को बख्सने की भीख माँगे गे लेकिन उन्हे वो भी नसीब नही होगी....
संध्या--मुझे कुछ नही चाहिए ....बस किसी तरह से हम लोग उनके चंगुल से निकल जाए इसके अलावा मुझे कुछ और नही चाहिए...
उसके बाद संध्या और किशोर कल के लिए प्लान करने लग जाते है...
अगले दिन संध्या प्रधान को फोन करके घर पर ही सब को बुलवा लेती है...और अपने साथ बलात्कार का वीडियो रकौर्ड़ कर लेती है...
संध्या और किशोर उस वीडियो में से संध्या का चेहरा धुँधला करके उस वीडियो को पूरे मीडीया में डाल देते है....इस से होता ये है कि दामोदर , प्रधान कांबले और आहूजा चारो पूरी तरह से बेनक़ाब हो जाते है...बाज़ार में उनकी साख पूरी तरह से मिट जाती है...इस मोके का फ़ायदा उठाते हुए किशोर पूरे मार्केट पर अपना क़ब्ज़ा जमा लेता है....
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जब शाम को किशोर घर आता है तो वो काफ़ी खुश होता है...उन सभी छोटे व्यापारियो ने माल वापस मंगवा लिया होता है...और किशोर इसे चमत्कार मान कर मिठाई का डिब्बा अपने साथ लेकर आता है...
लेकिन जब वो घर के अंदर घुसता है तो संध्या बिल्कुल नंगी बेड पर रोती हुई मिलती है...
संध्या--सब ख़तम हो गया मेरा...कुछ नही बचा उन लोगो ने कल फिर मुझे बुलाया है.....
किशोर को समझते देर नही लगी संध्या की हालत देख कर....
किशोर--संध्या मुझे माफ़ कर देना....लेकिन तुम्हे उन लोगो को कल यहाँ बुलाना होगा .....ये आख़िरी बार है इसके बाद तुम्हे कभी भी मेरी वजह से किसी के आगे झुकना नही पड़ेगा...
संध्या--में अब मरना चाहती हूँ में अब तुमहरे लायक नही रही....
किशोर--तुम नही मरोगी संध्या मरेंगे वो लोग जिन्होने हमारे जीवन में आग लगा दी है...बस कल कल का दिन और निकाल लो...
किशोर ने पूरे घर में सीसीटीवी कॅमरास लगवा दिए थे....रात भर में ही...
किशोर--संध्या मुझे तेरी कसम है में उन सब को सड़क पर ले आउन्गा....वो तेरे सामने खुद को बख्सने की भीख माँगे गे लेकिन उन्हे वो भी नसीब नही होगी....
संध्या--मुझे कुछ नही चाहिए ....बस किसी तरह से हम लोग उनके चंगुल से निकल जाए इसके अलावा मुझे कुछ और नही चाहिए...
उसके बाद संध्या और किशोर कल के लिए प्लान करने लग जाते है...
अगले दिन संध्या प्रधान को फोन करके घर पर ही सब को बुलवा लेती है...और अपने साथ बलात्कार का वीडियो रकौर्ड़ कर लेती है...
संध्या और किशोर उस वीडियो में से संध्या का चेहरा धुँधला करके उस वीडियो को पूरे मीडीया में डाल देते है....इस से होता ये है कि दामोदर , प्रधान कांबले और आहूजा चारो पूरी तरह से बेनक़ाब हो जाते है...बाज़ार में उनकी साख पूरी तरह से मिट जाती है...इस मोके का फ़ायदा उठाते हुए किशोर पूरे मार्केट पर अपना क़ब्ज़ा जमा लेता है....
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
वर्तमान में
.......................................................
मम्मी--उसके बाद मैने अपनी ज़िंदगी ग़रीब बच्चो की देखबाल में लगा दी....में अपना सब कुछ खो चुकी थी...इस गम में मैने शराब भी पीनी शुरू कर दी....जब मुझ से बलात्कार हुआ मेरी उमर ज़्यादा नही थी लेकिन मेरे जिस्म में सेक्स की चींतिया रह रह कर काटने लगी....शराब के नशे में...मुझ से वो ग़लती हो गयी जो नही होनी चाहिए थी...मैने अपना संबंध राज से बना लिया...और जब तक में खुद को संभाल पाती तू मेरी कोख में तू आ चुका था....राज को बस इतना पता था कि कुछ ग़लत हुआ है लेकिन उसे ये पता नही था तू उसका ही बेटा है ये बात सिर्फ़ तेरे पापा और रूही जानते थे....रूही को इस लिए पता पड़ गया क्योकि में अधिकतर उसी के साथ डॉक्टर के पास जाया करती थी....मुझे गर्व है रूही पर उसने मेरा साथ कभी नही छोड़ा...वो हमेशा मेरे सुख और दुख में एक परच्छाई की तरह मुझ से चिपकी रही....
मेरे होश उड़ चुके थे....मुझे समझ नही आ रहा था के में क्या करूँ....ऐसा लग रहा था किसी ने मेरे शरीर से सारा खून निचोड़ लिया हो....
मम्मी--हो सके तो मुझे माफ़ करदेना जो कुछ भी हुआ...वो या तो वक़्त की मजबूरी थी या शराब के नशे में बहकते हुआ मेरा जिस्म.....मुझे माफ़ कर देना मेरे बच्चो में तुम लोगो की माँ कहलाने लायक नही हूँ...
नीरा--मम्मी मुझे माफ़ कर दो .....आपकी इन्ही कुर्बानियों की वजह से हम सभी एक अच्छा जीवन जी रहे है मम्मी मुझे माफ़ कर दो....में अब कभी आपसे कोई सवाल नही करूँगी....
में अपनी कुर्सी से बिना कुछ बोले उठ जाता हूँ...और घर से बाहर निकल कर अपनी कार में बैठकर अंजाने रास्ते की तरफ़ बढ़ने लगता हूँ......
मेरी आँखो से आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे....और में अपनी कार तेज़ी से भगाए जा रहा था....में नही जानता था मुझे कहाँ जाना था....बस एक जुनून सा हावी हो गया था मुझ पर...में मरना चाहता था....घिंन आ रही थी अपने आप से...मानो सारे जहाँ की गंदगी मुझ पर ही आ गिरी हो....में अब वापस नही लौटना चाहता था.....
में अभी जिस रोड पर गाड़ी भगा रहा था वो एक पहाड़ी एरिया था जिसे महादेव के घाटा के नाम से जाना जाता है....पता नही कौनसी अद्भुत शक्ति ने....मुझे उन ख़तरनाक घाटियो में भी संभाले रख रखा था....घाटी क्रॉस करने के बाद मुझे एक मंदिर दिखा जो कि महादेव का काफ़ी प्राचीन मंदिर है....मैने अपनी गाड़ी साइड में लगाई और मंदिर की तरफ़ अपने कदम बढ़ा दिए....
मंदिर के बाहर ही कुछ साधु आग जला कर बैठे थे और दम भर रहे थे...
मुझे मंदिर की तरफ जाते देख एक साधु बोला...
साधु--बेटा अभी महादेव के दर्शन नही कर सकते तुम इस समय मंदिर के पट बंद है...
मेरी आँखो में भरे हुए आँसू उन से छिप ना सके...
साधु--लगता है जीवन की जंग में हार कर आरहा है तू....तेरी आँखे तेरी कायरता का सबूत दे रही है...तेरा तो स्वयं महादेव भी उद्धार नही कर पाएँगे...
में--बाबा में कायर नही हूँ...लेकिन कभी कभी ज़िंदगी कायर बनने पर मजबूर कर देती है...
साधु--ज़िंदगी तुम्हे लड़ना सिखाती है...या तो जीवन के संघर्षो से डरो मत....या फिर महादेव की भक्ति में लीन हो जा...लेकिन बिना संघर्ष के तो भक्ति भी नही होती बेटा...
में--बाबा मुझे कुछ समझ में नही आ रहा में क्या करूँ...
वो साधु अपनी जगह से उठता है....और मुझे एक छोटे से चबूतरे के पास ले जाता है.
साधु--ले सब से पहले इस चिलम का एक दम लगा उसके बाद अपने दिल की बात खोल कर मुझे बता...
में--बाबा में ये सब नही पीता...
साधु--में तुम्हे हमेशा पीने की सलाह नही दे रहा बस आज मेरे कहने पर एक दम लगा....और उसके बाद तेरे सारे बंद दरवाजे खुल जाएँगे....
में बाबा से वो चिलम ले कर उसे खिचने की कोशिश करता हूँ...लेकिन कुछ भी नही होता....ये देख कर साधु बोलता है...
साधु--बेटा एक माँ भी अपने बच्चे को दूध तब पिलाती है जब वो भूख के कारण संघर्ष करते हुए रोने लग जाता है....इसलिए इस चिलम का दम अगर तुझे लगाना है तो कर संघर्ष.....में देखना चाहता हूँ...तू वास्तव में वीर है या जैसा मैने सोचा कि तू कायर है....
में उनकी ये बात सुनकर काफ़ी ज़ोर लगा कर उसे खिचने की कोशिश करता हूँ लेकिन इस बार मुझे खाँसी आजाती है...
साधु--एक चिलम तुझ से नही खीची जा रही तो तू कैसे इस दुनिया से लड़ेगा. कायर...
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मम्मी--उसके बाद मैने अपनी ज़िंदगी ग़रीब बच्चो की देखबाल में लगा दी....में अपना सब कुछ खो चुकी थी...इस गम में मैने शराब भी पीनी शुरू कर दी....जब मुझ से बलात्कार हुआ मेरी उमर ज़्यादा नही थी लेकिन मेरे जिस्म में सेक्स की चींतिया रह रह कर काटने लगी....शराब के नशे में...मुझ से वो ग़लती हो गयी जो नही होनी चाहिए थी...मैने अपना संबंध राज से बना लिया...और जब तक में खुद को संभाल पाती तू मेरी कोख में तू आ चुका था....राज को बस इतना पता था कि कुछ ग़लत हुआ है लेकिन उसे ये पता नही था तू उसका ही बेटा है ये बात सिर्फ़ तेरे पापा और रूही जानते थे....रूही को इस लिए पता पड़ गया क्योकि में अधिकतर उसी के साथ डॉक्टर के पास जाया करती थी....मुझे गर्व है रूही पर उसने मेरा साथ कभी नही छोड़ा...वो हमेशा मेरे सुख और दुख में एक परच्छाई की तरह मुझ से चिपकी रही....
मेरे होश उड़ चुके थे....मुझे समझ नही आ रहा था के में क्या करूँ....ऐसा लग रहा था किसी ने मेरे शरीर से सारा खून निचोड़ लिया हो....
मम्मी--हो सके तो मुझे माफ़ करदेना जो कुछ भी हुआ...वो या तो वक़्त की मजबूरी थी या शराब के नशे में बहकते हुआ मेरा जिस्म.....मुझे माफ़ कर देना मेरे बच्चो में तुम लोगो की माँ कहलाने लायक नही हूँ...
नीरा--मम्मी मुझे माफ़ कर दो .....आपकी इन्ही कुर्बानियों की वजह से हम सभी एक अच्छा जीवन जी रहे है मम्मी मुझे माफ़ कर दो....में अब कभी आपसे कोई सवाल नही करूँगी....
में अपनी कुर्सी से बिना कुछ बोले उठ जाता हूँ...और घर से बाहर निकल कर अपनी कार में बैठकर अंजाने रास्ते की तरफ़ बढ़ने लगता हूँ......
मेरी आँखो से आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे....और में अपनी कार तेज़ी से भगाए जा रहा था....में नही जानता था मुझे कहाँ जाना था....बस एक जुनून सा हावी हो गया था मुझ पर...में मरना चाहता था....घिंन आ रही थी अपने आप से...मानो सारे जहाँ की गंदगी मुझ पर ही आ गिरी हो....में अब वापस नही लौटना चाहता था.....
में अभी जिस रोड पर गाड़ी भगा रहा था वो एक पहाड़ी एरिया था जिसे महादेव के घाटा के नाम से जाना जाता है....पता नही कौनसी अद्भुत शक्ति ने....मुझे उन ख़तरनाक घाटियो में भी संभाले रख रखा था....घाटी क्रॉस करने के बाद मुझे एक मंदिर दिखा जो कि महादेव का काफ़ी प्राचीन मंदिर है....मैने अपनी गाड़ी साइड में लगाई और मंदिर की तरफ़ अपने कदम बढ़ा दिए....
मंदिर के बाहर ही कुछ साधु आग जला कर बैठे थे और दम भर रहे थे...
मुझे मंदिर की तरफ जाते देख एक साधु बोला...
साधु--बेटा अभी महादेव के दर्शन नही कर सकते तुम इस समय मंदिर के पट बंद है...
मेरी आँखो में भरे हुए आँसू उन से छिप ना सके...
साधु--लगता है जीवन की जंग में हार कर आरहा है तू....तेरी आँखे तेरी कायरता का सबूत दे रही है...तेरा तो स्वयं महादेव भी उद्धार नही कर पाएँगे...
में--बाबा में कायर नही हूँ...लेकिन कभी कभी ज़िंदगी कायर बनने पर मजबूर कर देती है...
साधु--ज़िंदगी तुम्हे लड़ना सिखाती है...या तो जीवन के संघर्षो से डरो मत....या फिर महादेव की भक्ति में लीन हो जा...लेकिन बिना संघर्ष के तो भक्ति भी नही होती बेटा...
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वो साधु अपनी जगह से उठता है....और मुझे एक छोटे से चबूतरे के पास ले जाता है.
साधु--ले सब से पहले इस चिलम का एक दम लगा उसके बाद अपने दिल की बात खोल कर मुझे बता...
में--बाबा में ये सब नही पीता...
साधु--में तुम्हे हमेशा पीने की सलाह नही दे रहा बस आज मेरे कहने पर एक दम लगा....और उसके बाद तेरे सारे बंद दरवाजे खुल जाएँगे....
में बाबा से वो चिलम ले कर उसे खिचने की कोशिश करता हूँ...लेकिन कुछ भी नही होता....ये देख कर साधु बोलता है...
साधु--बेटा एक माँ भी अपने बच्चे को दूध तब पिलाती है जब वो भूख के कारण संघर्ष करते हुए रोने लग जाता है....इसलिए इस चिलम का दम अगर तुझे लगाना है तो कर संघर्ष.....में देखना चाहता हूँ...तू वास्तव में वीर है या जैसा मैने सोचा कि तू कायर है....
में उनकी ये बात सुनकर काफ़ी ज़ोर लगा कर उसे खिचने की कोशिश करता हूँ लेकिन इस बार मुझे खाँसी आजाती है...
साधु--एक चिलम तुझ से नही खीची जा रही तो तू कैसे इस दुनिया से लड़ेगा. कायर...
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
बाबा की ये बात सुनकर अचानक मुझे क्या हुआ मैने उस चिलम के 2 -3 लंबे लंबे दम अपने फेफड़ो मे भर लिए....
साधु--हाँ ये हुई ना बात आज तू सही मायनो में एक मर्द बन गया है....अब बैठ यहाँ कुछ देर और याद कर तूने क्या किया और तेरे सगो ने क्या किया...जब तक मुझे एक हवन का निर्माण करना होगा ....
में बिल्कुल स्थिर हो चुका था...दिमाग़ बिल्कुल ऐसे शांत हो गया जैसे उसमें कोई परेशानी कोई अनतर्द्वंद अब बचा नही था...एक लहर मेरे पूरे बदन में उठती हुई सी महसूस हो रही थी....में अपने आप ही बड़बड़ाते हुए साधु को जोभी मेरे साथ हुआ वो बताता चला गया...
साधु ने अब एक हवन कुंड बना कर उसमें आग जला दी थी उस हवन कुंड के आस पास दो साधु और बैठ गये थे....साधु ने मुझे अपने पास बैठने को कहा ...और कुछ चावल के दाने देकर उसे उस हवन में डालने को कहा...में बिल्कुल साधु के कहे अनुसार ही कर रहा था...
साधु--सब से पहले तो ये बात जान ले तेरा जन्म जिसे तू तेरा भाई बोलता है उसके बीज से नही हुआ है....
वो फिर से मेरे हाथ में कुछ चावल के दाने देते है और मेरे उंगली में एक हल्का सा कट लगाकर उस में से निकला खून उन चावलो पर मसल देते है...और मुझे वो उस हवन कुंड में डालने को कहते है..में उनके कहे अनुसार वो रक्तरंजित चावल के दाने उस हवन में डाल देता हूँ...
साधु--मुस्कुराते हुए....ले एक खुश खबरी और सुन...जिसे तू अपना बाप बोलता है तू उसी की संतान है....
में--बाबा ये कैसे हो सकता है....मेरी माँ ने मुझे खुद ही बताया था में किसका खून हूँ.
साधु--तेरी माँ ने बिल्कुल ठीक बताया था...लेकिन महादेव की लीला को कोई समझ नही सकता ....अगर तुझे मेरी बात पर यकीन नही है तो तू वापस जब घर जाए तो तेरी माँ से पुकछना...कि जब तेरा बाप घर से कुछ दिनो के लिए बाहर गया था तब उसने संभोग कब और कितनी बार तक किया था ...
में बाबा की इन बातो से एक बार फिर से सवालो में उलझ चुका था...जब बाबा ने मुझे कुछ सोचते हुए देखा...तब वो मुझे बोले...
साधु--ये चिलम ले और इसके दो दम और मार ले...अभी सोचने का सही वक़्त नही है...तेरी एक परेशानी का इलाज तो मैने कर दिया है...अगर तुझे मेरी बातो पर यकीन नही आता तो....वो क्या कहते है अँग्रेज़ी में....हाँ वो डी एन ए वाला टेस्ट करवा लेना तेरे सारे सवाल वही ख़तम हो जाएँगे...
अब तेरी दूसरी परेशानी का इलाज करते है...
साधु--तू कौन है....?
में--बाबा में इंसान हूँ...
साधु--तुझे इंसान किसने बनाया....??
में--बाबा भगवान ने बनाया...
साधु--ग़लत....भगवान ने सिर्फ़ जानवर बनाया ...भगवान ने अलग अलग प्रकार के जानवर जोड़ो के रूप में बनाए नर और मादा.....तेरे और मेरे पूर्वज भी एक जानवर ही थे...जब हमारे पूर्वाजो ने अपना दिमाग़ विकसित करना शुरू किया...उसके बाद ही उन्होने अपने लिए हथियार बनाए...दूसरे जानवरो का शिकार करना शुरू किया...अपने दिमाग़ के विकसित होने पर उसने खुद से ज़्यादा शक्ति शालि जानवारो का शिकार शुरू कर दिया...लेकिन रहते तब भी वो जानवरो की तरह से थे..उनका बस यही रोज का काम था शिकार करना ....अपना पेट भरना और बच्चे पैदा करना...उस समय जब एक मादा परिपक्व हो जाती थी तो वहाँ ये सवाल नही होता था कि ये बेटी है या माँ है या बहन है...वो बस नर और मादा के रूप में ही रहा करते थे...धीरे धीरे उन्होने अपने अपने कबीले बनाए...उसके बाद वो सभी सुरक्षा के कारण अलग अलग परिवारो के रूप में अलग हो गये...उसके बाद धर्म बना...समाज बना...खुद को अलग अलग वर्गो में बाँट लिया उस जानवर ने अपने आप को...लेकिन ये सब कुछ होने से पहले वो बस एक नर और एक मादा ही थे....
साधु--इंसान को किसने बनाया....?
में--बाबा इंसान को किसी ने नही बनाया उस जानवर ने ही खुद को इंसान रूपी कपड़ो के आवरण से ढक लिया......
साधु--तुमने बिल्कुल ठीक कहा ...सारे रिश्ते नाते,सारे धर्म बस सांसारिक है असली रिश्ता और असली धर्म प्रेम ही है...अब वो तुम पर निर्भर करता है तुम उस प्रेम को कौनसी संगया देते हो...
में--बाबा...जब में घर से निकला था तब में मर जाना चाहता था...लेकिन महादेव ने मुझे आप से मिलवा दिया...और मेरी सभी समस्याओ को सुलझा दिया...
साधु--तेरे जीवन में कठिनाइया अभी ख़तम नही हुई है....जैसे जैसे तू अपनी राह पर चलता जाएगा वैसे वैसे कठिनाइया भी तेरे साथ बढ़ती चली जाएँगी....लेकिन जब तू इन कठिनाइयो को पार कर लेगा उसके बाद तेरा जीवन सुख और प्रेम से भरपूर होगा...
में--बाबा में इन सभी कठिनाइयो को पार करके ही दम लूँगा...
.--चल तुझे में तेरे जीवन से जुड़ी एक बात और बता देता हूँ....तेरी कठिनाइयाँ उसके मिलने के बाद ही ख़तम होंगी...
में--किसके मिलने के बाद बाबा....
साधु--तेरी तीन बहनें और भी है...तेरी 2 बहने तेरी माँ के गर्भ से निकली है...और तेरी 2 बहने तेरी चाची के गर्भ से...लेकिन तेरी एक बहन और भी है...वो बिचारी बेहद दुख पूर्ण वातावर्ण में रह रही है...वो हर रोज महादेव की उपासना करती है उस नरक से निकालने के लिए जहाँ वो रहती है....में तुझे ये तो नही बताउन्गा कि वो कहाँ है लेकिन तू उसे देख चुका है...और मुझे पता है तू उसे ढूँढ भी लेगा....जिस पल वो तेरे जीवन में आ जाएगी उसी पल से तेरे दिन फिर जाएँगे सारे दुख तकलीफे खुशी और प्यार में बदल जाएँगी...
में--बाबा मुझे कैसे पता चलेगा जो चाची की संताने है वो मेरी ही बहने है....
साधु--जिसने उन्हे जन्म दिया है जब तू उस से पुछेगा वो सारे सच बता देगी....तुझे बस अपनी खो चुकी बहन को ढूँढना है इसे तू अपने जीवन का लक्ष्य समझ ले....
ये ले चिलम और एक जोरदार दम लगा....
में वो चिलम लेकर दम लगाता हूँ दम लगाने के बाद में जैसे ही अपनी आँखे खोलता हूँ...
मुझे वहाँ कोई नज़र नही आता सिवाए उस मंदिर के पुजारी के जो मुझे देखे ही जेया रहा था...मेरा दिमाग़ फिर से चलने लगा था ....किसी भी तरह का नशा मेरे दिमाग़ में अब नही था कुछ पल पहले जहाँ में नशे में मस्त हो रखा था वो अब बिल्कुल गायब हो चुका था...
तभी वो पुजारी मेरे पास आया और उसने मुझसे पूछा...
पुजारी--क्या हुआ बेटा तुम इस तरह ज़मीन पर क्यो बैठे हो और इतनी देर से किससे बाते कर रहे थे...
में--पुजारी जी मेरे साथ में एक साधु बाबा बैठे थे और उनके साथ कुछ साधु और थे..उन्होने मुझे चिलम दी दम लगाने के लिए लेकिन जैसे ही मैने दम भरने के बाद आँखे खोली वहाँ कोई नही था...वो चिलम भी मेरे हाथ में नही थी...बस ये कट ज़रूर लगा हुआ है मेरी उंगली पर जो उन्ही बाबा ने लगाया था मेरा खून लेने के लिए....
पुजारी--बेटा जो भी तुमने देखा वो सच है...ये मंदिर ऐसे ही चमत्कारो के लिए जाना जाता है...अब में मंदिर के पट खोलने वाला हूँ तुम महादेव से आशीर्वाद लेने के बाद ही वापस जाना.......
में वहाँ महादेव के मंदिर में काफ़ी देर रहा मैने महादेव का आशीर्वाद स्वरूप प्रसाद लिया....और फिर से घर की तरफ निकल गया....
साधु--हाँ ये हुई ना बात आज तू सही मायनो में एक मर्द बन गया है....अब बैठ यहाँ कुछ देर और याद कर तूने क्या किया और तेरे सगो ने क्या किया...जब तक मुझे एक हवन का निर्माण करना होगा ....
में बिल्कुल स्थिर हो चुका था...दिमाग़ बिल्कुल ऐसे शांत हो गया जैसे उसमें कोई परेशानी कोई अनतर्द्वंद अब बचा नही था...एक लहर मेरे पूरे बदन में उठती हुई सी महसूस हो रही थी....में अपने आप ही बड़बड़ाते हुए साधु को जोभी मेरे साथ हुआ वो बताता चला गया...
साधु ने अब एक हवन कुंड बना कर उसमें आग जला दी थी उस हवन कुंड के आस पास दो साधु और बैठ गये थे....साधु ने मुझे अपने पास बैठने को कहा ...और कुछ चावल के दाने देकर उसे उस हवन में डालने को कहा...में बिल्कुल साधु के कहे अनुसार ही कर रहा था...
साधु--सब से पहले तो ये बात जान ले तेरा जन्म जिसे तू तेरा भाई बोलता है उसके बीज से नही हुआ है....
वो फिर से मेरे हाथ में कुछ चावल के दाने देते है और मेरे उंगली में एक हल्का सा कट लगाकर उस में से निकला खून उन चावलो पर मसल देते है...और मुझे वो उस हवन कुंड में डालने को कहते है..में उनके कहे अनुसार वो रक्तरंजित चावल के दाने उस हवन में डाल देता हूँ...
साधु--मुस्कुराते हुए....ले एक खुश खबरी और सुन...जिसे तू अपना बाप बोलता है तू उसी की संतान है....
में--बाबा ये कैसे हो सकता है....मेरी माँ ने मुझे खुद ही बताया था में किसका खून हूँ.
साधु--तेरी माँ ने बिल्कुल ठीक बताया था...लेकिन महादेव की लीला को कोई समझ नही सकता ....अगर तुझे मेरी बात पर यकीन नही है तो तू वापस जब घर जाए तो तेरी माँ से पुकछना...कि जब तेरा बाप घर से कुछ दिनो के लिए बाहर गया था तब उसने संभोग कब और कितनी बार तक किया था ...
में बाबा की इन बातो से एक बार फिर से सवालो में उलझ चुका था...जब बाबा ने मुझे कुछ सोचते हुए देखा...तब वो मुझे बोले...
साधु--ये चिलम ले और इसके दो दम और मार ले...अभी सोचने का सही वक़्त नही है...तेरी एक परेशानी का इलाज तो मैने कर दिया है...अगर तुझे मेरी बातो पर यकीन नही आता तो....वो क्या कहते है अँग्रेज़ी में....हाँ वो डी एन ए वाला टेस्ट करवा लेना तेरे सारे सवाल वही ख़तम हो जाएँगे...
अब तेरी दूसरी परेशानी का इलाज करते है...
साधु--तू कौन है....?
में--बाबा में इंसान हूँ...
साधु--तुझे इंसान किसने बनाया....??
में--बाबा भगवान ने बनाया...
साधु--ग़लत....भगवान ने सिर्फ़ जानवर बनाया ...भगवान ने अलग अलग प्रकार के जानवर जोड़ो के रूप में बनाए नर और मादा.....तेरे और मेरे पूर्वज भी एक जानवर ही थे...जब हमारे पूर्वाजो ने अपना दिमाग़ विकसित करना शुरू किया...उसके बाद ही उन्होने अपने लिए हथियार बनाए...दूसरे जानवरो का शिकार करना शुरू किया...अपने दिमाग़ के विकसित होने पर उसने खुद से ज़्यादा शक्ति शालि जानवारो का शिकार शुरू कर दिया...लेकिन रहते तब भी वो जानवरो की तरह से थे..उनका बस यही रोज का काम था शिकार करना ....अपना पेट भरना और बच्चे पैदा करना...उस समय जब एक मादा परिपक्व हो जाती थी तो वहाँ ये सवाल नही होता था कि ये बेटी है या माँ है या बहन है...वो बस नर और मादा के रूप में ही रहा करते थे...धीरे धीरे उन्होने अपने अपने कबीले बनाए...उसके बाद वो सभी सुरक्षा के कारण अलग अलग परिवारो के रूप में अलग हो गये...उसके बाद धर्म बना...समाज बना...खुद को अलग अलग वर्गो में बाँट लिया उस जानवर ने अपने आप को...लेकिन ये सब कुछ होने से पहले वो बस एक नर और एक मादा ही थे....
साधु--इंसान को किसने बनाया....?
में--बाबा इंसान को किसी ने नही बनाया उस जानवर ने ही खुद को इंसान रूपी कपड़ो के आवरण से ढक लिया......
साधु--तुमने बिल्कुल ठीक कहा ...सारे रिश्ते नाते,सारे धर्म बस सांसारिक है असली रिश्ता और असली धर्म प्रेम ही है...अब वो तुम पर निर्भर करता है तुम उस प्रेम को कौनसी संगया देते हो...
में--बाबा...जब में घर से निकला था तब में मर जाना चाहता था...लेकिन महादेव ने मुझे आप से मिलवा दिया...और मेरी सभी समस्याओ को सुलझा दिया...
साधु--तेरे जीवन में कठिनाइया अभी ख़तम नही हुई है....जैसे जैसे तू अपनी राह पर चलता जाएगा वैसे वैसे कठिनाइया भी तेरे साथ बढ़ती चली जाएँगी....लेकिन जब तू इन कठिनाइयो को पार कर लेगा उसके बाद तेरा जीवन सुख और प्रेम से भरपूर होगा...
में--बाबा में इन सभी कठिनाइयो को पार करके ही दम लूँगा...
.--चल तुझे में तेरे जीवन से जुड़ी एक बात और बता देता हूँ....तेरी कठिनाइयाँ उसके मिलने के बाद ही ख़तम होंगी...
में--किसके मिलने के बाद बाबा....
साधु--तेरी तीन बहनें और भी है...तेरी 2 बहने तेरी माँ के गर्भ से निकली है...और तेरी 2 बहने तेरी चाची के गर्भ से...लेकिन तेरी एक बहन और भी है...वो बिचारी बेहद दुख पूर्ण वातावर्ण में रह रही है...वो हर रोज महादेव की उपासना करती है उस नरक से निकालने के लिए जहाँ वो रहती है....में तुझे ये तो नही बताउन्गा कि वो कहाँ है लेकिन तू उसे देख चुका है...और मुझे पता है तू उसे ढूँढ भी लेगा....जिस पल वो तेरे जीवन में आ जाएगी उसी पल से तेरे दिन फिर जाएँगे सारे दुख तकलीफे खुशी और प्यार में बदल जाएँगी...
में--बाबा मुझे कैसे पता चलेगा जो चाची की संताने है वो मेरी ही बहने है....
साधु--जिसने उन्हे जन्म दिया है जब तू उस से पुछेगा वो सारे सच बता देगी....तुझे बस अपनी खो चुकी बहन को ढूँढना है इसे तू अपने जीवन का लक्ष्य समझ ले....
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में वो चिलम लेकर दम लगाता हूँ दम लगाने के बाद में जैसे ही अपनी आँखे खोलता हूँ...
मुझे वहाँ कोई नज़र नही आता सिवाए उस मंदिर के पुजारी के जो मुझे देखे ही जेया रहा था...मेरा दिमाग़ फिर से चलने लगा था ....किसी भी तरह का नशा मेरे दिमाग़ में अब नही था कुछ पल पहले जहाँ में नशे में मस्त हो रखा था वो अब बिल्कुल गायब हो चुका था...
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